जल्द से जल्द बने कनीना का बाइपास
-अधर में लटका हुआ है बाइपास का मसला
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कनीना की आवाज। कनीना में लंबे समय से बाईपास निर्माण अधर में लटका हुआ हैं। बार-बार लोगों की इन समस्याओं को हल करने के लिए मांग की है तथा पूर्व में मंत्रियों ने भी इन्हें निर्मित किए जाने का इशारा किया था किंतु अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। कनीना में इस समय बाइपास की सख्त जरूरत समझी जा रही है। कनीना बस स्टैंड के इर्द गिर्द भीड़ बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण बाइपास की मांग बलवती हो रही है।
कनीना बस स्टैंड के पास वाहनों एवं यात्रियों का जमघट बनता जा रहा है वहीं दिनभर वाहनों के आवागमन के चलते सड़क मार्गों को क्रास करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यदि बाइपास बना दिया जाए तो भीड़ का दबाव कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त आवागमन में भी सुविधा हो जाएगी। बस स्टैंड के समक्ष तो जाम की समस्या बनी रहती है वही वाहनों को किसी वैकल्पिक मार्गों से गुजरते देखा जा सकता हैं। लोगों की मांग है कि कनीना बाइपास शीघ्र बनवाया जाए। पहले भी मंत्रियों ने बाइपास बनाने का आश्वासन दिया था किंतु अभी तक नहीं बन पाया है और न ही पुल का निर्माण किया गया है।
लोगों ने सरकार से मांग की है कि कनीना की प्रमुख समस्या में बाईपास निर्माण है, इन्हें पूरा किया जाए।
बाइपास के संबंध में लोगों से बात की जिनके विचार निम्र रहे--
** आए दिन दुर्घटनाएं घट रही हैं वहीं सड़क मार्ग क्रास करना आसान कार्य नहीं है। आमजन परेशान हैं और दिनभर धूल उड़ती है। बच्चे एवं बुजुर्ग सड़क पार नहीं कर सकते हैं। ऐसे में बाइपास एकमात्र विकल्प है।
---महिपाल सिंह,कनीनावासी
बाइपास का सर्वे भी एक बार हो चुका है। वैसे भी भारी संख्या में वाहन कस्बा कनीना के अंदरूनी मार्गों से होकर गुजर रहे हैं। आए दिन दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। बस स्टैंड भीड़ वाला क्षेत्र बन गया है। ऐसे में अगर बाइपास बन जाए तो कनीनावारिसयों को ही नहीं इधर से गुजरने वालों को भी लाभ मिलेगा।
----मोहर सिंह,कनीनावासी
कनीना की आबादी बढ़ती ही जा रही है वहीं भीड़ भी बढ़ती ही जा रही है। आवागमन में परेशानी बन जाती है। दिन के समय तो सड़क भी क्रास करना कठिन है। ऐसे में अगर बाइपास बन जाए तो कितने ही लोगों को लाभ मिल जाए। पहले भी बाइपास की सर्वे हो चुकी है। रेवाड़ी से महेंद्रगगढ़ बाइपास बन सकता है।
---सुखबीर सिंह,कनीनावासी
कनीना रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली, चरखी दादरी एवं कोसली आदि सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है। इतनी सुंदर लोकेशन और कोई नहीं हो सकती है। ऐसे में भीड़ बढऩा स्वाभाविक है। भीड़ घटाने का एक ही सरल उपाय है कि बाइपास बना दिया जाए ताकि समय की बचत भी हो सके।
---सत्यराज सिंह,कनीनावासी
फोटो कैप्शन:सत्यराज, महिपाल, मोहर सिंह, सुखबीर सिंह
चार लोगों के विरुद्ध करवाया अधेड़ ने मारपीट का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप मंडल के गांव चेलावास निवासी राजवीर सिंह ने चार लोगों के विरुद्ध मारपीट करने का मामला दर्ज करवाया है। पुलिस में उन्होंने बताया कि वह फौज से सेवानिवृत्त है तथा घर पर ही रहता है। 30 नवंबर को सुबह अपनी बैठक में बैठा हुआ था तभी वहां उसका बड़ा भाई सुखबीर, नरेंद्र, उसका लड़का कौशल तथा उसकी पत्नी सुनीता वहां आ गए। सुखवीर ने आते ही कहा कि तुमने मेरे लड़के नरेंद्र की सगाई क्यों तुड़वा दी, जिस पर राजवीर ने कहा कि उन्होंने कोई चुगली नहीं की। फिर चारों उसे कमरे में ले गए। लात घुसों से पिटाई की। राजवीर उनसे छुड़ाकर गली में भाग गया। फिर से उसे पड़कर घर में ले गए और फिर से चारों ने मार पिटाई की और जान से मारने की धमकी दी। घयल राजवीर ने 112 नंबर पर फोन किया और एंबुलेंस मौके पर आई। तत्पश्चात इलाज के लिए कनीना सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां से उन्हें नारनौल तत्पश्चात बहरोड़ में भर्ती करवाया। वर्तमान में उनका इलाज बहरोड़ चल रहा है। उनकी शिकायत पर नरेंद्र, सुखबीर, कौशल और सुनीता के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024
