गीता प्रश्नोत्तरी की सर्टिफिकेट करें डाउनलोड
-जिनके इनाम निकली है उनके खाते में पैसे जल्द ही
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कनीना की आवाज। इस बार गीता प्रश्नोत्तरी में जी जान से मेहनत की किंतु 901 लोगों को जोड़ पाया। क्योंकि कुछ कनीना के लोगों ने मेरे साथ विश्वास घात करके अपने ही नंबरों को मोटीवेटर के रूप में प्रयोग किया, यहां तक की मेरे द्वारा तैयार किये उत्तरों का प्रयोग करके अपना नाम चमका लिया। फिर भी एक अच्छा खासा स्कोर हम जुटा पाए। भविष्य में ऐसे लोगों से सावधान रहते हुए अन्य प्रतियोगिताओं में हम भाग लेंगे। हमें पूर्ण विश्वास है कि उसमें पूरा सहयोग मिलेगा। बहरहाल गीता प्रश्नोत्तरी की सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं। उसके लिए वही तरीका अपनाना पड़ेगा जो उत्तर देते वक्त अपनाया था। आईजीएम क्विज /igmquiz पर जाकर अपने फोन नंबर और पासवर्ड लगाते ही सर्टिफिकेट डाउनलोड का आप्शन नजर आएगी अपनी सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं। विद्यार्थियों की भविष्य में काम आ सकती है। वैसे भी सर्टिफिकेट गीता से संबंधित है जो लेमिनेशन करवा कर घर में पूजा स्थल पर रख सकते हैं। अत: पुन: आप सभी से अनुरोध है कि अपनी सर्टिफिकेट डाउनलोड कर ले। सभी जिसे उन्होंने सहयोग दिया उन सभी का आभार और जिन्होंने मेरी टांग खींचे उनको भी साधुवाद।
इस बार मेरे द्वारा मोटिवेट किये दस भक्तों को 500-500 रुपये निकले हैं। उनके खाते में जल्द ही यह राशि हरियाणा सरकार की ओर से मिल जाएगी। वरना भविष्य में मेरे सं संपर्क कर सकते हैं।
प्रापर्टी आईडी बनवाना, ठीक करवाना बना बड़ा मुश्किल
-सरल तरीके से बनाने का हो प्रावधान
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कनीना की आवाज। अपनी ही जमीन की प्रापर्टी आईडी बनवाना या दुरुस्त करवाना एक तलवार की धार पर चलने के सामान बन गया है। जो व्यक्ति अपनी जमीन की आईडी बनवाता है या दुरुस्त करवाता है तो नगर पालिका कार्यालय में जाना पड़ेगा और वहां से कर्मचारी उसे सरल केंद्र पर जाकर अपने सभी प्रमाण/कागजात अपलोड करने की का आदेश देता है। सरल केंद्र पर जाकर हजारों रुपये तक व्यक्ति के लग जाते हैं तब जाकर अपलोड होते है। वैसे भी सरकार का आदेश है यदि आपको अर्जेंट प्रापर्टी आईडी चाहे तो 1000 रुपये फीस भरनी पड़ेगी परंतु इतनी फीस भरने के बावजूद भी कर्मचारी व्यक्ति को यही कहते मिलते हैं कि जो समय लगना है वह लगेगा चाहे आप अर्जेंट फीस भरे या न भरे। तत्पश्चात 5 से 7 दिन बाद कर्मचारी अपलोड किए हुए कागजों पर गौर करता है, देखता है और कोई ऐतराज लगा देता है। तत्पश्चात व्यक्ति को फिर से सरल केंद्र पर जाकर ऐतराज हटवाने पड़ते हैं। ऐसा एक बार नहीं कई कई बार आब्जेक्शन लगा दिए जाते हैं। तत्पश्चात जेई के पास ओटीपी जाता है और जेई अकसर मिलते नहीं। यहां तक की एक ही जेई के पास कई कई चार्ज होते हैं। ऐसे में मजदूर या किसान या कर्मचारी जो आईडी बनवाना चाहे उसके कई दिन बेकार हो जाते है। यदि मजदूर है तो बेचारे का परिवार भूखा रहने को मजबूर हो जाएगा। क्योंकि वह काम पर नहीं जा सकता। इसके बाद भी यदि सब आईडी बनवानी है तो उसके लिए एक और समस्या खड़ी हो जाती है। एफिडेविट बनवाया जाता है वह एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट का बनवाने का आदेश दिया जाता है। तत्पश्चात उसे सरल केंद्र पर फोटो बनवानी पड़ती है और उसका भी खर्च आता है। तत्पश्चा तहसीलदार साक्ष्यांकित करके शपथपत्र प्रदान करता है। यदि इस एफिडेविट की बजाय नोटेरी के एफिडेविट की अनुमति दे दे तो प्रापर्टी आईडी या सब आईडी बनाना आसान हो जाता है। सब आईडी यदि कोई व्यक्ति जमीन को बेचना चाहता है तो सब आईडी बनवानी पड़ती है। उसके लिए भी उसे 15 से 20 दिन कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। प्रापर्टी आईडी के लिए एक एक व्यक्ति के 20- 20 दिनों तक खराब हो जाते हैं तब आईडी बन पाती है। यदि मजदूर है तो उसकी मजदूरी ही चली जाती है, कर्मचारी है तो बेचारा अपने काम पर नहीं जा सकता, उसे इन कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस संबंध में कुछ लोगों से चर्चा की गई जिनके विचार इस प्रकार हैं--
**सब आईडी बनवाने के लिए नोटरी का एफिडेविट ही चलना चाहिए। एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट का एफिडेविट बनवाना बहुत कठिन कार्य होता है, पैसे की भी बर्बादी होती है और समय भी ज्यादा नष्ट होता है। ऐसा करना किसी कर्मचारी मजदूर के लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है। एक-एक सप्ताह तक परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे में नोटरी वाला ही शपथपत्र माना जाना चाहिए।
--- भगत सिंह समाज सेवी, कनीना
कर्मचारी तथा जेई की जिम्मेवारी लगा देनी चाहिए कि सभी कार्य एक सप्ताह में पूर्ण करके देंगे। यदि किसी दिन कर्मचारी अवकाश पर है तो उसकी जगह दूसरे व्यक्ति को भी यह जिम्मेदारी देनी चाहिए ताकि वह किसी की प्रापर्टी आईडी बनाने में मददगार साबित हो सके। बार-बार किसी व्यक्ति को न घुमाया जाए।
--- संजय यादव, कनीना
प्रापर्टी आईडी बनाते समय कर्मचारियों की मनमानी नहीं होनी चाहिए। यदि कर्मचारी अवकाश पर है तो पहले ही सूचना देनी चाहिए और किसी दूसरे व्यक्ति को उनकी जगह यह कार्य पूर्ण करना चाहिए। सरल केंद्र पर व्यक्ति को प्रापर्टी आईडी के लिए कागजात अपलोड करने का आदेश न देकर उस कर्मचारी को ही सभी कागज अपलोड करने चाहिए ताकि आईडी बनवाने का काम सरल बन सके। सरल केंद्र पर भेज देते तो व्यक्ति लुटते पीटते रहते हैं।
-- देवेंद्र एडवोकेट, कनीना
यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन में से कुछ हिस्सा बेचना चाह तो उसकी जमीन से बेची गई जमीन अपने आप कम हो जाए तथा खरीददार को अलग से आईडी बनाने का आदेश दिया जाए परंतु जमीन का कुछ हिस्सा बेचने के लिए पहले सब आईडी की शर्त लगाई जाती है। सब आईडी बनवाने के लिए फिर से कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। जैसे में यदि कोई व्यक्ति एक ही प्लांट को दो भागों में बेचना चाह तो एक महीने से भी अधिक समय लग जाता है दो भागों को बेचने के लिए दो सब आईडी की जरूरत होती है। यह सभी समस्याएं समाप्त की जानी चाहिए ताकि लोगों को सुविधा मिल सके।
-- धर्मवीर फौजी,कनीना
फोटो कैप्शन: भगत सिंह, देवेंद्र एडवोकेट, संजय यादव और धर्मवीर फौजी
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 69
जब पूरा घर ही तोड़कर हमें कर दिया बेघर, नहीं भुला सकेंगे जीवनभर
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह शिक्षा विभाग में लंबे समय तक सेवा दी है। वो अपने विचार स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं। कई-कई बार सेवा का फल बहुत ही दर्दनाक मिला है परंतु अधिकांश समय सेवा का फल अच्छा ही मिला। सेवा के दर्दनाक परिणाम एवं एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन मुझे याद है। उन दिनों जब मैं ट्यूशन करता था। ट्यूशन का कार्य बहुत जोरों पर चलता था, एक और जहां अपनी दुकान पर सहयोग करता था ताकि रोटी रोजी चल सके वही सुबह शाम और रात को 5 से 6 बैच विद्यार्थियों के ट्यूशन के निकलते थे। बात वर्ष 1988 की है जब हमारे पूरे परिवार ने पहली बार नपा चुनावों में लोढ़ा को वोट दिए थे, चुनाव जीतने पर स्वागत भी किया था। लोढ़ा जब प्रधान बने तो सोचा था कि अब तो बहुत बेहतर वक्त आ गया है। हमारे द्वारा चुना हुआ व्यक्ति अब प्रधान पद पर बन गया है परंतु हमें क्या मालूम था कि हमने कितना बुरा किया है। एक और जहां लोढ़ा का पुत्र मेरे पास ट्यूशन पर आता था वही इसी दौरान लोढ़ा ने हमें उस वक्त बेघर कर दिया जब घर में इतनी अधिक जगह नहीं थी। वर्तमान में कान्ह सिंह धर्मशाला बनी हुई है, यहां पर हमारा कच्चा घर होता था, पास में अनेक और भी घर होते थे। उनमें से वर्तमान में एकमात्र घर गजराज सिंह पूर्व फोरमैन का जरूर बचा है बाकी सभी लोढ़ा ने तोड़ दिए क्योंकि गजराज सिंह फोरमैन दोनों तरीकों से बेहतर साबित हुए, एक और जहां लोढ़ा से लडऩे के लिए तैयार थे वही न्यायालय में भी पहुंच गए। जो न्यायालय में नहीं जा सके उनको लोढ़ा ने बेघर कर दिया। सबसे बड़ी बात है कि कान्ह सिंह धर्मशाला की जगह एक नीम का पेड़ खड़ा हुआ है उस पर मैं अधिकांश समय बैठकर निबोरी खाता था, पशु आसपास बांधे जाते थे, पास में कुरी थी। इस पेड़ पर बैठकर मैं पढ़ता था ताकि पशुओं की रखवाली भी हो जाए और पढ़ाई भी पूरी हो जाए। एक नहीं करीब डेढ़ दर्जन दूध देने वाले पशु जिनमें गायें और भैंसें थी। नीम के पड़ के पास सबसे पुराना एक सिरस/सुकुमार का पेड़ होता था। यह पेड़ मेरे पिता ने जब से यहां रहना शुरू किया तब लगाया था। सबसे पहले लोढ़ा ने उस पेड़ को निशाना बनाया। घर बने हुए थे वो तो डाले, बड़ी बेरहमी से कार्य किया। उनके घर अधिक तोड़े जो उसके ही वोटर थे। ऐसे में हम एकदम बेघर कर दिए। सर्दी के दिन थे। सिरस/सुकुमार को काट डाला और खुर्दबुर्द कर दिया। आज तक उस सिरस की तथा उस घर की मेरे पास श्वेत श्याम फोटो उपलब्ध हैं। आसपास के कुछ लोगों ने खुशियां मनाई कि बहुत अच्छा किया, इनको बेघर कर दिया। ऐसा सदा ही समाज में चलता आया है। कुछ ऐसे लोग जो लोढ़ा के बहुत करीब थे और हमारे विरोधी थे उन्होंने तो लड्डू और बर्फी बांटकर खुशियां मनाई कि हमें बेघर कर दिया। मेरे पिता का अधिकांश समय इसी जगह बीता है। परंतु हम पर क्या बीती वह हम ही जानते हैं। क्योंकि मैं अपने पिता के बहुत करीब रहता था। मेरे पिता श्री जयनारायण ने उस वक्त मेरे से कहा था कि इससे निकृष्ट काम धरती पर कोई नहीं हो सकता। ऐसा घटिया काम करने वाला देखना एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, बहुत मार पड़ेगी। प्रभु की लाठी में बहुत बड़ी ताकत होती है। उस समय मेरी भी आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि मैं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ता जा रहा था, सोचा कि वक्त आएगा तो जरूर इसका बदला चुकता कर दिया जाएगा। हम नहीं भी चुका पाये तो कोई बात नहीं भगवान तो देखता है, उसके घर में न्याय होता है। मेरे पिता ने सभी पशु समीपी एक कुएं पर ठहराने पड़े। ऊपर से सर्दी दस्तक दे रही थी। तत्पश्चात हमने बहुत कठिन जीवन जिया, पशुओं को रखना दूध इक_ा करना, घर का गुजर बसर करना, बुरी हालत में समय बीता। परिणाम यह निकला कि मेरे पिता को बहुत गम हुआ और वह अधिक दिन नहीं जी सके। छह माह से भी कम अरसे में ही 24 फरवरी 1989 सर्दी लगने निमोनिया हो जाने से निधन हो गया। सभी पशु गायें एवं भैंसें बेचनी पड़ी। उससे पहले कनीना में हमारी सबसे बड़ी डेरी होती थी। मेरे पिता को डेरीवाला नाम से जाना जाता था। इतनी बड़ी डेरी आज संभव नहीं है। पशुओं को बेचने से मेरी मां ने भी उन पशुओं को कुछ दिनों के लिए जी जान एक करके रखा। पशुओं को जंगल में चराने के लिए हम सभी जाते थे किंतु मेरे पिता में जो ताकत पशुओं को चराने की थी तथा जिस कद्र मेहनत करने का जज्बा था वह हम किसी में शायद नहीं हो सकता। इतना ही नहीं पिता बहुत दुखी रहे और उन्होंने कहा कि हमने लोढ़ा को वोट देकर बहुत गलत किया है क्योंकि मेरे पिता, चौधरी बलबीर सिंह पूर्व प्रधान नपा के बहुत गरीबी थे। मास्टर दिलीप सिंह पूर्व प्रधान बताते हैं कि चौधरी बलबीर सिंह ,मुझे तथा जयनारायण को अपने पुत्र के समान समझते थे। परंतु मा. दलीप सिंह पूर्व प्रधान से उपरोक्त वर्ष दूरी बनाकर बड़ी भूल हुई और भूल का परिणाम इतना बड़ा चुकता किया कि शायद हम कभी नहीं भूल पाएंगे, पिता भी गम को अधिक नहीं झेल पाए थे। खैर वह वक्त ऐसा था जिस समय मैं छोटे छोटे समाचारपत्रों में पत्रकार होता था। श्वेत श्याम कैमरा होता था। मोबाइल आदि का प्रचलन नहीं था ऐसे में वर्तमान जैसी सोशल मीडिया जैसी सुविधा नहीं थी। यही कारण है कि अन्याय सिंर चढ़कर बोला था ,इसके सारे प्रमाण आज तक मैं संजोकर रखे हैं। वह दिन जीवन का बहुत मनहूस दिन था। पिता को खोकर आज तक मैं परेशान हूं परंतु उस समय एक शबक ली कि किसी पुराने साथी या नजदीक रहने वाले से कभी दूरियां न बनानी चाहिए जब तक कि अगला सौ बार दूरियां न बना ले। उसके बाद ही सोचना चाहिए। आज भी उस दिन को विशेष कर उस मिट्टी के चबूतरे पर बने सिरस/सुकुमार के पेड़ जिसके नीचे हमारा पूरा परिवार रहता था, जो लौट बर्बरता पूर्वक लोढ़ा ने कटवा डाला, कभी नहीं भूल पाऊंगा। किंतु एक नीम का पेड़ आज भी कान्ह सिंह धर्मशाला में खड़ा हुआ है जो छोटा सा था, तब मैं इस पर खूब दिन भर आराम करता था। इसी पर बैठकर पढ़ता था। आज वह बड़ा पेड़ बना हुआ है। उधर से गुजरता हूं तो वो दृश्य मेरे मन मस्तिष्क में कौंधने लग जाता है। लोढ़ा ने किया उसका हम नहीं भगवान बदला लेगा, ऐसा विश्वास मेरे पिता को भी था और मुझे भी है। आदमी हजार बुराइयां कर दे और यह समझे कि उसे कोई देख नहीं रहा है तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल होती है। आखिरकार भगवान जरूर देखा है और भगवान इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में उनके साथ नहीं तो उनके परिवार के साथ जरूर बदला लेता है।
नौ दिनों से चला आ रहा अधिवक्ताओं का धरना समाप्त
-न्यायालय भवन निर्माण को मिली हरी झंडी
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कनीना की आवाज। न्यायालय परिसर में पिछले 9 दिन से चल रहा वकीलों का धरना आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट जस्टिस नरेश शेखावत व कैबिनेट मिनिस्टर हरियाणा सरकार आरती सिंह राव के सहयोग से 10 दिसंबर को न्यायालय भवन निर्माण की डीएनआईटी से अप्रूवल होने के बाद आज समाप्त कर दिया गया। कनीना न्यायालय के अधिवक्ता पिछले 2 दिसंबर से न्यायालय भवन निर्माण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने के लिए बैठे हुए थे। जिसमें सभी लोग वकीलों ने मिलकर मजबूती से हर स्तर अपनी मांग को रखा और इस सिलसिले में एक शिष्ट मंडल जिसमें प्रधान सुनील रामबास, पूर्व प्रधान ओपी रामबास, पूर्व प्रधान संदीप यादव, पूर्व प्रधान दीपक चौधरी कनीना, पूर्व प्रधान हरीश गाहड़ा ,जिला उपायुक्त, जिला एवं सत्र न्यायाधीश कैबिनेट मंत्री आरती सिंह राव माननीय जस्टिस नरेश शेखावत से भी मिला। सभी वकीलों के अथक प्रयास व सामूहिक एकजुटता के कारण से कल न्यायालय भवन निर्माण की डीएनआईटी से अप्रूवल मिल गई है। जिससे अब भवन निर्माण की राशि व निर्माण का अनुमानित समय 540 दिन व अन्य टर्म्स एंड कंडीशन तय कर दी गई है कैबिनेट मंत्री द्वारा इस मामले मे की गई मदद को लेकर शिष्ट मंडल ने कैबिनेट मंत्री आरती सिंह राव का गुलदस्ता व पगड़ी भेंट करके आभार प्रकट किया। जिस पर आरती सिंह राव ने बार को आश्वस्त किया कि आगे का भवन निर्माण का कार्य अति शीघ्र प्रभाव से शुरू करवाया। जाएगा। इसके बाद वकीलों ने आज अपना विधिवत कार्य शुरू कर दिया है और धरने को समाप्त कर दिया गया ।
फोटो कैप्शन 04: आरती सिंह राव का अभिनंदन करते अधिवक्ता
सिंगल यूज प्लास्टिक के पांच चालान काटे
-तीन ने भरा मौके पर ही जुर्माना
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कनीना की आवाज। दीपेश कुमार असिस्टेंट एनवायरमेंटल इंजीनियर, राकेश जेई लिपिक सुरेंद्र वशिष्ठ ,राकेश कुमार जमादार ,दीपक कुमार सेवादार व कृष्ण कुमार नगर पालिका ने कनीना बस स्टैंड पर विभिन्न दुकानों पर छापेमारी की और 120 माइक्रोन पालीथिन बैग्स से कम वाले सभी दुकानदारों के चालान काटे। सुरेंद्र वशिष्ठ ने बताया कि पांच दुकानदारों के 500-500 रुपये के चलान काटे गये। तीन ने मौके पर ही जुर्माना भर दिया। प्रशासन नगर पालिका कनीना एसडीम व सचिव समय पाल सिंह के निर्देशानुसार यह कार्रवाई की गई। उन्होंने दुकानदारों को समझाया कि 120 माइक्रोन से कम के पालीथिन के बैग रखने पर जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने पालीथिन प्रयोग न करके कपड़े के बैग प्रयोग करने पर भी बल दिया।
फोटो कैप्शन 03: पालीथिन के चालान काटती काटते हुए नगरपालिका अधिकारी व कर्मी।
पुलिस ने पकड़ी 13 बोतल देशी शराब मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना पुलिस ने मुखबिरी के आधार पर सूचना मिली कि मोहनपुर बस स्टैंड पर एक आदमी परचून की दुकान के सामने पेड़ की छाया में शराब बेच रहा है। कनीना पुलिस ने मौके पर छापेमारी की तो एक व्यक्ति काबू किया जिसके पास नीला कट्टा था जिसे चेक करने पर 13 बोतल देशी शराब पाई। व्यक्ति का नाम विशाल इसराणा है। कनीना पुलिस ने आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
एक महीने तक विवाह शादियां रहेगी बंद
-14 जनवरी से फिर से शुरू होगी शादियां
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कनीना की आवाज। 15 दिसंबर के बाद एक महीने के लिए मलमास शुरू हो जाएगा और विवाह शादियां बंद हो जाएंगी। ये विचार कनीना के ज्योतिषाचार्य के अरविंद जोशी ने व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि हर वर्ष इस समय मलमास शुरू हो जाता है और इस दौरान शादियां नहीं की जाती। उन्होंने बताया कि 14 जनवरी से फिर से शादियां खुल जाएंगी किंतु कनीना क्षेत्र में जनवरी माह में 16 जनवरी को होगी। 14 जनवरी को कुछ जातियों के लोग शादियां करते हैं।
कुद किरायेदार हैं परेशान-
आगामी 15 दिसंबर से एक महीने के लिए विवाह शादियां बंद है जिसके चलते विशेषकर कुछ किराएदार परेशान रहेंगे क्योंकि किराएदार भारी संख्या में उत्तर प्रदेश ,बिहार राजस्थान तथा मध्य प्रदेश आदि से आए हुए हैं। जब किसी के विवाह शादी होती तो भारी संख्या में मुफ्त में खाना खाने को इनको मिल जाता है। पता चला कि हर विवाह शादी में भारी संख्या में एक किराएदार मुफ्त खाना खाने पहुंच जाते हैं। मालिक इसलिए नहीं समझ पाते कि हो सकता है कोई हलवाई की ओर से हो, लड़के वालों की ओर से हो या लड़की वालों की ओर से कोई खाना खाने आ रहा हो,इसलिए वो बोलते नहीं। यहां तक की इनको पेट भरकर खाना मिल जाता है और बेहतरीन खाना मिल जाता है, लोग खुशी के मौके पर किसी को बोलना भी नहीं चाहते? अब 15 दिसंबर से क्योंकि विवाह शादी एक महीने के लिए बंद हो जाएगी इसलिए खाने के लिए परेशान रहेंगे किंतु 14 जनवरी से फिर से विवाह शादियां शुरू हो जाएंगी।
डा. अजीत शर्मा को मातृशोक
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कनीना की आवाज। डा. अजीत शर्मा की मां रामदेई देवी 82 वर्ष का निधन हो गया। वह अपने पीछे दो बेटे, तीन पोते, चार पोतियां, दो पड़पोतों सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। उनका अंतिम संस्कार सैकड़ों गणमान्य जनों की मौजूदगी में गांव झगड़ोली में किया गया।
फोटो कैप्शन: रामदेई देवी फाइल फोटो
प्रापर्टी आईडी सरलतम तरीका से दुरुस्त करने की मांग
-कनीना के अनेक लोगों ने मिलकर दिया एसडीएम को ज्ञापन
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कनीना की आवाज। एक ओर जहां समाधान शिविरों में प्रापर्टी आईडी को ठीक किया जा रहा है वही बार-बार निर्देशों और आदेशों के उपरांत भी प्रापर्टी आईडी संबंधित कर्मचारी व अधिकारी ठीक नहीं कर रहे हैं। 10 से 15 दिनों से लोग चक्कर लगा रहे हैं फिर भी आईडी ठीक नहीं हो रही हैं। यह बात कनीना क्षेत्र के अनेक गणमान्य जनों ने एक ज्ञापन एसडीएम कनीना अमित कुमार को देते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कभी कर्मचारी एवं अािकारी नहीं मिलते और ग्रामीण बार-बार अधिकारियों के पास चक्कर लगा रहे हैं। साथ ही साथ कभी कर्मचारी स्वयं की आईडी स्थापित नहीं मानते, कभी तहसीलदार कभी नोटरी के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में र्आडी सरलतम तरीका से ठीक करने की मांग की है तथा साथ में कर्मचारी एवं अधिकारियों को आदेश देने की कि वे ताकि किसी को परेशान ना करें। उन्होंने साथ में मांग की है कि कोई कर्मचारी एक सप्ताह में प्रापर्टी आईडी ठीक नहीं करता तो उसका तबादला दूर दराज किया जाए। एसडीएम नेे ज्ञापन लेकर कार्रवाई करने की का आश्वासन दिया। इस मौके पर भगत सिंह, सुनील कुमार, हरिंदर, कृष्ण सिंह, सत्यवीर सिंह, राजेंद्र प्रसाद, वेद प्रकाश, तुलसीराम, कंवर सेन वशिष्ठ सहित विभिन्न गणमान्य जन उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 02: एसडीएम को ज्ञापन देते हुए कनीना क्षेत्र के लोग
क्षेत्र में जमा पहली बार पाला
- फसलों पर अभी कोई नुकसान नहीं-एसडीओ
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कनीना की आवाज। जहां विगत दिनों से दिन के समय तापमान अधिक रहा है वही बुधवार की सुबह क्षेत्र में पाला भी जमा। सुबह सवेरे घास फूस, पेड़ पौधों पर पाले की सफेद पर्त जमा देखी गई। वर्तमान समय में करीब 20000 हेक्टेयर पर सरसों तो 10000 से भी अधिक हेक्टेयर पर गेहूं की फसल उगाई गई है। बाकी सब्जियां उगाई हुई है। पहली बार ठंड का प्रकोप बढऩे से किसान जहां खुश है किंतु पाला पडऩे मायूस नजर आए। धूप खिली इसलिए पाले का प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस संबंध में डाक्टर अजय कुमार एसडीओ कृषि विभाग महेंद्रगढ़ से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि पहली बार पाला पड़ा है और पाला पडऩे का फसलों पर कोई नुकसान नहीं होगा। वैसे भी दिन में जहां धूप खिली है तो पाले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परंतु उन्होंने किसानों से हल्की सिंचाई करने की भी बात कही ताकि पाले का फसलों पर कोई नुकसान नहीं होगा। गेहूं आदि में कुछ भी करने की जरूरत नहीं है लेकिन सरसों में हल्की सिंचाई जरूर करें।
फोटो कैप्शन 02: क्षेत्र में पर पहली बार जमा हुआ पाला
पालिका चुनावों में इस बार मार सकता है युवा वर्ग बाजी
-दो दर्जन युवाओं ने चुनाव लडऩे की बात स्वीकारी
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कनीना की आवाज। नगर पालिका कनीना के चुनाव जनवरी माह के अंतिम सप्ताह या फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में होने जा रहे हैं जिसको लेकर के युवा वर्ग में इस बार जमकर जोश है क्योंकि पांच पूर्व प्रधान अभी जीवित हैं जिनमें से एकाध को छोड़कर अधिकांश की इच्छा चुनाव लडऩे की नहीं है। उधर युवा वर्ग हुक्कसें की गुडग़ुड़ाहट पर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं। खेतों में हो या दुकानों पर हर जगह र्चर्चा छिडऩे लगी है। युवा वर्ग तो अपनी एक श्रृंखला बना रहा है ताकि पूरे कस्बे से पार्षद एवं प्रधान पद का चुनाव लड़ा जा सके। इस बार अपना भाग्य जमाएंगे ऐसे युवाओं से बात हुई। उन्होंने बताया बुजुर्ग प्रधान को अगर प्रधान बनाएंगे तो काम भी अच्छी प्रकार नहीं संपन्न हो पाएंगे, युवा और जोशीले किसी व्यक्ति को चुनाव में खड़ा करेंगे उसे पूरे जोश के साथ जीत दिलाएंगे। ताकि वो कनीना का भाग्य को बदल सके।
युवा वर्ग का कहना है कि बूढ़े लोगों को चुनाव में आने से रोकने का प्रयास करेंगे। ऐसा अवसर बार-बार नहीं आता इसलिए पूरे जोश से चुनाव लड़ेंगे। इस बार पत्रकार भी चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं।
वैसे तो भारत ऐसा देश है जहां युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। कनीना में बहुत से युवा इस कार्यों को अंजाम तक पहुंचने में सक्रिय नजर आते हो। प्रधान पद के लिए जहां पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह एवं सतीश जेलदार परिवार से उनके पुत्र भी चुनाव लड़ सकते हैं क्योंकि अभी प्रधान पद का ड्रा नहीं निकाला गया है। सभी की नजरें ड्रा पर टिकी हुई है। जब ड्रा निकल जाएगा तब चुनाव लडऩे वालों की संख्या और नजारे अलग ही देखने को मिलेंगे। ऐसा पहले भी हुआ है की प्रधान पद एससी के लिए आरक्षित हो गया था और अनेक पार्षद मुंह बाये बैठे रह गये। इस बार प्रधान पद का चुनाव सीधा होगा, पार्षदों की कोई उसमें विशेष महत्व नहीं होगी। इस बार वक्त आने पर प्रधान पद एवं पार्षदों के लिए दावेदारों की संख्या अधिक हो सकती है। उधर महेश बोहरा युवा वर्ग ने बताया कि पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं क्योंकि उनके पिता राव सत्यवीर सिंह बोहरा पार्षद रह चुके हैं वहीं उनके दादा बलवीर सिंह बोहरा भी पार्षद रह चुके हैं। ऐसे मां की इच्छा है कि वो भी पार्षद पद के लिए चुनाव लड़े। युवा वर्ग में मनोज कुमार ने बताया कि वह प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं क्योंकि उनकी दिली इच्छा है कि इस बार अपना भाग्य अजमाए और अगर जीत जाते हैं तो कनीना का भाग्य ही बदल देंगे। प्रदीप बलिया ने बताया कि वह भी चुनाव अवश्य लड़ेंगे। उधर मनीष पार्षद अशोक कुमार ठेकेदार, विजय कुमार चेयरमैन आदि भी चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन कनीना क्षेत्र के लोगों की इच्छा है कि एक बार युवा वर्ग को अवश्य मौका दिया जाए।
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