चोर साहब के कारनामे-22
क्या मिलिये ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे......
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी डा. होशियार सिंह यादव लेखक के प्लाट से जहां अनेकों गमले,पत्थर, कृषि के उपकरण, बिजली का सामान समय-समय पर चोर साहब ने चोरी कर लिये। एक बार तो चोर साहब को रंगे हाथों पकड़ भी लिया परंतु चोर साहब कब मानने वाला है। अब सुरक्षा के लिए जहां कैमरा लगा दिया है और जल्द ही उच्च दर्जे के कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि चोर साहब को पकड़ा जा सके क्योंकि कहा जाता है कि चोर चोरी से जाए किंतु हेरा फेरी ,घटियापन चोर साहब के दिल में बसा हुआ है। दूसरों का अहित करना उसका एक फैशन बन चुका है। एक फिल्मी गाना रेडियो पर सुनाई दिया-क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे,नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे।
1968 में धर्मेंद्र की इज्जत फिल्म आई थी जिसमें यह गीत बहुत प्रचलित हुआ था। उस जमाने में भी चोर साहब जैसी व्यक्तियों के लिए कितना सुंदर गीत बनाया गया था। साहिर लुधियानवी ने अपने शब्दों से पिरोकार समाज में चोर साहब जैसे लोगों को उजागर किया था। सचमुच ऐसे लोगों से मिलना बहुत बुरी बात है। ऐसे लोगों को समाज से दूर रखा जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। कहावत है कि बुराई बुरे लोगों के दिल से समाज में फैलती है वही अच्छे लोगों से खुशबू सारे समाज को बेहतर बनाने की कोशिश करती है। संतों का भी यही कहना है कि बुरी संगति से अकेला भला। ऐसे लोगों से मिलकर भी इंसान गलत संगत में जाता है। ऐसे लोगों का साथ देने वाले एक दिन निश्चित रूप से गर्त में जाएंगे अच्छे लोगों की संगति हरिण की कस्तूरी के समान होती है जिसकी खुशबू सारे समझ में फैलकर तन मन को प्रफुल्लित कर देती है। बुराई करने वाले दूसरे का अहित करने वाले चोर साहब जैसे लोग न जाने किस किस प्रकार से लोगों का अहित सोचते हैं परंतु इन लोगों की जिंदगी ज्यादा लंबी नहीं होती और जल्द ही इस दुनिया से रुखसत होना पड़ता है। चोर साहब चाहे कितना भी अहित करें परंतु निश्चित है उसका अंत और यह अंत भी ऐसा बुरा होगा कि समाज ऐसे घटिया प्रवृत्ति के लोगों के जाने पर थू-थू करेगा। तभी तो कहा है-
घटिया लोगों का साथ दो, तन मन की जाती है आब।
नीचे कलंक जहान में कहलाते हैं चोर साहब।।
इस प्रकार के संस्कार पूर्वजों से आते हैं और सबसे बड़ी बात है कि परिवार के सदस्य इस प्रकार की प्रवृति को अगर रोकना चाहे तो रोक सकते हैं किंतु नहीं रोकेंगे तो इसका मतलब है वह परिवार भी दोषी होगा। क्योंकि नारद मुनि ने वाल्मीकि से यही पूछा था कि जो वह पाप कर रहा है क्या उसके पाप का भागीदार उसका परिवार होगा? उसके परिवारों ने स्पष्ट कर दिया था कि वो कभी भागीदार नहीं होंगे। इसके बाद ही उसकी मति बदली थी किंतु चोर साहब जैसे लोगों के घर परिवार के लोग भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं जिसके कारण इस प्रकार की प्रवृत्ति उसके दिलोदिमाग में कूट-कूट कर भरी हुई है।
बहुत बड़ा अंतर है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में
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कनीना की आवाज। अक्सर लोग शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर नहीं समझ पाते परंतु दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। शिवरात्रि हर महीने शिव की पूजा अर्चना के लिए आती है किंतु सावन की शिवरात्रि सबसे बेहतर मानी जाती है क्योंकि गुरुओं की पूजा और देवों का आशीर्वाद इस माह में सदैव प्राप्त होता है। पूजा अर्चना करने वाले शिव के आशीर्वाद के भागीदार होते हैं। इस माह में कावड़ अधिक चढ़ाई जाती है। यूं तो कावड़ महाशिवरात्रि पर भी अर्पित की जाती है किंतु उस समय मौसम अनुकूल नहीं होता। ऐसे में शिवरात्रि पर ही कावड़ आसानी से चढ़ाई जा सकती है। उधर महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च माह में अक्सर आता है। इस दिन शिव भोले ने अमरनाथ में पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। इस दिन जहां अमर कथा सुनते-सुनते पार्वती को नींद आ गई थी और कबूतरों के जोड़े ने महाशिवरात्रि पर शिव भोले की कथा सुन ली क्योंकि कबूतर जब बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि हुंकारा भरा जा रहा है। इसलिए सारी कथा सुनने के कारण वो भी अमर हो गए। शिव भोले ने उनको मारना भी चाहा किंतु तब तक वो अमर हो चुके थे। आज भी अमरनाथ गुफा में सफेद रंग के कबूतर कुछ लोगों को दर्शन देते हैं जो माने जाते हैं कि अमर हैं। ऐसे में 23 जुलाई को शिवरात्रि आ रही है जबकि फरवरी या मार्च में महाशिवरात्रि आएगी। 2026 में यह महाशिवरात्रि 15 फरवरी को आएगी।
कनीना में हुई हल्की वर्षा
संस,जागरण.कनीना। कनीना क्षेत्र में मगलवार की शाम को हल्की वर्षा हुई। चंद दिनों के बाद यह हल्की वर्षा हुई है। इस वक्त सड़कों का गंदा जल सूख चुका है तथा अब वर्षा के बाद फिर से पानी भर गया है।
फोटो साथ हैं।
