प्रहलाद भक्त के जयकारों के बीच होलिका दहन संपन्न
--आयोजित हुई खेलकूद प्रतियोगिताएं
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कनीना की आवाज। कनीना के होलीवाला जोहड़ के किनारे तथा कनीना मंडी में रंगीन होली का दहन हर्षोल्लास के साथ पूर्ण हो गया है। जहां होली वाला जोहड़ पर करीब 7 बजे होलिका दहन कर दिया गया जबकि कनीना मंडी में इसके डेढ़ घंटे बाद होलिका दहन का कार्य पूर्ण किया गया। भारी संख्या में भीड़ देखने को मिली। दहन के समय कनीना में बिजली आपूर्ति बंद थी किंतु किंतु अचानक बिजली आपूर्ति होने से भक्त एक दूसरे को देख पाये। भक्त प्रहलाद भक्त के जयकारों के साथ लोग बालिया भूनते नजर आए। भूनी हुई बालियों को सारा परिवार खाकर पता लगाता है कि वे सही पक गई या नहीं। इसके बाद लावणी का कार्य करता है। प्राचीन समय से यह प्रथा चली आ रही है। इससे अनाज के पकाने का पता लगाया जाता है तथा पहले अनाज को परिवार द्वारा खाना शुभ मानते हैं। जहां सुबह दीये आदि को ढूंढकर महिलाएं लाती है तथा इसकी घुट्टी बच्चों को पिलाती हैं।
तत्पश्चात एक माह पूर्व दहन स्थल के नीचे दबाया गया घड़ा भी निकला जाएगा जिससे पता लगाया जाएगा कि सम्मत अच्छा रहेगा या नहीं। ऐसा माना जाता है यदि घड़े में पानी निकलता है तो सम्मत अच्छा होगा, यदि घड़े का पानी सूख जाता है तो सम्मत अच्छा नहीं मानने का रिवाज चला रहा है।
उधर होली वाला जोड़ पर सुबह से खेल कूद प्रतियोगिता आयोजित की गई। जहां कबड्डी में कन्होरी की टीम प्रथम रही वहीं बेरी की टीम द्वितीय स्थान पर रही। उन्होंने क्रमश: 11000 और 7100 रुपये का इनाम जीता। वही रस्साकशी में प्रथम स्थान होलीवाला टीम रही जबकि छीथरोली की टीम द्वितीय स्थान पर रही। 51 रुपये से 3100 रुपये तक की कुश्ती देर रात तक चलती रही। 3100 रुपये की कुश्ती बाघोत के पहलवान ने जीती।
फोटो कैप्शन 11 से 13: होलिका दहन का नजारा
कनीना मंडी में सजी है गुजराती होली
-विगत छह सालों से मनाते आ रहे हैं इस प्रकार की होली
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कनीना की आवाज। कनीना मंडी में विगत छह वर्षों से सुंदर होलिका का निर्माण किया जाता रहा है। कनीना मंडी के लोग सुंदर एवं रंगीन होली का निर्माण उपलों से करवाते आ रहे हैं। साथ में रंगोली एवं होली का भव्य गेट तैयार करवाते हैं। रविंद्र कुमार बंसल,सचिन कुमार प्रवक्ता तथा कनीना मंडी के विक्की पंसार का कहना है कि होली के निर्माण के लिए मैकेनिक बुलाया जाता है जो विधि विधान से होली का निर्माण करता है। इस बार भी सुंदर होली का निर्माण करवाया है जो देखने से ही बनता है।
उन्होंने बताया कि पहले जमींदारों से उपले खरीदकर लाये गये हैं फिर उन्हें लोहे के सरियों के घेरे पर रखा गया है। कहीं ये उपले गिर न जाये इसलिये ऊपर एवं नीचे तारों से बांधकर खड़ा किया गया है। गुलाल लगाकर विभिन्न रंग के उपले बनाकर रंगीन होली बनाई है जिसका दहन 24 मार्च को शाम के वक्त किया गया।
बच्चों के लिए भी है आकर्षण-
रविंद्र बंसल ने बताया कि पूजा करने के लिए आई महिलाओं के लिए तोरण, लाइट एवं बंदरवाल लगाकर दूर तक सजाया गया है। कनीना रेलवे स्टेशन के पास यह नजारा देखने को मिल रहा है। साथ में बच्चों के लिए मिक्की हाउस तथा हवा से भरा हाथी खड़ा किया जाएगा ताकि बच्चे यहां आकर होली का आनंद ले सकेंगे।
दो होलियोंं का दहन होगा-
