सावधान, कुछ पत्रकार बनकर खबर छापने के नाम पर हड़प रहे हैं पैसा
--संतों के धाम को भी नहीं बख्शते
--भडफ़ मेले से भी 3100 रुपये ले गया फर्जी पत्रकार
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कनीना की आवाज। वैसे तो संतों के आश्रम में लोग कुछ चढ़ाते हैं और यह प्रथा लंबे समय से चली आ रही है किंतु आजकल पत्रकारिता के नाम पर कुछ कलंक पैदा हो गए हैं जो विभिन्न स्थानों पर जाकर खबर के नाम पर पैसे हड़पने का काम कर रहे हैं। बाबा भीष्म दास मेले से एक सूचना आई कि उनसे एक पत्रकार बनकर 3100 रुपय इस बात के लिए ले गया कि वह उनकी खबर छापेंगे। इससे न केवल पत्रकारिता पर आंच आ रही है अपितु पत्रकारों को भी बुरी नजर से देखा जा रहा है। ऐसा पत्रकार कोई मिलता है जो खबर के नाम पर पैसे लेता है तो उसकी जमकर धुनाई करनी चाहिए, कूट-पीटकर भूत बनाना चाहिए और उसे पुलिस के हवाले करना चाहिए। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि आजकल पत्रकारिता को एक धंधा बना दिया है और इसमें जब से गिरावट आई है तब से असली पत्रकार अपने आप को पत्रकार कहलाते हुए शर्म महसूस करने लग गए हैं। अनेक छिछला ज्ञान लिये, इधर उधर अपन ऐश आराम के लिए लोगों से खबर के नाम पर पैसें ऐंठने लगे हंैं। जब भडफ़ मंदिर कमेटी के सदस्यों एवं समाजसेवियों से बात हुई तब एक बात उनसे मैंने पूछा कि यदि तुम्हें खबर का अधिक आनंद आता है तो मेरे पास भेज देते। 30 सालों से मैं सभी की खबर छापता रहा हूं और भविष्य में भी छापता रहूंगा परंतु पैसे देकर खबर छपवाने वाले मेरे से दूर रहे ,बात भी न करें वरना पुलिस तक सूचना दे दूंगा। इस प्रकार पैसे देकर खबर छपवाते हो वह भी किसी फर्जी पत्रकारों से तो वास्तव में इससे पत्रकारों का सिर नीचा होता है। ऐसे में उनको भी आगाह किया कि भविष्य में ऐसा कोई पत्रकार कहकर पैसे हड़पता है तो उसे बंधक बना लिया जाए और उसकी पीट-पीटकर बुरी गत बनाई जाए ताकि पत्रकारिता पर आंच ना आए। ऐसे लोगों को पुलिस के हवाले करना चाहिए।
मौसम की बेरुखी
-2 दिनों से चल रही है तेज हवाएं ,कहीं हो रही है ओलावृष्टि
-कनीना में शुक्रवार को हुई 3 एमएम वर्षा -फसलों को कोई लाभ नहीं
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कनीना की आवाज। इस बार जनवरी माह से मौसम लगातार बदल रहा है। बार-बार कभी वर्षा आती है तो कभी जो ओलावृष्टि होती है। कनीना उपमंडल के गांवों में दो बार ओलावृष्टि हो चुकी है, बार-बार बूंदाबांदी और वर्षा होती है जिससे किसने की चिंता की रेखाएं बढ़ती ही जा रही हैं। यहां गुरुवार को भी कुछ गांवों में ओलावृष्टि हुई, तेज हवाएं चली वहीं शुक्रवार को कनीना क्षेत्र में तीन एमएम वर्षा हुई। वर्षा से कोई लाभ की संभावना नजर नहीं आ रही है क्योंकि वर्षा के बाद तेज हवा चलने से गेहूं और सरसों की फसल गिरने के पूरे आसार बन गए हैं। इस समय किसान सरसों की लावणी में लगे हुए हैं और ऐसे में वर्षा का होना नुकसानदायक साबित होगा। गेहूं फसल पकान पर जा चुकी है और इस समय वर्षा होती है तेज हवा चलती है तो गेहूं के गिरने का खतरा बन जाता है।
किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि वर्षा से उनकी फसलों को नुकसान होने का अंदेशा है। किसान किसी प्रकार अपनी सरसों की पैदावार लेना चाह रहे हैं परंतु गेहूं की फसल लेने में कुछ समय बाकी है। क्योंकि होली पर्व के बाद ही कटाई में तेजी आती है। दूसरे राज्यों से मजदूर आने शुरू हो गए हैं जो अब फसल कटाई के काम में लग जाएंगे और जल्दी ही सरसों की फसल कटाई कर पैदावार मंडियों तक पहुंचाने की उम्मीद है। यदि इसी प्रकार मौसम रहा तो किसानों की चिंता की रेखाएं बढ़ती चली जाएंगी। कनीना क्षेत्र में तेज हवाओं से फसल गिर गई और वर्षा से नुकसान का अंदेशा बढ़ गया है। वर्षा एवं तेज हवाओं के चलते कनीना कस्बा में बिजली आपूर्ति लंबे समय तक अवरूद्ध रही।
