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Sunday, June 30, 2024
कनीना में जून माह में दूसरी बार हुई वर्षा
-पहली बार 5 एमएम वर्षा हुई थी, रविवार को सवा नौ बजे रात तक 34 एमएम, 17 अंगुल हुई वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार शाम 7 बजे वर्षा शुरू हुई जिससे गर्मी से राहत मिली। समाचार लिखे जाने तक 34 एमएम वर्षा हो चुकी थी तथा वर्षा जारी थी।
किसान बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे थे। अब किसान अपने खेतों में बाजरे की बिजाई कर सकेंगे क्योंकि बाजरे की फसल के लिए वर्षा पर्याप्त है। सवा नौ बजे रात तक 34 एमएम वर्षा हो चुकी थी तथा वर्षा जारी थी।
शाम के समय रविवार को जब वर्षा होने लगी तो कुछ ही क्षणों में सड़कों पर पानी भर गया। गर्मी से जरूर राहत मिली वहीं किंतु किसान खुश नजर आए क्योंकि लंबे समय से किस इंतजार कर रहे थे। किसान रवि कुमार, अजीत कुमार, सूबे सिंह कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि वे बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे थे। विगत वर्ष तो इस समय तक भारी वर्षा हो चुकी थी तथा बड़ी-बड़ी फसल खेतों में खड़ी हुई थी। इस बार अभी तक फसल की बिजाई नहीं हो पाई है। संभावना है कि 1 जुलाई से बिजाई शुरू हो जाएगी। किसान खुश है वहीं बीज विक्रेता महेश कुमार, कुलदीप कुमार, बिजेंद्र आदि ने बताया कि अब तक उनका काम मंदा चल रहा था अब वर्षा होने से उनके काम तेजी से आएगी। उन्हें विश्वास है कि भविष्य में उनके बीजों की अच्छी बिक्री होगी।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि बाजरे की बीजाई के लिए 20 एमएम वर्षा का होना जरूरी है। विगत दिनों भी 5 एमएम वर्षा हुई थी उस पर अभी वर्षा जारी है। ऐसे में बाजरे की बीजाई संभव है।
फोटो कैप्शन 04: दुकानों के आगे वर्षा का खड़ा जल।
रोहतक रेडियो स्टेशन प्रसारित होने वाले कार्यक्रम हो शुरू
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कनीना की आवाज। रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम पिछले 2 माह से महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी जिलों में न सुनाई देने अथवा बंद होने के कारण इलाके के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। हरियाणा के मुख्यसचिव तथा रोहतक रेडिय़ों स्टेशन के निदेशक को ज्ञापन भेजकर बंद कार्यक्रम तुरंत चालू करने की मांग की है।
नांगल मोहनपुर, ईसराणा, ककराला, रामबास, कपूरी तथा इलाके के अनेक गांवों के लोगो से शिकायत मिली है कि पिछले 2 माह से रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम बंद हैं। उन्होंने कहा कि रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले अनेक कार्यक्रम वृद्धों, वयस्कों, युवाओं तथा महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होते थे। इलाके के लोग बड़े चाव से रेडिय़ो पर प्रसारित होने वाले देहाती कार्यक्रम, महिला कार्यक्रम, खेल वार्ताएं, संवाद कार्यक्रम को सुनते हैं, परन्तु 2 माह से रेडियो पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रम बंद होने के कारण इलाके के लोग बहुत बैचेन तथा उदास हैं। बड़े अफसोस की बात है कि दो महीने से रेडियो स्टेशन के अधिकारी जनता की मांग की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। जब 7 दिन में नहर व समुद्र में पुल बन सकते हैं तो कार्यक्रम को चालू करने में आ रही अड़चनों को दूर क्यों नहीं किया जा रहा है। यह सोचनीय विषय है।
बुजुर्गों की सोच अच्छी थी
-जहां कुत्ता मूतता है वहां पैदा होते कुकुरमुत्ता
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कनीना की आवाज। अक्सर बुजुर्ग बताते थे कि कुकुरमुत्ता जिसे सांप की छतरी/छत्रक खुंबी, खुंभ, मशरूम और न जाने कितने नामों से जाना जाता है, एक गले सड़े और मृत पदार्थों पर पैदा होती है। यह ऐसा पौधा है जिसका रंग हरा नहीं होता क्योंकि इसमें क्लोरोफिल नहीं होता। बिना क्लोरोफिल वाले गिने चुने ही पौधे होते हैं। ऐसे ही एक पौधा सरसों का मामा सरसों के पौधों के बीच पाया जाता है। बुजुर्ग बताते कुकुरमुत्ता का अर्थ है जहां कुत्ते मूतते हो अर्थात गंदगी वाले स्थान पर कुकुरमुत्ता उगते रहे हैं। यह सत्य भी है। यद्यपि यह प्रोटीन और विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। वैसे तो विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से नसीब होता है किंतु कुकुरमुत्ते से भी प्राप्त हो जाता है। पकाने में बहुत कम समय लगता है और विभिन्न कैंसर की बीमारियों से मशरूम बचाती है किंतु बगैर सोचे समझे हर प्रकार की मशरूम को नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ बहुत जहरीले मशरूम भी होती है। कनीना में वर्षों पहले एक विज्ञान शिक्षक का जिसने अपनी पत्नी को मशरूम के विषय में बता दिया था परिणाम यह निकला कि उसकी पत्नी जो खुद शिक्षिका थी, ने छत्रक तोड़कर खा लिए और बेहोश हो गई,उसे अस्पताल भर्ती करवाना पड़ा था। वर्तमान में वह शिक्षक अब रेवाड़ी में रहते हैं। इस प्रकार बगैर सोचे समझे छत्रक को नहीं खाना चाहिए परंतु बुजुर्गों को हर चीज का ज्ञान था। इसलिए उन्होंने छत्रक को कुकुरमुत्ता नाम दिया था। अक्सर कोई चीज तेजी से बढ़ती हो तो उससे भी कुकुरमुत्ता कहते हैं। जैसे प्राइवेट बसें कुकुरमुत्ता की तरह बढ़ रही है ऐसा बोला जाता है क्योंकि एक स्थान पर अनेकों कुकुरमुत्ते एक के बाद एक उत्पन्न होते चले जाते हैं। बुजुर्ग ज्ञानवान थे और उनकी दी शिक्षाएं आज भी अमल में लाई जा सकती है।
फोटो कैप्शन 04: जिस फोटो पर कुकरमुत्ता लिखा हुआ है ध्यान से देखें जो डफली की तरह नजर आती है।
राष्ट्रीय मजाक दिवस -1 जुलाई
हंसना,हंसाना एक कला है- अमृत सिंह
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कनीना की आवाज। हंसना और हंसाना दोनों कला हैं। यदि इंसान हंसना जानता है तो समझो उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं। सभी अंग प्रफुल्लित हो जाते हैं और हंसाना भी एक कला है। हंसने एवं हंसाने के लिए अनेकों तरीके अपनाए जाते हैं किंतु सबसे आसान तरीका है जोक्स सुनाना। कुछ लोग बातें इस प्रकार से करते हैं कि उनकी हर बात में अंदाज हंसाने वाला होता है।
अक्सर खुशी के अवसर पर विभिन्न प्रकार के चुटकुले जोक्स सुनाएं जाते हैं। जोक्स एक लिखित या मौखिक व्याख्यान है जो मनोरंजन करता है। 1900 तक के प्रमाण मिलते हैं कि जोक्स सुने जाते रहे हैं। जोक्स एक अच्छी दवा है इसलिए आसपास के लोगों के चुटकुले सुनाकर जोर से हंसाना चाहिए। एक चुटकुला प्रतियोगिता भी आयोजित होना चाहिए ताकि हंसते रहे। व्यावहारिक मजाक करने की बात सोचनी चाहिए। एक अनुमान है है कि जीरो से 4 वर्ष के बच्चे प्रतिदिन 200 से 300 बार हंसते हैं जबकि वयस्क 4 से 20 बार हंसते हैं। जितनी देर हंसा जाए उतना ही लाभ होगा। बाबा रामदेव तो हंसने पर जोर देते हैं और कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा हंसने से लाभ होता है। इसी प्रकार डाक्टर भी मानते हैं की हंसी खुशी से इंसान स्वस्थ रहता है। इस संबंध में कुछ गुदगुदाने वाले और हंसाने वाले लोगों से चर्चा की गई।
