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Monday, March 3, 2025


 


मतगणना को लेकर उत्सुकता
-चैन नहीं मिल रहा है वोटरों को
-जोड़ तोड़ की गणना शुरू
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कनीना की आवाज।
 अब 12 मार्च की कनीना के राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में होने वाली मतगणना का बेसब्री से इंतजार हैं। चूंकि मतगणना ईवीएम द्वारा की जाएगी जिसमें अधिक समय नहीं लगेगा। महज प्रधान पद के दावेदारों की 14 मतपेटियों की गणना करने में थोड़ा समय लग सकता है किंतु पार्षद प्रत्याशियों के मतों की गणना करने में अल्प समय लगेगा।
  कनीना के लोगों को मतगणना का बेसब्री से इंतजार है जिसके पीछे 48 प्रत्याशियों की हार जीत का फैसला होना है। वैसे भी अब तक दो प्रमुख गुटों के बीच मुकाबला होता रहा है किंतु इस बार तीन गुटों के बीच त्रिकोणिये कड़ा मुकाबला है। लोग प्रमुख मुकाबले में सुमन रोहिल्ला, सुमन चौधरी एवं रिंपी के बीच मान रहे हैं।
 रविवार को मतदान होने के बाद भी न तो प्रत्याशी चैन से बैठ पा रहे हैं और मतदाता। अब सट्टों का बाजार शुरू हो गया है। हार जीत पर जहां आपसी विवाद छिड़ रहा है वहीं विवाद झगड़े का रूप भी ले रहा है। घर हो या चौपाल, स्कूल हो या कार्यालय बस हार जीत पर बहस छिड़ी देखी जा सकती है। चुनाव तैनाती देकर आने वाले भी अपने अपने बूथ का हाल एवं पार्टी की हवा आ अनुमान दे रहे हैं जिनके आधार पर हार जीत का अनुमान लगाया जा रहा है।
  बाजारों में बेशक होली के पर्व एवं मेलों को भूला दिया गया है किंतु राजनीति का ऐसा रंग चढ़ गया है कि पर्व की रौनक फीकी पड़ गई है। युवा हो या बुजुर्ग सभी चुनावी परिणाम में उलझ गए हैं। वैसे तो निर्णय 12 मार्च की मतगणना के बाद ही हो पाएगा किंतु चुनाव परिणाम अभी से ही हर चौपाल पर मुफ्त में सुनाया जा रहा है। किसी और कहीं भी दो व्यक्ति मिल रहे हैं वे हाल चाल कम और परिणाम अधिक पूछ रहे हैं।
 जीत हार की शर्त लगाने का असली खेल रविवार से ही शुरू हो गया है क्योंकि दो मार्च  को तो विभिन्न प्रत्याशी अपनी-अपनी स्थिति का विभिन्न बूथों में पड़े वोटों और लोगों से रुझान द्वारा निकाल चुके हैं।
 मतदान संपन्न हो गया किंतु जोड़तोड़ एवं हार जीत के आंकड़ों का आंकलन जारी है। बहरहाल हार जीत के प्रति सट्टों का बाजार गर्म हो गया है।
कौन कौन कब रहे पालिका प्रधान--
1952 में कनीना नगरपालिका अस्तित्व में आई और वर्ष 2000 में कनीना को ग्राम पंचायत का दर्जा दे दिया गया था। दादी माना देवी ग्राम सरपंच भी बनी थी। किंतु प्रधान एवं प्रशासनिक अधिकारियों में -
 1955- स्व. चौधरी बलबीर सिंह
1962-चौधरी जानकी प्रसाद
1964-संतोष कुमार
1968 स्व. चौधरी बलबीर सिंह
1973 से 1987 तक कोई चुनाव नहीं
1987 - राजेंद्र सिंह लोढ़ा
1991-सोहनलाल बीडीपीओ प्रशासनिक अधिकारी
1991 -मा दलीप सिंह  
1994-वी राजाशेखर आईएएस कनीना पालिका के प्रशासनिक अधिकारी
1994-मुनीलाल बीडीपीओ प्रशासनिक अधिकारी
1995 -राजेंद्र सिंह लोढ़ा   
2000 ग्राम पंचायत कनीना का दर्जा दिया गया
   माना देवी सरपंच कनीना बनी
-फिर नगरपालिका का दर्जा बहाल किया
2006- महेंद्र सिंह मोरवाल नायब तहसीलदार को प्रशासनिक अधिकारी
2007- संतोष देवी
2012- शारदा देवी
2017-संदीप सिंह एसडीएम कनीना प्रशासनिक अधिकारी
2018-एसडीएम कनीना अभिषेक मीणा आईएएस प्रशासनिक अधिकारी
2019 -सतीश जेलदार
2023-सुरेंद्र सिंह एसडीएम प्रशासनिक अधिकारी
अगस्त 2024-अमित कुमार एसडीएम कनीना प्रशासनिक अधिकारी
दिसंबर 2024-डा. जितेंद्र  सिंह एसडीएम प्रशासनिक अधिकारी
मार्च 2025-ईवीएम में बंद है प्रधान प्रत्याशी





