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Sunday, June 30, 2024
कनीना में जून माह में दूसरी बार हुई वर्षा
-पहली बार 5 एमएम वर्षा हुई थी, रविवार को सवा नौ बजे रात तक 34 एमएम, 17 अंगुल हुई वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार शाम 7 बजे वर्षा शुरू हुई जिससे गर्मी से राहत मिली। समाचार लिखे जाने तक 34 एमएम वर्षा हो चुकी थी तथा वर्षा जारी थी।
किसान बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे थे। अब किसान अपने खेतों में बाजरे की बिजाई कर सकेंगे क्योंकि बाजरे की फसल के लिए वर्षा पर्याप्त है। सवा नौ बजे रात तक 34 एमएम वर्षा हो चुकी थी तथा वर्षा जारी थी।
शाम के समय रविवार को जब वर्षा होने लगी तो कुछ ही क्षणों में सड़कों पर पानी भर गया। गर्मी से जरूर राहत मिली वहीं किंतु किसान खुश नजर आए क्योंकि लंबे समय से किस इंतजार कर रहे थे। किसान रवि कुमार, अजीत कुमार, सूबे सिंह कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि वे बेसब्री से वर्षा का इंतजार कर रहे थे। विगत वर्ष तो इस समय तक भारी वर्षा हो चुकी थी तथा बड़ी-बड़ी फसल खेतों में खड़ी हुई थी। इस बार अभी तक फसल की बिजाई नहीं हो पाई है। संभावना है कि 1 जुलाई से बिजाई शुरू हो जाएगी। किसान खुश है वहीं बीज विक्रेता महेश कुमार, कुलदीप कुमार, बिजेंद्र आदि ने बताया कि अब तक उनका काम मंदा चल रहा था अब वर्षा होने से उनके काम तेजी से आएगी। उन्हें विश्वास है कि भविष्य में उनके बीजों की अच्छी बिक्री होगी।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि बाजरे की बीजाई के लिए 20 एमएम वर्षा का होना जरूरी है। विगत दिनों भी 5 एमएम वर्षा हुई थी उस पर अभी वर्षा जारी है। ऐसे में बाजरे की बीजाई संभव है।
फोटो कैप्शन 04: दुकानों के आगे वर्षा का खड़ा जल।
रोहतक रेडियो स्टेशन प्रसारित होने वाले कार्यक्रम हो शुरू
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कनीना की आवाज। रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम पिछले 2 माह से महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी जिलों में न सुनाई देने अथवा बंद होने के कारण इलाके के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। हरियाणा के मुख्यसचिव तथा रोहतक रेडिय़ों स्टेशन के निदेशक को ज्ञापन भेजकर बंद कार्यक्रम तुरंत चालू करने की मांग की है।
नांगल मोहनपुर, ईसराणा, ककराला, रामबास, कपूरी तथा इलाके के अनेक गांवों के लोगो से शिकायत मिली है कि पिछले 2 माह से रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम बंद हैं। उन्होंने कहा कि रोहतक रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले अनेक कार्यक्रम वृद्धों, वयस्कों, युवाओं तथा महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होते थे। इलाके के लोग बड़े चाव से रेडिय़ो पर प्रसारित होने वाले देहाती कार्यक्रम, महिला कार्यक्रम, खेल वार्ताएं, संवाद कार्यक्रम को सुनते हैं, परन्तु 2 माह से रेडियो पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रम बंद होने के कारण इलाके के लोग बहुत बैचेन तथा उदास हैं। बड़े अफसोस की बात है कि दो महीने से रेडियो स्टेशन के अधिकारी जनता की मांग की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। जब 7 दिन में नहर व समुद्र में पुल बन सकते हैं तो कार्यक्रम को चालू करने में आ रही अड़चनों को दूर क्यों नहीं किया जा रहा है। यह सोचनीय विषय है।
