आर्य समाज परिसर में हवन आयोजित
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कनीना की आवाज। आर्य समाज कनीना परिसर में हवन का आयोजन किया गया। हवन में कृष्ण कुमार यजमान बनाए गए। वैसे तो आर्य समाज मंदिर में हर रविवार को हवन का आयोजन किया जाता है किंतु समय-समय पर विशेष हवन आयोजित होते हैं। इस अवसर पर राम और सिंह प्रधान ने कहा कि हवन सबसे श्रेष्ठ प्रक्रिया है। हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है। पापों का दमन होता है इस अवसर पर मोहर सिंह आर्य, मनफूल आर्य, बहन सरला आर्य, प्रेम कुमार आर्य, ओमप्रकाश आर्य आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 02: हवन करते हुए आर्य समाजी।
चोर साहब के कारनामे-17
आदत बिगडऩे पर नहीं सुधरता कभी भी इंसान
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कनीना की आवाज। कनीना के डा. होशियार सिंह यादव लेखक एवं विश्व रिकार्ड धारक के प्लाट से चोर साहब अनेकों सामान चोरी कर ले गया। चोरी करने की आदत बहुत बुरी होती है। जिनकी आदत बिगड़ गई उसे सुधारा नहीं सकता। बुजुर्ग बताते हैं कि चोर चोरी से जाए परंतु हेरा फेरी से नहीं। एक बार किसी की आदत बिगड़ जाती है तो वह सुधरना भी चाहे तो नहीं सुधर सकता क्योंकि उसकी आत्म गलत काम करवाने को बाध्य कर देती है। कुछ चुुगली करते हैं किंतु चुगली करते-करते जीवन बिता जाते परंतु आदत नहीं सुधरती ,कुछ घटिया आदतों से परिपूर्ण होते हैं वो घटिया आदतों में ही मर जाते हैं। चोर साहब की आदत बहुत बुरी है। कितनी ही बात चोर साहब को समझाया। परोक्ष रूप से बताया कि कोई लेखक का सामान उठाता है परंतु चोर साहब सिर्फ एक बात कहते पता नहीं कौन उठाता है? पास पड़ोस से पता किया तो भी परिणाम शून्य रहा परंतु बाद में अपनी आंखों से चोर साहब को चोरी करते देखा तब पता चला कि चोर साहब की आदत ही बिगड़ी हुई है। वास्तव में उसके कारनामों से लेखक बहुत परेशान रहा है। ऐसी घटिया आदत भगवान किसी को नहीं दे।
सोमवार व्रत के लिए उचित होगा 14 जुलाई से
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कनीना की आवाज।व्रत करना बेहतर माना जाता है। 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और 11 जुलाई से सावन माह शुरू हो जाएगा। पहला सावन का सोमवार 14 जुलाई को होगा, तत्पश्चात 21 जुलाई तत्पश्चात 28 जुलाई उसके बाद चार अगस्त को होगा। 9 अगस्त को रक्षा बंधन पर यह सावन संपन्न हो जाएगा।
कानून के समक्ष समानता और धर्म,जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है धर्मपाल शर्मा
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कनीना की आवाज। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा संबंधित अखिल भारतीय राज्य सरकार पेंशनर्स फेडरेशन के राज्य प्रदेश सचिव धर्मपाल शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आजकल संविधान में धर्मनिरपेक्ष व समाजवाद दो शब्दों पर बड़ी चर्चा हो रही है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन शब्दों पर देश व्यापी विमर्श करने जा रहा है। दिल्ली में स्थित संघ कार्यालय केशव कुंज में प्रांत प्रसारकों की बैठक में इसकी रूप रेखा बनेगी। मैं जनार्दन से पूछना चाहत हूं क्या संविधान की आत्मा से छेड़छाड़ स्वीकार्य है? जनतंत्र के प्रहरी उठ खड़े हों।
भारतीय संविधान सिर्फ कानून की किताब नहीं, यह एक सपना है — उन करोड़ों लोगों का सपना, जिन्होंने भेदभाव, गुलामी और शोषण से लड़कर एक समान, न्यायपूर्ण और धर्मनिरपेक्ष भारत की कल्पना की थी।
लेकिन अब कुछ विचारधाराओं को संविधान की प्रस्तावना में लिखे दो शब्द खटक रहे हैं —
समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष।
कुछ लोग कह रहे हैं कि ये शब्द हटाने चाहिए, क्योंकि ये 1976 में आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे।
पर सवाल ये है —
क्या केवल शब्द हटाने से संविधान की आत्मा भी मिट जाएगी?