6 सालों तक कनीना ग्राम पंचायत का झेला दर्द
-माना देवी कनीना की प्रथम सरपंच बनी
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कनीना की आवाज।
 कनीना नगर पालिका यूं तो 1952 से लगातार चली आ रही है किंतु 2 मार्च 2000 को जब ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने 29 नगर पालिकाओं को उस वक्त भंग कर दिया जब चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उन्होंने कहा गया था कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। इसलिए इनको ग्राम पंचायत का दर्जा दिया जाए। अटेली भी उनमें से एक थी। तत्पश्चात कनीना वासियों ने लंबा संघर्ष किया। उधर प्रकाश चौटाला ने 10 सितंबर 2003 को कनीना पंचायत के चुनाव भी करवा दिए। कनीना वासियों ने एकता का परिचय देते हुए माना देवी को सरपंच बनाया किंतु तुरंत प्रभाव से उनका इस्तीफा दिलवा दिया और केवल यही मांग की गई कि कनीना को नगर पालिका बहाल किया जाए। 6 सालों तक लंबा संघर्ष करते रहे। अक्टूबर 2001 में 14 नगर पालिकाएं बहाल तो की गई किंतु उनमें कनीना और अटेली को बहाल नहीं किया गया था। कनीनावासियों का फिर भी संघर्ष जारी रहा। किंतु मार्च 2006 में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने उन्होंने पांच नगर पालिकाओं को बहाल किया गया जिनमें कनीना और अटेली भी शामिल रही।
तत्पश्चात मनादेवी सरपंच कनीना की प्रथम सरपंच का अगस्त 2008 में देहांत हो गया। ऐसे में कनीना के इतिहास में एकमात्र महिला सरपंच का नाम माना देवी के नाम पर दर्ज है।
फोटो कैप्शन 3 माना देवी




मोलडऩाथ मेला 10 मार्च को
-अभी से ही लग गए हैं झूले, रोक लिया है स्थान
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कनीना की आवाज।
 10 मार्च को कनीना का प्रमुख पर्व संत मोलडऩाथ मेला आयोजित होगा जिसको लेकर के अभी से ही झूले आदि लगाकर जगह को रोकना शुरू कर दिया है। दूर दराज से झूला लगाने वाले मोलडऩाथ मैदान मेेंं आ गए हैं और झूले लगा लिए हैं और अपनी-अपनी जगह रोकने के लिए दूर दराज से विभिन्न दुकानदार पहुंच रहे हैं।
 यह मेला का घड़दौड़, ऊंट दौड़ और उनके निराले करतबों के लिए जाना जाता है वहीं विशेष दंगल भी आयोजित होते हैं। इस मेले में शक्कर का प्रसाद बांटा जाता है वहीं संत मोलडऩाथ के मानने वाले रोड़वाल, कांवी भांजावास, ठाणी बाठौठा, मांदी एवं मानसरोवर सहित विभिन्न स्थानों पर मिलते हैं तथा वहां भी मोलडऩाथ की मान्यता है। यही नहीं रोडवाल में बड़ा मेला मोलडऩाथ का लगता है परंतु इनका प्रमुख केंद्र कनीना होने के कारण यहां का मेला पूरी प्रदेश में विशेष दर्शनीय बन गया है। इस मेले की दृष्टिगत अभी से ही दुकानदार आ गए हैं और अपनी-अपनी जगह रोक ली है।
 फोटो कैप्शन 01: संत मोलडऩाथ मेले को लेकर लगाए गए झूले




