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Wednesday, December 9, 2020

 


भारत विकास परिषद के सदस्य की मृत्यु पर आयोजित की शोक सभा 

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कनीना। बुधवार को नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना मे भारत विकास परिषद् शाखा कनीना के सदस्यों ने शोक सभा आयोजित की। परिषद के सदस्य रामेश्वर यादव के अकस्मात निधन पर एक शोक सभा आयोजित की करके दो मिनट का मौन रखा गया।
इस मौके पर क्लब प्रधान मा कृष्ण सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामेश्वर यादव एक ईमानदार पढ़ा लिखा समाजसेवी व्यक्ति था।  उसकी कमी हमें हमेशा खलती रहेगी। प्रधान कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि रामेश्वर यादव अपने पीछे दो पुत्र व पत्नी सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। मोहन सिंह पार्षद ने बताया स्व.रामेश्वर दानशील व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। इस मौके पर उपस्थित गजराज सिंह, धनपत, मोहन सिंह पार्षद, दलीप पार्षद, देशराज, महेश बोहरा, ओमप्रकाश,सोनू, जयप्रकाश, हरिराम मित्तल, विनय एडवोकेट, सीताराम, अभिषेक भारद्वाज, सुरेन्द्र प्रवक्ता, सुरेन्द्र, सरिता भारद्वाज, ऊषा जांगड़ा शहीद परिषद के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 1: नेताजी मेमोरियल क्लब में मौन व्यक्त करते भारत विकास परिषद पदाधिकारी।

 आरोपित की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शिकायत पहुंची सीएम विंडो पर 

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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव गाहड़ा निवासी सज्जन सिंह पुत्र रामस्वरूप ने बुधवार को सीएम विंडो में शिकायत दर्ज कर आरोपितों को की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने यहां बताया की कनीना पुलिस ने मुकदमा नंबर 381 विभिन्न धाराओं के तहत 20 अक्टूबर 2020 को शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया था लेकिन आरोपित की गिरफ्तारी नहीं की है।
 क्या है मसला-
 सज्जन सिंह ने बताया कि उनके फोन नंबर 94 16382371 तथा 89308 6894 पर बार-बार कुछ नंबरों से फोन आते हैं और उन्हें जान से मारने की धमकी देता है। पीडि़त ने सज्जन सिंह ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि कुछ फोन नंबरों से उन्हें उनसे पांच लाख रुपये की फिरौती की मांग की जा रही है। और धमकी देने वाला अपने आप एक जाति विशेष का बताता है। उन्होंने अपने परिवार के जानमाल की रक्षा के लिए यह शिकायत की थी। जिस पर कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। सज्जन सिंह ने बताया अभी भी उनके फोन नंबरों पर फोन लगातार आ रहे हैं। उन्हें मारने की धमकियां मिल रही है। ऐसे में उन्होंने सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई है ताकि उनके संभावित जानमाल के नुकसान से बचा जा सके।

कई सड़क मार्ग हैं जर्जर

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 कनीना। कस्बा कनीना के आस पास कई मार्ग जर्जर हो चुके हैं। इनको ठीक किए जाने की मांग उठ रही है।
कस्बा कनीना के अनाज मंडी से ककराला तक का मार्ग अति जर्जर हो गया है। वही गाहड़ा से बव्वा तक का मार्ग जर्जर हो चुका है। इसी प्रकार कई अन्य मार्ग जर्जर हो रहे हैं। प्रशासन से मांग की गई है कि इन मार्गों की सुध ली जाए। कनीना अनाज मंडी से ककराला करीब 3 किलोमीटर लंबा मार्ग है जो कपूरी होते हुए रेवाड़ी रेवाड़ी को जाता है। इस मार्ग पर गड्ढे बन गए हैं। आवागमन में परेशानी हो रही है। ककराला-कपूरी को जाने वाले रमेश कुमार, महेश कुमार, दिनेश कुमार आदि ने बताया किस मार्ग के जर्जर हो जाने से उन्हें भारी परेशानी हो रही है। बार-बार प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया जा रहा किंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
  इसी प्रकार गाहड़ा से बव्वा मार्ग भी करीब 3 किलोमीटर है जो जर्जर हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग पर चलना बहुत कठिन हो गया है। वैसे भी यह मार्ग संकीर्ण है। ऐसे में मार्ग जर्जर होने से चलना कठिन हो गया है। इस मार्ग की सुध लिए जाने की मांग की गई है।
उधर मोहनपुर नांगल बस स्टैंड से ककराला तक के मार्ग को त्वरित गति से निर्मित किये जाने की मांग को लेकर कई बार ग्रामीण उच्चाधिकारियों से मिल चुके हैं। गांव के जगदेव यादव, ओमप्रकाश, बनवारीलाल आदि ने मांग की है कि इस मार्ग को अविलंब पूरा किया जाए।