बुजुर्गों की सोच अच्छी थी
-जहां कुत्ता मूतता है वहां पैदा होते कुकुरमुत्ता
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कनीना की आवाज। अक्सर बुजुर्ग बताते थे कि कुकुरमुत्ता जिसे सांप की छतरी/छत्रक खुंबी, खुंभ, मशरूम और न जाने कितने नामों से जाना जाता है, एक गले सड़े और मृत पदार्थों पर पैदा होती है। यह ऐसा पौधा है जिसका रंग हरा नहीं होता क्योंकि इसमें क्लोरोफिल नहीं होता। बिना क्लोरोफिल वाले गिने चुने ही पौधे होते हैं। ऐसे ही एक पौधा सरसों का मामा सरसों के पौधों के बीच पाया जाता है। बुजुर्ग बताते कुकुरमुत्ता का अर्थ है जहां कुत्ते मूतते हो अर्थात गंदगी वाले स्थान पर कुकुरमुत्ता उगते रहे हैं। यह सत्य भी है। यद्यपि यह प्रोटीन और विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। वैसे तो विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से नसीब होता है किंतु कुकुरमुत्ते से भी प्राप्त हो जाता है। पकाने में बहुत कम समय लगता है और विभिन्न कैंसर की बीमारियों से मशरूम बचाती है किंतु बगैर सोचे समझे हर प्रकार की मशरूम को नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ बहुत जहरीले मशरूम भी होती है। कनीना में वर्षों पहले एक विज्ञान शिक्षक का जिसने अपनी पत्नी को मशरूम के विषय में बता दिया था परिणाम यह निकला कि उसकी पत्नी जो खुद शिक्षिका थी, ने छत्रक तोड़कर खा लिए और बेहोश हो गई,उसे अस्पताल भर्ती करवाना पड़ा था। वर्तमान में वह शिक्षक अब रेवाड़ी में रहते हैं। इस प्रकार बगैर सोचे समझे छत्रक को नहीं खाना चाहिए परंतु बुजुर्गों को हर चीज का ज्ञान था। इसलिए उन्होंने छत्रक को कुकुरमुत्ता नाम दिया था। अक्सर कोई चीज तेजी से बढ़ती हो तो उससे भी कुकुरमुत्ता कहते हैं। जैसे प्राइवेट बसें कुकुरमुत्ता की तरह बढ़ रही है ऐसा बोला जाता है क्योंकि एक स्थान पर अनेकों कुकुरमुत्ते एक के बाद एक उत्पन्न होते चले जाते हैं। बुजुर्ग ज्ञानवान थे और उनकी दी शिक्षाएं आज भी अमल में लाई जा सकती है।
फोटो कैप्शन 04: जिस फोटो पर कुकरमुत्ता लिखा हुआ है ध्यान से देखें जो डफली की तरह नजर आती है।
राष्ट्रीय मजाक दिवस -1 जुलाई
हंसना,हंसाना एक कला है- अमृत सिंह
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कनीना की आवाज। हंसना और हंसाना दोनों कला हैं। यदि इंसान हंसना जानता है तो समझो उसके सभी रोग दूर हो जाते हैं। सभी अंग प्रफुल्लित हो जाते हैं और हंसाना भी एक कला है। हंसने एवं हंसाने के लिए अनेकों तरीके अपनाए जाते हैं किंतु सबसे आसान तरीका है जोक्स सुनाना। कुछ लोग बातें इस प्रकार से करते हैं कि उनकी हर बात में अंदाज हंसाने वाला होता है।