कनीना में दो होलियों का दहन किया जाएगा। एक कनीना मंडी तथा दूसरी कनीना के मुख्य कस्बा में होलीवाला जोहड़ की होली। कनीना कस्बा में होलीवाला जोहड़ पर तो मेला भी लगता आ रहा है।
फोटो कैप्शन 9: गुजराती होली का नजारा।
अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सरसों की आवक होने की उम्मीद
-अभी तक सूनी पड़ी है कनीना मंडी
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कनीना की आवाज। कनीना मंडी में गेहूं एवं सरसों की सरकारी खरीद होगी किंतु अभी तक अनाज मंडी सूनी पड़ी है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सरसों की आवक होने की उम्मीद है वहीं अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक गेहूं के आने की उम्मीद है। इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल किया हुआ है जबकि सरसों का समर्थन मूल्य 5650 रुपये प्रति क्विंटल रखा हुआ है।
व्यापार मंडल के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में खुली मंडियों सरसों की आवक शुरू हो जाती है। 25 अप्रैल के बाद ही गेहूं के आने की संभावना होती है। सरकारी खरीद के सरकार ने आदेश जारी कर दिये हैं।
कनीना क्षेत्र में इस वर्ष गेहूं की फसल करीब 12000 हेक्टेयर पर खड़ी है। किसान सरसों फसल कटाई में जुटे हुए हैं। वहीं सरसों की बीजाई करीब 20 हजार हेक्टेयर पर की गई थी। हर वर्ष गेहूं के मुकाबले सरसों अधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाती है।
बहरहाल कनीना मंडी सूनी सूनी नजर आ रही है। आढ़ती ग्राहकों के आने का इंतजार कर रहे हैं। ज्यों ही पैदावार मंडियों में आती है तब हलचल बढ़ जाती है। इस वक्त सरसों पैदावार लेने में किसान लगे हुए हैं। आढ़तियों की उच्चाधिकारियों से बैठक भी संपन्न हो चुकी है। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि आढ़तियों के मार्फत नैफेड करेगी या नहीं। चूंकि वर्तमान में दो अनाज मंडियां होने के कारण नई अनाज मंडी कनीना में ही खरीद की जाएगी।
फोटो कैप्शन 10: सूनी पड़ी कनीना अनाज मंडी का नजारा।
दो छात्राओं ने पास की आईआईटी जैम की परीक्षा
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी की दो छात्राओं ने आईआईटी जैम की परीक्षा पास की है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष छात्राओं ने महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य डा. विक्रम सिंह ने बताया कि छात्रा रीना बूचावास ने रसायन शास्त्र में वही शिवानी भडफ़ ने भौतिक शास्त्र में आईआईटी जैम की परीक्षा पास की है। समस्त स्टाफ ने उन्हें बधाई दी है।
होली मिलन में बांधा कमलेश सैनी ने समां
--अनीता यादव पूर्व सीपीएस ने आयोजित किया होली मिलन समारोह
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कनीना की आवाज। पूर्व सीपीएस अनीता यादव ने कनीना में होली मिलन समारोह आयोजित किया जिसमें मुख्य अतिथि भगत सिंह पूर्व पार्षद रहे। इस मौके पर संगीतमय मिलन समारोह में जहां रंगों के साथ-साथ सुरों के रंग भी कमलेश सैनी पूर्व मार्केट कमेटी अध्यक्ष ने फाग के भजन, गीत, श्याम बाबा के भजन गीत गाकर समां 3 घंटे समां रखा। जहां इस मौके पर एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाया गया तथा एकता का परिचय दिया।
