Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Sunday, August 18, 2024


 


 संघर्ष की दास्तान जसवंत सिंह यादव की ....
भाजपा की अगर टिकट मिल जाए तो क्रांतिकारी प्रभाव पैदा कर सकता है युवा जसवंत सिंह
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कनीना की आवाज।
एक अक्टूबर को जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। कांग्रेस, बीजेपी और विभिन्न दलों के मिलाकर 100 से अधिक उम्मीदवार टिकट की चाहत रखते हैं। चाहत होनी भी चाहिए। वैसे तो सत्ता पक्ष के प्रति कर्मचारी, किसान और अन्य जन रोष में और नाराज है और विरोध स्वर मुखर हो रहा है परंतु कनीना में ऐसी शख्सियत भाजपा के पास है जिसको अगर टिकट भाजपा से मिल जाए तो पासा पलट सकता है और वर्षों से जो अनेकता कायम है वह एकता में बदल सकती है। कनीना के निवासी होने के साथ साथ 30 वर्षों से भाजपा में रहे हैं। उन्होंने कभी दल बदल नहीं किया और सदा भाजपा के साथ रहे हैं। बबलू ने युवा, बुजुर्ग और महिलाओं के दिल में जगह बना रखी है। मिलनसार और सभी को हंस कर बोलने वाले जसवंत सिंह बबलू के नाम पर अकेले कनीना के 11000 करीब वोटों में से अधिकांश उनके पक्ष में हो सकते हैं। भाजपा के विगत सभी प्रत्याशियों के नाम पर कनीना एवं अन्य गांवों में गुट मिल सकते हैं और अधिकांश वोट एक नेता के पक्ष में नहीं हो सकते किंतु जसवंत सिंह के नाम पर अधिकांश वोट एकमत हो सकते हैं। जसवंत सिंह ने क्षेत्र में नाम कमाया है वही करीब 20 वर्ष पहले  दुकानदार बतौर भी क्षेत्र में नाम कमाया है।
रही अटेली विधानसभा से लोग हर चुनाव में बाहर का प्रत्याशी कहते हुए देर नहीं लगते किंतु यदि जसवंत को टिकट दी जाए तो यह आरोप स्वत: ही खारिज हो जाएगा। वैसे भी जहां टिकट की दौड़ में उनका नाम अग्रणी है।
जसवंत सिंह बबलू के स्वभाव के कारण अधिकतम दस में से एक व्यक्ति विरोधी हो सकता है। सबसे बड़ी बात है कि विगत समय में कनीना और इसके 54 गांवों और यहां तक कि दौंगड़ा क्षेत्र  से कभी भी भाजपा के प्रत्याशी को किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया। इस बार उन्हें टिकट मिल जाता है तब भाजपा मजबूती की ओर चली जाती है। अब देखना है जसवंत सिंह बबलू टिकट लाने में सक्षम होता है या नहीं और भाजपा हाईकमान का क्या रुख हो सकता है।




मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार---
शिक्षा सफर में एक ऐसा शिक्षक भी मिला जिसको किसी विषय का कोई ज्ञान नहीं
-दसवीं कक्षा के विद्यार्थी से भी मिला कम ज्ञान
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कनीना की आवाज।
डा. होशियार सिंह ने बतौर शिक्षक निजी एवं सरकारी स्कूलों में करीब 40 वर्षों तक शिक्षण किया। इस अवधि में बहुत से ज्ञानवान शिक्षक भी मिले जिनका नाम लेने में फक्र होता है। परंतु ऐसे शिक्षक का नाम लेते वक्त दर्द भी होता है कि जिसे दूसरे विषय तो छोड़ अपने विषय का भी कोई ज्ञान नहीं है और न था। में होश हवास से न्यायालय से शपथपत्र दे सकता हूं कि अगर वह हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, कला, संस्कृत आदि किसी भी विषय में मेरे से अच्छा लिख पाए तो मैं अपनी सारी चल और अचल संपत्ति उसके नाम करवा सकता हूं वरना वो मेरा दास बनकर रहे। कहने को तो वह स्नातकोत्तर, एचडी तथा अन्य डिग्रियां हासिल किए हुए है परंतु सच्चे मायने में उसको किसी विषय का कोई ज्ञान नहीं पर हां चापलूसी करने में मेरे से 1000 गुणा आगे है। यही कारण है कि जब कोई नुकसान होता नजर आता है तो झटपट लोगों के पैरों में गिर जाता और जब पैसे खाने की बात आती तो दीमक की तरह चट कर जाता है क्योंकि हर शिक्षक को कोई न कोई फंड का चार्ज दिया जाता है। उसे भी चार्ज दिया गया था। चार्ज मिलते ही सभी फंड धीरे-धीरे चट कर लिए। किसी भी विद्यालय में जाकर उसके बारे में पूछा जा सकता है। मैं किसी का कोई नाम नहीं ले रहा हूं परंतु विद्यार्थी और शिक्षक सभी उसका नाम आसानी से बता सकते हैं। दुर्भाग्य है इस देश में ऐसे शिक्षक कार्यरत है और पहले भी रहे जिसके कारण शिक्षा विभाग गर्त में जा रहा है। ऐसे शिक्षक ही सरकारी शिक्षकों पर लांछन लगा रहे हैं।







