Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, March 24, 2025


 

पक्षियों के लिए रखे दाना पानी
गर्मी बढ़ी, पक्षियों के लिए रखे सिकोरे
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कनीना की आवाज।
 जंगलों में भी सिकोरे रखकर कई किसान पक्षियों की सेवा कर रहे हैं। अब जब गर्मी में पानी का अभाव होता है तो ये लोग पक्षियों की सेवा करते हैं। ऐसे ही शख्स सूबे सिंह हैं। किसान सूबे सिंह खेतों में रहते हैं।
 सूबे सिंह का बहना है कि गर्मियों में तापमान 40-45 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। पक्षियों की सुरक्षा करना जरूरी बन जाता हैं। उनके लिए दाना पानी का प्रबंध किया जाना उचित है।
 भीषण गर्मी के चलते एक ओर जहां पक्षियों का जीना कठिन हो रहा है वहीं उनकी संख्या घटने के पीछे भीषण गर्मी भी एक कारण है। लेकिन लोगों के जागरूक हो जाने के कारण अब घरों की छतों पर सिकोरे रखे जाने लगे हैं वहीं दाने भी डाले जाते हैं।
   वर्तमान में लोग भी जीव जंतुओं के प्रति जागरूक हो गए हैं। वे अपने घरों की छतों पर तथा दीवारों पर निरीह पक्षियों के लिए गर्मियों में सिकोरे रखते आ रहे हैं। इन सिकोरों में सुबह एवं शाम को पानी भरते हैं ताकि पक्षी जल पी सके और भीषण गर्मी से बच सके। कनीना के राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह,तथा महेश कुमार प्रतिदिन सिकोरों में पानी भरते हैं। उनका कहना है कि पक्षियों का ध्यान रखे और उनके लिए दाना पानी का प्रबंध जरूर करें।
    बाबा मोलडऩाथ, बाबा राधेदास, विभिन्न मंदिर कनीना के पास ही पक्षियों के लिए विशेष चबूतरे बनाए गए हैं जहां भक्त देवी देवता के दर्शन के लिए जाते हैं तो अपने साथ अन्न ले जाते हैं। इस अन्न को पक्षियों के लिए डाल देते हैं। पक्षी इसी अन्न को खाते हैं।



गर्मी आते ही घड़ों की ओर रुझान बढ़ा
-देशी फ्रिज नाम से जानते हैं लोग
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कनीना की आवाज।
 यूं तो गर्मी आने पर फ्रिज का लोग जमकर उपयोग करते हैं किंतु बुजुर्ग एवं ग्रामीण लोगों का रुझान आज भी घड़ों की ओर है। यद्यपि घड़े बनाने में घंटों का समय लगता है किंतु इनमें पानी स्वास्थ्य अनुकूल माना जाता है। यही कारण है कि बीमारियों से और फ्रिज से छुटकारा पाने के लिए आज भी लोग घड़ों का पानी प्रयोग करते हैं।
घड़ा बनाने वाले महिपाल सिंह,दिनेश कुमार ने बताया कि आज के दिन कनीना एवं आस पास क्षेत्रों की माटी से घड़े नहीं बनाए जाते बल्कि माटी भी नांगल चौधरी, भिवानी तथा दूर दराज गांवों से खरीदकर लानी पड़ती है जिससे घड़े बनाए जाते और उन्हें सूखाकर, पकाया जाता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में आवे(घड़े पकाने की भ_ी) पाई जाती है। घड़े ही नहीं अपितु समय-समय पर दीपक, सुराही, छोटी मटकी तथा अनेक अन्य मिट्टी के उपकरण तैयार किए जाते हैं जिन्हें भ_ी में पकाया जाता है। घड़ों की कीमत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में एक घड़ा 100-125 रुपये का मिलता है। उधर घड़े का पानी पीने वाले राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, सत्यराज
आदि ने बताया कि उनके वक्त कभी फ्रीज नहीं होते थे। महज घड़ों का ही पानी ठंडा रहता था जिसे पीकर लंबे समय तक स्वस्थ रहते थे। आज घड़ों की बजाय फ्रीज, कुल्फी, आइसक्रीम आदि पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कोरोना महामारी के कारण फ्रीज एवं ठंडे खाने पसंद नहीं किये गये किंतु कोरोना समाप्त होने के बाद आज तक देशी फ्रिज की मांग बढ़ी है।
डा. वेद, डा अजीत कुमार आदि ने बताया कि घड़ों का पानी स्वास्थ्य के लिए ज्यादा उचित रहता है। फ्रिज का पानी पीना नुकसानदायक है, ऐसे में उनका कहना है कि घड़ों का पानी ही पीना चाहिए और आने वाले समय में फिर से घड़ों की मांग होगी। वर्तमान में घड़े बनाने वाले त्वरित गति से घड़े बना रहे हैं। घड़ों के अतिरिक्त छोटे-छोटे घड़े, सुराही, मटकी, पौधे उगाने वाले गमले आदि भी बनाए जाते हैं।



