Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Wednesday, March 5, 2025


 

युवक गुम, गुमशुदगी का हुआ मामला दर्ज
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कनीना की आवाज।
 कनीना के वार्ड 11 से अंकित कुमार 12वीं कक्षा में पढऩे वाला विद्यार्थी 4 मार्च को स्कूल के द्वार से गुम हो गया है। कनीना पुलिस में अनीता देवी ने मामला दर्ज करवाते हुए कहा है कि उसका लड़का अंकित कुमार यूरो इंटरनेशनल स्कूल उन्हाणी में 12वीं कक्षा का छात्र है। 4 मार्च को सुबह स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने गया था। स्कूल छुट्टी होने के बाद स्कूल की गेट से कहीं गुम हो गया। हर जगह तलाश किया गया किंतु कहीं नहीं मिला। कनीना पुलिस ने उनके बयान पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।

 






पुलिस ने स्कूल विद्यार्थियों और आमजन को साइबर सुरक्षा की जानकारी दी
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कनीना की आवाज।
 थाना सदर कनीना की पुलिस टीम ने दौंगड़ा अहीर स्कूल में जागरूकता अभियान चलाकर विद्यार्थियों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक किया। साथ ही विद्यार्थियों को साइबर अपराध से बचने के उपाय बताए गए। सभी को नशे से दूर रहने का आह्वान भी किया। इसके साथ ही टीम द्वारा सार्वजनिक स्थान पर साइबर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को साइबर सुरक्षा की जानकारी दी। दौंगड़ा अहीर चौकी से एएसआई प्रीतम ने विद्यार्थियों को बताया कि तकनीकी युग में हर व्यक्ति मोबाइल व कंप्यूटर से जुड़ा है। नौकरी व पढ़ाई भी मोबाइल व कंप्यूटर जैसे संसाधनों से जुड़ गए हैं। इंटरनेट की दुनिया में साइबर अपराधी अलग-अलग तरीके अपनाकर लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। साइबर अपराधी मेल या मोबाइल पर मैसेज भेजकर लोगों से लिंक को ओपन करने का आग्रह करते हैं। बाद में उन्हें झांसे में लेकर लिंक के माध्यम से मोबाइल को हैक कर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं। मोबाइल पर आने वाला कोई भी ओटीपी किसी के साथ सांझा न करें। किसी अनजान फोन कॉल को न उठाएं, अंजान लिंक पर क्लिक ना करें, अपनी निजी जानकारी सांझा ना करें। अपनी यूजर आईडी व पासवर्ड भी किसी को नहीं बताना चाहिए।
फोटो कैप्शन 06: पुलिस विद्यार्थियों को साइबर अपराध की जानकारी देते हुए।




आय का बेहतर स्रोत है गरीबों के सेब
-रेहडिय़ों पर उपलब्ध हैं बेर
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कनीना की आवाज।
 गरीबों के सेब गरीब लोगों के लिए बेहतर आय का स्रोत बन गए हैं। तीन माह तक ये बाजार में उपलब्ध होते हैं। कई जन इन बेरों से अपनी रोटी रोजी कमा रहे हैं।
    कनीना क्षेत्र में रेहडिय़ों पर भारी मात्रा में बेर उपलब्ध हैं। बेर जैसे रसीले फल गरीबों के सेव कहलाते हैं। बेर नामक वो फल हैं जिसका स्वाद तो भगवान् श्रीराम ने भी भीलनी के हाथों से लिया था। बेरों का ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर उपभोग किया जाता है यहां तक कि अधिक मात्रा में उत्पन्न बेरों को सूखा लिया जाता हैं और वर्ष भर खाया जाता है। गरीब जन जो महंगे दामों पर सेव नहीं खरीद सकते हैं वे अपने बेर खाकर विटामिन सी की आपूर्ति कर लेते हैं। सर्दी के मौसम में बेर को जमकर खाया जा सकता है जो लाभकारी साबित होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो ये बेर खूब उपलब्ध हैं। किसान के खेतों में दोनों ही प्रकार के बेर उगाए जाते हैं जो किसान के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकते हैं। शहरी किसान तो इन बेरों को बेचकर आय कमा रहे हैं किंतु ग्रामीण किसान आज भी बाजार तक उन्हें बेचने से कतराते हैं। यूं तो पूरे देश में ही बेरी का पौधा उगाया जाता है और उसके मधुर फलों का स्वाद लिया जाता है किंतु रेतीले क्षेत्रों में बेर अधिक पैदा हो रहा है।
 बेर बेचने वाले जगमाल सिंह ने बताया कि वे दूसरे प्रांत से आकर महज यहां रेहड़ी पर बेर बेचकर प्रतिदिन 300 रुपये तक कमा लेते हैं। किसान राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार ने बताया कि बेर मार्च माह तक पर्याप्त मात्रा में खेतों में स्वयं पैदा हो जाते हैं। बाजार में अब एक सौ ग्राम तक के बेर आए हुए हैं। इन्हें अमरूदी बेर कहा जाता है।  कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि जिला महेंद्रगढ़ में बेहतर बेर की पैदावार संभव है।
फोटो कैप्शन 05: कनीना में बेर की रेहडिय़ा








