घटती ही जा रही है सरसों, गेहूं एवं चने की खेती
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कनीना। कनीना क्षेत्र में गेहूं, सरसों एवं चने की खेती घटती ही जा रही है। इस बार विगत वर्ष की तुलना में कम उगाये हैं किंतु भरसक प्रयासों के बावजूद भी चने की खेती नहीं बढ़ पा रही है। सरकार द्वारा किसानों को सरसों के बेहतर दाम दिए जाने के चलते सरसों की फसल की तरफ बढ़ा था किंतु स्कूल, कालेज, मैरिज प्लेस बनाये जाने, बागवानी की ओर रुझान होने के चलते कृषि योग्य भूमि घटती ही जा रही है। इस वर्ष क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई 400 हेक्टेयर पर कम की गई है। वहीं क्षेत्र में गेहूं व चने की बिजाई में गिरावट दर्ज की गई है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल तो सरसों का 4625 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज ने बताया कि ने बताया कि खंड में 2018 में करीब 19300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की फसल की बिजाई की गई थी जो वर्ष 2019 में 19950 हेक्टेयर तो 2020 में 19500 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। गेहूं की पैदावार 2018 में 11020 हेक्टेयर पर, वर्ष 2019 में 10405 हेक्टेयर तो 2020 में 10200 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। चना वर्ष 2018 में 50 हेक्टेयर, 2019 में 40 हेक्टेयर तो 2020 में 15 हेक्टेयर पर उगाया गया है।
चने लड़ा रहा अस्तित्व की लड़ाई-
करीब 20 वर्ष पहले किसानों का चना उगाने में बहुत उत्साह दिखाता था किंतु अब चने उगाना ही भूल गये हैं। चने को उगाने पर पैदावार नहीं दे पा रहा है। बरानी भूमि अभाव चने की पैदावार में रोड़ा बन गया है।
कनीना के दीपचंद ने विगत वर्ष एक एकड़ में चने उगाए थे। किसान राजेंद्र सिंह, मा रविंद्र सिंह भी थोड़े से भूभाग पर चने उगाते हैं। रामानंद यादव ने बताया कि वे अब भी बेहतर चने की पैदावार ले लेते हैं। वे कई वर्षों से चने की खेती करते आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 3: चने की खेती से चने का साग तोड़ता किसान।
राष्ट्रीय लोक अदालत कनीना में रखे गए 47 केसों में से 10 का हुआ निपटारा
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कनीना। कनीना न्यायिक परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रतीक जैन चेयरमैन सब डिविजनल लीगल सर्विस कमेटी कनीना ने की।
राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को कुल 47 केस रखे गए जिनमें से 10 केसों का निपटारा किया गया व बैंक केस में 43,000 रुपये की रिकवरी भी की गई। जिसमें प्री-लिटिगेटिव केस जो कि बैंक रिकवरी के होते हैं उनमें से टोटल 64 केस लगाए । जिनमें से 3 का निपटारा हुआ से 43 हजार रुपये की रिकवरी हुई। वहीं कोर्ट के रेगुलर केसों में 47 केस लोक अदालत में रखें गए। जिनमें से 10 केसों का निपटान हुआ। बैंक रिकवरी के नौ के रखे गए जिनमें से एक का निपटारा हुआ। चेक बाउंस मामले में 23 केस रखे गए थे जिनमें तीन का निपटारा हुआ। सिविल केस दिवानी व अन्य 15 केस रखे थे जिसमें छह का निपटारा हुआ। इस मौके पर अधिवक्ता अखिल अग्रवाल, अधिवक्ता मीनाक्षी यादव, अधिवक्ता नरेश यादव, अधिवक्ता निहाल सिंह खटाना, अधिवक्ता सतीश करीरा, अधिवक्ता अनिल कुमार बंसल, कोर्ट स्टाफ नीरज शर्मा नाजिर सहित अन्य मौजूद रहे ।
फोटो कैप्शन 5:प्रतीक जैन चेयरमैन सब डिविजनल लीगल सर्विस कमेटी कनीना लोक अदालत में केसों की सुनवाई करते हुये।
कनीना क्षेत्र में आज दो कोरोना संक्रमित मिले
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कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना के दो संक्रमित केस मिले हैं। दोनों का 10 दिसंबर को सैंपल लिया था और शनिवार को उनकी कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हो गई है।
