Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Sunday, March 9, 2025


 

एक दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है बाबा मोलडऩाथ आश्रम
--कई धार्मिक स्थान खड़े हैं पास में
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कनीना की आवाज।
 कनीना का बाबा मोलडऩाथ  आश्रम एक दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है। एक दर्जन मंदिर बाबा आश्रम के पास में निर्मित हो चुके हैं। बाबा मोलडऩाथ  का हर वर्ष विशाल मेला लगता है। ये एक कुलदेवता एवं कनीना का प्रमुख देख्ता के रूप में उभरता जा रहा है।
 बाबा स्थल को चार चांद लगाने के लिए बाबा के स्थल के पास ही अनेकों धार्मिक स्थलों का निर्माण होता जा रहा है। बाबा के आश्रम के पास ही 21 फुट ऊंची शिव प्रतिमा वाला शिवालय स्थित है। इस शिवालय का निर्माण शिवभक्त भरपूर सिंह ने निर्मित करवाया है। पास में सीताराम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। सीताराम मंदिर के पास ही राधाकृष्ण का मंदिर बना हुआ है। बाबा आश्रम के पीछे सती समाधि भी बनी हुई है। पास में पानी से भरा जोहड़ है जहां कभी बाबा जल समाधि लेते थे।  यह यह पक्का तालाब बना दिया गया हे।
   बाबा आश्रम के नीचे वर्तमान में प्रकटीनाथ का आश्रम बना हुआ है जो बाबा के एक कमरे के निर्माण के वक्त प्रकट हुए थे। बाबा के पास ही बाबा डूंगरमल की समाधि, खागड़ आश्रम, मंगलदेव की कुटिया, शहीद सुजान सिंह पार्क, बाबा हनुमान की 11 फुट ऊंची प्रतिमा वाला मंदिर, बाबा हनुमान का पुराना मंदिर, बाबा भैया स्थल, शनिदेव मंदिर, मां मंदिर, माता स्थल , राधाकृष्ण मंदिर बने हुए हैं। पास में रणबांकुरों की प्रतिमाएं लगी हुई है। जहां समय-समय पर लोगों का तांता लगा रहता है। सात वर्षों पहले यहां विशाल दर्शनीय श्याम मंदिर निर्मित करवाया है जो मन मोह रहा है। बाबा आश्रम के पास ही बस स्टैंड का होना भी अहं भूमिका निभा रहा है। पास में शहीद सुजान सिंह की प्रतिमा लगी हुई है।  शहीद सुजान सिंह ने 1994 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का सफाया करते हुए शहादत दी थी जिन्हें मरणोपरान्त अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है। पास में पार्क बना हुआ है। इसी पार्क में पुराना हनुमान मन्दिर स्थित है जहां मंगलवार को श्रद्धालुओं का तांता लगता है और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
बाबा के  जोहड़ के पास मंगलदेव कुटिया बनी हुई है। मंगलदेव तपस्वी साधुजन हुए हैं जिन्होंने कुआं खुदवा कर पेयजल का प्रबंध करवाया था। मोलडऩाथ स्थल के पास बनवाया गया खागड़ आश्रम भी मनमोहक है। बाब डूगंरदास की समाधि भी बनी हुई है।  पास में विशाल खाटू श्याम मंदिर एवं साई मंदिर बरबस लोगों का मन मोह रहा है। यहां भी बाबा मोलडऩाथ मेले के साथ साथ मेला लगता है। पास में साईं बाबा का मंदिर सुशोभित है। शनिदेव का मंदिर तथा माता का विशालकाय मंदिर बना हुआ है तथा आकर्षक हें। अनेकों अन्य धार्मिक स्थल भी यहां पर निर्मित किये जा चुके हैं। इस प्रकार कई धार्मिक स्थानों से परिपूर्ण बाबा मोलडऩाथ आश्रम दर्शनीय स्थल के रूप में उभर रहा है। मोलडऩाथ की प्रतिमा भीम सिंह कनीना ने निर्मित करवाई थी किंतु बाबा पर दो पुस्तकें कनीना के लेखक डा. एचएस यादव की आ चुकी हैं। इस लेखक ने आरतियां, बाबा चालिसा, पंचांग आदि भी बनवाये हैं। इब तो यह क्षेत्र का प्रमुख दर्शनीय स्थल बन चुका है जहां दूर दराज तक के भक्त आते हैं। बाबा मोलडऩाथ की पूजा आधा दर्जन से अधिक गांवों में होती आ रही है। रोड़वाल में बाबा की प्रतिमा विगत वर्षों स्थापित की गई थी। बाबा आश्रम एवं आस पास के मंदिर बाबा के दर्शनीय स्थल को चार चांद लगा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 12: कनीना का श्याम मंदिर





मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 106
संत मोलडऩाथ पर आई मेरे जीवन की पहली पुस्तक
--संत पर अब तक तीन कृतियां आ चुकी हैं
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी एवं विज्ञान शिक्षक बतौर सेवानिवृत्त डा. होशियार सिंह ने यूं तो  लेखन कार्य बहुत पहले शुरू कर दिया था, पढ़ाई जारी थी। 1987 से लेखन कार्य चल रहा है किंतु प्रारंभ में लेखन कार्य महज एक डायरी तक की सीमित था तथा पत्र पत्रिकाओं में लेख व कई विधाओं का प्रकाशन होता रहा हैं किंतु पुस्तक लेखन के प्रति रुचि 2019 में पैदा हुई और उनकी पहली पुस्तक/कृति संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ नाम से आई थी जिसने अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की थी और उसे वक्त राव नरेंद्र सिंह पूर्व मंत्री ने उसका विमोचन भी किया था। तत्पश्चात एक के बाद एक अनेकों पुस्तकें प्रकाशित हुई। दूर दराज तक नाम कमाया किंतु उनकी पहली कृति के बारे में आइये सुनते हैं डा. होशियार सिंह की जुबानी उन्हीं की कहानी----
 मैंने अपनी निजी डायरी में कविता, लेख तथा विभिन्न विधाओं में लिखने का कार्य 1987 में शुरू कर दिया था। कई निजी डायरिया आज भी उन कविताओं और विभिन्न विधाओं से भरी हुई हैं। मेरी भी अचानक इच्छा हुई कि क्यों न कोई पुस्तक रची जाए। यह सत्य है कि अधिकांश लोग कविता लिखकर खुश होते हैं, मैने भी कविताएं बहुत लिखी लेकिन मेरी रुचि कविताओं की बजाय गद्य में ज्यादा होती है। इसलिए पहली कृति संत मोलडऩाथ पर रचने की इच्छा हुई। क्योंकि कनीना के प्रमुख देव हैं, इन्हीं की पूजा हर घर में होती है, लोग मनोकामनाओं के लिए उसी के दर पर जाते हैं। जब मैं इस कृति के बारे में सोचा, उसे समय संत मोलडऩाथ की न कोई प्रतिमा होती थी और व विसरित आश्रम। महज एक छोटी सी कुटिया और उस पर काल्पनिक फोटो बनाकर रखी हुई थी। उसी की पूजा हो रही थी। यह दिली इच्छा हुई थी किसी प्रकार संत के वास्तविक जीवन परिचय से लोगों को रूबरू करवाया जाए। ऐसे में न चाहते हुए भी अनेक स्थानों तक जाना पड़ा। एक मिनी शोध करना पड़ा। जहां भी जानकारी मिलती वही पहुंच जाता, विस्तार से गहन अध्ययन करता, जिन-जिन स्थानों पर संत मोलडऩाथ ने तप किया उन स्थानों की यात्रा की, फोटो इकट्ठी की। जानकारी के बल पर तथ्य इकट्ठे कर धीरे-धीरे पुस्तक लेखन का कार्य शुरू हुआ। पहली पुस्तक लेखन में 2 साल से भी अधिक समय लगा परंतु एक इच्छा थी कि किसी प्रकार संत का पूरा जीवन परिचय और पूरी जानकारी लिखी जाए। उस समय तक न तो संत के बारे में कोई जानकारी थी न ही यह मालूम था कि कब प्राण त्यागे? इस बाबत कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। यही कारण है कि कड़ी मेहनत करनी पड़ी। लगातार भागदौड़ चलती रही, अंतत: एक कड़ी के बाद दूसरी कड़ी जुड़ती चली गई और संत की एक प्रतिमा बनवाने की इच्छा हुई। यह सत्य है कि संत पर लिखी मेरी पुस्तक लेखन के बाद ही संत मोलडऩाथ की एक प्रतिमा यहां स्थापित हुई। उस समय कनीना के अनेक व्यक्ति मौजूद थे जो मेरे इस कार्य की सराहना करते रहे। आज भी उनमें से कुछ जीवित है जिनमें ओमप्रकाश मास्टर मोहल्ला दादाका, दिवंगत डा. मेहरचंद, दिवंगत मंगतू राम
आदि लोग उस समय सहायक बने। मेरे काम की सराहना की, तत्पश्चात तो राव मोहर सिंह साहब ने बड़ी मेहनत कर मेरी पुस्तक को आगे बढ़ाने में मदद की। श्री कृष्ण गौशाला जिसकी मदद से पुस्तक का प्रचार हुआ और आखिरकार यह पुस्तक बनकर तैयार हो गई। इस पुस्तक के प्रशासन में किसी से कोई चंदा नहीं लिया गया लेकिन सारी जानकारी इसमें प्रस्तुत की गई। उस समय गिने-चुने पत्रकार होते थे जिनके पास भी कोई जानकारी नहीं थी। जब से मैंने अपनी पुस्तक प्रकाशित की सभी पत्रकारों तक सारी जानकारी उपलब्ध हो गई और आज भी खुशी-खुशी सारी जानकारी लिखते हैं लेकिन यह दुर्भाग्य है मेरा कहीं हवाला नहीं देते। यह उनकी अपनी सोच होती है। एक दो पत्रकार तो सारा सारांश लिखते हैं जो पुस्तक में वर्णित है लेकिन दुख वही होता है कि कहां से जानकारी ली गई, नहीं लिखते। खैर कोई बात नहीं मुझे बड़ी खुशी हुई कि मेरी पहली पुस्तक तैयार हो गई। भारी भीड़ के साथ मोलडऩाथ खेल के मैदान में राव नरेंद्र सिंह पूर्व मंत्री ने मेरी पुस्तक का विमोचन किया।और यह पुस्तक पूर्णतया गौशाला को समर्पित कर दी। इस पुस्तक से कोई भी आय होगी वह गौशाला को भेंट कर दी जाएगी और ऐसा कर भी दिया गया। पुस्तक के पहले पन्ने पर यह तथ्य लिखित है। कनीना की श्री कृष्ण गौशाला में करीब 800 पुस्तकें मैंने भेंट कर दी थी तथा उनसे जो आय प्राप्त हुई वो समस्त आय गौशाला के लिए रखी गई थी। यहां से पुस्तक लेखन का कार्य शुरू हुआ और आज 43 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और भविष्य में और भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी होंगी। यह सत्य है कि संत के प्रति मेरा गहन लगाव मेरे पिता श्री जय नारायण के कारण हुआ वो मोलडऩाथ के बहुत करीबी रहे हैं। वो हमें समस्त जानकारी उपलब्ध करवाते रहे परंतु यह दुर्भाग्य है कि जब यह पुस्तक तैयार की जा रही थी उस समय तक मेरे पिता का देहांत हो चुका था। बस उनकी बताई हुई कुछ बातें याद थी जो मैंने इस पुस्तक में वर्णित की। पुस्तक लेखन कार्य अच्छी प्रकार हुआ और विमोचन भी अच्छी प्रकार हुआ। तत्पश्चात 2007 में भीम ट्रंक हाउस कनीना मंडी  नेबाबा की प्रतिमा बनवा कर विधि विधान से स्थापित की। यह प्रतिमा मेरी पुस्तक में प्रकाशित संत मोलडऩाथ की फोटो के आधार पर ही बनवा गई थी। इससे पहले तो मोलडऩाथ की न फोटो थी और न प्रतिमा थी। इस प्रकार संत के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता चला गया जिस पर मुझे बड़ी खुशी हुई। तत्पश्चात नींव खोदते वक्त प्रकटीनाथ उत्पन्न हुए और बहुत से धार्मिक स्थान धीरे-धीरे पास में स्थापित होते चले गए। यद्यपि मेरी पहली कृति में सभी धार्मिक स्थानों का वर्णन नहीं है क्योंकि उस समय इनका निर्माण ही नहीं हुआ था। तत्पश्चात मेरा संत के प्रति लगाव बढ़ा और संत मोलडऩाथ चालीसा, मोलडऩाथ पर आरतियां, मोलडऩाथ पर कैलेंडर भी बनाए और इसके बाद दूसरी कृति संत मोलडऩाथ की आईएसबीएन नंबर की प्रकाशित हुई। इसमें उस समय के सभी धार्मिक स्थानों का वर्णन किया गया है जो की दूसरी कृति प्रकाशन के समय तैयार थे। अब यही कृति और आगे बढ़ाई जाएगी। कुछ और धार्मिक स्थान जो संत मौलाना नाथ के आसपास तैयार हो चुके हैं उनका हवाला दिया जाएगा तथा कुछ नई जानकारी जो उपलब्ध हो पाई उनका भी हवाला दिया जाएगा। इस प्रकार मेरी तीसरी मोलडऩाथ पर पुस्तक जल्द ही आएगी परंतु इसमें और ज्यादा विस्तार दिया जाएगा। इसीलिए अभी इस कृति पर और शोध चल रहा है परंतु इस पुस्तक पर शोध की और भी अधिक जरूरत पड़ेगी। ऐसे में शोध करने वालों की नजर अगर इस पर पड़ जाए तो हो सकता है कि इस मामले को और गंभीरता से लिया जाए। कुछ तथ्य जो अभी तक छुपे हुए हैं उनको उजागर किया जाए और मेरी कृति फिर अंतत: विस्तृत प्रकाशित हो पाएगी। यह मेरी पहली कृति थी किंतु इस कृति के बाद मेरा इतना हौसला बढ़ा की दूसरी कृति कनीना के शहीदों पर प्रकाशित हुई थी। संत की समस्त जीवनी कहां-कहां तप किया और किन-किन राजाओं से भेंट हुई, सारा हवाला कृति में वर्णित है।





