होलिका दहन का काम पूर्ण
--लोगों ने भूनी जौ की बालियां
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना के होलीवाला जोहड़ पर होलिका दहन पूर्ण हुआ। यद्यपि ज्योतिषियों के अनुसार होलिका दहन का समय रात्रि करीब 11 बजे का था किंतु शाम 7:30 बजे ही होलिका दहन का कार्य पूर्ण कर दिया गया। दूर दराज से आये लोगों ने जौ की बालियों को भूनकर उसका स्वाद चखा। पुराने समय में तो किसान वर्ग भूने हुये जौ के दानों को चखकर अनाज पकने का पता लगाते थे और फिर फसल की कटाई का काम शुरू करते थे किंतु अब वो नियम गायब हो गया है। आजकल लोग लावणी पहले से शुरू कर देते हैं तथा होलिका दहन बाद में होता है। वैसे भी जौ की खेती क्षेत्र में नहीं होती है जौ भूनने के लिए भी लोग दूर दराज तक जौ को ढूंढते देखे गए।
फोटो कैप्शन 08: होलिका दहन
फिर हुई ओलावृष्टि किसानों के अरमानों पर फेरा पानी
--विगत माह भी हुई थी कई गांवों में ओलावृष्टि
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना उप मंडल के गांव स्याणा, नौताना, बाघोत आदि गांवों में गुरुवार शाम को ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि के कारण फसलों पर कु-प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि ओलावृष्टि देर शाम को हुई है इसलिए कल तक पता लग पाएगा कि किसानों की फसल में कितना नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि के कारण पूरी धरती सफेद हो गई।
फोटो कैप्शन 07: बाघोत में ओलावृष्टि का एक नजारा
बस रह गया हार जीत का मंथन
-शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना नगरपालिका के चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो गए हैं। चुनाव में जान आशा के विपरीत परिणाम आए हैं। वैसे भी इस बार प्रधान पद के अधिक दावेदार होने के कारण हार जीत के समीकरण ही बदल गये हैं। ऐसे प्रत्याशी भी जीते हैं जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते थे जबकि कुछ ऐसे प्रत्याशी हार गये हैं जिनके बारे में बहुत से लोग जानते थे और उनकी जीत की आस लगाए हुए थे। किंतु उनकी हार हुई है। इस बार के चुनाव लोगों को एक सबक देकर चले गए हैं। यद्यपि इस बार चुनाव में किसी प्रकार का लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ जो कनीना क्षेत्र के लिए एक सुखद पहलू है।
सीएम से सम्मानित बनारसी देवी का हुआ गांव में सम्मान
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज।कनीना उपमंडल के गांव बवानिया की अग्रणी महिला एवं मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित बनारसी देवी का आज गांव में स्वागत किया गया। महिला शक्ति संगठन द्वारा बवानिया पिकल फैक्ट्री में उन्हें साल ओढ़ाकर सम्मान दिया और होली की मुबारकवाद दी गई। बनारसी देवी ने बताया कि 8 मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा 21000 रुपये नकद तथा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था। इसी खुशी में आज महिला शक्ति संगठन बवानिया द्वारा भी उन्हें सम्मान दिया गया। होली भी मिलकर खेली। इस मौके पर रेनू यादव, भगवती, माया देवी, सुषमा, कृष्णा, सविता ललिता, मानसी, सरोज, सुनीता, कोमल, पिंकी गायत्री आदि अनेक महिलाएं उपस्थित रही।
फोटो कैप्शन 6: बनारसी देवी का सम्मान करते
