हृदय, नेत्र रोग एवं सामान्य रोग चिकित्सा का 72वां शिविर रविवार को
--जांच एवं परामर्श शिविर 10 मार्च को आयोजित किया जाएगा
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कनीना की आवाज। कनीना अनाज मंडी स्थित लाला शिवलाल धर्मशाला में सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना की ओर से 72वां हृदय, नेत्र रोग, जांच एवं परामर्श शिविर 10 मार्च को आयोजित किया जाएगा। इस मौके डा अश्विनी यादव हृदय रोग तथा डा. राहुल नेत्र रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर ईसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर आदि की जांच की जाएगी वही हृदय रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सामान्य रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। उल्लेखनीय की लंबे समय से सेवा भारती की ओर से इस प्रकार के कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 71 निशुल्क शिविर आयोजित किए जा चुके हैं जिसमें हजारों लोगों ने लाभ उठा लिया है। उन्होंने बताया कि सेवा भारती लगातार जन सेवा में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि प्राय हृदय रोगों की जांच उन लोगों को करवानी चाहिए जिनकी सांस फूलती हो, अत्यधिक मोटापा, अत्यधिक पसीना आता हो, उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, तंबाकू-धूम्रपान सेवन करने वाले, रक्तचाप से पीडि़त, अत्यधिक घबराहट बेचैनी, हृदय संबंधित पारिवारिक रोग प्रवृत्ति, आलसी जीवन शैली वाले जरूर इस शिविर का में जांच करवाएं।
गेहूं की सुनहरी बालियों को देखकर किसान प्रसन्न
---अभी एक से दो बार पानी और लगाना पड़ेगा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में जहां सरसों की लावणी पूरे वेग पर चल रही है वहीं गेहूं में सुनहरी बालियां दिखाई पड़ रही हैं। गेहूं की सुनहरी बालियों को देखकर किसान प्रसन्न हैं। अभी दो बार खेतों में और पानी दिया जाएगा तथा अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक गेहूं की कटाई शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
इस बार अभी तक मौसम प्रतिकूल चलने से कम पैदावार होने की उम्मीद है। किसान राजेंद्र,कृष्ण कुमार, अजीत कुमार, महेश कुमार दिनेश कुमार, उमेद सिंह आदि ने बताया कि गेहूं में 6 से 7 बार पानी देना पड़ता है। पानी किसानों को या तो अपनी ट्यूबवेल से देना पड़ता है या एक तिहाई भाग गेहूं उत्पाद के बदले किसी ट्यूबवेल मालिक से पानी लेना पड़ता है।
किसान अब तक गेहूं फसल में चार पानी दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी एक से दो बार पानी और लगाना पड़ेगा। फसल पकान की ओर अग्रसर है। कनीना क्षेत्र में दो प्रकार की खेती की हुई है। अगेती फसल पर सुनहरी बालियां आई हुई हैं। वैसे तो खेत से पकी हुई कुछ बालिया होली दहन में भूनकर खाने के पश्चात ही लावणी का कार्य शुरू होता है और इस बार 24 मार्च को होलिका दहन होने जा रहा है। होली के दहन में गेहूं/जौ की बालियों को भूनकर खाने के बाद ही लावणी होने की संभावना है। गेहूं के मुकाबले दोगुने क्षेत्रफल पर सरसों उगाई गई है।
कृषि वैज्ञानिक ने कृषि अधिकारी वैज्ञानिक मानते इस बार मौसम ठीक नहीं रहने का कुप्रभाव पैदावार पर पड़ सकता है।
उधर व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष रविंद्र बंसल ने बताया कि इस बार गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये तो सरसों प्रति 5650 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। सरसों के प्रति किसानों में अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है।
फोटो कैप्शन 7: गेहूं की लहलहाती फसल।
किसान सभी कार्य करवा रहे हैं मजदूरों से
--किसानों के पास वक्त का अभाव
