ताजा समाचार/विडियो/लेख का बेहतर ब्लाग Best Blog for News/Video & Lekh
Saturday, December 28, 2024
पालिका चुनावों के लिए प्रतिभावान महिलाओं को जा रहा है मनाया
--फरवरी माह तक पूरा किया जाना है चुनाव प्रक्रिया को
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। यूं तो नगर पालिका के चुनाव फरवरी 2025 तक पूर्ण किए जाने हैं। पालिका प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित करने से चुनावों के दृष्टिगत इस बार एक नई समस्या खड़ी कर दी है वही वार्डों में भी महिलाओं के लिए आरक्षण दिया गया है। सबसे बड़ी बात है कि प्रधान पद के लिए योग्य और पढ़ी-लिखी महिलाओं की तलाश की जा रही है। जो पालिका प्रधान बतौर अहम भूमिका निभा सके। दसवीं क्लास तक लिखी पढ़ी बहुत से घरों महिलाएं हैं। वृद्ध महिलाएं चाहे दसवीं पास ना हो किंतु आधुनिक युवा पीढ़ी तो एमए और पीएचडी तक मिल जाएंगी। समस्या यह नहीं है अपितु समस्याएं पढ़ी-लिखी महिलाएं बहुत कम चाहती है कि वो राजनीति में आए, विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कम चाहती हैं। अभी कनीना कहने को शहरी है परंतु ग्रामीण पृष्ठभूमि इसके साथ बंधी हुई है। यही कारण है कि योग्य महिलाओं की तलाश जारी है। अभी तक एक दर्जन महिलाएं प्रधान पद के लिए दावेदारी के लिए अपने-अपने चेहरे किसी न किसी जरिए दिखने लगी हैं जिससे स्पष्ट है कि वो पालिका प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ेंगी। पालिका प्रधान का चुनाव डायरेक्ट/सीधा होगा इसलिए पूरे ही कनीना कस्बे के 10400 से अधिक वोट प्रधान पद के लिए अपना-अपना वोट डालेंगे और प्रधान पद का चुनाव करेंगे। प्रधान पद इस बार सशक्त पद बना दिया गया है क्योंकि पिछली योजना में प्रधान का चुनाव पार्षदों द्वारा होता था, अबकी योजना में पार्षदों को अलग थलग कर दिया गया है। ऐसे में पार्षदों की अहमियत को घटकर प्रधान पद को सशक्त बना दिया है। महज कुछ प्रस्ताव पारित करवाते समय पार्षदों की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में अब सभी की नजरें प्रधान पद पर टिकी हुई हैं। वैसे भी लंबे समय के बाद ही चुनाव हो रहे हैं इसलिए भी महिलाएं आगे आ रही है। कुछ घरों में महिलाओं को मनाया जा रहा है ताकि वह एक बार नामांकन कर दे तो चुनाव उनके परिवार वाले मदद करवा कर जीत सकते हैं। यही कारण है कि पहले तो महिलाओं को मनाना बहुत कठिन है क्योंकि प्रधान पद के लिए महिलाएं आगे कम आना चाहती हैं और एक बार यदि आगे आ गई तो फिर वह पीछे हटने का नाम भी नहीं लेंगी। इस बार जिन पुरुष उम्मीदवारों को प्रधान पद चुनाव लडऩा था उनके लिए सबसे बड़ी समस्या यही खड़ी हो गई है कि अब महिला प्रधान बनेगी और महिला प्रत्याशी को बनाने के लिए महिलाओं को तैयार किया जा रहा है ताकि वह किसी प्रकार चुनाव में आ डटे। आने वाले समय में पता लग पाएगा, विशेष कर नई साल पर जरूर पता लग जाएगा कितनी महिलाएं प्रधान पद की दावेदार हैं।
इस साल की अंतिम सोमावती अमावस्या 30 को
-पापों से दिलाती है मुक्ति -आचार्य दीपक
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। पोष महीने में सोमावती अमावस्या 30 दिसंबर को प्रारंभ होगी जो 31 दिसंबर तक जारी रहेगी। अमावस्या में श्रद्धा, व्रत एवं भक्ति का विशेष महत्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में हर अमावस्या को लोग विशेष पूजन करते हैं जिसे पितृ पूजन कहते हैं। जिसके तहत पितरों के लिए अलग से भोजन तैयार किया जाता है और गायों को खिलाया जाता है। परंतु सोमवती अमावस्या पर स्नान व्रत एवं ध्यान का विशेष महत्व बताया गया है।
आचार्य दीपक कौशिक ने बताया कि इस दिन जहां लोग दूर दराज जैसे हरिद्वार, ढोसी तीर्थ तथा अन्य तीर्थ पर जाकर स्नान करते हैं, साथ में दान करते हैं उनकी मनोकामना फलीभूत होती है। इस दिन विष्णु एवं पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। आचार्य के अनुसार पीपल के पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है, इसलिए वृक्ष की जड़ की पूजा की जाती है और इसमें जल अर्पित किया जाता है। विधि विधान से पितरों की पूजा अर्चना की जाती है ताकि भौतिक सुख समृद्धि और खुशहाली आ सके। इस दिन दान का विशेष महत्व है, दान अवश्य करना चाहिए।
