हास्य व्यंग्य
बंदरों से भी खतरनाक है बिहारी बंदर
-छतों पर टंकियों में नहाते हैं ये बंदर
-छतों और दीवारों का हुलिया ही बिगाड़ देते हैं
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कनीना की आवाज। यूं तो लोग बंदरों के आतंक से भयभीत है किंतु आने वाली पीढ़ी बिहारी और यूपी के इंसानी जिस्म वाले
बंदरों से बहुत अधिक दुखी रहेगी क्योंकि ये ऐसे बंदर आ गए हैं जो खंडहरनुमा घरों में बंदरों की तरह मिलते हैं। जिस प्रकार बंदर इकट्ठे मिलते हैं ठीक उसी प्रकार एक ही घर में ये 7 से 10 लोग तक भी मिल सकते हैं। बंदर जिस पेड़ की टहनी को तोड़ देते हैं वह दोबारा नहीं पनपती, फल को नष्ट कर देते हैं वो कीड़े पड़कर नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार की बिहारी बंदर खाने को तो मजदूर और मिस्त्री का काम करते हैं लेकिन न तो इनको मिस्त्री का ज्ञान है न हीं मजदूरी का अपितु घर का नक्शा और हुलिया ही बदल सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि यह आपस में जो भाषा बोलते हैं उसका को समझ पाना भी कठिन है जैसे बंदरों की भाषा हो परंतु जिस जगह ये लाल थूक देते हैं वह निशान नहीं मिटता और लोगों का कहना है कि जिस जगह ये हग जाते हैं वहां से 10 दिनों तक निकलना भी मुश्किल हो जाता है, इतनी बदबू फैलती है। सबसे आश्चर्यजनक बात है कि यह बिहारी बंदर तो टंकियां में नंगे नहाते देखे गए हैं, जिनकी फोटो मेरे पास उपलब्ध है। ऐसे में हम बंदरों को महज दोष दे रहे हैं किंतु ये बिहारी और यूपी के बंदर तो उनसे भी कई गुना खतरनाक साबित हो सकते हैं। थकते हैं, हगते हैं, दीवारों का हुलिया बदलते हैं इधर-उधर छतों पर टंकियों में नहाते हैं। जिस प्रकार लोग बंदरों से डरते हैं, जिस प्रकार बंदर खिर-खिर करके खाने को दौड़ता है वैसे ये बिहारी बंदर तो उनसे भी खतरनाक खेल खेलते हैं और इंसान के पीछे दौड़ते हैं। ये किसी का कहना नहीं मानते, किसी से डरते नहीं, गंदगी करने में माहिर हैं। अब देखना है के बिहारी बंदर समाज को किस प्रकार बदल कर रखेंगे। अगर लोग सावधान नहीं हुये तो हालात और भी बिगाड़ सकते हैं।
भोजावास स्कूल में वार्षिक उत्सव आयोजित
-प्रतिभावान विद्यार्थियों को किया पुरस्कृत
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कनीना की आवाज। पीएमश्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भोजावास में विद्यालय शिक्षा विभाग के सौजन्य से विद्यालय में वार्षिक उत्सव आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय की प्राचार्य रेणु मेहरा ने की । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रमुख डा. राकेश कुमार ने शिरकत की । विशिष्ट अतिथि के रूप में खंड शिक्षा अधिकारी कनीना डा. विश्वेश्वर कौशिक , खंड संसाधन संयोजक कनीना दिलबाग सिंह व हेमंत कुमार प्रवक्ता कुमार बहादुरगढ़ ने शिरकत की।
डा. राकेश कुमार ने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता , बड़ों तथा गुरुजनों के मार्गदर्शन में रहकर ही आगे बढ़ पाना संभव बताया। उन्होंने विद्यालय प्रांगण में आवश्यकता अनुसार टाइल लगाने के काम को जल्दी से जल्दी पूरा करवाने का आश्वासन दिया।
