636 किसानों से 17811 के कुंतल बाजरा खरीदा गया
-गुरुवार से नये किसानों के बाजरा खरीदने की बनी संभावना
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कनीना की आवाज। कनीना अनाज मंडी में अभी तक नये किसानों से बाजार नहीं खरीदा जा रहा है। जिन किसानों के पहले ही टोकन काटे जा चुके हैं उन्हीं से बाजरा बुधवार के दिन भी खरीदा गया। विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि 636 किसानों का 17811 क्विंटल बाजरा खरीदा गया है। अब तक बाजरे की कुल खरीद 91 हजार 570 क्विंटल पहुंच चुकी है। बुधवार को 15340 बाग की लिफ्टिंग की गई। अब तक 115696 बैग की उठान की जा चुकी है तथा अभी भी करीब 500 किसान और बचे हैं जिनको टोकन पहले ही दिये जा चुके हैं,जिनका बाजार गुरुवार को खरीदे जाने की संभावना है।
अभी अभी तक कोई अधिकारी स्पष्ट नहीं कह पा रहा कि गुरुवार को नये किसानों के बाजरे की खरीद होगी या नहीं हो पाएगी? बहरहाल किसान अभी भी संशय में बैठे हुए हैं और रोष पनप रहा है कि विगत तीन दिनों से बाजरे की कोई खरीद नहीं हो पाई है। किसानों ने तीन दिनों से अपने वाहनों में बाजरा ़लादकर खड़ा कर रखा है ताकि जब भी उनके पास सूचना आए तुरंत अनाज मंडी में पहुंच जाएंगे। किसान बार-बार इधर-उधर फोन करके पूछ रहे हैं कि नये टोकन देने व किसानों के बाजरे की खरीद कब से हो पाएगी। जहां अनाज मंडी में सीएम फ्लाइंग की छापामारी करने के पश्चात से बाजरे की खरीद नहीं हो पाई है। आढ़ती और व्यापारी जिनके टोकन कट चुके उनका बाजरा पहले खरीदने की बात कहते आये हैं। एसीएस वी राजशेखर कनीना मंडी दौरे पर आए तब भी आढ़तियों ने यही मांग रखी थी। महज चार दिनों की खरीद में सवा लाख क्विंटल बाजरा खरीदे जाने के टोकन काट दिए गए थे। ऐसे में नई खरीद को लेकर संशय बना हुआ है।अभी भी कोई अधिकारी नहीं कह रहा है कि बाजरे के लिए नये किसानों को टोकन दिये जाएंगे या नहीं?
फोटो कैप्शन 04: कनीना अनाज मंडी में बाजरे की खरीद।
विश्व शिक्षक दिवस-5 अक्टूबर
पूरे विश्व में पूजा के योग्य होता है शिक्षक-डा राजेंद्र
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कनीना की आवाज। 1994 से विश्व शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी और अहमियत के प्रति जागरूक करना है। उनकी मेहनत के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। जिस प्रकार शिक्षा हमारे जीवन को स्वर देती है उसी प्रकार शिक्षक, शिष्य के जीवन को स्वर देता है। सदा ही शिक्षकों का आदर रहा है और रहेगा। विश्व शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर कुछ सम्मानित शिक्षकों से बात हुई
** हमारे प्रथम गुरु माता-पिता ही होते हैं जो इस दुनिया में लाते हैं। माता-पिता की छांव में बच्चे सीखते हैं, संस्कार ग्रहण करते हैं। बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका सामना समाज जीवन की वास्तविकता से होता है। तब शिक्षक अपने ज्ञान और मार्गदर्शन के रूप में आगे बढ़ाने में सही राह दिखाता है। इसकी मेहनत पर एवं शिक्षा के बल पर शिष्य अपनी ऊंचाइयों की और अग्रसर होता है। शिक्षक को शिष्य कभी नहीं भुला सकता। शिक्षक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता रहा है और देखा जाता रहेगा। शिक्षक ही है जो हर विद्यार्थी में गुण भर देता है जिसके बल पर विद्यार्थी ऊंचाइयों को छू जाता है।
---सतेंद्र यादव आर्य पूर्व शिक्षक