कावडिय़ों के लिए लगाए गये शिविरों का बुधवार को होगा समापन
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कनीना की आवाज। कांवडिय़ों के लिए विगत एक सप्ताह से लगाये गये सेवा शिविर बुधवार को संपन्न हो जाएंगे। कनीना के बस स्टंैड के पास ही रेवाड़ी मार्ग, कोसली मार्ग, महेंद्रगढ़ एवं अटेली मार्ग शिविर लगाए हुए हैं। ये शिविर एक सप्ताह तक चले आ रहे थे। इस शिविरों में कनीना व आस-पास के लोग आकर शिवभक्तों की सेवा करते आ रहे हैं।
जहां कुछ लोग इन शिवभक्तों की सेवा करके खुश रहे तो कुछ दान पुण्य करके ही प्रसन्न रहे। इस शिविरों में कांवडिय़ों के लिए जहां चाय, पानी, नाश्ता एवं भोजन की संपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई गई वहीं उनकी सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। देर रात तक ये सेवक भक्तों की सेवा के लिए तैयार देखे गए। बुधवार को जगह जगह भंडारे आयोजित किये जाएंगे।
जहां शिवभक्तों में शिव के प्रति आस्था के अनेकों तरीके हैं वहीं शिवभक्तों की सेवा करने वाले भी कई प्रकार से उन भक्तों की सेवा कर रहे हैं। जहां कुछ भक्त कांवड़ लाकर ही अपना मन शुद्ध करने का प्रयास कर रहे थे वहीं कुछ लोग उनकी सेवा करके ही अपने को धन्य समझते हैं।
कनीना व आस-पास गांवों में कांवडिय़ों के लिए जहां दूध, फल, सब्जी, नाश्ता, खाना, दवाएं एवं हर प्रकार की सुविधा प्रदान की जा रही थी वहीं उनके पैरों में मेहंदी का लेप लगाया जा रहा है। इन शिविरों में ठहरने वाले भक्तों के पैर के 350 किमी लंबी दूरी पैदल तय करने के कारण कट जाते हैं वहीं दर्द होने के कारण परेशानी का कारण बन जाते हैं। उनके पैरों के तलवों पर दिनरात कुछ भक्त मेहंदी का लेप कर रहे हैं। बताया जाता है कि मेहंदी के लेप के कारण ही उन्हें आराम मिलता है और आगे बढऩे का हौसला भी मिलता है।
एक भक्त अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने गाहड़ा मार्ग पर शिविर लगाकर भक्तों की सेवा की है। उनका कहना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा होती है। हरिद्वार से कांवड़ नहीं लाए तो क्या हुआ वे कांवड़ लाने वालों की सेवा तो कर ही सकते हैं।
फोटो कैप्शन 12: शिविरों में कावडिय़े।
महिलाओं को समर्पित है तीज एवं सिंधारा
-जमकर चलती है पतंगबाजी
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कनीना की आवाज। अब छतों पर वो मारा वो काटा का शोर सुनाई पडऩे लगा है। कनीना क्षेत्र में 27 जुलाई को हरियाली तीज व 26 जुलाई को सिंधारा पर्व के दृष्टिगत पतंगों की बहार आ गई है। सुबह से शाम अब वो मारा, वो काटा की आवाज सुनाई पड़ती है। बम बम के साथ साथ वो काटा वो मारा का शोर छतों पर सुनाई पड़ता है। युवा वर्ग इस मामले में अधिक सक्रिय है। सर्वाधिक पतंगबाजी हरियाली तीज पर होती है। उधर तीज एवं सिंधारा के दृष्टिगत बाजारों में घेवर की मिठाई की धूम मची हुई है। त्योहार पर घेवर का लेनदेन किया जाता है।
शहरी क्षेत्र में पतंगबाजी में तेजी आ गई है। बाजारों में दुकानों पर पतंग एवं डोर ही नजर आती है। युवा हो या बच्चा अपनी छतों पर सुबह शाम पतंगबाजी करता है। जिस दिन स्कूलों की छुट्टी होती है उस दिन तो बच्चे अपने घरों की छतों से नीचे ही नहीं आते हैं। एक ओर सिंधारा पर्व पर घेवर की मिठाई का बोलबाला है वहीं तीज पर्व पर पतंगबाजी का बोलबाला है। यूं तो इस सावन माह में उत्सवों की बहार है किंतु तीज पर्व का अपना ही महत्व है। सावन में आने वाली हरियाली तीज पर सर्वाधिक पतंगबाजी की जाती है तत्पश्चात पतंगबाजी में कमी आ जाती है।
सावन माह में इस बार झूले कम ही नजर आते हैं। सावन माह में पुराने समय से झूलों पर झूलने की प्रथा थी किंतु अब वह प्रथा धीमी पड़ गई है। पतंगबाजी में युवा एवं बच्चों की अधिक भागीदारी होती है। एक दुकानदार योगेश कुमार ने बताया कि इस बार पतंगबाजी के लिए युवा वर्ग में इतना उत्साह नहीं है जितना होना चाहिए। कनीना क्षेत्र में बारिश का बोलबाला है। वैसे तो पूरे सावन माह में ही पींग पर झूला जाता है किंतु इस दिन विशेष आकर्षण का केंद्र पींग होती है।
जंगलों में नृत्य करते मोर, वषा का शोर तथा पतंग उड़ाने वालों की ध्वनि स्पष्ट सुनाई पड़ती है। पर्व खुशियां लेकर आता है। वर्षा अच्छी होने पर तो खुशियां और भी बढ़ जाती हैं।
फोटो कैप्शन 10 व 11: पतंग की डोर एवं घेवर की
सीईटी परीक्षा को लेकर सीएम ने डीसी से की वीडियो कांफ्रेंसिंग
-परीक्षार्थियों के लिए महोत्सव की तरह होगी सीईटी परीक्षा
-अभिभावकों की तरह कार्य करेंगे सभी अधिकारी
-पहले दिन जाने वाले परीक्षार्थी 25 से ही उठा सकेंगे फ्री बस सेवा का लाभ
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कनीना की आवाज। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में 26 व 27 जुलाई को होने वाली कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी-2025) को लेकर राज्य के सभी उपायुक्त तथा संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। जिला महेंद्रगढ़ की तरफ से उपायुक्त डॉ विवेक भारती में इस संबंध में की गई तैयारी की जानकारी दी।