मेरा प्रिय गीता श्लोक प्रतियोगिता का अनूठा आयोजन
गीता के श्लोकों से प्रेरित सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव का वीडियो करें सांझा
वीडियो को ईमेल के माध्यम से shlokagita@gmail.com पर भेजें
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कनीना की आवाज। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के शुभ अवसर पर एक विशेष प्रतियोगिता मेरा प्रिय गीता श्लोक का आयोजन किया जा रहा है। यह प्रतियोगिता उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है जो भगवद गीता के श्लोकों से प्रेरित होकर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव कर चुके हैं। इस अनूठी पहल के माध्यम से प्रतिभागी न केवल अपने अनुभवों को साझा कर सकेंगे, बल्कि भगवद गीता के शाश्वत ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में भी योगदान देंगे।
प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य भगवद गीता के महान संदेश को विश्वभर में फैलाना और उन लोगों की कहानियों को उजागर करना है, जिन्होंने गीता के श्लोकों से मार्गदर्शन प्राप्त किया है। इस आयोजन के तहत प्रतिभागियों को अपने प्रिय गीता श्लोक के बारे में एक छोटा वीडियो तैयार करना है, जिसमें वह यह बताएंगे कि यह श्लोक उनके जीवन में किस प्रकार से प्रेरणा का स्रोत बना। ये वीडियो “My Favourite Shloka in Gita” नामक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए जाएंगे, जहां इन्हें लाखों दर्शक देख सकेंगे।
इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वीडियो की अधिकतम अवधि 40 सेकंड रखी गई है। प्रतिभागियों को वीडियो के साथ टाइटल, अपना नाम, फोन नंबर और पता भेजना होगा। सभी प्रविष्टियां 11 दिसंबर 2024, शाम 5:00 बजे तक स्वीकार की जाएंगी। वीडियो को ईमेल के माध्यम से shlokagita@gmail.com पर भेजा जा सकता है। प्रतियोगिता में विजेता का चयन सबसे अधिक देखे जाने वाले वीडियो के आधार पर किया जाएगा। इस विजेता को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।
भगवद गीता न केवल भारत का आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू के लिए गहन मार्गदर्शन प्रदान करता है। 'मेरा प्रिय गीता श्लोक' प्रतियोगिता के माध्यम से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड इस शाश्वत ग्रंथ के ज्ञान को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास कर रहा है। यह पहल उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी जो गीता के ज्ञान से अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहते हैं।
यदि आपके जीवन में भगवद गीता के किसी श्लोक ने बदलाव लाया है, तो यह प्रतियोगिता आपके लिए है। अपनी कहानी साझा करें, अपने अनुभव को दुनिया के साथ बांटें और भगवद गीता के अनमोल संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में भागीदार बनें। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के इस अनूठे प्रयास में सहभागी बनकर आप न केवल अपनी बात कहेंगे, बल्कि गीता के ज्ञान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का गौरव भी प्राप्त करेंगे।
ईमानदारी की दी मिसाल
