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Monday, June 10, 2024


 

पूर्व एसपी मातादीन का 87 वर्ष की उम्र में निधन
--जसवंत सिंह बबलू भाजपा नेता के पिता थे
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कनीना की आवाज। जसवंत यादव  बबलू पूर्व प्रदेश मंत्री भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के पिता मातादीन यादव (सेवानिवृत्त एसपी ) का इलाज के दौरान सोमवार को गुरुग्राम के आर्टिमिस अस्पताल में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कनीना में मंगलवार सुबह 9 बजे बस स्टैंड के पास स्थित बाबा मोलडऩाथ आश्रम के सामने शमशान घाट में किया जाएगा। बबलू की माता जी सजनी देवी का 17 वर्ष पहले ही निधन हो चुका है। मातादीन साहब अपने पीछे दो पुत्र जसवंत एवं हरीश, एक पुत्री, चार पोते सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। वे कनीना शिक्षा समिति के सचिव भी रहे हैं।  उनके पौत्र एवं दोहते, दोहती आस्ट्रेलिया, कनाडा में रहते हैं। कनीना में शोक की लहर है। जसवंत सिंह बबलू अपने जमाने के प्रसिद्ध भाजपा नेता हैं।
फोटो कैप्शन: पूर्व डीएसपी मातादीन।



शिक्षा विभाग में नहीं लगता इस वर्ष होंगे तबादले
-कई जंजाल मुंह बाये हैं खड़े
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कनीना की आवाज। यद्यपि हरियाणा सरकार और विभिन्न संघ जुलाई -अगस्त महीने में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की तबादलों के पक्ष में हैं किंतु परिस्थितियों इस प्रकार की बनती जा रही है कि शायद ये बदलियां नहीं हो पाएंगी। एक और जहां सरकार अपनी खराब साख को मिटाने के लिए भरसक प्रयास करेगी कि ये तबादले हो ताकि कर्मचारी खुश हो जाए जो कि कर्मचारी अभी तक नाखुश हैं। अगर तबादले हो जाते हैं तो हो सकता है कुछ कर्मचारी खुश हो जाए परंतु इतने ही कर्मचारी जिनकी दूर दराज बदली होगी नाखुश हो जाएंगे। यही नहीं इस बार 8 नगर निगमों एवं 22 नगर पालिकाओं के चुनाव भी मुंह बाये खड़े हैं। अगर नगर पालिकाओं के चुनाव होते हैं तो यह तबादले एक बार फिर से रुक जाएंगे और विधानसभा चुनाव फिर आगे मुंह बाये खड़े मिलेंगे। इसके बाद नए सत्र 2025 में ही ये बदलियां हो पाएंगे, अभी तक सभी शिक्षक आश्वस्त है कि शायद इस बार बदलियां हो जाए? विगत वर्ष जहां बदलिया ऐन मौके पर रोक दी गई थी बिना किसी कारण से रोक दी गई थी। इस प्रकार नहीं लगता कि बदलियों की राह आसान हो फिर भी जब तक सांस तब तक आश। आज कर्मचारी लगातार प्रयासरत है कि किसी प्रकार उनके तबादले हो जाए और वह अपने घर के पास पहुंच जाए। अब देखना है कि सरकार क्या ये तबादले इस वर्ष कर पाती हैं? अगर यह तबादले अगस्त महीने तक नहीं हो पाए तो आचार संहिता लग जाएगी और चुनाव विधानसभा चुनाव में फंस जाएंगे, इससे पहले भी नगर पालिका के चुनाव अगर होते हैं तो तबादले रुक जाएंगे। इन परिस्थितियों के चलते नहीं लगता कि शिक्षकों के तबादले होंगे। अब देखना है कि सरकार और शिक्षा विभाग किस प्रकार ये तबादले करता है या अपनी योजना में असफल होते हैं।