**हंसना बड़ी कला है। कई बार इस प्रकार से चुटकुले और जोक्स पेश किए जाते हैं कि अगला व्यक्ति हंसने को मजबूर हो जाता है। चुटकुला प्रतियोगिता भी आयोजित होनी चाहिए ताकि इस बहाने लोग हंस भी सके और अव्वल रहे चुटकुले को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए। चुटकुले वाली किताबें पढ़े और पसंदीदा चुटकुलों को परिवार दोस्तों के साथ साझा करना चाहिए। हंसना बहुत बड़ी कला है।
-- सूबे सिंह शिक्षक एवं जाक्स में माहिर
शिक्षण कार्य और रागिनी के लिए जाने जाने वाले अमृत सिंह का कहना है कि वे दिन रात हंसाने की कला एवं तरीके सोचते रहते हैं कि सि प्रकार दर्शकों को हंसाया जाए। अक्सर रागिनी से पहले उनको हंसाया जाता है ताकि रागिनी पर अच्छी प्रकार ध्यान दें। विद्यार्थियों को भी पढ़ते समय बीच-बीच में हंसाना चाहिए ताकि पढ़ाई की निरसता दूर की जा सके। जोक्स अच्छी कला है और उसे कहने का अंदाज अच्छा हो तो सभी लोग हंसने को मजबूर हो जाते हैं।
-- अमृत सिंह शिक्षक एवं रागिनी गायक
हंसाने में बहुत सोच विचार कर और अच्छी बातें एवं सामाजिक बातें ही बोलनी चाहिए ताकि माहौल बेहतरीन बन सके। परिवार के लोग भी बैठे होते हैं तथा छोटे-बड़े सभी बैठे होते हैं। इसलिए जोक्स ऐसे हो ताकि हर इंसान को गुदगुदाने के लिए मजबूर कर दे। हंसाना लंबे समय तक अभ्यास करने के बाद कला हासिल हो सकती है। यह कला शुद्ध भारतीय कला है और इससे हर इंसान को हंसाया जा सकता है।
-- पवन कुमार रागिनी गायक एवं जोक्स सुनने में मशहूर
फोटो कैप्शन: सूबे सिंह, अमृत सिंह, पवन कुमार
राष्ट्रीय डाक सेवक दिवस-एक जुलाई
डाक वितरण के साथ-साथ कर रहे हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रचार
-साइकिल पर प्रतिदिन 20 किलोमीटर सफर तय कर घर घर जाते डाक बांटने
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कनीना की आवाज। कनीना उप-डाकघर में कार्यरत राजेंद्र सिंह पोस्टमैन बेशक करीब 65 वर्षीय हो किंतु आज भी साइकिल पर 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके डाक वितरण का काम कर रहे हैं लेकिन वे डाक बांटने के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को साकार करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपने सीने पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बिल्ला लगाया हुआ है। और न केवल बिल्ले को लगाते ही है अपितु लोगों से अपील भी करते हैं कि बेटियों को पढ़ाया जाए। यह दो परिवारों में एकता कायम करने का जरिया होती है। यद्यपि कोरोना काल में लोग घरों में छिपे हुए थे तब भी पोस्टमैन घर घर जा रहे थे और डाक बांटने का कार्य कर रहे थे। राजेंद्र सिंह पोस्टमैन ने बताया कि उनके दो बेटियां हैं। इंदिरा 1986 में जन्मी तथा रेनू 1991 में जन्मी है। एक लड़का भी है किंतु वे लड़कियों के लालन-पालन और उनकी देखरेख करने का प्रचार कर रहे हैं। अभी सेवानिवृत्ति में कुछ समय बाकी है। उन्होंने कड़ी धूप में डाक बांटते हुये बताया कि वे जिस घर में भी जाते हैं उस घर में डाक वितरण के साथ-साथ बेटियों के बारे में जरूर जानकारी हासिल करते हैं और बेटियों की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं।
एक और जहां कोरोना काल में भी वे कोरोना से कभी नहीं डरे कोरोना योद्धा के रूप में कार्य किया है वही हमेशा साइकिल पर ही डाक वितरण करते हैं।
उन्होंने बताया कि जब सरकार इस नारे को साकार करने में जुटी हुई है तो हम सभी का फर्ज बनता है कि हम भी इस नारे को साकार करें। यही कारण है कि वह खुद भी इस कार्य में जुटे हुए हैं। उनको यकीन है कि एक दिन वो जरूर आएगा जब लड़कियों की कदर लड़कों से कम नहीं आंकी जाएगी।
कोरोना काल में भी किया 5 घंटे डाक वितरण का कार्य -
बेशक कोरोना काल में कोई घर से बाहर न निकलना चाहता हो किंतु राजेंद्र पोस्टमैन सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक तैनाती देते थे। यहां तक कि कम से कम प्रतिदिन 100 लोगों से मिलते थे और 20 किलोमीटर दूरी प्रतिदिन साइकिल से तय करते रहे हैं।
उन्हें कम से कम सैकड़ों लोगों से उस वक्त मिलना पड़ता है जब उनकी डाक देकर हस्ताक्षर आदि करवाकर लाने पड़ते हैं। ऐसे में इन लोगों को कड़ी मेहनत और बुरे वक्त के दौर में भी सेवा निभानी पड़ी है। बेशक गत दिनों उनकी सेवानिवृत्ति हो चुकी है किंतु उनकी बेहतर सेवाओं के चलते कुछ समय डाकघर ने उन्हें और मौका दिया है।
फोटो कैप्शन 02:पोस्टमैन राजेंद्र सिंह डाक बांटते हुए।
राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस एक जुलाई
चिकित्सक दूसरा भगवान माना जाता है
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कनीना की आवाज। एक जुलाई को राष्ट्र्रय चिकित्सक दिवस मनाया जा रहा है। डाक्टरों का योगदान अहं होता है। कहावत है कि भगवान के बाद अगर किसी का नाम आता है तो वो डॉक्टर होते हैं। डाक्टर दिन-रात अपने परिवार की ओर कम ध्यान देकर चिकित्सकों मरीजों पर अधिक ध्यान देते हैं। वो सच्चे भक्त कहलाते हैं। भक्तों को सैनिक माना गया है। डााक्टर सीमा पर तो नहीं लड़ते परंतु बीमारियों से पीडि़त लोगों की जान बचाते हैं। समाज के महत्वपूर्ण होते हैं। उनके बलिदानों को सदा याद रखना चाहिए। प्रसिद्ध डॉक्टर विधान चंद्र राय के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है जो पिछले 33 वर्षों से मनाया जा रहा है।
क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग एवं समाजसेवी-
डाक्टर अपनी जान को जोखिम में डालकर मरीजों की जान को बचाते हैं। ये किसी गंभीर हालात में मरीज आता है उसको भी बड़ा ध्यान से देखकर इसकी सेवा करते हैं। उनका कार्य महान होता है। उनको इस दिन याद करना चाहिए।
---संदीप कुमार,कनीना समाजसेवी
डाक्टर एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षा के समर्थक जैसी कई भूमिका निभाते है। दूसरों को खतरे से बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर सकते हैं। उनके जीवन महान कार्य को हमें कभी नहीं भुलाना चाहिए जो दूसरों की भलाई में सदा समर्पित रहते हैं।
--अजीत कुमार, झगड़ोलह
डाक्टर बड़ी भूमिका निभाते हैं ताकि इंसान बीमारियों से मुक्त रहे, लंबी उम्र जीए और उनका कार्य एक महान सैनिक के बराबर होता है। दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। अपने कर्तव्य निभाने के लिए वह अपने जीवन की भी बलि चढ़ाने से नहीं चूकते। लाखों मरीजों को प्रतिदिन डॉक्टर बचाते हैं। ऐसे में उनके महान योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
--डा जितेंद्र मोरवाल,कनीना
डाक्टर को मरीजों की बीमारी दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। अपनी जान की परवाह न कर मरीज की जिंदगी बचाने में कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए। डाक्टर को अपनी जिम्मेदारी को बखूबी से समझना चाहिए और सदा यह सोच कर कि उनके हाथों से कोई मरीज बच जाए सेवा करनी चाहिए।
--डा सुंदरलाल एसएमओ कनीना
फोटो कैप्शन: संदीप कुमार, अजीत कुमार झगड़ोली, जितेंद्र मोरवाल, डा सुुंदरलाल एसएमओ
कनीना कालेज की 1200 सीटों पर अभी तक आये 2150 आवेदन,कामर्स के प्रति रुझान घटा
-उन्हाणी कालेज की 360 सीटों पर अभी तक 430 आवेदन