समस्त विश्व में जिस भी युग में बदलाव आये वो शिक्षकों की भागीदारी का गवाह है। गुरू वशिष्ठ , विश्वामित्र, द्रोणाचार्य, संदीपनी सबने अपने साथ शिष्यों को लेकर बदलाव व मूल्यों की स्थापना की। चाणक्य, माक्र्स, अरस्तु, ने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में नये आयाम दिए तथा मानव जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास किया। चिकित्सा, विज्ञान , खगोल जैसे विषयों पर आज भी विश्व के वैज्ञानिक जो रिसर्च कर रहे हैं वह भी ऋषि मुनियों ने संसार को दी हैं। शिक्षकों के द्वारा ही विद्यार्थी आगे के जीवन को सार्थक बनाता है । आज के युग में शिक्षक की महता ओर अधिक है क्योंकि ये आर्थिक स्पर्धा का युग है और इसमें विद्यार्थी सही मूल्यों को अपनाकर मानव कल्याण की भावना के साथ विश्व के विकास में योगदान दे सके।
---डा राजेंद्र सिंह निदेशक
**अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर दुनिया को राह दिखाने वाला शिक्षक खुद किंमकर्तव्यविमूढ़ हो रहा है। आज प्रगति के नाम पर शिक्षा का बाजारीकरण चिंता का विषय है अभिभावक अपने बच्चों की भावनाओं को ताक पर रखकर अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, वही बच्चों की हालत एक निरीह प्राणी की हो गई है। देश के सबसे ज्यादा डॉक्टर बनने की फैक्ट्री कोटा में है जहां आए दिन होनहारों का जीवन त्याग करना, हमारी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगता है। मेरी शिक्षा के कर्ताधर्ताओं से अपील है कि वे शिक्षक की वही गरिमा बहाल करें।
--नरेश कौशिक मुख्याध्यापक
**शिक्षक अपने आप में बड़ा ही गौरवशाली एवं प्रतिष्ठित पद है। एक विद्यार्थी के जीवन के साथ-साथ परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण में शिक्षक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इसलिए शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा गया है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है शिक्षक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की शिक्ष धातु से हुई है इसका अर्थ है सीखना और सीखना जो जीवन पर्यंत चलता रहता है। चाणक्य ने शिक्षक को परिभाषित करते हुए कहा है कि एक विद्यार्थी के सम्पूर्ण जीवन का निर्माण और प्रलय उसकी गोद में पलते हैं। दुनिया में शिक्षक ही गौरवमयी पद है जो हमेशा अपने विद्यार्थी को अपने से ऊपर देखना चाहता है। एक शिक्षक को आदर्शवादी और प्रगतिशील विचारधारा के साथ-साथ हमेशा सृजानात्मक ,नवीनतम आधुनिक ज्ञान कौशल और अधिगम की दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए और ईमानदारी , स्वच्छता पूर्ण ,पारदर्शिता शैली के साथ सतत् प्रगतिशील विचारधारा का निर्माण कर समाज को एक नई दिशा देनी चाहिए। चिंतनशील विचारधारा और महान् व्यक्तित्व तो वास्तव में शिक्षक ही होता है जो अपने आदर्शवादी विचारों से विद्यार्थी और समाज की दिशा और दशा बदलने में कारगर सिद्ध हो सकता है। आधुनिक युग में भी शिक्षक का बहुत बड़ा सम्मान है। शिक्षक निरंतर विद्यार्थियों के साथ नवीनतम शिक्षण अधिगम में प्रयास रहते हैं इसके सार्थक और सकारात्मक परिणाम हमें प्राप्त हुए हैं और हम खुशी का अनुभव करते हैं।
***वीरेंद्र सिंह कैमला मुख्याध्यापक एवं स्टेट अवार्डी शिक्षक
फोटो कैप्शन: डा राजेंद्र सिंह, वीरेंद्र कैमला, नरेश कौशिक, सतेंद्र आर्य।
