Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Friday, March 1, 2024


 
 दिनदहाड़े घर में एक घर से चोरी
- सवा लाख की नकदी सहित लाखों के गहने ले उड़े चोर
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कनीना की आवाज। कनीना में चोरों के हौसले दिन-व-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। शुक्रवार को कनीना में  चोरों ने एक घर में चोरी की बड़ी घटना को अंजाम दे दिया। पीडि़त राहुल यादव ने जानकारी देते हो बताया कि सुबह किसी गृहकार्य से परिवार सहित बाहर गए हुए थे दोपहर 2 बजे आए तब घर का सारा सामान बिखरा हुआ पड़ा मिला। उसी वक्त उन्होंने डायल 112 को काल किया जिसके बाद शहर थाना की टीम मौके पर पहुंची और उन्होंने इसके जानकारी ली। राहुल ने बताया कि घर के पीछे के दरवाजे का ताला टूटा हुआ मिला। घर में रखी हुईं पेटियों और अलमारियों के ताले भी टूटे थे और पूरा सामान बिखरा पड़ा था। घर से सोने की चूड़ी 43 ग्राम, सोने की चैन, सोने की अंगूठी, सवा लाख रुपये आदि सामान अज्ञात चोर चुरा ले गए।
सवा लाख नकद सहित गहने चोरी-
राहुल ने बताया कि घर से परिवार के लोग भी 11 बजे किसी कार्य से गए हुए थे। दो बजे जब घर लौटे तो घर के पीछे का दरवाजा की जाली व ताला टूटा हुआ मिला। घर के अंदर रखी पेटी और शूटकेस के, अलमीरा ताले भी टूटे पड़े थे। राहुल ने बताया कि उनके घर से जेवर सोने की चूड़ी, सोने की चेन, सोने की अंगूठी  सहित सवा लाख रुपये  की नकदी चोरी हुआ। अंदाजा लगाया जा रहा है कि चोरों ने टीम बनाकर एक साथ वारदात को अंजाम दिया होगा और पहले से रेकी भी कर रखी थी। राहुल ने बताया कि चोरों के पैरों के निशान से लगता है कि चोर एक नहीं अपितु संख्या में कई हैं। सूचना मिलते ही थाना शहर थाना पुलिस घटना स्थल पहुंची। शहर थाना प्रभारी कमलदीप राणा के अनुसार हर एंगल से जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि आसपास के सीसीटीवी कैमरा को भी खंगाला जा रहा है।
फोटो कैप्शन 7 व 8: घटनास्थल पर बिखरा पड़ा हुआ सामान एवं जानकारी लेते अधिकारी।









लावणी के लिए मजदूरों की बढ़ गई है मांग
-सरसों की लावणी रेट है 2500 रुपये प्रति किला
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सरसों की फसल कटाई शुरू हो गई हैं। किसान अपनी फसल कटाई स्वयं कम करते हैं और मजदूरों से अधिक करवा रहे हैं। दूसरे राज्यों से भारी संख्या में मजदूर आए हुए हैं जो सरसों 2500 रुपये प्रति किला तथा गेहूं कम से कम 6000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से फसल कटाई करते हैं। किसान अपने खेतों में फसल कटाई सरसों निकालना, यहां तक कि आने वाले समय में गेहूं की कटाई और भंडारण भूसे का भंडार आदि सभी कार्य इन मजदूरों से करवाते हैं। आलम यह है कि किसान अपने खेतों में जबसे फसल उगाता है तभी से उसकी रखवाली  का कार्य भी मजदूरों पर छोड़ता रहा है। मजदूर निश्चित राशि में फसलों की देखभाल करते हैं। फसलों की आवारा जंतुओं से देखरेख के लिए अलग से रखवाले भी रखे जाते हैं। ये रखवाले रात को आवारा जंतु जैसे नीलगाय से फसल की सुरक्षा करते हैं। भारी संख्या में मजदूर होली मनाकर यहां पहुंच रहे हैं।
 किसानों ने बताया कि एक जमाना था जब परिवार के सदस्यों की संख्या अधिक होती थी उस समय मजदूरों की जरूरत कम पड़ती थी किंतु अब प्रत्येक घर में सदस्य की संख्या कम होती है। एक और जहां  चल रही हैं विद्यार्थी अपने स्कूल में परीक्षा देने जाते हैं वही किसान अपने खेतों में लावणी का कार्य करते हैं। लेकिन ऐसे बहुत कम किसान है जो अपने खेत की लावणी स्वयं करते हैं। मजदूरों पर ही लावणी का कार्य निर्भर करता है।
 मिली जानकारी अनुसार राजस्थान, बिहार ,उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्य से मजदूरों के ग्रुप आए हुए हैं। ये ग्रुप दस से लेकर के 30 की संख्या में मिलते हैं। एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। फसल कटाई का काम जो दिनों में पूरा होना चाहिए कुछ ही घंटों में पूरा कर जाते हैं। यही कारण है किसान मौसम को देखते हुए तथा मौसम बदलाव के चलते हुए इन मजदूरों से कटाई करवाता है। यहां तक सरसों निकालना आदि का कार्य भी मजदूरों से करवा भंडारण तक का कार्य भी मजदूरों से करवाता है। एक और मजदूरों को अपनी रोटी रोजी मिल रही है वही किसान भी इन मजदूरों से काम करवा कर प्रसन्न नजर आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 06: लावणी करता मजदूरों का एक ठोल।