कनीना में 6 जोहड़ों की हो खोदाई, अमृत सरोवर योजना सिरे नहीं चढ़ पाई कनीना में
-कनीना की गलियों को जलमग्र करने में इनका अहम रोल
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कनीना की आवाज। दिनोंदिन भूमिगत जल कम होता जा रहा है। कनीना को पहले ही डार्क जोन घोषित किया हुआ है किंतु पेयजल और भूमिगत जल को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। कनीना के जोहड़ गंदे पानी से लबालब भरे खड़े हैं। हर वर्ष कनीना की गलियों को जलमग्र करने में जोहडों का अहं योगदान रहा है। सरकार को भारी क्षति उठानी पड़ी है।
जोहड़ों की हो खोदाई-
कनीना क्षेत्र में करीब छह जोहड़ पानी से भरे रहते हैं। इन जोहड़ों की खोदाई की जरूरत है। कनीना के दो प्रमुख जोहड़ होलीवाला और कालरवाली जोहड़ लबालब पानी से भरे हैं।  खोदाई न होने और जल की को सही ढंग से न सहेजे जाने के कारण गंदा जल दूर-दराज तक फैल रहा है और सैकड़ों हरे पेड़ों को लील लिया है। अमृत सरोवर योजना के तहत राशि तो मंजूर है किंतु अमृत सरोवर नहीं बन पाये हैं। पालिका के पूर्व प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनके समय में जोहड़ों की खोदाई एवं अमृत जल योजना के तहत राशि मंजूर हो चुकी थी किंतु आ नहीं पाई जिसके चलते किसी भी तालाब को अमृत सरोवर नहीं बनाया जा सका।
विगत 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में जलस्तर गिरता ही जा रहा है। कभी 20 मीटर गहराई पर होता था जो अब 70 मीटर गहरा जा चुका है। पूरा जिला महेंद्रगढ़ ही डार्क जोन घोषित हो चुका है। दिनोंदिन जल का दोहन हो रहा है किंतु जल की आपूर्ति जो वर्षा से होती है वो घटती ही जा रही है। करीब 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में हुई वर्षा पर नजर डाले तो पता चलता है कि वर्ष 1995 व 1996 में कुछ वर्षा हुई जबकि अन्य वर्ष अल्प वर्षा हुई है।
नालियों में बहा रहे हैं जल-
कनीना क्षेत्र ही नहीं अपितु आस पास के लोग पेयजल से गाडिय़ां धोते, नालियां साफ करते, भैंस को नहलाते देखे जा सकते हैं और पेयजल से गलियों को साफ करते है। भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। यू ही जल का दोहन हुआ तो जल पाताल में पहुंच जाएगा। नुकसान की ओर नजर डाले तो कस्बे के दोनों जोहड़ों ने यहां तीन दर्जन बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ों को लील लिया है। जोहड़ों में तीन दर्जन विशालकाय पेेड़ समा गए हैं, वही अभी भी आधा दर्जन पेड़ सूखे खड़े हुए हैं। इन जोहड़ों के कारण विगत समय में जहां होलीवाला सड़क मार्ग, कालर वाली जोहड़ से जहां रेवाड़ी सड़क मार्ग को क्षतिग्रस्त कर लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया है परंतु सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के आधुनिकीकरण किए जाने के बाद ही यह समस्या संभव हो सकती है।
 जब कभी वर्षा होती है तब ये जोहड़ गंदे पानी से भरे जानलेवा साबित हो सकते हैं। ऐसे में इन जोहड़ों की समस्या का समाधान करना जरूरी बन गया है। एडवोकेट पंकज यादव बताते हैं कि होलीवाला जोहड़ ने तो मुख्य सड़क मार्ग से आवागमन बंद करने में कसर नहीं छोड़ी है। यह जोहड़ आफत बन जाता है। इस संबंध में विभिन्न अधिकारियों से बात की गई जिनके विचार निम्र हैं-
*** होलीवाला जोहड़ के गंदे पानी और गाद को निकालने के लिए प्रस्ताव पास किया जा चुका है। 20 दिनों में टेंडर छोड़कर इसके जल को निकाल दिया जाएगा ताकि वर्षा के समय जोहड़ का पानी आस पास न फैल पाए।
 --जयबीर सिंह जेई,कनीना पालिका
अमृत सरोवर के लिए अभी तक कोई राशि नहीं आई है वरना इस जोहड़ की कायाकल्प की जा सकती है। सरकार से इस संबंध में बात की जाएगी।
  ---सीताराम विधायक अटेली
सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की हालात सुधार दी गई है। पांच मोटरें लगा दी गई हैं जो कनीना कस्बा के गंदे जल को खींचकर पीपलवाली बणी में गंदे जल को पहुंचाएंगी जहां पानी साफ कर किसानों को उपलब्ध हो पाएगा। ये मोटर दो हजार से 6 हजार लीटर पानी एक मिनट में खींच सकती हैं। इस बार जोहड़ों की समस्या नहीं आएगी। उनका पानी खींचकर एसटीपी तक ले जाया जाएगा और वर्षा का जल इन जोहड़ों में संचित हो जाएगा।
--नरेंद्र सिंह एसडीओ जनस्वास्थ्य विभाग
फोटो कैप्शन 7 व 8: होलीवाला जोहड़ कनीना
साथ में नरेंद्र सिंह एसडीओ जनस्वास्थ्य विभाग