इतिहास की गवाही - मूल्य पहले से थे, शब्द बाद में आए समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द भले 42वें संशोधन (1976) में प्रस्तावना में जोड़े गए हों,
लेकिन उनके बीज संविधान के पहले पन्ने से ही मौजूद थे-
अनुच्छेद 38 कहता है: राज्य ऐसी व्यवस्था कायम करे जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय हो।
अनुच्छेद 39: संसाधनों और धन का केंद्रीकरण कुछ लोगों तक न सिमटे।
अनुच्छेद 25.28: हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन, प्रचार, और उपासना की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 14.15: कानून के समक्ष समानता और धर्म, जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं।
तो क्या हम ये माने कि बिना 'शब्दÓ के ये मूल्य फालतू थे?
असल बात ये है कि तकलीफ शब्दों से नहीं, उनके अर्थ से है धर्मनिरपेक्ष शब्द कुछ ताकतों को इसलिए खटकता है क्योंकि वह बहुसंख्यकवाद की राजनीति के आड़े आता है। समाजवादी शब्द इसलिए खटकता है क्योंकि वह कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ गरीब के हक की बात करता है।
असल चिंता इन शब्दों के होने से नहीं है,
बल्कि इन शब्दों से लोगों को उनके अधिकार याद आ जाते हैं — यही बात सत्ता को चुभती है।
क्या ये संविधान सिर्फ सत्ता का औज़ार बनकर रह जाएगा? जिस संविधान को पढ़कर अंबेडकर ने कहा था कि यह सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, सामाजिक क्रांति का औजार है —
क्या आज हम उसी संविधान को राजनीति की शुद्धि के नाम पर काट-छांट देंगे? क्या प्रस्तावना अब सत्ता के एजेंडे के अनुसार बदली जाएगी?
हमें तय करना है — कि हम संविधान को किताबों में बंद देखना चाहते हैं या जीवन में जिंदा।
अगर 'समाजवादÓ और 'धर्मनिरपेक्षताÓ से आपको डर लगता है,
तो समस्या संविधान में नहीं, आपकी सोच में है।
शब्द हटाने की कोशिश कर सकते हो,
लेकिन वो किसान, वो दलित, वो मजदूर, वो लड़की जो बराबरी का सपना देखती है —
उनके दिल से संविधान कैसे मिटाओगे?
अब फैसला हमें करना है:
क्या हम संविधान के साथ खड़े हैं ।
या उसके खिलाफ खड़े हैं ,सत्ता के पीछे?
विश्व चाकलेट दिवस- 7 जुलाई
चाकलेट खाने के होते हैं शरीर को लाभ -डाक्टर
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कनीना की आवाज। चाकलेट का नाम लेते बच्चे और बूढ़े सभी प्रसन्नचित नजर आते हैं। चाकलेट खाने का रिवाज बढ़ता ही जा रहा है, विशेष कर छोटे बच्चे जो किसी के जन्मदिन या उत्सव में जाते हैं तो सबसे अधिक पसंद चाकलेट को करते हैं। यह दिन उन्हीं को समर्पित है।
चाकलेट खाने से जहां लाभ भी माने जाते हैं तो कुछ हानियां भी बताई जाती है। बच्चे रमन, अमीश, हर्ष, दिनेश आदि ने बताया कि उन्हें चाकलेट बहुत पसंद हैं। वे अक्सर किसी भी कार्यक्रम में जाते हैं तो चाकलेट जरूर खाते हैं। चाकलेट वास्तव में कई रूपों में मिलती है, जिनके लाभ अधिक बताए जाते हैं।
डाक्टर विनय कुमार शर्मा से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि अभी तक चाकलेट खाने के लाभों पर शोध जारी है परंतु माना जाता है कि डिप्रेशन को कम करती है, ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रण में रखती है। त्वचा के लिए भी चाकलेट एंटीआक्सीडेंट का कार्य करती है, हृदय रोगों से बचाती तथा शरीर में कोलेस्ट्राल को भी कम करती है किंतु चाकलेट खाने से कुछ हानियां भी होती है
यदि रात के समय चाकलेट खाएंगे तो नींद कम आती है। चाकलेट को सावधानीपूर्वक खाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा. विनय शर्मा
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद किया
-लगाये गये पौधे