अब नहीं देखने को मिलते होली के खेल
-न होली पर्व के प्रति इतना लगाव
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कनीना की आवाज।
कनीना में एक माह तक चलने वाले होली के खेल अब सिमटकर रह गए हैं। होली मनाने के विशेष ढंग, होलीवाला जोहड़ तथा होली पर ईंधन डालने की अनोखी परंपरा अब औपचारिकता बनकर रह गई हैं। कनीना में दो दिन पहले होली का घड़ा गाड़ दिया गया है। होली का पर्व 13 मार्च को है।
  एक वक्त था जब एक माह तक कनीना क्षेत्र में होली के खेल चलते थे। जब से होली का घड़ा गाड़ दिया जाता था तभी से होली के खेल शुरू हो जाते थे। इन खेलों में चांदनी रात में लुक्का छुपी, कोरड़ा मारना तथा स्वांग रचना आदि प्रमुख होते थे। इन खेलों से जहां एक माह उत्सव चलता था वहीं पकती फसल को देखकर भी खुशी मनाई जाती थी। अब न तो वो खेल रहे हैं और न उनके खिलाड़ी।
  अब तो लुक्का छुपी का खेल रात को चले तो लोग चोर समझकर पीट डाले। होली के डांडे पर ईंधन डालने का रिवाज भी सिमटकर रह गया है। होलिका दहन से महज पांच सात पूर्व ही ईंधन डालकर खानापूर्ति की जाती है। बुजुर्गों के सहयोग से चलने वाले होली के खेल अब देखने को कम ही मिलते हैं। जहां होली के मधुर मधुर गीत, स्वांग रचना, ढोल एवं ताशें अब किसी मेले में ही देखने को मिल सकते हैं।
  बुजुर्ग आज के दिन जब होली का पर्व देखते हैं और सुनते हैं तो एक ही बात कहते हैं कि अब न तो एकता रही और न पहले वाला भाईचारा। अब तो बस आपसी रंजिश एवं एक दूसरे को नीचा दिखाने की परंपरा बढ़ रही है। होलीवाला जोहड़ जहां होलिका दहन किया जाता है उसमें गंदा पानी भरा खड़ा रहता है। मजबूरीवश होलिका दहन के समय महिला एवं पुरुष वहां जाकर प्रह्लाद भक्त की पूजा अर्चना करते हैं। होलिका दहन का पर्व 24 मार्च को मनाया जा रहा है।
होली के खेलों के विषय में बात की गई। बुजुर्गों के विचार छनकर सामने आये---
**आपसी रंजिश एवं प्रेम की भावना कम होने के कारण अब इन खेलों का अस्तित्व ही सिमट गया है। आज से 30 वर्षों पूर्व आपस में भाईचारा पूरे यौवन पर होता था किंतु आज भाई-भाई का दुश्मन बनता जा रहा है। आपसी बैर भाव होली के खेलों को ले डूबी है।
---राव मोहर सिंह समाजसेवी
होली दहन स्थल पर अब ईंधन डालने का रिवाज भी कम हो गया है। कभी होली के खेल खेलने वाले लोग ही ईंधन उठाकर लाते थे और होली दहन स्थल पर डालते थे। अब तो किसी के खेत क्यार में इतना ईंधन नहीं मिलता है। यही कारण है कि होली दहन पर ईंधन न के बराबर डाला जाता है।
----राजेंद्र सिंह समाजसेवी
फोटो कैप्शन 04: कनीना में होलिका दहन पर डाला गया ईंधन
साथ में राजेंद्र सिंह एवं राव मोहर सिंह