सरसों की कटाई हुई शुरू
-बुलाये जा रहे हैं दूसरे प्रांतों से मजदूर
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कनीना की आवाज। करीब एक हफ्ते बाद सरसों की कटाई के लिए दूसरे प्रांतों से मजदूर पहुंच जाएंगे। फसल पक जाने से किसान लावणी के काम में लग गये हैं।  गेहूं की फसल अप्रैल माह में लावणी आएगी।  
  यूं तो सरसों की कटाई का पर्व 15 मार्च से शुरू उम्मीद थी किंतु मौसम के बदलने व गर्मी अधिक पडऩे के चलते फसल जल्द पककर तैयार हो गई है और कटाई भी शुरू हो गई है। किसानों गजराज, अजय, महेंद्र, कांता का का कहना है कि गेहूं में अभी एक और सिंचाई की जरूरत है वहीं सरसों की लावणी शुरू कर दी है।
 दुकानों से दरांती एवं बाकड़ी की बिक्री बढ़ गई है। वहीं किसान अपने कृषि के इन औजारों को साफ करके तैयारी में जुट गए हैं। सरसों फसल की कटाई के साथ साथ किसान सरसों के धांसे भी काटकर ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं। इस मौसम में लंबे समय तक ईंधन के विकल्प के रूप में काम आने वाले धांसों की मांग बढ़ जाती है।
   दूसरे राज्यों से फसल कटाई के लिए मजदूर भारी संख्या में आएंगे। ये मजदूर किसान से निश्चित राशि लेकर कटाई करते हैं तथा वापस अपने प्रांत को चले जाते हैं। किसान आलसी होते जा रहे हैं और इन मजदूरों से ही कटाई करवाने लगे हैं। विभिन्न किसानों के पास मजदूरों के फोन नंबर होते हैं जिस पर वे फोन करके उन्हें फसल कटाई के समय बुला लेते हैं। धड़ाधड़ फोन करके उन्हें बुलाया जा रहा है।  कृषि अधिकारी मानते हैं कि सरसों की कटाई का सही समय मार्च माह का पहला सप्ताह होता है वहीं गेहूं की कटाई का सही समय अप्रैल दूसरा सप्ताह होता है।
  मिली जानकारी अनुसार राजस्थान, बिहार एवं उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश राज्यों के भारी संख्या में मजदूर लावणी के लिए पहुंचेंगे।  किसान अपने खेतों से फसल की कटाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मजदूर होली पर्व पर अपने गांव चले गये तथा होली के बाद लौटेंगे।
किरायेदार बढ़ेंगे---
  इस क्षेत्र में यूं तो विगत कुछ समय से दूसरे राज्यों के किराएदारों की संख्या बढ़ जाएंगे वहीं अब फसल काटने के लिए राजस्थान, बिहार एवं एमपी के मजदूर भी आएंगे। ये मजदूर पूरे खेत की लावणी का ही काम ठेके पर लेते हैं। ऐसे में किसान धूप में तपने से बचने के लिए इन मजदूरों का सहारा ले रहे हैं। कुल मिलाकर किसान की फसल की कटाई, निकालने का काम और घर तक पहुंचाने का काम अब मजदूर ही करने लगे हैं। आज से चार-पांच वर्ष पहले क्षेत्र के किसान इन मजदूरों से काम नहीं लेते थे किंतु अब स्थिति यह बन गई है कि इन्हीं से अधिक काम लेने लगे हैं।
थ्रेसर और ट्रैक्टर भी साथ--
   बाहर से आने वाले मजदूर अपने साथ थ्रेसर एवं ट्रैक्टर आदि भी रखते हैं ताकि फसल काटने के अलावा फसल निकालने का काम भी पूरा कर सके। राजस्थान में सरसों करीब एक माह पहले ही निकाली जा चुकी हैं।
अब ठेका लेते हैं बड़े किसान-
बड़े किसान अपने खेतों के ट्यूबवेलों पर दूसरे प्रांतों से मजदूरों को बुला लेते हैं जिनसे अपने खेत की लावणी के अतिरिक्त दूसरे किसानों की लावणी के लिए ठेका लेते हैं। मजदूरों को भी ये ही किसान भेजते हैं। कनीना में एक दर्जन के करीब ऐसे ठेकदार हैं जो हर गांव में मिलते हैं।
हर हर वर्ष बढ़ जाते हैं इनके रेट-
 हर वर्ष इन मजदूरों के भी रेट बढ़ जाते हैं। विगत वर्ष जहां 5000 रुपये तक एक एकड़ गेहूं खेत की लावणी की गई। इस बार अनुमान है कि कम से कम 6000 रुपये प्रति एकड़ में लावणी करेंगे। लावणी के अतिरिक्त भी इन मजदूरों से खेती करने तथा मुर्गी फार्म में रखरखाव का काम करते हैं। सरसों की लावणी का रेट विगत वर्ष 2500 रुपये प्रति किला था किंतु इस बार यह कम से कम 3 हजार रुपये किला है। लावणी जल्दी आ गई है वरना होली के बाद मजदूर आते रहे हैं।
फोटो कैप्शन 4 एवं 5: सरसों की लावणी का नजारा