जस्टिस नरेश शेखावत का कनीना बार में किया स्वागत
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना बार एसोसिएशन में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के माननीय जस्टिस नरेश शेखावत जी का होली के पर्व पर आगमन हुआ। जस्टिस नरेश शेखावत का कनीना बार में यह प्रथम आगमन था जिस पर कनीना के अधिवक्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर माननीय जस्टिस ने अपने संबोधन में कहा कि कनीना बार के अधिवक्ता युवा व मेहनती हैं मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी अपना कार्य बेहतर तरीके से कर रहे हैं अधिवक्ताओं को वकालत के क्षेत्र में और अच्छी मेहनत करनी चाहिए ताकि लोगों को सही और उचित न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि कनीना बार की न्यायालय भवन निर्माण व मूलभूत समस्याओं का भी जल्द ही समाधान करवाया जाएगा। इस अवसर पर बार प्रधान मंजीत यादव पूर्व प्रधान ओ पी रामबास पूर्व प्रधान सुनील रामबास वरिष्ट अधिवक्ता कैलाश गुप्ता वरिष्ठ अधिवक्ता राम अवतार यादव पूर्व प्रधान कुलदीप पूर्व प्रधान गिरवर लाल कौशिक पूर्व प्रधान रमेश कौशिक एडवोकेट दिनेश यादव विक्रम ककराला राजकुमार तंवर रामनिवास शर्मा अनिल शर्मा सतीश करीरा सुनील ककराला राकेश मानपुरा उपप्रधान संदीप यादव सचिव सोमवीर गोमला विचित्र शर्मा रघुराज यादव सहित अनेक अधिवक्ता मौजूद रहे।
खुशी का पर्व है गले मिलेंगे
-पानी बर्बादी रोकेंगे,रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं करेंगे
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। रंगों के पर्व होली को यादगार बनाने के लिए इस बार भी युवा कम से कम पानी का प्रयोग करेंगे तथा हो सके तो पानी बगैर होली खेलेंगे। गले मिलकर तथा टीका लगाकर ही होली खेलेंगे। गुलाल का भी कम से कम प्रयोग करेंगे। शिक्षित वर्ग ने सादगी एवं कम पानी प्रयोग करके मनाने पर बल दिया।
**रासायनिक रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है वहीं इसका प्रयोग अधिक पानी को खराब करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कम से कम पानी प्रयोग करना चाहिए। गुलाल का प्रयोग भी कर सकते हैं। नाक,आंख गले एवं शरीर के लिए घातक साबित होता है।
-डा जितेंद्र मोरवान
होली एक पवित्र एवं हंसी खुशी से मनाने की शिक्षा देता है। ऐसे में हमें प्यार से एक दूसरे को चंदन आदि का टीका लगाकर या फूलों की होली खेलकर मनाना चाहिए। प्राकृतिक पदार्थों के संग मनाई गई होली सच्ची होली होगी।
--जसवंत सिंह बबलू, समाजसेवी
पानी बचाना इस पर्व का प्रमुख कत्र्तव्य होगा। पेयजल की कमी होती जा रही है। ऐसे में होली मनाने के लिए हमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने पर बल देना चाहिए। उन्होंने यह संदेश हर जन तक पहुंचाने की अपील की।
--सतीश कुमार,कनीना
इस होली के पर्व पर रासायनिक रंगों का त्याग करके प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे। पानी की बचत करेंगे और भाईचारे का पैगाम देंगे। एक दूसरे से गले से मिलकर पर्व को बेहतर बनाएंगे।
-महेंद्र शर्मा, झाड़ली
दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है वहीं इंसान पानी का दुरुपयोग कर रहा है। एक ओर जहां खुशी का अवसर है तो क्यों न पानी की बचत करते हुए या तो कम से कम गुलाल लगाकर या फिर चंदन आदि का टीका लगाकर खुशी का इजहार किया जाए। उन्होंने कहा कि वे सभी को जल बचाने, रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचने की प्रेरणा देंगे। यह जनहित का कार्य है और इस कार्य में अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए।
-विनय कुमार एडवोकेट
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नरेश शेखावत पहुंचे कनीना
-कनीना बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने किया जमकर स्वागत
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कार्यरत न्यायाधीश नरेश शेखावत अपने पैरेंटल बार होने के नाते कनीना बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिलने पहुंचे। कनीना बार एसोसिएशन में उनका पगड़ी एवं बुक्का आदि भेंट करके सम्मान किया गया। उन्होंने इस मौके पर बार एसोसिएशन कनीना के पदाधिकारी से मुलाकात की और होली मिलन की शुभकामनाएं। साथ में यहां की व्यवस्था का भी अवलोकन भी किया।
उल्लेखनीय है कि महेंद्रगढ़ न्यायालय में नरेश सेखावत के पिता बैठते थे तत्पश्चात नरेश सेखावत भी वहीं बैठने लग गये। बाद में कनीना अलग से उपमंडल बन गया और महेंद्रगढ़ न्यायालय में कार्यरत अनेक वकील अब कनीना आ गये हैं। ऐसे में कनीना उनके पैरेंटल बार में शामिल है। न्यायाधीश बनने के बाद पहली बार कनीना पहुंचे। ऐसे में उनका स्वागत किया गया। इस मौके पर एसडीएम प्रवीण कुमार ,जेएमआईसी विशेष गर्ग सहित पूरी बार उपस्थिति रही।
फोटो कैप्शन 01: न्यायाधीश नरेश शेखावत कनीना बार के साथ
दिन भर चला भंडारा, लगा मेला
-दुलेंडी पर लगेंगे मेले
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना के प्रसिद्ध होलीवाला जोहड़ के पास होली दहन स्थल पर दिनभर मेला लगा और भंडारा लगाया। समाजसेवी पंकज एडवोकेट, बाबू वेद प्रकाश की ओर से होलिका दहन स्थल पर हर वर्ष भंडारा लगता है। यह भंडारा पकोड़े के प्रसाद के रूप में चलता है। जो बच्चे और महिलाएं होली स्थल पर आते हैं उन्हें ताजा तैयार पकोड़े खिलाए गए। यहां तक कि होलिका दहन स्थल के पास कुछ वर्षों से मेला लगता आ रहा है जिसमें महिलाएं और बच्चे खरीददारी करते हैं। रात को ही मेला स्थल पर लोग अपनी-अपनी जगह रोक लेते हैं और दुकान लगा देते हैं। सुबह होते ही सुबह सवेरे से महिला और बच्चे होली पूजन करने आते हैं वो होली का प्रसाद ग्रहण करते हैं तथा मेले का भी आनंद लेकर जाते हैं।
उधर होली दुलेंडी के दिन कनीना के आसपास कई गांव में मेला लगता है और बाल उतरवाने की प्रथा भी है। जहां निमोठ,भडफ़, जैनाबाद आदि स्थानों पर मेले लगेंगे।
फोटो कैप्शन 01: होलिका दहन स्थल पर लगा भंडारा
एक गांव ऐसा जहां खेली जाती है लट्ठमार होली
-नवविवाहित एक जाति विशेष भी है प्रचलन सोटी मार होली का
-ऐसा भी गांव जहां होली पर पूरा गाव मंदिर में खाना खाता है
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। कनीना और समीपी ग्रामीण परिवेश में रंगों का त्योहार होली मनाने के अनोखे एवं रोचक अंदाज होते हैं। इस त्योहार को होली, छारेंडी व दुलेंडी आदि नामों से जाना जाता है। हर वर्ग, जाति के स्त्री, पुरुष व बच्चे बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं।