प्राप्त विवरण अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेहलंग के तहत स्याणा गांव का 72 वर्षीय पुरुष कोरोना संक्रमित मिला है वहीं भोजावास पीएचसी के तहत कोका गांव का 61 वर्षीय पुरुष भी कोरोना संक्रमित पाया गया है। दोनों की आगामी कार्रवाई करते हुये होम आइसोलेट कर दिया है। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमित मामले खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
उधर एसएमओ मां डा धर्मेंद्र यादव ने सावधानी और बचाव करने पर बल दिया उन्होंने कहा कि लोग मास्क प्रयोग नहीं कर रहे और सावधानी नहीं बरत रहे हैं जिसके चलते कोरोना होने का भय बढ़ रहा है। उन्होंने ऐतिहात के सभी नियमों का पालन करने पर बल दिया। उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में स्कूल कालेज खुले तथा विवाह शादियां शुरू हुई कोरोना के बढ़े थे। अब एक बार फिर से स्कूल कालेज बंद है तथा विवाह शादियां लगभग बंद हो चुकी है जिसके चलते कोरोना केस घटने की प्रबल संभावना है।
जिम्मेदारी से भाग रहे हैं दूर-
लोग अब अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे हैं। कोरोना को भूलकर सरेआम सड़कों पर बिना मास्क के घूम रहे हैं। किसी भी संस्थान कार्यालय आदि में जाकर देखें तो अधिकांश लोग मास्क प्रयोग नहीं कर रहे हैं। जो मास्क प्रयोग कर रहे हैं वह भी इसको बार-बार हटा लेते हैं। उधर डाक्टर एवं वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार मास्क प्रयोग करने से कोरोना जैसी बीमारी से बचाव हो सकता है। वैसे भी प्रदूषण बढऩे से मास्क लगाना बहुत जरूरी है ताकि कुछ राहत मिल सके।
युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा एसडीजी कार्यक्रम -महेंद्र कुमार
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कनीना। सामाजिक संस्था बीएमडी क्लब और आदर्श युवा क्लब आनावास द्वारा यूएन वालंटियर के सहयोग से गांव आनावास में सयुक्त राष्ट्र संघ के एजेड़ा 2030 के 17 सतत विकास के लक्ष्यों के बारे में जागरूक करने के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया । एसडीजी वालंटियर कर्मपाल ने गाव में पहुंचकर मिशन को आगे बढ़ाने में युवाओं से अपील की। सतत विकास लक्ष्यों में गरीबी खत्म करना ,पर्यावरण की रक्षा,आर्थिक असमानता को कम करना और शांति व न्याय सुनिश्चित करना शामिल है। जिला युवा समन्यवक महेन्द्र कुमार नायक ने बताया कि सुयंक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास के लक्ष्यों को 2030 तक लागू करने में युवाओं द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है। युवा इस नए एसडीजी विकास कार्यक्रम के मशाल धारक है।
बीएमडी क्लब के चेयरमैन लक्की यादव एवं सचिव इंद्रजीत शर्मा ने एजेंडे की सार्वभौमिकता पर बल दिया और जोर देकर कहा कि युवाओं को सतत विकास का हिस्सा होना चाहिए । एसडीजी एजेंडा के पीछे की हमारी सोच जितनी ऊंची है हमारे लक्ष्य भी उतने ही समग्र है। आदर्श क्लब के प्रधान अंकित यादव ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों मे ं हर युवा का हिस्सा होना जरूरी है। इसमे जलवायु परिवर्तन ,आर्थिक असमानता, नवाचार, टिकाऊ उपयोग, शांति और न्याय जैसे नए विषय जोड़े गए है। वालंटियर कर्मपाल ने सामाजिक गतिविधियों को मजबूत बनाने पर अपने विचार रखे । सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली, शिक्षा, लैंगिक समानता, जल एवं स्वच्छता, बुनियादी सुविधाएं, उधोग व नवाचार, असमानताओं मे कमी , संवहनीय शहर, उपयोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्यवाही, शांति व न्याय जैसे भागीदारी सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य किया जाएगा । इस अवसर पर युवा क्लब के सदस्य नरेश ,पृथ्वी, नवीन कुमार, विकास, मंजीत, मोहित, अंकित, कमल एवं सचिन सहित अन्य युवा उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 3: आनावास शिविर में शामिल युवा।
अति कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं गाडिय़ा लुहार