 भाजपा को मजबूती देने वाले दक्षिणी हरियाणा के साथ इस बार भी सौतेला व्यवहार क्यों
-6 बार के सांसद को केवल राज्यमंत्री, 3 बार के सांसद को कुछ नहीं और 1 बार के सांसद को सीधा कैबिनेट मंत्री
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कनीना की आवाज। देश में सरकार और उनके मंत्रीमंडल गठन में हर बार की तरह इस बार भी दक्षिण हरियाणा के साथ भेदभाव किया गया है। अगर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर , पक्ष-विपक्ष, राजनीतिक पार्टियां सब भूलकर सिर्फ दक्षिणी हरियाणा के हक की बात की जाए तो आज दक्षिणी हरियाणा की जनता अपने आप को भाजपा राज में ठगा हुआ सा महसूस कर रही है। पिछले 10 सालों की तरह इस बार भी दक्षिण हरियाणा की जनता ने भाजपा के उम्मीदवारों को जीताकर विधायक व सांसद बनाकर भेजा है, लेकिन जब दक्षिण हरियाणा के प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो दक्षिण हरियाणा के साथ हमेशा भेदभाव किया जाता रहा है।
 मोदी कैबिनेट में हरियाणा प्रदेश से सबसे अधिक 6 बार सांसद चुने जा चुके सांसद राव इंद्रजीत को केवल राज्यमंत्री बनाया गया है। वहीं दक्षिण हरियाणा की महेंद्रगढ़-भिवानी लोकसभा सीट से पिछली तीन बार से लगातार सांसद चुने गए चौधरी धर्मबीर सिंह को पिछले दो कार्यकाल की तरह इस बार भी खाली रखा गया है, यानि कुछ नहीं दिया गया, जबकि दक्षिण हरियाणा की जनता ने भाजपा के कठिन समय में भी चौधरी धर्मबीर सिंह को सांसद बनाकर संसद भेजा है। वहीं बात की जाए मनोहर लाल की तो वे पहली बार सांसद चुने गए हैं और पहली बार में ही उनको सीधा कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। इससे पहले भी मनोहर लाल को पहली बार विधायक चुने जाने पर ही मुख्यमंत्री बना दिया गया था। इस प्रकार भाजपा सरकार ने दक्षिण हरियाणा के साथ भेदभाव करने का काम किया है। सरकार भले की दक्षिणी हरियाणा का हितैषी होने का दिखावा करती रही हो, लेकिन जब बात प्रतिनिधित्व की आती है तो हर बार दक्षिणी हरियाणा की अनदेखी कर दी जाती है।




 खेल महाकुंभ के लिए बच्चों की चली ट्रायल
--भीषण धूप में कुछ कपड़ों में ही दिया ट्रायल
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कनीना की आवाज। हरियाणा राज्य क्षेत्रिय खेल महाकुंभ आगामी 18 जुलाई से शुरू होने जा रहा है जिसके चयन को लेकर हर जिले में विभिन्न गेम कराए जा रहे हैं जिसमें जिला महेंद्रगढ़ में 24 गेम चल रहे हैं जिसमें  फुटबाल प्रतियोगिता की चयन  ट्रायल कनीना के निकटवर्ती ग्राम धनौंदा में संजू कोच तथा कपिल व प्रदीप की देखरेख में चल रही है। ट्रायल देने आए खिलाडिय़ों का कहना है कि यह चयन प्रतियोगिता सुबह 7 बजे से  शुरू कराई जानी चाहिए थी लेकिन यह प्रतियोगिता की ट्रायल लगभग 10 के बाद शुरू की गई जिसमें ट्राई देने आए लगभग 34 खिलाडिय़ों  ने मात्र 15 मिनट ग्राउंड में अपना प्रदर्शन दिखाया उसके बाद ट्रायल गेम समाप्त कर दिया गया यहां गौरतलब है कि इतनी भारी गर्मी के बावजूद इस तरह की ट्रायल लेना 10 न्यायोचित  नहीं है। प्रत्यक्षदर्शियों का यह भी कहना था की ट्रायल देने आए कुछ फुटबाल खिलाडिय़ों के शरीर पर कपड़े भी नहीं थे। यहां गौरतलब यह भी है कि जिन फुटबाल खिलाडिय़ों की चयन प्रतियोगिता ट्रायल यहां कराई गई उनको मात्र 15 मिनट का टाइम ही दिया गया जिस के कारण खिलाड़ी मायूस होकर के  लौट गए जब इसके बारे में ट्राई देने आए कुछ खिलाडिय़ों से बात की गई तो उनका कहना था क्या करें सर इतनी धूप में आदमी चल नहीं सकता तो हम ट्रायल कैसे दे सकते हैं? लेकिन हमारी मजबूरी है की ट्राई लेने वाले कोच साहब के आदेश हैं के ट्रायल देनी ही पड़ेगी। यहां मजेदार बात यह भी है इतनी भारी गर्मी में हर व्यक्ति का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है वही इस तपती दुपहरी में खेल महाकुंभ के लिए धनौंदा में फुटबाल की ट्रायल ली जा रही है । जब इस बारे में ट्राई लेने आए कोच साइन बानो से बात की गई तो उनका कहना था खिलाड़ी लेट आए, इस वजह से ट्राई लेट हो वही इस बारे में जब डीएसओ  नारनौल से बात की गई तो उनका कहना था कि आज लास्ट डे था और 24 खेलों की ट्रायल पूरे जिले में चल रही है। मैं भी फिलहाल नारनौल ग्राउंड में खड़ा बच्चों की टाइल ले रहा हूं, हमने कोच वगैरह को सुबह ट्राई लेने का आदेश दे दिया था अब उन्होंने किस प्रकार से ट्रायल लिया है इसके बारे में बात की  जाएगी।
फोटो कैप्शन 06: खेल महाकुंभ की ट्रायल देते खिलाड़ी।