जीत हार की जोड़-तोड़ में लग गये हैं प्रत्याशी
-सभी अपनी-अपने जीत बता रहे हैं सुनिश्चित
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कनीना की आवाज।
 जहां रविवार को कनीना नगर पालिका के प्रधान पद तथा पार्षद पद के लिए चुनाव संपन्न हो गए। मतदान भी जहां करीब 86 प्रतिशत रहा किंतु विगत योजनाओं की तुलना में कुछ कम मतदान हुआ है। जहां चुनाव मैदान में 7 महिला प्रत्याशी थी और सातों ही अब अपनी-अपनी जीत के दावे जाता रही हैं। कोई अपने को किसी से कम नहीं आंक रही है। सभी प्रत्याशियों से इस संबंध में चर्चा की गई।
उल्लेखनीय की सभी महिला प्रत्याशी प्रधान पद के लिए पहली बार मैदान में उतरी परंतु रिंपी कुमारी विगत योजना में पार्षद पद के लिए अपना भाग्य आजमा चुकी की है और उनकी हार हुई थी।
 प्रधान पद की प्रत्याशी सुमन रोहिला ने बताया कि अब मतदाताओं का आभार व्यक्त करने के लिए, उनसे बातचीत कर रही है। साथ में मतदाताओं से मिल रही हैं तथा उनका आभार जताते हुए अपनी जीत के आंकड़े इकट्ठे कर रही है। उनका कहना कि उनकी जीत सुनिश्चित है। यह सत्य के एक नया युवा गुट इस बार सामने आया जिसने लोगों के दिलों में जगह बना ली है और लोगों का मानना है कि उनकी जीत के आसार हैं। फैसला 12 मार्च को होगा। वे मौन वोटर को अपने पक्ष में बता रही हैं।
 सविता देवी और उनके पति अशोक ठेकेदार फिर से लोगों के बीच पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि उनकी जीत निश्चित है परंतु लोगों की हर संभव सहायता के लिए तैयार खड़े मिलेंगे और लोगों के बीच जाकर उनकी हार प्रकार की समस्या जान रहे हैं।  मंत्री के पीए से धक्का मुक्की के बाद सुर्खियों में आ चुके हैं। वह अपनी जीत को सुनिश्चित बता रहे हैं।
 सुमन चौधरी और दीपक चौधरी अपनी जीत को सबसे प्रबल मान रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी जीत इस बार निश्चित है। उनका कहना है कि वह आम दिनों की तरह अपना खान-पान जारी रखेंगे और 10 दिनों तक इंतजार करेंगे और 10 दिनों तक भी लोगों के बीच जाकर उनकी समस्या जानेंगे, वोट कम पडऩे के पीछे कारणों को जानेंगे तथा लोगों की समस्या को जानकर उसे हल करने का प्रयास करेंगे।
 सरिता जसवंत सिंह पहली बार चुनाव मैदान में आई किंतु उनका कहना है कि अब उनका एक ही उद्देश्य है कि जितने भी लोगों ने उन्हें वोट दिया है या नहीं भी दिया है,सभी का आभार तथा उनके कार्य पूर्ण किए जाएंगे। हर प्रकार की समस्याओं की हाल किया जाएगा, वो अब लोगों की समस्याओं को जानेंगे और अपनी जीत को सुनिश्चित मान रहे हैं।
 संतोष यादव जो विगत योजना में पार्षद रह चुकी है तथा सबसे अधिक उम्र दराज की महिला है। लोगों के बीच फिर से उनकी समस्या जानने एवं हल करने लग गई है और तथा अपनी जीत से निश्चित बता रही हैं। वे सभी मतदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए आगे बढ़ रही हैं।
कुसुम लता जो अपनी जीत के दावे पेश कर रही है उनका कहना है की जीत तो उनकी होगी परंतु लोगों की समस्याएं सुनकर निवारण करेंगी। लोगों के बीच जाएगी।
 रिंपी कुमारी अपनी जीत को सुनिश्चित बता रही है और लोगों के बीच जाकर उनकी समस्या को जानकर हल करने का प्रयास कर रही है। बहरहाल सभी पार्षद एवं प्रधान पद के प्रत्याशी फिर से लोगों के बीच आभार जताने के लिए पहुंच गए हैं तथा अपने दिनचर्या को आम दिनों की तरह रखते हुए 10 दिनों तक परिणाम आने का इंतजार करेंगे। वे किसी तनाव से मुक्त रहने के लिए अपने अपने मनोरंजन के साधनों का उपयोग भी करेंगी।
 फोटो कैप्शन: सुमन रोहिल्ला, रिंपी कुमारी, कुसुमल, संतोष यादव, सविता, जसवंत सिंह सविता देवी, सुमन चौधरी