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कनीना। वर्तमान में गाडिय़ा लुहार अति कठिन जीवन जी रहे हैं। किसी वक्त राजस्थान के मेवाड़ में महाराणा प्रताप की सेना में गाडिय़ा लुहार के पूर्वज लुहार का काम करते थे। आज उनके वंशज कठिन जीवन जी रहे हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात में अपनी झोपड़ी में रहने वाले इन लोगों का अब कृषि उपकरण बनाने का धंधा भी चौपट हो गया है। अब तो इनके पास न तो स्थायी आवास उपलब्ध हैं और न इनको दो जून खाने के लिए रोटी ही उपलब्ध हैं।
कनीना क्षेत्र के आस पास गाडिय़ा लुहार कठिन जीवन जी रहे हैं। जब आधुनिक मशीनों से कृषि के उपकरण नहीं बनते थे उस वक्त गाडिय़ा लुहारों के पास कृषि उपकरण बनाने तथा बनाकर बेचने का बेहतर रोजगार होता था किंतु विज्ञान के सामने इनकी कोई नहीं चल पाई है और बेचारे कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां तक कि ये लुहार कभी भीख नहीं मांगते थे किंतु अब पेट की भूख ने उन्हें भीख तक मांगने को मजबूर कर दिया है। उनके पास स्थायी आवास नहीं है और जहां कहीं भी अधिक दिनों तक ठहरते वहां से उन्हें खदेड़ दिया जाता है। सर्दी हो या गर्मी इनको विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करना पड़ता है। आलम यह है कि अब उनके भूखों मरने की नौबत आ गई है और जराइम पेशा करने को मजबूर हो सकते हैं।
गाडिय़ा लुहारों की सबसे खूबी यह है कि मिलकर रहना और खाना। ये लोग जो कुछ रोटी रूखी सूखी मिल जाती है उसे आपस में बांटकर खाते हैं। रोटी को जब तक नहीं खाते तब तक उन्हें सुनिश्चित न हो जाए कि सभी को रोटी मिल गई है चाहे एक एक टुकड़ा ही मिला हो। बार बार सरकार से उन्हें स्थायी प्लाट देने एवं रोजगार का प्रबंध करने की बात उठती है किंतु अभी तक सरकार का ध्यान भी नहीं गया है।
क्या कहते हैं इतिहासकार-
इतिहासकार राजेश कुमार का कहना है कि
जब महाराणा प्रताप 1576 में अकबर के विरुद्ध हल्दीघाटी का युद्ध किया था उस वक्त उनकी सेना में गाडिय़ा लुहारों के पूर्वज हथियार बनाने का काम करते थे। जब महाराणा प्रताप की हार हो गई थी तो बताया जाता है कि इन्होंने अपनी चारपाई को उल्टा रखकर वतन इस शर्त पर छोड़ा था कि जब तक राणा का सम्मान एवं साम्राज्य नहीं लौट पाएगा तब तक वे अपने वतन को नहीं लौटेंगे। ऐसे में जहां भी पड़ाव मिला वे रहते हैं और कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करते आ रहे हैं।
क्या करते हैं गाडिय़ा लोहार-
कनीना में गाडिय़ा लोहार सुरता, इंदिरा, अंशु, शीला, उमराव, रामावतार, महिमा, कालिया, मंजू, निशा, सत्यवीर, मुकेश आदि ने बताया कि उनके लिए कोई स्थायी आवास नहीं होता। वे इधर-उधर घूमते रहते हैं । उनकी मजबूरी है कृषि के उपकरण बेचने के लिए गांव में निकलते हैं तो कोई उनके उपकरण नहीं लेते। यहां तक कि उन्होंने बताया कि उनके लिए ने पेयजल एवं प्रकाश व्यवस्था नहीं मिलती है। यहां तक कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं बनाई जाती जिसके कारण उनका जीवन यापन बहुत कठिन हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे अब मजबूरी में बाजार से खरीदे हुए कृषि के उपकरण बेचने के लिए गांव गांव ले जाते ले जाते हैं। पहले कभी भी अपने हाथों से बनाते थे किंतु अब हाथ के उपकरण कोई खरीदने वाला नहीं है।
सर्दी, गर्मी या बरसात हर समय यह गांव से बाहर अपनी झोपड़ पट्टी में रहते हैं। उनके पास न कोई सुविधा होती है और ना ही अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा पाते हैं। उनको लोग बुरी नजर से देखते हैं। सरकार अगर कोई सहायता दे तो वह आधुनिक मशीन दे तो कृषि के कारण बना सकते हैं। आधुनिक मशीनों द्वारा कृषि के उपकरण बना सकते हैं और बेचकर गुजर-बसर कर सकते हैं लेकिन ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है। बहुत सो ने तो अब राशनकार्ड, बैंक खाता, वोटर कार्ड भी बनवा लिये हैं और सभी सुविधाओं की मांग करने लगे हैं।
फोटो कैप्शन 4: कनीना में गाडिय़ा लुहार अपनी समस्या बताते हुए।
5: कनीना के गाडिय़ा लुहार कृषि उपकरण बनाते हुये।
मौत अटल सत्य है-सीताराम यादव