श्रीमद्भागवत गीता का तीसरा अध्याय बताता है मुक्ति का मार्ग-नरहरिदास
--कनीना मंडी के राधाकृष्ण मंदिर में चल रही है भागवत कथा
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कनीना की आवाज। श्रीश्याम मित्र मंडल कनीना के तत्वाधान में बुधवार को कनीना मंडी स्थित राधा कृष्ण मंदिर में पितृपक्ष के अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्री सत्यम पीठाधीश्वर महंत नरहरि दास महाराज ने तीसरे अध्याय के महत्व को बताते हुए कहा कि श्री नारायण बोले- हे लक्ष्मी एक महामूर्ख व्यक्ति अकेला ही एक वन में रहता था, गलत कार्यों से उसने बहुत सा धन इक_ा किया। किसी कारण से वह सब धन जाता रहा। अब वह व्यक्ति बहुत चिंतित रहने लगा। किसी से पूछता कि ऐसा उपाय बताओ जिससे पृथ्वी में गड़ा धन मुझे मिले। किसी से पूछता कोई उपाय बताओ, जिसे लगाने से पृथ्वी में गड़ा धन दिखने लगे। तब किसी ने कहा मांस मंदिरा खाया पिया कर, तक वह खोटा कर्म करने लगा, चोरी करने लगा। एक दिन धन की लालसा कर चोरी करने गया, मार्ग में चोरों ने उसे मार दिया। तदनन्तर उसने प्रेत की योनि पाई, उस प्रेत योनि में उसे बड़ा दुख हुआ। कुछ समय बाद उसकी पत्नी जो गर्भवती थी उसने एक पुत्र को जन्म दिया। जब उसका पुत्र बड़ा हुआ तो एक दिन अपनी माता से उसने पूछा मेरा पिता क्या व्यापार करता था और उनका देहांत किस प्रकार हुआ।
तब उसकी माता ने बताया कि हे बेटा, तेरे पिता के पास बहुत धन था, वह सब यूं ही जाता रहा, वह धन के चले जाने से बहुत चिंतित रहने लगा। एक दिन धन की लालसा से चोरी करने गए, लेकिन मार्ग में चोरों ने उन्हें मार डाला। तब बेटे ने कहा हे माता! उनकी गति कराई थी? माता ने कहा नहीं कराई। बेटे ने पूछा हे माता उनकी गति करानी चाहिए। मां ने कहा अच्छी बात है। तब वह पंडितों से पूछने गया और जाकर प्रार्थना की- हे स्वामी, मेरा पिता एक दिशा में जाकर मृत्यु को प्राप्त हुए। अत: उनका उद्धार किस तरह हो सकता है? पंडितों ने कहा तू गया जी जाकर उसकी गति कर तब पितरों का उद्धार होगा। यह सुन , वह अपनी माता की आज्ञा लेकर गयाजी को गमन किया। प्रयाग राज का दर्शन स्नान करके आगे को चला, रास्ते में एक वृक्ष के नीचे बैठ गया, वहां उसको बड़ा भय प्राप्त हुआ। यह वहीं, वृक्ष था, जहां उसका पिता प्रेत-योनि प्राप्त हुआ था। उसी जगह चोरो ने उसको मारा था। तब उस बालक ने अपना गुरु मंत्र पढ़ा। उसका एक और नियम था। वह एक अध्याय श्री गीताजी का पाठ नित्य किया करता था। उस दिन उसने श्री गीताजी के तीसरे अध्याय का पाठ उस वृक्ष के नीचे बैठकर किया जिसे उसके पिता ने प्रेत की योनि में सुना तो सुनते ही उसकी प्रेत योनि छूट गई और उसका शरीर देवताओं के समान हो गया।
कथा में मुख्य रूप से व्यापार मंडल के प्रधान लाला निरंजन लाल, उप प्रधान रविंद्र बंसल दादा ठाकुर मंदिर कमेटी के प्रधान विनोद गुड्डू चौधरी, समाजसेवी सुरेंद्र शर्मा, श्री सेवक श्याम मंडल के प्रधान संदीप महेश्वरी, सुभाष चंद मित्तल, मुकेश सिंगला, संजय गर्ग, पूर्व पार्षद मुकेश रॉकी, अजित गर्ग, प्रवक्ता सचिन शर्मा, संजय, सुरेश मिस्त्री, गोपाल, अमित कुमार सहित अनेक महिलाएं आदि समस्त भक्त जनों की उपस्थिति रही।
फोटो कैप्शन 03: कथा सुनाते नरहरिदास एवंं कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालु
204 मरीजों को वितरित की गई मुफ्त दवाइयां
-करीरा एवं कोटिया में लगाया चिकित्सा शिविर