क्या है सोमावती अमावस्या --
आचार्य दीपक बताते हैं कि सोमवार का दिन वैसे ही शुभ होता है। यह दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और इस दिन भोलेनाथ को याद करते हुए अमावस्या का दिन आ जाता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जहां पितरों के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ और विष्णु को भी याद किया जाता है। यही कारण है कि सोमावती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। वैसे तो बताया जाता है कि पांडवों के समय में सोमावती अमावस्या कभी जीवन में नहीं आई, वे इस इस अमावस्या के लिए तरसते रहे किंतु इस साल वर्ष यानी 2024 की अंतिम सोमावती अमावस्या 30 दिसंबर को लग रही है जो 31 दिसंबर सुबह तक चलेगी। तत्पश्चात नया साल शुरू हो जाएगा इसलिए भी यह विशेष महत्व रखता है।
सोमावती अमावस्या के लिए आचार्य बताते हैं कि सुबह सवेरे स्नान, ध्यान करके और पितरों को नमन करना चाहिए। तत्पश्चात दान दक्षिणा करनी चाहिए, गायों को खाना खिलाना चाहिए। इस दिन जहां विभिन्न देवी देवताओं को याद किया जाता है। यह दिन अति शुभ माना जाता है।
फोटो कैप्शन: आचार्य दीपक
यदि भूकंप आये तो सावधानियां रखकर जन-धन की हानि होने से सकते है रोक- धर्मपाल शर्मा
--धर्मपाल शर्मा द्वारा दी गई सावधानियां पढ़े
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। हरियाणा के रोहतक, सोनीपत, पानीपत, झज्जर तथा गुरुग्राम मे तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र सोनीपत का कुंडल गांव था सोनीपत में अगले दिन प्रात:काल दुबारा भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहले दिन भूकंप की तीव्रता 3.8 थी तथा दूसरे दिन तीव्रता 2.6 थी। भूकंप का केंद्र खरखौदा में पाई गांव के नजदीक था। इन भूकंपों से कोई जन-धन की हानि नही हुई। यदि रियेक्ट स्केल पर तीव्रता 6 या इससे अधिक होती तो बहुत अधिक जनधन की हानि हो सकती थी। विज्ञान मंच के जिला संयोजक धर्मपाल शर्मा ने बताया यदि नारनौल मे 6 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया तो जन धन की बहुत हानि हो सकती है। नारनौल भूकंप के खतरनाक जोन आता है। हम भूकंपों का आना रोक नहीं सकते है लेकिन आपदा के स्वरूप को पहचान कर, अधिक सुरक्षित इमारतें बनाकर लोगों को भूकंप से सुरक्षा संबन्धित जानकारी देकर इस आपदा के प्रभाव को कम कर सकते हैं। भूकंप जमीन के नीचे चट्टानों के टूटने और अचानक अपनी जगह बदलने से लहरें पैदा होतीं हैं बहुत तेज झटके वाली लहर को भूकंप कहते हैं। भूकंप कुदरत की ताकत का एक नमूना है। भूकंप प्राकृतिक आपदा का सर्वाधिक रूप माना जाता है ।किसी भूकंप की तीव्रता सीस्मोग्राफ पर अंकित भू तरंगों के आधार की जाती हैं यदि जिला महेन्द्रगढ़ में कभी भूकंप आया तो हम खतरनाक जोन में होने के कारण बहुत जन धन की हानि हो सकती है इसलिए मेरे निम्न सुझाव है सभी अपने घर पर,या काम करने वाली जगह पर, अथवा गाड़ी में आपातकालीन लाइट रखनी चाहिए क्योंकि भूकंप के बाद बिजली गुल हो जाती है ।
आग बुझाने का यन्त्र घर और कार्यालय में होना चाहिए ताकि आग लगने की दशा में उस पर नियंत्रण कर सके। सेल से चलने वाला रेडियो अवश्य अपने पास रखें क्योंकि भूकंप के समय अन्य संचार माध्यम ध्वस्त हो जाते है ।
कम से कम तीन चार लीटर पीने का पानी प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध होना चाहिए ।
कम से कम तीन दिन का आवश्यकता अनुसार पौष्टिक एवं आसानी से खराब न होने वाली खाद्य पदार्थ का भण्डारण जरूर होना चाहिए ।