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सरसों की फसल कटाई शुरू हो गई हैं। किसान अपनी फसल कटाई स्वयं कम करते हैं और मजदूरों से अधिक करवा रहे हैं। दूसरे राज्यों से भारी संख्या में मजदूर आए हुए हैं जो 2500 प्रति एकड़ के हिसाब से फसल कटाई करते हैं। किसान अपने खेतों में फसल कटाई सरसों निकालना, यहां तक कि आने वाले समय में गेहूं की कटाई और भंडारण भूसे का भंडार आदि सभी कार्य इन मजदूरों से करवाते हैं। आलम यह है कि किसान अपने खेतों में जबसे फसल उगाता है तभी से उसकी रखवाली का कार्य भी मजदूरों पर छोड़ता रहा है। मजदूर निश्चित राशि में फसलों की देखभाल करते हैं। फसलों की आवारा जंतुओं से देखरेख के लिए अलग से रखवाले भी रखे जाते हैं। ये रखवाले रात को आवारा जंतु जैसे नीलगाय से फसल की सुरक्षा करते हैं।
किसानों ने बताया कि एक जमाना था जब परिवार के सदस्यों की संख्या अधिक होती थी उस समय मजदूरों की जरूरत कम पड़ती थी किंतु अब प्रत्येक घर में सदस्य की संख्या कम होती है। एक और जहां चल रही हैं विद्यार्थी अपने स्कूल में परीक्षा देने जाते हैं वही किसान अपने खेतों में लावणी का कार्य करते हैं। लेकिन ऐसे बहुत कम किसान है जो अपने खेत की लावणी स्वयं करते हैं। मजदूरों पर ही लावणी का कार्य निर्भर करता है।
मिली जानकारी अनुसार राजस्थान, बिहार ,उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्य से मजदूरों के ग्रुप आए हुए हैं। ये ग्रुप दस से लेकर के 30 की संख्या में मिलते हैं। एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। फसल कटाई का काम जो दिनों में पूरा होना चाहिए कुछ ही घंटों में पूरा कर जाते हैं। यही कारण है किसान मौसम को देखते हुए तथा मौसम बदलाव के चलते हुए इन मजदूरों से कटाई करवाता है। यहां तक सरसों निकालना आदि का कार्य भी मजदूरों से करवा भंडारण तक का कार्य भी मजदूरों से करवाता है। एक और मजदूरों को अपनी रोटी रोजी मिल रही है वही किसान भी इन मजदूरों से काम करवा कर प्रसन्न नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि घर गृहस्थी के काम में फुरसत नहीं मिलती जिसके चलते मजदूरों से काम करवाते हैं। दूसरे प्रांतों में दैनिक मजदूरी प्रदेश से कम है।
फोटो कैप्शन 06: सरसों की लावणी का नजारा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 08 मार्च
हर क्षेत्र में नाम कमा रही है ग्रामीण महिलाएं और लड़कियां
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कनीना की आवाज। कहने को तो ग्रामीण महिलाएं और लड़कियां है किंतु आज किसी से किसी प्रकार कम नहीं हैं। हर क्षेत्र में नाम कमा रही है जिसके चलते यह नहीं कहा जा सकता कि ग्रामीण महिलाएं पुरुषों से किसी प्रकार कम हैं। एक वक्त था जब लोग लड़कियों को पढ़ाना लिखाना कम चाहते थे किंतु आज लड़कियां पढ़ लिखकर लड़कों से भी आगे निकल चुकी है। नौकरी में हो या अंतरिक्ष में पहुंचने की बात हो या फिर किसी अन्य क्षेत्र की बातों लड़कियां और महिलाएं आगे मिलती हैं।
कनीना क्षेत्र की अनेक महिलाएं /लड़कियां आज उच्च पदों पर नाम कमा रही है। यहां तक की हर कार्य को लड़कियां बखूबी से पूरा रही है। ऐसी कुछ महिलाएं और लड़कियां जो क्षेत्र में नाम कमा रही है, बातचीत हुई।
कृषि क्षेत्र में अग्रणी किसान भी महिलाएं है। मोड़ी की खेत के सभी कार्य अच्छे प्रकार कर लेती है तथा ट्रैक्टर चलाना सब्जी और फल पैदा करना यहां तक की अनाज पैदा करना सभी कार्यों में अग्रणी है। 20 सालों से कृषि कार्यों में जुटी हुई है और अपने इस क्षेत्र में नाम कमा रही है।
---कांता देवी, मोड़ी
रितिका ग्रामीण लड़की जो खेती-बाड़ी के काम में लगी रहती थी किंतु आज एमबीबीएस करके जन सेवा में जुट गई है। मां-बाप अधिक पढ़े-लिखे न होने के कारण भी लड़की ने नाम कमाया है और आज के दिन रोहतक से एमबीबीएस कर डाक्टर बन चुकी है। जनसेवा उनका ध्येय है। उनके पिता दिनेश कुमार एक किसान है।