आज तक नहीं निकल पाई है महिलाएं घूंघट से बाहर
-हर विभाग में कर दी जाए प्रतनिधि प्रचलन?
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कनीना की आवाज। 
चाहे हरियाणा सरकार ने हर क्षेत्र में महिलाओं को करीब 33 फीस दिया आरक्षण भी दिया हुआ है परंतु आश्चर्यजनक है कि अभी तक बहुत सी महिलाएं घूंघट से बाहर नहीं आ रही है। यह बात उन पर लागू नहीं होती जो वोटर है अपितु चाहे सरपंच, पांच या पंचायत समिति में जीती हुई महिलाएं हो, घर से बाहर नहीं निकलती। उनके जेठ, ससुर या देवर आदि उनका काम करते हैं। एक तरफ जहां उनको सभी अधिकार के साथ-साथ आरक्षण दिया हुआ हैं परंतु सरकार अभी तक उन सभी को घूंघट से बाहर नहीं निकाल पाई है। किसी सभा, मीटिंग या अन्य कार्यक्रमों में कई महिला सरपंच या पंच आदि के प्रतिनिधि मिलते हैं। अगर महिला मंच पर आ भी जाती हैं तो घूंघट किये हुये मिलती है। इसका अर्थ है कि हर प्रकार की नौकरी पेशे में भी महिलाओं की जगह प्रतिनिधि का प्रावधान किया जाए। चाहे पढ़ाने जाना है या फिर कहीं नौकरी में उन महिलाओं के प्रतिनिधि को अधिकार दे देना चाहिए वरना सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।  आश्चर्यजनक है कि प्रतिनिधियों से ही करवाया जाता है। यहां तक कि कुछ महिलाओं के तो हस्ताक्षर और मोहर भी उनके प्रतिनिधि लगते हैं। वोट डालने जाती हैं तो घूंघट में या फिर लाइन में हैं तो भी यही हालात मिलती है। ऐसे में वोट जरूर डाल रही है किंतु जितना सुधार घूंघट से बाहर आने में होना चाहिए उतना अभी तक नहीं हुआ है। बहुत से गांवों की महिलाओं के  प्रतिनिधि आज भी काम कर रहे हैं। आज भी घूंघट से बाहर नहीं आ रही यहां तक के लोगों को मालूम ही नहीं है कि पुरुष पंच या सरपंच या कोई महिला। अब तो कोर्ट का भी सख्त आदेश है कि किसी महिला की जगह उसका प्रतिनिधि काम करता पाया जाएगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी किंतु आज तक के इतिहास में ऐसा मामला सामने नहीं आया है। ऐसे में न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।