प्रथम उपचार किट जिसमें आधारभूत दवाइयां हो जरूर अपने घर में रखे। आपातकालीन सामग्री सुरक्षित स्थान पर रखनी चाहिए और परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को इस बारे जानकारी हो ।भूकंप के समय ऊंची मंजिल के भवन से बाहर निकलने का प्रयास करें । अगर आप बाहर नहीं जा सकते तो टेबल या डेस्क के नीचे चेहरे को छिपा ले ताकि गिरने वाली वस्तुओं से सुरक्षित रहें। यदि आप बाहर है तो खुली जगह पर आ जाय और पेड़ भवन, बिजली की तारों से दूर रहे। पहाड़ी क्षेत्रों में ढलानों से दूर रहे। बिना सोचे समझे भवनों से बाहर न दौड़े। गिरती ईंटों व सामानों से चोट लग सकती हैं। भूकंप के समय लिफ्ट का प्रयोग न करें । अगर आप गाड़ी चला रहें हैं तो सड़क के एक तरफ खड़े हो जायें। गाड़ी के भीतर ही रहे। गाड़ी को पुलों, पेड़ों भवनों तथा बिजली के तारों से दूर खड़ी करें। भूकंप के थमने का इन्तजार करें। भवन की उंचाई कम से कम रखी जायें ।भवन भूकंप रोधी प्रणाली का बनाये। भवन बनाते समय विशेष इंजीनियरी प्रावधानों को अपनाना चाहिए ।भवनों के मध्य पर्याप्त स्थान होना चाहिए। भवनों में खिड़की दरवाजे दिवार के किनारे पर नहीं होने चाहिए और न ही एक के ऊपर एक समानांतर होने चाहिए। दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों को भू-वैज्ञानिकों जोन चार में रखा है इस क्षेत्र में 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है जिसमें जन धन की बहुत अधिक हानि हो सकती है ।
फोटो कैप्शन: धर्मपाल शर्मा
एनएसक्यूएफ के तहत विद्यार्थियों ने किया फैक्ट्री का दौरा
-विद्यार्थी एवं शिक्षकों ने किया फैक्ट्री का दौरा
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज।राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना के छात्रों के लिए एक विशेष अवसर प्रदान किया गया है, जिसमें उन्हें राष्टीय कौशल गुणवत्ता ्रेफ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के तहत इंफोर्मेशन टक्रोलोजी/पेसेंट केयर एसिस्टेंट पाठ्यक्रम के अंतर्गत नीमराना स्थित पारले-जी फैक्ट्री का दौरा किया गया। इस कार्यक्रम ने विद्यार्थियों के लिए कौशल विकास और औद्योगिक प्रक्रियाओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान किया।
इस अवसर पर विद्यालय में आइटी/पीसीए के कक्षा नौवीं और दसवीं तथा बुनियाद कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चे भी फील्ड विजिट पर गए।
प्राचार्य सुनील खुडानिया ने हरी झंडी दिखाकर विद्यार्थियों को रवाना किया तथा बताया कि इस दौरे का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को वास्तविक औद्योगिक माहौल में ले जाकर उन्हें तकनीकी प्रक्रियाओं, मशीनरी के कार्य, और उद्योग में काम करने के अनुभव से अवगत कराना है। विद्यार्थियों को फैक्ट्री के विभिन्न विभागों का भ्रमण कराते हुए, उन्हें कार्यप्रणाली और उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जाएगी।
विद्यालय के एनएसक्यूएफ प्रभारीराजेश चतुर्वेदी एवं पूनम कुमारी ने बताया कि हमारा विश्वास है कि यह दौरा विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक होगा, और उन्हें उनके भविष्य के कैरियर के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद करेगा। इस अवसर पर विद्यालय से अन्य शिक्षकों जैसे रवि कुमार बलदीप यादव, सुरेंद्र मोरवाल, नितिन मुद्गल, गुरदीप सिंह, नवीन कुमार, पूनम गोस्वामी ने भी फैक्ट्री का दौरा किया तथा जानकारियां प्राप्त की।
फोटो कैप्शन 09: कनीना स्कूल के विद्यार्थी फैक्ट्री का दौरा करने जाते हुए।
नव वर्ष पर भेजे बधाई संदेश,संदेश भेजने का है आज अंतिम दिन
- मामूली से खर्चे पर प्रकाशित होंगे बधाई संदेश
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। नव वर्ष 2025 को समाचार पत्र में बधाई संदेश मामूली से खर्चे पर प्रकाशित होंगे। प्रत्येक व्यक्ति को 1000-1000 रुपये देने होंगे साथ में अपना बधाई भेजना होगा। इसके लिए एक पासपोर्ट साइज फोटो तथा नये साल का संदेश देना होगा। यदि बधाई संदेश छपवाना है तो 28 दिसंबर से पहले पहले फोन पे के जरिए राशि 9416348400 पर एक हजार रुपये भेजें तथा इसी नंबर के व्हाट्सएप पर अपनी पासपोर्ट साइज फोटो और संदेश भेजें।
वर्षा का जल अभी भी खड़ा है सड़कों पर
-मुख्य मार्गों पर भी खडऱा है गंदा जल