इसके बाद उपायुक्त ने जिला के अधिकारियों की बैठक ली तथा निर्देश दिए कि इस परीक्षा को देने के लिए आने वाले परीक्षार्थियों तथा यहां से दूसरे जिले में जाने वाले परीक्षार्थियों के लिए यह महोत्सव की तरह होना चाहिए। जिला प्रशासन के सभी अधिकारी इन बच्चों के अभिभावकों की तरह कार्य करें।
डीसी ने बताया कि जिला महेंद्रगढ़ से 70072 परीक्षार्थी चरखी दादरी तथा रेवाड़ी के लिए परीक्षा देने के लिए जाएंगे। इसी प्रकार भिवानी तथा चरखी दादरी से इस जिला में 80148 परीक्षार्थी सीईटी परीक्षा देने के लिए आएंगे। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त व्यवस्था की गई है। परीक्षार्थियों को ठहरने से लेकर गंतव्य तक पहुंचने के लिए सुचारू और व्यवस्थित योजना बनाई गई है।
डीसी ने बताया कि जो परीक्षार्थी पहले दिन परीक्षा देने के लिए जाना चाहता है वह सीईटी का एडमिट कार्ड दिखाकर 25 जुलाई से ही फ्री बस सेवा का लाभ उठा सकता है।
उन्होंने बताया कि सभी परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस की व्यवस्था रहेगी।
इस बैठक में पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ तथा अतिरिक्त उपायुक्त सुशील कुमार के अलावा सभी एसडीएम तथा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
रेवाड़ी व चरखी दादरी से अलग सेंटर आया है तो प्रशासन को सूचित करें-
जिला महेंद्रगढ़ के जिन परीक्षार्थियों का केंद्र रेवाड़ी व चरखी दादरी से अलग आया है, वो परीक्षार्थी 23 जुलाई तक जिला प्रशासन महेंद्रगढ़ को सूचित करें। ऐसे परीक्षार्थियों के लिए भी जिला प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जाएगी। ऐसे परीक्षार्थी लिखित में जिला प्रशासन को अपनी शिकायत दें। जिला प्रशासन ने 23 जुलाई शाम तक यह सूचना मांगी है।
सीईटी परीक्षा के दौरान धारा 163 के आदेश जारी--
जिलाधीश डा. विवेक भारती ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला की ओर से 26 व 27 जुलाई को होने वाली सीईटी परीक्षा के सुचारु और शांतिपूर्ण संचालन के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं।
जिलाधीश ने आदेशों में स्पष्ट किया है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से 26 व 27 जुलाई को प्रात: 10 बजे से 11:45 बजे तथा दोपहर 3:15 बजे से सायं 5 बजे तक सीईटी की परीक्षा आयोजित की जाएगी। परीक्षा के दिन परीक्षा केंद्रों के 500 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का हथियार ले जाना पूर्णत: प्रतिबंधित है।
सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित पहचान पत्र के बिना किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सभी फोटोकॉपी मशीनें, मोबाइल फोन, लैपटाप, वाई-फाई और अन्य पर्सनल हाटस्पाट परीक्षा केंद्रों के अंदर व आसपास सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक संचालित नहीं किए जा सकते। परीक्षा केंद्रों के 500 मीटर के दायरे में लोगों के गैरकानूनी जमावड़े पर प्रतिबंध रहेगा।
ये आदेश पुलिसकर्मियों और ड्यूटी पर तैनात अन्य लोक सेवकों पर लागू नहीं होंगे। इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सीईटी परीक्षा के सफल संचालन एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त---
जिलाधीश डॉ विवेक भारती ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला की ओर से 26 व 27 जुलाई को होने वाली ग्रुप-सी सीईटी परीक्षा के सफल संचालन एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए परीक्षा केंद्रों पर सात ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। नारनौल में स्थित परीक्षा केंद्रों के लिए जिला खेल अधिकारी नरेंद्र कुंडू, डीटीपी गुंजन वर्मा, एचएसआईआईडीसी मैनेजर ज्ञानवीर पूनिया, पंचायती राज विभाग से कार्यकारी अभियंता रमेश कुमार व नगर परिषद से ईओ दीपक गोयल को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है। इसी प्रकार महेंद्रगढ़ में स्थित परीक्षा केंद्रों के लिए दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम सीहमा से एसडीओ अमित सोनी, एचवीपीएनएल महेंद्रगढ़ से एसएसई प्रमोद कुमार, पब्लिक हेल्थ डिवीजन नंबर दो नारनौल से कार्यकारी अभियंता जितेंद्र हुड्डा, बाबा खेतानाथ पालिटेक्निक नारनौल से प्रिंसिपल अनिल यादव, डीडीएएच कनीना से एसडीओ बलजीत सिंह, काडा से कार्यकारी अभियंता सोनित राठी तथा नांगल चौधरी से आरएफओ रजनीश कुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया है।
जिले में स्थापित परीक्षा केन्द्रों पर केन्द्र नोडल प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त--
जिलाधीश डा. विवेक भारती ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी 2025) ग्रुप-सी की लिखित परीक्षाएं राज्य के हर जिले में 26 व 27 जुलाई को (प्रात: 10 से 11:45 तथा सांय 03:15 से 05) बजे करवाई जाएगी। जिले में स्थापित प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर केन्द्र नोडल प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
