चोर साहब के कारनामे-28
चोर को सहनी पड़ती हैं मौत के बाद भी कठोर यातनाएं-प्रेमानंद
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कनीना की आवाज। कनीना के लेखक, पत्रकार एवं साहित्यकार होशियार सिंह के प्लाट से जहां विगत लंबे समय से गमले, तीन ट्राली पत्थर ,ईंट, बिजली का सामान तथा कृषि उपकरण आदि चोरी कर ले गया। और तो और निर्माणाधीन मंढ़ी की ईंटें भी उखाड़ ले गया। चोर साहब को शांति तभी मिलती है जब तक कि वह किसी का बुरा नन कर दे। चोर साहब ने विगत समय में ऐसे ऐसे कारनामे कर दिखलाया जिनको सुनकर लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। एक के बाद एक तीन ट्राली पत्थर उठाने और वह भी रातोंरात जो बहुत कठिन कार्य है किंतु कठिन कार्य को भी उसने बखूबी से अंजाम दे दिया। ऐसा बार-बार प्लाट की दीवार पर नोटिस लगाने के बावजूद भी कर दिखलाया। चोर साहब चोरी में ही खुश होता है। चोर साहब दूसरे खुशी को बर्दाश्त नहीं कर सकता और खुद चाहे कितनी बड़ी चोरी करें उसे खुशी मिलती है। इस संबंध में संत प्रेमानंद महाराज चोरी के विषय में अपने सुंदर वचनों से विभोर कर देते हैं-
क्या कहते हैं प्रेमानंद महाराज--
मृत्यु एक कटु सत्य है, जिसे न तो कई रोक सकता है और न ही बदल सकता है। एक न एक दिन प्रत्येक व्यक्ति को ये संसार छोड़ के जाना ही होगा, ये ही प्रकृति का नियम है। हालांकि मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग जाएगी या नरक, ये उसके कर्मों पर निर्धारित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति जीवनभर अच्छे कर्म करता है, उसकी आत्मा मरने के बाद स्वर्ग जाती है। वहीं जो लोग अपने जीवनकाल में बुरे कर्म करते हैं, उन्हें मरने के बाद नरक जाना पड़ता है। जहां वो अपने कर्मों का प्रायश्चित करते हैं।
हालांकि व्यक्ति की गलतियों के आधार पर नरक में उसे सजा दी जाती है। जो व्यक्ति जितना बड़ा पाप करता है, उसकी सजा भी उतनी ही बड़ी होती है। चलिए संत श्री प्रेमानंद महाराज से जानते हैं चोरी, हिंसा और लड़ाई-झगड़े करने वाले लोगों को नरक में क्या सजा दी जाती है।
नरक में चोरी की सजा क्या है?
संत श्री प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो लोग जीवनभर चोरी करते हैं, उनकी आत्मा को मरने के बाद नरक जाना पड़ता है। जहां हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है। ठंडी-ठंडी हवाएं चलती हैं। ओलों की बरसात होती है। इसी के साथ दम घुटने वाली गैस होती है, जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हालांकि ये सजा केवल कुछ समय के लिए ही नहीं होती है, बल्कि कई सालों तक आत्मा को झेलनी पड़ती है। इसके अलावा जो लोग हिंसा करते हैं, जीव-जंतु को मारते हैं और अपने बल के दम पर दूसरों को डराने का प्रयास करते हैं, उन्हें भी नरक में ये ही सजा दी जाती है।
कितने प्रकार के नरक होते हैं?