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज।जिसके चलते सड़कों पर गड्ढों के रूप में पानी खड़ा हुआ है। हाल ही में नहर के साथ-साथ नई सड़क बनाई गई है जिस पर भी कई जगह पानी खड़ा हुआ है, वहीं मुख्य मार्ग पर भी जगह-जगह पानी खड़ा हुआ है। सबसे अधिक पानी के गड्ढे कनीना-करीरा सड़क मार्ग पर देखे जा सकते हैं। यहां प्रारंभ में ही बहुत अधिक गड्ढे बने हुए हैं जो गंदे जल से भरे खड़े हैं जिनसे दुपहिया वाहन निकलना भी कठिन है। वर्षा से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे वहीं कुछ किसान ओलावृष्टि से प्रभावित हो गए हैं। किसान चाहते हैं कि ओलावृष्टि से हुये नुकसान की भरपाई सरकार कर। उधर वर्षा से बहुत अधिक किसानों को लाभ भी हुआ है क्योंकि अभी तक पानी की फसलों को जरूरत थी और वह पूर्ति वर्षा ने कर दी है। कनीना के होलीवाला और कालरवाली जोहड़ पर बने सड़क मार्गों पर पानी जमा हो गया जो अभी तक नहीं सूखा है। अक्सर जब कभी वर्षा होती है तो इन दोनों जोहड़ों के सड़क मार्ग पर एक-एक फुट पानी जमा हो जाता है। कनीनावासियों ने चाहे बहुत प्रयास किया गया हो किंतु अभी तक जल निकासी की पूर्ण व्यवस्था नहीं हो पाई है। दोनों ही जोहड़ों के पानी को निकालने के लिए पर्याप्त प्रयास किए गए, इनका गंदा जल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने के प्रयास किये किंतु नाकाफी रहे हैं। हर वर्ष मानसून के समय कनीना की अनेक सड़के जलमग्न हो जाती है। अभी भी कुछ सड़कों पर पानी जमा है। आवागमन गंदे पानी से होकर करना पड़ रहा है। वाहन जब गंदे पानी के से गुजरते हैं दूर दराज तक गंदा पानी गुजरने वाले लोगों को भीगों रहा है।
फोटो कैप्शन 10: करीरा सड़क मार्ग पर जमा गंदा जल
राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला खरीवाड़ा मे हुआ मेगा पीटीएम का आयोजन
--अभिभावकों ने लिया भाग
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। खारीवाड़ा की राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला में शनिवार को मेगा पीटीएम का आयोजन हुआ।
जिसमें सबसे पहले विद्यालय प्रभारी कैलाश चंद ने आए हुए अभिभावकों का आभार जताया व कई महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी और बच्चों की पढ़ाई, उनकी मानसिक स्वास्थ्य, स्कूल की गतिविधियों, और अभिभावकों की भूमिका पर प्रकाश डाला व शीतकालीन अवकाश मे अभिभावकों को बच्चों को गृहकार्य कैसे पूरा करवाना और किन किन बिन्दुओं पर ध्यान रखना है के बारे में बताया।
इसके बाद शिक्षक राजेश उन्हाणी ने आये हुए अभिभावकों को शिक्षा की महत्वता, अनुशासन, और शीतकालीन अवकाश में घर पर बच्चों के साथ संवाद करने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि इस मीटिंग का उद्देश्य अभिभावकों और शिक्षकों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करना और बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहयोग करना है।
एक अभिभावक बबीता देवी ने बताया की उनकी बेटी नैंसी इस स्कूल में कक्षा तीसरी मे पढ़ती है पीटीएम में आकर उन्हें काफी अच्छा लगा कक्षा टीचर ने उनकी बेटी की काफी तारीफ की पीटीएम होने से बच्चे की स्थिति पता चलती है और अभिभावक होने के नाते वह भी अपने बच्चों में सकारत्मक सुधार लाने का प्रयास कर पाती हैं उनके स्कूल अभिभावक राजरानी बताया कि उनकी बेटा वंश इसी विद्यालय की पांचवी कक्षा का छात्र है। जबसे हरियाणा सरकार ने स्कूलों में मेगा पीटीएम का आयोजन शुरू हुआ है, तबसे उन्हें वंश में अच्छे बदलाव देखने को मिले है वहीं पांचवी कक्षा में पढऩे वाले अक्षय नामक छात्र के पिताजी प्रदीप ने बताया कि आज की पीटीएम काफी अच्छी रही और स्कूल के टीचरों का व्यवहार भी काफी अच्छा था।
पी टी एम मे अभिभावक बबीता , राजरानी, ममता, टिंकू, प्रदीप, आशा देवी, हिना देवी, बीना देवी, ऋतु देवी, गंगा, शकुंतला,प्रवीण कुमार आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 11: खारीवाड़ा में मेगा पीटीएम करते शिक्षक एवं अभिभावक