अति कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं गाडिय़ा लुहार

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कनीना। वर्तमान में गाडिय़ा लुहार अति कठिन जीवन जी रहे हैं। किसी वक्त राजस्थान के मेवाड़ में महाराणा प्रताप की सेना में गाडिय़ा लुहार के पूर्वज लुहार का काम करते थे। आज उनके वंशज कठिन जीवन जी रहे हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात में अपनी झोपड़ी में रहने वाले इन लोगों का अब कृषि उपकरण बनाने का धंधा भी चौपट हो गया है। अब तो इनके पास न तो स्थायी आवास उपलब्ध हैं और न इनको दो जून खाने के लिए रोटी ही उपलब्ध हैं।
  कनीना क्षेत्र के आस पास गाडिय़ा लुहार कठिन जीवन जी रहे हैं। जब आधुनिक मशीनों से कृषि के उपकरण नहीं बनते थे उस वक्त गाडिय़ा लुहारों के पास कृषि उपकरण बनाने तथा बनाकर बेचने का बेहतर रोजगार होता था किंतु विज्ञान के सामने इनकी कोई नहीं चल पाई है और बेचारे कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां तक कि ये लुहार कभी भीख नहीं मांगते थे किंतु अब पेट की भूख ने उन्हें भीख तक मांगने को मजबूर कर दिया है। उनके पास स्थायी आवास नहीं है और जहां कहीं भी अधिक दिनों तक ठहरते वहां से उन्हें खदेड़ दिया जाता है। सर्दी हो या गर्मी इनको विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करना पड़ता है। आलम यह है कि अब उनके भूखों मरने की नौबत आ गई है और जराइम पेशा करने को मजबूर हो सकते हैं।
  गाडिय़ा लुहारों की सबसे खूबी यह है कि मिलकर रहना और खाना। ये लोग जो कुछ रोटी रूखी सूखी मिल जाती है उसे आपस में बांटकर खाते हैं। रोटी को जब तक नहीं खाते तब तक उन्हें सुनिश्चित न हो जाए कि सभी को रोटी मिल गई है चाहे एक  एक टुकड़ा ही मिला हो। बार बार सरकार से उन्हें स्थायी प्लाट देने एवं रोजगार का प्रबंध करने की बात उठती है किंतु अभी तक सरकार का ध्यान भी नहीं गया है।
क्या कहते हैं इतिहासकार-
इतिहासकार राजेश कुमार का कहना है कि
 जब महाराणा प्रताप 1576 में अकबर के विरुद्ध हल्दीघाटी का युद्ध किया था उस वक्त उनकी सेना में गाडिय़ा लुहारों के पूर्वज हथियार बनाने का काम करते थे। जब महाराणा प्रताप की हार हो गई थी तो बताया जाता है कि इन्होंने अपनी चारपाई को उल्टा रखकर वतन इस शर्त पर छोड़ा था कि जब तक राणा का सम्मान एवं साम्राज्य नहीं लौट पाएगा तब तक वे अपने वतन को नहीं लौटेंगे। ऐसे में जहां भी पड़ाव मिला वे रहते हैं और कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करते आ रहे हैं।
क्या करते हैं गाडिय़ा लोहार-
 कनीना में गाडिय़ा लोहार सुरता, धर्मबीर, मंतरू, कलावती आदि ने बताया कि उनके लिए कोई स्थायी आवास नहीं होता। वे इधर-उधर घूमते रहते हैं । उनकी मजबूरी है कृषि के उपकरण बेचने के लिए गांव में निकलते हैं तो कोई उनके उपकरण नहीं लेते। यहां तक कि उन्होंने बताया कि उनके लिए ने पेयजल एवं प्रकाश व्यवस्था नहीं मिलती है।  यहां तक कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं बनाई जाती जिसके कारण उनका जीवन यापन बहुत कठिन हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे अब मजबूरी में बाजार से खरीदे हुए कृषि के उपकरण बेचने के लिए गांव गांव ले जाते ले जाते हैं। पहले कभी भी अपने हाथों से बनाते थे किंतु अब हाथ के उपकरण कोई खरीदने वाला नहीं है।
सर्दी, गर्मी या बरसात हर समय यह गांव से बाहर अपनी झोपड़ पट्टी में रहते हैं। उनके पास न कोई सुविधा होती है और ना ही अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा पाते हैं।  उनको लोग बुरी नजर से देखते हैं। सरकार अगर कोई सहायता दे तो वह आधुनिक मशीन दे तो कृषि के कारण बना सकते हैं। आधुनिक मशीनों द्वारा कृषि के उपकरण बना सकते हैं और बेचकर गुजर-बसर कर सकते हैं लेकिन ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है।

