महानवमी के दिन जगह-जगह लगे भंडारे आयोजित हुई कढाइयां, अनेक जगह हुए उद्घाटन
-कंजकों भोजन कराकर दी दान दक्षिणा
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कनीना की आवाज। शारदीय नवरात्रों का अंतिम दिन महानवमी का पर्व मनाया गया। इस दिन जगह-जगह कढ़ाई आयोजित की गई, बड़े स्तर पर भंडारे आयोजित किए गए, वहीं कंजकों को भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा दी गई। शारदीय नवरात्रे को मीठा भोजन खिलाकर समापन हुआ।
कनीना क्षेत्र में करीब दो दर्जन स्थानों पर कढाइयां, विभिन्न संस्थाओं के उद्घाटन तथा भंडारे लगाए गए। कनीना के संत मोलडऩाथ आश्रम स्थित माता मंदिर में जहां सुबह हवन आयोजित किया गया। दूर दराज से लोगों ने हवन में उपस्थित होकर पूर्ण आहुति दी वहीं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में जहां दर्जनभर गांवों के लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे। इस मौके पर जहां दिनेश कुमार प्रधान, सुरेंद्र सिंह, अनिल भांजा, अशोक डीपी, लाल सिंह, रमेश कुमार, शिव कुमार पवन नवाब, सोनू, जोगेंद्र, इंद्रजीत, जीतू शर्मा, मुकेश शर्मा, सतबीर सिंह प्रधान, बबलू आदि अनेक गणमान्य लोगों ने न केवल सेवा भाव दिखाया अपितु हवन में पूर्णाहुति डाली।
संत मोलडऩाथ ट्रस्ट के प्रधान दिनेश कुमार ने बताया कि विगत दिनों से जहां माता मंदिर में पूजा अर्चना और अखंड ज्योति चल रही थी, नवरात्रि चल रही थी उनका विधिवत रूप से समापन किया गया। कंजकों को भोजन कराया, तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में भक्त व जन मौके पर पहुंचे। अनेक लोगों ने कार्यक्रमों में योगदान दिया है। हर वर्ष यहां भंडारा आयोजित होता रहा है तथा हवन आयोजित होते रहे हैं। यही नहीं कनीना क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर भंजारे और हवन आयोजित हुए।
धनौंदा के संत कृष्णानंद आश्रम पर भंडाराा एएवं हवन आयोजित हुआ। बाबा के भक्त जसवंत सिंह ने बताया की संत कृष्णानंद आश्रम में जहां सुबह हवन आयोजित हुआ वही विशाल भंडारा आयोजित हुआ जिसमें कनीना और आसपास के गांवों से बाहरी संख्या जन पहुंचे, प्रसाद ग्रहण किया।
उल्लेखनीय है कि यहां के प्रसिद्ध संत ब्रह्मचारी कृष्णानंद का विगत महीने देहांत हो गया था। उनकी अनुपस्थिति में भी यहां के भक्त लगातार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं। जसवंत सिंह ने बताया की बाबा के प्रति गहन आस्था आज भी चली आ रही है। भक्त तन मन धन से सेवा करते हैं। यहां महानवमी को मीठा भोजन कराया व दान दक्षिणा दी गई और शारदीय नवरात्रों का समापन किया गया।
डॉक्टर अजीत शर्मा ने बताया कि उनके परिवार में मंजू देवी उनकी पुत्री डॉक्टर एकता शर्मा ने कंजकों को मीठा भोजन कराया है। इस मौके पर उन्हें दान दक्षिणा भी दी गई।
आसपास आसपास के विभिन्न गांवों में यही परंपरा रही है। जगह-जगह भंडारे आयोजित हुए।
कनीना के पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि नवरात्रों में विभिन्न उद्घाटन किए जाते हैं क्योंकि यह दिन बहुत शुभ होता है। इस दिन सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद23 नवंबर से देव उठानी एकादशी पर विवाह शादियां शुरू हो जाएगी। तब तक अनेक पर्व मनाए जाएंगे।
फोटो कैप्शन 04: कनीना के संत मोलडऩाथ आश्रम पर हवन आयोजित करते हुए