रंगों का त्योहार होली यूं तो एकता और भाईचारे की अनूठी मिशाल कायम करता है जो फसल पकने की खुशी में भक्त प्रहलाद के होलिका दहन में प्रभु की कृपा से बचने की खुशी को इंगित करता है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में तो इसका एक नया रूप उभरकर सामने आने लगा है, वह सभ्य जन को इस पर्व से कोसों दूर रहने की प्रेरणा देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रात:काल से ही रंगों और गुलाल से होली की शुरुआत होने लगती है। कीचड़ में पटकने, मुंह में गुलाल व रंग भरने, पानी में पटकने, कालिख से मुंह पोतने से होली का लुत्फ उठाया जाता है। मतवालों की टोली दोपहर में कनीना कस्बा से निकलती है वहीं कुछ प्रबुद्धजन रात को हंसी ठट्ठा का आयोजन करते हैं जिसे होली स्वांग तथा खेल की समाप्ति का सूचक माना जाता है।
जिला के कनीना से मात्र दो किमी दूर चेलावास में लट्ठमार होली खेली जाती है। देवर और भाभी एक दूसरे पर ल_ï मारते हैं जो भाग खड़ा होता हे वह हारा हुआ माना जाता है। उन्हाणी में रही ऐसी ही परंपरा। कुछ लोग ल_ के डर से घर से ही इस दिन दूर रहते हैं और देर रात लौटते हैं। कनीना में भी एक जाति विशेष में जाल पेड़ की सोटी मारकर नव विवाहिता से होली खेली जाती है। गांव सीहा व भडफ़ में मेले भी लगते हैं। ढप व ढोल की ताल पर लोग थिरकते देखे जा सकते हैं। कनीना एवं आस पास गांवों में नव विवाहित वर-वधू जात देने की परम्परा पूर्ण करते हैं। एक जाति विशेष के लोगों में पति व पत्नी वृक्षों की लोदकों से खेल खेलते हैं बाकी परिवार दर्शक होता है। यह दृश्य अति रोचक होता है।
समीपी गांव कारोली में जहां सारा गांव एक साथ मंदिर में भोजन करके एकता की मिशाल कायम करता है । यहां के लोग अपने-अपने बर्तन लेकर मंदिर पहुंच जाते हैं और खाना खाकर लौटते हैं। परिवार में चाहे मेहमान भी आ जाए उसे भी मंदिर में ही खाना खाने जाना पड़ता है। ठाकुर जी का यह मंदिर गांव के बीच में है। होली जहां भाईचारे का पर्व है वहीं दुश्मनी साधने का तरीका भी बन गया है।
पुराने वक्त से फूलों द्वारा तैयार रंग व गुलाल ही होली खेलने में काम लेते थे परंतु आजकल तो गुलाल, रंग, जहरीले रासायनिक पदार्थों से बने रासायनिक पदार्थ काम में लाया जाता है जो शरीर में जाकर हानि पहुंचाता है। नाक, कान, जीभ व आंखों को भारी हानि होती है वहीं हाथों, कपड़ों मुंह व चेहरे पर डाला गया रंग कई-कई दिन तक साफ नहीं होता है।
जिला के समीपी गांव बव्वा, मसीत, जैनाबाद,निमोठ आदि में मुंडन संस्कार की प्रथा चली आ रही है। नवजात बच्चे के बाल वहां जाकर माता की पूजा करके उतरवाएं जाते हैं। गांव में होली खेलने की शुरुआत भाभी देवर पर पानी डालकर करती है। पिचकारी से रंग डालने के स्थान पर गुब्बारों में रंगीन पानी भरकर फेंका जाता है लेकिन यह विधि अति घातक मानी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई अन्य तरीके भी होली खेल के पनप रहे हैं। गांव जैनाबाद के उधोदास मंदिर में होली के दिन महंत लालदास स्वयं होली खेलने के लिए आगे आता है और दिनभर होली खेलते हैं। कनीना एवं आस पास गांवों के लोग बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए इन मंदिरों में दुलेंडी के दिन जाते हैं।
फोटो कैप्शन 03: कारोली का मंदिर जहां पूरा गांव दुलेंडी को खाना खाता है।
होली के बाद डिफाल्टरों के काटे जाएंगे कनेक्शन-एसडीओ बिजली
-फसलों को रखे बिजली की तारों से दूर