इस मौके पर पूर्व सीपीएस अनीता यादव ने कहा कि रंगों का त्यौहार एकता एवं भाईचारे का त्यौहार है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का द्योतक है। उन्होंने इस मौके प्रहलाद भक्त से कामना की कि हैं कि सभी के बीच एकता कायम रहे तथा यूं ही हंसी खुशी में जीवन चलता रहे। उन्होंने सभी को होली की बधाई दी।
इस मौके पर बलवान सिंह आर्य, सम्राट सिंह, डाक्टर ओमकार, रविंद्र बंसल, डाक्टर श्रीभगवान, विनोद गुड्डू, सुभाष मित्तल, यादवेंद्र सिंह पूर्व प्रधान, महीपाल सिंह, शुक्रमपाल सरपंच, रोशन लाल जीई, माई चंद, वीरेंद्र लखेरा कनीना, दौलतराम पड़तल प्रधान सहित अनेक जन उपस्थित रहे और एक दूसरे पर रंग गुलाल के बीच हंसी के बीच होली मिलन समारोह संपन्न किया।
फोटो कैप्शन 8: रंग और गुलाल के बीच संगीतमय होली मिलन कार्यक्रम
होली के पावन अवसर पर 378वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरना है जारी
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना 378वें दिन जारी रहा। रविवार को धरने की अध्यक्षता रामकिशन बाघोत ने की और उन्होंने बताया कि हम राज्य सरकार और केंद्र सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच चढऩे -उतरने के मार्ग की आम आदमी को जरूरत है। सरकारें भी जानती हैं कि कट का काम होना चाहिए। ग्रामीणों की पीड़ा को नहीं समझा गया, तब उसके परिणाम बुरे होंगे। जब तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है, हमारा धरना जारी रहेगा।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 378 दिन हो गए है किंतु काम शुरू न करवाने के कारण होली के त्योहार पर सरकार के प्रति गुस्सा बरकरार है। केंद्र सरकार ने कट की घोषणा करने के बाद ग्रामीणों को ऐसा बीच में लटका दिया है, जिससे सरकार के प्रति किसानों का विश्वास खत्म हो रहा है। कट न बनने के कारण हमारे क्षेत्र के विकास के सभी कार्य रुक गए हैं। बाघेश्वर धाम में बाबा शिव भोले का पुराना मंदिर है, लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा शिव भोले के दर्शन करने के लिए बाघेश्वर धाम पहुंचते हैं। कट बनने के बाद बाघेश्वर धाम पर्यटक स्थल बन जाएगा।
इस मौके पर ठेकेदार शेर सिंह, सरपंच हरिओम पोता, सतपाल चेयरमैन, नरेंद्र शास्त्री, डा. लक्ष्मण सिंह, आचार्य मक्खन लाल, पहलवान धर्मपाल, बाबूलाल, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, मनफूल, ओमप्रकाश, मास्टर विजयपाल, वेद प्रकाश, मुंशी राम, सीता राम, इंस्पेक्टर सत्यनारायण ,अशोक चौहान, शेर सिंह, मास्टर विजय सिंह, डा. राम भक्त, सूबेदार भूलेराम, राजू उर्फ राजेश, प्रधान कृष्ण कुमार, सूबेदार हेमराज अत्रि, रोशन लाल आर्य व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 07: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण।
फिर बदला मौसम, चली तेज हवाएं
---बार बार बूंदाबांदी भी हुई।
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में अचानक मौसम में रविवार को बदलाव आ गया। तेज हवाएं चली तथा बादल छाये रहे। एक ओर जहां होली का पर्व मनाया जा रहा है वहीं किसान खेतों में काम कर रहे हैं। उनकी काटकर डाली गई फसल उड़ गई। किसानों को बारिश का डर सता रहा है। गर्मी से भी मौसम बदलाव ने राहत दी है। बार बार बूंदाबांदी भी हुई।
लंबा इतिहास समेटे हुए होली दहन स्थल
- लगा होली का मेला, चले भंडारे एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं
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कनीना की आवाज। कनीना -रेवाड़ी मुख्य मार्ग के नजदीक होलीवाला जोहड़ इतिहास समेटे हुए है। कनीना बसासत के समय से यहां होली दहन पर्व मनाया जाता है। इसीलिए इस जोहड़ को होलीवाला जोहड़ पड़ा है। जहां करीब 800 सालों से यहां होलिका दहन यहीं होता आ रहा है। वही छोटा मेला लगता था जो अब बढ़ता ही जा रही है। बाबू वेदप्रकाश कनीना हर वर्ष मेले के दौरान भंडारा लगाते आ रहे हैं। दिनभर भंडारा लगा तथा दिनभर पूजा अर्चना चली।
क्या कहती कनीना की पुस्तक--
कनीना का इतिहास समेटे हुए कनीना के लेखक की 2006 में प्रकाशित पुस्तक में भी स्पष्ट लिखा है कि पूर्वजों के समय से इसी जगह होलिका दहन होता आ रहा है। चंद वर्षों से कनीना में अन्य स्थानों पर भी होलिका दहन किया जाना लगा है।
पुस्तक में वर्णित है कि कान्ह सिंह के गोत्र के नाम पर कनीना का नाम पड़ा। चूंकि दादा कान्ह सिंह का गोत्र कनीन था जिसके चलते कनीन से कनीना तथा आज भी कनीना के वासियों का गोत्र कनीनवाल है। इसी होलीवाले जोहड़ पर होलिका दहन के दिन भारी संख्या में सुबह से शाम भक्त पहुंचे तथा पूजा अर्चना की। वर्षों पहले खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित होती ही है किंतु बीच में ये खेल बंद हो गये थे किंतु इस वर्ष से पुन: शुरू हो गये हैं।
दो जोहड़ होते थे--
कभी यहां दो जोहड़ होते थे जिनमें से एक का नाम पीलिया तथा दूसरे का नाम होलीवाला था। दोनों के बीच से एक रास्ता भी होता था जो अब लुप्त हो गया और एक जोहड़ बन गया है।
होलिका दहन के समय तक महिलाएं गोबर के बने ढाल एवं बिड़कले इस होली पर डालती हैं तथा दुलेंडी के दिन बची हुई आग में चने भूनकर बच्चों को खिलाती हैं वहीं होली पर डाले गए गोबर के अस्त्र एवं शस्त्रों से बचे हुए दीपक को ढूंढकर घर लाती हें। माना जाता है कि इन खोजे गए दीपक में बच्चों को घुट्टी आदि देने से वे अधिक समय स्वस्थ रहते हैं।
मेला-
होलिका दहन के स्थान पर कभी से महिलाएं एवं भीड़ आकर पूजा करती रही। विगत चंद वर्षों से यहां बड़ा मेला भी लगने लग गया है। अब तो आलम यह है कि करीब आधा किमी दूरी में मेला लगता है और मेले का सामान होलिका दहन स्थल तक रखकर बेचते देखे गए हैं। हालांकि पूजा अर्चना करने आई महिलाएं यहां व्रत धारण करके आती हैं किंतु यहां से जाने के बाद व्रत खोलती हैं।
वेदप्रकाश, पंकज एडवोकेट एवं उनके साथियों ने बताया कि होली मेले के स्थल पर विगत करीब 12 सालों से भंडारा लगता आ रहा है। प्रारंभ में तो प्रसाद को ग्रहण भी नहीं करते थे किंतु अब जमकर भीड़ लगती है।
फोटो कैप्शन 06:होलिका पूजन करती महिलाएं
05: आयोजित भंडारा।
मिर्गी जागरूकता दिवस-26 मार्च
जन जागरूकता के कारण मिर्गी रोगियों में आई है कमी-अरोड़ा
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कनीना की आवाज। 26 मार्च को पूरे ही देश में मिर्गी जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। विश्व की 8 से 10 प्रतिशत लोगों को अपने जीवन काल में एक बार इसका दौरा पडऩे की संभावना रहती है। एक बार दौरे आने का मतलब यह नहीं होता कि बच्चे में मिर्गीं है। ऐसे लोग भी होते जिनके पूरे जीवन काल में सिर्फ एक दौरा या एक से अधिक दौरे पड़ते हैं। कई बार द्वारा अलग-अलग परिस्थितियों में भी दौरे आ सकते हैं।
