पालिका प्रधान की भाभी का निधन
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कनीना। कनीना नगरपालिका के प्रधान सतीश जेलदार की भाभी कमलेश यादव का निधन हो गया। वे 63 वर्ष की थी। वे अपने पीछे दो बेटे तथा पति दमन यादव छोड़ गई है। कमलेश यादव शिवा पब्लिक स्कूल सिवाह (पानीपत) में निजी स्कूल की मुख्य अध्यापिका थी वही इनके प्रति दमन सिंह स्कूल के निदेशक हैं।
दमन सिंह का नाम समाजसेवियों में
प्रसिद्ध है। उनके अंतिम संस्कार गुरुवार को कनीना में किया गया। उनके अंतिम संस्कार में आरपीएस ग्रुप आफ स्कूल्स के निदेशक डा ओम प्रकाश यादव, कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलउदार, उप प्रधान अशोक ठेकेदार,पूर्व प्रधान नगरपालिका कनीना दिलीप सिंह, आर्य समाज प्रधान मोहर सिंह ,आर्य समाज के बलवान सिंह आर्य, मुख्याध्यापक कृष्ण प्रकाश, कप्तान भरपूर सिंह, इंजीनियर सतपाल सिंह ,आर्य समाज रसूलपुर के सतीश आर्य, मनफूल सिंह आर्य कनीना सहित विभिन्न जन मौजूद थे।
फोटो : स्व कमलेश यादव
महज 3 घंटे लगा करेगा स्कूल
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कनीना। हरियाणा के शिक्षा विभाग में हरियाणा के स्कूलों को खोलने की कवायद शुरू कर दी है। बोर्ड की परीक्षाओं और कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए 14 दिसंबर से प्रतिदिन 3 घंटे प्रात: दस बजे से दोपहर एक बजे के बीच सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूल लगेंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए राज्य सचिव हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ धर्मपाल शर्मा ने बताया नौवीं एवं 11वीं की कक्षाएं 21 दिसंबर से शुरू होंगी। इस बार विद्यालय में आने से पूर्व विद्यार्थी अपने सामान्य स्वास्थ्य जांच करवाएंगे। चिकित्सक द्वारा दिए गए पत्र के पश्चात ही स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। चिकित्सक का प्रमाण पत्र स्कूल में 72 घंटे से पुराना नहीं हो वहीं अभिभावकों की अनुमति भी जरूरी है। अध्यापक नेता ने बताया कि पूर्व की भांति स्कूलों में प्रवेश करने वाले विद्यार्थियों का ताप नोट किया जाएगा तथा सभी आंकड़े इकट्ठे किए जाएंगे। यदि ताप अधिक हो तो स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाए। विद्यार्थियों की जांच के लिए सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी सूचित कर दिया गया है।
चाइल्ड लाइन की गतिविधियों की जानकारी दी
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कनीन। चाइल्ड लाइन, महेन्द्रगढ़ के टीम सदस्य नरेंद्र कुमार,हेमन्त कुमार,राजेश कुमार व संजय कुमार ने विभिन्न गांवों में जाकर उन्हें चाइल्ड लाइन की योजनाओं,कार्यकर्मों व गतिविधियों के बारे में अवगत कराया।
टीम सदस्यों ने लोगों से मुलाकात कर उन्हें बताया कि चाइल्ड लाइन महेन्द्रगढ़ सम्पूर्ण महेन्द्रगढ़ जिले में सक्रिय रूप से अपने कार्यक्रमों व योजनाओं को संचालित कर रहा है, वही सदस्यों ने लोगों को अवगत कराया कि आपके क्षेत्र में यदि कोई बाल श्रम, बाल अपराध, बाल विवाह,बाल यौन शोषण की कोई घटना घटित होती है, तो उसकी सूचना चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर दे। चाइल्ड हेल्प लाइन महेन्द्रगढ़ की टीम हर संभव सहायता प्रदान करेगी। टीम सदस्यों ने खण्ड निजामपुर के नया गांव के सरपंच नंदलाल से मुलाकात कर, को अपनी मुलाकात के दौरान कोविड-19 के संबंध मे भी जानकारी प्रदान की तथा कोविड-19 से बचाव के उपायों पर भी विचार विमर्श किया।