विद्यार्थियों ने मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उपस्थित दर्शकों एवं श्रोताओं को भाव विभोर किया। सभी वक्ताओं ने विद्यार्थियों को आधिकाधिक अध्ययन पर बल देने की अपील की। कार्यक्रम में प्रत्येक कक्षा में पिछले सत्र के वार्षिक परीक्षा परिणाम में प्रथम , द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र एवं पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया । इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों , वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न पाठ्य सहगामी प्रतियोगिताओं में अपनी बेहतरीन उपस्थिति एवं स्थान दर्ज करवाने वाले विद्यार्थियों को भी प्रशस्ति पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अन्य अतिथियों में भाग सिंह चेयरमैन , सुरेश शास्त्री गोमली तथा बाबा हेमादास गौशाला भोजावास के पूर्व प्रधान बाबूलाल रोहिल्ला, प्रधान सुरेश सरपंच मानपुरा रहे। इस मौके पर प्रधान सुरेश मानपुरा, रविंद्र शर्मा, किशोरी रोहिल्ला, पूर्व सरपंच बाबूलाल शर्मा जगराम राणा, राकेश रोहिल्ला, सुमित आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 08: मंच पर मुख्य अतिथि सहित विभिन्न अधिकारी
घर के बाहर खड़ी बाइक चोरी, मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव नांगल मोहनपुर के नीतीश कुमार की घर के बाहर खड़ी बाइक चोरी हो गई। उन्होंने पुलिस में बताया कि सुबह करीब 7:40 बजे घर के बाहर बाइक खड़ी की थी। सारा परिवार खेत में काम करने के लिए चला गया और बाइक को घर के बाहर छोड़ गए। सुबह जब 11 बजे वापस आए तो बाइक नहीं मिली। उनके बयान पर अज्ञात चोरों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
कैमला में आयोजित हुआ प्रवेश उत्सव
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कनीना की आवाज। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला में प्रवेश उत्सव का कार्यक्रम शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए नामांकन का विशेष अभियान चलाया गया। जिसमें सरपंच डिम्पल एवं एसएमसी प्रधान सूबे सिंह व सन्नी दत्त के साथ मिलकर शिक्षा विभाग की सभी प्रोत्साहन एवं लाभान्वित स्कीमों के बारे में विस्तार से बताया और ज्यादा से ज्यादा प्रवेश अपने गांव के सरकारी विद्यालय में करवाने की अपील की। गत वर्ष की विद्यार्थियों के द्वारा खंड व जिला स्तर पर जो पाठ्यक्रम आधारित शैक्षिक उपलब्धियां रहीं। उनका विस्तार से बताया गया तथा वर्तमान में शिक्षा मंत्री का अभिभावक और बच्चों के नाम संदेश और विभाग के निर्देशानुसार आदि से सभी स्कीमों को अवगत कराते हुए अपने विद्यालय में ज्यादा से ज्यादा नामांकन करवा कर अपने बच्चों को सुरक्षित व सुखद भविष्य और गुणवत्ता एवं संस्कारवान शिक्षा से परिपूर्ण परिवेश में भेजने की प्रार्थना मुख्य अध्यापक वीरेंद्र सिंह जांगिड़ के द्वारा की गई। सभी ग्रामीण और अभिभावक जनों ने सहयोग का आश्वासन दिया इस अवसर पर मनवीर सिंह,सुनील कुमार शास्त्री, देवेंद्र यादव, राजेश कुमार, गरिमा रानी, सुनील कुमार ,हरिश कुमार, रामकिशन,मनोज कुमार, तारामणि, पिंकी,बब्ली देवी आदि उपस्थित रहें।
फोटो कैप्शन: कैमला में प्रवेश उत्सव मनाते हुए
सेवानिवृत्त सीनियर अकाउंटेंट के विरुद्ध गबन का मामला दर्ज
-16,77,837 रुपये से भी अधिक राशि का गबन
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कनीना की आवाज। प्रवीण कुमार सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां महेंद्रगढ़ ने पुलिस अधीक्षक महेंद्रगढ़ स्थित नारनौल को पत्र भेज कर सेवानिवृत्त सीनियर अकाउंटेंट अशोक कुमार, दी महेंद्रगढ़ सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करवाने की मांग की है। जिस पर कनीना पुलिस ने अशोक कुमार पर गबन का मामला दर्ज कर लिया है।