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,कनीना। मौत एक अटल सत्य है। यहै निश्चित रूप से आनी है। इंसान को उसकी मृत्यु के बाद उसके सत्कर्मों से जाना जाता है। पापी नरक का भागी होता है तथा पुण्य आत्मा स्वर्ग में वास करती है। ये विचार अटेली विधायक सीताराम यादव ने कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार की भाभी कमलेश यादव के निधन पर परिजनों को सांत्वना देते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि सभी को एक ना एक दिन भगवान के घर जाना होगा। ऐसे में गम नहीं करके ईश्वर का ध्यान देना चाहिए ताकि दिवंगत आत्मा को शांति मिल सके और भगवान के चरणों में उस जीव का वास हो। उन्होंने परिजनों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। इस मौके पर विधायक दान सिंह, सुरेश प्रधान सुंदराह, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सत्यनारायण, पार्षद दलीप सिंह, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष कंवरसेन वशिष्ठ, दयाराम यादव आदि ने भी शोक जताया।
नए वोट बनाए गये
-सभी बीएलओ अपने बूथों पर 13 दिसंबर को भी रहेंगे
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कनीना। चुनाव आयोग के आदेश अनुसार एक जनवरी 2021 को 18 वर्ष आयु आधार मानते हुए कनीना के 11 बूथों पर शनिवार को वोट बनाने का काम चला। रविवार को भी बूथों पर बीएलओ मिलेंगे। विधानसभा/लोकसभा सूचि में नये वोट जोड़े जाएंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सुनील कुमार, सुशील, राजेश कुमार, लाजपत बीएलओ ने बताया कि जिनकी उम्र 18 वर्ष उन्होंने विभिन्न बूथों पर दो दिनों तक वोट बनाए जा रहे हैं। नवंबर माह में भी 28 व 29 नवंबर दो दिनों तक वोट बनाये गये थे। अब यह दूसरा दौर है।
बीएलओ ने बताया कि प्रथम जनवरी 2021 को आधार मानते हुए जिन युवाओं की उम्र 18 वर्ष हो गई हैं उनके नए वोट बनाए जा रहे हैं। रविवार को वोट बनवाए।
विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वोट बनाने के अलावा शुद्धीकरण, वोट शिफ्टिंग का कार्य भी किया गया है। नया वोट बनवाने के लिए फार्म नंबर 6, कटवाने के लिए फार्म नंबर 7, शुद्धिकरण के लिए फार्म 8 भरा जाएगा। उल्लेखनीय है कि कनीना, अटेली विधानसभा के तहत आता है। विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न मतदाता जिनकी उम्र 18 वर्ष हो गई है अपना वोट बनवाने के लिए निर्धारित फार्म भरकर जमा करने आए। वोट बनवाने के लिए युवा वर्ग में जोश देखने को मिला।
कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सहित विभिन्न 13 बूथों के वोट बनाने का कार्य रविवार तक चलेगा।
फोटो कैप्शन 1 : राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में वोट बनाते हुए बीएलओ।
दिनभर सूर्यदेव करते रहे लुक्का छिपी
-शुक्रवार रात को हुई बूंदाबांदी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में शुक्रवार दिनभर सूरज के दर्शन नहीं हुये। आसमान पर बादल छाये रहे तत्पश्चात रात के समय बूंदाबांदी हुई जिससे किसान प्रसन्न नजर आये। ठंड भी बढ़ गई है।
विगत लंबे समय के बाद मौसम में बदलाव के बाद किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। शुक्रवार की रात को बूंदाबांदी हुई किंतु अच्छी बारिश नहीं हुई। दो दिनों से मौसम में बदलाव आया है। हल्की बूंदाबांदी भी फसल के लिए लाभकारी साबित होगीै। किसान कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार, महेंद्र कुमार आदि ने बताया कि बारिश होने पर सर्दी एवं धुंध होगी जो फसलों के लिए लाभकारी मानी जाती है। वर्ष 2018 एवं 2019 में भी दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में सर्दी की पहली बारिश हुई थी।
शुक्रवार को दिनभर सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए हैं। इस वर्ष धुंध पडऩे का सिलसिला अभी तक शुरू नहीं हुआ है। सुबह सवेरे हल्की धुंध रहती है। विगत वर्ष नवंबर में धुंध पड़ी थी किंतु इस वर्ष करीब आधे दिसंबर जाने के बाद ही धुंध एवं सर्दी ने दस्तक नहीं दी है।
फोटो कैप्शन 7: कनीना क्षेत्र में आसमान पर छाये बादल।
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