 गर्भवती महिलाओं को निशुल्क इलाज के साथ मुफ्त में दिया जाता है राशन
--अस्पताल में लगा कैंप
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कनीना की आवाज। प्रधानमंत्री सुरक्षा मातृत्व  योजना के तहत स्थानीय उप नागरिक अस्पताल कनीना में गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए कैंप का आयोजन किया गया जिसमें आस-पड़ोस के 50 गांवों की 150 महिलाओं ने अपने स्वास्थ्य की जांच कराई और उपचार लिया।
 मिली जानकारी के अनुसार उप नागरिक अस्पताल के एमओ डा. जितेंद्र मोरवाल ने  जानकारी देते हुए बताया कि  उप नागरिक अस्पताल कनीना में प्रधानमंत्री सुरक्षा मातृत्व योजना के तहत कैंप का आयोजन किया गया जिसमें अस्पताल की  महिला चिकित्सक तमन्ना  द्वारा गर्भवती महिलाओं की जांच कर उनको निशुल्क दवाइयां वितरित की जाती है। डा. मोरवाल ने बताया इस कैंप का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे को स्वस्थ रखना व उनकी माताओं को स्वस्थ रखना है ताकि स्वस्थ माता ही स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखने के लिए उनकी सभी प्रकार की जांच वह दवाइयां दी जाती हैं तथा उनका निशुल्क पोषक आहार भी दिया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी शुगर, थायराइड, हिमोग्लोबिन ,आरबीसी एचआईवी, यूरिन, ,एचआईवी  के अलावा अन्य कई प्रकार की जांच स्थानीय अस्पताल में ही कराई जाती हैं ताकि इस बात का पता लगाया जा सके की  महिलाओं व उनके गर्भ में पल रहा बच्चा कितना स्वस्थ है? कैंप में आई महिलाओं को संबोधित करते हुए डाक्टर तमन्ना ने बताया इस समय में महिलाओं को मानसिक रूप से व शारीरिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है क्योंकि मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने वाली महिलाओं के पेट में पल रहे शिशुओं पर उनका गहरा असर पड़ता है। उन्होंने कैंप में महिलाओं को स्वस्थ रहने के भी कई नुसखे बताएं और कहा हरी सब्जियां फल, दूध, घी आदि जल्दी हजम होने वाले मोटे अनाज के साथ अंडे तथा ताजा फल का प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए अति उत्तम होता है। इसलिए उनको समय-समय पर यह सभी चीज लेते हुए नजदीक के सरकारी अस्पतालों में अपनी वह अपने पेट में पल रहे शिशु की जांच करती रहना चाहिए ताकि भविष्य में उनको इसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। इस कैंप में विकास लैब टेक्नीशियन मोहित, लैब टेक्नीशियन  सुरेंद्र, टेक्नीशियन सुनील कुमार, एड्स काउंसलर रणधीर सिंह, शर्मिला स्टाफ नर्स अंजू बाला स्टाफ नर्स ने बताया इस कैंप में 150 महिलाओं ने  भाग लिया और विभिन्न प्रकार के टेस्ट भी कराये गये।
फोटो कैप्शन 05: महिलाएं अस्पताल में जांच करवाते हुए।





बीपीएल प्लाटों के इंतकाल को लेकर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
--कोका गांव के लोग पहुंचे एसडीएम कार्यालय
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कनीना की आवाज। सरकार द्वारा दिए गए बीपीएल प्लाट की इंतकाल दर्ज करने को लेकर आज गांव कोका निवासी दर्जनों पीडि़त महिला एवं पुरुषों ने एसडीएम कनीना के माध्यम से जिला उपायुक्त को एक ज्ञापन भेज कर जल्द से जल्द इंतकाल दर्ज करने की गुहार लगाई है उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा है कि सरकार ने ग्राम पंचायत की जमीन पर हमें जो बीपीएल के प्लाट दिए हैं। उनका न तो आज तक हमें कब्जा मिला है और ना ही इंतकाल दर्ज हुए हैं। इसके कारण अभी हमारा इंतकाल का काम अधूरा पड़ा है जिसे पूरा कराया जाए
फोटो कैप्शन 02: एसडीएम के माध्यम से ज्ञापन सौंपते ग्रामीण।