सहायक रजिस्ट्रार ने पुलिस में दी गई शिकायत में 28 मई 2024 व 22 अगस्त 2024 तथा 23 अक्टूबर 2024 आदि पत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि अशोक कुमार सीनियर अकाउंटेंट सेवानिवृत्त हो चुके और उन्होंने दी महेंद्रगढ़ सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड महेंद्रगढ़ द्वारा कनीना प्राथमिक कृषि सहकारी लिमिटेड पैक्स में प्रबंधक पद पर रहते हुए 16,77,837.18 रुपये का गबन कर दिया है। उन्होंने उन्होंने लिखा कि पूर्व विभागीय जांच में भी अशोक कुमार दोषी पाया गया है तथा अशोक कुमार की संपत्ति को राजस्व विभाग को अटैच करने के लिए राजस्व विभाग को भी पत्र भेजा जा चुका है। सेवानिवृत्ति के बकाया पर भी रोक लगाने के लिए बैंक को लिखा जा चुका है। ऐसे में कनीना पुलिस ने उनके बयान पर अशोक कुमार के विरुद्ध गबन का मामला दर्ज कर लिया है।
प्राध्यापक दिनेश शर्मा हुए सेवानिवृत्त
सेवानिवृत्ति पर श्री कृष्ण गौशाला कनीना में गायों को खिलाया चारा, 11 हजार दान
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कनीना की आवाज। प्राध्यापक दिनेश शर्मा, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी से सेवानिवृत्त हो गये हैं। वे पिछले 32 वर्षों से अध्यापन का कार्य कर रहे थे। उन्होंने अपने जीवन में पूरी ईमानदारी व निष्ठा से अध्यापन का कार्य किया। सेवानिवृत्ति के अवसर पर उन्होंने गौशाला कनीना पहुंचकर गायों को हरा चारा खिलाया व 11 हजार रुपये दान भी दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा की गौ माता में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है। उनकी सेवा करना हम सभी का परम कर्तव्य है। गौ माता की सेवा ईश्वर की सेवा करने के बराबर है। उन्होंने बताया कि वह पिछले 32 वर्षों से अध्यापन का कार्य कर रहे थे और आज सेवानिवृत्त हुए हैं। इस मौके पर उन्होंने प्रीतिभोज का भी आयोजन किया। जिसमें नगर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। वहीं प्राचार्य बीरेंद्र सिंह ने कहा की दिनेश शर्मा एक नेकदिल इंसान है। उन्होंने पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अध्यापन का कार्य किया। छात्र उनके अध्यापन के कार्य से काफी प्रसन्न थे। उन्होंने समय-समय पर छात्रों को नैतिक शिक्षा व सामाजिक कार्यों और खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया। दिनेश शर्मा जी के सेवानिवृत्ति पर अध्यापक गण व छात्राएं भावुक हुई। इस मौके पर समस्त स्टाफ सदस्य व गणमान्य लोग और परिजन भी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 07: गायों की सेवा करते दिनेश कुमार
सरसों कटाई का काम पूरे यौवन पर
बिजली के तारों से फसल को बचाएं-रामरतन
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सरसों की लावणी का कार्य पूरे यौवन पर चल रहा है तथा गेहूं की फसल पकी खड़ी है। ऐसे में आग लगने से बचाने के लिए विभिन्न अधिकारी जुटे हुए हैं तथा किसानों को सलाह दे रहे हें कि अपनी कटी हुई फसल को बिजली के ट्रांसफार्मर एवं तारों से दूर डाले।
बिजली विभाग कनीना ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो अपनी कटी हुई फसलों को बिजली की तारों के नीचे एकत्रित न करें क्योंकि कई बार तेज हवाओं के चलने व तारों पर पक्षियों के बैठने से तार आपस में मिल जाते हैं जिससे चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों से फसलों का जल जाने से नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है।
इस संबंध में क्या कहते हैं अधिकारी--