फोटो कैप्शन 3: नया गांव के सरपंच नंदलाल से मुलाकात करते चाइल्ड लाइन के सदस्य।
मधुमक्खी पालन आय का बना बेहतर स्रोत
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कनीना। क्षेत्र में में मधुमक्खी पालन का धंधा शुरू हो गया है। सरसों मधुमक्खियों के लिए शहद निर्माण में अहं भूमिका निभा रही है। करीब तीन माह तक यह धंधा अच्छी आय का स्त्रोत होता है।
क्षेत्र में सड़क के किनारे ही नहीं अपितु किसी खेत में ठहरने की उचित व्यवस्था मिलते ही मधुमक्खी पालने वाले डेरा डाल देते हैं। प्रदेशी समझकर ग्रामीण परिवेश में लोग उनकी खुलकर मदद करते हैं। हरियाणा प्रदेश से ही नहीं अपितु पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि प्रांतों से लोग शहद का धंधा करने के लिए अस्थायी रूप से यहां आते हैं। पांच-सात लोगों का समूह किसी कुएं की कोठरी में डेरा डाल देते हैं और शहद निर्माण कार्य कर देते हैं। इनके पास दस-बीस बड़े पीपे होते हैं तथा इन पीपों में ये लोग शहद इक_ïा करते हैं। जहां खेत के मालिक को मधुमक्खियों से परागण क्रिया में बढ़ोतरी मिलने से पैदावार में बढ़ोतरी मिलती है वहीं इन बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।
शहद का व्यवसाय करने वाले धवन एवं देवदत्त युवकों से बताया कि चार-पांच लाख रुपये की लागत से 100-125 डब्बे लाए जाते हैं जहां मधुमक्खियां शहद इक_ïा करती हैं। चार-पांच दिनों में ही पर्याप्त शहद इक_ïा हो जाता है जिसे बड़ी-बड़ी कंपनियां खेत पर आकर खरीद ले जाती हैं। इस प्रकार लाखो रुपये की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि जब फूल कम होते हैं तो यह धंधा भी धीमा पड़ जाता है।
क्या कहते हैं वनस्पति शास्त्री-
कनीना के वनस्पति शास्त्री रवींद्र का कहना है कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय का किसान को भारी लाभ होता है क्योंकि ये मधुमक्खियां सरसों में परागण क्रिया को बढ़ावा देकर पैदावार को बेहद बढ़ाती है अत: इस व्यवसाय से किसानों को भी लाभ मिलता है।
कब आते हैं मधुमक्खी पालक-
कनीना क्षेत्र में अकसर मधुमक्खी पालन सर्दियों में आते हैं। उस वक्त सरसों पर भारी फूल खिले होते हैं और चारों ओर फूल ही फूल नजर आते हैं। ऐसे में मधुमक्खी पालक दूसरे राज्यों से यहां आते हैं और भारी मात्रा में शहद प्राप्त करके विभिन्न कंपनियों को देते हैं। यहां रहकर जहां किसानों के ट्यूबवेल पर पानी एवं खाना उन्हें उपलब्ध हो जाता है। एक ओर ये मधुमक्खी पालक किसान की सहायता कर देते हैं वहीं किसान उन्हें अन्न एवं पानी उपलब्ध करा देते हैं।
क्या कहते हैं मधुमक्खी पालक-
मधुमक्खी पालक संजन, धर्मवीर, चेतन, राकेश ने बताया कि तेीन माह तक ये मधुमक्खियां खूब शहद बनाती हैं फिर कोई शहद नहीं बना पाएंगी और उन्हें भोजन के लिए भी चीनी का घोल देना पड़ रहा है। इसके बाद उत्तरप्रदेश राज्य में कई स्थानों पर तारामीरा नामक तिलहन पर फूल आ जाते हैं और मौसम भी खुश्क नहीं होता है जिसके चलते ये फिर से शहद बनाने लग जाती हैं। इस वक्त उन्हें कृत्रिम भोजन जिसमें चीनी का घोल प्रमुख रूप से दिया जा रहा है।
जिला उद्यान अधिकारी-
डा मंदीप यादव जिला उद्यान अधिकारी का कहना है कि जिला महेंद्रगढ़ में मुडायन, सिलारपुर, छाजियावास, बाघोत, बाछोद आदि गांवो ंमें किसान मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं। करीब 50 किसान वर्तमान में यह काम कर रहे हैं। उनका शहद 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिक जाता है। इसके उपकरणों पर सरकार 85 फीसदी अनुदान देती है। कुरुक्षेत्र के रामनगर में भारत का सबसे बड़ा मधुमक्खी पालन केंद्र केंद्र है जहां ट्रेनिंग,उपकरण आदि दिये जाते हैं। इंडो इजराइल के सहयोग से यह केंद्र चल रहा है। किसान तीन माह में 6 से 7 बार शहद प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि शहद जमने का अर्थ यह नहीं है कि खराब है अपितु सरसों का शहद जम ही जाता है।
