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Tuesday, August 13, 2024


 

शिव महापुराण कथा के छठे दिन दक्ष की पुत्री सती के बारे में सुनाया प्रसंग
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कनीना की आवाज। सदर थाना कनीना के पास बने सीताराम, शिव मंदिर में 10 दिवसीय शिव महापुराण कथा के  छठे दिन राजा दक्ष की पुत्री सती के बारे में प्रसंग सुनाया। कथावाचक हरिदास महाराज ऋषिकेश धाम ने छठे दिन मंगलवार को  बताया कि सनातन संस्कृति में देवों के देव महादेव सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान हैं ऐसा माना जाता है कि उनके आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते साथ ही सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माता सती के पिता प्रजापति दक्ष भगवान शिव को जरा भी पसंद नहीं करते थे। माता सती भगवान शिव की पहली पत्नी है वह प्रजापति दक्ष की पुत्री थी राजा दक्ष ने अपनी तपस्या से भगवती को प्रसन्न किया । इसके बाद माता भगवती ने ही सती के रूप में उनके घर में जन्म लिया देवी भगवती का रूप होने के कारण सती दक्ष की सभी पुत्री में सबसे अलौकिक थी सती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पानी के लिए कठोर तपस्या कर रही थी उन्हें इस तपस्या का फल भी प्राप्त हुआ और उन्हें शिव पति के रूप में प्राप्त हुए लेकिन राजा दक्ष उन्हें अपनी बेटी के लिए एक योग्य वर नहीं मानते थे यही कारण है कि विवाह के बाद भी शिवजी को जमाई के रूप में राजा दक्ष ने उन्हें कभी नहीं अपनाया।  
शिव महापुराण के साथ साथ शिव जी का महा रुद्र अभिषेक आचार्य अश्वनी बीकानेर द्वारा करवाया जा रहा है।
सीताराम शिव मंदिर के पुजारी आचार्य प्रवेश शास्त्री ने बताया कि कथा का समय दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे तक रहता है। मंच संचालन जितेंद्र शास्त्री ने किया। इस दौरान प्रदीप कुमार, राजेंद्र सिंह, रामनिवास महाराज, दिनेश प्रधान, रमेश शर्मा, नरेश सोनी,  गीता नितेश नांगल, उत्तम नांगल, जितेंद्र शास्त्री, जितेंद्र यादव बब्लू,  प्रदीप कुमार विशु, जयवेंद्र रोहिल्ला, बृजभूषण, रघुवीर, सत्यनारायण, राहुल यादव, रघुनाथ,  हरीश, शकुंतला, सरोज, भारती, देवकी, सुनैना, रजवंती, प्रियंका सहित श्री सीताराम शिव मंदिर समिति के अनेक श्रद्धालू मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 08:शिव महापुराण कथा में शामिल होते हुए श्रद्धालु।







विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत कनीना में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
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कनीना की आवाज। मंगलवार को खंड स्तर पर सीडीपीओ कमला सोनी के मार्गदर्शन में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत प्ले स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कनीना ब्लाक की 61 गांव की सुपरवाइजर व वर्करों ने भाग लिया। सहायक सीडीपीओ कम सुपरवाइजर पूजा खींची व सुपरवाइजर सुमन ने संयुक्त रूप से उपस्थित कर्मियों को स्तनपान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इसके बाद स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। सीडीपीओ कमला सोनी ने बताया कि स्तनपान के महत्व के लिए जागरूक करने और शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से स्तनपान के संरक्षण, प्रचार एवं समर्थन के लिए स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर सुपरवाइजर कुसुम, मंजू जग्गो, ज्योति, संतोष, बलजीत, प्रेमलता, माया ओमपति, कमलेश यादव, नीतू, सुमन, राजबाला, सुनीता, रचना , प्रियंका सहित अन्य उपस्थित रही।
फोटो कैप्शन 07: स्तनपान पर व्याख्यान देती सीडीपीओ।