महिला गुम, गुमशुदगी का मामला दर्ज
-महिला के पुत्र ने उसे किसी द्वारा कहीं छुपने का लगाया आरोप
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कनीना की आवाज।
कनीना उप-मंडल के एक गांव से एक महिला 5 अगस्त से गुम है। उसके पुत्र ने गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाते हुए उसे किसी ने कहीं छुपा कर रखने का आरोप भी लगाया है। गुम हुई महिला के पुत्र ने कहा कि 4 अगस्त को वह अपनी मां को घर छोड़कर अपनी बुआ के गांव गया था। 6 अगस्त को जब वापस आया तो उसकी मां गायब मिली। आसपास पता किया तो पता चला कि 5 अगस्त से उसकी मां गायब है। वह धार्मिक स्थानों पर आती जाती रहती है इसलिए उन्हें शक था कि कही किसी धार्मिक स्थान पर गई होगी किंतु जब लौटकर नहीं आई तो पास पड़ोस व रिश्तेदारी में पता किया। अब उन्होंने गुमशीदगी का मामला दर्ज करवा दिया है।





ककराला में खंड स्तरीय वार्षिक खेल प्रतियोगिता 20 से
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कनीना की आवाज।
खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगता एसडीवमा विद्यालय ककराला में 20 अगस्त से शुरु होगी जो 23 अगस्त तक चलेगी। विद्यालय प्राचार्य औमप्रकाश ने बताया कि सभी खेलों के मैदान तैयार कर लिए है, खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्धारित किए गए आयु वर्ग-11,14,17 व 19 वर्ष के लड़के व लड़कियों की प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी। 20 और 21 अगस्त को लड़कों की प्रतियोगिता का आयोजन होगा और 22 व 23 अगस्त को लड़कियों की प्रतियोगिता होगी। उन्होंने बताया कि योग्यता फार्म, समरी सीट खिलाडियों कीे फोटो के साथ, जन्मप्रमाणपत्र, आधार कार्ड, सत्र 2023-24 का रिपोर्ट कार्ड, दाखिला खारिज रजिस्ट्रर के दस्तावेजों की फोटो प्रति विद्यालय प्राचार्य द्वारा सत्यापित करवाकर अवश्य साथ लाये। दस्तावेज पूरे नही होने पर टीम को भाग नहीं लेने दिया जाएगा।