ओमप्रकाश लिसानिया को बनाया जिला प्रवक्ता 

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कनीना। भारतीय जनता पार्टी जिला महेंद्रगढ़ का का गठन किया गया जिसमें ओम प्रकाश लिसानिया कनीना को भाजपा जिला महेंद्रगढ़ का प्रवक्ता बनाया गया हैं।
 श्री ओमप्रकाश लिसानिया कनीना ने बताया कि लखमीचंद चौहान नांगल मोहनपुर को जिला महामंत्री व नीलम कुमारी कनीना वार्ड नंबर आठ को जिला मंत्री व उमेद सिंह राजपूत पाथेङा को जिला मंत्री बनाया गया है।  ओमप्रकाश , लखमीचंद चौहान,उमेद व नीलम ने भारतीय जनता पार्टी जिला महेंद्रगढ़ के जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा एडवोकेट ,भाजपा हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ,प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी एवं जिला प्रभारी महेश चौहान ,पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव व पार्टी के शीर्ष नेताओं कार्यकर्ताओं को ये सम्मान देने पर आभार जताया है। उन्हें राजकुमार चेयरमैन, मोहन सिंह पार्षद, देशराज, कंवरसेन वशिष्ठ, अभिषेक भारद्वाज, कृष्ण सिंह, राकेश, सुरेन्द्र, धनपत, कर्ण, दलीप, संदीप और अनेकों पार्टी सदस्य थे।
श्री लिसानिया ने कहा कि किसानों की आड़ में विरोधी पार्टियां अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रही हैं। भाजपा सदा किसानों की हितैषी रही है हरियाणा में किसानों का बाजरा 2150 रुपये और सरसों 4425 रुपये जो अब एमएसपी बढ़ाकर 4650 रुपए कर दिया गया है। हर साल फसलों का एक-एक दाना खरीदती है। किसानों की आय बढ़ी है। उन्होंने किसानों को विपक्षी पार्टियों के झांसे में न आने की बात की है।
फोटो कैप्शन: ओमप्रकाश लिसानिया।