मुआवजा देने व ऋण माफ करने की मांग
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। जिला महेंद्रगढ़ के अनेक गांवों में शुक्रवार रात्रि को हुई ओलावृष्टि के कारण किसानों की गेहूं तथा सरसों की फसल में भारी नुकसान हुआ है।
इस सम्बन्ध में बसपा नेता अतरलाल ने ओलावृष्टि प्रभावित गांवों बाघोत, स्याणा, नौताना, पोता, सेहलंग व अगिहार का दौरा करने के बाद कहा कि शुक्रवार रात्रि को बरसात के साथ भारी ओलावृष्टि होने के कारण किसानों की गेहूं तथा सरसों की फसलों में नुकसान हुआ है। उन्होंने राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन से तत्काल विशेष गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों को चालीस हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि से किसानों के खिले चेहरे मुरझा गए हैं। इसलिए राज्य सरकार की तरफ से प्रभावित किसानों को आर्थिक मदद की दरकार है। उन्होंने राज्य सरकार से प्रभावित किसानों के लघु अवधि के बैंक ऋणों को माफ करने की भी मांग की है।
आधी रात को बरसा कहर
-- सरसों की फसल तीन गांवों में कर दी तबाह, 75 फीसदी तक हुआ नुकसान, कृषि विभाग की टीम ने किया सर्वे
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव पोता,स्याणा, सेहलंग, बाघोत और तलवाना आदि क्षेत्रों में करीब आधी रात को जमकर ओलावृष्टि हुई। जमीन ओलों से सफेद हो गई, सरसों की फसल को भारी नुकसान हुआ है जिसके चलते किसान बेहद परेशान हैं। इस संबंध में एसडीओ कृषि विभाग महेंद्रगढ़ डा. अजय यादव, डा. योगेश यादव ,पटवारी एवं नंबरदार आदि की टीम विभिन्न गांवों में सर्वे करने पहुंची और प्रत्येक गांव में जाकर किसानों से मिलकर फसलों में हुये नुकसान का जायजा लिया। वो जल्द ही अपनी सर्वे रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे।
मिली जानकारी अनुसार शुक्रवार की आधी रात के करीब कई गांवों में वर्षा के साथ-साथ ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि भी लंबे समय तक चली जिसके चलते गेहूं और सरसों की फसलों पर तबाही की। गेहूं की फसल छोटी होने से नुकसान कम हो पाया है किंतु सरसों की फसल को भारी नुकसान हुआ है। मिली जानकारी अनुसार पोता में 900 से 1000 एकड़ जमीन पर 75 प्रतिशत नुकसान पहुंचा वहीं स्याणा गांव में 600 से 700 एकड़ जमीन पर 75 प्रतिशत तक नुकसान सरसों की फसल में पहुंचा है, सेहलंग में 200 से 250 एकड़ सरसों फसल पर अधिकतम 25 फीसदी नुकसान पहुंचा है। बाघोत में डेढ़ सौ से 200 एकड़ फसल पर अधिकतम 25 प्रतिशत नुकसान पहुंचा, तलवाना में 100-150 एकड़ जमीन पर 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है जबकि 50 से 75 एकड़ जमीन पर 25 से 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।
उल्लेखनीय की इन गांव में 75 प्रतिशत भूभाग पर सरसों उगाई गई है जबकि 25 प्रतिशत भूभाग पर गेहूं सहित विभिन्न फैसले उगाई गई हैं। सरसों की बेहतर फसल पैदावार की किसान सोच रहे थे किंतु आकाश से वर्षा के साथ आफत आ गिरी जिसने किसानों की सभी आशाओं पर पानी फेर दिया है।
टीम ने किया सर्वे -
डा. अजय यादव एसडीओ कृषि विभाग महेंद्रगढ़, डा. योगेश यादव, पटवारी तलवाना, पटवारी खेड़ी, सुरेंद्र नंबरदार खेड़ी, मुकेश पोता हनुमान सिंह, सुभाष पंच, लोकेश पंच, कृष्ण कुमार, रामनिवास यादव, मांगेराम शर्मा ,अजय रोहिल्ला, मुकेश यादव, कुलदीप, अश्विनी, कृष्ण कुमार, राजेश, सुभाष, लोकेश, अजय यादव, संतलाल, सरपंच वीरपाल यादव, वीरेंद्र शर्मा, श्री भगवान, रामनिवास, जसवंत सिंह, अमीलाल विक्रम और अन्य किसान मौके पर हाजिर रहे। एसडीओ कृषि विभाग डा.अजय कुमार यादव ने बताया कि पोता ,स्याणा गांवों में 75 प्रतिशत तक सरसों पर नुकसान हुआ है जबकि से सेहलंग,बाघोत एवं तलवाना में 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है जबकि तलवाना के करीब 75 एकड़ जमीन पर 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। इस संबंध में सूचना उच्च अधिकारियों को प्रेषित की जा रही है।
मौके पर इकट्ठे हुए दो दर्जन से अधिक किसान-