मिर्गी को एपिलेप्सी नाम से जाना जाता है। यह क्रानिक न्यूरोलाजिकल हालत है। लगभग विश्व के 5 करोड़ से अधिक लोग इससे परेशान हैं। यह एक दिमाग की बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को बार-बार मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। मिर्गी में पडऩे पर माता-पिता को परेशान कर देते हैं। किशोरावस्था आते आते इनकी संख्या बढ़ जाती है। यदि सही तरीके से इलाज नहीं किया जाए तो आने वाले समय में समस्या बन सकती है। इस संबंध में डा. समीर अरोड़ा न्यूरोलोजिस्ट नयी दिल्ली से बात हुई। उन्होंने बताया कि यह चौथी आम न्यूरोलाजिकल बीमारी है। जब दौरे पड़ते हैं तो सोचने समझने की शक्ति खो देते हैं, यह बच्चों की उम्र पर भी निर्भर करता है। इसे दवा के माध्यम से आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। मिर्गी में कई बार व्यक्ति गिर सकता है, झटके आने लगते हैं, मुंह में झाग भी आ जाते हैं।
मिर्गी रोग में बच्चा एक ही जगह देखता रहता है, मांसपेशियों में दर्द, बेहोशी, बोलने की परेशानी, शरीर में सनसनाहट ,वस्तु की पहचान करना मुश्किल, डिप्रेशन, सांस लेने में समस्या, ऐसी गंध महसूस होना जो वास्तविक जीवन में नहीं है, समझने में परेशानी,त्वचा के रंगों में बदलाव आदि हो सकते हैं। मिर्गी के दौरे आने के पीछे बच्चों के सिर पर चोट लगना, संक्रमण, मस्तिष्क के आकार में बदलाव, ब्रेन ट्यूमर होना, मस्तिष्क संबंधित समस्याएं, स्ट्रोक, आटिज्म, जन्म से पहले की चोट, अनुवंशिकी कारण आदि हो सकते हैं। मिर्गी के दो मुख्य प्रकार होते हैं। मिर्गी के इलाज के लिए एंटी एप्लिटिक दवाई, वेगस तंत्रिका उत्तेजना, जीवन शैली में परिवर्तन, सर्जरी, मिर्गी की दवाई प्रमुख हैं। जब मिर्गी का दौरा पड़े तो बच्चे को फर्श पर लेट दे, सिर के नीचे आराम के लिए तकिया रख दे, यदि बदन पर टाइट कमीज है तो ढीला कर दे, मुंह में में कुछ भी नहीं डाले, ठीक होने तक उसके साथ रहे, डाक्टर से संपर्क बनाए रखें।
फोटो कैप्शन: डा. समीर अरोड़ा न्यूरोलोजिस्ट
प्रथम वोटर
वोट डालने के लिए प्रसन्न है शीतल
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कनीना की आवाज।बहुत से युवा पहली बार वोट डालेंगे। शीतल दस जमा परीक्षा पास करने के बाद बीएससी कर रही है। उन्होंने अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया है तथा आने वाली 25 मई के लोकसभा चुनाव में अपना मत डालेगी। उनका कहना है की पहली बार उन्हें यह मौका मिला है और अपने हाथ से वोट डालने से नहीं चूकेगी क्योंकि उन्हें इच्छा है कि अपनी पसंद का उम्मीदवार चुने। जो सरकार में भागीदारी निभाएं और बेहतर कार्य कर सके। चुनाव आयोग ने उनका मतदाता पहचानपत्र बनाया है जिसके तहत जिनकी उम्र 18 साल हो गई है वह अपना वोट बनवा सकता है। जिसके तहत उन्होंने वोट बनवाया और अब आने वाले चुनावों में मतदान के लिए तैयार है। प्रत्याशी परोक्ष से अपनी भागीदारी निभाएगा और सरकार में रहकर बेहतर कार्य करेगा। युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाएगा। उन्हें विश्वास है कि उनका वोट से जो प्रत्याशी चुनाव जीतेगा वह सत्ता में अच्छा कार्य करेगा, जनहित के कार्य करेगा तथा महिलाओं के लिए कुछ विशेष करेगा। उनका कहना कि सभी को वोट जरूर डालना चाहिए और सभी को वोट भी बनवाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: शीतल
जागो वोटर जागो
वोट डालना हमारा परम कत्र्तव्य-सुनीता