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल में 2 सरकारी कालेज हैं। कनीना के सरकारी कालेज में 1200 सीटें स्नातक स्तर की है जबकि उन्हाणी के कन्या कालेज में 360 सीटें निर्धारित की गई है। प्रवेश नोडल अधिकारी डा. विनोद यादव तथा प्राचार्य डाक्टर सुरेंद्र सिंह यादव राजकीय महाविद्यालय कनीना ने बताया कि कनीना कालेज में 640 सीटें बीए की, 320 सीटें बीएससी फिजिकल साइंस, 80 सीटें बीएससी मेडिकल और 160 सीट बीकाम की निर्धारित की गई है जिनके लिए 706 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं जिनमें बीए के 1322 आवेदन, बीएससी फिजिकल साइंस 493 आवेदन, बीएससी मेडिकल के 204 आवेदन तथा बीकाम के लिए 131 आवेदन प्राप्त हुये हैं। उधर राजकीय महाविद्यालय उन्हाणी के प्राचार्य विक्रम सिंह यादव ने बताया कि उनके यहां कालेज में 240 सीटें बीए पर 289 आवेदन आ चुके हैं। बीएससी नान मेडिकल के 80 सीटों पर 109 तथा बीकाम की 40 सीटों पर 32 आवेदन आ आये। आनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून थी। आगामी कार्रवाई विश्वविद्यालय करेगा। विज्ञान स्नातक के लिए रुझान अधिक देखने को मिल रहा है। बीकाम के लिए दोनों ही कालेजों में रुझान कम देखने को मिला है।
फोटो कैप्शन:राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी।
अंतरराष्ट्रीय फल दिवस -1 जुलाई
सेहत का राज छुपा है फलो में
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कनीना की आवाज। फलों का नाम लेते ही खट्टे मीठे अनेक प्रकार के फलों की याद ताजा हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस भी एक जुलाई को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस फलों के महत्व को दर्शाता है। प्राचीन समय से ही इंसानों का फलों से यह लगाव रहा है इसलिए जहां कहीं मधुर मधुर फिर मिलते हैं इंसान प्रसन्नचित मिलता है। यूं तो हर देश में अपने अलग-अलग प्रकार के फल होते हैं किंतु कुछ ऐसे फल है जो पूरे ही विश्व में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ फल निम्र हैं।
जिनमें केला एक फल है। केला हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है इसलिए से पूजा विधान तथा विभिन्न शहरों में वितरित किया जाता है इसमें पोटैशियम अधिक मिलता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है। महाराष्ट्रकेले के लिए मशहूर है जिसे भारत का केले का शहर नाम से जाना जाता है। अनार एक ऐसा फल है सभी फलों का शाही ताज कहलाता है। अनेक लोकोक्तियां भी इस आधार पर बनाई हुई हैं। प्राचीन समय से लोग भी अनार से परिचित थे। यह जीवन उर्वरता, समृद्धि, प्रचुरता का प्रतीक है। आम फलों का राजा आम पूरे विश्व में पाया जाता है। प्राचीन काल में इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। यह देवताओं पर अर्पित किया जाता रहा है। पौराणिक कथाओं में भी कहा गया है कि आम पेड़ की पत्तियां अनेकों स्थानों पर प्रयोग की जाती है। इसके लाभ के दृष्टिगत इसकी दूरदराज खेती की जाती है। अंगूर एक शराब का फल एवं उर्वरता, प्रचुरता, धन का प्रतीक माना जाता है। अंगूर खाने के लिए सबसे अहम माना जाता है। महाराष्ट्र राज्य अंगूर के लिए प्रसिद्ध है। नारियल एक ऐसा फल है जो सिर्फ श्रीफला नाम से जाना जाता है। भगवान के प्रतीक का फल नारियल है। सभी जगह से अर्पित किया जाता है। नारियल का जल देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है।
क्या कहते हैं लोग फलों के गुणों के बारे में ? क्या कहते हैं वैद्य-
फलों के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। ऐसे में 1 दिन में कम से कम 2 फल और मौसमी सब्जियां भोजन में शामिल करनी चाहिए। रोजाना फल खाने चाहिए क्योंकि फलों में विटामिन खनिज, फाइबर बहुत अधिक मात्रा में मिलते हैं। फल दिल की बीमारी, कैंसर, मधुमेह आदि बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।
--वैद्य श्रीकिशन
फलों में एंटी वायरल गुण पाया जाता है। विटामिन, खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अतिरिक्त पोटैशियम भी मिलता है । फाइबर और पानी शरीर के लिए सेहतमंद होते हैं। फल शरीर को हर प्रकार से रोगों से बचाते हैं। दिल की बीमारी को केला, संतरा और खरबूजा बहुत लाभप्रद माने जाते हैं। फलों का भोजन में जरूर सेवन करना चाहिए।
-- वैद्य बालकिशन शर्मा करीरा
फोटो कैप्शन: बालकिशन एवं श्रीकिशन शर्मा करीरा वैद्य
त्रिवेणी लगाकर की पौधारोपण अभियान की शुरुआत
-मनोज कुमार रामबास ने चलाया अभियान
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कनीना की आवाज। पर्यावरण संरक्षण व पौधारोपण अभियान में लगे गांव रामबास के युवाओं ने हर परिवार एक पौधा मुहिम के तहत आज त्रिवेणी लगाकर इस मुहिम की शुरुआत की।
मनोज कुमार रामबास ने बताया कि हमारा गाव पर्यावरण संरक्षण व पौधारोपण में बढ़ चढ़ कर भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। आज हमने हर परिवार एक पौधा मुहिम के तहत त्रिवेणी लगाई है। यह त्रिवेणी दादा ईश्वर ने अपने पूर्वजों की याद में लगई है , उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सिर्फ पौधारोपण ही एक उपाय है , इस वर्ष जुलाई महीने में चलने वाले पौधारोपण अभियान मे ंगाव के सामूहिक सहयोग से 500 पौधे पूरी सुरक्षा व पानी की व्यवस्था के साथ लगाये जायेंगे। एक पौधा जब पेड़ बनता है तो सैकड़ों जीव जंतुओं का भोजन व आश्रय स्थल बनता है , लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन को रोकने मे मददगार होता है।
इस मौके पर ईश्वर , कृष्ण साहब, राजेंद्र बाबुजी , मनोज रामबास , अमित , सचिन व देवा मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: रामबास में त्रिवेणी लगाते हुए मनोज कुमार एवं अन्य।
आहट सुनाई पडऩे लगी है विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन की
-वर्ष 2026 में होगा पुनर्गठन
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कनीना की आवाज। जब जब विधानसभा चुनाव आते हैं तब तब कनीना को अपने दुर्भाग्य पर तरस आता है। कभी कनीना भी विधानसभा क्षेत्र होता था और कनीना से चुना गया प्रतिनिधि क्षेत्र का विकास करवाता था। वर्ष 1972 के चुनावों के बाद भी कनीना विधानसभा क्षेत्र था। अब एक बार फिर से विधानसभा पुनर्गठन की आहट सुनाई पडऩे लगी है। वर्ष 2026 में विस का पुनर्गठन होना है। कनीना को इस बार विधानसभा का फिर से दर्जा मिलने की पूरी आश है।
उल्लेखनीय कभी पंजाब सरकार में कनीना से सूबेदार ओंकार सिंह मंत्री हुआ करते थे जिन्होंने कनीना के पशु अस्पताल का निर्माण करवाया था। उस वक्त कनीना के सूबेदार ओंकार सिंह की धाक होती थी। तत्पश्चात 1962 कनीना सुरक्षित विधानसभा से बनवारीलाल जनसंघ से चुनाव लड़े और वे चुने गए। इसके बाद हरियाणा का गठन हुआ और कनीना विधानसभा से वर्ष 1967 में राव दिलीप सिंह, वर्ष 1968 के चुनावों में राव दिलीप सिंह और वर्ष 1972 के चुनावों में फिर से राव दिलीप सिंह चुने गए थे।
वर्ष 1977 के चुनावों में कनीना विधानसभा क्षेत्र को तोड़कर जाटूसाना में मिला दिया गया था। इस प्रकार जिला महेंद्रगढ़ एवं सियासत रेवाड़ी जिला के तहत आती थी। वर्ष 1977 से 2008 तक कनीना जाटूसाना विधानसभा के तहत आता रहा किंतु वर्ष 2009 के चुनावों में इसे अटेली विधानसभा के तहत शामिल कर दिया गया और आज तक कनीना को उसका न्याय नहीं मिल पाया।