सभी केन्द्र नोडल प्रशासनिक अधिकारी परीक्षा से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि परीक्षा केन्द्रों पर लगे बायोमैट्रिक डिवाइस, जैमर इत्यादी उपकरण सही तरीके से कार्य कर रहे या नहीं इसके अतिरिक्त परीक्षा केन्द्रों पर किसी प्रकार की बाहरी गतिविधि न होने देना सुनिश्चित करें।
लघु सचिवालय में स्थापित किया कंट्रोल रूम--
डीसी डा. विवेक भारती ने बताया कि ग्रुप-सी सीईटी परीक्षा के लिए जिला प्रशासन की ओर से लघु सचिवालय में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।परीक्षाओं के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी तथा सहायता के लिए नागरिक 01282-256960 पर डायल कर सकते हैं। यहां पर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
सीईटी परीक्षार्थियों के लिए हरियाणा सरकार की अभिनव पहल-
हरियाणा सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के हित में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने सीईटी-2025 की परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए सीइटी ट्रैवलÓ नामक एक अत्याधुनिक मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया है, जिसके माध्यम से वे अपनी परीक्षा यात्रा के लिए अग्रिम रूप से अपना स्लाट बुक कर सकेंगे। यह पहल न केवल अभ्यर्थियों की यात्रा को सुगम बनाएगी बल्कि उन्हें तनाव-मुक्त और सुरक्षित परीक्षा अनुभव प्रदान करने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगी।
उपायुक्त डा. विवेक भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले लाखों अभ्यर्थियों को यात्रा संबंधी चुनौतियों का सामना न करना पड़े इस बात को ध्यान में रखते हुए ही ये ऐप की अवधारणा को साकार किया गया है।
डा. भारती ने आगे कहा कि यह सिर्फ एक यात्रा बुकिंग ऐप नहीं, बल्कि अभ्यर्थियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने वाला एक व्यापक समाधान है। नि:शुल्क बस यात्रा की सुविधा प्रदान करके सरकार ने अभ्यर्थियों के वित्तीय बोझ को कम करने का प्रयास किया है, ताकि वे अपनी पूरी एकाग्रता परीक्षा पर केंद्रित कर सकें।
उपायुक्त डॉ. भारती ने सभी सीईटी-2025 अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे अपनी परीक्षा यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तुरंत 'सीइटी ट्रैवलÓ ऐप डाउनलोड करें और अपनी यात्रा स्लाट अग्रिम रूप से बुक करें। यह ऐप गूगल प्ले स्टोरपर उपलब्ध है और इसे सीइटी2025.आनबोर्ड.इन वेबसाइट के माध्यम से भी एक्सेस किया जा सकता है।
आयुष्मान भारत मोबाइल है पर जबरन रजिस्ट्रेशन के आदेश पर रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा ने उठाए सवाल- धर्मपाल शर्मा
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कनीना की आवाज। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा संबंधित अखिल भारतीय राज सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन के राज्य प्रेस सचिव धर्मपाल शर्मा ने कहा है कि रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा (संबद्ध - अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन) ने हरियाणा सरकार के कोष एवं लेखा विभाग द्वारा 14 जुलाई, 2025 को जारी आदेश संख्या टीए-एचआर (5 टी) 2025/4518 पर गहरी आपत्ति जताई है, जिसमें सभी नियमित कर्मचारी, पेंशनर्स एवं उनके परिवारजनों को 31 जुलाई, 2025 तक आयुष्मान भारत मोबाइल ऐप पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा ने हितधारकों (कर्मचारी एवं पेंशनर्स) से बातचीत किए बिना एकतरफा तरीके से उक्त पत्र जारी करने की भी आलोचना की और 31 जुलाई से पहले संघ के शिष्टमंडल को बातचीत करने के लिए आमंत्रित करने की मांग की। ताकि कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में उत्पन्न हुई अनिश्चिता एवं बेचैनी दूर हो सकें।धर्मपाल शर्मा ने बताया किठ्ठ रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष वजीर सिंह,महासचिव रतन कुमार जिंदल व मुख्य सलाहकार सुभाष लांबा ने इस आदेश की वैधता व उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए महानिदेशक, कोष एवं लेखा विभाग, हरियाणा को एक पत्र भेजकर तत्काल कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा ने डीजी को लिखे पत्र के माध्यम से उठाए गए प्रमुख प्रश्न इस प्रकार हैं:
1. क्या आयुष्मान भारत कार्ड की अधिकतम सीमा केवल 5 लाख है ?
2. वर्तमान में कर्मचारियों व पेंशनर्स को बिना किसी सीमा के मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा प्राप्त है, तो फिर सीमित सुविधा वाले कार्ड की आवश्यकता क्यों ?
3. सभी कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को ऐप पर पंजीकरण करवाने के पीछे उद्देश्य क्या है ?
4. क्या यह आदेश सरकार का है या विभाग का आंतरिक निर्णय ?
5. कई पैनल अस्पताल आयुष्मान कार्ड को नहीं मानते और कई इलाज इसके तहत शामिल नहीं होते, जैसे आंखों का ऑपरेशन आदि — तो ऐसी स्थिति में इस योजना का क्या लाभ ?