फोटो कैप्शन 3: कनीना क्षेत्र में होती हुई वर्षा
नगर पालिका चुनाव 2025
हार के कारणों पर पर सभी कर रहे मंथन
- प्रधान पद के अधिक प्रत्याशी होने से सीधा लाभ हुआ रिंपी कुमारी को
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका के चुनाव 2 मार्च को हुये और मतगणना 12 मार्च को पूर्ण हो चुकी है। परिणाम सभी के सामने आ गए हैं किंतु हारने वाले प्रत्याशी अपनी-अपनी हार के कारणों पर मंथन कर रहे हैं। कुछ तो घर से भी निकालना उचित नहीं समझ रहे हैं। क्योंकि अप्रत्याशित परिणाम आने से अब अनेक प्रकार की चर्चाएं शुरू हो गई है। कनीना नगर पालिका में जहां सबसे अहम पद प्रधान का रहता है और इस बार जहां अनुभवी प्रत्याशी मैदान में थे तो नये प्रत्याशी मैदान में अधिक थे। परंतु सबसे बड़ी बात रही कि सबसे अधिक प्रत्याशी प्रधान पद के दावेदारी में खड़े हो गए। प्रधान के लिए जहां 7 प्रत्याशी मैदान में थे। यही कारण है कि वह एक दूसरे के वोट काटते रहे और सबसे अधिक नुकसान सुमन चौधरी को हुआ।
सुमन चौधरी अपनी जीत सुनिश्चित समझ रही थी किंतु अधिक प्रत्याशियों के खड़े होने से जहां उनको अधिक नुकसान हुआ और हार की ओर चली गई। जहां जहां संतोष पूर्व पार्षद भी रह चुकी है और इस बार प्रधान पद की दावेदारी में थी किंतु महज 300 वोट ही मिल पाए। उधर देखा जाए तो सुमन रोहिल्ला पहली बार मैदान में उतरी और एक अच्छा वोट स्कोर हासिल किया जिसकी पूरे ही कस्बा में चर्चा है और एक तीसरा गुट उभर कर सामने आया है। यह भी एक सत्य है कि जहां रिंपी कुमारी के ससुर के आशीर्वाद से अलग-अलग वार्डों में प्रत्याशी खड़े हुए थे जिनसे प्रधान पद के वोट बढ़ते चले गए परंतु सुमन चौधरी और उनके ससुर के प्रत्याशी के आशीर्वाद से प्रत्याशी तो खड़े हुए थे किंतु मास्टर दिलीप सिंह वोट मांगने के लिए वोटर के पास नहीं पहुंचे। अगर वो मतदाताओं के बीच में दर्शन भी देने जाते तो वोटों की संख्या बढ़ सकती थी परंतु उनकी उम्र अधिक हो चुकी है। वहीं सबसे सुमन चौधरी के हारने के पीछे रह सविता के काम होता ना उप प्रधान अशोक ठेकेदार की पत्नी सविता के कम वोट आना माना जा रहा है। यदि अधिक वोट आते तो सीधा नुकसान रिंपी कुमारी को होता। वैसे भी जहां प्रत्याशियों के साथ कई अलग-अलग फैक्टर काम कर रहे थे। जहां कुसुम लता को इसलिए लोगों ने वोट नहीं दिए कि उनकी नजर में वह हार में जा रही थी और वोटरों का कहना था कि जब प्रत्याशी हार रहा है तो उसे क्यों वोट दिए जाए? वही सरिता जसवंत सिंह के विषय में एक ही बात पूरे कस्बे में फैली हुई थी कि ये तो गुरुग्राम में रहते हैं कभी कभार आते हैं इसलिए इनको क्यों वोट दिए जाएं? उधर अशोक ठेकेदार और एक मंत्री के सचिव के बीच थप्पड़ चटेका का बुरा प्रभाव माना जा रहा है। हो सकता है कनीना में उनका मान सम्मान बढ़ा हो। वही सुमन रोहिल्ला भी हार जीत का कारण बनी है। उन्होंने सुमन चौधरी के अधिक वोट काटे तो रिंपी कुमारी के कम वोट काटे। जहां कस्बा कनीनावासियों के लिए सरिता चौधरी ने इतने सुंदर-सुंदर वादे किए थे जो सारे धरे के धरे रह गए। वही सबसे बड़ी बात थी कि आक्रामक