किसान खेतों में अपनी कटी हुई सरसों, गेहूं व अन्य फसलों को वहां से गुजरने वाली तारों के नीचे एकत्रित ना करें। उन्होंने कहा कि तारों के नीचे फसलों के रखने से उनमें नुकसान होने का अंदेशा बना रहता है। कई कारणों से तारों में चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों के कटी हुई फसलों पर गिर जाने से फसलों के जल जाने का खतरा रहता है जिससेे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए किसान अपनी कटी हुई फसलों को ऐतिहात बरतते हुए तारों से दूर रखें। ताकि फसलों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
---रामरतन गोमली जेई
ट्रांसफार्मर के आस पास कटी हुई फसल न लगाये, अग्रि शमन के नंबर हमेशा लिखकर रखे, खेल, पाउंडा तथा बड़ी पानी की टंकी आदि खेत में पानी से भरकर रखे, पुलिस को सूचित करने तथा बिजली विभाग की सहायता के लिए अपने पास फोन नंबर तथा फोन साथ रखे। अग्रिशमन के नंबर हमेशा याद रखे। अगर कोई घटना घटती है तो फायरब्रिगेड को अविलंब 101 नंबर पर सूचित करें। अग्रिशमन विभाग की गाड़ी तुरंत मौके पर पहुंचेगी।
--राकेश कुमार फायर स्टेशन आफिसर, फरीदाबाद, कनीना निवासी
फोटो कैप्शन: राकेश कुमार एवं रामरतन गोमली जेई
बदलते मौसम में किसान त्वरित गति से ले रहे सरसों की पैदावार
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कनीना की आवाज। इस समय जहां किसान खेतों में सुबह से शाम तक त्वरित गति से अपनी सरसों के पैदावार ले रहे हैं वहीं गेहूं की लावणी भी आ चुकी है। सरसों के तुरंत बाद गेहूं की लावणी शुरू कर देंगे।
किसान सुबह घर से निकलते और शाम को लौटते हैं। किसान दिनेश कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि इस समय सरसों पैदावार लेने का काम पूरे यौवन पर चल रहा है। किसान अधिकांश पैदावार लेने का कार्य मजदूरों से करवा रहे हैं। दूसरे राज्यों से भारी संख्या मजदूर आए हुए हैं जो 1500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों निकालने का कार्य करते हैं। जबकि 3000 प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों की पदाड़ी बिक जाती है। किसानों ने बताया कि जहां दो दिनों से मौसम में कुछ बदलाव आ रहा है, हल्के बादल भी बार-बार दिखाई दे रहे जिसके कारण किसानों की चिंता की रेखा बढ़ गई है और वे तेजी से अपने कार्य में लगे हुए हैं।
फोटो कैप्शन : 06 सरसों की पैदावार लेते हुए किसान
नवरात्रों में याद आते हैं जौ,30 साल पहले होती थी खूब खेती
-जौ शून्य हेक्टेयर पर पहुंचा, राबड़ी को भी तरसे लोग
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कनीना की आवाज। किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्राकृतिक ठंडक प्राप्त करते हैं। अब न तो जौ की खेती होती और न राबड़ी एवं धानी। नवरात्रों में जौ बड़े याद आते हैं।
1986-87 तक कनीना क्षेत्र की करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि हजारों एकड़ में जौ की खेती की जाती थी। वैसे तो जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता है। जब नवरात्रे चलते हैं तो जौ की विशेष मांग होती है। गेहूं-चना एवं जौ -चने की मिश्रित खेती की जाती थी। 1982 में फव्वारा आया जिसके चलते चने की खेती घटती जा रही है और वर्तमान में तो चना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
जौ को गंगा में डालने, पूजा अर्चना,हवन आदि में काम आता है वहीं पैदावार 40 मण प्रति हेक्टेयर तथा भाव 2000 रुपये क्विंटल तक होता है। होली के पर्व पर जहां जौ को भूनकर पूरा परिवार चखता है और तत्पश्चात ही लावणी की शुरुआत होती आ रही है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था। जौ की रोटी खाने के लिए या फिर धानी बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं।