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कनीना की आवाज। नांगल हरनाथ निवासी सुनीता देवी पढ़ी-लिखी गृहिणी है तथा स्नातक स्तर की परीक्षा पास कर चुकी है। उनका कहना है कि वोट जरूर डालना चाहिए। वोट डालने का अधिकार चुनाव आयोग ने दिया हुआ है। वोट से अपनी मनपसंद प्रत्याशी का चुनाव कर सकते हैं। यदि वोट डालने ही नहीं जाएंगे तो मनपसंद का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाएगा जिसके चलते उनकी नापसंद का प्रत्याशी सत्ता में भूमिका निभाएगा। ऐसे में अपनी पसंद के प्रत्याशी का चुनाव करने के लिए तथा परोक्ष रूप से सरकार में भागीदारी निभाने के लिए वोट डालना जरूरी है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग समय-समय पर वोट बनाने का कार्य करता है और ऐसे समय वोट जरूर बनवा लेना चाहिए। वोट बनवाना ही नहीं वोट डालना भी जरूरी बन जाता है। वोट डालते समय किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। तभी अपने मनपसंद के नेता का चुनाव किया जा सकता है और मनपसंद का नेता चुनाव करने में वोटिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हम पसंद का और अच्छे नेता का चुनाव नहीं करेंगे तो वह सरकार में रहकर अच्छे कार्य नहीं करेगा। ऐसे में अच्छे कार्य करवाने के लिए बेहतर नेता का चुनाव करना चाहिए। दूसरों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
फोटो कैप्शन: सुनीता देवी
रूढि़ विचारधारा
आज तक नहीं निकल पाई है महिलाएं घूंघट से बाहर
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कनीना की आवाज। चाहे 25 मई 2024 को हरियाणा में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और हरियाणा सरकार ने महिलाओं को करीब 33 फीस दिया आरक्षण भी दिया हुआ है परंतु आश्चर्यजनक है कि अभी तक बहुत सी महिलाएं घूंघट से बाहर नहीं आ रही है। यह बात उन पर लागू नहीं होती जो वोटर है अपितु चाहे सरपंच, पांच या पंचायत समिति में जीती हुई महिलाएं हो, घर से बाहर नहीं निकलती। उनके जेठ, ससुर या देवर आदि उनका काम करते हैं। एक तरफ जहां उनको सभी अधिकार के साथ-साथ आरक्षण दिया हुआ हैं परंतु सरकार अभी तक उन सभी को घूंघट से बाहर नहीं निकाल पाई है। किसी सभा, मीटिंग या अन्य कार्यक्रमों में कई महिला सरपंच या पंच आदि के प्रतिनिधि मिलते हैं। अगर महिला मंच पर आ भी जाती हैं तो घूंघट किये हुये मिलती है। आश्चर्यजनक है कि प्रतिनिधियों से ही करवाया जाता है। यहां तक कि कुछ महिलाओं के तो हस्ताक्षर और मोहर भी उनके प्रतिनिधि लगते हैं। वोट डालने जाती हैं तो घूंघट में या फिर लाइन में हैं ततो भी यही हालात मिलती है। ऐसे में वोट जरूर डाल रही है किंतु जितना सुधार घूंघट से बाहर आने में होना चाहिए उतना अभी तक नहीं हुआ है। बहुत से गांवों की महिलाओं के प्रतिनिधि आज भी काम कर रहे हैं। आज भी घूंघट से बाहर नहीं आ रही यहां तक के लोगों को मालूम ही नहीं है कि पुरुष पंच या सरपंच या कोई महिला। कब होगा महिलाओं में यह सुधार? हालात उस समय भी विकट हो जाती है जब वोट डालने घूंघट में जाती हैं। उनको पहचानना भी मुश्किल होता है।
दुकानें बनी चुनावी चर्चा का स्थल
--लोकसभा चुनावों की चर्चाएं बढ़ी
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कनीना की आवाज। 25 मई के लोकसभा के चुनाव के दृष्टिगत जहां चुनावी चर्चा बढऩे लगी है वहीं दुकान ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां दिन भर चुनावी चर्चा चलती है। दुकानों पर किसी काम से सामान खरीदने के लिए लोग आते हैं और अनायास ही चुनावी चर्चा में शामिल हो जाते हैं। वैसे भी कनीना में सभी दलों के समर्थक हैं।