डा. अंबेडकर जयंती मनाने को लेकर आयोजित बैठक
-धूमधाम से मनाई जाएगी जयंती
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कनीना की आवाज।
उपमंडल स्तर की बैठक भोजावास में रामेश्वर दयाल पूर्व पार्षद कनीना की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में उपमंडल स्तरीय डा. भीम राव अम्बेडकर जयंती 14 अप्रैल को गांव भोजावास में मनाने व मुख्य अतिथि ,विशिष्ट अतिथि के बारे में विचार विमर्श किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य,  शिक्षाविद् व्यक्तियों प्राचार्य रमन शास्त्री, किशन लाल हेडमास्टर, प्रवक्ता सूरत सिंह, अधिवक्ता दलीप सिंह, डा. भीमराव अंबेडकर समिति के प्रधान कृष्ण पूनिया, अधिवक्ता विनोद कुमार भोजावास , पवन प्रधान कनीना ,मास्टर विजयपाल सिंह उच्चत , संघर्ष समिति के ब्लाक प्रधान राजेंद्र कपूरी,लोकेश कनीना, सुखबीर बाघोत , रमेश गोठवाल, शेर सिंह फौजी, अनिल, जगदीश बाबूजी, योगेन्द्र निम्भल ,सुनील वाल्मीकि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 10: भोजावास में आयोजित बैठक