फोटो कैप्शन 5: शहद के डब्बों को निहारते मधुमक्खी पालक।
चाइल्ड लाइन की गतिविधियों की जानकारी दी
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कनीन। चाइल्ड लाइन, महेन्द्रगढ़ के टीम सदस्य नरेंद्र कुमार,हेमन्त कुमार,राजेश कुमार व संजय कुमार ने विभिन्न गांवों में जाकर उन्हें चाइल्ड लाइन की योजनाओं,कार्यकर्मों व गतिविधियों के बारे में अवगत कराया।
टीम सदस्यों ने लोगों से मुलाकात कर उन्हें बताया कि चाइल्ड लाइन महेन्द्रगढ़ सम्पूर्ण महेन्द्रगढ़ जिले में सक्रिय रूप से अपने कार्यक्रमों व योजनाओं को संचालित कर रहा है, वही सदस्यों ने लोगों को अवगत कराया कि आपके क्षेत्र में यदि कोई बाल श्रम, बाल अपराध, बाल विवाह,बाल यौन शोषण की कोई घटना घटित होती है, तो उसकी सूचना चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर दे। चाइल्ड हेल्प लाइन महेन्द्रगढ़ की टीम हर संभव सहायता प्रदान करेगी। टीम सदस्यों ने खण्ड निजामपुर के नया गांव के सरपंच नंदलाल से मुलाकात कर, को अपनी मुलाकात के दौरान कोविड-19 के संबंध मे भी जानकारी प्रदान की तथा कोविड-19 से बचाव के उपायों पर भी विचार विमर्श किया।
फोटो कैप्शन 3: नया गांव के सरपंच नंदलाल से मुलाकात करते चाइल्ड लाइन के सदस्य।
मधुमक्खी पालन आय का बना बेहतर स्रोत
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कनीना। क्षेत्र में में मधुमक्खी पालन का धंधा शुरू हो गया है। सरसों मधुमक्खियों के लिए शहद निर्माण में अहं भूमिका निभा रही है। करीब तीन माह तक यह धंधा अच्छी आय का स्त्रोत होता है।
क्षेत्र में सड़क के किनारे ही नहीं अपितु किसी खेत में ठहरने की उचित व्यवस्था मिलते ही मधुमक्खी पालने वाले डेरा डाल देते हैं। प्रदेशी समझकर ग्रामीण परिवेश में लोग उनकी खुलकर मदद करते हैं। हरियाणा प्रदेश से ही नहीं अपितु पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि प्रांतों से लोग शहद का धंधा करने के लिए अस्थायी रूप से यहां आते हैं। पांच-सात लोगों का समूह किसी कुएं की कोठरी में डेरा डाल देते हैं और शहद निर्माण कार्य कर देते हैं। इनके पास दस-बीस बड़े पीपे होते हैं तथा इन पीपों में ये लोग शहद इक_ïा करते हैं। जहां खेत के मालिक को मधुमक्खियों से परागण क्रिया में बढ़ोतरी मिलने से पैदावार में बढ़ोतरी मिलती है वहीं इन बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।
शहद का व्यवसाय करने वाले धवन एवं देवदत्त युवकों से बताया कि चार-पांच लाख रुपये की लागत से 100-125 डब्बे लाए जाते हैं जहां मधुमक्खियां शहद इक_ïा करती हैं। चार-पांच दिनों में ही पर्याप्त शहद इक_ïा हो जाता है जिसे बड़ी-बड़ी कंपनियां खेत पर आकर खरीद ले जाती हैं। इस प्रकार लाखो रुपये की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि जब फूल कम होते हैं तो यह धंधा भी धीमा पड़ जाता है।
क्या कहते हैं वनस्पति शास्त्री-
कनीना के वनस्पति शास्त्री रवींद्र का कहना है कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय का किसान को भारी लाभ होता है क्योंकि ये मधुमक्खियां सरसों में परागण क्रिया को बढ़ावा देकर पैदावार को बेहद बढ़ाती है अत: इस व्यवसाय से किसानों को भी लाभ मिलता है।
कब आते हैं मधुमक्खी पालक-