वोट मांगने का तरीका किसी भी प्रत्याशी ने नहीं अपनाया जिसके कारण भी वोट कम मिले। अगर सुमन रोहिला और बाकी प्रत्याशी भी अपने-अपने तरफ से सभी वार्डों में किसी न किसी को पार्षद बतौर चुनावों के लिए खड़े करते तो वोटों की संख्या बढ़ती चली जाती और परिणाम कुछ और ही होते। बहरहाल अब हार के कारणों पर विभिन्न प्रकार के मंथन चल रहे हैं। कुछ शर्त लगाने वाले बर्बाद भी हो गए तो कुछ को जीत भी हासिल हुई और अच्छे पैसे भी हासिल हुए। अब तो 2030 में नगर पालिका चुनाव की संभावना है, तब तक देखना है कि कौन नया चेहरा लोगों के बीच में धीरे-धीरे प्रभाव जमाता है।
भडफ़ में बाबा भीष्म का लगा मेला
-पूरे गांव अर्पित किया दूध, बनाई खीर , बांटा गया प्रसाद
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव भडफ़ में बाबा भीष्मदास का मेला संपन्न हुआ। इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता है कि पूरा गांव अपने पशुओं का दूध लाकर बाबा आश्रम में चढ़ाते हैं जिससे खीर बनाई जाती है और प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। इस मौके पर खेल खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की गई। समाजसेेवी महेंद्र सिंह, बलराज, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि आयोजित कबड्डी में प्रथम ईनाम 21000 रुपये तथा द्वितीय नाम 11000 रुपये रखा था, दोनों ही इनाम भडफ़ के नाम रहे। रस्साकशी में प्रथम इनाम मंडावली ने जीता जबकि दूसरा इनाम भडफ़ के नाम रहा। इस मौके पर समाजसेवियों ने दर दराज से आये भक्तों को प्रसाद वितरित किया।
फोटो कैप्शन 01: बाबा भीष्मदास मेले में कमेटी सेवा करते हुए।
सराहनीय कदम
-मेले में प्रवेश का लगाया काउंटर, 82 बच्चों को किया रजिस्ट्रेशन
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कनीना की आवाज। हरीश कुमार प्राचार्य शहीद सतपाल सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सीहोर व स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के नेतृत्व में सीहोर गांव में बाबा ब्रह्मचारी के धुलेंडी के अवसर पर मेले में एक नई पहल करते हुए नामांकन पटल काउंटर लगाया गया। जिसमें 82 बच्चों के रजिस्ट्रेशन किए गए।
पिछले वर्ष भी प्राचार्य एसएमसी सदस्यों व स्कूल स्टाफ द्वारा 27 नये बच्चों को विद्यालय में नामांकन किया गया था। प्राचार्य ग्राम वासी व एसएमसी सदस्यों ने मिलकर गत वर्ष नामांकन के साथ-साथ 15 लाख रुपये की राशि एकत्रित करके स्कूल में एक बड़े हाल के निर्माण के साथ-साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराई। शिक्षा मंत्री श्रीमती सीमा त्रिखा द्वारा गत वर्ष सीहोर स्कूल को महेंद्रगढ़ जिले का को उत्कृष्ट स्कूल घोषित किया गया था।
प्राचार्य , स्टाफ सदस्यों व स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के मार्गदर्शन में अध्यापकों ने कड़ी मेहनत करके पिछले वर्ष शत प्रतिशत वार्षिक परीक्षा परिणाम व 21 मेरिट सुनिश्चित की गई। प्राचार्य ,स्टाफ सदस्य स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने इस बार 100 नामांकन बढ़ाने का दावा किया है, 11वीं कक्षा में 300 नामांकन होने उपरांत स्कूल को कालेज में परिवर्तित करने के लिए भरसक प्रयत्न किए जाएंगे।
मेले के अवसर पर नामांकन टीम में सतेंद्र सिंह प्रवक्ता संस्कृत,विक्रम सिंह विज्ञान अध्यापक, शुभम लांबा विज्ञान अध्यापक, विक्रम पीटीआई, संदीप कुमार कंप्यूटर सहायक, बलवंत सिंह एसएमसी उप प्रधान, एसएमसी सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05: मेले में प्रवेश काउंटर लगाकर नामांकन करते हुए स्कूल स्टाफ।