गरुड़ पुराण में कुल 16 नरक का वर्णन किया गया है। जहां व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर सजा दी जाती है। हालांकि पुराणों में 36 नरक का उल्लेख किया है।
समय रहते छोड़ दे चोरी-
निष्कर्ष यह निकलता है कि समय रहते चोरी करने वाले को चोरी छोड़ देनी चाहिए वरना एक ना एक दिन अंत होगा और अंत के बाद जो यातनाएं झेलनी पड़ती है उन्हें वो सहते सहते बेहद तकलीफ पाता है। ऐसे में संतों का कहना है कि समय रहते चोरी छोड़ दे तथा ईश्वर भक्ति, परहित तथा धर्म की नेक राह पर चल देना चाहिए वरना अंजाम के लिए तैयार रहना चाहिए।
30 को महेंद्रगढ़ तथा 31 को नारनौल व महेंद्रगढ़ में होगी परीक्षा
-जिला के 36 परीक्षा केंद्रों पर होगी परीक्षा
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कनीना की आवाज। हरियाणा पात्रता परीक्षा (एचटेट) की तैयारियों को लेकर आज उपायुक्त डॉ. विवेक भारती ने पंचायत भवन में अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में परीक्षा के सफल और सुचारु संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। इस मौके पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट व सेंटर अधीक्षक को जिम्मेदारियां समझाई गई।
उपायुक्त डॉ. विवेक भारती ने बताया कि हरियाणा पात्रता परीक्षा का आयोजन 30 व 31 जुलाई को किया जाएगा। सुबह की पारी 10 बजे शुरू होगी। शाम को 3 बजे से शुरू होगा। जिला में 36 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें महेंद्रगढ़ में 26 तथा नारनौल 10 केंद्र हैं। 30 जुलाई को केवल महेंद्रगढ़ में होगा जिसमें शाम की शिफ्ट में ही पेपर होगा। यहां 6485 परीक्षार्थी होंगे। 31 जुलाई को महेंद्रगढ़ में सुबह 8112 तथा शाम को 3791 परीक्षार्थी होंगे। नारनौल में सुबह 3120 तथा शाम पेपर नहीं होगा। संबंधित एसडीएम अपने क्षेत्रों के नोडल अधिकारी होंगे। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि परीक्षा के दौरान किसी भी परीक्षार्थी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने विशेष रूप से पिछले सीईटी परीक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने इस परीक्षा को भी सफलतापूर्वक संपन्न करवाएगा।
उन्होंने कहा कि एचटेट को भी उसी दक्षता और समर्पण के साथ आयोजित किया जाना चाहिए।
इस मौके पर परीक्षा संबंधी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और आवश्यक रणनीति बनाई।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ, महेंद्रगढ़ की एसडीएम कनिका गोयल व नारनौल के एसडीएम अनिरुद्ध यादव, नगराधीश डॉ मंगलसेन, सीएमओ डा. अशोक कुमार तथा जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त यादव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
सावन के तीसरे सोमवार को शिवालयों में रही भीड़
-सावन का अंतिम सोमवार 04 अगस्त को
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कनीना की आवाज। सावन के तीसरे सोमवार को शिवालयों में भारी भीड़ रही। सावन माह 04 अगस्त को होगा जबकि सावन माह रक्षा बंधन पर 9 अगस्त को संपन्न हो जाएगा। प्रत्येक सोमवार को बाघेश्वर धाम पर छोटा मेला लगता आ रहा है।
तीसरे सोमवार को भारी भीड़ जुटी। महिलाओं ने व्रत रखा तथा दिनभर शिवलिंग अभिषेक कार्यक्रम चलता रहा। उधर स्वयंभू/प्राकृतिक शिवलिंग का अभिषेक करने वालों का दिनभर तांता लगा रहा। 23 जुलाई शिवरात्रि को बाघोत धाम पर सबसे बड़ा कावड़ मेला लगा है। शिवरात्रि के दिन हजारों कांवड़ अर्पित की गई थी एवं लाखों भक्त दर्शनार्थ पहुंचे थे।
सावन माह के इस सोमवार को कनीना के विभिन्न शिवालयों में शिव को याद किया। व्रत धारण करके स्त्री एवं पुरुषों ने पूजा अर्चना की और ओम नम: शिवाय के जयकारे लगे।
कनीना में सावन माह के तीसरेे सोमवार को शिवालयों में भारी भीड़ रही। कनीना के 21 फुट ऊंचे शिव प्रतिमा वाले शिवालय में सुबह से ही भक्तजन शिवलिंग का अभिषेक करते देखे गए। भक्त भरपूर सिंह, रोहित कुमार, शकुंत देवी ने बताया कि दिनभर भक्तों का यहां तांता लगा रहा।