जौ की रोटी प्रचलन था जो सेहत के लिए अति लाभकारी मानी जाती थी। राबड़ी चाव से खाते हैं वहीं जौ का प्रयोग बीयर आदि बनाने में लेते हैं। शरीर में ठंडक के लिए राबड़ी को गर्मियों में खाते हैं किंतु अब राबड़ी की बजाय चाय पर आ पहुंचा है। पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज बताते हैं कि अब जौ की पैदावार नहीं हो रही है चूंकि किसानों का रुझान ही समाप्त हो गया है।
9 दिन चलने वाले नवरात्रों के पीछे छुपा है वैज्ञानिक तथ्य-डा होशियार सिंह
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कनीना की आवाज। नवरात्रे 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं तथा लगातार 9 दिन माता के नौ रूपों की पूजा का विधान है। इस बार नवरात्रे रामनवमी 6 अप्रैल को संपन्न हो जाएंगे।वास्तव में नवरात्रों के पीछे भी वैज्ञानिक तथ्य छुपा हुआ है। विज्ञान के जानकार डा. होशियार सिंह कनीना का कहना है कि नवरात्रे वर्ष में दो बार आते हैं जिसमें सर्दी से गर्मी में या गर्मी से सर्दी में प्रवेश किया जाता है जिन्हें शारदीय नवरात्रे तथा चैत्र नवरात्र नाम से जाना जाता है। दो अप्रैल से शुरू हो रहे नवरात्रों को चैत्र नवरात्रे नाम से जाना जाता है। इनके पीछे भी विज्ञान का गहरा राज छिपा हुआ है। वास्तव में जब मौसम बदलता है उस वक्त नया अनाज आ जाता है और नया अनाज सीधे ग्रहण करने से शरीर में कुछ उल्टे प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में शरीर से पुराने अन्न को पूर्णतया समाप्त करके ही नया अन्न धारण करना चाहिए। 9 दिनों के व्रत के पीछे यही कारण है कि शरीर से पुराना अनाज समाप्त किया जाता है। नौ दिनों में पुराना अनाज शरीर से रस एवं खून में बदल जाता। तत्पश्चात ही नया अन्य धारण किया जाता है जो शरीर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं करके स्फूर्ति का संचार करता है। वास्तव में मौसम बदलता है बदले मौसम के अनुरूप ही नया अन्न ग्रहण करना चाहिए। यद्यपि नवरात्रों में जौ उगाये जाते हैं जो 9 दिनों तक बड़ा हो जाता है तथा इस हालात में चले जाते हैं कि उनको व्रत के अंतिम दिन ऊपर से काटकर जवारे रस बनाकर पीना चाहिए और व्रत खोलना चाहिए। उनमें कैंसर तक लडऩे की क्षमता होती है। अक्सर लोग इन 9 दिनों तक उगाए गए जौ को किसी नदी, नाले आदि में बहा कर इतिश्री समझ लेते हैं। और तभी से कहावत चली है गंगा में जौ उगाना। वास्तव में इन उगाये हुये जौ से दोनों लाभ उठाये जा सकते हैं। ऊपर से एक से 2 इंच काटकर रस बनाकर पीना चाहिए और मां के नवरात्र संपन्न करने चाहिए जो शरीर में ऊर्जा स्फूर्ति ,प्रतिरोधकता पैदा करते हैं।
डा यादव बताते हैं कि सबसे बड़ा तथ्य नवरात्रों के पीछे छुपा है कि 9 दिन व्रत करने से शरीर बिल्कुल शुद्ध किया जाता है। अनाज पूणरूप समाप्त हो जाता है और फिर नए मौसम के अनुसार अनाज को ग्रहण करते हैं तो बेहद स्फूर्ति देता है। अफसर इन 9 दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है पुराने वक्त से चली आ रही है।