6. आयुष्मान भारत कार्ड 70 साल आयु में बन सकते हैं, लेकिन अधिकांश कर्मचारी और पेंशनरों की आयु 70 से कम है। इस स्थिति में क्या होगा ?
7. आयुष्मान भारत कार्ड में इलाज की अधिकतम सीमा क्रास करने के बाद खर्च होने वाली राशि का भुगतान कौन करेंगे ?
रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के सलाहकार सुभाष लांबा ने मांग की है कि उक्त आदेश के पीछे की मंशा को स्पष्ट किया जाए और तब तक पंजीकरण की बाध्यता को तुरंत रोका जाए। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधिमंडल से चर्चा का समय भी जल्द तय किया जाए।
रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान वजीर सिंह ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी एवं पेंशनर्स के हितों से जुड़ा कोई भी निर्णय बिना वार्ता और स्पष्ट जानकारी के थोपना अस्वीकार्य है। उन्होंने बताया कि अगर सरकार ने संघ के पत्र को गंभीरता से नहीं लिया तो रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा आंदोलन करने पर मजबूर होगा।
यूरो स्कूल में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का हुआ सफल आयोजन
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कनीना की आवाज। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान बनाने वाले यूरो इंटरनेशनल स्कूल के नाम से कौन परिचित नहीं है। आज यूरो स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रहा है। अपनी इसी गरिमा को बरकरार रखने के लिए स्कूल समय-समय पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन करता रहता है। इसी कड़ी में आज स्कूल प्रांगण में इंटर स्कूल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। य़ह प्रतियोगिता यूरो स्कूल की शाखाओं- रेवाड़ी, धारूहेड़, भिवाड़ी और कनीना के मध्य हुई। इस प्रतियोगिता का शुभारंभ यूरो ग्रुप आफ स्कूल के चेयरमैन सत्यवीर यादव, निदेशक नितिन यादव, एकेडमिक डीन मीनू दूबे, प्राचार्य सुनील यादव, उप-प्राचार्या संचू यादव ने मां सरस्वती की प्रतिमूर्ति के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस प्रतियोगिताओं में काव्य-पाठ, निबंध लेखन, काव्य-रचना, कहानी सुनाना, व्यक्तित्व विश्लेषण, आशुभाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी बुद्धि-कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में शिरकत करने आए अभिभावकों ने इन प्रतिभावान विद्यार्थियों की तहेदिल से प्रशंसा की। इन प्रतियोगिताओं में अंजू यादव, ज्योति, सुनील कुमार, हरिनिवास, महावीर प्रसाद, कृष्ण कुमार, बिट्टू ने निर्णायक मंडल के रूप में अपनी भूमिका निभाई। निर्णायक मंडल ने अपने नीर क्षीर विवेक से परिणाम घोषित किया।
स्कूल प्रबंधन द्वारा इन प्रतियोगिताओं में विजयी विद्यार्थियों को स्मृति चिह्न व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस शुभावसर पर यूरो ग्रुप आफ स्कूल के संस्थापक सत्यवीर यादव ने विजयी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और कहा कि हमारा ध्येय केवल किताबी शिक्षा ही नहीं बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। इसी कड़ी में प्राचार्य सुनील यादव ने कार्यक्रम में भाग लेने आए, प्रतिभागियों, अभिभावकों और निर्णायक मंड़ल का स्वागत करते हुए विजयी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और साथ ही कहा कि आज के इस प्रतियोगिक समय में बच्चों में एक बेहतर शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगिता की भावना का होना भी जरूरी है। हर एक विद्यार्थी में एक प्रतिभा छुपी हुई होती है। जिसे थोड़े ही प्रयास और प्रोत्साहन से निखारा जा सकता है। साथ ही उन्होंने इन प्रतियोगिताओं को सफल बनाने का श्रेय उपप्राचार्या संजू यादव, का-र्डिनेटर रविंद्र यादव, ऋतु तंवर, तन्नू गुप्ता, सुमन यादव, गतिविधि प्रभारी मधु यादव को दिया।
फोटो कैप्शन 09: अव्वल रहे विद्यार्थी।
कांवड़ लाकर नाम कमाया है सुमेर सिंह चेयरमैन ने
--44 कांवड़ शिवालय पर कर दी अर्पित
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कनीना की आवाज। कनीना के शिवभक्त सुमेर सिंह चेयरमैन 70 वर्षीय ने 44 कांवड़ शिवालय पर अर्पित कर दी हैं। यह जुनून अभी भी जारी है।
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना के कितने ही भक्त कांवर हरिद्वार से लेकर उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश को पार करते हुए हरियाणा में लाकर बाघेश्वर धाम पर अर्पित करते हैं। कनीना के भरपूर सिंह निर्बाण ने 16 कांवर लाकर शिव के प्रति इतनी आस्था जागी कि 21 फुट ऊंची प्रतिमा वाला शिवालय ही बनवा डाला, दखोरा के अनिल कुमार कमांडो ने 26 कांवड़ एवं 12 खाटू श्याम ध्वज अर्पित किए वहीं कनीना के एक शरीर से कमजोर सुमेर सिंह चेयरमैन ने अब तक 44 कांवर अर्पित करके रिकार्ड कायम किया हुआ है।