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव करीरा तथा कोटिया में निशुल्क चिकित्सा जांच एवं परामर्श शिविर आयोजित किए गए। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त डॉ. रणधीर सिंह यादव की टीम ने मरीजों की जांच एवं दवाएं वितरित की। मुख्य अतिथि अतरलाल रहे।
इस अवसर पर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त डॉ. रणधीर सिंह यादव ने कहा कि ज्यों ज्यों उम्र बड़ी होती है त्यों त्यों इंसान को रोग घेर लेते हैं। ऐसे में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए समय समय पर शारीरिक जांच करवाते रहना चाहिए। किसी भी रोग को नजर अंदाज न करके उसका तुरंत समुचित इलाज लेना चाहिए। रोग का प्रारंभ में ही बेहतर ढंग से इलाज संभव है। गांव करीरा में 82 तथा कोटिया में 124 जरूरतमंद लोगो ने शिविर का लाभ उठाया। मुख्य अतिथि अतरलाल ने नि:शुल्क चिकित्सा जांच शिविर आयोजन के लिए डॉ. रणधीर सिंह यादव, टीम सदस्यों तथा ग्रामीणों का धन्यवाद किया। शिविर को सफल बनाने में भूतपूर्व सैनिक कल्याण संगठन के प्रधान कप्तान सुमेर सिंह, राजेश सिंह, नितप्रकाश, हरद्वारीलाल, जसवंतसिंह, ओमकार सिंह, हैडमास्टर देशराम, हरीश यादव, एडवोकेट पुष्कर यादव, मीनू यादव एडवोकेट, सतीश पंच, पदमचंद शास्त्री, बबलू टेंट, दादा पप्पू, ओमकार थानेदार, एसपी यादव, रघुनाथ, हरिसिंह पंच, तुलसीराम सेन, बाबूलाल, अजय यादव, गुल्लू जांगड़ा ने सहयोग दिया। ग्रामीणों ने मुख्य अतिथि तथा डा. रणधीर सिंह यादव का फूल मालाओं तथा पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।
फोटो कैप्शन 02: चिकित्सा शिविरों को उद्घाटन करते हुए डा रणधीर सिंह एवं अतरलाल आदि।
विश्व वन्य जीव दिवस-5 अक्टूबर
वन्य जीवों का है इंसान से गहरा संबंध--सूबे सिंह
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कनीना की आवाज। वन्य जीवों का इंसान से गहरा संबंध है। सदा जीव इंसान के साथ साथ विचरण करते आये हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाले जीव जंतु लुप्तप्राय हो गये हैं। इनकी सुरक्षा इंसान की सुरक्षा होती है। इंसान की पर्यावरण से छेड़छाड़ जीवों के लिए मुसीबत बन रही है। चिडिय़ा, फाख्ता, कौवा, बुलबुल ग्रामीण क्षेत्रों में खूब मिलती थी किंतु अब वो भी विलुप्त होती जा रही हैं। पर्यावरण प्रदूषण,भीषण गर्मी एवं जल अभाव, अभ्यारण्यों का अभाव, जंगलों की सफाई, आखेट आदि जंगली जीवों की संख्या को कम करती जा रही है। जंगल से तीतर बटेर, शशक, हरिण लुप्त होने के कगार पर हैं। काला तीतर राज्य पक्षी घोषित है किंतु यह लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
अजीत कुमार बताते हैं एक समय था जब महलों की बजाय झोपड़ी होती थी और चिडिय़ां भारी संख्या में मिलती थी। वन अधिक होने से तीतर, बटेर, हरियल, फाख्ता, टीटीहरी, काला तीतर, हरिण, शशक एवं नाना प्रकार के जंगली जीव मिलते थे। आज उनके दर्शन दुर्लभ हो गए हैं जिनके पीछे इंसान की पर्यावरण से छेड़छाड़ मानी जाती है। पेड़ पौधों की कटाई, अंधाधुंध उर्वरक एवं पीड़कनाशी खेतों में डालना, पक्के मकान बनाए जाना, वनों का विनाश, औद्योगीकरण, बढ़ता प्रदूषण, आखेट पर कड़ा प्रतिबंध न लग पाना, शौकीनी के लिए जीवों को पालना, जीवों को पालतू बनाने की होड़, सांपों को पकड़कर सपेरे की भूमिका निभाना, गर्मी एवं सर्दी से जीवों को बचने के शरणस्थल न होना, खुले कुओं की जगह बोर बनाया जाना, सूखता जल, नदियों एवं नहरों में पानी का अभाव, भोजन न मिल पाना, आहार शृंंखला का छोटा होना एवं जीवों के लिए संरक्षण कानून सख्त न होना आदि प्रमुख कारण है जिनके चलते जीव जंतु दिनोंदिन लुप्त होते जा रहे हैं।