ज्योति मिष्ठान भंडार का नया प्रतिष्ठान
--खाने-पीने का बेहतर प्रबंध-डा. अजीत
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कनीना की आवाज।
कनीना के डा. अजीत कुमार शर्मा ने बताया कि ज्योति मिष्ठान भंडार का नया प्रतिष्ठान मोलडऩाथ मार्ग, बस स्टैंड पर खुला है जहां खाने पीने की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि पार्टी आदि के लिए बेहतर इंतजाम हैं।
फोटो कैप्शन 07: डा. अजीत शर्मा प्रतिष्ठान पर



कोटिया में पूर्व सरपंच रामकिशन के पिता गोकलचंद ठेकेदार का हुआ निधन
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कनीना की आवाज।
बुधवार को उप-मंडल के गांव कोटिया के पूर्व सरपंच रामकिशन के पिता गोकल चंद ठेकेदार 82 वर्ष का निधन हो गया। पूर्व सरपंच रामकिशन ने बताया कि उनके पिता गोकल चंद ठेकेदार पिछले 6 महीने से बीमार चल रहे थे। गोकुलचंद ठेकेदार  सामाजिक कार्यों में भाग लेते थे। पुराने समय में चौपाल में बैठकर होने वाले फैसलों या गांव की समस्याओं की आवाज उठाने में अग्रणी रहते थे। उनके बड़े बेटे रामकिशन पूर्व सरपंच, छोटे  बेटे महिपाल ने अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार सरपंच धर्मवीर, रामपाल थानेदार,  हीरालाल नंबरदार, जगराम मास्टर, सुभे सिंह,  डा. इंद्र सिंह, रामहेर, सूबेदार काशीराम सहित  क्षेत्र के पंच, सरपंच, नंबरदार, समाजसेवी  शामिल हुए।
फोटो कैप्शन: स्व. गोकल चंद ठेकेदार फाइल फोटो