किसान कापरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे सुमेर सिंह चेयरमैन दल बल संग हरिद्वार रवाना होते हैं। हरिद्वार से कनीना के बाघेश्वर धाम तक की दूरी करीब 400 किमी है। इस दूरी को पांच से छह दिनों में पूरी करके कंधे पर कांवड़ धारण करके कनीना होते हुए बाघोत जाकर प्राचीन शिवालय पर अर्पित करते हैं।
सुमेर सिंह जिनकी उम्र 70 वर्ष हैं वजन महज 50 किग्रा है किंतु वर्ष 1981 से लगातार प्रतिवर्ष सावन माह में कांवर लाकर अर्पित करते आ रहे हैं। इस वर्ष 23 जुलाई को शिवरात्रि का कांवड़ मेला लग रहा है। वे अब तक चार खड़ी, दो बैकुंठी तथा 37 झूला कांवड़ ला चुके हैं। वे डाक कांवर में कतई विश्वास नहीं करते हैं और डाक कांवड़ को बेहतर नहीं मानते हैं। पांच से सात दिनों में 360 किमी दूरी तय करके वे कांवड़ को शिवालय पर अर्पित करते हैं।
सुमेर सिंह ने बताया कि वे नीलकंठ, मंशादेवी, ऋषिकेश आदि धार्मिक स्थानों पर घूमते कांवर हरिद्वार के गंगाघाट से उठाकर अपने गंतव्य मार्ग पर रवाना होते हैं और महज एक सप्ताह से कम समय में 400 किमी दूरी तय करके शिवालय पर अर्पित कर देते हैं।
सुमेर सिंह ने बताया कि अब आस्था भी बढ़ गई है वहीं भक्तों के लिए पड़ाव भी अधिक मिलने लगे हैं। कभी हरिद्वार से शामली होकर कांवड़ लाई जाती थी किंतु अब हरिद्वार-रुड़की- पुरकाजी-मुजफ्फरनगर-शाहपुर-बुढ़ाना-बड़ौत- खरखौदा-सांपला -छारा-झज्जर-कोसली-नाहड़- कनीना-बाघोत का सफर तय करना होता है। सुमेर सिंह प्रसन्न हैं और वे अपने साथियों सहित अगली कांवड़ लाने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि जब तक वे जीते रहेंगे तब तक कांवर लाते रहेंगे। वे सादी चप्पलों में ही कांवर लाते रहे हैं और लाते रहेंगे।
कैसी जागी आस्था- सुमेर सिंह का कहना है कि जब वर्ष 1981 में वे फोटो स्टुडियो की दुकान चलाते थे तो शिवालय की फोटो एवं हरिद्वार की फोटो देखने व खिंचने का मौका मिलता था। भक्तों को हरिद्वार जाते आते देखने से ही उनके मन में इच्छा जागृत हुई कि क्यों न एक कांवड़ लाकर देखी जाए और वे कांवर ले आए। तत्पश्चात उन्होंने कभी मुड़कर ही नहीं देखा और जब सावन माह में मेला आता है तो वे कांवर लाने के लिए तैयार हो जाते हैं। अपने साथियों सहित कांवड़ लाते हैं जिनकी संख्या चार या पांच होती है। शिव को पूजने वाले सुमेर सिंह अति आस्थावान हैं। पहली कांवर लाए थे उस वक्त उनकी उम्र महज 27 वर्ष ही थी। ग्रेजुएट सुमेर सिंह यूं तो नेता बतौर भी जाने जाते हैं वहीं मारुति के बेहतर चालक होने के कारण भी याद किए जाते हैं किंतु कांवड़ लाने वालों में उनका नाम सर्वोपरि है।
कम समय में कांवड़ लाने का रिकार्ड-
वैसे तो कांवर लेकर करीब 350 किमी दूरी अलग अलग समय में तय करके भक्त गंतव्य स्थान तक पहुंचते हैं किंतु सुमेर सिंह ऐेसे भक्त हैं जिनकी टोली महज पांच दिनों में ही यह दूरी तय कर लेती है। उन्होंने बताया कि वे धूप में कम चलते हैं और जल्दी सुबह अधिक दूरी तय करते हैं।
फोटो कैप्शन 03: कनीना क्षेत्र में सर्वाधिक कांवड़ लाने वाले सुमेर सिंह चेयरमैन
बाघेश्वर धाम बाघोत जहां मन्नत होती हैं पूरी
-23 जुलाई शिवरात्रि का लगेगा मेला
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कनीना की आवाज। उपमंडल कनीना के गांव बाघोत में 23 जुलाई शिवरात्रि मेला लगने जा रहा है। वर्ष में यहां दो बार मेला लगता है। सावन माह में शिवरात्रि के दिन सबसे अधिक कावड़ चढ़ती हैं। महाशिवरात्रि पर विशेषकर मेला लगता है। मंदिर एवं स्वयंभू शिवलिंग का पौराणिक महत्व एवं इतिहास समेटे हुए है। भारी भीड़ यहां दर्शनार्थ के लिए आते हैं। बाघोत पहुंचने के लिए कनीना-चरखी दादरी मार्ग पर 15 किमी दूरी पर स्थित बाघोत गांव में मुख्य सड़क मार्ग के पास ही शिवालय स्थित है। चरखी दादरी से भी शिवालय पहुंचा जा सकता है।
बाघोत का मंदिर करीब 1700 वर्ष पुराना है। इस शिवालय के पास खड़े कदंब के पेड़, तालाब एवं स्वयंभू शिवलिंग ऋषि मुनियों की तप स्थली होने की याद दिलाते हैं। मंदिर निर्माण से पहले भगवान् श्रीराम के पूर्वजों ने भी यहां तप किया था।
राजा दलीप ने किया था तप-
शिवरात्रि पर हजारों कावड़ चढ़ाई जाती हैं। तत्कालीन समय में राजा दलीप को शिव ने बाघ के रूप में दर्शन दिए थे जिसके चलते गांव का मंदिर बाघेश्वर धाम कहलाया। शिवालय का निर्माण कणाणा के राजा कल्याण सिंह रैबारी ने करवाया था। शिवालय का पुनरुद्धार भी किया जा चुका है।