-- डा रितिका यादव, कनीना
अंशिका ग्रामीण क्षेत्र संबंध रखते हुए भी एमबीबीएस द्वितीय वर्ष रोहतककर रही है। उसमें सिद्ध कर दिया है कि घर परिवार में कोई बहुत पढ़ा लिखा न हो तब भी लड़कियां नाम कमा सकती है। यही कारण है कि अंशिका के मां-बाप को उन पर गर्व है और वह डाक्टरी का कोर्स कर रही है।
--अंशिका, कनीना
कनीना की एकता जो हाल ही में एसआई बनी है। घर परिवार के हालात बहुत बेहतरीन न होते हुए भी अपने ही दम पर इस पद तक पहुंची है। कड़ी मेहनत का परिणाम है जिसके कारण वह एसआई पद पर पहुंच पाई है। परिवार को उन पर नाज है। वर्तमान में झाड़ोदा से ट्रेनिंग चल रही है।
--एकता यादव,कनीना
डिंपल जांगड़ा महिला सरपंच है। कैमला की महिला सरपंच है। कितनी ही महिलाएं सरपंच का कार्य कर रही है। 2022 में निर्वाचित हुई डिंपल जांगड़ा स्वच्छता, जल शक्ति, ऊर्जा बचाओ, बालिका शिक्षा आदि क्षेत्र में नाम कमा रही है और पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया है।
----डिंपल जांगड़ा, कैमला
आरजू माइनिंग इंस्पेक्टर है। अपने दम के चलते वह इस पद पर पहुंची है। ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखते हुए भी उन्होंने ऊंचा मुकाम हासिल किया है। परिवार की हालात चाहे अच्छी नहीं रही हो परंतु इस लड़की ने इस पद पर पहुंचकर सिद्ध कर दिया है की मेहनत के आगे सब कुछ शून्य हो जाता है और मेहनत करने वाला ऊंचाइयों को छूता है। वर्तमान में रेवाड़ी में कार्यरत है।
----आरजू माइनिंग इंस्पेक्टर
रितिका यादव पुत्री सवाई सिंह ग्रामीण लड़की ने एमबीबीएस कर ली है तथा अब पीजी की तैयारियों में जुटी है। परिवार अधिक लिखा पढ़ा नहीं है तथापि उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर नाम कमाया है और डाक्टरी की पढ़ाई पूरी की है। अब पीजी की तैयारी में जुटी है।
--डा. रितिका यादव, कनीना
गरीब परिवार से उठकर कालेज के प्राध्यापक पद/सहायक प्रोफेसर पद तक कनीना की शर्मिला यादव पहुंची है। वर्तमान में रोहतक में शिक्षण का कार्य कर रही है। उनके पिता एक सामान्य दुकानदार हैं। उनकी मेहनत के बल पर ऐसा संभव हो पाया है।
डा शर्मिला
फोटो कैप्शन: कांता, रितिका, डा शर्मिला, एकता ,डिंपल जांगड़ा, आरजू, रितिका यादव और अंशिका।
कट को लेकर किसानों का जोश बरकरार, 361वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं किसान
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए किसान अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। धरनेकी अध्यक्षता दाताराम बाघोत ने की और उन्होंने बताया कि हम केंद्र सरकार के इंतजार में है यदि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू नहीं होता है, तब हम आगे की रणनीति बनाकर सरकार का विरोध करेंगे। हमारा मुख्य उद्देश्य है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर चढऩे और उतरने का मार्ग बनना चाहिए। केंद्र सरकार के प्रति किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, कट के लिए हमने पहले ही प्रतिज्ञा ले रखी है, जब तक राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत- सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं होता है, तब तक धरना जारी रहेगा।
धरना संघर्ष समिति के सदस्य नरेंद्र कुमार शास्त्री एवं संयोजक पहलवान रणधीर सिंह ने बताया कि धरने को चलते 361 दिन हो गए हैं। केंद्रीय सड़क, राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी के द्वारा 9 मार्च 2022 को पचगांव गुरुग्राम रैली में राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा की गई लेकिन आज तक कट का काम शुरू नहीं किया गया है। परंतु केंद्र सरकार ने किसानों को धोखे में रखा है, इनकी पीड़ा का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर चढऩे के लिए बूचावास- महेंद्रगढ़ या चरखी दादरी जाना पड़ेगा, वहां की दूरी भी अधिक है और पहुंचने में भी अधिक समय लगता है। केंद्र सरकार किसानों की पीड़ा को समझे और जल्दी से जल्दी कट का काम शुरू करवाया जाए।