उनका कहना है कि पुराने वक्त से इसी दिन से नए वर्ष की शुरुआत होती है। दो अप्रैल को 2079 नव वर्ष शुरू होगा जो राजा विक्रमादित्य द्वारा चलाया हुआ है जिन्होंने हूणों पर विजय पाकर यह नव वर्ष शुरू किया था। ग्रामीण क्षेत्रों में से सम्मत संवत,नव वर्ष आदि नामों से जाना जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में जहां गुड़ी पाड़वा, विक्रमी संवत आदि नामों से जानते हैं वहीं से नव संवत्सर नाम से भी जानते हैं। विभिन्न पकवान बनाकर इस नए वर्ष का स्वागत किया जाता है जो पूर्वजों से चला आ रहा है।
देखने में आता है की बच्चे नवरात्रि में मां के नौ रूपों तक का ध्यान नहीं रखते। बहुत से व्रत धारण करने वाले भी मां के नौ रूपों का ध्यान नहीं दे पाते वास्तव में नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नाम से जाने जाते हैं वही
हर बच्चे बच्चे की जुबान पर जनवरी से दिसंबर तक महीनों के नाम हिंदी व अंग्रेजी में याद है किंतु हिंदू कैलेंडर जो अकसर मार्च-अप्रैल में शुरू होता है के बारे में तथा महीनों के नाम नहीं जानते। ये नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भाद्रपद आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष ,पौष, माघ और फागुन हैं। 9 दिनों तक अन्न न ग्रहण करके अधिक से अधिक जल धारण करें तो विज्ञान का तथ्य कहता है कि शरीर पूर्णता शुद्ध हो जाएगा साथ में अन्न की बजाय फल आदि का प्रयोग करें ताकि शरीर में शुद्धता आये। अचानक नया अन्न प्रयोग करने से एलर्जी आदि की संभावना बढ़ जाती है, उससे बचने का सबसे सरल उपाय है माता के नौ रूपों की का व्रत धारण करना चाहिए।
फोटो कैप्शन-डा होशियार सिंह
-नव वर्ष पर होंगे अनेक कार्यक्रम
-अखंड ज्योति जलाई जाएगी, शंख बजाकर होगा नव वर्ष का आगाज
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में नूतन हिंदू नव वर्ष मनाए जाने की तैयारी जारी है। कनीना के मोलडऩाथ आश्रम के पास माता मंदिर में जहां माता को स्नान करवा कर भक्तों ने अखंड ज्योति की तैयारी शुरू कर दी है। संत रामनिवास ने बताया कि यहां अखंड ज्योति जलाई जाएगी। ज्योति नवरात्रों में जलती रहेगी। उधर कनीना के संत मोलडऩाथ आश्रम पर शंख बजाकर नव वर्ष का आगाज किया जाएगा। ट्रस्ट के प्रधान दिनेश कुमार ने बताया कि संत रामनिवास शंख बजाकर हर वर्ष नूतन वर्ष का के आगमन का आगाज करते हैं। कनीना बस स्टैंड पर नव वर्ष पर मिठाई बांटकर कैलेंडर वितरित किए जाएंगे। महेश बोहरा, कुलदीप बोहरा आदि यह कार्यक्रम हर वर्ष मनाते आ रहे हैं। नव वर्ष पर जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।
क्या कहते हैं पंडित ऋषिराज-
पंडित ऋषिराज शर्मा ने बताया कि पिंगल नामक संवत्सर (2081) 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त हो जाएगा। उदया तिथि की वजह से 30 मार्च से नव संवत्सर शुरू होगा। इसके साथ ही आठ दिनों का नवरात्र भी प्रारंभ हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रतिपदा को जो दिन या वार पड़ता है, वही उस संवत्सर का राजा होता है और सूर्य की मेष संक्रांति जिस दिन होती है, उस दिन से संवत्सर के मंत्री पद का निर्धारण होता है। यह नवसंवत्सर उपद्रव से युक्त व नकारात्मक फलदायक होगा। इस संवत्सर का शुभारंभ सिंह लग्न में होगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यही कारण है कि इस दिन को नवसंवत्सर के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू नववर्ष से ही नए संवत्सर की शुरुआत होती है। सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हुई थी। इसे सृष्टि के कालचक्र का पहला दिन माना जाता है।
30 मार्च से शुरू होने वाला नव संवत्सर 2082 का नाम सिद्धार्थी है, और इस वर्ष के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य देव होंगे.
