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Saturday, March 23, 2024
पुन: जीवित किये जा रहे हैं होली के खेलकूद
-वर्षों पहले चलते थे खेलकूद
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कनीना की आवाज। कनीना में होलिका दहन स्थल, रेवाड़ी रोड़ पर जहां वर्षों पहले होलिका दहन के दिन खेलकूद आयोजित होते थे, जो बीच में अपरिहार्य कारणों से बंद हो गए थे, उन्हें फिर से शुरू किया गया है। इस बार जहां 24 मार्च को खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की गई है। विस्तृत जानकारी देते हुए नवीन कुमार समाजसेवी ने बताया कि 24 मार्च को होली वाला जोहड़ के पास हरियाणा स्टाइल की कबड्डी होगी जिसमें प्रथम इनाम 11000 रुपये दूसरा इनाम 7100 रुपये तथा तीसरा इनाम 5100 रुपये का रखा गया है। इसी जगह रस्साकशी आयोजित होगी जिसमें प्रथम इनाम 2100 रुपये तो दूसरा इनाम 1100 रुपये का रखा गया है। उन्होंने बताया कि 51 रुपये से 3100 रुपये तक की कुश्तियां भी आयोजित होंगी।
कनीना में आयोजित होगा संगीत दोपहरी कार्यक्रम
--आरएस वाटिका में होगा कार्यक्रम
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कनीना की आवाज। कनीना की आरएस वाटिका में 25 मार्च को होली मिलन समारोह आयोजित किया गया है जिसे संगीत दोपहरी नाम दिया गया है। इस अवसर पर रंगों के साथ-साथ सुरों का भी आयोजन किया गया है। विभिन्न कलाकार अपनी-अपने भजन प्रस्तुत करेंगे। इसकी जानकारी देते हुए कृष्ण प्रकाश समाजसेवी ने बताया कि यह आयोजन विगत वर्ष भी हुआ था जो दोपहर 2 बजे तक चलेगा।
आरकेवाई में होली का पर्व मनाया गया
-सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित
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कनीना की आवाज। आरकेवाई विद्यालय प्रांगण में होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। बच्चों ने आपस में रंग- गुलाल लगाकर होली के त्यौहार का आनंद उठाया। बच्चों ने होली खेले रघुवीर,बुरा ना मानो होली है ,गीतों के बोलो पर नृत्य प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर डिप्टी डायरेक्टर अतर सिंह और प्राचार्या सतेंद्रा यादव ने बच्चों को बताया कि होली हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है। इस त्यौहार को भाई-चारे का प्रतीक माना जाता है। प्री-प्राइमरी के बच्चों से होलिका दहन करवा कर बच्चों को बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख दी। इस अवसर पर सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05: आरकेवाई में रंग गुलाल लगाते हुए।
यूरो स्कूल में अभिभावक-अध्यापक संगोष्ठी का आयोजन
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कनीना की आवाज। यूरो स्कूल कनीना में शनिवार को शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे अभिभावकों ने अपने बच्चों की वार्षिक परीक्षा परिणाम की रिपोर्ट प्राप्त की। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील यादव ने अभिभावकों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा विद्यार्थी को जीवन जीने के लिए नई दिशा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विद्यार्थी को न केवल शिक्षित बनाती है, बल्कि उसे संस्कृति और सभ्यता से परिचित करवाकर उसे राष्ट्र निर्माण की ओर प्रेरित करती है। शिक्षा अध्यापक व अभिभावक दोनो के दिशा-निर्देशन व सहयोग से ही संपूर्ण होती है। एक विद्यार्थी को शिक्षित करने मे जितना योगदान एक गुरु का होता है, उतनी ही भूमिका माता-पिता की होती है। सभी विद्यार्थियों को अपने गुरू व अभिभावकों का सम्मान करना चाहिए। अभिभावकों ने अध्यापकगण से अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड प्राप्त करते हुए अध्यापकों का धन्यवाद किया और कहा कि समय-समय पर अभिभावक-अध्यापक संगोष्ठी का आयोजन करना बहुत ही आवश्यक है जिससे बच्चों की कमियों को शिक्षक व अभिभावक मिलकर दूर करके उन्हें संमार्ग पर ले जाए और उनके भविष्य को उज्ज्वल बना सके। साथ ही उन्होंने सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों को नए सत्र के आरंभ होने की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।