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम बूचावास के उपमंडल अधिकारी अरुण कुमार ने लोगों से बिजली की बकाया राशि जमा करने के लिए अपील की है। उन्होंने कहा कि सभी अपना अपना बकाया राशि का बिल तुरंत जमा करवा दे वरना होली के त्यौहार के बाद जो कोई डिफाल्टर है उनके कनेक्शन काटने में तेजी लाई जाएगी। साथ में उन्होंने लोगों से को जागरूक करते हुए कहा कि अपनी फसल कटाई करते समय काटी गई फसल बिजली की तारों से दूर रखें। बिजली की तारों के नीचे लगाने से कोई भी नुकसान होने का खतरा बन जाता है।
होली पर्व पर जल बचत पर देंगे जोर
-सादगीपूर्ण मनाएंगे प्रबुद्ध जन होली
**************************************************
*********************************************************
*****************************************************
कनीना की आवाज। 13 मार्च को रंगों का पर्व होली को सादगी से मनाए जाने के लिए अपील की जाने लगी है वहीं कई सामाजिक समूह सामने आने लगे हैं। युवा वर्ग में होली खेलने के प्रति विशेष उत्साह है परंतु प्राकृतिक रंगों तथा गुलाल लगाकर एवं चंदन का टीका लगाकर होली खेलेंगे। इस बार जल की बचत करेंगे। जल की कमी के झलकते अब सभी का ध्यान जल बचत पर टिका है।
सैकड़ों लोगों से इस संबंध में चर्चा की। रंगों के त्योहार होली के प्रति लोग जल बचाने, रंगों की बजाय गुलाल एवं तिलक लगाकर होली खेलने के पक्ष में हैं। वे इस प्यार एवं भाईचारे के पर्व को दुश्मनी भुलाकर खेलना पसंद करेंगे। पानी नहीं बचाया तो भविष्य अंधकारमय होगा ऐसे में जल की बचत मुख्य थीम होगा। कुछ लोगों के विचार निम्र हैं-
***पानी जीवन का आधार है और दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है। ऐसे में रंगों से बचने एवं पानी को बचाने के अलावा तिलक लगाकर होली खेलना चाहते हैं और दूसरों को भी यही प्रेरणा देंगे।
--सूबे सिंह,कनीना
रंगों का पर्व होली टूटे दिलों को जोडऩे का पर्व है। ऐसे में पुराने बैरभाव भुलाकर प्रेम एवं सद्भाव से यह पर्व मनाना चाहिए। गुलाल से ही होली खेलना चाहते हैं। पानी को बचाना चाहते हैं। वैसे भी तिलक करके होली खेली जा सकती है।
--नरेश कुमार, समाजसेवी
जल जीवन है इसे व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए। जल बिना जीवन की कल्पना ही संभव नहीं। होली जरूर खेलनी चाहिए किंतु अनावश्यक जल बहाना अनुचित होगा। वे इस संबंध में लोगों को जागरूक भी करेंगे। लोग होली पर बुराई की ओर लगे देखे गये हैं। उन्हें बुराई से दूर रहना चाहिए।
--कंवरसेन वशिष्ठ, कनीना
रंगों का पर्व होली जल बहाने का नहीं अपितु एकता का प्रतीक है। सभी प्यार में मिलकर इतना बड़ा प्यार कायम करे कि पूरा देश एकसूत्र में बंध जाए। पानी का कम से कम प्रयोग करेंगे। दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है। इसे बर्बाद नहीं करेंगे।
--दिनेश कुमार, कनीना
होली पर पानी अनावश्यक न बहाने की शपथ लेते हैं और गुलाल एवं प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलेंगे। पानी बिन सब सूना है उसकी बचत करेंगे। वर्षा जल संरक्षण पर जोर देंगे तथा पानी को बर्बाद होने से रोकेंगे।
--सुरेश कुमार, कनीना
फोटो कैप्शन: सुरेश कुमार, दिनेश कुमार, कंवरसेन वशिष्ठ, सूबे सिंह, नरेश कुमार
No comments:
Post a Comment