एक के बाद एक दो श्याम भक्तों की टोलियां जाएगी जैतपुर
-प्रत्येक टोली में 400 के करीब होते हैं भक्त
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कनीना की आवाज।
 विगत कुछ वर्षों से कनीना के श्याम मंदिर से भारी संख्या में भक्तों का समूह जैतपुर धाम पर निशान लेकर जाता है। कनीना में श्याम बाबा का मंदिर बना हुआ है जहां हर वर्ष श्याम भक्तों के लिए शिविर लगाया जाता है। शिविर समापन 8 मार्च को किया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए खाटू श्याम मंदिर कमेटी के प्रधान संदीप राठी ने बताया कि 8 मार्च को अमर ज्योति सहित 400 भक्त निशान यात्रा लेकर जैतपुर जाएंगे। सुबह उनकी यात्रा शुरू होगी और शाम तक जैतपुर अमरज्योति स्थापित करने के बाद वापसी होगी। डीजे के साथ निशान यात्रा चलेगी। उधर कनीना मंडी के रविंद्र बंसल ने बताया कि उनकी भी एक श्याम भक्तों की निशान यात्रा 7 मार्च को श्याम मंदिर कनीना से चलकर जैतपुर धाम पर जाएगी। इसमें भी करीब 400 भक्ति डीजे के साथ अमर ज्योति लेकर जाएंगे। इस प्रकार श्याम भक्तों के प्रति गहन आस्था उमड़ पड़ी है और अधिकांश भक्त जो खाटू श्याम नहीं जा सकते वो श्याम धाम जैतपुर जाते हैं। इस निशान यात्रा में महिलाओं की भागीदारी अधिक होती है।
सूबे सिंह अग्रणी किसान दल ने अर्पित किया अपना निशान-
 उधर कनीना के अग्रणी किसान सूबे सिंह,डा. होशियार सिंह यादव ने अपने साथियों सहित निशान यात्रा बुधवार को सुबह शुरू की और दोपहर तक अपनी निशान यात्रा को पूर्ण किया। उन्होंने जैतपुर धाम पर अपना निशान अर्पित किया। सूबे सिंह और महेश बोहरा ने बताया कि श्याम धाम जैतपुर के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है। हर वर्ष सूबे सिंह तथा उनके अनेक साथी सहयोगी श्याम बाबा के निशान अर्पित करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सभी मनोकामनाएं श्याम बाबा पूर्ण कर देते हैं। एक किसान बतौर सूबे सिंह ने नाम कमाया है वही अब निशान यात्रा में नाम कमा रहे हैं।
 फोटो कैप्शन 03: श्याम धाम पर सूबे सिंह  निशान अर्पित करने जाते हुए






 कारिया के 60 फीसदी किसान उगाते हैं सब्जी
-परंपरागत कृषि के मुकाबले हो रहा है लाभ
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कनीना की आवाज।
क्षेत्र के किसान अब जागरूक हो गए हैं। एक साथ दो-दो काम कर रहे हैं। कारिया गांव के 60 फीसदी किसान सब्जी की पैदावार लेते हैं और परंपरागत खेती के मुकाबले अधिक मुनाफा कमाते हैं। प्योद भी बेचते हैं और सब्जी भी पैदा करते हैं। कारिया गांव के बहुत से किसान जहां वर्ष में दो बार प्योद भी तैयार कर बेचते हैं तथा स्वयं भी अपने खेतों में सब्जी पैदा रहे हैं। गांव कारिया के लक्ष्मण सिंह, कालूराम, जोगेंद्र, निरंजन, कृष्ण आदि ने बताया कि वर्तमान में करीब 160 एकड़ पर सब्जी उगा रखी है तथा 80 हजार रुपये प्रति एकड़ लाभ ले लेते हैं। वो हर वर्ष प्योद लगते हैं जिसमें गोभी, बैंगन, पालक, मिर्च, टमाटर आदि प्रमुख हैं। जिनको आवश्यकता है उन्हें बेच दी देते है तथा स्वयं भी अपने खेतों में सब्जी पैदावार लेते हैं। इससे उनकी रोटी रोजी निकलती है। किसान लाखों रुपये इस प्रकार सब्जी तथा प्योद बेचकर कमा रहे हैं। वो खुश हैं।
  उधर राजेश एवं दीपक ने बताया कि वे गोभी उगाने के लिए खेत एक साल के लिए लेते हैं और घर का गुजारा इसी से कर लेते हैं। वे बेहतर दर्जे की गोभी तैयार करते हैं जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। गांठ गोभी, फूल गोभी, पत्ता गोभी एवं ब्रोकली चारों प्रकार की गोभी उगाते हैं। ब्रोकली की अच्छी मांग होती है। यही कारण है कि ब्रोकली की ओर उनका ध्यान जा रहा है। ब्रोकली का एक फूल लेने के बाद दूसरा फूल भी आ जाता है जबकि अन्य गोभियों में ऐसा नहीं है। प्योद एवं सब्जी दोनों परंपरागत फसलों से बेहतर होती हैं तथा रोटी रोजी अच्छे ढंग से प्राप्त हो जाती है।
 फोटो कैप्शन 02: कारिया का किसान राजेश गोभी की सब्जी के साथ।