5::भंडारा
07: कंजकों को भोजन कराते हुए
08: धनौंदा आश्रम में भंडारे का आयोजन।
कट की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना 225वें दिन भी रहा जारी
-ग्रामीण अडिग, अनिश्चितकालीन धरने पर हैं
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीण अनिश्चिकालीन धरने पर हैं। सोमवार को धरने की अध्यक्षता डा सुरेंद्र सिंह स्याणा ने की और उन्होंने बताया कि हमने यह ठान लिया है, जब तक केंद्र सरकार के द्वारा कट का काम शुरू नहीं होता है, हम यही डटे रहेंगे।
उन्होंने बताया कि धरने को चलते 225 दिन हो गए हैं, मौसम बदल रहा है, सर्दी शुरू हो गई है, किसान सरसों की बिजाई में लगे हुए हैं और साथ-साथ धरने पर भी अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि केंद्र सरकार हमारी मांग को अवश्य स्वीकार करेगी और राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू हो जाएगा।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन तथा संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत ने बताया कि हम सुबह धरना स्थल पर पहुंचने से पहले बाघेश्वर धाम में बाबा शिव भोले के दर्शन करके,उनसे मन्नत मांग कर आये हैं और मन्नत मांगी है कि बाबा शिव भोले कुछ करिश्मा करके दिखाओ, अपने भक्तों की आवाज सुनो और राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की नैया को पार लगाओ। उन्होंने बताया कि हमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर पूरा भरोसा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा उनके द्वारा की गई थी।
इस मौके पर चेयरमैन सतपाल,नरेंद्र शास्त्री छिथरौली, इंस्पेक्टर सत्यनारायण, मास्टर धर्मपाल,पहलवान रणधीर सिंह बाघोत, सरपंच हरिओम पोता, पूर्व सरपंच बेड़ा सिंह, मुख्तार सिंह,सतीश, महेंद्र सिंह, बाबूलाल, सत्य प्रकाश, मास्टर विजयपाल, डॉ लक्ष्मण सिंह,पहलवान धर्मपाल, मास्टर विजय पाल, ठेकेदार शेर सिंह, सूबेदार हेमराज अत्रि, मुंशी राम, वेद प्रकाश, दाताराम , ओम प्रकाश, प्यारेलाल, डॉ राम भक्त, रोशन लाल आर्य, कृष्ण कुमार पंच, सीताराम,सूबे सिंह पंच, राम भक्त, रामकिशन व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 03: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण।
भोजावास में रामलीला के नौवें दिन अक्षय वध व लंका दहन लीला का हुआ मंचन
---अशोक वाटिका, अक्षय कुमार वध व लंका दहन की लीलाका मंचन
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कनीना की आवाज। श्री आदर्श रामलीला क्लब भोजावास में रामलीला के नौवें दिन रविवार रात्रि अशोक वाटिका, अक्षय कुमार वध व लंका दहन की लीला का मनमोहक मंचन बेहतरीन कलाकारों द्वारा रण सिंह रोहिल्ला के कुशल निर्देशन में किया गया। रामलीला क्लब के सदस्य नरेंद्र सिंह नीनू ने बताया कि रविवार को सुनील रोहिल्ला ने राम, बिरेंद्र भारद्वाज ने लक्ष्मण, रण सिंह रोहिल्ला ने हनुमान, अशोक गोयल ने सुग्रीव, कृष्ण रोहिल्ला ने अंगद, रावण, रविंद्र कौशिक ने विभीषण, का बाबूलाल पूर्व सरपंच ने सीता, का किरदार तनुज रोहिल्ला ने बखूबी से निभाया वह दर्शकों की जमकर तालियां बटोरी वही जामवंत, नरेंद्र नीनू ने नल, सोमवीर तंवर ने नील, सुनील कौशिक ने मंदोदरी, बल्ली सैन ने मेघनाथ एवं रवि सैन ने अक्षय कुमार के किरदारों में अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी।