कर्मचारी प्रशंसा दिवस -2 मार्च
अपने काम के अतिरिक्त मेहनत करने वाले कर्मचारी होते हैं प्रशंसा योग्य
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कनीना की आवाज। यूं तो सभी कर्मचारी अपने काम को की जान से करने का प्रयास करते हैं। सरकार द्वारा या गैर सरकार द्वारा रखे गये कर्मचारी काम को अंजाम तक ले जाते हैं जिससे समाज को एक नई प्रेरणा मिलती है। यह सत्य है कि कोई हजारों में एक कर्मचारी अपने काम के प्रति उतना ईमानदार नहीं भी हो सकता जितना उसे होना चाहिए किंतु अधिकांश कर्मचारी काम के प्रति ईमानदार होते हैं। यदि किसी कर्मचारी में अपने काम के अतिरिक्त कुछ समय देकर काम को और अधिक सुंदर बनाने का प्रयास करता है तो वह प्रशंसा के योग्य बन जाता है। ऐसे कर्मचारी बहुत कम मिलते हैं जो समाज में ऊंचा नाम कमाते हैं। इसी कर्मचारियों के विषय में कुछ लोगों से चर्चा की गई--
**कर्मचारियों द्वारा अपना काम पूर्ण करना उसकी जिम्मेदारी है किंतु सरकार द्वारा निर्धारित समय के अतिरिक्त भी कोई कर्मचारी मेहनत करता है और समाज सेवा में योगदान देता है तो निसंदेह वह कर्मचारी प्रशंसा का पत्र होता है। ऐसे कर्मचारियों को की प्रशंसा की जाए तो उन्हें बहुत शकुन मिलता है। तत्पश्चात वे समाज में और कुछ कर गुजरने की क्षमता रखेंगे।
--- राजेश चौहान समाजसेवी
यूं तो सभी कर्मचारी प्रशंसा के पात्र है परंतु कभी-कभी कुछ कर्मचारी समाज से हटकर अपनी जिम्मेदारियां को समझते हुए अधिक समय देकर किसी काम में निखार ला देते हैं तो उसे समय उनकी प्रशंसा जरूरी बन जाती है। जिससे उन्हें एक प्रोत्साहन मिलता है और वे भविष्य में और बेहतर कार्य करने में जुट जाते हैं। ---मेवा देवी नांगल हरनाथ
कर्मचारी अपने काम से बंधे होना स्वाभाविक परंतु काम में कुछ नयापन लाने के लिए तथा समाज में एक नई धारणा अपने काम को करते हुए पैदा करने में जब कोई मेहनत करता है तो प्रशंसा का हकदार बन जाता है। ऐसे कर्मचारी जो अपने काम की जिम्मेदारी को भी पूरा करते हैं और समाज में इस काम को ज्यादा बेहतर तरीके से करके नाम कमाते हैं उन्हें समाज की कम से कम प्रशंसा रूपी दो शब्द प्रोत्साहन के रूप में मिलने जरूरी है ताकि वह भविष्य में और बेहतर काम कर सके।
-- बिमला देवी, कपूरी
किसी कर्मचारी के प्रशंसा में कहे गए दो शब्द उसके लिए एक ईनाम का कार्य करते हैं। इस ईनाम को पाकर कर्मचारी मनोबल बढ़ता है और उसके कारण वह काम को बेहतर ढंग से अपने कार्य को करते हैं। यह उनके लिए एक प्रेरणा कारण बनता है। ऐसे में कर्मचारियों को जो जी जान से दिन रात मेहनत करते हैं, दो शब्द प्रशंसा की जरूर कहने चाहिए।
--संतोष देवी
फोटो कैप्शन:  संतोष देवी, राजेश चौहान, मेवा देवी, बिमला देवी






