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Saturday, July 5, 2025


 



टमाटर हुआ लाल, भाव 80 रुपये किलो
-वर्षा ने बर्बाद कर दिया है फसल को
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कनीना की आवाज।
भिंडी और टमाटर अभी से ही ऊंचाइयों को छू रहे है।  टमाटर एक सौ रुपये किलो तक बिक चुके हैं। सब्जी के भाव प्रतिदिन के होते हैं। टमाटर 80 रुपये किलो बिक रहे हैं।  टमाटर और भिंडी की इस बार विवाह शादी अधिक होने से मांग भी अधिक रही है जिसके चलते भाव में सदा ही वृद्धि रही है। अब शादियां बंद हो गई हैं। टमाटर पिछले चंद दिनों से महंगे दामों पर बिक रहे हैं।
 किसान सूबे सिंह, महाबीर सिंह, राजेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्षा के कारण टमाटर की फसल खत्म हो जाती है जिसके कारण टमाटर महंगा रहता है। जब तक टमाटर की नई फसल नहीं आती तब तक यही हालात बनी रहेगी।
क्या कहते हैं दुकानदार-
सब्जी विक्रेता से इस संबंध में बात की। सब्जी विक्रेता इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि थोक में टमाटर 60 रुपये किलो, देशी टिंडा एवं भिंडी 80 रुपये किलो, घीया 40 रुपये, खाीरा 60 रुपये, अरबी 60 रुपये, आलू 20 रुपये किलो पहुंच गया है। हर वर्ष वर्षा के बाद सब्जियों के भाव बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि थोक में ही टमाटर महंगे भाव में मिल रहे हैं। 1600 रुपये प्रति 25 किलो के भाव सिंह थोक में मिलते हैं जिसके बाद उनको लाने ले जाने का खर्चा आता है। महंगे दामों पर बेचना मजबूरी हो जाती है। कनीना के पास सब्जी मंडी 17 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ या फिर 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी पड़ती है। जहां से सब्जी को लाने का खर्चा बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप टमाटर महंगे दामों पर बेचे जाते हैं और खुरदरा भाव 80 रुपये प्रति किलो से अधिक चल रहे हैं।
-- इंद्रजीत शर्मा सब्जी विक्रेता
किसानों से भी टमाटर की महंगाई पर बात हुई जिनके विचार निम्र हैं-
टमाटर वर्ष में दो बार उगाया जाता है क्योंकि हर वर्ष वर्षा के मौसम में टमाटर के पौधे नष्ट हो जाते हैं। पौधे गल जाते हैं दोबारा से नई प्योद लगाने मजबूरी हो जाती है जिसके कारण मार्केट में टमाटर नहीं मिल पाते और कोल्ड स्टोरेज आदि से रखे हुए टमाटर की नसीब होते हैं। यही कारण है कि टमाटर महंगे होते हैं।
- निरंजन किसान
टमाटर को लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रख सकते क्योंकि टमाटर मई महीने में पैदावार देना बंद कर देते हैं और जून की गर्मी के कारण पौधे नष्ट हो जाते हैं तत्पश्चात कुछ दिन टमाटर बचते हैं और किसान का स्टाक खत्म हो जाता है। तत्पश्चात कोल्ड स्टोरेज के ही टमाटर बाजार में उपलब्ध होते हैं जो महंगे मिलना स्वाभाविक है। इसका कोई समाधान भी नजर नहीं आ रहा है। किसान कोल्ड स्टोर का काम नहीं कर सकता।
-- महाबीर सिंह, किसान करीरा
क्या कहते हैं अधिकारी-
पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज ने बताया कि टमाटर की फसल पैदावार मई माह तक समाप्त हो जाती है जिसके कारण टमाटर महंगा हो जाता है। अब नई प्योद लगाई जा रही है जो दिसंबर माह में पैदावार देने लग जाएगी। तब तक भाव महंगे मिलेंगे।
 --डा. देवराज यादव
फोटो कैप्शन 05: टमाटर बेचते हुए एक दुकानदार।
साथ में इंद्रजीत सिंह, महाबीर सिंह, निरंजन एवं डा. देवराज








विश्व जूनोसिस दिवस
पशुओं से लग जाते अनेक रोग, बरते सावधानी- डा.कांगड़ा
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कनीना की आवाज।