जहां गर्मी बढऩे लगी है वहीं चुनावी गर्मी भी बढऩे लगी है। किसान जहां सरसों की कटाई कर चुके हैं तथा पांच फीसदी से अधिक काम नहीं बचा है। अब गेहूं की फसल पैदावार अैंप्रैल माह में लेंगे। ऐसे में किसान तथा व्यापारी जब दुकान पर मिलते हैं तो चुनावी चर्चा छेड़ लेते हैं और विभिन्न गांव में नेताओं की स्थिति का पता लगा लेते हैं। वैसे तो वोटर बहुत चालाक हो गए हैं वे अपनी सारी जानकारी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं जिसके कारण यह कहना कठिन है कि किस पार्टी का नेता आगे हैं तो कौन सा नेता कौन सा नेता पीछे चल रहा है।
चाय की दुकान हो या सब्जी की दुकान या बीज भंडार, किसान व्यापारी आपस में मिलते रहते हैं और चुनावी चर्चा में डूब जाते हैं। दो-चार लोग इधर-उधर से इकट्ठे हो जाते हो चुनावी चर्चा में व्यस्त हो जाते हैं। यद्यपि तपती धूप में चुनाव होने जा रहे है। ऐसे में इस धूप में चुनाव करवाना कर्मचारियों के लिए भी समस्या बन जाएगा। कहीं भी जाए पहले चुनावी चर्चा होती है तत्पश्चात अन्य कोई कार्य होता है। चुनावी चर्चा के चलते ही दुकानों पर भीड़ बढऩे लगी है। चाय की दुकानों पर इसलिए भी भीड़ बढ़ जाती है कि किसी चुनाव की चर्चा में अपने विचार व्यक्त कर सके। इसी प्रकार ताश पीटने वाले, हुक्का गुडग़ुड़ाने वाले स्थानों पर भी लोग इकट्ठे हो जाते हैं ताकि चुनावी चर्चा में भाग ले सकें। बड़े-बड़े शिक्षण संस्थानों कार्यालयों में भी चुनावी चर्चा हो आती है। बस स्टैंड पर जहां कुछ लोग इकट्ठे हो जाते हैं वहां चुनावी चर्चा छिड़ी मिलती है। कुल मिलाकर सबसे अधिक दुकानों पर चुनावी चर्चा छिड़ती है जहां लोग आपस में मिलते हैं।
कहीं खुशी तो कहीं है गम
-चुनावों को लेकर नेता खुश किंतु कर्मचारी नाखुश
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कनीना की आवाज। 25 मई को लोकसभा के चुनावों की घोषणा हो चुकी है जिसको लेकर कहीं खुशी है तो कहीं गम है। नेता प्रसन्न हैं तथा अपनी इच्छा से जमकर दल बदल रहे हैं। दल बदलकर भी वे प्रसन्न नजर आते हैं और बड़े बड़े बयान कर रहे हैं। कल तक जिस पार्टी के गुण गाते थे आज उसे बेकार बता रहे हैं इसके उलट जिस पार्टी को घटिया बता रहे थे उसे गले लगा रहे हैं। जिनको गालियां देते थे उनके आज पैर छू रहे हैं जिसे अपना समझते थे उसे गालियां देने से भी नहीं चूकते। जैसे भी हो नेता खुश हैं और चुनावों पर नजर टिकाये हैं।
उधर चुनावों की घोषणा होती ही कर्मचारी नाखुश हैं। कर्मियों में सबसे अधिक शिक्षकों की तैनाती की जाती है। एक ओर रात रातभर जागकर चुनावी तैनातियां देंगे किंतु उनको पारिश्रमिक नहीं मिलता है। अभी तक पंचायत चुनावों का पारिश्रमिक नहीं मिला है। मतगणना का भी पारिश्रमिक नहीं मिला है जिससे चुनाव उनके लिए आफत सी लगते हैं। यदि समय पर पारिश्रमिक दिया जाए तो हो सकता है कि नेताओं के साथ साथ कर्मी भी प्रसन्न नजर आएं।
खुशी का पर्व है गले मिलेंगे
-पानी बर्बादी रोकेंगे,रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं करेंगे
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कनीना की आवाज। रंगों के पर्व होली को यादगार बनाने के लिए इस बार भी युवा कम से कम पानी का प्रयोग करेंगे तथा हो सके तो पानी बगैर होली खेलेंगे। गले मिलकर तथा टीका लगाकर ही होली खेलेंगे। गुलाल का भी कम से कम प्रयोग करेंगे। शिक्षित वर्ग ने सादगी एवं कम पानी प्रयोग करके मनाने पर बल दिया।