उधर सूबे सिंह पर्यावरणविद का कहना है कि अभ्यारण्य जैसे स्थल स्थापित करने की अनुमति दी जाए ताकि जीवों को मरने से बचाया जा सके। उनका कहना है कि जंगली जीवों को बचाने के अब सघन प्रयास करने पड़ेंगे वरना जंगली जीव अब लुप्त हो जाएंगे। जंगली जीवों को बचाने के लिए पेड़ पौधों को बचाना जरूरी है। पेड़ पौधे अकसर गर्मी में जल की कमी के चलते नष्ट हो जाते हैं वहीं सर्दी में झुलस जाते हैं।
पर्यावरणविद रविंद्र कुमार बताते हैं किसान अपने खेतों से जाटी पेड़ का विनाश करने पर तुले हुए हैं जिसके चलते तीतर, काला तीतर, फाख्ता आदि विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं। शशक एवं गीदड़ क्षेत्र में भारी मात्रा में देखने को मिलते थे किंतु जंगलों की सफाई कर देने से सुरक्षित स्थल बचे नहीं हैं जिसके चलते वे विलुप्त होने के कगार पर हैं। जंगली जीवों को बचाने के लिए जंगलों की आग पर काबू पाना होगा वहीं पर्यावरण को दूषित होने से बचाना जरूरी हो गया है। जीवों को पिंजरे में बंद करने वाले या सांप आदि दिखाने वाले सपेरों, जीवों के साथ मजाक करने वाले मदारी आदि पर सख्त नजर रखनी होगी ताकि पक्षियों, सरीसृपों एवं जंगली जीवों को बचाया जा सके। जब जीवों का प्रजन्न चलता है तो उस वक्त आखेट करने वाले कुत्ते एवं कुछ आखेट करने वाले जन उनके अंडे चोरी कर लेते हैं या फिर पक्षियों को मारकर खा जाते हैं। कानून सख्त नहीं होने से आखेट चोरी छिपे जारी है। जंगली जीवों को बचाने के लिए जंगलों की आग पर काबू पाना होगा वहीं पर्यावरण को दूषित होने से बचाना जरूरी हो गया है।
पर्यावरण को बचाने के लिए बेहतर प्रयास कर रहे सुनील कुमार का कहना है कि इंसान अपने पैरों पर स्वयं प्रहार कर रहा है। अधिक पैदावार लेने के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है वहीं अधिक पैदावार लेने के लिए भारी मात्रा में दवाएं छिड़क रहा है। इंसान की भूख कभी खत्म नहीं होती है। वह जीवों को मारकर खा रहा है वहीं जंगली जीवों को समाप्त करने में घरों में पाले जाने वाले कुत्ते भी अहं भूमिका निभा रहे हैं। कहीं इंसान अपने मनोरंजन के लिए जीवों को पकड़ रहा है जिससे उनकी अंतत: मृत्यु हो जाती है। जंगल जहां जीव जंतु छुपकर प्रसव करते थे वो स्थल अब बचे नहीं हैं। जिस जगह इंसान दिन के समय भी जाने से डरता था वहां रात के वक्त भी जगमगाहट दिखाई पड़ती है। इंसान जीवों को रक्षा की नजर से नहीं देखेगा तब तक जीवों का यूं ही अंत होता चला जाएगा।
फोटो कैप्शन: रविंद्र कुमार, सूबे सिंह, अजीत कुमार, सुनील कुमार
सेल्समैन पेट्रोल पंप की सेल की राशि ले उड़ा
-करीब एक लाख रुपये की हुई थी सेल
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कनीना की आवाज। कनीना- महेंद्रगढ़ रोड़ पर स्थित मंगलदीप फिलिंग स्टेशन सेल्समैन के रूप में कार्यरत व्यक्ति पेट्रोल सेल की रातभर की 98,800 रुपये राशि लेकर फरार हो गया। सेल्समैैन उत्तरपप्रदेश का रहने वाला था।