 इंसान और पशुओं के बीच गहन संबंध रहा है वही पक्षियों से भी संबंध रखता है। जिस प्रकार कुत्ते, गाय, भैंस बकरी आदि को पालता है वही पक्षियों को पालने की भी एक प्रथा है किंतु अनेक रोग पशुओं से इंसानों में लग जाते हैं। उनके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व जूनोसिस दिवस मनाया जाता है। इस संबंध में कनीना के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. पवन कांगड़ा से बात की गई।
डा. ने बताया कि पशुओं से कई बीमारियां इंसानों में लग जाती है जिसमें टीबी, रेबीज, बू्रसेलोसिस, काउ पाक्स, चिकन पाक्स, माता आदि के रोग लग जाते हैं। अक्सर इंसान सावधानी से काम नहीं करता तो इन रोगों की चपेट में आ जाता है। जहां इंसान पशुओं से दूध पीता है किंतु दूध के कारण भी टीबी का रोग जाता है और टीबी पशुओं में विशेषकर गायों में सबसे पहले आता है। रेबीज के रोग से अक्सर अनेक जान चली जाती हैं। यदि कोई कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि काट जाए तो रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सावधानी बरतनी चाहिए। अगर पालतू कुत्ता है और उसकी भी लार लग जाए तो हाथों को अच्छी प्रकार साबुन की सहायता से रगड़ रगड़कर धोना चाहिए। यदि कहीं शरीर पर कट है और कुत्ते, बंदर बिल्ली आदि की लार शरीर में चली जाती है तो रेबीज होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी अनेकों घटनाएं आए दिन हो रही है। बू्रसेलोसिस एक ऐसा पशु रोग है जो ब्रूसेला नामक रोगाणु से फैलता है। यह प्राय: उन पशुओं में होता है जिनका गर्भपात हो जाता है। बार-बार पशु बच्चों को डाल देता है और बाद में पशुओं के शरीर से निकलने वाला मैल जब इंसान के संपर्क में आता है और उसमें बू्रसेला नामक तो वह इंसान में चले जाते हैं। ऐसे समय बहुत सावधानियां बरतने की जरूरत है। अक्सर जून की बीमारी जिसे फीताकर्मी नाम से जाना जाता है। पशुओं से इंसानों में आ जाता है। जिस इंसान में जून नामक जीव प्रवेश कर जाता है जो इंसान को पनपने नहीं देता। इनका आधा जीवन पशुओं में बीतता है और आधा इंसान में। इस कृमि के कारण जून नामक रोग होता है। इसके लिए भी एल्बेंडाजोल आदि गोलियां लेकर फीताकृमि को नष्ट किया जा सकता है। पेट में बच्चों के पेट में कीड़े पशुओं के कारण हो जाते हैं।
डाक्टर ने बताया कि दूध के कारण भी टीबी का रोग हो जाता है। यहां तक की चिकन के संपर्क में आने से चिकनपाक्स, गायों से फैलने वाला काउपाक्स, माता का रोग आदि ऐसे अनेकों रोग हैं जो पशुओं के संपर्क में आने से लगते हैं। पशुओं की देखरेख करनी चाहिए रोग के समय दूध आदि को प्रयोग न करना चाहिए और इंसानों को पशुओं के संपर्क में आने के बाद अच्छी प्रकार हाथ धोने चाहिए, स्नान करना चाहिए। सावधानी में ही बचाव है।
 फोटो कैप्शन: डा. पवन कांगड़ा







हरियाणा की नारी शक्ति का उदाहरण बना प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह
-विश्व मंच तक पहुंची बनारसी देवी के नेतृत्व की असाधारण गाथा
-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हरियाणा का नाम रोशन कर रही बवानिया गांव की खिचड़ी
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कनीना की आवाज।
हरियाणा के कनीना खंड के गांव बवानिया से निकली प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह की कहानी आज पूरे प्रदेश और देश की महिलाओं के लिए एक अमर प्रेरणा बन चुकी है। यह कहानी है बनारसी देवी और उनके समूह की उन मेहनती महिलाओं की जिन्होंने अपने सामूहिक प्रयास, अटूट विश्वास और हरियाणा सरकार की दूरदर्शी नीतियों के सहयोग से आत्मनिर्भरता की एक नई इबारत लिखी है। आज यह समूह न केवल 300 से अधिक महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार दे रहा है बल्कि उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की ख्याति देश की सीमाओं को लांघकर अमेरिका और जापान जैसे दूर देशों तक पहुंच चुकी है।