खिलाडिय़ों का चयन एसडी स्कूल में संपन्न
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कनीना की आवाज। हरियाणा खेल विभाग की ओर से आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय खेल महाकुंभ के लिए जिला की महिला खिलाडिय़ों का चयन रविवार को व पुरुष खिलाड्यिों का चयन सोमवार को एसडी विद्यालय ककराला में बाक्सिंग खेल के लिए चयन किया गया। जिसमें महिला वर्ग में 20 खिलाडिय़ों ने भाग लिया जिसमें से 10 महिला खिलाडिय़ों का भार के अनुसार चयन किया गया। 48 किलो ग्राम भार वर्ग में पूजा, 50 किलो ग्राम भार वर्ग में खुशी, 52 किलो ग्राम भार वर्ग में दीति, 54 किलो ग्राम भार वर्ग में पूनम, 57 किलो ग्राम भार वर्ग में गरवी, 60 किलो ग्राम भार वर्ग में मधुर, 63 किलो ग्राम भार वर्ग में अनिषा, 66 किलो ग्राम भार वर्ग में गरिमा, 70 किलो ग्राम भार वर्ग में चंचल, 75 किलो ग्राम भार वर्ग में दीपिका ने प्रथम स्थान हासिल किया पुरुष 48 किलो ग्राम भार वर्ग में सुदीप, 51 किलो ग्राम भार वर्ग में दीक्षांत, 54 किलो ग्राम भार वर्ग में प्रदीप, 50 किलो ग्राम भार वर्ग में अमन, 60 किलो ग्राम भार वर्ग में दीपांशु, 67 किलो ग्राम भार वर्ग में नीतिश, 71 किलो ग्राम भार वर्ग में विवेक, 75 किलो ग्राम भार वर्ग में भारत, 80 किलो ग्राम भार वर्ग में विजय, 92 किलो ग्राम भार वर्ग में पियूष प्रथम स्थान हासिल किया।
चेयरमैन जगदेव यादव ने बताया कि इस प्रकार की खेल गतिविधियों से प्रतिभागियों का शारीरिक दक्षता और क्षमता बढ़ती है। खेलों से हृदय मजबूत बनता है एवं मांसपेशियां विकसित होती हैं। खेलों से खिलाडिय़ों में संयम बढ़ता है तथा एक दूसरे के लिए सहयोग के भाव भी पैदा होते हैं। इस अवसर पर सभी गणमान्य सदस्य मोनिका जूनियर बाक्सिंग कोच खेल विभाग नारनौल सतीश सोलंकी बाक्सिंग कोच, प्राचार्य ओमप्रकाश यादव, राजेन्द्र सिंह, अधिकारी वर्ग पूर्ण सिंह, नरेन्द्र यादव, आर एस यादव, उत्तम सिंह, सोनपाल, रतन सिंह व समस्त स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: बाक्सिंग के लिए चुने गये खिलाड़ी।


नहर के साथ साथ मार्ग को अविलंब किया जाये निर्मित
-जल्द ही छोड़े जा रहे हैं टेंडर-विधायक
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कनीना की आवाज। अटेली व रेवाड़ी सड़क मार्गों से मिलाने वाला नहर के साथ.साथ मार्ग को अविलंब निर्मित किये जाने की मांग कनीनावासियों ने की है। कनीना के विभिन्न मार्गों को पक्का करने या पुन: निर्मित किये जाने की कार्रवाई जारी है किंतु वर्षों से कनीनावासियों की प्रमुख मांग अधर में अटकी है। रेवाड़ी.अटेली मार्गों को नहर के साथ साथ जोडऩे वाला मार्ग आधा अधूरा करीब आठ साल पहले निर्मित हुआ था। पूर्व प्रधान सतीश जेलदार ने इसे सिरे चढ़ाने का प्रयास किया था जिसके चलते नहर को भूमिगत कर दिया गया था किंतु पेड़ों को हटाने तथा बिजली की लाइनों को हटाने की कार्रवाई नहीं हो पाई थी। वर्तमान में कनीना प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम कनीना हैं जिनसे कनीनावासी यह मार्ग पूरी किये जाने की आश टिकाये हैं।
  उल्लेखनीय है कि मार्ग के साथ साथ गुजरने वाली नहर को भूमिगत कर दिया है। अब सड़क निर्माण कर दोनों तरफ से आवागमन बाइपास के रूप में किया जा सकता है। इसके लिए लंबे समय से कार्रवाई चल रही है किंतु अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। यह करीब 3 किलोमीटर का रास्ता है जिसमें से आधा मार्ग करीब 8 वर्षों पहले नगर पालिका द्वारा पक्का किया हुआ है। जो अति जर्जर हो गया है। अगर यह मार्ग पुन: निर्मित हो जाये तो रेवाड़ी से अटेली अटेली से रेवाड़ी जाने वाली लोगों को भारी लाभ होगा। नगर पालिका के पूर्व प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनकी दिली इच्छा थी कि मिनी बाईपास उनके कार्यकाल में बन जाए किंतु उनके कार्यकाल में नहीं बन पाया। अब एसडीएम कनीना प्रशासनिक अधिकारी हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एसडीएम की देखरेख में यह मिनी बाईपास बन जाएगा। मिनी बाईपास बनता है तो हर इंसान को ही लाभ होगा।
नहर के साथ साथ एक तरफ की सड़क बनाने के लिए टेंडर या तो छोड़ दिये गये हैं या फिर अविलंब छोड़ दिये जाएंगे। इस प्रकार सड़क की समस्या का समाधान हो जाएगा। नहर के दूसरी तरफ सड़क मार्ग का भविष्य में समाधान हो जाएगा।
..सीताराम विधायक अटेली
फोटो कैप्शन 02: नहर के साथ का कच्चा मार्ग
साथ में विधायक सीताराम अटेली।