कनीनावासियों ने हलकों के पुनर्गठन के वक्त जब जाटूसाना से कनीना को अटेली में मिलाया जाने लगा तो भारी संघर्ष किया। यहां तक की कनीना-अटेली नाम से विधानसभा का नाम दिए जाने की मांग उठी किंतु कनीना को उसका हक नहीं मिला। यह माना जाता था कि कभी कनीना विधानसभा होता था उसे पुन:बहाल किया जाएगा किंतु नांगल चौधरी को हलका बना दिया गया किंतु कनीना नहीं।
क्या कहते हैं कनीना के प्रमुख जन-
**कनीना को विधानसभा का हक मिलना जरूरी है। 2026 में हलकों को पुनर्गठन होना है तब कनीना एक विधानसभा क्षेत्र होगा क्योंकि हलकों की संख्या प्रदेश में बढ़ाने की पूरी संभावना है। कनीना का यह पुराना हक है।
--सज्जन सिंह,कनीना
कनीना हलका तोड़े जाने का बेहद मलाल है। कनीना हलका होता तो विकास कार्यों में तेजी आती और कनीना क्षेत्र से जीत हासिल करने वाला नेता आस पास का होता। कनीना को इस बार हक जरूर मिलना चाहिए।
--राज कुमार,कनीना
जब प्रदेश में हलकों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई तो कनीना का हक क्यों छीन लिया गया् इसका हक इसे मिलना ही चाहिए जिसके लिए भरसक प्रयास किये जाएंगे। वैसे भी कनीना को इसका हक इस बार मिलने के पूरे आसार हैं।
--भीम सिंह, कनीना।
फोटो कैप्शन: भीम सिंह, सज्जन सिंह एवं राज कुमार।
Saturday, June 29, 2024
दिनभर छाये रहे काले बादल
-मानसून के नाम पर पड़ी हल्की फुहार
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र के किसान विगत लंबे समय से वर्षा का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक मानसून और प्री- मानसून के नाम पर महज 5 एमएम वर्षा हुई है। विगत वर्षा की तुलना में जून माह में अभी तक बहुत कम वर्षा हुई है। विगत वर्ष जहां इस वक्त तक 44 एमएम वर्षा हो चुकी थी किंतु इस वर्ष में 5 एमएम वर्षा हुई है। किसानों की अभी तक बाजरे की फसल की बिजाई नहीं हो पाई है। ऐसे में किसान चिंतित हैं क्योंकि कहने को तो प्रदेश में मानसून आ चुकी है किंतु कनीना अभी तक सूखा है।
शनिवार को महज हल्की फुहार पड़ी जिसको लेकर तापमान में जरूर गिरावट आई। अधिकतम तापमान 36 डिग्री और कम से कम तापमान 28 डिग्री नोट किया गया। ऐसे में जहां किसान बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे हैं ताकि वर्षा हो जाए और वर्षा हो जाए तो किसानों की बाजरे की बिजाई हो जाएगी। वैसे भी लोग गर्मी से परेशान हो चले हैं और बार-बार आसमान को तकते रहते हैं किंतु वर्षा नहीं हो रही है।
फोटो कैप्शन 5: कनीना क्षेत्र में छाये काले-काले बादल
विश्व क्षुद्रग्रह दिवस-30 जून
समय-समय पर पृथ्वी पर आते रहते हैं क्षुद्रग्रह -सचिन प्रवक्ता
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कनीना की आवाज। क्षुद्रग्रह एक खगोलीय घटना है। अंतरिक्ष में जहां मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में अनेक क्षुद्रग्रह चक्कर लगाते रहते हैं। कभी-कभार पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं और धरती पर आ गिरते हैं। ऐसी ही एक सबसे बड़ी घटना 30 जून 1908 को साइबेरिया में घटित हुई थी जिसके चलते यह दिन क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में मनाया जाता है। अनेकों क्षुद्रग्रह आकाश से धरती पर गिरते रहते हैं। वास्तव में ये उल्का और उल्का पिंड के रूप में धरती पर गिरते हैं। यह वैज्ञानिकों के लिए एक कोतूहल का विषय है तथा उनसे अंतरिक्ष की जानकारी प्राप्त करते हैं। यदि बड़ा क्षुद्रग्रह धरती से टकरा जाए तो धरती भी समाप्त होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
विस्तृत जानकारी देते हुए सचिन कुमार भौतिक शास्त्र के प्रवक्ता ने बताया कि क्षुद्रग्रह कभी कभार धरती के वायुमंडल में प्रवेश करके गिरते हैं। वैसे तो लोग रात के समय टूटे हुए तारे देखते रहते हैं। जो वास्तव में पूर्ण रूप से जलकर कोई आकाशीय पिंड गिरता है तो उसे उल्का तथा अर्धजला धरती पर गिरे तो उनका पिंड नाम से जाना जाता है। यदि यह कहीं मिल जाए तो वैज्ञानिक शोध कार्य के काम आ सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि अंतरिक्ष में क्या हलचल हो रही है। उन्होंने बताया की कभी-कभी तो धरती पर भारी मात्रा में उल्का और उल्का पिंड गिरते हैं और यह नजारा दीपावली जैसा ही लगता है।
सचिन कुमार ने बताया कि जब कोई बड़ा उल्का पिंड धरती पर गिरता है तो बड़ा गड्ढा बना देता है। ऐसा ही रामगढ़ ग्रेटर नाम से राजस्थान का जाना जाता है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी एक-एक ऐसा गड्ढा देखा गया है। अनुमान है कि हजारों वर्ष पहले उल्का पिंड धरती से आकर टकराया होगा। उन्होंने कहा में उल्कापिंडों से वैज्ञानिक रासायनिक तत्वों की खोज करते हैं । अभी तक उल्का पिंडों में 52 रासायनिक तत्वों की खोज हो चुकी है।
सचिन ने बताया कि 8 और 9 अक्टूबर 2024 को उसका बौछार देख सकेंगे बशर्तें की रोशनी कम से कम हो। उस समय इसका नजारा किसी आतिशबाजी से कम नजर नहीं आता है। वैसे तो उल्कापिंड कभी-कभी बहुत खतरनाक साबित होते हैं। वैज्ञानिक लगातार इन पर नजर जमाए रहते हैं। कहीं कोई उनका पिंड धरती से नहीं टकरा जाए और धरती का पर जीवन अस्तित्व को ही समाप्त कर दे।
फोटो कैप्शन: सचिन प्रवक्ता भौतिक शास्त्र
राजकीय पीएमश्री स्कूलों में क्षमता वर्धन प्रशिक्षण का कार्य संपन्न
-बीआरसी ने वितरित की सर्टिफिकेट्स
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कनीना की आवाज। भारत सरकार की शिक्षा के गुणवत्ता के साथ विद्यालय शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए पीएम श्री विद्यालयों के प्राचार्य व स्टाफ के लिए क्षमता वर्धन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न हो गया। कनीना माडल संस्कृति स्कूल कनीना में गुरुवार से कार्यक्रम शुरू किया गया था।
खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा कि पीएमश्री स्कूल अपने आप में शिक्षक के उच्च प्रतिमान स्थापित करने के लिए शुरू की गई योजना है तथा इसके लिए शिक्षकों को समर्पित भाव से प्रशिक्षण लेकर इसे कार्यान्वित करना है।
उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार व राज्य सरकार गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रतिमान स्थापित करने की अपार संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के तहत कनीना में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भोजावास तथा महेंद्रगढ़ खंड के राजकीय उच्च विद्यालय बारडा तथा राजकीय उच्च विद्यालय श्यामपुरा के 87 शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस मौके पर जयपाल सिंह खेड़ी तलवाना, अशोक कुमार भोजावास, राजकुमार प्रवक्ता भौतिक शास्त्र, योगेंद्र पीजीटी मैथ्स, अरविंद पीजीटी हिंदी, ईश्वर सिंह पीजीटी इंग्लिश ने शिक्षकों को संबोधित किया। इस मौके पर अशोक कुमार भोजावास, सुनील कुमार प्राचार्य माडल स्कूल कनीना, दयानंद, मनोज कुमार एबीआरसी, अओमरति एबीआरसी, अनुराधा बीआरपी, रोशनी, सोमबीर बीआरपी, सुरेंद्र पीजीटी आदि सहित 87 शिक्षकों ने प्रशिक्षण पाया। सभी प्रशिक्षण पानेवाले शिक्षकों को दिलबाग सिंह बीआसी ने अपने हाथों सर्टिफिकेट वितरित किए। फोटो कैप्शन 6: प्रशिक्षण पाकर सर्टिफिकेट दिखाते हुए विभिन्न राजकीय पीएमश्री स्कूलों के शिक्षक
सुदामा कृष्ण की मित्रता का किया वर्णन