रक्षाबंधन पर्व को बड़े चाव से मनाते हैं बुजुर्ग
-घटती जा रही है परंपरा
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कनीना की आवाज।
 रक्षाबंधन की रक्षासूत्र नाम से जाना जाता है। अति पुरानी परंपरा है इस पर्व को लेकर के या तो बहन भाई के घर जाती है वही भाई भी कई बार बहन के यहां राखी बंधवाने के लिए जाता है। रक्षाबंधन का पर्व का पौराणिक महत्व भी है। यह सावन माह का अंतिम दिन होता है। तत्पश्चात सावन माह संपन्न हो जाता है। सावन माह को बेहतर ढंग से पूर्ण करने के कारण इस दिन भाई की रक्षा के लिए और भाई अपनी बहन की सुरक्षा के वादा करते हैं। रक्षाबंधन एक पवित्र बंधन माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी हुई पौराणिक मान्यताएं भी हैं जिनमें भगवान विष्णु ने तीन कदम जमीन मांगने के लिए राजा बलि समक्ष वामन अवतार लिया था। वहीं कृष्ण ने शिशुपाल वध करते समय सुदर्शन चक्र से उंगली में आई चोट को ठीक करने के लिए पल्लू फाड़कर बांधा था। वहां से शुरुआत मानते हैं। महाभारत के युद्ध के समय श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा था कि  तुम अपने सैनिकों की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांध दो। वहीं देवराज इंद्र और शची की कथा भी प्रचलित है। चित्तौडगढ़़ की रानी कर्णावती में मुगल सम्राट बहादुर शाह से रक्षा के लिए हुमायूं को रक्षा सूत्र भेजा था। यम एवं यमी की कहानी भी इसी पर्व से जुड़ी हुई है किंतु आज भी बुजुर्ग बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
यूं तो बच्चे बूढ़े और जवान सभी में यह पर्व को मनाते हैं किंतु आज भी 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग अपनी बहनों का इंतजार करते देखे गए हैं। कुछ बुजुर्गों से संबंध में बात की गई।
  यह एक पवित्र बंधन है। अपनी बहन का मैं रक्षा सूत्र बनवाने का इंतजार करता हूं तथा वह भी रक्षासूत्र बांधकर प्रसन्न होती है। अभी तो वर्षों से यह परंपरा उनकी चली आ रही है। यह पर्व लंबे समय से मानते आए हैं। आज भी उसे मनाते रहना चाहिए।
      ----- दुलीचंद साहब,कनीना
पर्व के प्रति जो उत्साह और रौनक पहले होती थी चाहे वह अब कम रह गई है परंतु आज भी इस पर्व पवित्रता का रिश्ता माना जाता है। पर्व के प्रति गहन आस्था है। मैं अपनी बहन से राखी बनवाना पसंद करता हूं और उसे दिन का इंतजार बेसब्री से करता रहता हूं।
    -- सुमेर सिंह पूर्व मैनेजर
आज के समाज में बेशक बदलाव आ गया है। भाई बहन के बीच जो पुराने वाला प्रेम होता था। उसमें कहीं थोड़ी बहुत ढिलाई आ गई है परंतु आज भी है रिश्ता पवित्र माना जाता है और इसका पौराणिक महत्व है।  अपनी बहन के हाथों से कलाई पर राखी बांधी जाती है तो उसे यही कामना की जाती है की उम्र अधिक हो।
     ----- कंवरसेन वशिष्ठ, कनीना
इस पवित्र पर्व को इस प्रकार मनाते आ रहे हैं जैसे पहले मनाते थे। आज भी सबसे बड़ा रक्षा सूत्र का पर्व है और इसे यूं ही मनाते रहना चाहिए। मेरी इच्छा है कि मैं जब तक जीवित रहा हूं तब तक बहन उनके हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती रहे। जिससे हमारे जीवन में उत्साह का संचार होता है। पर्व मनाने से एक उमंग भाई बहन के बीच पवित्र रिश्ते की पैदा होती है। यह पर्व जोर-जोर से मनाना चाहिए और रिश्ते में सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाना चाहिए। मैं चाहता हूं कि मेरी बहन यूं ही राखी बांधती रहे।
 ---नित्यानंद यादव
फोटो कैप्शन: नित्यानंद यादव, कंवरसेन वशिष्ठ, सुमेर मैनेजर, दुलीचंद साहब