अक्सर खुशी के अवसर पर विभिन्न प्रकार के चुटकुले जोक्स सुनाएं जाते हैं। जोक्स एक लिखित या मौखिक व्याख्यान है जो मनोरंजन करता है। 1900 तक के प्रमाण मिलते हैं कि जोक्स सुने जाते रहे हैं। जोक्स एक अच्छी दवा है इसलिए आसपास के लोगों के चुटकुले सुनाकर जोर से हंसाना चाहिए। एक चुटकुला प्रतियोगिता भी आयोजित होना चाहिए ताकि हंसते रहे। व्यावहारिक मजाक करने की बात सोचनी चाहिए। एक अनुमान है है कि जीरो से 4 वर्ष के बच्चे प्रतिदिन 200 से 300 बार हंसते हैं जबकि वयस्क 4 से 20 बार हंसते हैं। जितनी देर हंसा जाए उतना ही लाभ होगा। बाबा रामदेव तो हंसने पर जोर देते हैं और कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा हंसने से लाभ होता है। इसी प्रकार डाक्टर भी मानते हैं की हंसी खुशी से इंसान स्वस्थ रहता है। इस संबंध में कुछ गुदगुदाने वाले और हंसाने वाले लोगों से चर्चा की गई।
**हंसना बड़ी कला है। कई बार इस प्रकार से चुटकुले और जोक्स पेश किए जाते हैं कि अगला व्यक्ति हंसने को मजबूर हो जाता है। चुटकुला प्रतियोगिता भी आयोजित होनी चाहिए ताकि इस बहाने लोग हंस भी सके और अव्वल रहे चुटकुले को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए। चुटकुले वाली किताबें पढ़े और पसंदीदा चुटकुलों को परिवार दोस्तों के साथ साझा करना चाहिए। हंसना बहुत बड़ी कला है।
-- सूबे सिंह शिक्षक एवं जाक्स में माहिर
शिक्षण कार्य और रागिनी के लिए जाने जाने वाले अमृत सिंह का कहना है कि वे दिन रात हंसाने की कला एवं तरीके सोचते रहते हैं कि सि प्रकार दर्शकों को हंसाया जाए। अक्सर रागिनी से पहले उनको हंसाया जाता है ताकि रागिनी पर अच्छी प्रकार ध्यान दें। विद्यार्थियों को भी पढ़ते समय बीच-बीच में हंसाना चाहिए ताकि पढ़ाई की निरसता दूर की जा सके। जोक्स अच्छी कला है और उसे कहने का अंदाज अच्छा हो तो सभी लोग हंसने को मजबूर हो जाते हैं।
-- अमृत सिंह शिक्षक एवं रागिनी गायक
हंसाने में बहुत सोच विचार कर और अच्छी बातें एवं सामाजिक बातें ही बोलनी चाहिए ताकि माहौल बेहतरीन बन सके। परिवार के लोग भी बैठे होते हैं तथा छोटे-बड़े सभी बैठे होते हैं। इसलिए जोक्स ऐसे हो ताकि हर इंसान को गुदगुदाने के लिए मजबूर कर दे। हंसाना लंबे समय तक अभ्यास करने के बाद कला हासिल हो सकती है। यह कला शुद्ध भारतीय कला है और इससे हर इंसान को हंसाया जा सकता है।
-- पवन कुमार रागिनी गायक एवं जोक्स सुनने में मशहूर
फोटो कैप्शन: सूबे सिंह, अमृत सिंह, पवन कुमार
राष्ट्रीय डाक सेवक दिवस-एक जुलाई
डाक वितरण के साथ-साथ कर रहे हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रचार
-साइकिल पर प्रतिदिन 20 किलोमीटर सफर तय कर घर घर जाते डाक बांटने
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कनीना की आवाज। कनीना उप-डाकघर में कार्यरत राजेंद्र सिंह पोस्टमैन बेशक करीब 65 वर्षीय हो किंतु आज भी साइकिल पर 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके डाक वितरण का काम कर रहे हैं लेकिन वे डाक बांटने के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को साकार करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपने सीने पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बिल्ला लगाया हुआ है। और न केवल बिल्ले को लगाते ही है अपितु लोगों से अपील भी करते हैं कि बेटियों को पढ़ाया जाए। यह दो परिवारों में एकता कायम करने का जरिया होती है। यद्यपि कोरोना काल में लोग घरों में छिपे हुए थे तब भी पोस्टमैन घर घर जा रहे थे और डाक बांटने का कार्य कर रहे थे। राजेंद्र सिंह पोस्टमैन ने बताया कि उनके दो बेटियां हैं। इंदिरा 1986 में जन्मी तथा रेनू 1991 में जन्मी है। एक लड़का भी है किंतु वे लड़कियों के लालन-पालन और उनकी देखरेख करने का प्रचार कर रहे हैं। अभी सेवानिवृत्ति में कुछ समय बाकी है। उन्होंने कड़ी धूप में डाक बांटते हुये बताया कि वे जिस घर में भी जाते हैं उस घर में डाक वितरण के साथ-साथ बेटियों के बारे में जरूर जानकारी हासिल करते हैं और बेटियों की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं।