नरेंद्र सिंह नीनू ने बताया कि रामलीला के नौवें दिन की लीला में माता सीता की खोजते हुए राम भक्त हनुमान लंका में पहुंचकर रावण के भाई विभीषण से मुलाकात करते हैं। विभीषण उन्हें बताते हैं कि रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में रखा है। विभीषण से जानकारी लेकर हनुमान लंका की अशोक वाटिका में पहुंचकर माता सीता को प्रभु श्री राम की मुद्रिका निशानी के रूप में दिखाते हैं और उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि प्रभु श्री राम अब जल्दी ही लंका पर चढ़ाई कर उन्हे सकुशल वापिस अवश्य ले जाएंगे। इसके बाद पवन पुत्र हनुमान अपनी क्षुधा शांत करने के लिए अशोक वाटिका में लगे केले, सेव, अमरूद इत्यादि के पेड़ों को तोड़ तोड़ कर खा जाते हैं और अशोक वाटिका को तहस नहस कर उजाड़ देते हैं। रामलीला मैदान में उपस्थित सभी दर्शकों ने अशोक वाटिका उजाड़ते समय हनुमान जी द्वारा फेंके गए केले, सेब के प्रसाद को हर्षोल्लास के साथ प्राप्त किया। अशोक वाटिका में उत्पात के समाचार पाकर लंकापति रावण अपने पुत्र अक्षय कुमार को अशोक वाटिका में भेजते हैं, जहां राम भक्त हनुमान अक्षय कुमार का वध कर देते है।
अक्षय कुमार की मृत्यु के उपरांत रावण पुत्र मेघनाथ अशोक वाटिका में पहुंचकर हनुमान जी से युद्ध करता है और भीषण युद्ध के उपरांत मेघनाथ द्वारा चलाएं ब्रह्मास्त्र का सम्मान करते हुए हनुमान जी उसमें बंध जाते हैं। हनुमान जी को बांधकर मेघनाथ रावण के सम्मुख उपस्थित करता है, जहां रावण हनुमान द्वारा लंका में मचाए गए उत्पात एवं अक्षय कुमार की मृत्यु की सजा के बदले हनुमान को मृत्युदंड देने का एलान करते हैं। जिसे सुनकर उनके भाई विभीषण बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार किसी वानर का इस प्रकार वध करना अनैतिक बताया गया है, अत: हनुमान को दंड स्वरूप वानरों की अति प्रिय पूंछ में आग लगाकर जला देने का सुझाव देते हैं। उनके मशवरे को मानते हुए रावण हनुमान की पूंछ में आग लगवा देते हैं और पूछ में लगी हुई आग को लेकर पवन पुत्र हनुमान पूरी लंका नगरी में एक मकान से दूसरे मकान और एक द्वार से दूसरे द्वार पर उछल उछल कर संपूर्ण लंका नगरी को आग के सुपुर्द कर लंका दहन कर देते हैं। रविवार की लीला को यही विराम दिया गया।
इस अवसर पर संरक्षक रण सिंह रोहिल्ला, शीशराम रोहिल्ला, नरेंद्र नीनू, महेंद्र तंवर, सोमवीर तंवर, प्रवीण भारद्वाज, राजेश नायक, सुंदरलाल नायक, मास्टर धर्मेंद्र रोहिल्ला, किशोरी रोहिल्ला, कृष्ण कुमार रोहिल्ला, अशोक गोयल जितेंद्र रोहिल्ला पूर्व सरपंच पवन तंवर आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 06: लंका दहन से पूर्व रामलीला मंचन का का नजारा।
विश्व पोलियो दिवस-24 अक्टूबर
करीब शत प्रतिशत काबू पा लिया है पोलियो पर- डा. जितेंद्र
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कनीना की आवाज। दुनिया भर में जिस दर से पोलियों पर काबू पाने के प्रयास किये हैं उससे पोलियो का लगभग खात्मा हो गया है। वर्ष 1980 के बाद शत प्रतिशत के करीब पोलियो पर काबू पा लिया है। पोलियो के केस 1980 से पहले मिल सकते हैं किंतु वर्तमान में बाद 1980 के बाद जिला महेंद्रगढ़ से शायद ही कोई मामला हो। पोलियो टीकाकरण और पोलियो उन्मूलन के लिए जागरूकता बढ़ाई गई है जिसके कारण इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई और पूर्णतया काबू पा लिया है।
