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Friday, June 7, 2024


 
अमृत सरोवर...
28 लाख की लागत से संत मोलडऩाथ तालाब में भर दिया गया पानी
-ऐतिहासिक महत्व भी है तालाब का
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कनीना की आवाज। कनीना के परम संत मोलडऩाथ विक्रमी संवत 2006 में पंचतत्व में विलीन हो गये थे किंतु वे जिस तालाब के पास आराम करते थे, स्नान करते थे उस तालाब का नवीकरण कर दिया गया है।  आज संत को पंचतत्व में विलीन हुई करीब 75 साल बीत गये हैं। इस तालाब को करीब 28 लाख रुपये की लागत से पक्का करके आखिरकार पानी से भर कर दिया गया है। पहले तो इसे नहरी पानी से भरने की योजना थी किंतु अभी तक सफलता नहीं मिलने पर विगत वर्ष संत के मेले के दृष्टिगत इसे आखिरकार पानी से भर दिया गया था। तब से अब तक लगातार पानी से भरा जा रहा है।
जहां एक और मोलडऩाथ  का आश्रम वहीं दूसरी ओर खाटू श्याम मंदिर भी है। इस तालाब को खाटू श्याम तालाब के रूप में भी जाना जाता है।
उस वक्त के जीवित बहुत कम लोग बचे हैं। वे बताते हैं कि कभी इसी जोहड़ के किनारे जाल के पेड़ के नीचे संत विश्राम करते थे। यहां एक बणी होती थी जिसमें जाल के पेड़ के नीचे संत आराम करते थे और तालाब का ही पानी प्रयोग करते थे। गीदड़, चिडिय़ा तथा अनेकों प्रकार के जीव जंतु यहां विचरण करते थे। जहां जोहड़ में पानी भरने के बाद रौनक और बढ़ गई है। पानी की मात्रा कम हैं जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों युवा एवं बच्चे गर्मी के दिनों में नहाते हैं।
प्रधान बाबा मोलडऩाथ आश्रम बताते हैं कि लाखों रुपए की लागत से सुंदर तालाब बना दिया गया है जिस तो चारों ओर सैर करने वाले और दर्शन करने वाले लोगों के लिए भी प्रकाशमान पक्की सड़क निर्मित की गई है।  यह जोहड़ अब तालाब का रूप ले चुका है जो पास में स्थित खाटू श्याम मंदिर के कुंड का भी के काम करेगा। यही कारण है कि श्याम कुंड नाम से भी यह तालाब भविष्य में जाना जाएगा। 2021 में बनना शुरू हुआ था और साल के अंत तक तैयार हो गया था।
 कनीना के नगर पालिका पूर्व प्रधान सतीश जेलदार का कहना है कि दो तरीकों से पानी भरा जा सकता है। सबसे बेहतर तो हो कि कनीना अनाज मंडी से गुजर रही नहर से पाइप दबाकर यहां तक पानी लाया जाए ताकि इसमें पानी भरता रहे जिसके लिए उन्होंने विधायक और सरकार से बार-बार प्रयास किया है तथा प्रयास जारी हैं। जब तक यह व्यवस्था नहीं बनती तब तक नलकूप से भी इस जोहड़ को भरा जा सकता है। यहां बाबा मोलडऩाथ और श्याम खाटू श्याम के मेले लगते हैं उस समय तालाब को पानी से भर दिया जाता है। संत स्थल को और भी दर्शनीय बनाया गया है।
उधर श्री श्याम सेवक मंडल के दुलीचंद साहब से संबंध में बात हुई। उनका कहना है कि वे भी इसको नहरी पानी से भरने के लिए प्रयासरत हैं तथा दोनों ही तरीकों से पानी को भरने के प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने कहा वे भी उच्च अधिकारियों से मिलकर नहर से तालाब को जुड़वाने का प्रयास करेंगे।
जागरण प्रभाव-
दैनिक जागरण ने इस तालाब का ऐतिहासिक महत्व वर्षांे पहले बताना शुरू कर दिया था जिसके चलते पूर्व प्रधान सतीश जेलदार ने इस बीड़ा को उठाया है। तालाब में वर्तमान में नलकूपों से पानी भरा जा रहा है नहर से जोडऩे के लिए अभी प्रयास करने बाकी हैं। यह सबसे सुंदर तालाब बना हुआ है।
फोटो कैप्शन: सतीश जेलदार एवं दुलीचंद साहब, दिनेश प्रधान
साथ में फोटो कैप्शन 02: कनीना का बाबा मोलडऩाथ तालाब।