एक और जहां कोरोना काल में भी वे कोरोना से कभी नहीं डरे कोरोना योद्धा के रूप में कार्य किया है वही हमेशा साइकिल पर ही डाक वितरण करते हैं।
उन्होंने बताया कि जब सरकार इस नारे को साकार करने में जुटी हुई है तो हम सभी का फर्ज बनता है कि हम भी इस नारे को साकार करें। यही कारण है कि वह खुद भी इस कार्य में जुटे हुए हैं। उनको यकीन है कि एक दिन वो जरूर आएगा जब लड़कियों की कदर लड़कों से कम नहीं आंकी जाएगी।
कोरोना काल में भी किया 5 घंटे डाक वितरण का कार्य -
बेशक कोरोना काल में कोई घर से बाहर न निकलना चाहता हो किंतु राजेंद्र पोस्टमैन सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक तैनाती देते थे। यहां तक कि कम से कम प्रतिदिन 100 लोगों से मिलते थे और 20 किलोमीटर दूरी प्रतिदिन साइकिल से तय करते रहे हैं।
उन्हें कम से कम सैकड़ों लोगों से उस वक्त मिलना पड़ता है जब उनकी डाक देकर हस्ताक्षर आदि करवाकर लाने पड़ते हैं। ऐसे में इन लोगों को कड़ी मेहनत और बुरे वक्त के दौर में भी सेवा निभानी पड़ी है। बेशक गत दिनों उनकी सेवानिवृत्ति हो चुकी है किंतु उनकी बेहतर सेवाओं के चलते कुछ समय डाकघर ने उन्हें और मौका दिया है।
फोटो कैप्शन 02:पोस्टमैन राजेंद्र सिंह डाक बांटते हुए।
राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस एक जुलाई
चिकित्सक दूसरा भगवान माना जाता है
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कनीना की आवाज। एक जुलाई को राष्ट्र्रय चिकित्सक दिवस मनाया जा रहा है। डाक्टरों का योगदान अहं होता है। कहावत है कि भगवान के बाद अगर किसी का नाम आता है तो वो डॉक्टर होते हैं। डाक्टर दिन-रात अपने परिवार की ओर कम ध्यान देकर चिकित्सकों मरीजों पर अधिक ध्यान देते हैं। वो सच्चे भक्त कहलाते हैं। भक्तों को सैनिक माना गया है। डााक्टर सीमा पर तो नहीं लड़ते परंतु बीमारियों से पीडि़त लोगों की जान बचाते हैं। समाज के महत्वपूर्ण होते हैं। उनके बलिदानों को सदा याद रखना चाहिए। प्रसिद्ध डॉक्टर विधान चंद्र राय के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है जो पिछले 33 वर्षों से मनाया जा रहा है।
क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग एवं समाजसेवी-
डाक्टर अपनी जान को जोखिम में डालकर मरीजों की जान को बचाते हैं। ये किसी गंभीर हालात में मरीज आता है उसको भी बड़ा ध्यान से देखकर इसकी सेवा करते हैं। उनका कार्य महान होता है। उनको इस दिन याद करना चाहिए।
---संदीप कुमार,कनीना समाजसेवी
डाक्टर एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षा के समर्थक जैसी कई भूमिका निभाते है। दूसरों को खतरे से बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर सकते हैं। उनके जीवन महान कार्य को हमें कभी नहीं भुलाना चाहिए जो दूसरों की भलाई में सदा समर्पित रहते हैं।