गंदे नाले गाद से खड़े हैं भरे
-प्री-मानसून के इसी माह दस्तक की संभावना
-नालों की सफाई का काम शुरू कर दिया गया है-समयपाल सिंह सचिव
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कनीना की आवाज।  कनीना के सभी गंदे नाले एवं कुछ नालियां गाद से भरी खड़ी हैं। एक और जहां प्री-मानसून इसी माह दस्तक दे सकता है वही अभी तक इन गंदे नालों की सफाई नहीं की गई है। कनीना के प्रशासक एसडीएम है जो विकास कार्यों की ओर तो ध्यान दे रहे हैं लेकिन अभी तक गंदे नालों की और कोई ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। कनीना कस्बे में कभी 6 गंदे पानी के जोहड़ होते थे इस समय महज दो जोहड़ बचे हैं। जिनमें एक होलीवाला और दूसरा कालरवाली है। दोनों ही जोहड़ इस समय गंदे पानी से भरे खड़े हैं। पूरे कस्बा जिसमें कनीना अनाज मंडी, मुख्य कस्बा का गंदा पानी इन नालों द्वारा जोहड़ों तक पहुंचता है परंतु अभी तक तो ये गंदे नाले इस प्रकार भरे खड़े हैं कि यही नहीं पता चल पाता कि यहां गंदा नाला भी होगा? जहां होलीवाला जोहड़ में कनीना के आधे कस्बा का गंदा पानी पहुंचता है। इसको गंदे पानी को ले जाने वाले नाले जोहड़ के पास अटे पड़े हैं जिसके चलते गंदा पानी दूर-दूर तक बिखर रहा है। एक तरफ जहां ये जोहड़ अतिक्रमण के शिकार हैं वही कितने पेड़ पौधों को  गंदा जल लील रहा है। लोग बेहद परेशान है। आसपास दूर दराज तक बदबू फैल रही है। गंदे नालों की अगर सफाई नहीं करवाई गई और गाद नहीं निकलवाई गई तो आने वाले समय में भारी परेशानी का कारण बन सकते हैं। उधर यही हालात कालरवाली जोहड़ की है। आधे कस्बे का गंदा पानी कालरवाली जोहड़ में पहुंचता है लेकिन जोहड़ तक पानी ले जाने वाले नाले पूर्ण रूप से गाद से भरे पड़े हैं।  अगर देखा जाए तो ये गंदे नाले संत मोलडऩाथ आश्रम के करीब से गुजरते हैं और सबसे ज्यादा लंबी दूरी तय करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जहां बारिश के समय गलियां जलमग्न हो गई थी, गंदा पानी कई कई दिनों तक सड़कों पर खड़ा देखा गया था। यदि इन गंदे नालों की सफाई नहीं करवाई गई और जोहड़ों को साफ नहीं करवाया गया तो आने वाले समय में एक बार फिर से मुसीबत बन सकते हैं। ऐसे में जहां कनीना के लोग विशेष कर जिनके घर गंदे नालों के पास पड़ते हैं बेहद परेशान है क्योंकि इन नालों का गंदा पानी दीवारों के साथ खड़ा रहता है।
उधर कनीना अनाज मंडी में सड़क मार्ग के दोनों तरफ नाले बने हुए हैं और ये नाले भी दोनों जोहड़ों में ही समाहित हो जाते हैं। यहां तक कि बस स्टैंड का गंदा पानी भी इकट्ठा होकर के इन जोहड़ों में जा रहा है परंतु बस स्टैंड के पास से गुजरने वाले नालियां और नाले साफ नहीं किए गए हैं और न ही अनाज मंडी मार्ग वाले नाले और नालियां साफ हुए हैं। बड़े नालों की और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
इन गंदे नालों की सफाई मशीनों द्वारा करवाई जाए तो जल्द ही हो जाएगी वरना इन गंदे नालों की सफाई करना भी जोखिम भरा कार्य है। हर वर्ष कनीना में गंदे नालों की सफाई का अभियान चलाया जाता है किंतु अभी तक कनीना में यह  अभियान नहीं चलाया गया है। अगर कहीं मानसून में कनीना की गलियां जलमग्न होती तो उनमें गंदे नालों का अहम योगदान होगा।
  इस संबंध में सचिव नगरपालिका कनीना समयपाल सिंह ने बताया कि नालों की सफाई करने का काम शुरू किया हुआ है जल्द ही सभी नाले साफ कर दिये जाएंगे ताकि बरसात में कोई समस्या किसी को न आने पाये।
फोटो कैप्शन 5, 6, 7 व 8: गंदे नाले जो जो गाद से भरे पड़े हैं।