विश्व पोलियो दिवस जोनास साल्क की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पोलियो की वैक्सीन विकसित की थी। इस बीमारी के खिलाफ अभियान की शुरुआत रोटरी इंटरनेशनल द्वारा की गई थी जो अंतर्राष्ट्रीय सेवा संगठन ने दुनिया भर में कार्यक्रम चलाए गए। पोलियो की खुराक पिलाई गई जिसके कारण पोलियो पर काबू पा लिया है।
*** पोलियो एक विषाणु जनित रोग है जो एंटरोवायरल से फैलता है। यह विष्णु तांत्रिक संक्रामक बीमारी के रूप में परिभाषित होता है जो मुख्य रूप से छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। जो अपंग बना देता है। यह घातक बीमारी जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है,यह दूषित भोजन और पानी के कारण फैलती है। तत्पश्चात रोगाणु तंत्रिका तंत्र तक चला जाता है। इस बीमारी में कुछ लोगों में बुखार, थकान, मचली, दर्द, नाक बंद होना, गले में खराश, खांसी, गर्दन पीठ में अकडऩ, हाथ पैरों में दर्द, कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। यह रोगाणु मांसपेशियों को पूर्णत नष्ट कर देता है उसके कारण इंसान अपंग बन जाता है। केवल टीकाकरण से इसका इलाज संभव है। पालियो का टीका बच्चों के शरीर में पोलियो वायरस से लडऩे की क्षमता बढ़ाता है। इसकी आईपीवी और ओपीवी दोनों प्रकार की दवाई दी जाती है जो मुख के जरिए पिलाई जाती है। आजकल पोलियो की खुराक को टीकों में ही शामिल कर लिया गया है। डीपीटी का टीका लगाया जाता है जो इस रोग से बचाने में मददगार साबित होता है। मौखिक मौखिक रूप से दी जाने वाली दवा की खुराक 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह और बूस्टर 26, 16 से 24 महीने में दी जाती है।
पोलियो को समाप्त करने के लिए पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम चलाए गए जिनके कारण पोलियो पर काबू पा लिया है। अभी समय-समय पर सख्त उपाय और टीकाकरण की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इस रोग से बचने का स्वच्छता एक तरीका है, जितना स्वच्छता पर ध्यान दिया जाएउतना ही रोग कम फैलेगा।
-- डा. जितेंद्र मोरवाल उप-नागरिक अस्पताल कनीना
सरकार बीसीजी, रोटा, आईपीवी आदि की तक लगती है या खुराक पिलाई जाती है। रोटा की 5 बूंद पिलाई जाती है जो टेटनस रोग पर काबू पाती है। वही पीसीबी पांच बीमारियों से बचाने वाला एक टीका है वही आईपीवी जिसे एंटी पोलियो वैक्सीन कहा जाता है। इसी प्रकार सरकार अनेक टीके लगाती है। जब बच्चा 5, 10 और 16 सप्ताह का होता है बीसीजी का टीका, पोलियो की खुराक पिलाई जाती है। डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह बाद बूस्टर डोज दी जाती है। बचपन में ही टीके लगाकर इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।
कनीना उप नागरिक अस्पताल में पोलियो का कोई मरीज वर्तमान में नहीं आया है। 30 सालों से अधिक पहले कोई पोलियो का मरीज आते थे किंतु आप सरकार ने विभिन्न टीके एवं खुराक पोलियो से बचने की पिलाई जाती हैं।
-- शीशराम हेल्थ इंस्पेक्टर
फोटो कैप्शन: शीशराम एचआई एवं डॉक्टर जितेंद्र मोरवाल।