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव के ककराला में हो रही सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य भरत शास्त्री ने सुदामा कृष्ण की मित्रता का मार्मिक प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया। उन्होंने श्रद्धालुओं से श्रीकृष्ण की तरह मित्र धर्म निभाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भागवत कथा धर्म का सार है। इसके सुनने से आत्मा में जागृति आती है। व्यक्ति में सद्गुणों का प्रादुर्भाव होता है। उन्होंने आत्मा अमर का संदेश देते हुए कहा कि हमें मौत और ईश्वर को हमेशा याद रखना चाहिए। इस अवसर पर सुनीता, माया देवी, कृष्णा, राजेश, कमलेश, ललिता, रिसाली, रामरती, कौशल्या, अनिता, फूलवती, संतोश, कृष्ण कुमार, दामोदर, शांतिलाल नम्बरदार, उदयप्रकाश, रामकिशन, दिनेश, सोनू, महेन्द्र सिंह, लीलाराम, किरोड़ी, सुभाष आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
नाले एवं नालियां पड़ी हैं खुली, जर्जर हालत में
-नालियों पर भी नहीं है जालियां
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बे के जहां पर मुख्य मार्गों नालियों पर जलिया नहीं हैं, कहीं सीवरेज के हौद ऊबड़ खाबड़ बने हुए हैं तो कहीं सड़क पर पानी जमा हो रहा है, कहीं सड़कों से गुजरा कठिन है। विगत दिनों 9 जालियां चोरी हो गई थी जिसके बाद से पशुओं को उधर से गुजारना खतरे से खाली नहीं है वहीं दुपहिया वाहन भी गुजर नहीं पा रहे हैं।
लंबे समय से कनीना के अंदरूनी मार्गों की जर्जर हालात को ठीक नहीं किया गया है। एक और जहां अवैध रूप से नल लगाने वाले रातोंरात सड़क मार्ग को तोड़ देते हैं वहीं मनमर्जी यहां वहां स्पीड ब्रेकर बनाए हुए हैं। एक और जर्जर मार्ग स्वयं ही स्पीड ब्रेकर का काम करते हैं उन पर भी स्पीड ब्रेकर लगे हुए। कनीना के हवेलीवाला चौक से वाल्मीकि चौक तक रास्ता अति जर्जर हो चुका है। नालियां सड़क मार्गों के बीच से गुजर रही है उन पर जालियां नहीं है। बहुत से ऐसे सड़क मार्गों के बीच से गुजरने वाली नालियों पर जालियां नहीं हैं या जर्जर हैं। क्या कहते हैं कनीनावासी-
कनीना में बहुत अधिक गंदे नाल और नालियां है। कहीं कहीं तो नालियां सड़क के बीचो-बीच आपस में जोड़ती हैं। अनेक नालियों पर जालिया तक नहीं लगाई गई जिससे पशुओं के पैर फंस जाते हैं वहीं वाहन चालक एवं दोपहिया वाहन चालक परेशानी उठाते हैं। सभी नालियों पर जब तक जालिया नहीं लगती तब तक सड़क मार्ग से चलना भी कठिन रहेगा।
---केवल कृष्ण कनीना
कनीना की सुंदरता बढ़ाने के लिए न केवल सड़क मार्गों को दुरुस्त किया जाए अपितु सभी जर्जर हालत में जालियों को ठीक किया जाए। सभी नालियों पर जालियां लगाकर सभी चौड़े नालों को साफ करके ढकवाना चाहिए तथा सीवर के गढ़ों को भी ठीक करवाया जाए। सड़क मार्ग पर किसी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए।
-------विजय कुमार
वार्उ नंबर एक प्रो. हंसराज के मकान के सामने विगत दिनों नालियों की जालियां चोरी हो गई थी। यहां से पशु पालक अपने पशुओं को नहीं गुजार रहे हैं क्योंकि बिना जालियों के पशुओं के पैर फंसकर टूटने का खतरा बना रहता है। इन नालियों पर जालियां लगाई जाए।
--कबूल सिंह, कनीना
क्या कहते हैं अधिकारी-क
कनीना पालिका के कनिष्ठ अभियंता जयबीर सिंह ने बताया कि इन नालियों पर जालियां जल्द ही लगवा दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि हमें लोकेशन दे दो ताकि वहां जालियां लगाई जा सके। इस संबंध में सुरेंद्र जोशी नगरपालिका कनीना के कर्मचारी ने भी सोमवार को ये जालियां लगाने का आश्वासन दिया है।
फोटो कैप्शन 04: बिना जाली के खुली पड़ी नाली
साथ में कबूल सिंह, केवल कृष्ण, विजय सिंह की फोटो
सब्जी मंडी शुरू न होने से किसान परेशान
-परंपरागत खेती पर करते हैं गुजर बसर
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कनीना की आवाज। कनीना में सब्जी मंडी न होने के कारण किसान परंपरागत खेती से ही गुजर बसर कर रहे हैं। वे सब्जी एवं फल आदि तैयार करके मार्केट में उतरना तो चाहते हैं किंतु सब्जी मंडियां दूर दराज स्थित हैं। कनीना के पास महेंद्रगढ़, रेवाड़ी या गुरुग्राम में सब्जी मंडियां स्थित हैं जहां तक फल एवं सब्जियां बेचने के लिए जाने में भारी खर्च आता है। कुछ किसानों से इस संबंध में बात हुई-
कनीना की पीपल वाली बणी के पार उन्होंने दो एकड़ जमीन पर इस बार हजारों रुपये खर्च करके कचरी की खेती की। यह सोचकर कि कचरे की मांग अच्छी होगी अगर 5 रुपये किलो भी खेत से कोई खरीददार ले जाएगा तो हो सकता है कि कुछ लाभ मिलेगा किंतु हुआ उल्टा। जब से कचरी की पैदावार हुई है तो कोई मांग नहीं रही। जहां कचरी की तुड़वाकर बोरों में भरकर दुकानों पर घूमते हैं तो एक या दो दुकानदार या सब्जी विक्रेता उनके फूट ले लेता है वरना हाथ खड़े कर दिये। बाहरी मात्रा में कचरी पैदा होने से आखिर आस टूट गई। अब भविष्य में कभी कचरी की पैदावार नहीं लेना चाहूंगा।
--रोहित कुमार, किसान
कनीना के लिए चेलावास में सब्जी मंडी को अविलंब शुरू करवाया जाए ताकि किसान सब्जी उगाकर अपनी सब्जी वहां बेच सके। अभी तक सब्जी मंडी 20 किमी दूर महेंद्रगढ़ या फिर 35 किमी दूर रेवाड़ी में स्थित हैं जहां तक सब्जी ले जाने का भारी खर्चा आता है।
---योगेश कुमार किसान
क्या कहते हैं डीएचओ मंदीप कुमार--
मंदीप डीएचओ रेवाड़ी ने बताया कचरो को भावांतर भरपाई योजना के तहत सरकार ने शामिल नहीं किया है जिसके चलते कचरा अधिक समय भी नहीं ठहर पाएगा। वैसे भी नरम होने के कारण तुरंत फट जाते हैं। वर्षा का जल और फव्वारा जल गिरने पर पके हुए फल फट जाते हैं और फटने के बाद कचरा किसी काम का नहीं रहता। उन्होंने बताया कि एक ही इलाज है कि कचरो से अपनी रेहड़ी भरकर बाजार में बेचा जाए तो हो सकता कचरो को कोई खरीद ले।
क्या कहती हैं सचिव मार्केट कमेटी-
मार्केट कमेटी सचिव कनीना ने बताया कि चेलावास में सब्जी मंडी के लिए अभी तक पांच दुकानें बोली कर दी हैं। अब वे दुकानदार दुकानें बनाकर सब्जी मंडी लगा सकते हैं। इसके लिए मार्केट कमेटी को कोई ऐतराज नहीं है। किंतु अभी सब्जी मंडी को सही तरीके से स्थापित होने में समय लगेगा।
--नकुल यादव, सचिव मार्केट कमेटी
फोटो कैप्शन 03: किसान बेहतरीन कचरी दिखाते हुए
साथ में किसान योगेश कुमार एवं रोहित कुमार
साथ में योगेश कुमार एवं रोहित कुमार
खरकड़ाबास के लोगों ने किया 47 यूनिट रक्तदान
-रक्तदान महादान है-राजेंद्र सिंह
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कनीना की आवाज। भारतीय रेड क्रास सोसाइटी जिला शाखा महेंद्रगढ़ स्थित नारनौल व बाबा दयाल कमेटी खरकड़ाबास के तत्वाधान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय खरकड़ा बास में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। रक्तदान शिविर सिविल अस्पताल नारनौल से डाक्टर दिशांत, नर्सिंग आफिसर अनीता यादव, सुनील, प्रमिला, सुरभि ,काउंसलर पवित्रा, लैब टेक्नीशियन विवेक यादव, कंप्यूटर टीचर अरुण व वार्ड बाय रवि की देखरेख में संपन्न हुआ। रक्तदान शिविर का शुभारंभ राजेंद्र सिंह खरकड़ाबास के द्वारा किया गया।