निमोठ बाबा बिशनदास के रही भीड़
--बाल उतरवाने की प्रथा की पूर्ण
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कनीना की आवाज। कनीना के समीपी गांव निमोठ में मेला लगा तथा बच्चों के बाल उतरवाये गये। बिशनदास मंदिर निमोठ, जैनाबाद का उधोदास आश्रम तथा सीहा आदि स्थानों पर बाल उतरवाए गये तथा मेले लगे। परंतु बव्वा की माता पर बासौड़ा को ही बाल उतरवाएं जाते हैं।
कनीना बिशनदास मंदिर गये अमीश कुमार, रोहित कुमार, कृष्ण कुमार, टिंकू आदि ने बताया कि कनीना से भारी संख्या में भक्त दुलेंडी को पहुंचे तथा बच्चों के बाल उतरवाये। बाबा की धाक लगाई तथा दिनभर मेला लगा।
फोटो कैप्शन 06: बिशनदास निमोठ में बाल उतरवाते भक्त
शांति से मनाया प्रेम एवं भाईचारे का पर्व धुलेंडी
--दिनभर चला दुलेंडी का पर्व
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कनीना की आवाज। कनीना में धुलेंडी का पर्व होली धूमधाम से संपन्न हुआ। होली के पर्व पर किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है। दिन भर लोग रंग गुलाल से होली खेलते नजर आए।
उल्लेखनीय है कि युवा वर्ग में पहली बार देखने को मिला कि पानी की बचत कर रहे थे तथा प्राकृतिक रंग एवं गुलाल आदि से होली खेल रहे थे। कृष्ण कुमार, सुरेंद्र कुमार, सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने पहली बार हल्दी, टेसू के फूल, चुकंदर का रस, पत्तों के रस एवं मेहंदी आदि से होली खेली और पानी को बचत की पहली बार क्षेत्र में सूखी होली खेलने को मिली। वहीं यदाकदा कुछ लोग पानी बिखेरते भी नजर आए। वहीं दुुलेंडी के दिन तो दिन भर सड़कों, गलियों में होली खेलते लोग नजर आए। क्षेत्र में भडफ़ एवं जैनाबाद,सीहा, निमोठ, बवानिया आदि गांवों में मेले लगे वहीं जैनाबाद आश्रम में लाल दास महाराज ने होली खेली और भक्तों पर रंग डाला। भक्तों ने भी महाराज पर रंग डाला। होली का पर्व धूमधाम से विभिन्न संस्थाओं में भी मनाया गया। होली खेलते महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे देखे गए।
कनीना के सामान्य बस स्टैंड पर तथा अनाज मंडी में सभी दुकानें बंद रही और वे होली खेलते देखे गए। विभिन्न संस्थानों एवं समाजसेवियों के अनुरोध पर इस बार कम पानी का प्रयोग हुआ। बच्चे एवं युवा ही अधिक संख्या में होली खेलते मिले।
दुलेंडी पर अकसर लड़ाई झगड़ा होता रहा है किंतु इस बार शांतिपूर्वक पर्व संपन्न हो गया। पत्रकार, समाजसेवी, नेता एवं सामान्य जन बढ़ चढ़कर गुलाल लगा रहे थे। कनीना में धुलेंडी का पर्व होली का पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ। होली के पर्व पर किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है। दिन भर लोग रंग गुलाल से होली खेलते नजर आए।
उल्लेखनीय है कि युवा वर्ग में पहली बार देखने को मिला कि पानी की बचत कर रहे थे तथा प्राकृतिक रंग एवं गुलाल आदि से होली खेल रहे थे। अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि उन्होंने पहली बार हल्दी, टेसू के फूल, चुकंदर का रस, पत्तों के रस एवं मेहंदी आदि से होली खेली और पानी को बचत किया पहली बार क्षेत्र में सूखी होली खेलने को मिली। वहीं यदाकदा कुछ लोग पानी बिखेरते भी नजर आए। विगत वर्षों से कनीना क्षेत्र में गंदे पानी डालने कीचड़ में डालने आदि की घटनाएं घटती रहती थी किंतु इस