10413 मतदाताओं में से  8935  ने किया मतदान,मतदान रहा 85.80 प्रतिशत
-विगत योजना के मुकाबले हुआ कम मतदान
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कनीना की आवाज।
कनीना नगरपालिका के प्रधान एवं पार्षदों के अब ईवीएम मशीनों में बंद हो चुके हैं। विगत योजन की बजाय कनीना में कम वोट पड़े हैं। चुनाव परिणाम 12 मार्च को आएंगे। 14 वार्डों में 14 बूथ बनाएं गए थे जहां मतदाताओं ने मतदान किया। कनीना के 14 वार्डों में 10413 मतदाताओं में से  8935 ने मतदान किया। कुल मतदान 85.80 प्रतिशत रहा। सबसे वोट वार्ड 10 राजकीय कन्या उच्च विद्यालय दाई विंग में 664 में से 591 पड़े तथा मतदान प्रतिशत  89.01 रहा। जबकि सबसे कम मतदान वार्ड 02 राजकीय कन्या उच्च विद्यालय मध्य विंग में पड़े। यहां 877 में से 727 वोट पड़े और मतदान 82.9 रहा। कुल 48 प्रत्याशी मैदान में रहे हैं। इवीएम से दो दो वोट डालने पड़े हैं। विगत दो योजनाओं 2012 व 2028 में मतदान के दिन ही मतगणना हुई थी, हार जीत की चर्चाए नहीं चलने दी किंतु 2025 में दस दिनों तक हार जीत की बातें चलेंगी।
उधर कनीना पालिका के रविवार 13 मई 2018 को संपन्न चुनावों में मतदान में जहां अधिक से अधिक वोट डलवाने के लिए विभिन्न प्रत्याशी भीषण गर्मी में जुटे हुए थे। वे घर घर से एक-एक वोट को ढूंढ कर ला रहे थे जिसके चलते 13 विभिन्न वार्डों में औसत प्रतिशत 90 से अधिक पहुंच गया।  विभिन्न 45 प्रत्याशी जीत देखना चाहते थे हार देखना नहीं चाहते, यही कारण है कि दिन रात एक किया हुआ था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में 29 अप्रैल के
चुनाव में 57 प्रत्याशी मैदान में थे वर्ष 2018 में इस बार 45 प्रत्याशी मैदान में रहे हैं। 2012 में मतदान प्रतिशत 92 प्रतिशत के आसपास रहा था इस बार भी विभिन्न वार्डों में मतदान प्रतिशत 92 के आसपास रहा है। दोनों ही योजनाएं वार्डों की संख्या 13-13 रही है। मतपेटियों से मतदान हुआ था और सभी वोटर ने एक एक वोट ही डालने दिया गया।





एनएसएस स्वयंसेवकों ने निकाली चेतना रैली
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कनीना की आवाज।
पितामह कान्ह सिंह राजकीय महाविद्यालय कनीना की ओर से आयोजित सात एनएसएस के विशेष शिविर के चौथे दिन विद्यार्थियों ने ग्राम कपूरी में विभिन्न विषयों पर जागरूकता रैली निकाली। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डा. संदीप कुमार ककरालिया और डा. भारती ने बताया कि गांव कपूरी के बाबा मनसा दास मंदिर में आज विशेष शिविर का चौथा दिन था जिसमें विद्यार्थियों ने ग्राम में विभिन्न विषयों पर जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली के प्रमुख विश्व में नशा मुक्ति,साइबर अपराध,महिला सुरक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, जल संरक्षण, वायु प्रदूषण, मोबाइल की लत से दूर रहने के उपाय। विद्यार्थियों विद्यार्थियों ने गांव के प्रत्येक गलियों और घरों में सामाजिक विषयों पर जागरूकता से संबंधित नारे लगाए।
फोटो कैप्शन 02: जन चेतना रैली निकालते स्वयंसेवक




अब आ गए आराम के दिन
-कुछ के लिए रंग भरा होगा और कुछ के लिए गम भरा होगा रंगों का त्योहार
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कनीना की आवाज।
नगर पालिका के चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न होने के पश्चात चुनाव लडऩे वाले एवं उनके समर्थक चैन की नींद, घोड़े बेचकर सोएंगे। तत्पश्चाप यहां श्याम मेला शुरू हो चुका है। लोग जैतपुर, खाटू श्याम जाने की तैयारी में जुट गए हैं। जहां जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। कौन जीतेगा कौन हारेगा इसका पहले से अनुमान लगाने लग गए हैं लेकिन अधिकांश वोटर मौन रहने के बाद इस बार सही-सही अनुमान लगा पाना बहुत कठिन हो गया है। परिणाम चौकाने वाले भी हो सकते हैं। जहां अब मेलों की तैयारी शुरू हो गई है। 10 मार्च को कनीना का मोलडऩाथ का मेला लगेगा तत्पश्चात 12 मार्च को जैतपुर और खाटू श्याम का मेला संपन्न हो जाएगा। वहीं 12 मार्च को ही मतगणना होगी। 13 और 14 मार्च को होली का त्यौहार मनाया जाएगा। कुछ के लिए रंगों का त्योहार वास्तव में रंग भरा होगा और कुछ के लिए यह त्यौहार गम भरा होगा।
