आवारा जंतुओं से किसान परेशान
-रातभर जागकर दे रहे हैं तैनाती

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कनीना। सर्दी के मौसम में आवारा जंतु किसानों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। नील गाय उनमें से एक हैं। ये फसल का दस फीसदी भाग तक नष्ट कर देती हैं। गेहूं तथा सरसों की फसल खेतों में हरियाली के रूप में दिखाई पडऩे लगी है तब से धावा बोलना शुरू कर दिया है।
 किसान की फसल का कुछ हिस्सा आवारा जंतुओं का निवाला बन जाता है। चूहे,मोर, नील गाय, गाएं, पक्षी, कीट, बंदर और सूअर आदि  किसान के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। किसान को तो इन जीवों से फसल को बचाए रखने के लिए भारी धन खर्च करना पड़ रहा है। आवारा जंतुओं से फसल को बचाने के लिए रखवालें भी रखने पड़ते हैं जो रखवाली के बदले फसल पैदावार पर अनाज लेते हैं। गौशाला होने के बावजूद भी कनीना में कुछ गाएं घूम मिल सकती हैं।    किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि नील गाय और  गायें सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। नील गाय झुंड के रूप में चलती हैं और जिस किसी खेत में घुस जाती हैं उसे तबाह करके ही दम लेती हैं।  किसान को सबसे अधिक रखवाली इन्हीं जीवों से करनी होती है। इन्हीं जीवों से फसल को बचाने के लिए रखवालों का प्रबंध भी करना पड़ता है। आवारा गायों और नील गायों से बचने के लिए खेत में रखवाली के बावजूद भी ये गाएं फसल को नुकसान पहुंचाए बगैर नहीं रह सकती हैं। फसल को नुकसान पहुंचाने में गाएं, सूअर जैसे कितने ही जीव न केवल खेत में खड़ी अपितु काटकर डाली गई फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
क्या कहते हैं किसान-
 किसानों का कहना है कि नील गाय उनकी फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। बाकी जानवर मिलकर जितना नुकसान नहीं पहुंचाते उतना नील गायें पहुंचा रही हैं। किसान रवि कुमार, कृष्ण सिंह, योगेश कुमार ने बताया कि वे फलदार पौधे उगाते थे किंतु अब ये फलदार पौधे उगाने बंद कर दिए है क्योंकि फलदार एवं सब्जियों को नीलगाय रौंद जाती हैं।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज ने कहा कि यूं तो पूरे हरियाणा की ही यह समस्या है और समस्या अधिक विकराल दक्षिण हरियाणा की है जहां मेहनत अधिक करके ही किसान फसल उगाता है और उस पर पानी फेर नील गाय चंपत हो जाती है। सर्दी से बचने के लिए किसान जब घर में जाता है तभी ये नील गाय नुकसान पहुंचा जाती है। इनका नुकसान भारी है जो दस फीसदी को पार कर जाता है।
फोटो कैप्शन 2: कनीना के खेतों में नील गाय।



विगत वर्ष की तुलना में कम उगाया है सरसों, गेहूं एवं चना
-चने की खेती का अस्तित्व संकट में

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कनीना। इस बार किसानों ने गेहूं,सरसों एवं चने की फसल विगत वर्ष की तुलना में कम उगाया है किंतु भ्रसक प्रयासों के बावजूद भी चने की खेती नहीं बढ़ पा रही है। सरकार द्वारा किसानों को सरसों के बेहतर दाम दिए जाने के चलते सरसों की फसल की तरफ बढ़ा था किंतु स्कूल, कालेज, मैरिज प्लेस बनाये जाने, बागवानी की ओर रुझान होने के चलते कृषि योग्य भूमि घटती ही जा रही है। इस वर्ष क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई 400 हेक्टेयर पर कम की गई है। वहीं क्षेत्र में गेहूं व चने की बिजाई में गिरावट दर्ज की गई है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल तो सरसों का 4625 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज ने बताया कि ने बताया कि खंड में 2018 में करीब 19300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की फसल की बिजाई की गई थीजो वर्ष 2019 में 19950 हेक्टेयर तो 2020 में 19500 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। गेहूं की पैदावार 2018 में 11020 हेक्टेयर पर, वर्ष 2019 में 10405 हेक्टेयर तो 2020 में 10200 हेक्टेयर पर बिजाई की गई है। चना वर्ष 2018 में 50 हेक्टेयर, 2019 में 40 हेक्टेयर तो 2020 में 15 हेक्टेयर पर उगाया गया है।
चने लड़ा रहा अस्तित्व की लड़ाई-
करीब 20 वर्ष पहले किसानों का चना उगाने में बहुत उत्साह दिखाता था किंतु अब चने उगाना ही भूल गया है। चने को उगाने पर पैदसवार नहीं दे पा रहा है क्योंकि इसके लिए बरानी भूमि चाहिए।
  कनीना के दीपचंद ने विगत वर्ष एक एकड़ में चने उगाए थे। किसान राजेंद्र सिंह, मा रविंद्र सिंह भी थोड़े से भूभाग पर चने उगाते हैं। रामानंद यादव ने बताया कि वे अब भी बेहतर चने की पैदावार ले लेते हैं। वे कई वर्षों से चने की खेती करते आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 3: चने की खेती से चने का साग तोड़ता किसान।
भारत विकास परिषद के सदस्य की मृत्यु पर आयोजित की शोक सभा 