इस मौके पर पहलवान धर्मपाल, महेंद्र सिंह, रामभज, सुरेंद्र सिंह, मुंशीराम, सरपंच हरिओम पोता, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, ठेकेदार शेर सिंह, अशोक चौहान, सज्जन सिंह, ओम प्रकाश, रामकिशन, राजू उर्फ राजेश, राम भक्त, वेद प्रकाश, प्रधान कृष्ण कुमार, मास्टर विजय सिंह, ओम प्रकाश, सूबेदार भूले राम, अशोक, धर्मपाल, मास्टर विजयपाल, सूबेदार हेमराज अत्रि, रोशन लाल आर्य व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 04: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान।
एचआईवी एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
--96 लोगों की एचआईवी जांच की गई
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कनीना की आवाज। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नौताना, सेहलंग, धनौंदा व बूचावास गांवों में एचआईवी एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर 96 लोगों की एचआईवी एडस की जांच की गई इसमें सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई।
इस मौके पर उप सिविल सर्जन डा हर्ष चौहान ने बताया कि एचआईवी एक प्रकार का विषाणु होता है जो आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। यह विषाणु आगे चलकर एड्स का कारण बनता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है, जिससे बचने का एक मात्र उपाय एड्स के प्रति जागरूकता है। एचआईवी एड्स के लक्षण, कारण और बचाव के तरीकों के
बारे में पता होना बहुत जरूरी है।
इस अवसर पर काउंसलर तरुण कुमार व रणधीर व इंद्रजीत एण्ड पार्टी के अलावा अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05:एचआईवी एड्स के बारे में रैली द्वारा जागरूक करते हुए
08 महाशिवरात्रि पर बाघोत में लगेगा विशाल मेला
-पौराणिक इतिहास समेटे हैं बाघोत
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव बाघोत पर 08 मार्च को महाशिवरात्रि मेला लगने जा रहा है। वर्ष में दो बार मेला लगता है। सावन त्रयोदशी शिवरात्रि पर कावड़ मेला लगता है। बाघोत जिसे बाघेश्वर धाम नाम से पूरे भारत में जाना जाता है,का पौराणिक महत्व एवं अपने अंदर इतिहास समेटे हुए है। महाशिवरात्रि पर कांवड़ कम अर्पित की जाती हैं।
बाघोत का नाम बाघ के आधार पर पड़ा है।
बाघोत का पुराना नाम हरयेक वन था। यहां पीपलाद ऋषि का आश्रम भी तो यहीं था। उनके कुल में राजा दलीप के कोई संतान नहीं थी। वे दु:खी थे और दुखी मन से अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास गए। उन्होंने अपना पूरा दु:ख का वृतांत मुनिवर को सुनाया। वशिष्ठ ने उन्हें पीपलाद ऋषि के आश्रम में नंदिनी नामक गाय एवं कपिला नाम की बछिया निराहार रहकर चराने का आदेश दे दिया। राजा ने गाय व बछिया को निराहार रहकर चराते वक्त एक दिन भगवान् भोलेनाथ ने बाघ का रूप बनाकर राजा की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। बाघ ने बछिया पर धावा बोल दिया। गाय को बचाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने को राजा तैयार हुए। परंतु जब वे ऐसा करने लगे तो बाघ के स्थान पर शिवभोले खड़े थे। बाघ के कारण ही गांव का नाम बाघोत पड़ा। प्रारंभ में बाघेश्वर शिवालय का निर्माण कणाणा के राजा कल्याण सिंह रैबारी ने करवाया था जिसका समय समय पर उद्धार होता रहा है।
बाघोत स्थित शिवालय उन भक्तों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है जिनके कोई संतान नहीं होती है। मेले में आकर दंपति अपने हाथों से एक विशाल वटवृक्ष को कच्चा धागा बांधकर सुंदर संतान होने की कामना करता है। जब संतान हो जाती है तो यहां आकर ही धागा खोलता है। यही कारण है कि शिवलिंग के पास ही खड़ा एक वटवृक्ष कच्चे धागों से लदा मिलता है।