 समस्या बन रही प्रेशर होर्न
- दुपहिया वाहनों में भी लगवा रखे प्रेशर हार्न
- किसी को बुलाना हो तो भी जोर जोर से बजाते हैं
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में ही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में प्रेशर हार्न का प्रचलन बढऩे लगा है। रास्ते में हो या घर के सामने से गुजरते समय इसे प्रयोग कर समस्या पैदा कर रहे हैं।
 युवा पीढ़ी में तो क्रेज बढ़ा है। लोगों को या दोस्तों को बुलाते हैं तो घर की घंटी न बजाकर  प्रेशर हार्न बजाते हैं। रास्ते में तेजी से चलते हुये कुछ लोग तो प्रेशर हार्न सुनकर कानों पर हाथ रखते हैं या फिर झुंझलाते हैं किंतु वे किसी को कह नहीं पाते हैं।  अनेकों लोग बेहद परेशान देखे गए। यहां तक कि किसी घर के सामने खड़े होकर बार-बार हार्न बजाया जाता है और अपने साथी को याद किया जाता है। अब तो एक नया ट्रेंड आ गया है कि बच्चों को बिठाकर हार्न बजाकर उसे खुश किया जाता है। बच्चा खुश रहे किंतु उस पर बुरा प्रभाव कितना पड़ता है यह बात नहीं जानते हैं। विज्ञान के जानकार बताते हैं कि इस प्रकार के प्रेशर हार्न प्रयोग करने से कानों में बहरापन तो आ ही जाता है स्वभाव चिड़चिड़ा और शरीर को हानि हो जाती है। शरीर में कई रोग पनपने लगते हैं।  विशेषकर युवा पीढ़ी खुद तो जोखिम में रहती है साथ में दूसरों को जोखिम में भी डालते हैं। इस प्रकार के प्रेशर हार्न बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है किंतु कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
  पुलिस प्रशासन मूक बनकर देखती रहती है।  पुलिस प्रशासन अगर सख्ती से पेश आए और छोटे वाहनों में प्रेशर हार्न लगाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करे तो निश्चित रूप से हजारों लोगों का भला हो सकता है, अनेक दुर्घटना घटने से बचा जा सकता है। कितने ही लोगों का चिड़चिड़ापन भी दूर हो सकता है परंतु विज्ञान के जानकार रविंद्र कुमार का कहना है कि प्रेशर हार्न कभी प्रयोग नहीं करना चाहिए। सामान्य हार्न उतना ही प्रयोग करें जितनी जरूरत होती है किंतु हार्न बजाकर लोग खुशी का इजहार करते हैं वो परिणाम बाद में झेलते हैं। बगैर किसी कारण भी हार्न को बजाते पूरे रास्ते जाने की आदत बन गई है। विशेषकर प्रेशर होने वाले लोग तो बेहद परेशान करके रख देते हैं।
इस संबंध में पुलिस एवं डाक्टरों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्र हैं-
लगातार प्रेशर होर्न से कान के पर्दे फट सकते हैं, स्थायी रूप से बहरापन आ जाता है, दुर्घटनाएं बंढ जाती हैं, बैचैनी, हार्ट अटैक, भूख कम लगना तथा कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अस्पताल आदि के पास प्रेशर होर्न बजाना सख्त मना होता है।
--डा जितेंद्र मोरवाल, कनीना
प्रेशर होर्न का जुर्माना अधिक है। चाहे कोई भी वाहन हो उस पर दस हजार रुपये का जुर्माना होता है। इतने का चाहे कोई पुराना वाहन न हो किंतु जुर्माना देना पड़ेगा। ऐसे में प्रेशर होर्न न बजाने की सख्त हिदायत दी जाती है।
  --गोविंद सिंह एसआई
फोटो कैप्शन: डा मोरवाल









जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा छठी में दाखिले की प्रवेश परीक्षा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू
-16 सितंबर तक  कर सकते हैं आवेदन
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कनीना की आवाज। नवोदय विद्यालय समिति की ओर से महेन्द्रगढ़ सहित देश भर के 653 स्कूलों में सत्र 2025-26 में  कक्षा छठी में दाखिले की प्रवेश परीक्षा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है। जो विद्यार्थी छठी कक्षा में दाखिला लेना चाहते हैं वो एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर 16 सितंबर तक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
यह जानकारी देते हुए पीएम श्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के प्राचार्य राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि कक्षा छठी में दाखिले के लिए अभ्यर्थी महेन्द्रगढ़ जिले के किसी भी सरकारी व सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय में कक्षा पांचवीं में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में अध्ययनरत होना चाहिए । अभ्यर्थी का आधार कार्ड जिला महेन्द्रगढ़ का हो, अभ्यर्थी ने किसी भी सरकारी व सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय में कक्षा तीसरी एवं चौथी में पूर्ण शैक्षणिक सत्र में अध्ययन किया हो तथा उत्तीर्ण होना चाहिए। अभ्यर्थी का जन्म एक मई 2013 से 31 जुलाई 2015 के बीच होना चाहिए । उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के अभ्यर्थियों के लिए 75 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं तथा एक तिहाई सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति व दिव्यांगजन के लिए सरकार के नियमों के अनुरूप आरक्षण का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि कक्षा छठी में अधिकतम 80 विद्यार्थियों को ही प्रवेश दिया जाता है।
प्राचार्य ने बताया कि जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा पूर्णत: निशुल्क, सह-शिक्षा, आवासीय विद्यालय है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कक्षा 9वीं में एक वर्ष का प्रवास (अहिन्दी भाषी जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनगर आंध्र प्रदेश) विभिन्न खेलों में उत्तम व्यवस्था, स्काउट गाइड, कला तथा संगीत की विशेष शिक्षा व सुसज्जित पुस्तकालय की उत्तम व्यवस्था विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाई जाती है।






 समस्या बन रही प्रेशर होर्न
- दुपहिया वाहनों में भी लगवा रखे प्रेशर हार्न
- किसी को बुलाना हो तो भी जोर जोर से बजाते हैं
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में ही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में प्रेशर हार्न का प्रचलन बढऩे लगा है। रास्ते में हो या घर के सामने से गुजरते समय इसे प्रयोग कर समस्या पैदा कर रहे हैं।
 युवा पीढ़ी में तो क्रेज बढ़ा है। लोगों को या दोस्तों को बुलाते हैं तो घर की घंटी न बजाकर  प्रेशर हार्न बजाते हैं। रास्ते में तेजी से चलते हुये कुछ लोग तो प्रेशर हार्न सुनकर कानों पर हाथ रखते हैं या फिर झुंझलाते हैं किंतु वे किसी को कह नहीं पाते हैं।  अनेकों लोग बेहद परेशान देखे गए। यहां तक कि किसी घर के सामने खड़े होकर बार-बार हार्न बजाया जाता है और अपने साथी को याद किया जाता है। अब तो एक नया ट्रेंड आ गया है कि बच्चों को बिठाकर हार्न बजाकर उसे खुश किया जाता है। बच्चा खुश रहे किंतु उस पर बुरा प्रभाव कितना पड़ता है यह बात नहीं जानते हैं। विज्ञान के जानकार बताते हैं कि इस प्रकार के प्रेशर हार्न प्रयोग करने से कानों में बहरापन तो आ ही जाता है स्वभाव चिड़चिड़ा और शरीर को हानि हो जाती है। शरीर में कई रोग पनपने लगते हैं।  विशेषकर युवा पीढ़ी खुद तो जोखिम में रहती है साथ में दूसरों को जोखिम में भी डालते हैं। इस प्रकार के प्रेशर हार्न बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है किंतु कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
  पुलिस प्रशासन मूक बनकर देखती रहती है।  पुलिस प्रशासन अगर सख्ती से पेश आए और छोटे वाहनों में प्रेशर हार्न लगाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करे तो निश्चित रूप से हजारों लोगों का भला हो सकता है, अनेक दुर्घटना घटने से बचा जा सकता है। कितने ही लोगों का चिड़चिड़ापन भी दूर हो सकता है परंतु विज्ञान के जानकार रविंद्र कुमार का कहना है कि प्रेशर हार्न कभी प्रयोग नहीं करना चाहिए। सामान्य हार्न उतना ही प्रयोग करें जितनी जरूरत होती है किंतु हार्न बजाकर लोग खुशी का इजहार करते हैं वो परिणाम बाद में झेलते हैं। बगैर किसी कारण भी हार्न को बजाते पूरे रास्ते जाने की आदत बन गई है। विशेषकर प्रेशर होने वाले लोग तो बेहद परेशान करके रख देते हैं।