 सब कुछ देखा बदला बदला....
सेवानिवृत्ति का बीता एक महीना
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कनीना की आवाज। सत्य कहा है कि जब तक इंसान सत्ता में होता है या किसी पद पर होता है तब तक उसको सलाम किया जाता है और सत्ता और पद नहीं हो तो उसे भुलाने का प्रयास किया जाता है। कनीना के लेखक, शिक्षक साहित्यकार डा होशियार सिंह यादव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। सेवानिवृत्ति का करीब एक महीना बीत गया है परंतु बहुत से लोग जो दिन रात उनसे फोन पर बातें करते थे, समाचार प्रकाशित करवाते रहते थे, उन्होंने एक दिन भी यह नहीं पूछा कि आप सेवानिवृत्त हो गए कैसा महसूस कर रहे हैं? आश्चर्यजनक बात तो यह है की बहुत कुछ बदलाव आ गया है, जब तक शिक्षक रहा तब तक लोग शिक्षक नहीं अपितु पत्रकार के नाम से पुकारते थे और अब जब शिक्षक नहीं रहा केवल पत्रकार है तब उन्हें मास्टर, गुरुजी आदि शब्दों से अलंकृत किया जाता है जो मन को आहत देते हैं। इंसान को सच्चाई का सामना करना चाहिए और सच का साथ देना चाहिए। कुछ लोग तो अभी भी हेडमास्टर या प्रोफेसर आदि नाम से पुकारते हैं। बड़ा दुर्भाग्य है कि ऐसे शब्द प्रयोग कर रहे हैं। चाहे कालेज में प्राध्यापक रहा, स्कूलों में प्राध्यापक रहा, अध्यापक रहा, जेबीटी पर चयन हुआ किंतु कार्यभार ग्रहण नहीं किया परंतु आखिर में जब सेवानिवृत्त हुआ तब मास्टर पद से हुआ। ऐसे में गलत शब्द प्रयोग करना उचित नहीं है। अब तो बहुत से लोग भूल चुके हैं परंतु डा. होशियार सिंह सुबह से शाम अपने काम में तल्लीन रहते हैं। उन्हें इन चीजों का थोड़ा सा आहत होता है जो स्वाभाविक हैं। इस समय डाक्टर होशियार सिंह आत्मकथा लिख रहे हैं, विशेष कर स्कूलों में किसने क्या उनके साथ किया? कौन उनके दुश्मन रहे, कौन उनके दोस्त रहे, किसने क्या टांग खींचाई, की किसने साथ दिया इन सभी बातों का हवाला जिसने विरोध किया क्या-क्या विरोध हुआ, क्या-क्या ख्यातियां मिली, सभी कुछ इस पुस्तक में हवाला दिया जाएगा। इसके लिए आंकड़े इकट्ठे करने का कार्य प्रगति पर है और कृति लेखन कार्य भी आगे बढ़ रहा है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य रहा कि बहुत से कहने को साथी रहे परंतु उन्होंने भारी नुकसान पहुंचाया, यहां तक आर्थिक नुकसान हो या सामाजिक प्रतिष्ठा पर कलंक लगाने का प्रयास किया हो, बहुत से ऐसे साथी मिले जिनको कभी नहीं भूलाया सकता। धनौंदा स्कूल में सेवानिवृत्ति दिन केवल विद्यार्थियों को बताया फिर भी विद्यार्थियों ने जो सम्मान दिया उसके गवाह कनीना के लगभग आधा दर्जन से अधिक पत्रकार रहे जो मौके पर मौजूद रहे। शायद ही इतने पत्रकार किसी की सेवानिवृत्ति के समय प्रदेशभर में मिलेंगे। उन पत्रकारों द्वारा दिया गया सम्मान  मृत्यु दम तक याद रखेंगे। जहां कुछ ऐसे राक्षसी प्रवृत्ति के लोग भी मिले जिन्होंने दोनों हाथों से पैसे भी झटकने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन डा होशियार सिंह ने आज के दिन सभी को माफ कर दिया परंतु भगवान की नजरों से कभी वो नहीं बच पाएंगे। डाक्टर होशियार सिंह का कहना है कि जब तक ऐसे लोगों का बुरा अंत न हो जाए तब तक वह इस दुनिया से रुखसत नहीं होंगे। वह अपनी आंखों से इनका सब कुछ नष्ट होते देखना चाहते हैं। ऐसे ऐसे गद्दार रहे जिन्होंने लाखों रुपये ऐंठ लिए,दूसरों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाई ताकि पैसे में से कुछ  हिस्सा उन्हें मिल सके। लेकिन डा होशियार सिंह ने चुपचाप गम सहन किया परंतु दुर्भाग्य ऐसे लोग अब उनके साथ मुंह से बातें भी नहीं करना चाहते करें भी कैसे, किस मुख से? डाक्टर होशियार सिंह ने सभी को माफ कर दिया है परंतु उनकी सेवा निवृत्ति में टांग अड़ाने वाले राक्षसी लोगों को कभी नहीं बख्शा जाएगा। मंदोला से नरेश कुमारी एक ऐसी शख्सियत मिली जिन्होंने बहुत सेवा की, कुछ और भी दोस्त मिले जिन्होंने बुरे वक्त में साथ दिया। नौकरी दौरान 29 बार तबादले हुए। इस अवधि मेंकितने ही प्राचार्य मिले जिन्होंने आर्थिक नुकसान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके नुकसान की भरपाई जरूर प्रभु और और प्रभु की लाठी पूरा कर पाएगी। ऐसे कुछ लोगों को सजा मिलनी शुरू हो गई है। डाक्टर होशियार सिंह ने कई सालों तक ट्यूशन करने में बेहद नाम एवं पैसा कमाया, निजी स्कूलों, नवोदय स्कूलों, सरकासारी एवं राजकीय माडल स्कूलों, कालेज आदि में शिक्षण कार्य किया और 1988 से छोटे समाचारपत्रों में पत्रकारिता शुरू की जो आज तक कायम है। पत्रकारिता ने भारी संख्या में दुश्मन बनाये। डा होशियार सिंह ने अब तक 36 कृतियां प्रकाशित करवाई है, परिवार पूरा ही लेखन कार्य में जुटा रहा है और रहेगा। करीब 50 पुस्तके कंप्यूटर में फीड है, आर्थिक अभाव के कारण अभी तक प्रकाशन संभव नहीं हो पाया है। शेष जीवन उनकी दिवंगत पत्नी सुमन यादव के नाम से बनाई हुई ट्रस्ट द्वारा जन सेवा की जाएगी। ऐसे में किसी प्रकार का कोई आर्थिक सहयोग मिला तो नि:संकोच ट्रस्ट के मार्फत स्कूली विद्यार्थियों और उन लोगों की सेवा में दिया जाएगा जिनको वास्तव में जरूरत है। पीएचडी करवाने के नाम पर तीन बार लोगों ने लूटा। एक बार दो लाख एक बार 7 लाख तो अंतिम बार 80 हजार खो दिये परंतु ऐसे ढीठ व्यक्ति निकले जो अब उन पैसों को देने की बजाय फोन तक नहीं उठाते हैं। भगवान ने खूब पैसे दिये, उनमें गहन आस्था है तथा खूब पैसे खर्च भी हुए। 13 बार कांवड़ अर्पित की तथा 13 बार खाटू श्याम पदयात्रा की, 20 सालों से सप्ताह में एक दिन का व्रत चल रहा है फिर भी पूर्व पत्नी का कैंसर से निधन हुआ 25 लाख रुपये वर्ष 2010 तक खर्च हुए शिक्षा विभाग ने एक पैसा भी भरपाई नहीं की क्योंकि साथी ऐसे निकृष्ट मिले कि यह तक नहीं बताया कि पत्नी पर किया गया खर्च छह माह के भीतर क्लेम करना होता है। तीन बार राज्यपाल एवं न्यायाधीश से सम्मान, लेखन कार्य में 500 से अधिक सर्टिफिकेट्स मिले है।  ऐसे ही दास्तानों से भी है आत्मकथा.....।