हरियाणा सरकार की पुस्तकों में भी बाघोत का छोटा उल्लेख है वहीं लेखक एचएस यादव की कृति में संपूर्ण इतिहास दिया गया है।
बाघोत के शिवालय का शिवलिंग स्वयंभू होने के कारण यहां अपार भीड़ भक्तों की वर्षभर चलती है। छोटा सा गांव है किंतु ठहरने के लिए अनेक धर्मशालाएं हैं। प्राकृतिक शिवलिंग के भक्त दर्शन कर प्रसन्न हो जाते हैं।
फोटो कैप्शन 01:बाघेश्वरी धाम शिवालय
02:प्राकृतिक शिवलिंग
03: कच्चे धागों से बंधा वटवृक्ष
महाशिवरात्रि पर बेर एवं गाजर की रहती है मांग
-तैयारी में जुटे हैं लोग
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को महाशिवरात्रि पर बेर, गाजर एवं फलों की मांग रहती है। गाजर जो 20 रुपये किलो बिक रही है। वहीं बेर 50 रुपये तो केले 80 रुपये दर्जन बिक रहे हैं। इस दिन व्रत होने से बेलपत्र की भी मांग रहती है। महाशिवरात्रि के दिन महंगे रहने की संभावना है।
गाजर के अच्छे भाव मिलने की संभावना से किसानों ने खेतों से गाजर बचा रखी है और उन्हें बाजार में बेचकर आय माने की संभावना है। उधर बेहतर बेर की पैदावार लेने वाले बेरों की पैकिंग कर रहे हैं। दूध, बेलपत्र, धतूरा, भाग के पौधों की भी मांग रहती है। दुकानदार नरेंद्र कुमार ने बताया कि वो बेर, बेलपत्र, बेर एवं अन्य पदार्थों का प्रबंध कर चुके हैं।
बैंक मैनेजर बनकर मांगा ओटीपी
- खाते से कट गये करीब 60 हजार रुपये, धोखाधड़ी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव ककराला से एक व्यक्ति के पास फोन आया और फोन करने वाले ने अपने को मैनेजर बताया। इस प्रकार मैनेजर बनकर खाताधारक से ओटीपी नंबर मांग लिए, देखते-देखते उनके खाते से करीब 60 हजार रुपये कट गए। पीडि़त ने कनीना पुलिस में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है।
कनीना पुलिस में ब्रह्मदत्त ककराला निवासी ने बताया कि उनके फोन नंबर पर एक फोन काल आई और काल करने वाले ने बताया कि वह पीएनबी मैनेजर बोल रहा है। उसने कहा कि आपका एटीएम बंद हो गया है उसे चालू करवाना है। जब पीडि़त ने कहा ठीक है तो उसके द्वारा भेजे हुए ओटीपी नंबर पीडि़त ने बता दिये। देखते-देखते उनके पीएनबी के खाते से 59998 रुपये रुपये दो बार में कट गए। पहली बार 49999 रुपये तो दूसरी बार 9999 रुपये कट गये। उन्होंने धोखाधड़ी करने वाले के विरुद्ध मामला दर्ज करवा दिया। कनीना पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
महिला के खाते से उड़ाये 27000 रुपये
-धोखाधड़ी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना थाने के तहत पडऩे वाले गांव खैराणा की एक महिला ने उनके खाते से 27000 रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज करवाया है। कनीना पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
अनीता यादव खैराणा ने पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि उनके पास एक फोन से काल आई कि वह अपने को एलआईसी का अधिकारी बता रहा था। और उसने उनके खाते में फेक राशि भिजवाने का संदेश भिजवाया तत्पश्चात में राशि वापस करने के लिए मजबूर किया जिसके चलते उन्होंने वह राशि वापस की और उनके खाते 27000 रुपये की धोखाधड़ी हो गई। महिला ने बताया कि उनके खाते से दो बार ट्रांजेक्शन हुई है। कनीना पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।
फिल्म इंडस्ट्रीज के महान नायक सतीश कौशिक की धर्मपत्नी ने गांव धनौंदा का किया दौरा
- मेरा गांव धनौंदा बहुत अच्छा -शशि कौशिक