युवाओं को लेनी चाहिए वेदों की शिक्षा-अनुज शास्त्री
--रसुलपुर आर्य समाजोत्सव संपन्न
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कनीना की आवाज।
 आर्य समाज रसूलपुर का 35वां वार्षिक उत्सव संपन्न हुआ। दूसरे दिन की शुरुआत यज्ञ से हुई जिसमें ब्रह्मा के रूप में अनुज शास्त्री देहरादून ने यज्ञ की महिमा एवं यज्ञ के फायदों पर अपने विचार रखें। इस मौके पर सुरेंद्र सिंह साहब वह उनकी पत्नी यजमान की भूमिका में उपस्थित हुए तथा यज्ञ की आहुति दी।  इस मौके पर विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखें तथा युवाओं को वेदों की शिक्षा पर जोर दिया। आरती राव स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा सरकार के निजी सचिव गोविंद सिंह ने आर्य समाज के परिसर का दौरा किया। उन्होंने परिसर में बने भवन के विस्तार पर सरकारी सहायता देने का वादा किया। इस मौके पर आचार्य हनुमंत प्रसाद प्रसाद उपाध्याय गुरुकुल दिल्ली व आचार्य अरुण आर्यवीर ने अपने उद्बोधन में समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए वेदों की शिक्षा लेने पर जोर दिया। इस अवसर पर दूर दराज से लोग पहुंचे।
फोटो कैप्शन 11: रसूलपुर में यज्ञ करते हुए।