फोटो कैप्शन 06: यूरो स्कूल में पीटीएम का नजारा।
सुनील को प्रशासनिक कमेटी का बनाया गया कोप्टिड सदस्य
--कनीना बार एसोसिएशन ने जताई खुशी
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कनीना की आवाज। बार एसोसिएशन कनीना के उप-प्रधान सुनील राव ककरालिया को बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा चंडीगढ़ की प्रशासनिक कमेटी का कोप्टिड मेंबर बनाया गया हैं। इस पर सुनील राव ककरालिया ने कहा कि मुझे जो जिम्मेवारी दी गई है उसे मैं पूरी ईमानदारी निष्ठा से निभाऊंगा । उन्होंने इस नियुक्ति पर बार काउंसिल मेंबर जयवीर यादव का धन्यवाद किया है। इस नियुक्ति पर कनीना के अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल है। बार एसोसिएशन कनीना के पूर्व प्रधान ओपी रामबास ने कहा कि सुनील राव ककरालिया एक सरल स्वभाव के धनी हैं कनीना बार के हालिया उप प्रधान है और पहले भी बार के सचिव पद पर रहे हैं। इस पद पर भी वह ईमानदारी से कार्य करेंगे। पूर्व प्रधान रमेश कौशिक ने कहा कि सुनील राव ककरालिया युवा व होनहार अधिवक्ता हैं, हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। इस इस नियुक्ति पर पूर्व प्रधान दीपक चौधरी ,कुलदीप कनीना, अनिल शर्मा, हरीश गाहड़ा, सतीश करीरा, वीरेंद्र दीक्षित, सुधीर यादव ,संत कुमार यादव, बलजीत यादव सहित अनेक अधिवक्ताओं ने खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन 03: सुनील एडवोकेट को कोप्टिड सदस्य का पत्र प्रदान करते हुए।
अनुशासन सफलता की पहली सीढ़ी: डा सुषमा यादव
--एनएसएस शिविर हुआ संपन्न
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय कनीना के सात दिवसीय एनएसएस शिविर का समापन समारोह राजावाली बणी करीरा में किया गया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर डा. सुषमा यादव प्रो वाइस चांसलर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली महेंद्रगढ़ रही।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना का ध्येय है - मैं ही नहीं आप भी इससे निस्वार्थ सेवा तथा दूसरे व्यक्ति की सोच की समझ तथा दूसरे मनुष्य के प्रति चिंता व्यक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। इससे सिद्ध होता है किसी व्यक्ति का कल्याण समाज के कल्याण पर निर्भर है। उन्होंने अनुशासन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अनुशासन हमें समाज सेवा की सीख देता है। सेवा एक ऐसा भाव है जो व्यक्ति को ऊंचाई पर पहुंचता है। उन्होंने कहा की राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से समाज और देश के विकास के साथ ही व्यक्तिगत विकास भी होता है। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की पुस्तक पढऩे के अलावा अन्य महापुरुषों की पुस्तक जैसे भगत सिंह, अंबेडकर, महात्मा गांधी इत्यादि को पढऩा चाहिए। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क को एक दिशा में लगाकर निश्चित ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। हमें वेदांत के पंचकोश सिद्धांत के अनुसार जीना चाहिए वेदांत के पंचकोश अन्नामय, प्राणमय, मनोमय,विज्ञानमय,आनंदमय
है। ये हमें सही जीवन जीना सिखाते हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य डा. सुरेंद्र सिंह यादव ने भी विचार रखे। कार्यक्रम अधिकारी संदीप कुमार ककरालिया ने सात दिवसीय रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि शिविर में मतदान जागरूकता, सामाजिक जागरूकता रैली, योगासन ,साइबर क्राइम, महिला सुरक्षा, ट्रैफिक नियम, नशा मुक्ति, आग बुझाने के नियम, जल संरक्षण आदि विषयों पर जानकारी दी गई।