इसकी शुरुआत राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी। यह संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है। इसे गणितीय दृष्टि से सबसे सटीक काल गणना माना जाता है और ज्योतिष भी इसे ही मानते हैं। इस संवत में कुल 354 दिन होते हैं, और हर तीन साल में एक अतिरिक्त माह (अधिक मास) जोड़ा जाता है, ताकि समय का संतुलन बना रहे।
संवत्सर को महाकाल का एक हिस्सा माना जाता है। इसे भारत के अलग-अलग राज्यों में गुड़ी पाड़वा, उगादि जैसे नामों से जाना जाता है।
फोटो कैप्शन 05:माता मंदिर कनीना में भक्त माता मंदिर की सफाई कर, अखंड ज्योति की तैयारी में
साथ में पंडित ऋषिराज
हिंदु नव वर्ष 2082 मनाने के लिए बैठक आयोजित
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव बूचावास में विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष लखन लाल जांगड़ा ने एक आवश्यक बैठक ली। जिसमें उन्होंने कहा कि हम चैत्र मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हिंदू सनातन नव वर्ष मनाते हैं। नवरात्रों की शुरुआत भी इसी दिन से होती है इसलिए हर हिंदू को अपना यह नव वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिन हर हिंदू परिवार शाम को अपने घर में एक दीपक जलाकर हनुमान चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। श्री जांगड़ा ने कहा कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को हम रामनवमी का त्यौहार भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं । उन्होंने कहा कि हिंदू सनातन नव वर्ष से लेकर रामनवमी तक हर हिंदू को अपने घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ व रामनवमी को रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए। इस बैठक में बूचावास खंड अध्यक्ष रामकिशन बंसल, खंड मंत्री सुरेंद्र सिंह,धनोन्दा खण्ड के गांव कैमला के ग्राम अध्यक्ष डालचंद जांगड़ा , ग्राम उपाध्यक्ष राजकुमार जांगड़ा, निर्मल शास्त्री व दूसरे खण्डों के भी अनेक कार्यकर्ता बैठक में उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 04: नव वर्ष मनाने हेतु आयोजित बैठक
माडल संस्कृति स्कूल, कनीना का प्रवेश अभियान जारी
- पांचवे दिन भी टीम ने किया डोर-टू-डोर प्रचार
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कनीना की आवाज। राजकीय माडल संस्कृति स्कूल, कनीना द्वारा चलाया जा रहा प्रवेश अभियान लगातार पांचवें दिन भी पूरे उत्साह के साथ जारी रहा। इस अभियान के तहत स्कूल की दो टीमों ने नगर के विभिन्न वार्डों का दौरा किया और अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूल की विशेषताओं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली के बारे में अवगत कराया।
इस अभियान में स्कूल के समर्पित शिक्षकों और कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा। टीम में नितिन मुदगिल, बलदीप यादव, मुंशी राम, नरेश कुमार, सुनील कुमार, उमेद सिंह और सुरेंद्र कुमार शामिल रहे, जिन्होंने दो समूहों में विभाजित होकर अलग-अलग वार्डों में प्रचार-प्रसार किया। अभियान के दौरान टीम ने अभिभावकों से संवाद स्थापित कर उनके सवालों का जवाब दिया और उन्हें सरकारी माडल संस्कृति स्कूल में नामांकन कराने के लिए प्रेरित किया।
अभियान के दौरान अभिभावकों ने गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति स्कूल, कनीना की शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुशासन और छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। कई अभिभावकों ने कहा कि वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए इस स्कूल को पहली पसंद मानते हैं।
उन्होंने कहा, हमारा मुख्य उद्देश्य प्रत्येक छात्र को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि वे अपने उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें। अभिभावकों का उत्साहवर्धक समर्थन हमें और अधिक प्रेरित कर रहा है।
विद्यालय प्रशासन ने सभी अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों का नामांकन सरकारी माडल संस्कृति स्कूल, कनीना में करवाएं और उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करें। इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आने वाले दिनों में भी डोर-टू-डोर संपर्क जारी रहेगा।
फोटो कैप्शन 03: प्रवेश के लिए जारी अभियान
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