स्टेट हाइवे निर्माण का पत्र जारी
-जल्द ही होगा बाघोत के पास कट निर्माण
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कनीना की आवाज।
 बोंद कला - दादरी-चिडिय़ा-बाघोत वाया सेहलंग कनीना अटेली रोड़ (एमडीआर-124) को स्टेट हाइवे घोषित कर दिया गया है। बाघोत -सेहलंग के साथ लगने वाले 50 गांवों के लिए यह बहुत बड़ा तोहफा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच चढऩे और उतरने के मार्ग के लिए किसानों ने 429 दिन धरना दिया था, कट शुरू न होने का मुख्य कारण था बाघोत -सेहलंग रोड़ मेन डिस्ट्रिक रोड-124 स्टेट हाइवे होना चाहिए।  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पीडब्ल्यूडी मंत्री बनवारी लाल के द्वारा इस काम को पूरा कर दिया गया।
 राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा 9 मार्च 2022 को पचगांव गुरुग्राम रैली में  घोषणा करवाई गई थी। कट न बनने के कारण  25 फरवरी 2023 को 50 गांवों ने बैठक बुलाकर  यह फैसला लिया गया कि 13 मार्च 2023 तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है तो हमारा धरना विजय सिंह चेयरमैन  की अध्यक्षता में शुरू कर दिया जाएगा। धरना 429 दिन चला, 13 मई 2024 को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह सेहलंग  पहुंचे और उन्होंने बताया की 152डी पर कट की घोषणा मेरे द्वारा करवाई गई और इसे पूरा करने का काम मेरा है ढ्ढ धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन और संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत को कनीना बुलाया गया और पूरा आश्वासन दिया गया। भिवानी- महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चौधरी धर्मवीर सिंह के जीतने पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ग्राम वासियों को धन्यवाद देने के लिए सेहलंग पहुंचे और उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच चढऩे और उतरने का मार्ग का काम शुरू हो जाएगा। यह रोड नेशनल हाइवे न होने के कारण कट बनने में रुकावट आ रही थी, पीडब्ल्यूडी मंत्री बनवारी लाल के द्वारा बाघोत -सेहलंग रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया गया है। धरने पर विगत दिनों तक बैठे लोगों का कहना है कि इस कट के लिए अहम भूमिका केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की है साथ में सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह, पीडब्ल्यूडी मंत्री बनवारी लाल, 50 गांवों के  सरपंच, चेयरमैन, पंच,जिला पार्षद, बीडीसी मेंबर, नंबरदार  इत्यादि ने अहं भूमिका निभाई है। धरने में जिनका ज्यादा योगदान रहा है, मास्टर विजय पाल, डा लक्ष्मण सिंह, नरेंद्र कुमार शास्त्री छितरोली, पहलवान रणधीर सिंह, वेदपाल, ओम प्रकाश, सरपंच हरिओम पोता, सरपंच बलवान सिंह आर्य  छिथरौली, सरपंच वीरपाल स्याणा, सरपंच राजेंद्र सिंह बाघोत, जिला पार्षद लीलाराम आदि प्रमुख हैं।
फोटो कैप्शन: हाइवे मंजूरी के पत्र की प्रति
      02: जहां 429 दिन धरना चला एवं जहां कट का निर्माण होना है।






रक्षा बंधन के दिन भी डाकघर में होगा काम
-रविवार को भी दिनभर चला काम
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कनीना की आवाज।
कनीना क्षेत्र में रक्षाबंधन का पर्व को लेकर जहां रविवार 18 अगस्त को भी दिनभर डाकघर में काम चला वहीं रक्षा बंधन को भी डाकघर आम दिनों की भंाति खुला रहेगा।  
  पोस्टमास्टर गौतम यादव, प्रदीप कुमार पीए, सुमित पोस्टमैन तथा भूपेंद्र पोस्टमैन ने बताया कि सरकार के आदेशों के चलते तथा रक्षा बंधन के पर्व के चलते आम दिनों की भांति रविवार को काम चला और सोमवार रक्षा बंधन पर भी डाकघर में काम आम दिनों की भांति चलेगा। डाकघर एजेंट शिवचरण, बाल किशन करीरा, श्रीकिशन करीरा आदि ने बताया कि आम दिनों की भांति लेनदेन सोमवार को चलेगा।
फोटो कैप्शन 03: आम दिनों की भांति डाक पत्र वितरण करते हुए डाकघर के कर्मी एवं अधिकारी।