होली पर्व पर जल बचत पर देंगे जोर
-सादगीपूर्ण मनाएंगे प्रबुद्ध जन होली
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कनीना की आवाज। 
13 मार्च को रंगों का पर्व होली को सादगी से मनाए जाने के लिए अपील की जाने लगी है वहीं कई सामाजिक समूह सामने आने लगे हैं। युवा वर्ग में होली खेलने के प्रति विशेष उत्साह है परंतु प्राकृतिक रंगों तथा गुलाल लगाकर एवं चंदन का टीका लगाकर होली खेलेंगे। इस बार जल की बचत करेंगे। जल की कमी के झलकते अब सभी का ध्यान जल बचत पर टिका है।
 सैकड़ों लोगों से इस संबंध में चर्चा की। रंगों के त्योहार होली के प्रति लोग जल बचाने, रंगों की बजाय गुलाल एवं तिलक लगाकर होली खेलने के पक्ष में हैं। वे इस प्यार एवं भाईचारे के पर्व को दुश्मनी भुलाकर खेलना पसंद करेंगे। पानी नहीं बचाया तो भविष्य अंधकारमय होगा ऐसे में जल की बचत मुख्य थीम होगा। कुछ लोगों के विचार निम्र हैं-
 ***पानी जीवन का आधार है और दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है। ऐसे में रंगों से बचने एवं पानी को बचाने के अलावा तिलक लगाकर होली खेलना चाहते हैं और दूसरों को भी यही प्रेरणा देंगे।
      --सूबे सिंह,कनीना
रंगों का पर्व होली टूटे दिलों को जोडऩे का पर्व है। ऐसे में पुराने बैरभाव भुलाकर प्रेम एवं सद्भाव से यह पर्व मनाना चाहिए। गुलाल से ही होली खेलना चाहते हैं। पानी को बचाना चाहते हैं। वैसे भी तिलक करके होली खेली जा सकती है।
  --नरेश कुमार, समाजसेवी
 जल जीवन है इसे व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए। जल बिना जीवन की कल्पना ही संभव नहीं। होली जरूर खेलनी चाहिए किंतु अनावश्यक जल बहाना अनुचित होगा। वे इस संबंध में लोगों को जागरूक भी करेंगे। लोग होली पर बुराई की ओर लगे देखे गये हैं। उन्हें बुराई से दूर रहना चाहिए।
        --कंवरसेन वशिष्ठ, कनीना
रंगों का पर्व होली जल बहाने का नहीं अपितु एकता का प्रतीक है। सभी प्यार में मिलकर इतना बड़ा प्यार कायम करे कि पूरा देश एकसूत्र में बंध जाए। पानी का कम से कम प्रयोग करेंगे। दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है। इसे बर्बाद नहीं करेंगे।
      --दिनेश कुमार, कनीना
होली पर पानी अनावश्यक न बहाने की शपथ लेते हैं और गुलाल एवं प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलेंगे। पानी बिन सब सूना है उसकी बचत करेंगे। वर्षा जल संरक्षण पर जोर देंगे तथा पानी को बर्बाद होने से रोकेंगे।
      --सुरेश कुमार, कनीना
फोटो कैप्शन: सुरेश कुमार, दिनेश कुमार, कंवरसेन वशिष्ठ, सूबे सिंह, नरेश कुमार
 
 