कनीना में सप्लाई हुआ बहुत दूषित पेयजल
-कनिष्ट अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग ने समस्या का निराकरण करने का दिया आश्वासन
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कनीना की आवाज।
 कनीना कस्बा में यूं तो समय-समय पर गंदे पानी की सप्लाई होने की समस्या सामने आती रही है किंतु 20 मार्च को जहां वार्ड नंबर 7 और वार्ड नंबर 1 के उपभोक्ताओं को बहुत गंदा जल उपलब्ध हो पाया। वहीं सोमवार 24 मार्च को फिर से गंदा जल सप्लाई हुआ है। नलों से गंदा जल देखकर उपभोक्ता बहुत नाराज हैं।
उपभोक्ता विजय पाल, सुरेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, रोहित कुमार, महेंद्र सिंह, सज्जन सिंह आदि ने बताया कि अचानक जब नल चलाया तो बहुत अधिक गंदा जल सप्लाई हुआ, जिसमें बदबू आ रही थी और लगता था सीवर का जल ही सप्लाई हो रहा है। पीना तो दूरी से स्नान करना और कपड़ों कपड़े धोना भी कठिन हो गया। पशुओं को भी ऐसा गंदा जल नहीं पिलाया जा सकता। उपभोक्ता नाराज थे और उन्होंने प्रशासन से अविलंब समस्या का समाधान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गर यह जल पी लिया जाए तो निश्चित रूप से व्यक्ति बीमार हो जाएंगे। अभी तक स्पष्ट नहीं पता चल पाया है कि ऐसा गंदा जल सप्लाई कैसे हो पाया परंतु उपभोक्ताओं में रोष पनपा। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन इस समस्या का समाधान नहीं करेगा तो धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा।
 इस संबंध में जब जेई जन स्वास्थ्य विभाग पवन कुमार कनीना से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके सामने समस्या आ गई है और वे जल्द ही समस्या का समाधान कर देंगे। वे पता लगाएंगे कि गंदा जल सप्लाई कैसे और क्यों हुआ और इस समस्या का निराकरण तुरंत करेंगे। अब देखा जाना है कि समस्या का समाधान कब तक किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि कनीना कस्बे में सप्लाई जल की लाइन करीरा रोड के सामने लीक हो रही है तथा अकेला जन स्वास्थ्य विभाग ही दोषी नहीं है अपितु उपभोक्ता पेयजल के लिए लाइन सीवर से होकर ला रहे हैं ,यही कारण है कि गंदा पेयजल कहीं से लाइन में घुस गया गया है और साफ पानी में मिल गया है और लोग परेशान हैं।
 फोटो कैप्शन 02: कनीना कस्बा में सप्लाई हो हो रहा गंदा जल