पंडित नत्थूराम शर्मा जैसे महान समाज सुधारक का इस संसार से चला जाना बड़ी क्षति -रामबीर
---छठी पुण्यतिथि मनाई
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कनीना की आवाज। नत्थूराम शर्मा जैसे महान ज्योतिषशास्त्री एवं समाजसेवी का इस दुनिया से चला जाना एक बहुत बड़ी क्षति है। ये विचार पटौदी के पूर्व विधायक रामबीर सिंह ने उनकी छठी पुण्यतिथि पर भारती आश्रम, रेलवे फाटक कनीना में चल रहे आयोजन को व्यक्त किये।
 इस अवसर पर उन्होंने कहा पंडित नाथूराम शर्मा गृहस्थी होते हुए भी संत जैसा व्यवहार रखते थे जिन्होंने अपने जीवन में एक उच्च कोटि की साधना कर जो प्राप्त किया वह किसी से छुपा नहीं है। पूर्व विधायक ने कहा कि मुझे नत्थूराम शर्मा जैसे महान समाज सुधारक से मिलने का कई बार मौका मिला और मैं अपने व अपने साथियों के बारे में उनसे हर समस्या पर समय समय पर बात की। उनकी हर वाणी सत्य सिद्ध हुई तथा हर समस्या का समाधान भी हुआ। उन्होंने यह भी कहा आज उनके चले जाने के बाद पता चलता है कि इस प्रकार के लोगों का इस दुनिया से चला जाना इस क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि पंडित नत्थूराम शर्मा अपने थूल शरीर को छोड़कर ब्रह्मलीन सूक्ष्म शरीर में आज भी इस दुनिया में हाजिर है जो उनको सच्ची श्रद्धा व प्यार से याद करता है वह उनके कार्य पहले की भांति आज भी पूरा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र का बहुत बड़ा सौभाग्य है कि उनके आशीर्वाद से हजारों लोगों का भला भी हुआ।
 इस अवसर पर सेवानिवृत्त प्राचार्य कमलेश शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम में अखंड रामायण पाठ के आयोजन के उपरांत एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया। तत्पश्चात सहजभोज का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया और नत्थूराम को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर क्षेत्र के समाजसेवी पर न्यायपालिका से जुड़े उच्च अधिकारियों ने भी पहुंचकर पंडित नाथूराम शर्मा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
 इस अवसर पर राजेश शर्मा, कमलेश शर्मा, रमेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा, रूपेश शर्मा, मोनू शेखावत, गोपाल शेखावत, कनीना बार के पूर्व प्रधान कुलदीप यादव, रामनिवास शर्मा, नरेंद्र शर्मा एडवोकेट, भगत सिंह यादव के अलावा अन्य गण मन लोग उपस्थित रहे। फोटो कैप्शन 03: पंडित नत्थूराम शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पटौदी के पूर्व विधायक रामबीर सिंह व  कमलेश शर्मा







किसानों का 355वें दिन जारी रहा धरना
-किसान अनिश्चितकालीन धरने पर हैं
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना जारी है। धरने की अध्यक्षता सूबेदार सुखबीर सिंह छिथरोली  ने की और उन्होंने बताया कि 8 मार्च को बाघेश्वर धाम में मेला है, इस अवसर पर श्रद्धालु  बाबा शिव भोले पर कावड़  चढ़ाते हैं। शिव भक्तों का बाघेश्वर धाम में पहुंचना शुरू हो गया है । ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच चढऩे -उतरने के मार्ग की अति जरूरत है। जब तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है, हमारा धरना जारी रहेगा।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 355 दिन हो गए हैं। केंद्र सरकार के द्वारा  अब तक राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं किया गया है। अब हम जल्दी ही 50 गांव मिलकर यह फैसला लेंगे कि यदि केंद्र सरकार कट के लिए जल्दी कार्रवाई शुरू नहीं करेगी तो उसके बाद हम सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।
इस मौके पर ओम प्रकाश, ठेकेदार शेर सिंह,  बाबूलाल, नरेंद्र  शास्त्री, आचार्य मक्खन लाल, डॉ लक्ष्मण सिंह,चेयरमैन सतपाल,मास्टर विजयपाल, प्रधान कृष्ण कुमार , पहलवान धर्मपाल, पहलवान रणधीर सिंह,  मुंशी राम, सूबेदार हेमराज अत्री, सीताराम,   सत्यप्रकाश,  मास्टर विजय सिंह, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह,  वेद प्रकाश,  डा राम भक्त, दाताराम, पंडित संजय सिंह,  रोशन लाल आर्य, मनफूल ,  रामकिशन,  करतार सिंह  व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 02: कट की मांग के लिए धरने पर बैठे ग्रामीण।