चालक तथा परिचालक ने नोटों से भरा पर्स लौटाया
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कनीना की आवाज। इस आपा धापी के युग में जहां मानव एक-एक पैसे के लिए जान देने तथा जान लेने पर तैयार हो जाता है। वही दूसरी तरफ आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जिनको अपने धन के सिवाय किसी अन्य व्यक्ति के धन से कोई लेना-देना नहीं है और और वो अपनी ईमानदारी को कायम रखे हुए हैं।
नारनौल डिपो की हरियाणा रोडवेज बस के चालक राजवीर सिंह तथा परिचालक पंकज यादव को सोमवार सुबह बस में नोटों से भरा एक पर्स रोडवेज की बस में मिला। जिसमें ओमप्रकाश नामक व्यक्ति निवासी भोलगढ़ ,नीमका थाना जिला-सीकर का आधार कार्ड भी लगा हुआ था। वही उस आधार कार्ड में लिखित टेलीफोन नंबरों पर उस पर चालक व परिचालक द्वारा काल करके उस पर्स के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा सही जानकारी मिलने पर उन्होंने ओमप्रकाश को बताया कि आपका 11000 रुपये से भरा हुआ पर्स हमारे पास है। वहीं उपरोक्त व्यक्ति ने नारनौल डिपो की बस में चालक व परिचालक राजवीर तथा पंकज यादव के पास पहुंचकर अपना पर्स प्राप्त कर उनका आभार जताया है। पर्स मिलने पर पीडि़त ओमप्रकाश ने कहा कि कोई संदेह नहीं है इस दुनिया में आज भी राजवीर और पंकज यादव जैसे ईमानदार लोग हैं ,जिन्होंने स्वयं फोन कर मुझे मेरे पर्स व पैसे ले जाने की बात कही। ऐसे लोगों को प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लोगों को अगर प्रशासन सम्मानित करेगा तो और लोगों को भी इस प्रकार के कार्य करने का प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने नारनौल रोडवेज के जीएम तथा जिला उपायुक्त नारनौल से मांग कर नारनौल डिपो की बस के चालक राजवीर सिंह तथा परिचालक पंकज यादव को सम्मानित करने की मांग की है ।
फोटो कैप्शन 07: पर्स लौटाते हुए चालक व परिचालक।
सिहोर में आयोजित हुआ प्रतिभा सम्मान समारोह
-दानदाताओं एवं विद्यार्थियों का किया गया सम्मान
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कनीना की आवाज। शहीद सतपाल सिंह राज्य की वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सीहोर में प्राचार्य हरीश कुमार, समस्त स्टाफ व एसएमसी द्वारा विद्यालय में प्रोत्साहनवर्धन एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर खंड शिक्षा अधिकारी कनीना विश्वेश्वर एवं दिलबाग सिंह खंड संसाधन संयोजक कनीना तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर सतपाल सिंह राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मौलिक मुख्य अध्यापक पार्क बुड़ोली रेवाड़ी रहे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्र हितों हेतु दी गई दानराशि के दानदाताओं का सम्मान अब दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। साथ में छात्रों के लिए प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। शिक्षण जगत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले सतपाल राष्ट्रीय अवार्ड अध्यापक को छात्रों अध्यापकों एवं अभिभावकों से रूबरू कराया, इस कार्यक्रम में लगभग 60,000 रुपये की लागत से बने ब्लेजरों को निश्शुल्क विद्यालय की 81 छात्राओं को प्रदान किया गया। छात्रों के ब्लेजरों की धनराशि हरि सिंह लांबा गांव सीहोर एवं कमलेश कुमारी प्रवक्ता राजनीतिक शास्त्र सीहोर ने दान किया था। सुशीला यादव प्रवक्ता गणित ने भी 20,000 की लागत से बनी आफिस टेबल भेंट की। इस अवसर पर विद्यालय के अंग्रेजी प्रवक्ता की ओर से कैमरे लगवाने की घोषणा की गई। प्राचार्य हरीश प्रधान ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के सभी सदस्य, सुनील खुडानिया प्राचार्य कनीना, दयानंद यादव रिटायर अध्यापक, सत्येंद्र शास्त्री सहित समस्त स्टाफ मौजूद रहा।
फोटो कैप्शन 06: विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते हुए बीइओ कनीना एवं अन्य।
विश्व दिव्यांग दिवस-3 दिसंबर
दिव्यांग बच्चे कोई अलग नहीं होते, सभी गुण उनमें मिलते हैं-कौशिक
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कनीना की आवाज। विकलांगता का नाम जहां दिव्यांग दिया गया है। विश्वभर में पाये जाने वाले विकलांग बच्चों को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। हर दिव्यांग बच्चा सभी गुण रखता है जो आम बच्चा रखता है। इस संबंध में अनेक संस्थाएं एवं लोग कार्य कर रहे हैं। कुछ लोगों से इस संबंध में चर्चा की गई--
राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में दिव्यांग बच्चों के शिक्षक के रूप में कार्यरत विशेष शिक्षक अमृत सिंह राघव ने बताया कि दिव्यांग बच्चे किसी भी कार्य में किसी से कम नहीं होते। वह कोई भी कार्य करने में सक्षम होते हैं । उनको प्रोत्साहन देने के लिए 3 दिसंबर को दिव्यांग बच्चों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कनीना खंड में समावेशी शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों में लगभग सौ दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत हैं। जो अपने घर के नजदीकी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सरकार द्वारा इन बच्चों को विभिन्न प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है।
बच्चे भी किसी भी प्रकार की गतिविधि जैसे खेल को करिकुलम ,टीचिंग, आदि गतिविधियों में किसी से भी काम नहीं है। विशेष शिक्षक ने बताया कि कनीना खंड में समावेशी शिक्षा में अध्ययनरत तीन दिव्यांग बच्चों ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली। एक दिव्यांग बच्चा जो पूर्ण दृष्टि बाधित है कक्षा 12 में 81 प्रतिशत अंक हासिल करके अपने विद्यालय का नाम रोशन किया। वह बच्चा समावेशित शिक्षा के अंतर्गत ही शिक्षा ग्रहण कर रहा था दिव्यांगता किसी प्रकार का कोई अभिशाप नहीं है। दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह ही अपनी पढ़ाई लिखाई का कार्य करते हैं।
---अमृत सिंह विशेष शिक्षक-
कनीना विश्व दिव्यांग दिवस पर अगर नजर डाली जाए तो गत 11 महीने प्रदेश के दिव्यांगों के लिए कोई खुशी लेकर नहीं आ पाई क्योंकि हरियाणा राज्य दिव्यांग आयोग के आयुक्त की नियुक्ति गत वर्ष 22 दिसंबर से नहीं हो पाई है ,लेकिन इससे पूर्व का कार्यकाल दिव्यांगों के इतिहास का स्वर्णिम काल कहा जाएगा क्योंकि इन विगत 3 वर्षों में दिव्यांगजन आयुक्त के रूप में राजकुमार मक्कड़ का कार्यकाल अपने आप में बेमिसाल रहा। उन्होंने कहा कि आज दिव्यांगों की हजारों शिकायतें आयोग में पड़ी धूल फांक रही है तथा दिव्यांगों के अधिकारों की लड़ाई लडऩे वाला दिव्यांग आयोग बिना आयुक्त के खुद बेसहारा है उन्होंने कहा की राजकुमार मक्कड़ ने पूरे देश के सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग आयुक्त का पुरस्कार जीतकर साबित कर दिया कि वह दिव्यांगों की सही व सार्थक मांग को उठा रहे थे। सरकार को अभिलंब प्रदेश में दिव्यांग आयुक्त की नियुक्ति करनी चाहिए जिससे दिव्यांगों के हित सही मायने में सुरक्षित रह सके।
---नरेश कौशिक, दिव्यांग मुख्याध्यापक
फोटो कैप्शन: नरेश कौशिक एवं अमृत सिंह
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार-65
पत्रकारिता का है मेरा कटु अनुभव
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कनीना की आवाज। पत्रकारिता पर कब्जा है एक जाति विशेष का जो अन्य जातियों के पत्रकारों को आगे आने से रोकने का प्रयास करते हैं। पत्रकारिता के संबंध में एक पोस्ट पहले भी जारी कर दी थी। उसमें मैंने विस्तार से पत्रकारों के बारे में लिखा था किंतु आज यहां उसी का दूसरा भाग प्रस्तुत है। पत्रकारिता में जहां तक मेरा लंबा अनुभव है जिसमें देखने में आया कि पत्रकारिता में एक जाति विशेष का कब्जा है। यह जाति विशेष दूसरी जातियों के पत्रकारों को आगे आने से रोकने का भी प्रयास करते हैं। अगर मैं पत्रकार बनने और आगे बढऩे का प्रयास करता हूं तो यादव जाति के लोग मेरी ही टांग खींचते हैं किंतु एक जाति विशेष का कब्जा अखबारों में है वह अपनी जाति भाइयों को पूर्णतया सहयोग देते हैं। इसमें कोई शक की बात नहीं। अगर मैं तीन समाचार पत्रों में काम करना चाहूं तो मुझ पर बंदिश लगा दी जाती है लेकिन एक जाति विशेष के लोग चाहे 10 समाचारपत्रों में काम करें तब भी उन पर कोई बंदिश नहीं है। यही कारण है की हर इंसान के दिमाग में छाया हुआ है कि पत्रकारिता तो एक जाति विशेष ही कर पाती है। मुझे याद है एक बहुत प्रसिद्ध विद्वान जो यादव जाति से संबंध रखता है, जिसने मुझे एक प्रसंग सुनाया था कि एक जाति विशेष के लोग हवन मंगल फेरे आदि करवाते आ रहे हैं। एक बार वह यादव होते हुए भी हवन करवाने लग रहा था तभी जाति विशेष के लोगों ने आकर कहा कि यादव भी अगर यह काम करेंगे तो हम कहां जाएंगे? विद्वान ने स्पष्ट कहा कि जाने का तो मुझे मालूम नहीं कि आप कहां जाएंगे? परंतु क्या एक जाति विशेष को ही हवन करवाने और मंगल फेरे करवाने का काम सौंपा गया है। जो विद्वान है वह कोई भी काम कर सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारे समाज में अधिकांश लोग पंडित का अर्थ नहीं समझ पाते, वे पंडित का ब्राह्मण को लेते हैं, जबकि पंडित का अर्थ है विद्वान। विद्वान जन चाहे किसी भी जाति का क्यों न हो पंडित कहा जाता है। ऐसा उन्होंने लोगों को समझाया है और हम भी समझते आ रहे हैं पंडित कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो विद्वान हो। यह सत्य है परंतु लोगों के दिमाग में पंडित आते ही ब्राह्मणों की ओर ध्यान जाता है। वैसे भी एक वक्त था जब पंडित लोग अधिक उसी जाति विशेष में होते थे। यही हालत पत्रकारिता में है अगर नजर दौड़ाकर देखा जाए और पता लगाया जाए कि कितने लोग किस जाति के पत्रकार है? तब मेरा कथन स्पष्ट नजर आ सकता है। मुझे उस जाति विशेष से कोई बैर भाव न कभी था और न कभी होगा किंतु मुझे देखिए मैं होशियार सिंह 1988 से पत्रकारिता करता रहा हूं ।यह सत्य है कि दैनिक ट्रिब्यून ऐ ट्रस्ट का अखबार है जिसने मुझे पारिश्रमिक बिना कहे दिया जाता था। बाकी जितने भी समाचार पत्रों में मैंने काम किया पारिश्रमिक या तो दिया ही नहीं या दिया भी तो आधा अधूरा दिया। आज भी यदि मैं पारिश्रमिक की मांग करता हूं तो निश्चितरूप से एक जाति विशेष के लोग मुझे पारिश्रमिक लेने से भी वंचित करने का प्रयास करेंगे और पहले भी किया है। अगर मैं समाचार अच्छे-अच्छे भेजता हूं और दूसरा कोई एक जाति विशेष का व्यक्ति समाचार भेज देता है तो उसके समाचारों को अहमियत दी जाती है।
अब तो इक्का दुक्का समाचार पत्रों का नया नियम भी देखने को मिली कि कोई भी समाचारपत्र में समाचार भेजे तो समाचार को लगा दिया जाता है किंतु कुछ सशक्त समाचार पत्र साफ तौर से कह देते हैं कि समाचार अगर लगवाना है तो अपने क्षेत्र के संवाददाता या पत्रकार को ही भेजें जिसका परिणाम अच्छा आता है और पत्रकार का सम्मान बढ़ता है लेकिन देखने में आया कि इक्का दुक्का समाचार पत्रों में चाहे कुत्ता और बिल्ली भी समाचार भेजें तो उसके समाचार को अहमियत दे देते हैं, छाप देते हैं जिससे पत्रकार को ठेस लगती है। ऐसा कार्य समाचारपत्रों और उनके जिला संवाददाताओं को नहीं करना चाहिए ताकि पत्रकारिता सुदृढ़ बने और ग्रामीण पत्रकारों की अहमियत बढ़े।
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