इस स्वयं सहायता समूह की यात्रा वर्ष 2001 में शुरू हुई जब बनारसी देवी ने अपने गांव की महिलाओं को संगठित कर आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा। इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह की नींव रखी। 2005 से इस समूह की विकास यात्रा ने गति पकड़ी। वर्ष 2017 में समूह को औपचारिक रूप देते हुए उन्होंने पहला कदम उठाया। उन्होंने गांव की महिलाओं को अचार बनाने का कौशल सिखाया। इस शुरुआती सफलता से उत्साहित होकर समूह की महिलाओं को करनाल स्थित बागवानी प्रशिक्षण संस्थान में उन्नत प्रशिक्षण के लिए भेजा जहां उन्होंने उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग के गुर सीखे।
हरियाणा सरकार के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का सहयोग समूह के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ। इसी योजना के तहत 2021 में समूह को दाल प्रसंस्करण के लिए एक मिनी दाल मिल उपलब्ध करवाई गई जिसने उनके उत्पादन क्षमता में क्रांति ला दी। धीरे-धीरे समूह ने अपनी गतिविधियों का विस्तार किया और महिला किसान संगठन से जुड़कर मोटे अनाज (मिलेट्स) और आर्गेनिक उत्पादों के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया। बनारसी देवी के कुशल नेतृत्व में समूह की महिलाओं ने बाजरे, ज्वार, रागी से बने स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद जैसे बाजरा खिचड़ी, बेसन, हल्दी व मसाले, तेल और गुड़ तैयार करना सीखा। आज इस समूह की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि उनके उत्पादों की मांग न केवल हरियाणा बल्कि दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात, गोवा, जापान, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों तक पहुंच चुकी है। समूह द्वारा तैयार की गई बाजरा खिचड़ी अपनी पौष्टिकता और स्वाद के कारण इतनी लोकप्रिय हुई है कि यह अब अमेरिका तक पहुंच चुकी है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हरियाणा का नाम रोशन कर रही है।
प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह ने केवल अपने सदस्यों को ही सशक्त नहीं किया बल्कि बनारसी देवी के नेतृत्व में उन्होंने अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त किया है। समूह ने हरियाणा और राजस्थान में समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर 100 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने का मार्गदर्शन दिया है। इन शिविरों में महिलाओं को मोटे अनाज से विभिन्न खाद्य उत्पाद तैयार करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिससे वे भी आत्मनिर्भर बन सकें।
बनारसी देवी का योगदान केवल आर्थिक सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है। उनकी समाज सेवा, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उनके अभूतपूर्व योगदान को हरियाणा सरकार ने भी खुले दिल से सराहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें सम्मानित किया।
अब किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना--
हरियाणा के कृषि विज्ञान केंद्र से मिले मार्गदर्शन ने प्रगतिशील टैगोर स्वयं सहायता समूह के छोटे से प्रयास को एक बड़े आंदोलन का रूप दे दिया है। भविष्य की ओर देखते हुए समूह एक किसान उत्पादक संगठन बनाने की योजना पर भी कार्य कर रहा है। यह पहल न केवल बवानिया बल्कि पूरे महेंद्रगढ़ जिले की ग्रामीण महिलाओं को लाभान्वित करेगी और उन्हें स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। यह कदम हरियाणा सरकार की कृषि और ग्रामीण विकास नीतियों के अनुरूप है जो किसानों और विशेषकर महिला किसानों को संगठित कर उन्हें बाजार से सीधे जोडऩे पर केंद्रित है।