कनीना क्षेत्र में अकसर मधुमक्खी पालन सर्दियों में आते हैं। उस वक्त सरसों पर भारी फूल खिले होते हैं और चारों ओर फूल ही फूल नजर आते हैं। ऐसे में मधुमक्खी पालक दूसरे राज्यों से यहां आते हैं और भारी मात्रा में शहद प्राप्त करके विभिन्न कंपनियों को देते हैं। यहां रहकर जहां किसानों के ट्यूबवेल पर पानी एवं खाना उन्हें उपलब्ध हो जाता है। एक ओर ये मधुमक्खी पालक किसान की सहायता कर देते हैं वहीं किसान उन्हें अन्न एवं पानी उपलब्ध करा देते हैं।
क्या कहते हैं मधुमक्खी पालक-
मधुमक्खी पालक संजन, धर्मवीर, चेतन, राकेश ने बताया कि तेीन माह तक ये मधुमक्खियां खूब शहद बनाती हैं फिर कोई शहद नहीं बना पाएंगी और उन्हें भोजन के लिए भी चीनी का घोल देना पड़ रहा है। इसके बाद उत्तरप्रदेश राज्य में कई स्थानों पर तारामीरा नामक तिलहन पर फूल आ जाते हैं और मौसम भी खुश्क नहीं होता है जिसके चलते ये फिर से शहद बनाने लग जाती हैं। इस वक्त उन्हें कृत्रिम भोजन जिसमें चीनी का घोल प्रमुख रूप से दिया जा रहा है।
जिला उद्यान अधिकारी-
डा मंदीप यादव जिला उद्यान अधिकारी का कहना है कि जिला महेंद्रगढ़ में मुडायन, सिलारपुर, छाजियावास, बाघोत, बाछोद आदि गांवो ंमें किसान मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं। करीब 50 किसान वर्तमान में यह काम कर रहे हैं। उनका शहद 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिक जाता है। इसके उपकरणों पर सरकार 85 फीसदी अनुदान देती है। कुरुक्षेत्र के रामनगर में भारत का सबसे बड़ा मधुमक्खी पालन केंद्र केंद्र है जहां ट्रेनिंग,उपकरण आदि दिये जाते हैं। इंडो इजराइल के सहयोग से यह केंद्र चल रहा है। किसान तीन माह में 6 से 7 बार शहद प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि शहद जमने का अर्थ यह नहीं है कि खराब है अपितु सरसों का शहद जम ही जाता है।
फोटो कैप्शन 5: शहद के डब्बों को निहारते मधुमक्खी पालक।
गले की फांस बन गये हैं परिवार पहचान पत्र
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कनीना। परिवार पहचान पत्र बनाना विशेष कर शिक्षकों के लिए गले की फांस बन गए हैं। एक और सरकार ने विभिन्न विभिन्न एजेंसियों द्वारा भी परिवार पहचान पत्र बनाए जाने का सिलसिला जारी है, वही कोरोना काल में जहां बच्चे और अभिभावक आराम से घरों में बैठे हुए हैं, उन्हें किसी प्रकार की परिवार पहचान पत्र बनाए जाने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है।
बार बार फोन करके शिक्षक अभिभावकों को बुलाते किंतु अभिभावक नहीं आते। शिक्षकों ने बताया की एक और प्रशासन का डंडा शिक्षकों पर है, शिक्षक कोरोना काल में घर से बाहर नहीं आना चाहते क्योंकि उनके पास कोरोना से बचने की कोई विशेष सुविधा ही नहीं मिली हुई है। उस पर घर घर जाकर परिवार पहचान पत्र बनाए जाने का काम मजबूरी बन गई है। शिक्षकों ने बताया कि अभिभावकों को फोन किया जाता है तो फोन का कोई उत्तर देते या फिर परिवार पहचान पत्र नाम सुनकर यह कहते हुये भी नहीं हिचकिचाते कि फोन नंबर गलत है। अभिभावकों की दो बार आवश्यकता होती है। एक बार आंकड़े अपलोड किए जाते हैं, उनकी प्रिंट लेकर फिर से हस्ताक्षर करवा कर अपलोड करने पर ही फाइनल अंतिम सबमिट माना जाता है।