बवानिया की सुनीता यादव को मिला इन्नोवेटिव फार्मर अवार्ड
-पूरे हरियाणा से एकमात्र अवार्ड है
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कनीना की आवाज। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा हाल ही में इन्नोवेटिव फार्मर पुरस्कार तथा फेलो फार्मर पुरस्कार दिए गए हैं जिसमें बवानिया की सुनीता यादव ने पूरे हरियाणा में नाम कमाया है। इससे पहले भी सुनीता को 2022 में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा प्रगतिशील किसान अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
 इन्नोवेटिव फार्मर अवार्ड का चयन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है जिसमें एक राज्य से एक प्रतिभागी या एक से अधिक प्रतिभागी भी चयनित हो सकते हैं। इस बार यह राष्ट्रीय स्तरीय सम्मान सुनीता यादव को दिया गया है। यह अवार्ड उन्हें गुरुवार को दिल्ली में प्रदान किया गया। इस प्रकार के अवार्ड हर वर्ष कृषि अनुसंधान संस्थान घोषित करती है। हाल ही में कृषि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 7 फेलो अवार्ड तथा 33 इन्नोवेटिव फार्मर अवार्ड घोषित किए हैं जिनमें हरियाणा से एकमात्र सुनीता यादव का नाम घोषित हुआ है। इस सूची में जहां सबसे अधिक नाम उत्तर प्रदेश से पांच अवार्ड घोषित किए गए हैं। सुनीता यादव ने खुशी जताते हुए बताया कि उन्हें यह अवार्ड दिल्ली में दिया गया है तथा जो भी राशि दी जाएगी वह उनके खाते में आएगी।
 इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ के एसडीओ डाक्टर अजय यादव से चर्चा की गई उन्होंने बताया कि सुनीता यादव 4.5 एकड़ में किसानी का कार्य करती है । वह एफपीओ की सदस्य है तथा बवानिया में गैर सरकारी सेल्फ हेल्प ग्रुप भी बनाया गया है। जिसमें महिलाओं को जोड़ा गया है ,महिलाओं को लेकर रोजगार मिल रहा है। जिसके चलते महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हुई है। प्राकृतिक खेती में गहन रुचि रखने वाली सुनीता यादव खेती के लिए जीवामृत, बायो गैस प्लांट, ड्रिप सिंचाई, सोलर लाइट आदि यंत्र प्रयोग कर रही है वहीं बाजरे के उत्पादअचार बनाना आदि का कार्य भी कर रही है।
 उनका आवेदन कृषि विज्ञान केंद्र के मार्फत पंचकूला भेजा गया था। इसमें डाक्टर रमेश यादव का अहम योगदान है। यह अवार्ड चार महीने पहले मिलने थे किंतु किसान आंदोलन बाद में आचार संहिता के कारण नहीं दिये जा सके और इनको अब दिल्ली में दिया गया है। यह क्षेत्र के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण अवार्ड है।
 फोटो कैप्शन 01: सुनीता यादव को दिल्ली में दिया गया अवार्ड तथा
एसडीओ कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ डाक्टर अजय यादव फोटो






विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस 8 जून
प्राथमिक अवस्था में ब्रेन ट्यूमर का पता लगने पर इलाज है संभव  डा धर्मेंद्र
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कनीना की आवाज। ब्रेन ट्यूमर सामान्य रूप से मस्तिष्क में तेजी से वृद्धि करने वाली कोशिकाएं होती है जो कैंसर युक्त भी हो सकती हैं। मस्तिष्क ट्यूमर मस्तिष्क के उत्तकों के क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि समय रहते इसका पता लग जाए तो इलाज संभव है वरना घातक परिणाम साबित होते हैं। यह जानकारी डा धर्मेंद्र रेजिडेंट डाक्टर पीजीआईएमएस रोहतक ।
उन्होंने बताया ब्रेन ट्यूमर होने के कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जो भिन्न भिन्न हो सकते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द होना, दौरा पडऩा,  सोचना मुश्किल, व्यवहार में परिवर्तन, पक्षाघात, संतुलन खोना, चक्कर आना, धुंधली दृष्टि, सुनने की क्षमता बाधित, उल्टी आना, निगलने में कठिनाई, भ्रमित मानसिकता, गंध न आना आदि हो सकते हैं। डा. सुंदरलाल ने बताया ब्रेन ट्यूमर को रोकने का कोई तरीका नहीं है लेकिन बचने के जोखिम को कम कर सकते हैं जिनमें कीटनाशकों के संपर्क में कम आना, कैंसर जनित रसायन पदार्थों के संपर्क में न आना, धूम्रपान करना, विकिरण आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और लक्षण भी मरीज में दिखाई पड़ सकते हैं।  ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाने के पीछे लोगों को इस रोग से जागरूक करना तथा रोग के प्रति शिक्षित करना है।
 क्या होता है ब्रेन ट्यूमर-
डॉक्टर धर्मेंद्र यादवबताते हैं कई बार किसी कारण से नई कोशिकाएं तो पैदा होती है लेकिन पुरानी कोशिकाएं नष्ट नहीं होती। धीरे-धीरे कोशिका और उत्तकों की एक गांठ बन जाती है,जो मस्तिष्क में बनने पर ब्रेन ट्यूमर कहलाती है। उन्होंने बताया ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित व्यक्ति की सर्जरी की जाती है। उन्होंने कहा कि नियमित व्यायाम और योग करना चाहिए, भरपूर नींद के साथ वजन का ध्यान रखना चाहिए। तंबाकू एवं शराब के सेवन से बचे।
डा.धर्मेंद्र यादव ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर का प्राथमिक अवस्था में पता लग जाए तो इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने के लिए कुछ जांच करवानी पड़ती हैं।
कैसे पता लगाई ब्रेन ट्यूमर का-
 ब्रेन ट्यूमर की जांच सीटी स्कैन, एमआरआई तथा कई अन्य जांच से की जाती है जिसकी माइक्रो सर्जरी, एंडोस्कोपिक सर्जरी आदि से इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि ट्यूमर दो प्रकार का होता है, एक कैंसर युक्त तथा एक बगैर कैंसर का। प्राय: 20 से 40 वर्ष की आयु में बिना कैंसर का ट्यूमर होता है। ब्रेन ट्यूमर का इलाज आपरेशन के जरिए संभव है परंतु 50 फीसदी मरीजों को रोग का एक साल के बाद ही पता चलता है जिसके कारण यह खतरनाक स्टेज तक पहुंच चुका होता है। उसके बाद इलाज असंभव होता है। सर्जरी के बाद थेरेपी दी जाती हैं जिनमें कीमो थेरेपी, रेडियो थेरेपी आदि विकल्प बचते हैं।
 फोटो कैप्शन: डा धर्मेंद्र रेजिडेंट डाक्टर









सीताराम मन्दिर में लगाईं मीठे पानी की छबील
-जगह जगह लगती हैं छबील
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कनीना की आवाज। कभी निर्जला एकादशी को ही मीठे पानी की छबील लगाई जाती थी किंतु अब तो हर दिन निर्जला एकादशी बना दिया है। प्रतिदिन विभिन्न मार्गों पर मरठे पानी की छबील लगाई जा रही हैं।
  इसी कड़ी में कनीना के सीताराम मन्दिर में धर्मार्थ मीठे पानी की छबील लगाई गई। जितेंद्र यादव ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सीताराम मंदिर में मीठे पानी की छवि लगाई गई है। उन्होंने बताया कि इस तरह के धार्मिक कार्यों में आसपास दुकानों के संचालक है, कस्बावासी मिलकर कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में समय-समय पर रामायण का पाठ सुंदरकांड का पाठ वह अन्य प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते रहे हैं। मीठे पानी की छबीली के साथ-साथ पशु पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था की जाती है। गर्मी के मौसम में लगातार 3 महीने के लिए पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाती है। इसके साथ ही पक्षियों के लिए अलग से दाने की व्यवस्था की गई है। जहां पर कस्बा के लोग मंदिर में आने वाले लोग यहां पर पक्षियों के लिए दाना डालते हैं। इस दौरान  पंडित प्रवेश शर्मा, प्रदीप, विशु , विकास,  प्रेम,  भल्ले, देवेंद्र, राजेंद्र, ललित, विजय सिंह, जितेंद्र शास्त्री सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 06:राहगीरों को मीठा पानी पिलाते भक्त।