इस समूह में प्रधान भागवंती, सचिव कृष्णा देवी, कोषाध्यक्ष रेखा देवी, चलती, माया, सविता, मंजु, राजबाला, सुमन, सुषमा, रेनू यादव, गायत्री, सविता, रेनू देवी, संतोष, ललिता देवी जैसी कई सशक्त महिलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
फोटो कैप्शन 01:-बाजरे, ज्वार, रागी से स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार करती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं।



चोर साहब के कारनामे-16
अति का परिणाम होता है बुरा
-सामने आया है अति करने का परिणाम
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी डा. होशियार सिंह यादव विश्व रिकार्ड धारक के प्लाट से विगत दो वर्षों में चोर साहब ने अनेकों चोरियां की। हर बार लेखक मायूस होकर रह गया। अपने साथियों को हर बार बताया कि उसके प्लाट से चोरी हो गई।  इस संबंध में बहुत परेशानियां झेली। एक के बाद एक कितनी चोरियां हुई जिनमें गमले, ईंट, पत्थर कृषि उपकरण, बिजली का सामान तथा जो कुछ हाथ लगा कर सब समय-समय पर उठा ले गया। क्योंकि बुजुर्गों की कहावत है कि अति करने वाले का परिणाम बहुत बुरा होता है। अति करने वालों का यदि इतिहास को उठाकर देखें, सभी का बहुत बुरा परिणाम रहा है। चोर साहब की बहुत अति हो चुकी है। अब उनका अंत निश्चित है क्योंकि एक बहुत सुंदर उदाहरण हाल ही में सामने आया है। यह सच्ची घटना है। जिस बेचारे के साथ बहुत अति की गई और परिणाम अति करने वाले को जान देखकर चुकाना पड़ा। बहुत ही नेक इंसान और लंबे समय तक साथ रहने वाला मेरा साथी नरेश कुमार जो लेखक का बहुत करीबी रहा है। नरेश कुमार अपने एक पूर्व साथी को 3500 रुपये प्रति माह देता आया है। लंबे समय अर्थात दस वर्षों तक उनको 3500 रुपये प्रतिमाह दिए। धीरे धीरे यह हुआ कि उसका पूर्व साथी अधिक पैसे की मांग करने लगा और अति पर उतर आया।
बेचारा नरेश 3500 रुपये प्रतिमाह दे रहा था किंतु उसके पूर्व साथी के मन में खोट आ गया। उसने तो एक बात न्यायालय में रख दी कि उन्हें 3500 रुपये नहीं अपितु 25000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएं। फिर क्या था ,नरेश बेचारा इधर-उधर से पैसे इक_े करता रहा। उसने 5 लाख रुपये पूर्व साथी को देने पड़े। यही नहीं अपितु न्यायालय से बाहर नरेश कुमार ने 3500 की बजाय 15000 रुपये प्रतिमाह देने की वकील से बात कही क्योंकि नरेश बहुत परेशान था, वह चाहता था कि किसी प्रकार पीछा छुड़वाया जाए। आज तक कभी नरेश कुमार को इतना परेशान नहीं देखा जितना कुछ दिनों से दिखाई दिया। हाई कोर्ट में भी जाना पड़ा अनेक समस्याएं झेली। जितना भी पैसा जमा था सब इक_ा करके 8.50 लाख रुपये खर्च कर दिए। जब भी लेखक ने नरेश से बात की तो उन्होंने कहा कि वह बहुत परेशान चल रहा है। क्यों न हो जब आदमी अति पर उतर आता है तो प्रतिपक्ष परेशान होना स्वाभाविक है। उधर 25000 रुपये प्रतिमा देने के आदेश भी न्यायालय ने कर दिये। क्योंकि नरेश कुमार अपने परिवार को कैसे पाले? 25 हजार रुपये प्रतिमाह दे तो परिवार के लिए कुठ भी नहीं बचेगा। उनके थोड़े से वेतन में से इतना पैसा नहीं बचता की घर परिवार का पालन पोषण हो सके। कुछ दिनों से बहुत परेशान रहा और उन्होंने बताया कि वह पूर्व साथी अति पर उतर आया है जिसके कारण वह दिन रात परेशान है। इतने पैसे कहां से प्रबंध करें लेकिन अति करने वाले के साथ भगवान ने बहुत बुरी बीताई। अति करने वाले को काले नाग ने डस लिया। नरेश का वह पूर्व साथी नरक लोक में पहुंच गया और नरेश ने राहत की सांस ली। सारे पैसे जो उन्होंने नरेश से लिये थे धरे रह गए। इसलिए किसी के साथ अति नहीं करनी चाहिए क्योंकि लेखक के साथ भी चोर साहब ने बहुत अति की है जिसका परिणाम वह निश्चित रूप से भुगतेगा। ऐसे अति करने वाला के साथ भगवान भी न्याय करके सजा जरूर देंगे।











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