नहीं बंद हुआ माइकों का शोर
-एक और परीक्षाएं दूसरी और माइकों की ऊंची आवाज
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कनीना की आवाज।
कनीना क्षेत्र में चुनावों का शोर तो बंद हो गया है किंतु माइकों का शोर बंद नहीं हुआ है। ऊंची आवाज में माइक बजाएं जाते हैं जिसके चलते विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित होने लगी है। वही बुजुर्ग और मरीज भी परेशान हैं। कनीना में जहां विगत एक महीने तक चुनाव प्रचार जारी रहा और चुनाव प्रचार के लिए जमकर माइकों का शोर सुनाई दे रहा था। न तो लोग आपस में बात कर पा रहे थे और न विद्यार्थियों की पढ़ाई हो पा रही थी। माइकों द्वारा चुनाव का शोर तो खत्म हुआ और अब 12 मार्च मतगणना का इंतजार है किंतु माइकों का शोर खत्म नहीं हुआ है। अब तो श्याम बाबा के भक्त भी पूरे शोर के साथ माइक के साथ अपना निशान चढ़ाने के लिए जा रहे हैं। ये गलियों से होकर गुजरते हैं वही जगह-जगह गांवों में श्याम भक्तों के लिए शिविर लगाये गये है जहां सुबह से शाम तक माइक चलते रहते हैं। ऐसे में अब तक जो माइकों का शोर कनीना में हो रहा था वह अब गांवों में भी फैल गया है। विद्यार्थियों की परीक्षाएं चल रही है और विद्यार्थी परीक्षाओं की तैयारी सही एग़ से नहीं कर पा रहे हैं। कनीना मंडी के योगेश अग्रवाल, रविंद्र कुमार, सुरेश कुमार, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि माइक चलाना कोई बुरी बात नहीं है, श्याम बाबा का भक्त होना भी चाहिए किंतु ऊंची आवाज में माइक चला कर क्या श्याम बाबा अधिक प्रसन्न होते हैं। ऐसे में उनकी मांग है कि माइक धीमी गति से चलने चाहिए। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कम से कम जो नियम निर्धारित किए गए उसी के तहत माइक बजने चाहिए,माइक अधिक शोर में को का सुनाई दे तो उन्हें बंद करवाने की पहल करनी चाहिए।





कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल तथा रोजगार क्षेत्र में बजट बढ़ाने की मांग
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कनीना की आवाज।
बसपा के नेता अतरलाल एडवोकेट ने हरियाणा सरकार से कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल तथा रोजगार क्षेत्र में बजट बढ़ाने की मांग की है।
 उन्होंने बजट पूर्व सुझावों में कहा है कि किसान व कृषि क्षेत्र को और अधिक सहारा देने की जरूरत है। कम ब्याज पर दिए जा रहे किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर 15 लाख की जानी चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों, चिकित्सा उपकरणों तथा दवाईयों की कमी पूरी करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट बढ़ाना आवश्यक है। जिला स्तरीय नागरिक अस्पतालों में आधुनिक कार्डियोलाजी व हार्ट केयर यूनिट स्थापित की जानी चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति सुधारने के लिए बजट में पर्याप्त धनराशि आवंटित की जानी चाहिए। इसी तरह शिक्षा, खेल तथा रोजगार क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए। स्कूल, कॉलेजों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने, हर जिले में स्पोट्र्स स्कूल तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बहुउद्देशीय खेल स्टेडियम बनाने, बेरोजगार युवाओं का बेरोजगारी भत्ता बढ़ाने और सभी नौकरी के योग्य युवाओं को नौकरी देने के लिए बजट में पर्याप्त धनराशि निर्धारित की जानी चाहिए।