उन्होंने अपने संबोधन ने कहा कि रक्तदान महादान है। इस दान से किसी अन्य को नया जीवन मिलता है। रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है। हमें समय-समय पर रक्तदान अवश्य करना चाहिए। सभी ग्रामीणों ने रक्तदान शिविर में बढ़ चढ़कर भाग लिया। रक्तदान शिविर के आयोजन में विद्यालय स्टाफ अजीत सिंह बोहरा ,सुभाष बालवान, भूपेंद्र शास्त्री, अमरनाथ पीटीआई, राजेश माहौर ,राम रतन व कृष्ण कुमार की विशेष भूमिका रही। इस शिविर में रक्तदाताओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस शिविर में कुल 47 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इस शुभ अवसर पर पूर्व सरपंच श्री बलवान सिंह, हरि सिंह बाबूजी, समाजसेवी हनुमान खटाणा, संजय निंबल व अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: खरकड़ाबास में रक्तदान करते हुए लोग।
आर्य समाज रसूलपुर का त्रि-वार्षिक चुनाव संपन्न
-हरफूल सिंह को मनोनीत किया प्रधान
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव रसूलपुर के आर्य समाज का त्रिवार्षिक चुनाव सर्व समिति से संपन्न हो गया। चुनाव अधिकारी बुधराम डीएसपी की अध्यक्षता में आर्य समाज रसूलपुर परिसर में संपन्न हुआ। विस्तृत जानकारी देते हुए सतीश आर्य रसूलपुर ने बताया कि सर्वसम्मति से हरफूल सिंह आर्य को प्रधान, धर्मपाल आर्य को सचिव, सोमदाचार्य को कोषाध्यक्ष चुना गया है।
बैठक में ईश्वर सिंह शास्त्री, अरविंद कुमार, विनय कुमार, अजीत, बहराम, छाजू राम, वीरेंद्र सिंह मुख्याध्यापक, प्रवक्ता प्रवीण कुमार आदि मौजूद रहे। सभी पदाधिकारियों का फूल मालाओं से स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि वेे जनहित के कार्यों में सदा लगे रहेंगे तथा आर्य समाज की शिक्षाओं का प्रचार एवं प्रचार करेंगे।
फोटो कैप्शन 02: त्रिवार्षिक चुनाव में मनोनीत गए पदाधिकारी
Friday, June 28, 2024
राष्ट्रीय कैमरा दिवस -29 जून
आधुनिक समय में हर इंसान बना है कैमरामैन
-मोबाइल ने बदली कैमरे की दशा एवं दिशा
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कनीना की आवाज। कैमरे का जब से अविष्कार हुआ है, तब से मानव में जान ही आ गई है। एक जमाना था जब कैमरे का डुगरी नामक वैज्ञानिक वैज्ञानिक ने आविष्कार किया था, उस जमाने में जो फोटो ली जाने लगी तो इंसान बहुत प्रसन्नचित नजर आता था। तत्पश्चात ईस्टमैन ने रंगीन फोटो बनाने की विधि बताई। वास्तव में फोटोग्राफी को याद करने के लिए कैमरा दिवस मनाया जाता है। पुराने वक्त में फोटो तैयार करना बहुत लंबी गतिविधियों से गुजरकर तब तैयार करनी पड़ती थी किंतु वर्तमान में फोटो पलक झपकते ही तैयार हो जाती है। उस जमाने में जहां श्वेत श्याम होते थे परंतु आजकल रंगीन कैमरे आ गये और अब तो मोबाइल में ही फोटो ले ली जाती है। डिजिटल फोटोग्राफी ने सब कुछ बदलकर रख दिया है। इस संबंध में कुछ फोटोग्राफर से बात हुई। क्या कहते फोटोग्राफर --
**मैं 1984 से फोटोग्राफी कर रहा हूं। श्वेत श्याम का जमाना था। 25 साल पहले फोटोग्राफी की मांग होती थी परंतु उसके लिए कैमरा एवं फिल्म तथा विभिन्न प्रकार के केमिकल की जरूरत होती थी। फोटो लेना बहुत कठिन कार्य था। घंटो कमरे में अंधेरे कमरे में काम करना पड़ता था। अब तो जहां तुरंत फोटो दे दी जाती है वहीं पहले 5 से 6 दिन का समय लगता था, तब फोटो दी जाती थी, मेहनत ज्यादा थी। आज की तुलना में महंगी फोटोग्राफी थी, बचत भी अच्छी होती थी किंतु आजकल कैमरे की कद्र मोबाइल में बिल्कुल घटा दी है। आज के मोबाइल जितने कीमत के आते हैं उतना पहले कैमरा आता था।
-- मुकेश फोटोग्राफर, कनीना
1984 में फोटोग्राफी करता रहा हूं। श्वेत श्याम का जमाना बहुत शानदार होता था। अच्छे रेट मिलते थे, मांग भी फोटोग्राफ की अच्छी थी, बचत भी अच्छी होती थी परंतु जब से कैमरे डिजिटल आए हैं और तब से मांग घटती चली गई है। अब तो हर इंसान ही फोटोग्राफर बन गया है। सभी के हाथों में मोबाइल है। जिसके कैमरे बने फोटो बनाई जा सकती है। पुराने वक्त में जहां घंटो डार्क रूम में रहकर काम करना पड़ता था, नाखून खराब हो जाते थे, आंखें भी कई बार खराब हो जाती थी। दो-दो तीन-तीन घंटे बाद अंधेरे से बाहर आना पड़ता था। फोटो फिल्म भी महंगी और धोने का निर्धारित समय होता था। कभी फोटो धुंधली तो कभी अधिक डार्क हो जाती थी। अनेकों परेशानियों उठानी पड़ती थी। आजकल फोटोग्राफी लेना बहुत ही आसान तरीका बन गया है।
-- रूप फोटोग्राफर, कनीना
बहुत लंबे समय तक फोटोग्राफी करने का मुझे अनुभव है। चाहे आज मैं फोटोग्राफी छोड़ दी है किंतु उसे जमाने में फोटो की इतनी अधिक मांग थी कि दूरदराज से विद्यार्थी वर्ग और अन्य लोग फोटो बनवाने के लिए आते थे। फोटो के लिए तैयारी करनी पड़ती थी, स्टूडियो बनाया जाता था जिसमें एक निश्चित स्थान पर बैठकर फोटो ली जाती थी। फोटो लेने के बाद नेगेटिव बनाई जाती थी और नेगेटिव से जहां पाजिटिव फोटो बनाने के लिए लंबी गतिविधियों से गुजरना पड़ता था परंतु आजकल तो वो फोटोग्राफी रही ,न हीं वो कैमरे रहे। आजकल छोटे से बच्चे से लेकर बूढ़े अपनी फोटो ले सकते,फोटो खींच सकते हैं। परंतु उसे जमाने की फोटोग्राफी श्वेत श्याम होती थी जिसका अलग ही मजा होता था। बहुत आनंद आता था। पैसे की अधिक बचत थी उसे जमाने में चाहे पैसे कम मिलते थे पर उसे पैसे की अधिक वैल्यू थी। --सुमेर सिंह पूर्व कैमरामैन
उधर कनीना के राज एवं नरेश आदि पुराने समय की फोटोग्राफर है जिनको फोटोग्राफी का लंबा अनुभव है तथा उसे जमाने के कैमरे आज संदूकों में बंद पड़े हैं, कोई काम के नहीं है। यदि आधुनिक पीढ़ी को कैमरे दिखाये जाए तो यह पहचान नहीं पाते कि कैमरे हैं या कोई अन्य चीज।
फोटो कैप्शन: रूप शर्मा, मुकेश तथा सुमेर सिंह
राजकीय पीएमश्री स्कूलों में क्षमता वर्धन प्रशिक्षण का कार्य जारी
-29 जून को होगा समापन
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कनीना की आवाज। भारत सरकार की शिक्षा के गुणवत्ता के साथ विद्यालय शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए पीएम श्री विद्यालयों के प्राचार्य व स्टाफ के लिए क्षमता वर्धन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शनिवार को संपन्न होगा। कनीना माडल संस्कृति स्कूल कनीना में गुरुवार से कार्यक्रम शुरू किया गया था।
खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर कौशिक ने कहा कि पीएमश्री स्कूल अपने आप में शिक्षक के उच्च प्रतिमान स्थापित करने के लिए शुरू की गई योजना है तथा इसके लिए शिक्षकों को समर्पित भाव से प्रशिक्षण लेकर इसे कार्यान्वित करना है।
खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा कि आज केंद्र सरकार व राज्य सरकार गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रतिमान स्थापित करने की अपार संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के तहत कनीना में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भोजावास तथा महेंद्रगढ़ खंड के राजकीय उच्च विद्यालय बारडा तथा राजकीय उच्च विद्यालय श्यामपुरा के 87 शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। 29 जून को कार्यक्रम का समापन होगा।
गोर्वधन पर्वत महारास प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर
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कनीना की आवाज। धनौन्दा गांव में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान दास मोहित कौशिक ने गोर्वधन पर्वत महारास प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया। उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भागवत कथा सुनने से परिवार तथा समाज में सुख समृद्धि आती है। व्यक्ति में धर्म का पालन करने की भावना पैदा होती है और धर्म की जड़ सदा हरी रहती है। जिस प्रकार सभी नदियां समुद्र में गिरती हैं परन्तु समुद्र की चाह नहीं होती नदियां उसमें गिरें। इसी तरह सुख समृद्धि बिना बुलाए धर्मशील व्यक्ति के पास अपने आप आ जाती है।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से संशय दूर होता है। संशय आदमी को अधर में रखता है। इसलिए भागवत कथा अवश्य सुननी चाहिए। इससे समाज में सद्गुणों का विकास होता है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, वृक्ष बचाओ-वृक्ष लगाओ अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की अपील की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को छप्पन भोग प्रसाद बांटा गया। इस अवसर पर बिमला, केला, धनपती, दया, शिवकुमार स्वामी, कैलाश सेठ ने कथा आयोजन में उल्लेखनीय योगदान देकर कथा संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लिसानिया को बनाया सुशासन विभाग भाजपा का जिला सह-प्रमुख
-मिल रही हैं बधाइयां
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कनीना की आवाज। कनीना मंडी निवासी ओम प्रकाश लिसानिया को सुशासन विभाग बीजेपी हरियाणा का जिला महेंद्रगढ़ का सह- प्रमुख बनाया है जबकि प्रमुख एडवोकेट पृथ्वी सिंह यादव को बनाया गया है। ओम प्रकाश लिसानिया को बधाइयां मिल रही है।
ओम प्रकाश लिसानिया ने बताया गोविंद भारद्धाज पूर्व चेयरमैन हरियाणा कृषि उद्योग निगम लिमिटेड ,सुशासन विभाग भाजपा ने प्रदेश के सभी 22 जिलों के जिला प्रमुख एवं सह-प्रमुखों की घोषणा कर दी है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों से तालमेल करके विभिन्न कार्यों को पूर्ण करवाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीति रही है कि सभी को साथ लेकर चले और सभी का काम सही सुचारू रूप से पूर्ण हो। उनको यह पद मिलने पर विभिन्न लोगों ने बधाइयां दी है।
फोटो कैप्शन: ओम प्रकाश लिसानिया
विधानसभा चुनावों की आहट शुरू
-नये वोट बनाने का कार्य प्रारंभ
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कनीना की आवाज। प्रदेश हरियाणा के विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत विभिन्न बूथ लेवल अधिकारियों/बीएलओ को 25 जून से 4 जुलाई तक घर-घर जाकर सर्वे करने की जिम्मेदारी दी गई है।
सुनील कुमार बीएलओ ने बताया कि जिनके वोट नहीं बने हैं उनको वोट बनाना है, 1 जुलाई 2024 से अर्हता तिथि मानी गई है। किसी मृतक स्थानांतरित या डबल मतदाताओं की वोट काटनी है जिनकी गलती से कटी हुई है उनके वोट बनानी है। जिस भी बीएलओ के पास 1400 से अधिक वोट है उनमें मृतक/ स्थानांतरित/ डबल वोट दर्ज नहीं है और इस तीन प्रकार के मतदाताओं की संख्या अधिक होने की संभावना होती है। साथ में कहा गया है कि मतदाता का विवरण, जन्मतिथि पिता का नाम, यदि मतदाता सूची में गलत दर्ज है, फोटो धुंधली है या ब्लैक एंड व्हाइट है तो उसे दुरुस्त करना है। जहां मानसून दस्तक दे गया है वहीं विधानसभा के चुनाव की भी आहट सुनाई पडऩे लग गई है।
तीन लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज
-बैंक तथा रेलवे विभाग में नौकरी के नाम पर लिए 10 लाख रुपये से अधिक राशि की की धोखाधड़ी
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कनीना की आवाज। कनीना के वार्ड 7 से राजकुमार ने कनीना पुलिस में जीनियस एकेडमी नारनौल के संचालक राजेश कुमार ,संजय तथा संदीप दिल्ली के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है। जिन्होंने पुत्र एवं भांजे को बैंक तथा रेलवे में नौकरी के नाम पर 10.20 लाख रुपये की राशि ऐंठ ली है। उन्होंने अपनी राशि वापस दिलवाने की मांग की है।
राजकुमार ने कनीना पुलिस में दी गई शिकायत में कहा है कि मैं मेहनत मजदूरी करता हूं और परिवार का पालन का पोषण करता हूं। मेरा लड़का व भांजा सुनील कुमार भूषण कला जो सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते आ रहे हैं। मैंने जीनियस एकेडमी नारनौल में अपने लड़के व भांजे को कोचिंग करवाने के लिए फरवरी 2022 में
अकादमी संचालक राजेश कुमार से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि हम कोचिंग तो करवाते हैं और रेलवे महकमे में हमारी ऊपर तक पहुंच है। तेरे लड़के कोचिंग करवा कर रेलवे में भर्ती करवा देंगे इसके लिए तुम्हें 7 लाख रुपये देने होंगे और उन्होंने कहा कि तुम्हारे भांजे को बैंक की नौकरी लगवा देंगे इसके लिए 3.20 लाख रुपये देने होंगे ।मैंने लड़के और भांजे को सरकारी नौकरी की लालसा में राजेश कुमार एकेडमी संचालक को हां कर दी। इसके बाद राजेश कुमार कनीना घर पर आया और तीन लाख रुपये लेकर चला गया, साथ में मेरे लड़के भांजे को अपने साथ लेकर गया। इसके बाद राजेश कुमार चार बार कनीना आकर 50-50 हजार रुपये लेकर गया। राजकुमार का आरोप है कि संजय व संदीप ने आईआरसीटीसी रेलवे विभाग के किसी दलाल से फर्जी ज्वाइनिंग लेटर एवं फर्जी पहचान पत्र बनवाकर पंजीकृत डाक के माध्यम से घर पर भेज दिए और मेरे भांजे को बैंक में नौकरी लगवाने के नाम पर मेरे पास कनीना आकर 3.20 लाख रुपये ले गया। इसके बाद राजेश कुमार का मेरे पास फोन आया कि आपकी लड़की की ज्वाइनिंग लेटर आ गया है तो मैंने कहा कि मेरे लड़के और मेरे भांजे दोनों का ज्वाइइनिंग लेटर मुझे मिल गये हैं। इसके बाद राजेश कुमार ने कहा कि बकाया राशि अदा कर दो ताकि तुम्हारे भांजे और लड़के का प्रशिक्षण पूरा करवाया जा सके। तत्पश्चात राजकुमार ने राजेश कुमार को दो लाख रुपये दे दिए और भांजे के 3 लाख 20 हजार रुपये पहले ही दे चुका था। इस प्रकार राजेश कुमार राजकुमार की लड़की व भांजे को नौकरी लगवाने के नाम पर 10 लाख 20 हजार रुपये प्राप्त कर चुका था। राजकुमार ने कहा है कि संजय एवं संदीप इस षड्यंत्र में शामिल थे। राजेश कुमार जिसके पास मेरे लड़के को दिल्ली में छोड़कर आ गया। तत्पश्चात संदीप व संजय रेलवे विभाग में किसी दलाल से मिलकर मेरे लड़के को फर्जी तरीके से 2 महीने का प्रशिक्षण करवा दिया जो मेरे लड़के को इसमें फर्जी होने के आभास हुआ तो उन्होंने मुझे बताया। जब राजेश कुमार से संबंध में बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें किसी प्रकार का फर्जी कार्य नहीं है, प्रशिक्षण पूरा होने के बाद लड़के को रेलवे विभाग में ड्यूटी दिलवा दी जाएगी। भांजे को बैंक का फर्जी ज्वाइनिंग लेटर गुरुग्राम का दे दिया गया। उन्होंने कहा है कि मेरे लड़के और भांजे ने मुझे बताया कि इन लोगों ने ग्रुप बनाया हुआ है जो इस तरह फर्जी ज्वाइनिंग लेटर एवं फर्जी पहचान पत्र जारी करवा कर फर्जी ट्रेनिंग करवा कर लोगों से रुपए ऐंठते हैं। जिसकी जानकारी होने के बाद संदीप व संजय से मिला जिन्होंने कहा कि आपके लड़के व भांजे का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। आपके लड़के व भांजे को नौकरी का जो सेंटर होगा वहां आपके लड़के और भांजे को ज्वाइनिंग करवा देंगे लेकिन इसके बाद उन्होंने लड़के व भांजे का ज्वाइनिंग नहीं करवाया तो राजकुमार अपने लड़के और भांजे को वापस लेकर कनीना आ गया। जब राजकुमार ने राजेश कुमार से बात की कहा कि मेरे लड़के का रेलवे फर्जी ज्वाइनिंग लेटर व फर्जी पहचान पत्र बनवाया गया है मेरे साथ धोखाधड़ी और साजिश की गई है और मेरे साथ ठगी की गई है मुझे मेरे रुपए वापस दे दो तो राजेश कुमार ने कहा कि मैं