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कनीना की आवाज। एक राष्ट्र एक संविधान के महान विचारक स्वतंत्रता सेनानी जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 125वीं जयंती फोटो पर माला अर्पण कर व पांच पौधे लगाकर गांव सेहलंग में मनाया। उन्होंने उसे महान विचारक बताया।
इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष कनीना वीरेंद्र सिंह यादव, महामंत्री हनुमान सिंह यादव, महामंत्री अनिल प्रदेशी, उपाध्यक्ष रमेश क्रांति, वेद प्रकाश बोहरा भडफ़, कप्तान सिंह रोहिला, रोहित ,दिनेश नौताना आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: डा. श्यामा मुखजी को याद करते हुए तथा पौधारोपण करते हुए।
कावड़ लाने वाले हुए सक्रिय
-10 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा
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कनीना की आवाज। 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। तत्पश्चात 11 जुलाई से सावन माह लग जायेगा।
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर जहां पुराने समय से विधान है कि गुरु करीब 4 महीने एक ही जगह बैठकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं और सभी अंधकार दूर कर देते हैं इसलिए गुरु की पूजा की जाती है।
विस्तृत जानकारी देते हुए आचार्य दीपक कौशिक ने बताया की महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास जिन्हें वेदव्यास भी कहा जाता है, का जन्मदिन इसी दिन हुआ था उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है और इस दिन को व्यास वेद व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्ति काल के समय संत घीसा राम जो कबीर दास के शिष्य थे का भी जन्म इसी दिन हुआ था।
गुरु पूर्णिमा के दिन जहां हरिद्वार के गंगा में डुबकी लगाने लाखों लोग पहुंचते हैं। हजारों की संख्या में भक्त हरिद्वार रवाना हो चुके हैं।
विधि विधान से पूर्ण करें गुरु पूर्णिमा पर्व-
मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के ही दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, यही वजह है कि इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार संसार के प्रथम गुरु भगवान शिव को माना जाता है जिनके सप्तऋषि गण शिष्य थे। उसके बाद गुरुओं की परंपरा में भगवान दत्तात्रेय का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से धन संपत्ति, सुख शांति और वैभव का वरदान पाया जा सकता है. हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है। गुरु भगवान से भी ऊपर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो गुरु ही होता है जो व्यक्ति को अज्ञानता के अंधकार से उबारकर सही रास्ता दिखाता है।
भक्त निजी साधनों से हरिद्वार रचवाना हो चुके हैं। 11 जुलाई को गंगा में डुबकी लगाकर वापस चलेंगे। उधर कांवड़ लाने के लिए भी भक्त रवाना हो रहे हैं।
व्रत करने वालों के लिए शुभ-दीपक कौशिक ने बताया कि सावन के सोमवार को व्रत रखने वालों के लिए शुभ समय होता है। सावन का प्रथम सोमवार 14 जुलाई का होगा तत्पश्चात 21 जुलाई, 28 जुलाई व चार अगस्त को सावन के सोमवार होंगे वहीं सावन कृष्ण त्रयोदशी 22 जुलाई को होगी जब बाघेश्वरधाम पर सबसे बड़ा मेला लगता है।
क्या कहते हैं कांवड़ लाने वाले-
कनीना में सबसे अधिक कांवड़ लाने वाले सुमेर सिंह 71 वर्षीय 44वीं कांवड़ हरिद्वार से लाएंगे। उनका कहना है कि कांवड़ लाकर मन प्रसन्नचित रहता है तथा मनोकामना पूर्ण होती है। उन्होंने कांवड़ लाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
फोटो कैप्शन: सुमेर सिंह






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