इस मौके पर करीरा की सरपंच सपना यादव , हरद्वारी लाल, डा.मनीषा, डा. भारती, डा. कांता, डा. यतेंद्र ,डा. मंजू, डा अजय प्रकाश, डा. ननिता, डा. राहुल ,डा. बलराज, डा. रविंद्र उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: स्वये सेवकों को संबोधित करते हुए डा सुषमा यादव
होलिका दहन की तैयारियों में जुटे हैं जन
-24 मार्च को होगा होलिका दहन
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कनीना की आवाज। कनीना में होलिका दहन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। ईंधन डाल डालकर होलिका दहन स्थल को सजाया जा रहा है। कनीना के बाबा मोलडऩाथ मेले के बाद तो इसी पर्व की तैयारियों में कस्बावासी जुट जाते हैं। जौ की फसल पकने लगी है जो होलिका दहन पर भूनकर परिवार द्वारा खाने की परंपरा चली आ रही है।
इस बार जब होलिका दहन 24 मार्च को होने जा रहा है, होलिका दहन में तेजी आ गई है। डांडा गाडऩे के बाद से अब तक ऊंची होली बना दी गई है। वैसे तो होली के चलने वाले खेलों में इधर उधर पड़ी हुई कंटीली झंाडिय़ां लाकर होलिका दहन स्थल पर डाली जाती हैं। आस पास तथा दूर दराज खड़ी कांटे की झाडिय़ों को उठाकर होलिका दहन स्थल पर डाल दिया जाता है।
होलिका दहन की परंपरा के अनुसार होलिका दहन की सुबह सवेरे इस विशालकाय होलिका पर गोबर से बने हुए हथियार(जिन्हें ढाल एवं बिड़कला नाम से पुकारा जाता है ) डाल दिए जाते हैं। बताया जाता है कि होलिका दहन के समय जब प्रह्लाद भक्त एवं होलिका को एक साथ बैठाकर उन पर ईंधन डालकर आग लगा दी गई थी उस वक्त लोगों के पास जो हथियार थे वे भी होलिका दहन में डाल दिए गए थे तभी से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन में गोबर के ये हथियार भी डाले जाते हैं। होलिका दहन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोग प्रह्लाद भक्त के दुश्मन थे जो उन्हें जलाना चाहते थे।
आज भी होलिका दहन के समय औरतें दहन को पानी से बुझा देती हैं। ये औरतें प्रह्लाद भक्त को चहेतों के रूप में जानी जाती हैं जो प्रह्लाद को आग लगने से बचाने के लिए पानी डालती हैं। जैसे तैसे सभी परंपरा चली आ रही हैं और होलिका दहन के बाद अगले दिन अर्थात दुलेंडी के दिन होलिका या प्रह्लाद में से कौन जलकर नष्ट हुआ उसे देखने के लिए जाती हैं और बताया जाता है कि जब प्रह्लाद भक्त बच गए थे तो खुश होकर रंग एवं गुलाल से खुशी मनाई थी जिसे आज दुलेंडी कहते हैं। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
होलीवाला जोहड़-
होलीवाला जोहड़ के विषय में वेदप्रकाश का कहना है कि उनके पूर्वजों के वक्त से कनीना के एकमात्र स्थान पर ही होलिका दहन किया जाता रहा है। इस जोहड़ का नाम होली के कारण होलीवाला पड़ा है किंतु वर्षों पूर्व इस जोहड़ के बीचोंबीच बड़ा रास्ता था। एक ओर का जोहड़ पीलिया जोहड़ तो दूसरी ओर का जोहड़ होलीवाला नाम से जाना जाता था। पीलिया जोहड़ का पानी अति साफ होने के कारण जन पीते थे। होलिका दहन के समय तक महिलाएं गोबर के बने ढाल एवं बिड़कले इस होली पर डालती हैं तथा दुलेंडी के दिन बची हुई आग में चने भूनकर बच्चों को खिलाती हैं वहीं होली पर डाले गए गोबर के अस्त्र एवं शस्त्रों से बचे हुए दीपक को ढूंढकर घर लाती हैं। माना जाता है कि इन खोजे गए दीपक में बच्चों को घुट्टी आदि देने से वे अधिक समय स्वस्थ रहते हैं।
मेला-