व्यापक सुरक्षा-
सुरक्षा के प्रबंध किए गये हैं। कणाण के महाराज कल्याण सिंह रैबारी द्वारा निर्मित शिवालय पर ऊंटों की कतार 1990 के दशक तक बनी हुई थी किंतु बाद में इस शिवालय का जीर्णोद्धार हुआ तो उस पर ऊंटों की कतार के चित्र नहीं बने हैं। ऊंटों की कतार की तस्वीर बनाने के पीछे महाराजा के ऊंटों के सोने चांदी को लूटने की घटना एवं शिव भोले के दृष्टांत के बाद पुत्र प्राप्ति की याद को ताजा करते थे। ये तस्वीर शिवालय का पूरा हाल वर्णित करती थी। शिवालय एवं समीप मंदिर-बाघेश्वर धाम का मुख पूर्व दिशा की ओर है और सामने एक विशाल तड़ाग है जिसमें कांवडिय़ों द्वारा लाया गया गंगाजल जो शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है बहकर इसी तड़ाग में चला जाता है। इसलिए यह जोहड़ भी पवित्र माना जाता है। इस शिवालय में शिवलिंग स्वयं-भू है जो प्राचीन इतिहास की याद दिलाता है।
स्वंभू शिवलिंग--
भक्तजन जो स्वयंभू शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहते हैं वे बाघेश्वरी धाम आते हैं उन्हें पश्चिम दिशा में मंदिर से करीब 200 गज दूरी पर कतार में खड़ा होना होता है। कतार दक्षिण को मुड़कर पश्चिम की ओर जाने पर शिवलिंग के दर्शन होते हैं। बाघेश्वरी धाम पर जाने वाले भक्तजन अपने साध गंगाजल, पेठा, बेलपत्र के पत्र, नारियल, केला, फल एवं फूल ले जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन फाल्गुन माह की कृष्ण त्रयोदशी के अलावा दूसरी बार सावन माह की कृष्ण त्रयोदशी को बड़ा मेला लगता है। पुलिस का व्यापक प्रबंध होता है वहीं दवा मुफ्त उपलब्ध होती हैं एवं भंडारे लगते हैं। अपार भीड़ विशेषकर महिलाएं व्रत धारण करके यहां जल अर्पित करने आते हैं। हरिद्वार से विभिन्न रास्तों पर भी बाघोत के इस धाम का नाम वर्णित है।बाघेश्वर धाम जहां बनते हैं बिगड़े काम
एक सप्ताह पहले से लगती हैं कांवड़ चढऩे-
शिवरात्रि के दिन यहां जनसैलाब उमड़ पड़ता है। हरिद्वार और नीलकंठ से बम-बम के जयघोष में श्रद्धालु कावड़ उठाकर लाते हैं तथा प्रांत भर में ही नहीं अपितु देशभर में विख्यात बाघोत शिवालय पर अर्पित करते हैं।
यूं तो यहां वर्षभर श्रद्धालु आते हैं और छोटे-छोटे मेले लगते हैं किंतु श्रावण के सोमवार को भारी भीड़ जुटती है। देशी घी का भंडारा चलता है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाओं के अतिरिक्त अबोहर कावड़ संघ, कनीना सेवा समिति तथा महाबीर सत्संग मंडल सुविधाएं जुटाते हैं। श्रद्धालु यहां स्थित जोहड़ पर स्नान करके शिवलिंग के दर्शन करके अपने को धन्य समझते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से जो कुछ मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है।
इतिहास--
एक किवदंति के अनुसार बाघोत का पुराना नाम हरयेक वन था। यहां दधि ऋषि के पुत्र पीपलाद ने भी तप किया। उनका आश्रम भी तो यहीं था। उनके कुल में राजा दलीप के कोई संतान नहीं थी। वे दु:खी थे और दुखी मन से अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास गए। उन्होंने अपना पूरा दु:ख का वृतांत मुनिवर को सुनाया। वशिष्ठ ने उन्हें पीपलाद ऋषि के आश्रम में नंदिनी नामक गाय एवं कपिला नाम की बछिया निराहार रहकर चराने का आदेश दे दिया। राजा ने गाय व बछिया को निराहार रहकर चराते हुए जब लंबा अर्सा बीत गया तो एक दिन भगवान् भोलेनाथ ने बाघ का रूप बनाकर राजा की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। बाघ ने बछिया पर धावा बोल दिया। जब राजा की नजर बाघ पर पड़ी तो उन्होंने बाघ से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि वे उन्हें खा ले क्योंकि यदि वे बछिया को खाने देते हैं तो गाय का श्राप लगेगा और गाय को खाने देते हैं तो तप पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में उन्होंने अपने आपको बाघ के सामने पटक दिया। कुछ समय पश्चात जब उन्होंने सिर उठाकर देखा तो बाघ के स्थान पर शिवभोले खड़े थे। बाघ के कारण ही गांव का नाम बाघोत पड़ा जो आज
कणाणा के महाराज ने कराया था निर्माण-
बाघोत स्थित शिवालय का निर्माण कणाणा के राजा कल्याण सिंह रैबारी ने करवाया था। एक बार राजा के ऊंटों की कतार हरयेक वन से गुजर रही थी जिन पर सोना-चांदी लदा था। हरयेक वन में लुटेरों ने ऊंटों को लूट लिया और वहीं छुप गए। ऊंटों के सरदार को घायल कर दिया। सरदार स्वयंभू शिवलिंग के पास ही पड़ा था। सरदार ने ऊंटों के लूटने की सूचना राजा तक पहुंचाई। इसी बीच शिवलिंग से सरदार को दृष्टïांत मिला कि लुटेरे सभी इसी वन प्रदेश में ही छुपे हुए हैं। राजा के सरदार के पास आने पर सरदार ने राजा को शिवभोले का दृष्टïांत सुनाया तो समूचे वन प्रदेश को सैनिकों द्वारा घिरवा दिया। सैनिकों ने लुटेरों को पकड़ लिया और धन-दौलत वापस मिल गया। महाराज ने खुश होकर स्वयंभू शिवलिंग पर शिवालय का निर्माण करवाया। स्वयं गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक किया।