एक लड्डू 4000 रुपये का
-अखबार को नहीं मिलता कोई लाभ
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कनीना की आवाज।




















एक बुजुर्ग कह रहे थे की 2 रुपये में भरपेट खाना मिलता था, वह भी मिठाइयों एवं पकवान आदि सहित। जब उससे पूछा कि वह कैसे, तो उन्होंने बताया कि पुराने समय में ग्रामीण क्षेत्रों में 2 रुपये कन्यादान करवाते थे और बदले में भरपेट खाना मिलता था। उनकी बात अटपटी लगी हो किंतु आज के दिन कुछ मायनों में सटीक बैठती है। कई बार सिर्फ दिखावे के लिए पांच लड्डू किसी खुशी में बांटे जाते हैं, बड़ी सी फोटो बनवाई जाती है, विभिन्न समाचार पत्रों में छपवाई जाती है, कि हमने लड्डू बांटे।  समाचार पत्र ऐसी खबरों को कम अहमियत देते हैं यहां तक की कुछ पत्रकारों पर डांट भी पड़ती है परंतु जब छपती है तो कम से कम 20000 रुपये के विज्ञापन के बराबर लाभ मिलता है। इस समाचार के बराबर विज्ञापन दे तो करीब 20 हजार रुपये खर्चा आता हे और अखबार को लाभ मिलता है। यदि खबर छप गई वहां तक तो ठीक है परंतु लड्डू बांटने वाले अगले दिन पत्रकारों से यह और पूछते हैं कि हमारी खबर छपी? यहां तक की अखबार खरीदने की बजाय इधर-उधर से समाचार तलाशते हैं और कहीं समाचार मिल जाए तो समाचार पत्र में से अपनी खबर को काट ले जाते हैं या अखबार को ही उठा ले जाते। इसे कहते हैं कि हल्दी लगे ना फिटकरी रंग आया चौखा। इस बात से नाराज न हो अपितु सबक ले।

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