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कनीना की आवाज।। देश के जाने-माने विख्यात फिल्म इंडस्ट्रीज के निर्माता निर्देशक सतीश कौशिक के परिवार द्वारा आज उनके पैतृक गांव धनौंदा में आकर गांव की मिट्टी को प्रणाम किया तथा अपने गांव की गलियों का भ्रमण भी किया। यहां गौरतलब है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्रीज के महान नायक सतीश कौशिक कनीना के निकटवर्ती ग्राम धनौंदा की मिट्टी में जन्मे थे जिन्होंने धनौंदा गांव की मिट्टी में खेल कर अपना बचपन शुरू किया था। उनके परिवार में उनके भाई ब्रह्मदत्त कौशिक, उनके दूसरे भाई अशोक कौशिक तथा उनकी धर्मपत्नी शशि कौशिक ने गांव धनौंदा का दौरा कर गांव में स्थित बाबा दयाल के मजार पर मन्नत मांगी वहीं गांव में स्थित ब्रह्मचारी कृष्णानंद धाम पर जाकर मन्नत मांगी।
इस अवसर पर फिल्म इंडस्ट्रीज के महान नायक सतीश कौशिक के भाई अशोक कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि हम सब भाई इसी गांव की मिट्टी में पैदा हुए थे जिसके कारण हमारा इस मिट्टी से आज भी पूरा प्रेम है। उन्होंने यह भी बताया सतीश कौशिक ने फिल्म इंडस्ट्रीज में आकर जो नाम कमाया उसमें देश प्रदेश में जिले के साथ उनके पैतृक ग्राम धनौंदा का भी नाम ऊंचा हुआ है। जिसके कारण आज हमारे पैतृक गांव धनौंदा को अपने प्रदेश व देश में ही नहीं जहां तक सतीश कौशिक की फिल्में गई वहां तक पहुंचने का आयाम स्थापित हुआ। सतीश कौशिक अपने गांव से बड़ा लगाव रखते थे और इसी के कारण उन्होंने गांव में करोड़ों रुपये सरकार द्वारा खर्च करवा कर गांव को एक नई दिशा देने का कार्य किया। उन्होंने यह भी बताया की श्री कौशिक द्वारा गांव धनौंदा में बहुत बड़ा खेल स्टेडियम बनाकर गांव को सौंप दिया ताकि गांव में विभिन्न प्रकार के खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी देश व प्रदेश में अपना नाम ऊंचा कर सके। सतीश कौशिक का एक सपना था कि वह जिस मिट्टी में पैदा हुए हैं उस गांव का नाम अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक पहुंचने का कार्य करेंगे लेकिन परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था।
फिल्म इंडस्ट्रीज के महान नायक सतीश कौशिक की धर्मपत्नी शशि कौशिक ने बताया मुझे कई बार अपने पति के गांव आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुझे भी अपने गांव की तरह अपने पति का गांव धनौंदा काफी अच्छा लगता है और भविष्य में भी हम लोग अपने गांव को याद रखेंगे तथा अपने गांव के मान सम्मान के लिए प्रयास करते रहेंगे ताकि हमारे गांव धनौंदा का नाम जिले प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में ऊपर उठ सके। वही गांव के ग्रामीणों द्वारा गांव में पहुंचने पर श्री कौशिक के परिवार का भव्य स्वागत किया गया। गांव के ठाकुर रतन सिंह तोमर, ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार, वीर सिंह परमार, पूर्व पंच घनश्याम सिंह, ठाकुर कृष्णपाल सिंह, ठाकुर कर्मवीर सिंह, विजय कुमार आर्य, डाक्टर फतेहचंद दायमा, पूर्व पंच सुनील कुमार, डॉ मुकेश तंवर, पृथ्वी सिंह, ठाकुर जसवंत सिंह, पूर्ण सिंह तंवर, दीपांशु तंवर ,नरेंद्र शर्मा, रवि शर्मा, सतपाल शर्मा के अलावा अन्य ग्रामीणों ने बताया की सतीश कौशिक जी का गांव धनौंदा से बड़ा ही गहरा लगाव रहता था। वह फिल्म इंडस्ट्रीज में जाने के उपरांत भी समय-समय पर गांव घरौंदा पहुंचते थे और ग्रामीणों से बेबाक खुलकर के मिलते थे तथा गांव में किसी भी तरह की समस्या ग्रामीणों द्वारा उनके सामने रखी जाती तो वह उसका तुरंत निराकरण करने में बढ़-चढ़कर के भाग लेते थे।सतीश कौशिक के चले जाने की क्षति उनके परिवार को ही नहीं समूचे गांव धनौंदा के साथ हरियाणा प्रदेश को भी है। सतीश को कभी भुला नहीं पाएगा। ग्रामीणों ने उनके परिवार को आश्वासन दिया कि वह जब भी गांव धनौंदा आएंगे गांव के 36 बिरादरी के लोग उनका दिल से स्वागत करेंगे।
फोटो कैप्शन: सतीश कौशिक के भाई वह उनकी धर्मपत्नी
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