 खाटू श्याम धाम में किए गए हैं बेहतर प्रबंध 
     
 -हुडिय़ा जैतपुर में भी जुट रही है भारी भीड़  
    --दोनों स्थानों पर निशान चढ़ाकर लौटे लेखक होशियार सिंह-
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कनीना की आवाज।
खाटू श्याम धाम तथा हुडिय़ा जैतपुर में श्याम मेले के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं वहीं सारा माहौल श्याममय हो गया है। दोनों ही स्थान राजस्थान के हैं। दोनों स्थानों पर 10 मार्च को भारी भीड़ जुटेगी। दोनों ही स्थल राजस्थान में हैं तथा दोनों स्थानों पर कनीना के संवाददाता प्रबंध देखने पहुंचा। कनीना से 30 किमी दूर हुडिया जैतपुर तक पदयात्रा करने के बाद संवाददाता मुख्य खाटू धाम पहुंचा। इस बार लाखों लोगों के पहुंचने का अनुमान है। विगत वर्षों कोरोना की मार झेलने के बाद से मेले में अधिक भक्तजन पहुंचने लगे हैं।
  यूं तो हर शहर में खाटू श्याम की धूम मची है किंतु गली गली में लगाए गए श्याम भक्तों के लिए सेवा शिविर एवं श्याम भक्तों का आवागमन अब पूरे यौवन पर हैं। हरियाणा भर से भारी संख्या में भक्तजन खाटू, रिंगस, कांवट, श्रीमाधोपुर, नीम का थाना, कछेरा, डाबला आदि स्थानों पर अभी भी शिविर लगाकर भक्तों की सेवा कर रहे हैं जो मुख्य खाूटू धाम पहुंचते हैं तो करीब 160 किमी दूर कनीना से है। उधर कनीना, भोजावास, प्रतापुर होकर हुडिय़ा जैतपुर जाते वक्त भी भक्तों की सेवा में भारी जन समूह जुटा हुआ है वहीं पुलिस के व्यापक प्रबंध हैं।
  खाटू श्याम में जहां भक्तों के लिए हर प्रकार की खाने पीने, रहने तथा स्नान आदि की सुविधा उपलब्ध कराई गई है वहीं फास्ट फूड की ओर सभी कैंप चल रहे हैं। रिंगस से खाटू धाम तक करीब 17 किमी में जहां भक्तों की सबसे अधिक संख्या देखने को मिल रही है वहीं पेट के बल जाकर खाटू श्याम के दर्शन करने वाले भी भारी संख्या में हैं। छोटे बच्चे एवं महिलाओं की संख्या भी अधिक है जिनके हाथों में खाटू का निशान है।
   खाटू श्याम में सभी भक्तों की जुबान पर बस श्याम का नाम है। डीजे पर, नृत्य करते हुए सभी खाटू धाम की ओर बढ़ते ही जा रहे हैं। खाटू श्याम के दर्शन करके वे अपने को धन्य समझ रहे हैं। खाटू में नजारा देखकर ऐसा लगता है कि भक्तों में अपार आस्था है।
 विभिन्न गांवों एवं शहरों से दल के रूप में भक्त निजामपुर की ओर चले जा रहे हैं जहां से रेलवे ट्रैक के साथ साथ भारी भीड़ भक्तों की चली जा रही है। हाथों में डंडे पर खाटू का निशान लेकर मुख से जयकारे लगाते हुए बस आगे की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्य धाम खाटू मंदिर को सजाया गया है तथा भक्तों को आने जाने के लिए पुलिस प्रबंध किया गया है। रिंगस से खाटू तक 17 किमी मार्ग पर भारी संख्या में भक्त बिना चप्पल जूतों के साथ तो कुछ पेट के बल चले जा रहे हैं। 17 किमी दूरी में डाली गई कार्पेट बिछाई जा रही है वहीं भक्त विभिन्न प्रकार के बड़े छोटे निशान लेकर दौड़े चले जा रहे हैं। महिलाओं की संख्या बहुत अधिक है। 10 मार्च को यहां भारी भीड़ जुटेगी। यही हालात हुडिय़ा जैतपुर के हैं
  खाटू श्याम में प्रमुख दर्शनीय स्थल खाटू श्याम की प्रतिमा हे। कुछ वर्ष पहले यह मंदिर में रखी थी जिसके चलते दर्शन कर पाना कठिन होता था किंतु अब मंदिर के सामने का भाग हटा देने के बाद भक्तजन प्रतिमा के सामने से गुजरते हैं और दर्शन कर पाना आसान हो गया है। भक्तों की भीड़ अब बढऩे लगी है कई लाख भक्त पहुंचते हैं। कभी फोटो लेने पर सख्त पाबंदी होती थी किंतु अब फोटो लने के लिए प्रतिबंध कम ही देखने को मिला। दोनों ही स्थानों पर लेखक डा. होशियार सिंह के साथ महिपाल करीरा पहुंचे तथा खुशी जताई।
फोटो कैप्शन 07: हुडिय़ा जैतपुर श्याम बाबा
            08: खाटू श्याम बाबा




सेवा भारती के 84वें चिकित्सा शिविर में पहुंचे 64 मरीज
- अब तक लाभ उठा चुके 7500
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कनीना की आवाज।
 सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना का 84वां हृदय रोग, सामान्य रोग, शिशु एवं बाल रोग तथा नेत्र रोग का जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन हुआ। इस शिविर में मेट्रो अस्पताल एवं हृदय रोग संस्थान रेवाड़ी के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. रजत अग्रवाल, शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. विमानी अग्रवाल तथा उनकी टीम संदीप, कमल कुमार, लक्ष्मी, नीरज राकेश यादव एवं राजेंद्र के साथ सेवाएं दी। इसी प्रकार गंगा देवी नेत्र अस्पताल महेंद्रगढ़ के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. संतोष शाह, गोपाल अग्रवाल नवीन यादव, नितेश शर्मा ने अपनी सेवाएं दी। शिविर में बीपी, शुगर एवं इसीजी की निशुल्क जांच की गई, दवाइयां वितरित की गई।
विस्तृत जानकारी देते हुए योगेश अग्रवाल ने बताया कि 5 मार्च 2017 को यह कैंप शुरू हुआ था आज इसको 8 साल पूरे हो गए हैं। इस सेवा दौरान 7500 मरीजों की जांच की जा चुकी है। प्रत्येक शिविर में  60 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। आज के शिविर में जहां सेवा भारती कनीना के साथ, संरक्षक शिवकुमार, अध्यक्ष सुरेश कुमार श्याम सुंदर शर्मा सुंदर अमित सिंगला, मास्टर, सोमदत्त,  सुरेंद्र गुढ़ा, योगेश अग्रवाल, जगदीश आचार्य सहित सभी सदस्य गण उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 6: मरीजों की जांच करते हुए डाक्टर