समय के साथ-साथ बदलाव आना स्वाभाविक होता है। इस होलिका दहन के स्थान पर कभी से महिलाएं एवं भीड़ आकर पूजा करती है। विगत चंद वर्षों से यहां मेला भी लगने लग गया है। नवीन कुमार बताते हैं कि 11 हजार रुपये की हरियाणा स्टाइल कबड्डी, 2100 रुपये इनाम की रस्साकशी, 3100 रुपये तक की कुश्तियां आयोजित होंगी। हालांकि पूजा अर्चना करने आई महिलाएं यहां व्रत धारण करके आती हैं किंतु यहां से जाने के बाद व्रत खोलती हैं।
क्या कहते हैं पंडित ऋषिराज शर्मा-
शितिकंठा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिष आचार्य पंडित ऋषिराज शर्मा ने बताया कि वैदिक पंचांग और ज्योतिष के मतानुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। होली की पूजा में सूखा नारियल ओर गेहूं की बालियों को चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है. ऐसे में गाय के गोबर के बने कंडे, थोड़ी सी पीली सरसों, फूल, अबीर-गुलाल आदि चीजों को पूजा में जरूर चढ़ाएं। होलिका की पूजा करने के बाद उसकी सात बार परिक्रमा करें। पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह रुष्ट हो उठा और अंतत: उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है।
फोटो कैप्शन 2: होलिका दहन स्थल पर तैयार होली
साथ में वेदप्रकाश एवं पंडित ऋषिराज शर्मा
पानी की बचत का रखेंगे ख्याल तथा खेलेंगे होली
-चंदन का टीका लगाकर गले मिलेंगे
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कनीना की आवाज।रंगों के पर्व होली को यादगार बनाने के लिए इस बार भी युवा कम से कम पानी का प्रयोग करेंगे तथा हो सके तो पानी बगैर होली खेलेंगे। गले मिलकर तथा टीका लगाकर ही होली खेलेंगे। गुलाल का भी कम से कम प्रयोग करेंगे। शिक्षित वर्ग ने सादगी एवं कम पानी प्रयोग करके मनाने पर बल दिया।
रासायनिक रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है वहीं इसका प्रयोग अधिक पानी को खराब करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कम से कम पानी प्रयोग करना चाहिए। गुलाल का प्रयोग भी कर सकते हैं।
-विजयपाल कनीना
होली एक पवित्र एवं हंसी खुशी से मनाने की शिक्षा देता है। ऐसे में हमें प्यार से एक दूसरे को चंदन आदि का टीका लगाकर या फूलों की होली खेलकर मनाना चाहिए। प्राकृतिक पदार्थों के संग मनाई गई होली सच्ची होली होगी।
--नरेश कुमार शिक्षक
पानी बचाना इस पर्व का प्रमुख कत्र्तव्य होगा। पेयजल की कमी होती जा रही है। ऐसे में होली मनाने के लिए हमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने पर बल देना चाहिए। उन्होंने यह संदेश हर जन तक पहुंचाने की अपील की।
-- जसवंत सिंह कनीना
इस होली के पर्व पर रासायनिक रंगों का त्याग करके प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे। पानी की बचत करेंगे और भाईचारे का पैगाम देंगे। एक दूसरे से गले से मिलकर पर्व को बेहतर बनाएंगे।
--निर्मल कुमार नांगल हरनाथ
दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है वहीं इंसान पानी का दुरुपयोग कर रहा है। एक ओर जहां खुशी का अवसर है तो क्यों न पानी की बचत करते हुए या तो कम से कम गुलाल लगाकर या फिर चंदन आदि का टीका लगाकर खुशी का इजहार किया जाए। उन्होंने कहा कि वे सभी को जल बचाने, रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचने की प्रेरणा देंगे। यह जनहित का कार्य है और इस कार्य में अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए।
--महेंद्र शर्मा झाड़ली
फोटो कैप्शन: जसवंत सिंह, निर्मल कुमार, नरेश कुमार, विजयपाल, महेंद्र शर्मा
विश्व टीबी दिवस- 24 मार्च
टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है
-नियमित जांच एवं दवा लेने से दूर कर सकते हैं बीमारी को-डा धर्मेंद्र
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कनीना की आवाज। टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। सही समय पर जांच एवं दवा लेने से दूर कर सकते हैं।