मंगलदीप फिलिंग स्टेशन के मालिक अक्षय यादव ने कनीना पुलिस में मामला दर्ज करवाया है। अक्षय यादव ने पुलिस में बताया कि मैं सरोहल गुरुग्राम का रहने वाला हूं तथा मैंने मंगलदीप फिलिंग स्टेशन पैट्रोल पंप कनीना- महेंद्रगढ़ सड़क मार्ग पर उन्हाणी से आगे खोल रखा है। पेट्रोल पंप पर रसीद अकबर अली नामक युवक गांव बरही जालौन, उत्तर प्रदेश का सेल्समेन रखा हुआ था जो पिछले 2 सालों के करीब से काम कर रहा था। 2 अक्टूबर की रात को जो पेट्रोल की सेल की गई उस सारी राशि को सुबह लेकर फरार हो गया। यह राशि 98,800 रुपये बनती थी। उस व्यक्ति की कई जगह तलाशी की गई किंतु कहीं नहीं मिला। कनीना पुलिस में उन्होंने उसके विरुद्ध मामला दर्ज करवाते हुए राशि वापस दिलवाने तथा उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाने की मांग की है। अक्षय कुमार की शिकायत पर रसीद अकबर अलि के विरुद्ध मामला थाना शहर कनीना में दर्ज कर लिया है।
कट का काम केंद्रीय मंत्रियों के भरोसे पर, 206वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट की मांग के लिए ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। बुधवार को धरने की अध्यक्षता डा लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि हमें अपने मंत्रियों पर पूरा भरोसा है जो जनता के बीच में वायदे करते हैं उनको पूरा करने के बाद ही दम लेते हैं, उन्होंने कट का आश्वासन दिया हुआ है। धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया की धरने को चलते 206 दिन हो गए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा 9 मार्च 2022 को पचगांव गुरुग्राम रैली में राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा की थी। उनके आश्वासन पर आज तक इंतजार कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा यह घोषणा करवाई गई। इसी भरोसे के साथ हम धरना स्थल पर बैठे हुए हैं कि उन्हें याद दिलाते रहे कि आपने राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा की हुई है। अब हमें चिंता नहीं है, अब चिंता है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को है। हम धरना स्थल पर इसी विश्वास के साथ बैठे हुए हैं कि कट जरूर बनेगा समय लग सकता है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनने से 40 -50 गांवों के लिए सबसे बड़ा फायदा है, चंडीगढ़ और नारनौल आने- जाने वाले यात्रियों के लिए दूरी कम हो जाएगी और समय की बचत होगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनने से क्षेत्र में उद्योग धंधे शुरू हो जाएंगे, लोगों को काम मिलेगा और बेरोजगारी कम हो जाएगी। जब तक कट का काम शुरू नहीं होता है,हम धरने स्थल पर अडिग रहेंगे।
इस मौके पर संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत, संघर्ष समिति के सदस्य नरेंद्र शास्त्री छिथरोली, पहलवान धर्मपाल यादव सेहलंग, जिला पार्षद लीलाराम बाघोत, चेयरमैन सतपाल, सरपंच विकास नौताना, सतनारायण साहब, डॉ सुरेंद्र सिंह, पूर्व सरपंच बेड़ा सिंह, मास्टर विजय सिंह,ओम प्रकाश, मुंशीराम, मास्टर विजय पाल, प्रधान कृष्ण कुमार, मनोज कुमार करीरा, बाबूलाल,वेद प्रकाश, सूबेदार हेमराज अत्रि, रामकुमार, प्यारेलाल, रोशन लाल आर्य, शेर सिंह, अशोक चौहान, सज्जन सिंह, दाताराम, रघुवीर पंच, संजय, हंस कुमार,सीताराम, सूबे सिंह पंच, रामकिशन, व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 01 : कट की मांग को लकर धरने पर बैठे ग्रामीण।
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