जब एसडीओ कृषि विभाग मौके पर पहुंचा तो 20 से 30 लोग जमा हो गए। हर गांव में ऐसी हालात बन गई और उनके साथ अपनी फसलों को दिखाया जो नुकसान हुआ है। एसडीओ की टीम ने आकलन किया और किसानों से जानकारी ली। अधिकारी ने किसानों को बताया कि नुकसान के संबंध में सूचना उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दी जाएगी।
क्या कहते हैं स्याणा के लोग-
स्याणा के लोगों का कहना है कि रात करीब 11 बजे उपमंडल के गांव स्याणा में भारी ओलावृष्टि होने से गांव के किसानों के चेहरे मुरझा गए। गांव के किसानों की सरसों की फसल पूर्णतया नष्ट हो गई है।
गांव के किसान समशेर कोसलिया ने बताया कि गत रात्रि को लगभग ग्यारह बजे बादलों की गडग़ड़ाहट के साथ भारी ओलावृष्टि हुई है। हलका पटवारी संजीत कुमार ने मौके पर पहुंच कर नष्ट फसलों का जायजा लिया है और किसानों को सांत्वना दी है कि सरकार को फसलें चौपट होने की रिपोर्ट शीघ्र भेजने का काम किया जा रहा है।
रास्ते भर गए ओलावृष्टि से-
ओलावृष्टि इतनी तेज थी लगातार रास्तों में बर्फ के रूप में ओले जमा होते रहे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार धरती जमीन सफेद हो गई। लोगों का कहना है कि पहली बार भयंकर ओकलावृष्टि देखी है। कई कई इंच ओले जमीन पर जमा हो गए। किसानों ने की मुआवजे की मांग -
किसानों की मांग किसने की अब उन्हें मुआवजा दिया जाए क्योंकि उनकी सबसे प्रमुख फसल सरसों में नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि उनकी फसल में इस कदर नुकसान हुआ है कि शायद ही कोई पैदावार सरसों की हो पाए। बउ़ी आशा के साथ सरसों की बीजाई की गई थी और इस पर ओलावृष्टि ने सब कुछ तबाह कर दिया।
फोटो साथ है
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 81
आधुनिक यंत्रों से नहीं पुस्तक पढ़कर पाई थी प्रारंभिक शिक्षा
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह बतौर शिक्षक लंबे समय तक सेवा देकर अप्रैल 2024 में सेवानिवत्त हो गए हैं। उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष झेले हैं, बचपन में तो बहुत ज्यादा कठिनाई में जीवन यापन किया। आइये सुनते हैं उन्हीं की कहानी होशियार सिंह की ही जुबानी-
बचपन मेरा बहुत कठिनाई में बीता क्योंकि परिवार की आर्थिक हालात कमजोर होना एक सबसे बड़ी दिक्कत साबित हुई। यद्यपि माता-पिता पशुपालन कर कुछ बड़े परिवार का पालन पोषण करते थे। जहां बड़े भाई कृष्ण कुमार ने दूध का काम किया, दूध बेचने के लिए बस स्टैंड आदि पर जाता था और जो पैसे आते उसी से घर का गुजर बसर होता था। परिवार कुछ बड़ा होने की वजह से भी दिक्कत रही, रोटी नसीब तो हो जाती थी लेकिन बड़ी कठिनाई से। जीवन कष्ट में बिता। धीरे-धीरे बड़े भाई कृष्ण ने सारे काम अपने हाथ में ले लिये परिवार की हालात सुधरने लगी। उन दिनों किसी प्रकार के कोई आधुनिक यंत्र, बिजली के यंत्र आदि नहीं थे, पढऩे के लिए थोड़ा सा मिट्टी तेल/कैरोसीन मिलता था जिससे लालटेन या चिमनी में प्रयोग किया जाता था। कैरोसीन भी कोटे से मिलता था। हाथों से बनाई हुई चिमनी प्रयोग करते थे, बोतल की डाट में छेद करके कपड़े की बाती बनाकर डालते थे और उसी को जलाकर पढ़ते थे जिससे बहुत अधिक धुआं निकलता था जो आंखों एवं नाक आदि में चला जाता था। बड़ी ही कठिनाई से उस दीये से पढ़ते थे, जब तेज हवा आती तो बार-बार बूझ जाता था, फिर भी जैसे तैसे उसे पढ़ते रहे क्योंकि उसे समय चिमनी ही पर्याप्त थी। एक माह में एक बार कोटे से कैरोसीन आता जो घर में लकड़ी/ईंधन के जलाने में काम आता था और थोड़ा बहुत हमें नसीब होता था जिससे चिमनी जलाई जाती। बाद में लालटेन आने से बड़ी खुशी हुई क्योंकि लालटेन हवा से बुझती नहीं थी परंतु लालटेन का शीशा टूट जाता तो फिर से समस्या बन जाती थी, शीश खरीद कर लाना पड़ता था और फिर से पैसों की जरूरत होती थी। जैसे तैसे माली हालात में जीवन बसर किया, किताबें पढऩे के लिए नसीब नहीं होती थी। आज के दिन तो जहां किसी भी स्कूल में खाना, पुस्तक, कपड़े गाइड, कुंजी सब कुछ उपलब्ध हो जाती है। उस जमाने में न तो किताब नसीब होती थी और न सहायक सहायक पुस्तक उपलब्ध हो पाती थी। किसी से पुस्तक उधार लेकर पढऩा पड़ता था।