शिविर में स्वयंसेवकों के स्वास्थ्य की जांच की
-एनएसएस का छठा दिन
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कनीना की आवाज।
पितामह कान्हासिंह राजकीय महाविद्यालय कनीना के तत्वावधान में चल रहे हैं एनएसएस शिविर के तहत छठे दिन जिला रेडक्रास समिति नारनौल के प्रयास से स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम अधिकारी संदीप ककरालिया व भारती यादव ने बताया कि आज छठे दिन बाबा मनसा दास मंदिर कपूरी के प्रांगण में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया।  जिसमें हृदय गति की जांच, हड्डी रोगों की जांच, बीपी की जांच, ईसीजी,  शुगर की जांच, फिजियोथैरेपी, दातों की जांच, शुगर की जांच की। जांच शिवर में डा. सैयद मुशीद जनरल फिजिशियन एवं डा. मुशाई भट्ट हड्डी रोग विशेषज्ञ व उनके टीम के सदस्यों ने स्वास्थ्य जांचा और दवाइयां भी वितरित की। इस कैंप में 100 स्वयंसेवकों एवं 50 ग्रामीण ने स्वास्थ्य की जांच करवाई। महिलाओं के ईसीजी की विशेष जांच की गई। डाक्टरों की टीम ने स्वास्थ्य जांच के साथ लोगों को रोगों से बचाव एवं उपचार के बारे में जानकारी दी। साथ ही स्वयं सेवकों को आपातकालीन स्थिति में दी जाने वाले प्राथमिक सहायता के बारे में जानकारी दी और कुछ तोर तरीका भी समझाएं।
कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इस तरह के शिविरों के माध्यम से कहीं न कहीं जनता में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। सभी को स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होना जरूरी है। उन्होंने बताया, आज के शिविर में जोड़ों के दर्द, खांसी, पेट से जुड़ी समस्याओं आदि की शिकायतें लेकर लोग पहुंचे थे जिनका निवारण किया गया। उन्होंने बताया कि स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित जांच कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव में सहायक होती है। प्राचार्य डा. विनोद ने सभी डा. एवं उनके टीम का धन्यवाद किया।
फोटो कैप्शन 01: एनएसएस शिविर में जांच करवाते विद्यार्थी।


















जीत हार के लगने लगे हैं सट्टे
-समर्थक अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं सुनिश्चित
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कनीना की आवाज।
 जहां रविवार को कनीना नगर पालिका के प्रधान पद तथा पार्षद पद के लिए चुनाव संपन्न हो गए। मतदान भी जहां करीब 86 प्रतिशत रहा किंतु विगत योजनाओं की तुलना में कुछ कम मतदान हुआ है। जहां चुनाव मैदान में 7 महिला प्रत्याशी थी और सातों ही अब अपनी-अपनी जीत के दावे जाता रही हैं। कोई अपने को किसी से कम नहीं आंक रही है। इस संबंध में कनीना में हार जीत के सट्टे लगने लग गये हैं। वार्ड एक, प्रधान पद, वार्ड नौ के सट्टे लग चुके हैं।
 सातों प्रधान पद की दावेदार पहली बार प्रधान पद के लिए मैदान में उतरी हैं। ऐसे में त्रिकोणिये कड़ा मुकाबला प्रधान पद के लिए माना जा रहा है। यह सत्य है कि दो प्रधान पद की दावेदार पार्षद पद का चुनाव लड़ चुकी हैं जिनमें से संतोष यादव पार्षद भी रह चुकी है। अलग अलग वार्डों से विभिन्न प्रत्याशियों की जीत बताई जाने लगी है जिसके चलते सट्टों का बाजार गर्म है।
अब तो प्रत्याशी कम परेशान नजर आये अपितु समर्थक सबसे अधिक बेचैन एवं उम्र दिखाई दे रहे हैं। इन चुनावों में इस बार प्रत्येक प्रत्याशी हर परिवार में किसी न किसी का जानकार होने के कारण एक ही परिवार के वोट आपस में बंट गये हैं। ऐसे में साइलेंट वोटर अधिक होने के कारण हार जीत का सही सही आंकलन कर पाना कठिन हो चुला है। अब तो 12 मार्च को कनीना माडल स्कूल में होने वाली मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा कि किसके हाथ कुर्सी लगती है।

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