 
सिमट कर रह गए होली के खेल
-कभी एक माह चलते थे खेल
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कनीना की आवाज। कनीना में एक माह तक चलने वाले होली के खेल अब सिमटकर रह गए हैं। होली मनाने के विशेष ढंग, होलीवाला जोहड़ तथा होली पर ईंधन डालने की अनोखी परंपरा अब औपचारिकता बनकर रह गई हैं। कनीना में दो दिन पहले होली का डांडा गाड़ दिया गया है।
  एक वक्त था जब एक माह तक कनीना क्षेत्र में होली के खेल चलते थे। जब से होली का डांडा गाड़ दिया जाता था तभी से होली के खेल शुरू हो जाते थे। इन खेलों में चांदनी रात में लुक्का छुपी, कोरड़ा मारना तथा स्वांग रचना आदि प्रमुख होते थे। इन खेलों से जहां एक माह उत्सव चलता था वहीं पकती फसल को देखकर भी खुशी मनाई जाती थी। अब न तो वो खेल रहे हैं और न उनके खिलाड़ी।
  अब तो लुक्का छुपी का खेल रात को चले तो लोग चोर समझकर पीट डाले। होली के डांडे पर ईंधन डालने का रिवाज भी सिमटकर रह गया है। होलिका दहन से महज पांच सात पूर्व ही ईंधन डालकर खानापूर्ति की जाती है। बुजुर्गों के सहयोग से चलने वाले होली के खेल अब देखने को कम ही मिलते हैं। जहां होली के मधुर मधुर गीत, स्वांग रचना, ढोल एवं ताशें अब किसी मेले में ही देखने को मिल सकते हैं।
  बुजुर्ग आज के दिन जब होली का पर्व देखते हैं और सुनते हैं तो एक ही बात कहते हैं कि अब न तो एकता रही और न पहले वाला भाईचारा। अब तो बस आपसी रंजिश एवं एक दूसरे को नीचा दिखाने की परंपरा बढ़ रही है। होलीवाला जोहड़ जहां होलिका दहन किया जाता है उसमें गंदा पानी भरा खड़ा रहता है। मजबूरीवश होलिका दहन के समय महिला एवं पुरुष वहां जाकर प्रह्लाद भक्त की पूजा अर्चना करते हैं। होलिका दहन का पर्व 24 मार्च को मनाया जा रहा है।
होली के खेलों के विषय में बात की गई। बुजुर्गों के विचार छनकर सामने आये---
**आपसी रंजिश एवं प्रेम की भावना कम होने के कारण अब इन खेलों का अस्तित्व ही सिमट गया है। आज से 30 वर्षों पर्व आपस में भाईचारा पूरे यौवन पर होता था किंतु आज भाई-भाई का दुश्मन बनता जा रहा है। आपसी बैर भाव होली के खेलों को ले डूबी है।
---रामपाल पूर्व सैनिक
होली दहन स्थल पर अब ईंधन डालने का रिवाज भी कम हो गया है। कभी होली के खेल खेलने वाले लोग ही ईंधन उठाकर लाते थे और होली दहन स्थल पर डालते थे। अब तो किसी के खेत क्यार में इतना ईंधन नहीं मिलता है। यही कारण है कि होली दहन पर ईंधन न के बराबर डाला जाता है।
----रामगिरी नांगल हरनाथ
फोटो कैप्शन 01: कनीना में होलिका दहन पर डाला गया ईंधन
साथ में रामपाल एवं रामगिरी

 























 

कनीना क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी

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कनीना की आवाज।  कनीना क्षेत्र में शुक्रवार की देर शाम हल्की बूंदाबांदी हुई। किसान इस वक्त सरसों की लावणी में जुट गये हैं और मौसम में बदलाव हो रहा है। किसान मौसम के बदलने से चिंतित हैं। 



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