राखियों से सज गए हैं बाजार
- अलग-अलग प्रकार की राखियों की भरमार
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कनीना की आवाज। 19 अगस्त रक्षाबंधन के पर्व के दृष्टिगत बाजार विभिन्न प्रकार की राखियों से सज गए हैं। कई डिजाइन की राखियां बाजार में आई हुई हैं। राखियों को भेजने की परंपरा जारी है। बहने अपने भाइयों के लिए राखियां भेज रही है वहीं पर्व को मनाने के लिए विभिन्न गांव में तैयारियां चल रही हैं। विशेष का दुकानें सज गई हैं। गांव में राखी बेचने के लिए भी लोग आने लगे हैं। सबसे बड़ी विशेषता है कि त्योहार को लेकर के विभिन्न दुकानदार अपनी दुकानों के आगे राखियां रख लेते हैं और जमकर बेचते हैं। इस दिन जहां विगत वर्षों महिलाओं को पूरे हरियाणा की रोड़वेज बसों में मुफ्त यात्रा करने का प्रावधान है वही रक्षाबंधन को लेकर के अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
 या तो बहने अपने भाइयों के घर जाती है और राखी बांधकर कर आती है या भाई अपने बहन के घर राखी बंधवाने जाते हैं। यह पर्व सभी पर्वों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और भाई बहन के प्यार को इंगित करता है। अब तो भारी भरकम राखियों की बचाए हल्की राखियां पसंद की जाति और आधुनिक समय विज्ञान की उन्नति के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की राखियां बाजार में आ गई है। जिनको लेकर के बच्चे, बूढ़े और युवा सभी में उत्साह होता है। म्यूजिकल राखियां भी बाजार में आई हुई है।
एक वक्त था जब डाकघरों के माध्यम से राखियां गंतव्य स्थान तक जाती थी। डाकघर में गर्मी दिनभर लगे रहते थे किंतु अब राखी भेजने का रिवाज कम हो गया है। कोरियर से भी राखियां भेजी जाती हैं। इस संबंध में दुकानदारों का कहना है कि राखियां आनलाइन भेजे जाने के कारण उनकी खरीददारी कम हो रही है। इस संबंध में दुकानदारों एवं पोस्टमैन के विचार निम्र हैं-
एक वक्त था जब 20 दिनों से लेकर एक माह तक केवल राखियों के पैकेट घर घर पहुंचाए जाते थे। ये राखियां तीन दिनों से दस दिनों के बीच गंतव्य स्थान पर पहुंचती थी। पोस्टमैन का काम उन दिनों सबसे अधिक होता था। इसके बाद कुरियर सेवा की ओर रुझान बढ़ा। इसके बाद तो डाकघरों में राखी कम से कम आने लगी। समय बदला और डाकघरों की बजाय लोग राखी न भेजकर रक्षा बंधन पर्व पर या तो भाई बहन के पास या बहन भाई के पास पहुंचती है। इस प्रकार रक्षा पर्व भी हाइटेक हो गया है।
--राजेंद्र सिंह पोस्टमैन
अब तो आनलाइन राखी भेजे जाने एवं गांवों में राखियां बेचने वाले आने लगे हैं जिससे उनका काम कम होता जा रहा है। चाहे कितनी भी बेहतर राखियां दे दे किंतु बेचने वालों की राखियों की मांग अधिक होती है। उनका कारोबार कम होता जा रहा है।
---रोहित कुमार दुकानदार
अब तो आनलाइन राखियों का जमाना आ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में राखियां अब भी दुकानों से सीधे खरीदकर बांधी जाती हैं किंतु बड़े शहरों में उल्टा राखी आनलाइन खरीदकर आनलाइन ही गंतव्य स्थान पर भेज दी जाती हैं। राखी के प्रति आधुनिक युग में बहन एवं भई एक दूसरे के पास जाने लगे हैं।
--योगेश कुमार दुकानदार
फोटो कैप्शन 06: बाजार में राखियां
वहीं राजेंद्र कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार की पासपोर्ट फोटो