खाटू श्याम शिविर हुये संपन्न
-मेला 11 मार्च को
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कनीना की आवाज
 यूं तो खाटू श्याम मेला 11 मार्च तक चलेगा किंतु खाटू श्याम जाने वाले भक्तों के लिए कनीना क्षेत्र में सैकड़ों शिविर लगे हुए थे जो संपन्न हो गए हैं। 1 मार्च से कनीना क्षेत्र में भी ऐसे ही शिविर लगे थे जो संपन्न हो गए हैं।
 विस्तृत जानकारी देते हुए सेवक श्री श्याम मंडल प्रधान संदीप राठी तथा दुलीचंद साहब ने बताया कि 8 मार्च तक उनके शिविर चला है। 8 मार्च को उनकी यात्रा जैतपुर पहुंची है। तत्पश्चात मेला शिविर संपन्न हो गया है। उन्होंने बताया कि कनीना में भी श्याम मंदिर पर दस मार्च को मेला लगेगा तथा 11 मार्च को जागरण आयोजित किया जाएगा।  उधर कनीना क्षेत्र के अनेक शिविर भी संपन्न हो गए हैं।  उधर जैतपुर जाने वाले भक्तों के लिए अभी कुछ जगह शिविर जारी है जो 10 मार्च तक चलेंगे।



कनीना का प्रमुख देव मेला दस मार्च को
-शक्कर प्रसाद के लिए जाना जाता है कनीना का प्रमुख पर्व मोलडऩाथ मेला
-कई प्रांतों से आते हैं ऊंट एवं घुड़दौड़ में भाग लेने






