**रासायनिक रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है वहीं इसका प्रयोग अधिक पानी को खराब करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कम से कम पानी प्रयोग करना चाहिए। गुलाल का प्रयोग भी कर सकते हैं।
-विजयपाल कनीना
होली एक पवित्र एवं हंसी खुशी से मनाने की शिक्षा देता है। ऐसे में हमें प्यार से एक दूसरे को चंदन आदि का टीका लगाकर या फूलों की होली खेलकर मनाना चाहिए। प्राकृतिक पदार्थों के संग मनाई गई होली सच्ची होली होगी।
--नरेश कुमार शिक्षक
पानी बचाना इस पर्व का प्रमुख कत्र्तव्य होगा। पेयजल की कमी होती जा रही है। ऐसे में होली मनाने के लिए हमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने पर बल देना चाहिए। उन्होंने यह संदेश हर जन तक पहुंचाने की अपील की।
-- जसवंत सिंह कनीना
इस होली के पर्व पर रासायनिक रंगों का त्याग करके प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे। पानी की बचत करेंगे और भाईचारे का पैगाम देंगे। एक दूसरे से गले से मिलकर पर्व को बेहतर बनाएंगे।
--निर्मल कुमार नांगल हरनाथ
दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है वहीं इंसान पानी का दुरुपयोग कर रहा है। एक ओर जहां खुशी का अवसर है तो क्यों न पानी की बचत करते हुए या तो कम से कम गुलाल लगाकर या फिर चंदन आदि का टीका लगाकर खुशी का इजहार किया जाए। उन्होंने कहा कि वे सभी को जल बचाने, रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचने की प्रेरणा देंगे। यह जनहित का कार्य है और इस कार्य में अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए।
--महेंद्र शर्मा झाड़ली
फोटो कैप्शन: जसवंत सिंह, निर्मल कुमार, नरेश कुमार, विजयपाल, महेंद्र शर्मा
सुनील को प्रशासनिक कमेटी का बनाया गया कोप्टिड सदस्य
--कनीना बार एसोसिएशन ने ज
ताई खुशी
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कनीना की आवाज। बार एसोसिएशन कनीना के उप-प्रधान सुनील राव ककरालिया को बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा चंडीगढ़ की प्रशासनिक कमेटी का कोप्टिड मेंबर बनाया गया हैं। इस पर सुनील राव ककरालिया ने कहा कि मुझे जो जिम्मेवारी दी गई है उसे मैं पूरी ईमानदारी निष्ठा से निभाऊंगा । उन्होंने इस नियुक्ति पर बार काउंसिल मेंबर जयवीर यादव का धन्यवाद किया है। इस नियुक्ति पर कनीना के अधिवक्ताओं में खुशी का माहौल है। बार एसोसिएशन कनीना के पूर्व प्रधान ओपी रामबास ने कहा कि सुनील राव ककरालिया एक सरल स्वभाव के धनी हैं कनीना बार के हालिया उप प्रधान है और पहले भी बार के सचिव पद पर रहे हैं। इस पद पर भी वह ईमानदारी से कार्य करेंगे। पूर्व प्रधान रमेश कौशिक ने कहा कि सुनील राव ककरालिया युवा व होनहार अधिवक्ता हैं, हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। इस इस नियुक्ति पर पूर्व प्रधान दीपक चौधरी ,कुलदीप कनीना, अनिल शर्मा, हरीश गाहड़ा, सतीश करीरा, वीरेंद्र दीक्षित, सुधीर यादव ,संत कुमार यादव, बलजीत यादव सहित अनेक अधिवक्ताओं ने खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन 01: सुनील एडवोकेट को कोप्टिड सदस्य का पत्र प्रदान करते हुए।
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