पुत्र प्राप्ति के लिए भी जाना जाता है-
बाघोत स्थित शिवालय उन भक्तों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है जिनके कोई संतान नहीं होती है। मेले में आकर दंपत्ति अपने हाथों से एक विशाल वटवृक्ष को कच्चा धागा बांधकर सुंदर संतान होने की कामना करता है। जब संतान हो जाती है तो यहां आकर ही धागा खोलता है। यही कारण है कि शिवलिंग के पास ही खड़ा एक वटवृक्ष कच्चे धागों से लदा मिलता है।
डाक कांवड़ की भीड़--
बाघोत गांव का का अब भव्य द्वार बना दिया गया है। महंत रोशनपुरी लंबे समय से बाघेश्वरधाम के महंत हैं। विभिन्न रूपों में कांवड़ अर्पित की जाती हैं किंतु डाक कांवड़ अर्पित करने वालों की भीड़ अधिक होती है।
नृत्य के संग अर्पित की जाती हैं कांवड़--
बैंड, नृत्य कें संग कांवर अर्पित की जा रही हैं
शिवरात्रि शिवरात्रि तक बाघेश्वरी धाम पर कांवड़ चढ़ाने का सिलसिला अनवरत चलता रहेगा। इस दौरान कांवर लाने वाले भक्त अपनी कांवड़ को विधि विधान से पूजा करवाकर उन्हें बैंड बाजों पर थिरकते हुए शिवालय तक पहुंच रहे हैं। और तो और महिलाएं भी नृत्य करते हुए आगे बढ़ती देखी गई। जिस प्रकार शादी दौरान नृत्य किया जाता है ठीक उसी प्रकार कांवर अर्पित करने का सिलसिला जारी है। भारी संख्या में कांवड़ अर्पित की जाती है।
सेवा में जुटे हैं सेवादल-
कांवर लाकर अर्पित करने वाले तथा शिवालय के दर्शन करने वाले भक्तों की सेवा के लिए विभिन्न दल सेवा कर रहे हैं। पानी पिलाना तथा मंदिर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी सेवादल अहं भूमिका निभा रहे हैं। पुलिस बल को दौरा करते हुए देखे गए।
शिवालय पर व्यवस्था-
स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने के लिए जहां मंदिर के पास बेहतर व्यवस्था बनी हुई है। करीब 500 गज की दूरी तक लोहे की जालियां लगाकर कतारबद्ध चलने की व्यवस्था की गई है। डाक कांवर लाने वालों के लिए अलग से व्यवस्था है जबकि अन्य कांवरियों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं हैं। खड़ी, बैठी, डाक कांवरों की भरमार है।
शिवालय पर भारी शोर-
बाघेश्वरी धाम पर विशेषकर डाक कांवड़ लाने वालों का भारी शोर सुनाई पड़ रहा है। इस बार डाक कांवड़ों की संख्या अधिक है। सीटी बजाते हुए, बाइक एवं वाहनों को दौड़ाते हुए तथा सड़क पर हंगामा करते हुए डाक कांवड़ लाई जा रही हैं। एक डाक कांवड़ के साथ 40 तक युवा हैं जो वाहन चालकों के लिए समस्या बने हुए हैं। पेट के बल, बैठी, खड़ी, झूला, टोकना कांवड़ आदि भक्तजन लाकर अर्पित कर रहे हैं। शिवालय पर भारी शोर सुनाई पड़ रहा है।
दर्शनों के लिए प्यासे-
शिवालय में भारी संख्या में नेता, संत, बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, युवा एवं सामान्य जन स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं और गंगाजल से अभिषेक करके अपने को धन्य समझ रहे हैं।
सभी कावडिय़ों के साथ बरती जाए समानता-
लेकिन शिव भक्तों में काफी रोष है कि डाक कवडिय़ों को अहमियत दी जाती है जबकि 350 किलोमीटर दूरी तय करके अपनी खुद की कांवड़ लाने वालों को सामान्य लाइन में खड़े रहना पड़ता है। इसका कावडिय़ों में रोष है। कावडिय़े सुमेर सिंह, मिंटू मनीष, दिनेश सुरेश आदि ने बताया कि उनके साथ अन्याय होता है, वे 350 किलोमीटर दूरी तय करके जब कांवड़ अर्पित करने जाते हैं तो उन्हें सामान्य लाइन में धकेल दिया जाता है ,घंटों परेशान होते हैं ऐसे में उन्होंने मांग की है कि सभी कांवडिय़ों को बराबर मानकर उन्हें अलग से लाइन में जाने की अनुमति दी जाए।
हरिद्वार तक तांता-
देवनगरी हरिद्वार से बाघेश्वर धाम तक शिव भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। एक ओर जहां शिवालयों में कावड़ अर्पित करने का सिलसिला विभिन्न गांवों में शुरू हो गया है वहीं प्राचीन शिवालयों पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। भक्तजन खड़ी, बैकुंठी, टोकना झूला, थैला तथा डाक कावड़ लेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं। जहां उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में पुलिस का व्यापक प्रबंध
















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