--अजीत कुमार, झगड़ोलह
डाक्टर बड़ी भूमिका निभाते हैं ताकि इंसान बीमारियों से मुक्त रहे, लंबी उम्र जीए और उनका कार्य एक महान सैनिक के बराबर होता है। दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। अपने कर्तव्य निभाने के लिए वह अपने जीवन की भी बलि चढ़ाने से नहीं चूकते। लाखों मरीजों को प्रतिदिन डॉक्टर बचाते हैं। ऐसे में उनके महान योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
--डा जितेंद्र मोरवाल,कनीना
डाक्टर को मरीजों की बीमारी दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। अपनी जान की परवाह न कर मरीज की जिंदगी बचाने में कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए। डाक्टर को अपनी जिम्मेदारी को बखूबी से समझना चाहिए और सदा यह सोच कर कि उनके हाथों से कोई मरीज बच जाए सेवा करनी चाहिए।
--डा सुंदरलाल एसएमओ कनीना
फोटो कैप्शन: संदीप कुमार, अजीत कुमार झगड़ोली, जितेंद्र मोरवाल, डा सुुंदरलाल एसएमओ
कनीना कालेज की 1200 सीटों पर अभी तक आये 2150 आवेदन,कामर्स के प्रति रुझान घटा
-उन्हाणी कालेज की 360 सीटों पर अभी तक 430 आवेदन
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल में 2 सरकारी कालेज हैं। कनीना के सरकारी कालेज में 1200 सीटें स्नातक स्तर की है जबकि उन्हाणी के कन्या कालेज में 360 सीटें निर्धारित की गई है। प्रवेश नोडल अधिकारी डा. विनोद यादव तथा प्राचार्य डाक्टर सुरेंद्र सिंह यादव राजकीय महाविद्यालय कनीना ने बताया कि कनीना कालेज में 640 सीटें बीए की, 320 सीटें बीएससी फिजिकल साइंस, 80 सीटें बीएससी मेडिकल और 160 सीट बीकाम की निर्धारित की गई है जिनके लिए 706 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं जिनमें बीए के 1322 आवेदन, बीएससी फिजिकल साइंस 493 आवेदन, बीएससी मेडिकल के 204 आवेदन तथा बीकाम के लिए 131 आवेदन प्राप्त हुये हैं। उधर राजकीय महाविद्यालय उन्हाणी के प्राचार्य विक्रम सिंह यादव ने बताया कि उनके यहां कालेज में 240 सीटें बीए पर 289 आवेदन आ चुके हैं। बीएससी नान मेडिकल के 80 सीटों पर 109 तथा बीकाम की 40 सीटों पर 32 आवेदन आ आये। आनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून थी। आगामी कार्रवाई विश्वविद्यालय करेगा। विज्ञान स्नातक के लिए रुझान अधिक देखने को मिल रहा है। बीकाम के लिए दोनों ही कालेजों में रुझान कम देखने को मिला है।
फोटो कैप्शन:राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी।
अंतरराष्ट्रीय फल दिवस -1 जुलाई
सेहत का राज छुपा है फलो में
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कनीना की आवाज। फलों का नाम लेते ही खट्टे मीठे अनेक प्रकार के फलों की याद ताजा हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस भी एक जुलाई को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस फलों के महत्व को दर्शाता है। प्राचीन समय से ही इंसानों का फलों से यह लगाव रहा है इसलिए जहां कहीं मधुर मधुर फिर मिलते हैं इंसान प्रसन्नचित मिलता है। यूं तो हर देश में अपने अलग-अलग प्रकार के फल होते हैं किंतु कुछ ऐसे फल है जो पूरे ही विश्व में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ फल निम्र हैं।