ट्यूबरकुलोसिस को आम बोलचाल की भाषा में टीबी कहते हैं। यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, फेफड़ों में होने वाला टीबी सबसे आम प्रकार का होता है।
टीबी एक संचरणीय रोग है जो एक भी खांसी और छींक के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। टीबी का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है जो जिन्हें पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे कि एड्स या डायबिटीज आदि होती है। साथ ही, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।
कनीना में टीबी के मरीज-
वरष्टि टीबी सुपरवाइजर पवन यादव ने बताया कि अकेले कनीना में 35 से अधिक मरीज टीबी के हैं जबकि कनीना टीबी यूनिट जिसमें धनौंदा, सेहलंग, मालड़ाबास, भोजावास, दोंगड़ा अहीर, मुंडिया खेड़ा एवं कनीना में कुल 172 मरीज टीबी के हैं। डाटस टीबी को दूर करने का बेहतर तरीका है। नियमित रूप से दवा लेने से यह रोग दूर हो जाता है।
टीबी के प्रकार -
डा धर्मेंद्र ने बताया कि टीबी मुख्यता दो प्रकार के होते हैं जिसमें लेटेंट टीबी और सक्रिय टीबी शामिल हैं। टीबी को अन्य दो भागों में बांटा जा सकता है जिसमें पल्मोनरी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी नाम दिया गया है।
टीबी के कारण
टीबी से पीडि़त मरीज जब छींकता, खांसता और थूकता है तो उसके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में टीबी के बैक्टीरिया फैल जाते हैं। यह बैक्टीरिया कई घंटों तक वायु में जीवित रहते हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इसका शिकार बन सकते हैं। जब टीबी का बैक्टीरिया सांस के माध्यम से फेफड़ों तक जाता है तो वह कई गुना बढ़ जाता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढऩे से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे यह क्षमता कमजोर होती है, टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है।
टीबी के लक्षण -
पीजीएमआईएस रोहतक के रेजिडेंट डाक्टर धर्मेंद्र ने बताया कि टीबी के प्रमुख लक्षणों में तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना, सांस फूलना,सांस लेने में तकलीफ होना, शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना, सीने में तेज दर्द होना, अचानक से वजन का घटना, भूख में कमी आना, बलगम के साथ खून आना,फेफड़ों का संक्रमण होना,लगातार खांसी आना,बुखार आना प्रमुख हैं।
इनके लक्षणों के अलावा भी कुछ अन्य लक्षण मिल सकते हें। जिनमें लकवा लगना,पेट में दर्द होना,ग्रंथियों में स्थिर सूजन होना,डायरिया की शिकायत होना,पीठ में अकडऩ होना,प्रभावित हड्डी में दर्द और उसकी कार्यशीलता में कमी आना आदि प्रमुख हैं।
टीबी की जांच-
उन्होंने बताया कि टीबी की जांच के लिए बलगम जांच, छाती एक्सरे, सीबी नाट, टर्यू नाट प्रमुख हैं। ये जांच महेंद्रगढ़ तथा नारनौल में संभव हैं। सरकार ने 2025 तक टीबी को पूर्णरूप से समाप्त करने की योजना बना रखी है।
फोटो कैप्शन: डा धर्मेंद्र यादव
अमन कुमार पहली बार डालेगा वोट
पहली बार मतदान के लिए प्रसन्न नजर आये वोटर
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में इस बार सैकड़ों युवाओं ने नये वोटर कार्ड बनाए गए हैं। मतदाता पहचान पत्र समय-समय पर बनाए जाते हैं। ऐसे में कनीना के युवक अमन कुमार ने भी अपना पहला वोटर कार्ड बनवाया है तथा वह अच्छे खासे उत्साहित हैं। उन्हें पहली बार मतदान करने का मौका मिलेगा। अमन कुमार ने बताया कि उन्हें यह पहली बार वोट डालने का अवसर मिलेगा क्योंकि अब मेरा मतदाता पहचान पत्र बन चुका है और आयु 18 वर्ष की आयु हो चुकी है। सरकार ने मतदाता पहचान पत्र बनाने का कार्यक्रम चलाया था जिसके तहत उन्होंने अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाया है। वे चाहते हैं कि अपने वोट से बेहतर सरकार का चुनाव हो। उनका कहना है कि सरकार हर 5 साल में चुनाव करवाती है, उसी दौरान केवल वही वोट डाल सकते जिनका मतदाता पहचान पत्र बना हो और 18 साल पूरी कर ली हो। वही अपना पसंदीदा नेता चुन सकते हैं। ऐसे में आज मेरे लिए वह दिन आ पहुंचा है कि जब अपनी पसंद का नेता का चुनाव कर सकूंगा।