कनीना उपमंडल के बाघोत स्थित शिवालय पर आर भीड़ रही। सुबह से ही भक्तजन व्रत करके जल अर्पित करते देखे गए। संपूर्ण शिवालय शिवमय बना हुआ था। पहले सोमवार के बाद दूसरे एवं तीसरे सोमवार के दिन भारी भीड़ देखने को मिली। सावन माह में शिव की गूंज हर जगह सुनाई पड़ती है। शिवालयों में तो शिव के नारे व जाप गूंजते रहे।
फोटो कैप्शन 07: बाघोत शिवलिंग का अभिषेक करते भक्त
गरजे अधिक, बरसे कम, दिन भर छाए गए आकाश में बदल
-अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में होगी लावणी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सोमवार को आकाश में दिनभर बादल छाए रहे किंतु बादल गरजे अधिक, बरसे कम। महज हल्की बूंदाबांदी हुई। किसानों को कोई राहत नहीं मिली। किसान कुछ दिनों से अच्छी वर्षा का इंतजार कर रहे हैं।
कनीना क्षेत्र में एक पखवाड़े से अधिक समय पहले ही वर्षा हुई थी। तब से लेकर आज तक वर्षा नहीं हुई है। हल्की बूंदाबांदी जरूर हुई है। किसान धर्म सिंह, जितेंद्र, महेंद्र, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि इस समय बाजरे की फसल पकान की ओर जा रही है और वर्षा की जरूरत है। अगर वर्षा नहीं होती है तो पकान पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। पैदावार घट सकती है।
कनीना क्षेत्र में करीब 20000 हेक्टेयर पर बाजरे की फसल खड़ी हुई और एमएससपी 2775 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। इसलिए किसान एमएसपी के भावों से खुश है ताकि बाजरे की फसल को बेचा जा सके।
किसानों ने बताया कि क्षेत्र में इस वक्त बाजरे की अच्छी फसल खड़ी हुई है किंतु सिंचाई की जरूरत है। अगर हल्की वर्षा भी हो जाए तो पैदावार में बढ़ोतरी होगी और फसल पककर तैयार हो जाएगी।
पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज यादव ने बताया कि बाजरे की फसल 90 दिनों में पक जाती है। इस समय बाजरे की फसल खड़ी हुई है वह 25 अगस्त के बाद लावणी पर आ जाएगी। यदि बाजरे की फसल को पानी की जरूरत है तो वह भी देना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बाजरे की पैदावार दक्षिण हरियाणा में बेहतर होती है जो मोटा अनाज के रूप में खाया जाता है।
फोटो कैप्शन 06: कनीना क्षेत्र में आकाश में छाये काले बादल
40 विद्यार्थियों ने बनवाई दिव्यांगता सर्टिफिकेट
-कनीना खंड के अध्ययनरत बच्चों की बनी सर्टिफिकेट
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कनीना की आवाज। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के तत्वाधान में आज सामान्य अस्पताल नारनौल में कनीना खंड में अध्यनरत दिव्यांग बच्चों का चिकित्सा जांच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें कनीना खंड के 40 दिव्यांग बच्चों ने हिस्सा लिया। जिसमें चिह्नित बच्चों का मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया गया। शिविर में प्राचार्य सुनील खुडानिया, एपीसी हरमेंद्र ,एपीसी विक्रम, अमृत सिंह राघव तथा महेंद्रगढ़ जिले के समस्त विशेष अध्यापक मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 02: दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आये बच्चे
सड़क सुरक्षा संगठन द्वारा कार्यशाला का आयोजन
-- यूरो इंटरनेशनल स्कूल कनीना के प्रांगण में कार्यशाला का आयोजन
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कनीना की आवाज। यूरो इंटरनेशनल स्कूल कनीना के प्रांगण में सोमवार को विद्यार्थियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय था, रोड़ रुल्स, लाइफ टूल्स। इसके अन्तर्गत नारनौल से कानूनी सेवा अधिकारी सुरेश कुमार पैनल वकील, टेकचंद यादव डिविजन कमांडर, प्रवक्ता राजेश शर्मा, विक्रम सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, अनिल कुमार एसएचओ ट्रफिक पुलिस सहित सड़क सुरक्षा संगठन के उच्च स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे। नारनौल से पहुंची टीम ने विद्यार्थियों को यातायात के नियमों की जानकारी दी एवं सड़क सुरक्षा के तहत चलाए जा रहे आन्दोलन को लेकर जानकारी देते हुए अनेक गतिविधियों से अवगत करवाया। जिला सड़क सुरक्षा की टीम ने सड़क सुरक्षा की मुहिम के अन्तर्गत बताया कि सुरक्षा में ही जीवन है। यदि हम यातायात के नियमों का पालन, यातायात के विभिन्न संकेतों की जानकारी, धैर्य, सहयोग आदि की अनुपालना करते हैं, तो न केवल अपने जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ ही अनेक जिंदगियों को बचा सकते हैं। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने एक लघु नाटिका के माध्यम से सड़क सुरक्षा के लिए प्रेरित किया। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए रोचक और शिक्षाप्रद नाटक रहे, जिनके माध्यम से उन्होंने सड़क पर सुरक्षा नियमों के महत्व को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया।