कनीना उपमंडल के लोगों ने दिया एसडीएम को ज्ञापन



-राजेंद्र सिंह लोढ़ा को भाजपा से निष्कासित के लिए भेजा भाजपा के उच्चाधिकारियों को ज्ञापन
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कनीना की आवाज।
  कनीना उपमंडल के कई गांवों के लोगों ने कनीना एसडीएम डा. जितेंद्र सिंह को एक ज्ञापन देकर हाल ही में भाजपा में शामिल हो रहे राजेंद्र सिंह लोढ़ा को निष्कासित करने की मांग की है। उन्होंने ज्ञापन नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री सहित उच्च अधिकारियों को भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि कनीना उप-मंडल के निवासी, आपके संज्ञान में निम्रलिखित तथ्य लाकर भारतीय जनता पार्टी जैसे विश्व के सबसे बड़े राजनीति दल जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जैसे महान व्यक्तित्व कर रहे हैं। उस पार्टी में एक ऐसे व्यक्ति जिसके हाथ आधा दर्जन से अधिक मासूम बच्चों के खून से रंगे हुए हैं, को भाजपा जैसी न्यायसंगत, स्वच्छ और ईमानदार पार्टी में शामिल करके क्षेत्र की जनता की भावनाओं को ठेस तो पहुंची ही है वहीं पार्टी की छवि भी धूमिल हो रही है।
   यह तथ्य गौरतलब है कि दिनांक 11 अप्रैल 2024 को कनीना सिटी थाना में प्रथम सूचना रपट संख्या 44 जो आईपीसी की धारा 337/3366/304/279/120 बी/109 तथा मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192 व 185 के तहत दर्ज की गई थी, में आरोपी राजेंद्र सिंह लोढ़ा जो जीएल पब्लिक स्कूल कनीना का कर्ताधर्ता है, अब आपकी पार्टी में शामिल हो गया है। राष्ट्र स्तर पर चर्चित इस स्कूल बस दुर्घटना जिसमें 6 मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी तथा दो दर्जन से भी अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गये थे जिनमें से एक लड़की सपना पुत्री राकेश जो जीवन मृत्यु के बीच 9 माह तक संघर्ष उपरांत  जीवन से हार गई। इस दुर्घटना पर देश के राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृहमंत्री अमित शाह समेत देश के तमाम छोटे बड़े नेताओं ने ट्वीट कर दुर्घटना पर शोक जताया था।  यह व्यक्ति उस समय प्रदेश सरकार द्वारा ग्रीवेंस कमेटी का सदस्य भी बनाया हुआ था जिसको लोगों की भावना के मद्देनजर हटा दिया गया था तथा लगभग एक सौ दिन जेल में भी रहा। विगत वर्ष अक्टूबर माह में संपन्न विधानसभा चुनावों में राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने भाजपा के प्रत्याशी के विरुद्ध खुलकर कांग्रेस प्रत्याशी अनीता यादव के पक्ष में प्रचार किया एवं वोट मांगे।
   अब अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ साथ भ्रष्टाचार करने के लिए इस व्यक्ति ने भारतीय जनता पार्टी जैसी स्व'छ एवं उÓÓवल छवि वाली पार्टी का दामन थाम लिया है। इस व्यक्ति ने जो 7 स्कूली बच्चों की अकाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार है और जो मुकदमा इस प्रकरण में दर्ज हुआ था तथा स्कूल की मान्यता रद्द करने संबंधित आदेशों से राहत पाने के लिए सरकार का दामन थामने का कुत्सित प्रयास किया है। राजेंद्र लोढ़ा को पार्टी में शामिल किये जाने से जहां पीडि़त परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम हुआ है वहीं भाजपा को समर्पित महेंद्रगढ़ जिला के कार्यकर्ताओं को भारी ठेस पहुंची है। हम सभी आपसे करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि इस व्यक्ति को पार्टी से निकाल, लोगों की भावनाओं अनुसार फैसला लिया जाए। यदि लोगों की भावनाओं अनुसार राजेंद्र सिंह लोढ़ा को पार्टी से नहीं निकाला गया तो भाजपा के जिला कार्यकर्ता, पार्टी के केंद्रीय कार्यालय पर गुहार लगाने को मजबूर हो जाएंगे। अधिकारी ने ज्ञापन लेकर आगे प्रेषित करने का आश्वासन दिया।
क्या कहते हैं ज्ञापन देने वाले--
ज्ञापन देने वाले संजय शर्मा, ओमप्रकाश, जगदीश, अजीत जिला पार्षद, सुरेश झाड़ली, लालचंद सहित कई भाजपा के सदस्य एवं जिनके बच्चे जीएल स्कूल की बस में मारे गये शामिल हैं, उनका कहना है कि हमने भाजपा के उच्चाधिकारियों तक बात पहुंचाने का उद्देश्य है। यदि फिर भाजपा हाईकमान ने उन्हें निष्काषित नहीं किया तो जल्द ही भाजपा कार्यालय कनीना के समक्ष प्रदर्शन करेंगे।
फोटो कैप्शन 01: एसडीएम कनीना को ज्ञापन देते लोग।


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