किसी अमीर व्यक्तियों के बच्चों से किताब उधार तो लेते परंतु वह मुश्किल से एकाध घंटे उधार देते थे। उसी से पढ़ते और फिर लौटा देते थे। यदि उसे जमाने में हमारे पास पढऩे के लिए पाठ्य पुस्तक भी नसीब हो जाती तो और अच्छे अंक आ सकते थे और ऊंचाइयों को छू सकते थे किंतु बदनसीबी यही थी की पुस्तक/पाठ्य पुस्तक भी नसीब नहीं हो पाई। अगर कोई पाठ्य पुस्तक उपलब्ध हो पाई वह की महज बीएससी में ही हो पाई। दसवीं तक तो कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी। उस पर फीस भी उस जमाने में माफ नहीं थी। चाहे 10 पैसे से दस रुपये प्रति माह फीस लगती थी वह भी बड़ी मुश्किल से दे पाते थे। हालत इतनी बेहतर नहीं थी कि लाइट व्यवस्था भी हो सके। जब हम दसवीं कक्षा में पहुंचे, परीक्षा के दिनों में कहीं से लाइट का प्रबंध किया था और इस लाइट से पढऩा शुरू किया था। जब 11वीं कक्षा में कालेज में पहुंचे तो एक ही वस्त्र में जाना आना और सादी चप्पल नसीब हुई। खाकी ड्रेस पहनकर कालेज जाते थे। वहां सबसे बड़ा लाभ मिला पुस्तकालय का, लाइब्रेरी से पुस्तक 14 दिनों के लिए उधार लेते अच्छे-अच्छे बिंदु होते हैं उन्हें नोटबुक में नोट कर लेते और पुस्तक वापस कर देते थे। इस प्रकार हमारी कालेज की पढ़ाई अच्छी चलने लगी, लाइट का प्रबंध हो गया, फोन आदि तो होते ही नहीं थे। जब हम बीएससी कर रहे थे उसे समय तक हमारे पास लाइट की व्यवस्था थी, फोन आदि किसी को ज्ञान नहीं था रेडियो भी नसीब नहीं था। रेडियो का प्रचलन उन दिनों बहुत सिर चढ़कर बोलता था। हां घर पर दुकान कर ली थी जहां बड़े भाई बैठते थे और परिवार का बखूबी से पालन उन्होंने किया। 1986- 87 तक जहां रेडियो टीवी के मनोरंजन कर भी देने पड़ते थे, डाकघर में मनोरंजन कर भरके आने पड़ते थे और जब हमने रेडियो, टीवी खरीद लिया उसके भी मनोरंजन कर हमें डाकघर जमा कराने पड़ते थे।
मेरा बड़ा भाई भरपूर को टीवी का शौक था और वह दिल्ली से टीवी खरीद कर ले आये और घर में लगाया। उसे जमाने में टीवी बहुत कम होते थे। टीवी से थोड़ा आनंद जरूर आया ,जब भी समय लगता टीवी देखते थे ,बहुत कम समय बारी बारी से भाई टीवी देख पाते थे। समय ऐसे ही बीत गया। बीएससी कर रहा था तब ट्यूशन भी करना शुरू कर दिया और फिर तो हालत बहुत अच्छे बनती चले गये। और इससे पहले ही भाई ने दुकान 1980 में शुरू कर दी थी, घर की हालत सुधारती चली गई। मैं ट्यूशन से पैसे कमा लेता था, उधर भाई घर परिवार चलाने के लिए दुकान में अच्छा काम कर रहे थे। आज भी दुकान चली आ रही है। धीरे-धीरे दुकान का काम बेहतर चलने लगा, उधर मेरा भी पढऩे व पढ़ाने का स्तर बढ़ता चला गया। एक दिन में सैकड़ों विद्यार्थियों का ट्यूशन, कहीं स्कूलों में अस्थायी तौर पर जाना, कभी निजी स्कूलों में पढ़ाना जिससे अच्छा काम चलता रहा। उस जमाने में ट्यूशन के लिए तीन ही शिक्षक कनीना में कार्यरत थे। जहां रमेश कुमार एसएनडी आदर्श वाले,राम भगत गणित के लिए अच्छे शिक्षक जाने जाते थे और उधर मुझे साइंस बतौर जाना जाता था। इसलिए अधिकांश विद्यार्थी या तो गणित पढ़ाने के लिए मेरे पास या मेरे से कुछ ज्यादा गणित विषय पढऩे के लिए राम भगत के पास जाते थे, विज्ञान पढऩे वाले सबसे ज्यादा मेरे पास थे। इसी प्रकार गुजर बसर चला और बड़ी कक्षा में पहुंचे। जब साल 1994 आया तो एनवायरेंमेंट एवं इकोलोजी में एमएससी परीक्षा देने के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ा, वहीं से फिलिप्स कंपनी का रेडियो खरीद कर लाया जिसमें मधुर मधुर संगीत विशेष कर रफी के गाने बहुत सुनता रहा। आज भी मैं रफी के गानों का फैन हूं। उधर कुछ समय बाद जहां लैंडलाइन फोन लगवा लिया। मैं पत्रकारिता में आने की वजह से लैंडलाइन फोन की जरूरत पड़ी और 8845 नंबर मेरे लैंडलाइन फोन के नंबर थे। तत्पश्चात मुझे पता चला कि वायरलेस फोन/कोर्डलेस आता है और वह फोन मैंने खरीद लिया जो लैंडलाइन फोन से जुडकर काम करता था, जिसे कार्डलेस फोन नाम से जानते थे। और 4-5 किलोमीटर दूरी तक यह फोन काम करता था। जहां घर पर लैंडलाइन फोन से यह फोन जुड़ा होता था और मैं अपने खेतों में जहां डा.