खाटू श्याम के लिए रवाना हो रहे भारी संख्या में भक्त
-बिना किसी कष्ट के बढ़ जाते हैं आगे
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कनीना की आवाज।
 12 मार्च तक खाटू श्याम में लगने वाले फाल्गुन एकादशी के मेले के दृष्टिगत भारी संख्या में भक्तजन रवाना हो रहे हैं। दूर दराज से खाटू की ओर निशान लेकर जाने का सिलसिला चंद दिनों तक जारी है तथा चंद दिनों तक जारी रहेगा।
  यूं तो खाटू श्याम मेले के दृष्टिगत ध्वज लेकर पदयात्रा पर एक के बाद एक समूह रवाना होने लगा है तथा उनके लिए जगह जगह शिविर स्थापित किए जा रहे हैं। कनीना से करीब चार दिनों में खाटू धाम पहुंचते हैं। कुछ भक्तों की सेवा करके ही प्रसन्न हो जाते हैं।
  इस संबंध सुशील देवी 52 वर्ष का कहना है कि वे विगत आठ वर्षों से खाटू श्याम जाकर ध्वज अर्पित कर रही है। उनकी कोई मनोकामना नहीं है। अपितु उनके दिल में श्रद्धा एवं भक्ति भरी है जिसके चलते व्यस्त समय में से समय निकालकर खाटू जाती हूं। उन्होंने कहा सफर करीब 250 किमी है किंतु खाटू के प्रति भक्ति के चलते यह दूरी कष्टदायी नहीं लगती है।
--  सुशीला देवी
संगीता 40 वर्षीय का कहना है कि वे विगत आठ वर्षों से खाटू श्याम का भक्त हैं। श्याम को मन में संजोकर लंबी दूरी को पार कर जाते हैं। उनके अनुसार उन्हें थकान तो होती है परंतु रास्ते में लोगों की भक्तों के प्रति भक्ति प्रसन्न रखती है और सफर आसानी से पूरा हो जाता है। कावड़ की अपेक्षा ध्वज में कम नियमों का पालन करना होता है वहीं दूरी भी कम है।
  --संगीता देवी
  सुमन देवी 42 वर्ष का कहना है कि वे 7 वर्षों से खाटू श्याम जा रहे हैं और उन्हें मन को प्रसन्नता एवं भक्ति भाव इसी यात्रा से प्राप्त होता है। जब कभी खाटू मेला पास आता है तो वे मेले में जाने की तैयारी में जुट जाते हैं। पदयात्रा विशेषकर रेलवे ट्रैक के साथ साथ चल पाना थोड़ा कठिन है किंतु मन में भक्तिभाव रखते हुए यह सफर सामान्य महसूस होने लग जाता है। श्याम बाबा के दर्शन करके सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं।
----सुमन देवी
 मुकेश देवी का कहना है कि वे विगत दो वर्षों से श्याम बाबा के यहां जा रही हैं। उनकी सभी इच्छाएं श्याम बाबा के जाने पर खत्म हो जाती हैं। उन्हें खाटू जाना बेहद प्रसन्नतापूर्ण लगता है। उनका कहना है कि अपार भक्तों को मीलों का सफर तय करता देख उनका सफर आसानी से पूर्ण हो जाता है।  
 -- मुकेश देवी
  मैं लगातार 6 वर्षों से ध्वज लेकर 250 किमी दूरी तय करके खाटूश्याम पहुंचती हूं किंतु कोई थकान नहीं होती है अपितु खुशी मिलती है।
       ---सीमा
 मैं विगत 9 वर्षों से झज्जर जिले के नया बास से खाटूश्याम तक पदयात्रा करती हूं। कभी कोई थकान नहीं होती है। मुझे खुशी होती है। शरीर स्वस्थ हो जाता है।
---कृष्णा देवी
मैं भक्तों की सेवा करके खुशी महसूस करता हूं। मुझे कभी कभार ही जैतपुर एवं खाटू श्याम जाने का मौका मिलता है। भक्तों की सेवा में बड़ा आनंद आता है।
फोटो कैप्शन: पाल्हाराम,कृष्णा देवी, सीमा, मुकेश देवी, सुमन देवी, सुशीला, संगीता

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