जिनमें केला एक फल है। केला हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है इसलिए से पूजा विधान तथा विभिन्न शहरों में वितरित किया जाता है इसमें पोटैशियम अधिक मिलता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है। महाराष्ट्रकेले के लिए मशहूर है जिसे भारत का केले का शहर नाम से जाना जाता है। अनार एक ऐसा फल है सभी फलों का शाही ताज कहलाता है। अनेक लोकोक्तियां भी इस आधार पर बनाई हुई हैं। प्राचीन समय से लोग भी अनार से परिचित थे। यह जीवन उर्वरता, समृद्धि, प्रचुरता का प्रतीक है। आम फलों का राजा आम पूरे विश्व में पाया जाता है। प्राचीन काल में इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। यह देवताओं पर अर्पित किया जाता रहा है। पौराणिक कथाओं में भी कहा गया है कि आम पेड़ की पत्तियां अनेकों स्थानों पर प्रयोग की जाती है। इसके लाभ के दृष्टिगत इसकी दूरदराज खेती की जाती है। अंगूर एक शराब का फल एवं उर्वरता, प्रचुरता, धन का प्रतीक माना जाता है। अंगूर खाने के लिए सबसे अहम माना जाता है। महाराष्ट्र राज्य अंगूर के लिए प्रसिद्ध है। नारियल एक ऐसा फल है जो सिर्फ श्रीफला नाम से जाना जाता है। भगवान के प्रतीक का फल नारियल है। सभी जगह से अर्पित किया जाता है। नारियल का जल देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है।
क्या कहते हैं लोग फलों के गुणों के बारे में ? क्या कहते हैं वैद्य-
फलों के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। ऐसे में 1 दिन में कम से कम 2 फल और मौसमी सब्जियां भोजन में शामिल करनी चाहिए। रोजाना फल खाने चाहिए क्योंकि फलों में विटामिन खनिज, फाइबर बहुत अधिक मात्रा में मिलते हैं। फल दिल की बीमारी, कैंसर, मधुमेह आदि बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।
--वैद्य श्रीकिशन
फलों में एंटी वायरल गुण पाया जाता है। विटामिन, खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अतिरिक्त पोटैशियम भी मिलता है । फाइबर और पानी शरीर के लिए सेहतमंद होते हैं। फल शरीर को हर प्रकार से रोगों से बचाते हैं। दिल की बीमारी को केला, संतरा और खरबूजा बहुत लाभप्रद माने जाते हैं। फलों का भोजन में जरूर सेवन करना चाहिए।
-- वैद्य बालकिशन शर्मा करीरा
फोटो कैप्शन: बालकिशन एवं श्रीकिशन शर्मा करीरा वैद्य
त्रिवेणी लगाकर की पौधारोपण अभियान की शुरुआत
-मनोज कुमार रामबास ने चलाया अभियान
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कनीना की आवाज। पर्यावरण संरक्षण व पौधारोपण अभियान में लगे गांव रामबास के युवाओं ने हर परिवार एक पौधा मुहिम के तहत आज त्रिवेणी लगाकर इस मुहिम की शुरुआत की।
मनोज कुमार रामबास ने बताया कि हमारा गाव पर्यावरण संरक्षण व पौधारोपण में बढ़ चढ़ कर भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। आज हमने हर परिवार एक पौधा मुहिम के तहत त्रिवेणी लगाई है। यह त्रिवेणी दादा ईश्वर ने अपने पूर्वजों की याद में लगई है , उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सिर्फ पौधारोपण ही एक उपाय है , इस वर्ष जुलाई महीने में चलने वाले पौधारोपण अभियान मे ंगाव के सामूहिक सहयोग से 500 पौधे पूरी सुरक्षा व पानी की व्यवस्था के साथ लगाये जायेंगे। एक पौधा जब पेड़ बनता है तो सैकड़ों जीव जंतुओं का भोजन व आश्रय स्थल बनता है , लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन को रोकने मे मददगार होता है।