हरियाणा के राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक अपना खोया हुआ सम्मान पाने को ला













लायित
-दो साल का सेवा विस्तार एवं दो अतिरिक्त वेतनवृद्धियोंं की मांग
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कनीना की आवाज। हरियाणा शिक्षा विभाग में वर्ष 2020 व इससे पहले सभी राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 2 साल का सेवा विस्तार, दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियां, 21 हजार रुपये नकद ,शाल, प्रशस्ति पत्र सहित मेडल दिया जाता रहा है। परंतु वर्ष 2021 और इसके बाद राज्य शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को इन सेवाओं से वंचित कर दिया गया है। जिसका शिक्षकों में रोष है।
जहां वर्तमान में दो साल का सेवा विस्तार बंद है वहीं दो अतिरिक्त की बजाय अग्रिम वेतनवृद्धियां दी जा रही है वहीं पुरस्कार की राशि 21 हजार की बजाय एक लाख रुपये कर दी गई है। तबादलों में मिलने वाले पांच अंक भी काट दिये गये हैं। अग्रिम वेतन वृद्धि को लेकर अधिकारी संशय में हैं और ये कब और किसे दिया जाए स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे अनेक शिक्षक हैं जिनको अग्रिम वेतन वृद्धि का कोई लाभ नहीं हुआ है।  
  खोया हुआ सम्मान पाने के लिए स्टेट अवार्डी शिक्षकों ने एक अभियान भी चलाया। हर जिले से स्टेट अवार्डी शिक्षकों की  कार्यकारिणी गठित की गई तथा सरकार को रोकी गई सेवाओं पर पुनर्विचार करने पर के लिए ज्ञापन प्रेषित किए। हर जिले में यह कार्रवाई चल रही है।
वर्तमान में पालिसी में संशोधन करने के लिए प्रदेश कमेटी का गठन किया गया था किंतु कोई परिणाम नहीं मिला। पूर्व स्टेट अवार्डी शिक्षक बनवारी लाल, एचएस यादव आदि ने ने 2020 से पहले वाली दी जाने वाली सभी सुविधाएं प्रदान करने की मांग की है।  ऐसे में अगर सरकार इन शिक्षकों की मांग मान लेती है तो गिनी चुनी संख्या के इन शिक्षकों को अपना खोया हुआ सम्मान वापस मिल जाएगा। स्टेट अवार्डी शिक्षक अब टकटकी लगाकर सरकार पर नजरें टिकाये हुये है ताकि जब भी भविष्य में इन विषयों पर चर्चा हो तो सरकार तुरंत उनकी मांगे मान ले। अभी तक दो अग्रिम वेतनवृद्धियों को लेकर भी स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है कि किसे दिए जाने हैं। जिसके चलते अधिकांश शिक्षकों को दो अग्रिम वेतन वृद्धियां अभी नहीं दी जा रही है। पे रूल 2016 का हवाला देकर दो अग्रिम वेतन वृद्धि उन शिक्षकों को नहीं दे रहे जिनकी उम्र 55 साल या इससे अधिक है। ऐसे में बहुत से शिक्षक बेहद परेशान है और उनका कहना है कि अब तो सम्मान का अर्थ ही बदल गया है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उनका खोया हुआ सम्मान एक बार फिर से लौटाते हुए उनकी 2 साल सेवा विस्तार दो अग्रिम वेतन वृद्धियां एवं अतिरिक्त लाभ दिए जाएं।

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