संजय और संदीप से बात करके आपको बताता हूं। लेकिन इसके बाद भी राजेश कुमार ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया और रुपये वापस लौटाने के लिए कहा तो आजकल आजकल करता रहा। जब मैं रुपये वापस मांगने के लिए फोन करता हूं तो राजेश कुमार मुझे जान से मारने की धमकी देता और कहते हैं कि हमारे पास तुम्हारा कोई रुपये नहीं है। रुपये वापस मांगे या दोबारा फोन किया तो तेरे लड़के और तेरे भांजे को जान से मार देंगे। राजकुमार का आरोप है कि इस तरह ये लोग गिरोह बनाकर लोगों को ठगते हैं। राजकुमार का कहना है कि उनके पास फोन की रिकार्डिंग भी पास में है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी जिंदगी की कमाई जो डाकघर में आरडी करवा कर जमा की थी उसे निकलवाकर राजेश कुमार और दो उसके साथियों को दी थी। मेरे लड़के और भांजे को फर्जी ज्वाइनिंग लेटर एवं फर्जी पहचान पत्र जारी करके हमसे धोखाधड़ी कर दी, रुपये मांगने पर जान से मारने की धमकी मिलती है। उनका एक गिरोह है जिन्होंने कोचिंग के बहाने सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देखकर मेरे से पैसे ऐंठ लिये। उसके चलते राजकुमार के बयान पर राजेश कुमार, संजय व संदीप के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। जांच जारी है।
सरकारी सड़क या नगर पालिका की सड़क तोडऩे पर हो सकता है जुर्माना
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कनीना की आवाज। सरकार जब नई सड़क बनाती है या नगरपालिका की नई सड़क बनाई जाती है तो उसे तोडऩे के लिए आतुर रहते हैं। रातोंरात चोरी छिप्पे नल लगाने के लिए या सीवर लाइन में कनेक्शन लेने के लिए लोग बहुत जल्द सड़क को तोड़ देते हैं और तोड़कर उस तोड़ी हुई सड़क को ठीक करवाना अपनी शान के विरुद्ध समझते हैं, जो बहुत बुरी बीमारी है। यदि यूं ही सभी सड़क तोडऩे लग गए तो आने वाले समय में सड़क 2 दिन भी नहीं चलेगी। और दोष दिया जाता है सरकार या नगरपालिका को। चाहे नगरपालिका और सरकार बहुत अच्छे दर्जे की सामग्री नहीं लगाती हो लेकिन जो सड़क छह महीने चलनी चाहिए वह दो दिन भी नहीं चलती क्योंकि इंसानों की प्रवृति बन गई है कि सड़क को जल्दी से जल्दी तोड़ा जाए। बहुत से किसान तो फव्वारा पाइप भी सड़क के पास लगा देते हैं सड़क भीगती रहती है और जल्द टूट जाती है परंतु सरकार ने अब निर्णय ले रखा है कि जो भी इस प्रकार सरकार सड़क को क्षति पहुंचता है और उसे अच्छी प्रकार सीमेंट आदि से पक्का नहीं करवाता उस पर जुर्माना करने का प्रावधान है। लोग उल जलूल बकते रहते हैं परंतु सरकारी साधनों का दुरुपयोग करने में पीछे नहीं हटते, उनको यदि कोई सड़क तोडऩे वाले को कुछ बोलना चाहे तो वह लडऩे पर उतारू हो जाता है इसलिए बेईमानी बढ़ती जा रही है।
बहु औषधीय हरी सब्जी है श्रीआई
--अब भी कुछ खेतों में मिलती है, देखे यहां फोटो
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कनीना की आवाज।बुजुर्ग जहां सबसे अधिक खरीफ फसल में श्रीआई उखाड़कर लाते थे तथा प्रयोग करते थे। श्रीआई सब्जी, रायता, कोफ्ता भाजी आदि अनेक रूपों में प्रयोग करते थे जिसमें खून की कमी है उसे जरूर प्रयोग करनी चाहिए। वैसे भी इसका स्वाद जायकेदार होता है इसलिए कहीं भी मिले तो श्रीआई जरूर प्रयोग करें। आसपास क्षेत्र में श्रीआई लगभग समाप्त हो गई है। रेवाड़ी जिले के कुछ गांवों में जरूर उपलब्ध हो सकती है जिनमें जैनाबाद डहीनरा, गोठड़ा, बिसोहा आदि गांवों के खेतों में कुछ श्रीआई देखने को मिलती है। आधुनिक युवा पीढ़ी व बच्चों ने तो श्रीआई देखी भी नहीं होगी। अगर श्रीआई का पौधा देखना चाहे तो जिस फोटो श्रीआई लिखा है वह भी लाल रंग में उसे ध्यान से देखें। अगर पुदीने के फूल और श्रीआई कोई देखना भी चाहे तो डा. होशियार सिंह यादव 9416348400 से संपर्क कर सकता है। वो अपने प्लांट में लगे हुए श्रीआई के पौधे व पुदीने फूल दिखा सकते हैं। किसी को अगर थोड़ा बहुत पुदीना या रामा तुलसी का पौधा चाहिए तो लेने के लिए भी संपर्क कर सकता है। एक निश्चित समय तक ही प्लाट पर हाजिर रहते हैं।
पुदीने के फूल
बहुत कम लोगों देखेंगे पुदीने के फूल
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कनीना की आवाज। यूं तो पुदीना पेट के लिए रामबाण औषधि है। गर्मियों में तो यह एक अनमोल तोहफा है। छाछ,रायता, कोफता एवं सब्जियों में डाला जा सकता है। परंतु बहुत से लोगों ने तो पुदीने के फूल नहीं देखे होंगे। पुदीना जब पूरे यौवन पर आता है तो उसके भारी मात्रा में सफेद रंग के फूल आते हैं और सफेद गुच्छे के रूप में आते हैं। यदि पुदीने का फूल देखना चाहे तो फोटो को ध्यान से देखें जिस फोटो पर लाल रंग से लिखा है पुदीने का फूल वो पुदीने केफूल हैं। जिन जिस किसी ने पुदीने के फूल नहीं देखे हो वो आसानी से यहां पुदीने के फूल को देख सकते हैं।
ध्यान दे
समय हो गया है छतों की सफाई का
-करें वर्षा जल संरक्षण
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कनीना की आवाज। मानसून आपके दरवाजे पर दस्तक देने जा रही है, इसलिए अपने घरों एवं दफ्तरों की छतों की सफाई करवा ले। तथा जिसने भी वर्षा जल संरक्षण करना है वह घरों में या घर के आसपास गड्ढे बनवा ले ताकि वर्षा जल का संरक्षण किया जा सके। वर्षा जल को साफ ढंग से इकट्ठा करके इनवर्टर की बैटरी में डाला जा सकता है जो ज्यादा टिकाऊ रहेगी। बैटरी के जानकारों से इस संबंध में चर्चा हुई, उन्होंने बताया कि कुछ समय बारिश होने के पश्चात प्लास्टिक के आबादी में वर्षा जल संरक्षित कर ले और इसे प्लास्टिक की बोतल में ही भर के रख ले और इसे इनवर्टर की बैटरी में डालें ताकि बैटरी अधिक समय तक चलेगी।
खरीफ फसल की तैयारियों में जुटे किसान
-वर्षा आने का है इंतजार
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में दिन के समय जमकर गर्मी पड़ रही है। किसान खरीफ फसल की तैयारियों में लग गये है। करीब 20 हजार हेक्टेयर पर बाजरे की बीजाई होनी है। जुलाई माह में बाजरे की बीजाई हो जाएगी। बाजरे का एमएसपी 2625 रुपये प्रति क्विंटल किया हुआ है।
कनीना क्षेत्र में अभी भी दिन के वक्त गर्मी पड़ रही है। दिन के वक्त का तापमान 40 डिग्री के करीब रहता है जबकि बाजरे की बीजाई के लिए तापमान 35 डिग्री बेहतर माना जाता है। इस फसल के लिए कम पानी चाहिए।
उधर पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज का कहना है कि बाजरे के लिए उचित समय जून का अंतिम सप्ताह एवं जुलाई होता है। बाजरे की वर्षा होने पर बीजाई की जाती है तथा बाद में एक पानी और चाहिए। कम जल में बेहतर पैदावार देता है। उन्होंने बताया कि बीजाई के वक्त 50 किलो यूरिया तथा 25 किलो डीएपी बीजाई कर दे तथा यूरिया को बाद में भी डाला जा सकता है। बाजरे की लेट किस्में 67 दिन में तैयार हो जाती है जबकि अन्य किस्में 75 से 82 दिन में तैयार हो जाती हैं। किसान मानसून आने की इंतजार कर रहे हैं तथा खेतों की तैयारी में जुटे हुए हैं। ताकि वर्षा आते ही बीजाई कर दी जाए।
फोटो कैप्शन 01:किसान बाजरे की की बीजाई की तैयारियां करते हुए
साथ में डा देवराज कृषि अधिकारी
हरियाणा एनसीआर दिल्ली में मानसून की धमाकेदार एंट्री
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कनीना की आवाज। हरियाणा एनसीआर दिल्ली में मानसून की धमाकेदार एंट्री का आधिकारिक और औपचारिक रूप से घोषणा कर दी