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कनीना की आवाज
कनीना के प्रमुख संत मोलडऩाथ मेले को लेकर तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। मेला दस मार्च को लगेगा। मेले के लिए दुकानें सज चुकी हैं। सिहोर के कच्चे मार्ग पर ऊंट एवं घुड़दौड़ होगी वहीं स्कूल के मैदान में इनामी दंगल होगा।
  बस स्टैंड के पास संत मोलडऩाथ आश्रम में संत की प्रतिमा देखने से ही बनती है। यह प्रतिमा कनीना मंडी के निवासी भीम सिंह एवं उनके परिजनों ने फरवरी 2007 में स्थापित करवाई थी। इससे पूर्व तो बाबा की कोई प्रतिमा भी नहीं थी। बाबा के जीवन एवं चमत्कारों पर पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है।
  बाबा मोलडऩाथ मेले क्षेत्र का बहुत बड़ा मेला है। संत  मोलडऩाथ  ने कनीना ही नहीं अपितु नारनौल के मांदी, भोजावास, कांवी, बाठोठा, राजस्थान के अलावा कई अन्य स्थानों पर तप किया था और अपने महान चारित्रिक गुणों के कारण सभी जन श्रद्धा एवं भक्ति से उनको याद करते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर यह विशाल मेला प्रत्येक वर्ष लगता है। शक्कर मेले के रूप में प्रसिद्ध इस मेले में कई वर्षों से  घुड़दौड़, ऊंट दौड़ एवं दंगल आयोजित किए जाते हैं। ऊंट एवं घांडिय़ों के शानदार नृत्य आयोजित होते हैं।
   मोलडऩाथ धाम की सबसे बड़ी विशेषता है कि प्रत्येक घर से लगभग सभी सदस्य इस स्थान पर आकर धोक लगाते हैं। महिला भक्तों की संख्या अधिक होती है। संतों का सम्मान, जागरण एवं भंडारा आयोजित किया जाता है। शक्कर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। चढ़ावे की शक्कर को प्रसाद के रूप में कई दिनों तक बांटा जाता है। शक्कर का प्रसाद चढ़ाने से माना जाता है बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं। सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाती है।
 संत बाबा मोलडऩाथ कई नामों से जाने जाते हैं। उन्हें बालकनाथ, मोलडऩाथ, खेड़ावाला बाबा के नामों से भी जाना जाता है।  बालपन से ब्रह्मचारी एवं तपस्वी थे। बाबा गणेशनाथ उनके गुरू थे। कनीना में विक्रमी संवत 2006 में ब्रह्मलीन हुए थे। कनीना एवं आस पास के लोग जब भी कोई नया काम करते हैं तो बाबा का नाम लेते हैं।
बाबा मोलडऩाथ की संपूर्ण जीवनी लिखने में कनीना के लेखक एचएस यादव का नाम प्रसिद्ध है वहीं उन्होंने कनीना के भीम सिंह को प्रेरित कर बाबा की प्रतिमा लगवाई। मोलडऩाथ पर तीन पुस्तकें जिनमें से दो आइएसबीएन नंबर की निकाली वहीं बाबा चालीसा, बाबा कैलेंडर, बाबा की आरती आदि भी निकाली हैं।  
इसी क्रम में ऊंटों की दौड़ जिसमें प्रथम पुरस्कार 51000 रुपये जिसमें दूसरा पुरस्कार 41000 रुपये, तीसरा 31000 रुपये तथा चौथा 21000 रुपये तथा पांचवां इनाम 11000 रुपये का दिया जाएगा। देसी घोडिय़ों की दौड़ भी 11000 रुपये से लेकर 51000 रुपये तक की तक की आयोजित होगी। देशी घोडिय़ों की दौड़ में प्रथम पुरस्कार 51 हजार रुपये, दूसरा इनाम 41 हजार रुपये, तीसरा 31000 रुपये तथा चौथा 21000 रुपये तथा पांचवां इनाम 11000 रुपये का दिया जाएगा 31000 रुपये तक की कुश्ती, 21000 रुपये तक घोड़ी चाल आयोजित होंगी। घोड़ी चाल में पहला इनाम 21 हजार, दूसरा इनाम 15000  रुपये तीसरा इनाम 7100 रुपये का दिया जाएगा। ऊंट एवं घोडिय़ों की दौड़ सीहोर-छीथरोली सड़क मार्ग पर आयोजित होगी। कुश्तियां 51 रुपये से लेकर 31000 रुपये तक की होंगी।  बाबा आश्रम के पास कच्चा जोहड़ होता था जो अब पक्का तालाब बना दिया गया है जिससे इसकी भव्यता में चार चांद लग गये हैं।
समीपी 6 गांवों में हैं संत  मोलडऩाथ की मान्यता-
छह गांवों में स्थित संत मोलडऩाथ   के आश्रम- कनीना के संत  मोलडऩाथ  के करीब 6 गांव में मंदिर स्थित है। यहां तक कि कुछ गांव में पूजा होती है। इनमें कांवी भोजावास, ढााणी बाठाठा, मांदी, रोडवाल तथा मानसरोवर में संत को याद किया जाता है।
आवश्यकता शोध की -
संत मोलडऩाथ पर यूं तो छोटे शोध डा एचएस यादव ने किये हुये हैं किंतु बड़े शोध की जरूरत है। उनके गुणों उदास गुणों चरित्र की चर्चा आज भी हर बच्चे के जुबान पर है। उनके कहे हुए शब्द रामबाण माने जाते हैं। ऐसे में ऐसे महान संत पर शोध की जरूरत है। विशेषकर उन्हें पानी में सांस रोककर बैठे रहने की क्षमता थी। अंतिम समय में भी जहां सिरसवाला तालाब में उन्होंने लंबे समय तक बाबा रामेश्वर दास के साथ स्नान किया परंतु  मोलडऩाथ सांस रोककर पानी में बैठे रहे और संत रामेश्वर दास बाहर आ गए। जिसके चलते मोलडऩाथ को ठंड लग गई और निमोनिया होने से अंतत: उन्होंने प्राण त्याग दिये।
 मूर्ति के नीचे स्थित संत मोलडऩाथ -
संत मोलडऩाथ बाबा की मूर्ति वर्तमान में संत मोलडऩाथ आश्रम में स्थित है ठीक उसके नीचे मोलडऩाथ को मिट्टी दी गई थी। यहीं पर संत विराजमान है।
फोटो कैप्शन 01: सजा हुआ संत आश्रम
             02: भंडारे का प्रसाद बनाते हुए हलवाई
             03:संत का पुराना जोहड़
              04: संत की प्रतिमा
              05: दूसरे प्रांतों से आये ऊंटदौड़ प्रतिभागी







           




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