शिक्षक मजबूरी वश प्रलोभन देकर कि उन्हें स्कूल में बुला रहे हैं किंतु वे फिर भी नहीं आते। शिक्षकों ने बताया मिड डे मील का राशन मिलने संबंधित सूचना दी जाती है तो कुछ अभिभावक चल कर आते हैं। शिक्षकों ने और स्कूलों ने ग्रुप बना रखे हैं। उन्होंने बताया कि जिस ग्रुप में पढ़ाई से संबंधित जानकारी प्रेषित की जाती है इस ग्रुप में परिवार पहचान पत्र की जानकारी जुटाई जाती है तो भी अभिभावक अनसुना कर देते हैं। शिक्षक भी खूब समझाते हैं कि इसके बगैर कोई सुविधा नहीं दी जाएगी। यही नहीं कुछ अभिभावक तो कोरोना की वजह से दूसरे जिलों एवं राज्यों में चले गए। कुछ दूसरे राज्य से संबंध रखते थे वह भी अपने राज्य को लौट गए हैं लौटकर नहीं आए हैं। यही कारण है क्या उनकी पहचान पत्र भी बनाए जाना कठिन कार्य है। कहने को तो शिक्षकों के अवकाश है किंतु शायद ही कोई ऐसा दिन हो जिस दिन उन्होंने स्कूल में जाकर काम नहीं करना पड़ता हो। कोरोना की मार पहले भी झेल चुके हैं और फिर से शिक्षक गली-गली व स्कूल आदि जा रहे हैं जिसके चलते फिर से कोरोना संक्रमण फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता। जहां शिक्षकों पर मुखियों का तो मुखियों पर उच्च अधिकारियों का डंडा होता है कि परिवार पहचान पत्र बनाओ। यही कारण है कि परिवार पहचान पत्रों को जल्दी जल्दी अपलोड करवाया जा रहा है जिनमें कमियां होने की ज्यादा संभावना बनती जा रही है।
कनीना में एक बेटी -एक पौधा मिशन के तहत पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन
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कनीना। सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब ने क्लब सदस्या प्रियंका प्रजापत के जन्मदिवस अवसर पर कान्हाजी स्कूल प्रांगण कनीना में एक बेटी -एक पौधा मिशन के तहत पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन कर समाज को बेटी बचाओ-पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया।
बीएमडी क्लब चेयरमैन लक्की सिगड़ा ने कहा कि पौधारोपण कर मनाया गया बेटी का जन्म दिवस जिन्दगी के लिए यादगार पल बनेगा और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में अहम योगदान रहेगा। पौधेरोपण एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं है बल्कि यह पर्यावरण संस्कार है। बेटी के जन्म पर भी समाज में फैली गलत धारणाओं को मिटाकर हम एक सुदृढ़ समाज व सकारात्मक सोच के साथ जीवन व्यतीत कर सकते है। जिस प्रकार बेटी ही समाज के उत्थान का कारण बन सकती हैं। उसी प्रकार बिना पेड़-पौधों के हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अपने जन्मदिवस पर तो अवश्य पौधरोपण कर प्रकृति को उपहार देना चाहिए। इस प्रकार की गतिविधियों से हम समाज को बेटी बचाओ और प्रकृति संरक्षण दोनों का ही संदेश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। हमारा कत्र्तव्य बनता है कि हम पर्यावरण की रक्षा करे। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों व खुद के जन्मदिन पर पेड़ लगाए तो पर्यावरण में सुधार हो जाएगा। इस मौके पर बीएमडी क्लब सचिव इंद्रजीत शर्मा,कर्मपाल,रोनिका यादव ने इस संदेशात्मक कार्यक्रम में पौधरोपण कर मिशन को आगे बढ़ाया।
फोटो कैप्शन 1:लड़की के जन्म दिन पर कनीना कान्हाजी पार्क में पौधारोपण करते हुए इंद्रजीत सिंह एवं लक्की सिंगड़ा।
बाघोत में 31 दिसंबर से होगी तीन दिवसीय
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**************** कनीना। उपमंडल के गांव बाघोत में 21 से 23 दिसंबर को तीन दिवसीय क्रिकेट में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। खेल प्रतियोगिता के आयोजन करता संदीप गुर्जर वह हरीश गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि एक दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन 21 से 23 दिसंबर तक किया जाएगा। कोविड़ 19 के चलते क्रिकेट प्रेमियों को दो गज दूरी और मास्क पहनने के लिए दिशा निर्देश दिए जाएंगे। इस दौरान तीन दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रथम इनाम 21000 द्वितीय इनाम 11000 दी जाएगी।