फोटो कैप्शन: अमन कुमार
377वें दिन जारी रहा धरना
-शहीदों को किया याद
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना 377वें दिन जारी रहा। धरने की अध्यक्षता नरेंद्र कुमार शास्त्री छिथरोली ने की। उन्होंने बताया 23 मार्च 1931 को देश की आजादी के लिए शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था। धरना स्थल पर शहीदों को याद करते हुए उन्हें पुष्पमाला अर्पित की और उनके देश के प्रति प्रेम और बलिदानी पर चर्चा की और बताया गया कि इन शहीदों को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी जायज मांग है, ग्रामीणों को कट की जरूरत है, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है की कट बनाकर किसानों की परेशानी को दूर किया जाए। जब तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है, हमारा धरना जारी रहेगा।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि सरकार की कथनी और करनी में रात दिन का फर्क है। केंद्र सरकार ने किसानों को धोखे में रखा है, इनकी पीड़ा का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। इस मौके पर सतपाल चेयरमैन, पहलवान धर्मपाल, डा. लक्ष्मण सिंह, सत्य प्रकाश, महेंद्र सिंह, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, मनोज कुमार करीरा, इंस्पेक्टर सत्यनारायण बाबूलाल, वीरेंद्र सिंह, मास्टर विजयपाल, पूर्व सरपंच हंस कुमार, अशोक चौहान, शेर सिंह, सज्जन सिंह, ओम प्रकाश, रामकिशन, राजू उर्फ राजेश, राम भक्त, वेद प्रकाश, प्रधान कृष्ण कुमार,सूबेदार हेमराज अत्रि, रोशन लाल आर्य व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 01:कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान।
जागो वोटर जागो
मतदान हमारा अधिकार है
मतदान कर्रना देशहित का कार्य -अशोक कौशिक
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कनीना की आवाज। 25 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने नये वोट बनवाने का काम समय समय पर चलाया। पुराने वोटर अभी भी चल रहे हैं। मतदान करते वक्त प्राय लोग कंजूसी बरतते हैं। ववो वोट डालने नहीं जाते जो गलत है।
अशोक कौशिक का कहना है कि सरकार बनाने के लिए हर एक वोट की कीमत अनमोल होती है। ऐसे में सभी वोटर को अपना अपना वोट जरूर डालना चाहिए। चाहे वह किसी भी पार्टी, किसी भी नेता को वोट दे पर वोट जरूर डालें क्योंकि वोट डालने से ही लोगों का रुझान पता चलता है कि वह किस व्यक्तित्व को पसंद करते हैं। अपनी पसंद का और अच्छी सरकार बनाने के लिए वोट डालना जरूरी होता है और वोट ही मतदाता की पहचान होती है ताकि वह अपनी पसंद का चुनाव कर सके और परोक्ष रूप से सरकार में अपनी भागीदारी निभा सके। अक्सर लोग कहते आए हैं कि सरकार ने यह काम नहीं किया या यह नेता काम नहीं करता किंतु जब उनके वोट के बारे में सुनते हैं तो वो डालने जाते ही नहीं। इसका मतलब है कि वह वोट भी नहीं डालते और अपनी पसंद का नेता भी चाहते हैं तो यह कैसे संभव हो सकता है? एक जागरूक वोटर को जरूर वोट डालना चाहिए। जिनके वोट नहीं बने हैं वो अपना वोट बनवा सकते हैं बशर्ते कि उनकी आयु 18 वर्ष की हो गई और भारत का नागरिक है। वह अपना वोट बनवाकर मतदाता पहचान पत्र बनवा सकता है और समय पर वोट डाल सकता है ताकि बेहतर सरकार बन सके और जनहित के कार्यों को कर पाए। वोट की कीमत नेता जानते हैं। अपनी पसंद के नेता को वोट डालने जरूर जाए।
फोटो कैप्शन: अशोक कौशिक
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