इस प्रयोगशाला में बच्चों ने हेलमेट पहनने, ज़ेब्रा क्रासिंग का उपयोग, सड़क संकेतों का पालन, मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए गाड़ी न चलाना, और ट्रैफिक लाइट्स के नियमों का पालन जैसे विषयों पर आधारित लघु नाटकों का मंचन किया। कार्यक्रम का समापन छात्रों और शिक्षकों द्वारा ली गई सड़क सुरक्षा शपथ के साथ हुआ।
विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील कुमार ने छात्रों की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, आज के समय में सड़क सुरक्षा की जानकारी हर उम्र के व्यक्ति को होनी चाहिए। बच्चों ने नाटक के माध्यम से जो संदेश दिया है, वह न केवल शिक्षाप्रद है बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास भी है।
इस कार्यशाला के समय संस्था के प्राचार्य सुनील कुमार, उप-प्राचार्या संजू यादव, इंगलिश प्रवक्ता कमल कुमार, हिंदी प्रवक्ता मनोज कुमार, गतिविधि प्रभारी मधू यादव, इंगलिश प्रवक्ता बिन्दू, संगीत प्रवक्ता सूरत सिंह, गणित प्रवक्ता हवा सिंह आदि स्टाफ सदस्यों सहित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के गणमान्य स्टाफ सदस्य भी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: सड़क सुरक्षा की जानकारी देते विभिन्न अधिकारी
नाग पंचमी- 29 जुलाई
-आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है नागों की पूजा
-बनाये हुये हैं नाग देवता मंदिर
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कनीना की आवाज। नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो सावन माह की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। नागों की पूजा की जाती है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। सांप को दूध पिलाने से पच नहीं पाता जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। खेलकूद का आयोजन कर मेले भी लगते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
वास्तव में हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोडऩे का प्रयत्न किया है। परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है।
नाग बड़े उपयोगी हैं। नाग को देव के रूप में स्वीकार करते आये हैं।
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे खेत का रक्षक कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। सांप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेडऩे वालों को ही वह डंसता है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है। पुराणों में वर्णन आता है कि देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग का प्रयोग किया गया था। यहां तक कि साल में एक बार सांपों की पूजा की जाती है। कुछ जगह मंदिर भी नाग देवता के बने हुए हैं जहां नागों की पूजा की जाती है।
कुछ लोग तो नागों को दूध पिलाने के लिए सपेरों के यहां जाना पड़ता है। दिनभर नागों को याद किया जाता है। महाभारत काल में जहां नागों और पांडवों का बैर चला किंतु बाद में यह बैर दोस्ती में बदल गया और गांडीवधारी अर्जुन का विवाह नाग कन्या उलूपी से हुआ। बताया जाता है तब से इंसान एवं सांपों की दोस्ती चली आ रही है। आज भी यह दोस्ती कायम है। ऐसे में नाग पूजा के अधिकारी हैं।
पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि सांप किसान के दोस्त होते हैं। ये चूहों को खाते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। किसान सूबे सिंह, महेंद्र सिंह ने बताया कि सांप जंगल में फसलों में मिल जाते हैं किंतु वे उनको नहीं मारते।








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