राजेंद्र सिंह व सूबे सिंह के खेत के पास अपने खेत में काम करता था तो कार्डलेस कार्य करता था। तत्पश्चात समय बीता और यहां बीएसएनएल की टावर सबसे पहले लगाई गई और बीएसएनएल की सिम पाना बहुत मुश्किल काम था। बीएसएनएल की सिम पत्रकारों को दी गई, उसके लिए पैसे भरने पड़े परंतु बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हो पाई और यहां से सफर मोबाइल का शुरू हुआ। कार्डलेस फोन ने काम बंद कर दिया। तत्पश्चात मोबाइल फोन जिस पर फोन करने व सुनने सभी के पैसे लगते थे। धीरे-धीरे फैक्स की सुविधा उपलब्ध करवाई, मैं फैक्स का बड़ा शौकीन था। उस समय बहुत महंगे दामों पर एक फैक्स करीब 40,000 रुपये की दिल्ली से मंगवाई जो श्रीीभगवान गौतम ने लाकर दी। यह आज तक मेरे पास सुरक्षित है और एक के बाद एक फैक्स प्रयोग की। फैक्स आने से खबरें भी फैक्स के जरिए भेजी जाने लगी। तत्पश्चात एक दिन बिजेंद्र ढिल्लों, राधेश्याम गोमला तथा मैं चलकर रेवाड़ी एक गाड़ी से पहुंचे। तीनों को सिम की जरूरत थी। मेरी कुछ टप टप टेलीफोन के एक उच्च अधिकारी से होने की वजह से फोन किया और एक सिम की बात की। उन्होंने रेवाड़ी बुलाया। हम तीनों एक गाड़ी से रेवाड़ी पहुंचे। मैंने उस अधिकारी से निवेदन किया कि हमें एक नहीं दो सिम चाहिए ।उन्होंने कहा चलो दो सिम दे दी जाएंगी। सबसे पहले सिम 9416348200 दी जो राधेश्याम ने कहा यह सिम तो मुझे जरूरत है, मुझे दे दो और वह सिम राधेश्याम को दे दी गई। तत्पश्चात एक और सिम निकाल जो 9416348400 नंबर की थी जो मैंने ले ली। तब से वह सिम आज तक से मेरे पास चली आ रही है। फिर निवेदन किया कि गाड़ी चालक बतौर विजेंद्र ढिल्लों आये हैं क्यों नहीं उनको एक सिम दी जाए और सिम दे दी। तीन सिम पाकर गाड़ी की सफाई के लिए गुरुग्राम की ओर प्रस्थान कर दिया। गुरुग्राम से गाड़ी की सफाई करके जो वापस आ रहे थे तो रास्ते में मीरपुर के पास मुख्य सड़क मार्ग पर भयंकर दुर्घटना घटी। गाड़ी हेलंथस से जा टकराई और दो कड़े नीम के पेड़ तोड़ डालें। गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई विजेंद्र ढिल्लों चालक थे और राधेश्याम साथ बैठे थे। मैं पीछे बैठा था। मुझे कोई चोट नहीं आई तुरंत लोग वहां पहुंचे बचाव किया गया, रेवाड़ी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से हम कनीना सरकारी अस्पताल पहुंचे। उस समय राममेहर श्योरान डाक्टर होते थे, उन तक पहुंचे। उन्होंने राधेश्याम गोमला और विजेंद्र ढिल्लों को दवा दी, कई दिनों तक उनका इलाज चलता रहा। उस घटना के बाद मैं समझा की सिम घटना की याद दिलाती रहेगी, वो सिम आज तक मेरे पास चली आ रही है। बाद में तो न जाने कितनी सुविधा शुरू हो गई किंतु तब तक मैं अपना पढ़ाई का सफर पूरा करके शिक्षा विभाग में लग गया था परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आज के दिन भी मैं नहीं पढ़ रहा हूं। आज भी मैं पढ़ाई कर रहा हूं, बच्चा भी पढ़ रहा है और मैं भी पढ़ रहा हूं।
नव वर्ष पर भेजे बधाई संदेश,संदेश भेजने का है आज अंतिम दिन
- मामूली से खर्चे पर प्रकाशित होंगे बधाई संदेश
********************************************
****************************************************************
********************************************************
कनीना की आवाज। नव वर्ष 2025 को समाचार पत्र में बधाई संदेश मामूली से खर्चे पर प्रकाशित होंगे। प्रत्येक व्यक्ति को 1000-1000 रुपये देने होंगे साथ में अपना बधाई भेजना होगा। इसके लिए एक पासपोर्ट साइज फोटो तथा नये साल का संदेश देना होगा। यदि बधाई संदेश छपवाना है तो 28 दिसंबर से पहले पहले फोन पे के जरिए राशि 9416348400 पर एक हजार रुपये भेजें तथा इसी नंबर के व्हाट्सएप पर अपनी पासपोर्ट साइज फोटो और संदेश भेजें।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment