मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 82
-दर्जनों समाचारपत्रों एवं दर्जनों पत्रिकाओं में काम किया
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह विज्ञान अध्यापक बतौर 30 अप्रैल 2024 का सेवानिवृत्त हो गए। उनका जीवन संघर्षों में बीता है। वह अपने समय न केवल बेहतरीन शिक्षक रहे हैं अपितु बेहतरीन पत्रकार और बेहतरीन साहित्यकार रहे हैं। वो अपनी पत्रकारिता के विषय में जानकारी दे रहे हैं। लीजिये उनकी पत्रकारिता के विषय में उन्हीं की जुबानी सुने---
बात उन दिनों की है जब बीएससी,बीएड करके बेरोजगारी के कगार पर खड़ा हुआ था। महज ट्यूशन से ही मेरा काम चल रहा था और ऐसे में समझा क्यों न मैं पत्रकार बनूं। उस जमाने में 1988 के आसपास पत्रकारिता का बहुत बड़ा क्रेज था। पत्रकारों की बड़ी कद्र होती थी, पत्रकारिता से लोग प्रभावित थे। जो भी मेरे मिलने वाले होते वो बस एक बात कहते कि पत्रकार बनकर देखो बहुत लाभ होगा, आपकी जिंदगी संवर जाएगी। चाहे उनका वह कथन मेरे लिए लाभप्रद साबित नहीं हुआ क्योंकि पत्रकारिता ने मेरी कोई जिंदगी नहीं सुधारी अपितु जिंदगी को बिगाड़ कर रख दिया। एक अंग्रेजी में कहावत है-जैक आफ आल ट्रेड्स मास्टर आफ नन। अर्थात कई नावों में कदम रखने से नाविक गिरना सुनिश्चित है।
पत्रकारिता एक कुत्ते का हाड़ साबित होती है। जिस प्रकार हड्डी को एक कुत्ता चूसता है और उसी के मुख से खून निकलता रहता है, वह समझता है की हड्डी में खून आ रहा है किंतु हड्डी में नहीं उसी के मुख का खून वह खुद ही पी रहा होता है। यही हालत पत्रकारिता की हैं। पत्रकारिता में जहां मेरे से पहले दीपचंद कनीना पत्रकार होते थे क्योंकि उनका समाचार समूह बहुत बड़ा पंजाब केसरी होता है, आज भी वो पत्रकार है परंतु उन्हें के करीब मैं भी पत्रकारिता शुरू कर दी थी किंतु मेरी पत्रकारिता छोटे-छोटे समाचार पत्रों से संबंधित होते हुए आगे की ओर बढ़ती चली गई। उस जमाने में -राजनीति मंच- सबसे पहले मेरा समाचार पत्र था जिसमें समाचार लिखना शुरू किया क्योंकि नाम से यह अभिप्राय है इसमें राजनीति खबरें ही लगती थी जो गासेहाना से प्रकाशित होता था और राजनीति का उस जमाने मुझे कोई ज्ञान नहीं होता था। उसे समय समाचार पत्र के लिए दूसरों की मदद लेकर समाचार बनाता और भेजता था क्योंकि राजनीति का उस समय मुझे कोई ज्ञान नहीं था। तत्पश्चात तो एक के बाद एक के बाद एक समाचार पत्र पकड़ता ही चला गया। जहां नीलकमल बहुत सुंदर समाचार पत्र था बहुत छोटे दर्जे का था इसलिए भी अच्छा समाचार पत्र साबित हुआ, जनसंदेश फरीदाबाद से प्रकाशित होता था और एक बेहतरीन समाचार पत्र था किंतु वह भी बंद हो गया। इस समाचारपत्र के कार्यालय में एक नेता ने तोडफ़ोड़ कर दी थी और इसे बंद कर दिया गया। बंद करने के बाद हमें आंदोलन के लिए दिल्ली भी जाना पड़ा था। तत्पश्चात दैनिक ट्रिब्यून जिसमें लंबे समय तक प्रयास करने के बावजूद ही मिला। उसे जमाने में दैनिक ट्रिब्यून बहुत अच्छा और सरकारी समाचार पत्र माना जाता था लेकिन समाचार पत्र ट्रस्ट का था। इस समाचार पत्र में लंबे समय तक काम किया और वास्तव में इसमें मेरी हर प्रकार की कविता, लेख, समाचार बाल लेख, प्रेरक प्रसंग आदि प्रकाशित होते रहे। यहां तक कि जब मैं इस समाचार पत्र से त्यागपत्र दे दिया तो उसे समय भी उन्होंने 50,000 रुपये मुझे दिए थे, अफसोस उस समय हुआ कि समाचार पत्र मैं लंबे समय तक रखना तो कितना आनंद आता। यहां तक कि दैनिक ट्रिब्यून में जब मैं तथा कंवरसेन वशिष्ठ गये तो उन्होंने सहायक संपादक का काम करने का आफर तक दिया किंतु नसीब नहीं हुआ। मेरे पास प्रारंभ से लेकर आज तक के सभी प्रकाशित समाचारों की करीब एक सौ फाइलें लगी हुई हैं। तत्पश्चात मेरी पत्नी स्वर्गीय सुमन यादव भी दैनिक ट्रिब्यून की पत्रकार रही और वह कनीना की पहली महिला पत्रकार थी जो अपने जीवन के अंतिम समय तक कनीना से दैनिक ट्रिब्यून की पत्रकार रही। उन्होंने करीब दस वर्षों तक काम किया। इसके बाद तो मैं दैनिक जागरण समाचार पत्र में लिखना शुरू किया जो आज तक चल रहा है, बीच में दैनिक भास्कर में 3 महीने तक पत्रकारिता की। हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, राष्ट्रीय सहारा, पब्लिक एशिया, नव आकाश और न जाने कितने समाचार पत्रों में काम किया। बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं में काम किया, विदेश के समाचार पत्रों में भी लेख एवं कविताएं प्रकाशित हुई और इसी भावना से ओतप्रोत रहकर 1994 में मैंने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया। उसे जमाने में इस क्षेत्र में अन्य कोई डिप्लोमा होल्डर नहीं था, एकमात्र मैं ही पहला डिप्लोमा पत्रकार बना। यह डिप्लोमा उस वक्त कोच्चि/ केरल विश्वविद्यालय से कोर्स पूरा किया। डिप्लोमा करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था। इसके बाद तो लगातार समाचार पत्रों से जुड़ा रहा। समाचार पत्रों में जहां प्रारंभ में हाथ से लिखकर समाचार भेजे जाने लगे ,तत्पश्चात कोरियर से समाचार भेजे जाने लगे, बाद में माडेम आया, फैक्स आई,टेलिग्राम, टेपरिकार्डर से समाचार भेजे जाने लगे और लंबा सफर तय करके मेल आई। मेल से समाचार भेजने पर अगले दिन छप जाते थे। दैनिक ट्रिब्यून में मैने सबसे पहले ई-मेल से समाचार भेजने शुरू किये। अब तो व्हाट्सएप से भी समाचार जा रहे हैं जो एक सेकंड में अगले स्थान पर पहुंच जाते हैं। पहले समाचार भेजने में कम से कम तीन दिन लगते थे तब समाचार प्रकाशित होते थे। इस प्रकार टेलीग्राम आथोरिटी, टेप रिकार्ड द्वारा समाचार भेजने का सिलसिला भी मैने चलाया। क्या जमाना था कि समाचार पत्रों में समाचार छपते तो कितना आनंद आता था, दूर दराज तक नाम था। तत्पश्चात मेरी पत्नी स्व. सुमन यादव लंबे समय तक पत्रकार रही साथ में वह लेखिका भी थी और दो पुस्तकें भी प्रकाशित हुई। वर्तमान समय में मेरी पत्नी आशा यादव ने केवल पत्रकार है अपितु हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उनकी एक पुस्तक भी पुरस्कृत हो चुकी है। मेरे लड़के अमीश यादव को भी हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा कहानी लेखन में पुरस्कृत किया जा चुका है। तथा वो भी अच्छे लेखक हैं। उनकी भी पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी है। एकमात्र पीछे एक बेटी बचाती है जो छोटी है। उन्होंने कृति रचना शुरू नहीं की है। मुझे विश्वास भविष्य में वह भी लिखना शुरू कर देंगी।
पत्रिकाओं में मेरे लेख कहानी कविता और न जाने कितने विधाओं में प्रकाशन हुआ। आनलाइन प्रकाशन, फेसबुक प्रकाशन में न जाने कितने ही अवार्ड मिले, कितने ही सर्टिफिकेट मिले। हजारों सर्टिफिकेट मेरे पास रखी हुई है और अवार्डों की संख्या भी गिनती में नहीं है। अब तो विश्व रिकार्ड पुस्तक में भी मेरा नाम दर्ज हो चुका है। अब मेरी इच्छा है कि समाचार पत्रों को धीरे-धीरे कम किया जाए और लेखन कार्य पर चला जाए जो भविष्य में काम आ सकता है।
शिविर में 70 मरीजों को जांचा गया
-इनमें से दस गर्भवती महिलाएं
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कनीना की आवाज। नवजीवन अस्पताल भोजावास के सौजन्य से लाला शिवलाल धर्मशाला कनीना में मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस कैंप का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति प्रोत्साहित करना है। नवजीवन अस्पताल से आए डा. सरिता यादव ने बताया कि कैंप में मरीजों की जांच कर मुफ्त दवाई प्रदान की गई। डॉक्टर सरिता ने बताया कि आज उन्होंने 60 मरीजों ओर 10 गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य जांचा और खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान खान पान पर ध्यान देने और मोबाइल फोन का कम उपयोग करने की सलाह दी। इस अवसर पर मनीषा यादव पूर्व पार्षद ने सेवा भाव के लिए लगाए गए इस कैंप की सराहना करते हुए कहा इससे समाज में एक अच्छा संदेश जाता है इस अवसर पर नीलकमल से डा. सचिन , डा. प्रशांत यादव ,डा. अंकित , सोनिका , अंकित पंकज , सूरज, हेमंत अर्निका यादव अमित कुमार सतीश रोहिल्ला आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 04: डाक्टर मरीजों को सलाह देते हुए।
माता खिमज मेले के दृष्टिगत बैठक आयोजित
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव सेहलंग स्थित खिमज माता धाम, सेहलंग,पहाड़ी पर खिमज माता सेवा दल एवं गांव सेहलंग निवासियों की एक सभा आयोजित की गई। इसमें चार फरवरी को लगने वाले खिमज माता के मेले की व्यवस्था हेतु तथा आयोजित हो रहे वालीबाल, कबड्डी, कुश्ती, क्रिकेट खेल,भंडारा, सफाई, रंग-पेंट आदि करवाने के लिए विभिन्न दायित्व दिए गए तथा विचार विमर्श किया गया। सभी ने समर्पण और श्रद्धा भाव से काम करने का निर्णय लिया। इस मौके पर मास्टर विजयपाल, महावीर प्रधान, रामनिवास, रविन्द्र, वजीर,अशोक, धर्मपाल,प्रवीण,प्रेम, सतपाल आदि सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। सभी खेलों में प्रथम पुरस्कार बढ़ा कर 31,000रुपये तथा द्वितीय पुरस्कार 21,000 रुपये कर दिया गया है।
फोटो कैप्शन 05: माता खिमज मेले की तैयारियों के दृष्टिगत बैठक
शहीद रविपाल को श्रद्धांजलि दो को
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कनीना की आवाज। जिला के गांव पाथेड़ा में आगामी 2 जनवरी को वीर शहीद रविपाल सिंह के 19वें शहीदी दिवस पर शहीद सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा तथा शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इस अवसर पर अतरलाल एडवोकेट मुख्य अतिथि होंगे।
जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक अभिषेक सिंह ने कहा कि शहीद रविपाल सिंह 2 जनवरी 2006 को मणिपुर में शहीद हुए थे। वहां सेना ने आतंकवादियों के सफाए के लिए ऑपरेशन हिफाजत चलाया हुआ था। इस दौरान आतंकवादियों से लोहा लेते हुए रविपाल सिंह शहीद हो गए। उनकी याद में ग्राम वासियों की तरफ से प्रतिवर्ष शहीद सम्मान समारोह आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी उनके शहीदी दिवस 2 जनवरी को विशाल श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी जिसमें शहीद रविपाल सिंह सहित देश के वीर शहीदों को नमन किया जाएगा।
वर्षा का जल अभी भी खड़ा है सड़कों पर
-मुख्य मार्गों पर भी खडऱा है गंदा जल
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को दिनभर 50 एमएम वर्षा हुई वहीं शनिवार को बूंदाबांदी चली जिसके चलते सड़कों पर गड्ढों के रूप में पानी खड़ा हुआ है। हाल ही में नहर के साथ-साथ नई सड़क बनाई गई है जिस पर भी कई जगह पानी खड़ा हुआ है, वहीं मुख्य मार्ग पर भी जगह-जगह पानी खड़ा हुआ है। सबसे अधिक पानी के गड्ढे कनीना-करीरा सड़क मार्ग पर देखे जा सकते हैं। यहां प्रारंभ में ही बहुत अधिक गड्ढे बने हुए हैं जो गंदे जल से भरे खड़े हैं जिनसे दुपहिया वाहन निकलना भी कठिन है। वर्षा से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे वहीं कुछ किसान ओलावृष्टि से प्रभावित हो गए हैं। किसान चाहते हैं कि ओलावृष्टि से हुये नुकसान की भरपाई सरकार कर।ें उधर वर्षा से बहुत अधिक किसानों को लाभ भी हुआ है क्योंकि अभी तक पानी की फसलों को जरूरत थी और वह पूर्ति वर्षा ने कर दी है। कनीना के होलीवाला और कालरवाली जोहड़ पर बने सड़क मार्गों पर पानी जमा हो गया जो अभी तक नहीं सूखा है। अक्सर जब कभी वर्षा होती है तो इन दोनों जोहड़ों के सड़क मार्ग पर एक-एक फुट पानी जमा हो जाता है। कनीनावासियों ने चाहे बहुत प्रयास किया गया हो किंतु अभी तक जल निकासी की पूर्ण व्यवस्था नहीं हो पाई है। दोनों ही जोहड़ों के पानी को निकालने के लिए पर्याप्त प्रयास किए गए, इनका गंदा जल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने के प्रयास किये किंतु नाकाफी रहे हैं। हर वर्ष मानसून के समय कनीना की अनेक सड़के जलमग्न हो जाती है। अभी भी कुछ सड़कों पर पानी जमा है। आवागमन गंदे पानी से होकर करना पड़ रहा है। वाहन जब गंदे पानी के से गुजरते हैं दूर दराज तक गंदा पानी गुजरने वाले लोगों को भीगों रहा है।
फोटो कैप्शन 03: करीरा सड़क मार्ग पर जमा गंदा जल
एसडी विद्यालय के विद्यार्थी 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के लिए हुए रवाना
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कनीना की आवाज। 51वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदशनी 2024 का आयोजन स्पोर्ट यूनिवर्सिटी हरियाणा राई सोनीपत में किया जा रहा है। जिला शिक्षा विभाग की तरफ से एस डी विद्यालय के 11वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को चुना गया है क्योंकि एस डी के नन्हे वैज्ञानिकों राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक प्रदर्शनी में भाग लेते रहे हैं आज एस डी विद्यालय के 40 विद्यार्थी उप-प्राचार्य के साथ उपरोक्त प्रदर्शनी के लिए रवाना हुए है सीईओ आरएस यादव ने टीम को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर देवव्रत, अभिभावक विक्रम सिंह बिसोहा, नवीन मोड़ी व संगीता डीपी साथ रहे।
फोटो कैप्शन 01: विज्ञान प्रदर्शनी के लिए रवाना होते हुए विद्यार्थी।
कनीना उपमंडल के गांव खेड़ी तलवाना में प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम सुना
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कनीना की आवाज। प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम महेंद्रगढ़ जिला संयोजक एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा जिला महामंत्री चौधरी रामनिवास खेड़ी ने बूथ नंबर 22 पर ग्रामीणों के साथ प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम सुना इस अवसर पर हवलदार शेर सिंह, नवीन कुमार अशोक कुमार मनीष कुमार, सुबह सिंह, छिमा देवी, ज्योति देवी आशा देवी सरिता देवी पुष्पा देवी सुमन देवी बबीता देवी सविता देवी आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 02: खेड़ी में मन की बात सुनते हुए लोग।
प्रतिभावान महिलाओं को उतारा जा रहा है पालिका चुनावों में
--प्रधान पद के लिए मारामारी
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कनीना की आवाज। यूं तो नगर पालिका के चुनाव फरवरी 2025 तक पूर्ण किए जाने हैं। पालिका प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित करने से चुनावों के दृष्टिगत इस बार एक नई समस्या खड़ी कर दी है वही वार्डों में भी महिलाओं के लिए आरक्षण दिया गया है। सबसे बड़ी बात है कि प्रधान पद के लिए योग्य और पढ़ी-लिखी महिलाओं की तलाश की जा रही है। जो पालिका प्रधान बतौर अहम भूमिका निभा सके। दसवीं क्लास तक लिखी पढ़ी बहुत से घरों महिलाएं हैं। वृद्ध महिलाएं चाहे दसवीं पास ना हो किंतु आधुनिक युवा पीढ़ी तो एमए और पीएचडी तक मिल जाएंगी। समस्या यह नहीं है अपितु समस्याएं पढ़ी-लिखी महिलाएं बहुत कम चाहती है कि वो राजनीति में आए, विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कम चाहती हैं। अभी कनीना कहने को शहरी है परंतु ग्रामीण पृष्ठभूमि इसके साथ बंधी हुई है। यही कारण है कि योग्य महिलाओं की तलाश जारी है। अभी तक एक दर्जन महिलाएं प्रधान पद के लिए दावेदारी के लिए अपने-अपने चेहरे किसी न किसी जरिए दिखने लगी हैं जिससे स्पष्ट है कि वो पालिका प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ेंगी। पालिका प्रधान का चुनाव डायरेक्ट/सीधा होगा इसलिए पूरे ही कनीना कस्बे के 10400 से अधिक वोट प्रधान पद के लिए अपना-अपना वोट डालेंगे और प्रधान पद का चुनाव करेंगे। प्रधान पद इस बार सशक्त पद बना दिया गया है क्योंकि पिछली योजना में प्रधान का चुनाव पार्षदों द्वारा होता था, अबकी योजना में पार्षदों को अलग थलग कर दिया गया है। ऐसे में पार्षदों की अहमियत को घटकर प्रधान पद को सशक्त बना दिया है। महज कुछ प्रस्ताव पारित करवाते समय पार्षदों की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में अब सभी की नजरें प्रधान पद पर टिकी हुई हैं। वैसे भी लंबे समय के बाद ही चुनाव हो रहे हैं इसलिए भी महिलाएं आगे आ रही है। कुछ घरों में महिलाओं को मनाया जा रहा है ताकि वह एक बार नामांकन कर दे तो चुनाव उनके परिवार वाले मदद करवा कर जीत सकते हैं। यही कारण है कि पहले तो महिलाओं को मनाना बहुत कठिन है क्योंकि प्रधान पद के लिए महिलाएं आगे कम आना चाहती हैं और एक बार यदि आगे आ गई तो फिर वह पीछे हटने का नाम भी नहीं लेंगी। इस बार जिन पुरुष उम्मीदवारों को प्रधान पद चुनाव लडऩा था उनके लिए सबसे बड़ी समस्या यही खड़ी हो गई है कि अब महिला प्रधान बनेगी और महिला प्रत्याशी को बनाने के लिए महिलाओं को तैयार किया जा रहा है ताकि वह किसी प्रकार चुनाव में आ डटे। आने वाले समय में पता लग पाएगा, विशेष कर नई साल पर जरूर पता लग जाएगा कितनी महिलाएं प्रधान पद की दावेदार हैं।
इस साल की अंतिम सोमावती अमावस्या 30 को
-पापों से दिलाती है मुक्ति -आचार्य दीपक
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कनीना की आवाज। पोष महीने में सोमावती अमावस्या 30 दिसंबर को प्रारंभ होगी जो 31 दिसंबर तक जारी रहेगी। अमावस्या में श्रद्धा, व्रत एवं भक्ति का विशेष महत्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में हर अमावस्या को लोग विशेष पूजन करते हैं जिसे पितृ पूजन कहते हैं। जिसके तहत पितरों के लिए अलग से भोजन तैयार किया जाता है और गायों को खिलाया जाता है। परंतु सोमवती अमावस्या पर स्नान व्रत एवं ध्यान का विशेष महत्व बताया गया है।
आचार्य दीपक कौशिक ने बताया कि इस दिन जहां लोग दूर दराज जैसे हरिद्वार, ढोसी तीर्थ तथा अन्य तीर्थ पर जाकर स्नान करते हैं, साथ में दान करते हैं उनकी मनोकामना फलीभूत होती है। इस दिन विष्णु एवं पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। आचार्य के अनुसार पीपल के पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है, इसलिए वृक्ष की जड़ की पूजा की जाती है और इसमें जल अर्पित किया जाता है। विधि विधान से पितरों की पूजा अर्चना की जाती है ताकि भौतिक सुख समृद्धि और खुशहाली आ सके। इस दिन दान का विशेष महत्व है, दान अवश्य करना चाहिए।
क्या है सोमावती अमावस्या --
आचार्य दीपक बताते हैं कि सोमवार का दिन वैसे ही शुभ होता है। यह दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और इस दिन भोलेनाथ को याद करते हुए अमावस्या का दिन आ जाता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जहां पितरों के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ और विष्णु को भी याद किया जाता है। यही कारण है कि सोमावती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। वैसे तो बताया जाता है कि पांडवों के समय में सोमावती अमावस्या कभी जीवन में नहीं आई, वे इस इस अमावस्या के लिए तरसते रहे किंतु इस साल वर्ष यानी 2024 की अंतिम सोमावती अमावस्या 30 दिसंबर को लग रही है जो 31 दिसंबर सुबह तक चलेगी। तत्पश्चात नया साल शुरू हो जाएगा इसलिए भी यह विशेष महत्व रखता है।
सोमावती अमावस्या के लिए आचार्य बताते हैं कि सुबह सवेरे स्नान, ध्यान करके और पितरों को नमन करना चाहिए। तत्पश्चात दान दक्षिणा करनी चाहिए, गायों को खाना खिलाना चाहिए। इस दिन जहां विभिन्न देवी देवताओं को याद किया जाता है। यह दिन अति शुभ माना जाता है।
फोटो कैप्शन: आचार्य दीपक
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