स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों की हुई अंतिम रिहर्सल
- आधा दर्जन स्कूलों ने लिया भाग
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कनीना की आवाज। उप- मंडल स्तरीय 15 अगस्त मनाने के लिए राजकीय महाविद्यालय कनीना में फुल ड्रेस रिहर्सल का आयोजन किया गया। उप- मंडल अधिकारी कनीना की अध्यक्षता में संपन्न कार्यक्रम में करीब आधा दर्जन स्कूलों की टीमों ने भाग लिया। चयन कमेटी ने सांस्कृतिक टीमों का चयन किया जिसमें मुख्य रूप से राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना, एसडी स्कूल ककराला, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना की उपस्थिति रही। डंबल एवं पीटी के लिए राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना, पीटी शो के लिए राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना, परेड के लिए हरियाणा पुलिस की टुकड़ी, एनसीसी परेड के लिए राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना, बीआर स्कूल सेहलंग, एसडी स्कूल ककराला मौजूद रहे। कार्यक्रम विशेष रूप से उप-मंडल अधिकारी सुरेंद्र सिंह, बीआरसी दिलबाग सिंह,प्राचार्य सुनील खुडानिया ,मुख्याध्यापक नरेश कौशिक, तहसीलदार संजीव कुमार, अमृत सिंह विशेष शिक्षक, प्रदीप संगीतकार आदि कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
 फोटो कैप्शन 01 व 02:  फुल ड्रेस रिहर्सल करते विद्यार्थी



फिर से कनीना क्षेत्र में हुई 14 एमएम वर्षा
-जोहड़ हुए लबालब
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कनीना की आवाज। जहां सावन सोमवार को 15 एमएम वर्षा हुई वहीं मंगलवार को भी 14 एमएम वर्षा हुई। किसानों के लिए सावन बेहतर रहा है। 19 अगस्त को सावन का समापन होगा। मौसम विभाग अभी इसी प्रकार वर्षा होने की बात कह रहा है।
 कनीना क्षेत्र में जहां जून से लेकर अगस्त तक
अब तक 255 एमएम वर्षा हो चुकी है।  इस समय बाजरे की बेहतरीन फसल खड़ी हुई है वहीं कपास की फसल भी लहलहा रही है।
 कनीना किसान रामफल, अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, योगेश कुमार, महेश कुमार आदि ने बताया कि सावन माह उनके लिए बेहतरीन वर्षा लेकर आया है। जून-जुलाई में जो वर्षा हुई उससे कहीं ज्यादा सावन माह में हुई है। दिनभर मौसम सुहाना रहता है। वर्षा फसलों के लिए अच्छी साबित होगी वहीं आगामी फसल के लिए भी अच्छी साबित होगी। जहां रबी फसल उगाने में महज दो माह बाकी हैं।
उधर वर्षा के चलते विभिन्न स्थानों पर, निचले स्थान पर जल भराव हो गया है, जोहड़ लबालब भर गए हैं। कनीना के दो जोहड़ होलीवाला और कालरवाली पूर्ण रूप से भरे हुए हैं जिनका पानी दूर दराज तक फैल रहा है। गंदे नगर पालिका समय-समय पर निकाल कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा रही है। वर्षा के चलते जहां किसानों की चेहरे पर रौनक आ गई है।
खंड कृषि अधिकारी डा.विकास कुमार ने बताया कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा। उन्होंने बताया उन्होंने बताया कि बाजरा 47500 एकड़, कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़, ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में पानी जमा होता है उनमें फसल नुकसान की संभावना है। कपास की फसल में सड्डन विल्ट का रोग आ सकता है।
डा विकास ने बताया कि क्षेत्र की भूमि बालू प्रधान है जो जल्दी पानी को सोख लेती है। इसलिए चाहे अधिक वर्षा भी होगी तो किसानों के लिए लाभ होगा।  बाजरा बड़ा हो गया है जिनको पानी की जरूरत थी। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। किसान अपनी फसलों को देखकर खुश नजर आये।
फोटो कैप्शन 03: कनीना का कालरवाली जोहड़ लबालब भरा हुआ।





















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