आयोजकों ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि सभी खिलाड़ी अपना आधार कार्ड अवश्य लेकर आए वरना खेल प्रतियोगिता में शामिल नहीं होने दिया जाएगा।
11 दिसंबर से 4 माह तक रहेंगी शादियां बंद
-पहले मलमास तत्पश्चात गुरु तारा अस्त होना इसका कारण बना
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कनीना। कनीना यूं तो कोरोना काल के दृष्टिगत ऐतिहात के सभी नियमों में बंध कर भारी शादियां चली। 25 नवंबर को कार्तिक मास शुक्ल एकादशी से विवाह मुहूर्त शुरू हुए थे जो 11 दिसंबर तक चलेंगी। तत्पश्चात 31 दिसंबर से मलमास शुरू होगा जो 28 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान कोई शादी नहीं होगी। उस पर 17 जनवरी को 2021 को फिर से गुरु तारा अस्त हो जाएगा जिसके चलते 14 फरवरी 2021 को तारा उदय होने पर फिर से विवाह मुहूर्त निकलेंगे। तत्पश्चात इक्का-दुक्का शादी बिना मुहूर्त जरूर होंगी।
समस्त जानकारी देते हुए सुरेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 27 फरवरी को होली का डांडा लग जाएगा जो 28 मार्च तक चलेगा। 25 अप्रैल 2021 फिर से शादी होगी। इस बार कोरोना काल के दृष्टिगत त्वरित गति से शादियां की गई हैं। एक-एक दिन में कई कई विवाह शादियां चली। उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के दिन यहां तक कि 14 जनवरी मकर संक्रांति को भी कुछ लोग शादियां कर लेते हैं लेकिन मुहूर्त नहीं बन रहा है।
अब देखा जाना है 25 अप्रैल तक कोरोना से छुटकारा मिल पाता है या फिर से कोरोना की मार में शादी या फिर से शुरू होंगी।
बर्खास्त पीटीआई के चेहरों पर मुस्कान लौटी
-शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए काउंसलिंग हुई शुरू
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कनीना। हरियाणा सरकार ने कोर्ट के आदेशों के चलते 1980 पीटीआई बर्खासत कर दिये थे। जहां करीब 6 माह पहले बर्खास्त किये पीटीआई का लंबे समय तक संघर्ष जारी रहा। आखिरकार उन्हें सरकार के शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनके आवश्यक कागजात तसदीकीकरण,काउंसलिंग आदि शुरू हो गई है जिसके चलते उनके चेहरे पर मुस्कान लौट कआई है।
पीटीआई जोगेंद्र सिंह, मनीष कुमार, सुनील कुमार, रघुवीर सिंह, संतोष कुमार, सुरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि अभी तक उन्हें यह स्पष्ट नहीं था कि उन्हें समायोजित किया जाएगा या नहीं किंतु उनके काउंसलिंग शुरू होने और उनके कागजात जांच करने की कार्रवाई शुरू होने से अब उन्हें विश्वास हो गया है कि उनकी छीनी हुई रोटी रोजी फिर से बहाल होने जा रही है। जिला महेंद्रगढ़ के 89 बर्खास्त पीटीआई को जिले में ही समायोजित किया जाएगा बाकी कुछ दूसरे जिलों में भी जाएंगे। उन्होंने बताया करीब 1 माह पहले आनलाइन आवेदन मांगे थे, स्टेशन भी भरवा दिए गए थे। काउंसलिंग शुरू होनी बाकी थी। अब काउंसलिंग शुरू हो गई है। अब तक बर्खास्त पीटीआई घुट घुट कर जी रहे थे।वर्तमान में पीटीआई एवं उनके परिवार सरकार का आभार व्यक्त कर रहे हैं कि उन्हें आखिरकार समायोजित किया जा रहा है। कुछ बर्खास्त पीटीआई तो ऐसे थे कि अपनी रोटी रोजी कमाने के लिए पशु पालने तक का ही धंधा शुरू कर दिया था। उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की बेहतरीन पहल है।
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