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कनीना। बुधवार को नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना मे भारत विकास परिषद् शाखा कनीना के सदस्यों ने शोक सभा आयोजित की। परिषद के सदस्य रामेश्वर यादव के अकस्मात निधन पर एक शोक सभा आयोजित की करके दो मिनट का मौन रखा गया।
इस मौके पर क्लब प्रधान मा कृष्ण सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामेश्वर यादव एक ईमानदार पढ़ा लिखा समाजसेवी व्यक्ति था।  उसकी कमी हमें हमेशा खलती रहेगी। प्रधान कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि रामेश्वर यादव अपने पीछे दो पुत्र व पत्नी सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। मोहन सिंह पार्षद ने बताया स्व.रामेश्वर दानशील व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। इस मौके पर उपस्थित गजराज सिंह, धनपत, मोहन सिंह पार्षद, दलीप पार्षद, देशराज, महेश बोहरा, ओमप्रकाश,सोनू, जयप्रकाश, हरिराम मित्तल, विनय एडवोकेट, सीताराम, अभिषेक भारद्वाज, सुरेन्द्र प्रवक्ता, सुरेन्द्र, सरिता भारद्वाज, ऊषा जांगड़ा शहीद परिषद के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 1: नेताजी मेमोरियल क्लब में मौन व्यक्त करते भारत विकास परिषद पदाधिकारी।


वैगनार ने मारी मोटरसाइकिल सवार को टक्कर, मौत

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कनीना। बुधवार को भडफ़ गांव के पास वैगनआर एवं मोटरसाइकिल के बीच हुई टक्कर में मोटरसाइकिल सवार घायल हो गया जिन्हें कनीना के उप नागरिक अस्पताल लाया गया जहां उन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मनोज बूचावास के रूप में उनकी पहचान हुई है। कनीना पुलिस में विजयपाल पायगा निवासी की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है। वैगन-आर मालिक गाड़ी छोड़कर फरार हो गया।
 मिली जानकारी अनुसार विजयपाल पाएगा निवासी ने बताया पुलिस में दी शिकायत में कहा गया है कि बुधवार को वह अपनी गाड़ी से दड़ौली से पायगा जा रहा था और उनके आगे उनका भांजा मनोज बूचावास जो रेवाड़ी से अपनी मोटरसाइकिल पर अपने गांव बूचावास जा रहा था। जब मनोज कनीना उपमंडल के गांव भडफ़ के बस स्टैंड के पास पहुंचा तो महेंद्रगढ़ की ओर से से आ रही एक  वैगनआर का चालक तेज गति से गाड़ी दौड़ाता ला रहा था और उन्होंने मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मार दी। जिससे मोटरसाइकिल सवार गंभीर रूप से घायल हो गया। इसी बीच वैगनार चालक अपनी गाड़ी को छोड़कर फरार हो गया। भीड़ इक_ी हो गई और तभी पुलिस की वर्दी धारक संजय बवाना जो जिला पलवल में कार्यरत हैं, उनके भांजे को कनीना के उप नागरिक अस्पताल तक लेकर आया। जहां डाक्टरों ने
उन्हें मृत घोषित कर दिया। कनीना पुलिस ने वैगनआर चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।


लोक गायक अमृत सिंह को पितृ शोक 

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 कनीना। कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत विशेष अध्यापक एवं हरियाणा लोक गायक अमृत सिंह के पिता नरपाल सिंह का देहांत हो गया। वे 65 वर्ष के थे तथा अपने पीछे तीन बेटे दो बेटियां तीन पति पत्नी को छोड़ गए। उनका मूल निवास खोहड़ बहरोड है। वे अपने पुत्र अमृत लाल के साथ कनीना रहते थे। उनके पिता के देहांत पर क्षेत्र के शिक्षाविदों ने शोक जताया है।

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