सांझी का विसर्जन दशहरे को
-दस दिनों से चली आ रही है सांझी पूजा
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कनीना की आवाज। विगत दस दिनों से चली आ रही सांझी की पूजा के बाद दशहरे के दिन जल में विसर्जन किया जाएगा। एकता और भाईचारे का पर्व सांझी भगवान् राम के गुणों को बखान करने वाली रामलीला की भांति मनाया जाता है। गांवों में गोबर तथा सरकंडों से सांझी दिवार पर बनाई जाती है जिसे बच्चियां सिंझाÓ कहती हैं। प्रतिदिन गीत गाकर और भोजन कराकर बच्चियों का समूह अपने घर चला जाता है। दस दिनों तक शाश्वत चलने वाली क्रिया का अंत दशहरे पर होता है। राजस्थान का गणगौर का उत्सव इससे मिलता जुलता है। गणेश विसर्जन की भांति यह पर्व दशहरे को संपन्न होगा।
70 वर्षीय बुजुर्ग महिला संतरा देवी ने बताया कि सांझी को देवी मां की संज्ञा दी जाती है जो नवरात्रों में नौ रूपों में पूजी जाती है। सांझी के निर्माण में बच्चियां अपनी बुद्धि व कौशल का परिचय देती हैं। जिस प्रकार सांझी मां के हाथ व पैरों को सजाया और संवारा जाता है। दशहरे के दिन सांझी को भोजन कराकर एक मटकी में डाला जाता है और मटकी के किनारों पर छेद करके मोमबत्ती जलाकर अंदर रख दी जाती है। छुपते छुपाते किसी जोहड़ में सांझी को बहा दिया जाता है। जब बच्चियां सांझी को जोहड़ में प्रवाहित करने ले जाती हैं तो लड़कों का समूह मटकी को छीनकर तोडऩे का प्रयास करते हैं। यहां तक कि जोहड़ में तैरती हुई मटकी को भी तोडऩे का प्रयास किया जाता है। बच्चियां सांझी को बचाने के लिए लड़कों को मीठा भोजन कराती हैं किंतु लड़के मटकी को तोड़कर ही दम लेते हैं। वर्षों से यह अनोखी परम्परा चली आ रही है।
एक अनोखी परम्परा के अनुसार सांझी के समक्ष जितने भी बच्चे एवं बच्चियां मिलकर गीत गाते हैं वे प्रतिदिन अपनी बारी के अनुसार गीत समाप्त होने के बाद बाकली या बतासे बांटते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक घर का बच्चा यह प्रसाद लाता है और बांटकर खाते हैं। सांझी को जोहड़ में प्रवाहित करने का फैसला भी सामूहिक होता है।
कनीना के राजेंद्र सिंह का कहना है कि बच्चे मिलकर खाना खिलाते हैं और मां के गुणगान करते हैं इससे धार्मिक आस्था बढ़ती है वहीं सहयोग की ताकत पैदा होती है।
दशहरे के दिन किसी जलाशय जैसे जोहड़ आदि में बच्चियां मां को प्रवाहित करने जाती हैं तो कुछ बच्चे उनकी सांझी को तोडऩे का प्रयास करते हैं। गांव के बुजुर्ग मानते हैं कि ये बच्चे उन राक्षसों का रूप होते हैं जिन्होंने मां को सताने का प्रयास किया था किंतु मां के हाथों उनका वध हो गया था। आज भी बच्चे वो ही रोल करते हैं।
फोटो कैप्शन 01 एवं 02: दीवार पर बनाई गई सांझी।
कनीना मंडी में होगा 51 फुट रावण का दहन
-श्रीराम की निकाली जाएगी शोभायात्रा
- विजयदशमी धर्म की जीत का प्रतीक- शर्मा
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कनीना की आवाज। कनीना अनाज मंडी में वर्षों की भांति इस बार भी 51 फुट ऊंचे रावण प्रतिमा का दहन होगा। उससे पूर्व विभिन्न श्रीराम से संबंधित झांकियां पूरे कस्बा में निकली जाएंगी। शाम को 7:30 बजे के करीब रावण का दहन किया जाएगा। श्रीराम अपने तीर से रावण की नाभि पर प्रहार करेंगे।
यह जानकारी देते हुए मोहित चीपू एवं मोहित जेलदार आदि ने बताया कि पूरे कनीना मंडी की ओर से यह आयोजन किया गया है। उधर पंडित ऋषिराज शर्मा एवं सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि यह अधर्म पर धर्म की हमेशा जीत होती रही है। दशहरा का पर्व भी अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इसी दिन श्रीराम ने लंका पति रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का अंत किया था। यह पर्व विजयदशमी के नाम से जाना जाता है जहां जहां रामलीला आयोजित हो रही है, वहां रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि विजयदशमी का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को करीब 1:45 से शुरू होगा। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह इस बात का प्रतीक है कि अन्य दिनों में होने वाले गलत काम सबके सामने आ जाते हैं। सत्य धर्म की हमेशा जीत रही है। इस पर्व को जहां दशहरा तथा पश्चिम बंगाल में विजयदशमी आदि नमक से जाना जाता है। गांव-गांव गली गली रावण के पुतले जलाए जाते हैं जो सिद्ध करता है कि रावण के घमंड का एक दिन अंत हो गया था। इंसान को सच के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
कनीना में मनाई अग्रसेन जयंती
-ओमप्रकाश लिसानिया ने रखे विचार
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कनीना की आवाज। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन शाखा कनीना ने सोमवार को शिवलाल धर्मशाला में अग्रसेन जयंती मनाई। इसमें दीपक जलाकर, लड्डू का भोग लगाकर, आरती करके प्रसाद वितरण किया।
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन हरियाणा प्रदेश संगठन मंत्री ओमप्रकाश लिसानिया ने महाराजा अग्रसेन की विचारधारा को विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंत्री सुरेंद्र बंसल ने की। कार्यक्रम में मनोज गुप्ता, राकेश, प्रेम सिंगला,भगवानदास, विजय जिंदल, नवीन मित्तल, योगेश अग्रवाल, योगेश वकील, जगदीश आचार्य, जगदीश फ्रूट, गणेश, विष्णु, विकास, लालाराम,शेरसिंह व रवीन्द्र आदि सभी ने पुष्प अर्पित किए।
फोटो कैप्शन 09: अग्रसेन जयंती मनाते हुए अग्रवाल समाज।
समय पर बुजुर्ग पेंशन न मिलने पर ग्रामीणों में रोष, रोष प्रदर्शन किया
--पेंशन समय पर देने की गुहार
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव बाघोत में बुजुर्गों को समय पर पेंशन न मिलने के कारण रोष है और उन्होंने रोष प्रदर्शन निकाला।
बीडीसी सदस्य महीपाल नम्बरदार ने बताया गांव बाघोत में बुढ़ापा पेंशन के लिए काफी दिनों से सही समय पर नहीं मिल रही है। डाकिया कभी 3 बजे आकर कभी आता ही नहीं है और आता है तो पेंशन सभी को नहीं देता। गांव विसियों को कई कई दिनों तक पेंशन मिलती व डाकखाना में जगह नहीं होने की वजह से बुज़ुर्ग व महिलाओं को रास्ते में बैठना पड़ता है जो कभी भी कोई हादसा हो सकता है। जल्दी ही समाधान नही हुआ तो बुजुर्ग धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
इस मौके पर बमलहरी प्रताप, भूड़ाराम, मंगतू, नाथूराम मंगतू पंच ,रामनिवास, धर्मपाल, बीरबल ,हजारी रामानंद , बनवारी ,सागर करतार सिंह, रामानंद, सुमित्रा, बनारसी श्रवण, सोहना, सन्तोष आदि सैकड़ों बुजुर्ग, लोग व महिलाएं हाजिर थी।
फोटो कैप्शन
9: बुजुर्ग पेंशन के लिए भटकते हुए।
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