इस मौके पर ईश्वर , कृष्ण साहब, राजेंद्र बाबुजी , मनोज रामबास , अमित , सचिन व देवा मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: रामबास में त्रिवेणी लगाते हुए मनोज कुमार एवं अन्य।
आहट सुनाई पडऩे लगी है विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन की
-वर्ष 2026 में होगा पुनर्गठन
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कनीना की आवाज। जब जब विधानसभा चुनाव आते हैं तब तब कनीना को अपने दुर्भाग्य पर तरस आता है। कभी कनीना भी विधानसभा क्षेत्र होता था और कनीना से चुना गया प्रतिनिधि क्षेत्र का विकास करवाता था। वर्ष 1972 के चुनावों के बाद भी कनीना विधानसभा क्षेत्र था। अब एक बार फिर से विधानसभा पुनर्गठन की आहट सुनाई पडऩे लगी है। वर्ष 2026 में विस का पुनर्गठन होना है। कनीना को इस बार विधानसभा का फिर से दर्जा मिलने की पूरी आश है।
उल्लेखनीय कभी पंजाब सरकार में कनीना से सूबेदार ओंकार सिंह मंत्री हुआ करते थे जिन्होंने कनीना के पशु अस्पताल का निर्माण करवाया था। उस वक्त कनीना के सूबेदार ओंकार सिंह की धाक होती थी। तत्पश्चात 1962 कनीना सुरक्षित विधानसभा से बनवारीलाल जनसंघ से चुनाव लड़े और वे चुने गए। इसके बाद हरियाणा का गठन हुआ और कनीना विधानसभा से वर्ष 1967 में राव दिलीप सिंह, वर्ष 1968 के चुनावों में राव दिलीप सिंह और वर्ष 1972 के चुनावों में फिर से राव दिलीप सिंह चुने गए थे।
वर्ष 1977 के चुनावों में कनीना विधानसभा क्षेत्र को तोड़कर जाटूसाना में मिला दिया गया था। इस प्रकार जिला महेंद्रगढ़ एवं सियासत रेवाड़ी जिला के तहत आती थी। वर्ष 1977 से 2008 तक कनीना जाटूसाना विधानसभा के तहत आता रहा किंतु वर्ष 2009 के चुनावों में इसे अटेली विधानसभा के तहत शामिल कर दिया गया और आज तक कनीना को उसका न्याय नहीं मिल पाया।
कनीनावासियों ने हलकों के पुनर्गठन के वक्त जब जाटूसाना से कनीना को अटेली में मिलाया जाने लगा तो भारी संघर्ष किया। यहां तक की कनीना-अटेली नाम से विधानसभा का नाम दिए जाने की मांग उठी किंतु कनीना को उसका हक नहीं मिला। यह माना जाता था कि कभी कनीना विधानसभा होता था उसे पुन:बहाल किया जाएगा किंतु नांगल चौधरी को हलका बना दिया गया किंतु कनीना नहीं।
क्या कहते हैं कनीना के प्रमुख जन-
**कनीना को विधानसभा का हक मिलना जरूरी है। 2026 में हलकों को पुनर्गठन होना है तब कनीना एक विधानसभा क्षेत्र होगा क्योंकि हलकों की संख्या प्रदेश में बढ़ाने की पूरी संभावना है। कनीना का यह पुराना हक है।
--सज्जन सिंह,कनीना
कनीना हलका तोड़े जाने का बेहद मलाल है। कनीना हलका होता तो विकास कार्यों में तेजी आती और कनीना क्षेत्र से जीत हासिल करने वाला नेता आस पास का होता। कनीना को इस बार हक जरूर मिलना चाहिए।
--राज कुमार,कनीना
जब प्रदेश में हलकों की संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई तो कनीना का हक क्यों छीन लिया गया् इसका हक इसे मिलना ही चाहिए जिसके लिए भरसक प्रयास किये जाएंगे। वैसे भी कनीना को इसका हक इस बार मिलने के पूरे आसार हैं।
--भीम सिंह, कनीना।
फोटो कैप्शन: भीम सिंह, सज्जन सिंह एवं राज कुमार।
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