बार होली पर ऐसी कोई घटना नहीं देखने को मिली। सरकारी स्कूलों में होलिका दहन के दिन अवकाश न होने के कारण शिक्षण संस्थाओं में रंगों की होली खेलते नजर आए। वहीं दुुलेंडी के दिन तो दिन भर सड़कों, गलियों में होली खेलते लोग नजर आए। क्षेत्र में भडफ़ एवं जैनाबाद,सीहा, निमोठ, बवानिया आदि गांवों में मेले लगे वहीं जैनाबाद आश्रम में लाल दास महाराज ने होली खेली और भक्तों पर रंग डाला। भक्तों ने भी महाराज पर रंग डाला। होली का पर्व धूमधाम से विभिन्न संस्थाओं में भी मनाया गया। होली खेलते महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे देखे गए।
फोटो कैप्शन 02 व 07: होली खेलते,बालक, युवा एवं नेता
दुलेंडी पर लगा मेला, महाराज ने स्वयं खेली होली
-दूर दराज से भक्त पहुंचे, बाल भी उतरवाये गये
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कनीना की आवाज। बाबा उधोदास मंदिर पर होली मेला लगा। बाबा उधोदास की याद में वर्षों से विशाल मेला लगता आ रहा है। भक्तों की भीड़ यहां जमा होती है वहीं संत लालदास स्वयं भक्तों के संग होली खेलते हैं।
रणधीर सिंह भक्त ने बताया कि कनीना से नौ किमी दूर बाबा उधोदास का भव्य मंदिर स्थित है। इसी मंदिर के सामने बाबा की समाधि तथा बाबा के बाद में आए उनके शिष्यों की समाधियों वाला मंदिर है। इन समाधियों में सबसे पहले बाबा उधोदास की समाधि है। इस समाधि के ऊपर की ओर झांक कर देखे तो सैकड़ों वर्ष पुरानी पेंट व ब्रुश से की हुई कलाकारी दिखाई पड़ती है जो आज भी अपनी आब नहीं खो पाई है। यह वही स्थान है जहां अनवरत पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहता है तथा दीप जलते रहते हैं।
होली के दिन भजन-कीर्तन के समय यहां भारी भीड़ जुटती है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है जब प्रवचन, भजन एवं कीर्तन का आगाज किया जाता है किंतु रंगों के त्योहार होली की रात को यहां विशेष जागरण चलता है तथा दिन के समय ढोल एवं नगाड़ों के बीच होली जमकर खेली जाती है। महंत लालदास के साथ होली खेलते भक्तों को देखा गया। यहां पर हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे राज्यों के भक्तजन भी आकर मन्नतें मांगते हैं। माना जाता है कि उनकी मन्नत पूर्ण हो जाती है जिसके चलते वे दंपति यहां गठ जोड़े की जात देने आते हैं। गांव जैनाबाद के पास से कंशावती नदी बहती थी। इसी नदी के किनारे पर उधोदास का जन्म हुआ। उधोदास धुन के पक्के और मन के सच्चे थे। उनके गुरू का नाम दाताराम था। उधोदास ने कंशावती नदी के किनारे एक वृक्ष के नीचे तप और ध्यान लगाते हुए दु:खियों के दर्द को मिटाया।
बाबा उधोदास की समाधि बनी हुई है जहां अनवरत दीपक जलता रहता है। ढफ और नगाड़ों के बीच हर्षोल्लास के साथ महंत लालदास जी धुलेंडी खेली। बाबा लालदास ने गायों के लिए बाबा के नाम पर एक गौशाला बनवाई हुई है। संत लालदास की देखरेख में गांव ही नहीं अपितु मंदिर को चार चांद लग चुके हैं।
इसी आश्रम में जहां 13 मार्च की रात को भजन कीर्तन चले वहीं भंडारा भी लगा। रात्रि के समय भक्तिसागर ग्रंथ की पूजा भी की गई तथा विधि विधान ग्रंथ को वापस स्थापित किया गया। दिनभर भंडारा चलता रहा। विधायक अनिल कुमार कोसली एवं भक्तों ने बाबा से आशीर्वाद लिया।
फोटो कैप्शन 08 व 09: जैनाबाद का उधोदास आश्रम में बाबा का आशीर्वाद लेते विधायक कोसली अनिल कुमार
10: बाल उतारकर आशीर्वाद देते बाबा लालदास महाराज
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