सुपरमून नजारा-19 अगस्त को
-अधिक चमक के साथ दिखाई देगा चांद
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कनीना की आवाज।
19 अगस्त की रात तथा 20 अगस्त की सुबह तक चांद फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों एक साथ दिखाई देगा। भारत में 19 अगस्त की रात सुपरमून के रूप में दिखाई देने लग जाएगा। विगत वर्षों भी कनीना के लोगों ने यह नजारा अपनी आंखों से देखा। कनीना के दिनेश कुमार, सुरेश कुमार एवं महेश बोहरा ने बताया कि नजारा अति सुंदर था।
कारण--
पृथ्वी के चारों ओर चांद एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है।  जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी कहते हैं। जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो, उसे पेरिजी कहते हैं।
अपोजी में धरती और चांद के बीच की दूरी करीब 4.05 लाख किलोमीटर होती है। पेरिजी में धरती से चांद की दूरी करीब 3.63 लाख किलोमीटर होती है।
सुपरमून के वक्त धरती से चांद 15 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30़ प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। वैसे तो चांद की ना ही साइज बदलती है और ना ही चमक। पर उस दिन वह धरती के पास होता है तो उसके बड़े और चमकदार होने का एहसास होता है। चांद का एक चक्कर 29.5 दिन की होती है। जब किसी एक कैलेंडर माह में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए तो इसे ही ब्लू मून कहा जाता है। 31 अगस्त तक फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों पड़ रहे हैं, इसलिए इसे सुपर ब्लू मून कहा जा रहा है।
चूंकि इसी दिन सुपरमून भी है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं। सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।
सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। सुपर ब्लू मून देखने का सबसे सही समय सूर्यास्त के फौरन बाद होता है। इस समय यह सबसे सुंदर दिखता है।
 सबसे बड़ी बात है कि रक्षाबंधन के दिन एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होने वाली है।
 विज्ञान के जानकार सचिन शर्मा प्रवक्ता बताते हैं कि साल में कुछ ऐसी पूर्णिमा होती हैं जब सुपर मून दिखाई देता है। दरअसल, चंद्रमा धरती का चक्कर लगाने के साथ ही धरती के नजदीक और दूर भी होता रहता है। जब चंद्रमा धरती के बेहद करीब होता है तब सुपरमून होता है. ऐसा तक होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के 90 फीसदी से ज्यादा करीब होता है. 19 अगस्त 2024 को सावन पूर्णिमा की रात को भी चंद्रमा धरती के बेहद करीब होगा। सुपरमून सामान्य चंद्रमा की तुलना में लगभग 30 फीसदी से ज्यादा चमकीला होता है और सामान्य चंद्रमा से 14 फीसदी बड़ा दिखाई देता है।
 19 अगस्त को दिखाई देगा. हालांकि यह चंद्रमा नीले रंग का नहीं होगा। साथ ही इस दिन सुपर मून भी होगा। ब्लू मून लगभग हर 2 से 3 साल में होता है।  19 अगस्त को रात 11 बजकर 56 मिनट पर सुपरमून लगेगा।  
फोटो कैप्शन 01: विगत वर्षों सुपरमून देख गया उसकी फाइल फोटो।




 विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त
ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी के रूप में जाने जाते हैं अनेक फोटोग्राफर
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कनीना की आवाज।
 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जा रहा है जो दुनिया की सबसे पहले कैमरा बनाने वाले डुगरी को याद करने के लिए मनाया जाता है जिसने सबसे पहले अपने कैमरे से फोटो ली थी। संसार की वह पहली फोटो मानी जाती है। एक फोटो लाखों शब्दों का कार्य कर सकती है। आज भी फोटोग्राफर की मांग होती है चाहे विज्ञान ने कितने ही उच्च दर्जें के कैमरे बना लिये हो परंतु परंतु ब्लैक एंड व्हाइट कैमरे को आज भी याद किया जाता हे।
 क्षेत्र के आसपास के पुराने फोटोग्राफर आज भी उन दिनों को याद करते हैं। जब ब्लैक एंड व्हाइट फोटो बनाई जाती थी। कनीना के दो फोटोग्राफरों से बात की। इन्होंने अपने पुराने समय को याद कर कहा कि वह जमाना अजब जमाना था जब ब्लैक एंड व्हाइट फोटो का ही प्रचलन होता था।
 कनीना के सुमेर सिंह जो करीब 40 साल पहले फोटोग्राफी का काम करते थे। वर्तमान में वे फोटोग्राफी का काम नहीं करते, समाज सेवा में जुटे हुए हैं किंतु जब उनसे फोटोग्राफी के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने समय में सबसे ज्यादा कार्य ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी का किया है। उस जमाने में जब फोटोग्राफर की अधिक मांग होती थी केवल फोटोग्राफी ब्लैक एंड व्हाइट होती थी जिसको बनाने में लंबा समय लगता था। आजकल तो एक क्लिक में ही फोटो बाहर आ जाती है किंतु उस जमाने की बात करते हैं जब फोटो बनाने के लिए कुछ घंटे की जरूरत होती थी। बेहद जटिल प्रक्रिया थी। कई प्रक्रियाओं से गुजर कर का फोटो तैयार होती थी। ऐसे में फोटो मांगने वालों को अगले दिन का समय दिया जाता था। वो कहते हैं फोटोग्राफी बहुत कुछ बोलती है। चाहे उसे पर शब्द नहीं लिखा लेकिन बेजुबान होते हुए भी हजारों शब्दों जैसा वार करती है। ऐसे में उन्होंने कहा कि उसे महान फोटोग्राफर जिसने सबसे पहले कैमरा बनाया उसको नमन है, जिनके आधार पर आज डिजिटल फोटोग्राफी आ गई है।
 मनोज कुमार फोटोग्राफर का कहना है कि चाहे आज उन्नत दर्जे के कैमरे आ गये है किंतु आज भी जब पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देखते हैं तो उसे जमाने में खो जाते हैं। इसके लिए अलग से फोटोग्राफी प्लेट की जरूरत होती थी। फोटोग्राफी सीट अंधेरे में ही रखी जाती थी। सारा कार्य अंधेरे में होता था क्योंकि बाहर आते ही फोटोग्राफिक प्लेट खराब हो जाती थी। ऐसे में बड़ी सावधानी रखकर ही फोटो बनाई जाती थी। उस जमाने की फोटोग्राफी आज की तुलना में बहुत अधिक मेहनत मांगती थी। आज तो हर मोबाइल में भी बेहतर दर्जे का कैमरा लगा होता है किंतु किसी जमाने में फोटो की संपूर्ण प्रक्रिया कैमरे पर निर्भर होती थी वह जमाना स्वर्णिम युग था।
 फोटो कैप्शन: मनोज कुमार, सुमेर चेयरमैन




शिक्षा के सफर में मिली एक ऐसी औरत जो****
 प्रतिदिन अपने पति और बच्चों को मर जाने की देती है बद-दुआएं  
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कनीना की आवाज।
 डा होशियार सिंह लेखक ने करीब 40 वर्षों तक निजी और सरकारी स्तर पर शिक्षण कार्य किया है। इस दौरान एक ऐसी महिला से भी भेंट हुई जो पूरे घर को अपनी उंगली पर नचाती रहती है। सुबह से शाम तक अपने लड़के और पति के मरने की बद-दुआएं देती रहती है। ऐसा जीवन में पहली बार देखा गया। वैसे तो भारतीय नारी सदा अपने पति को भगवान मानती आई है। यदि पति और बच्चों में कोई खोट हो तो हो सकता है बद-दुआएं निकल जाए। परंतु यहां देखने में आया कि पति और बच्चे निहायत शरीफ और अपने काम से काम रखने वाले हैं। ऐसी औरत देखकर लगा कि तुलसीदास ने कहीं सत्य तो नहीं लिखा है कि ढोल, गंवार, शूद्र और नारी ये सब ताडऩ के अधिकारी। कहने को तो वह औरत है जो अधिक पढ़ी लिखी भी नहीं है और रूपवान भी नहीं है, ऐसा कोई गुण भी प्रथम दृष्टव्य भी नजर नहीं आया जिससे कि वो महिला इस घर के लायक हो। उधर लड़का बेहद होनहार, अपने काम से कम रखने वाला,किसी से अधिक बोलने वाला तो उसका पति सरकारी सेवा में प्रतिमाह लाखों रुपये कमाने वाला है। पति और बच्चे की शोहरत दूर-दूर तक फैली हुई है परंतु पत्नी को देखकर लगा कि सच में कुछ ऐसी नारी भी होती है जो समाज में जीना हराम कर दे। जब आसपास के लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह नारी अपने पति और बच्चों के लिए कष्टदायी है परंतु बाहर के व्यक्तियों से तो बहुत अच्छा व्यवहार करती है। जब उसके पति और बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त की तो उन्होंने बताया कि कभी उन्होंने कोई ऐसी बुराई नहीं देखी जिसके कारण यह कहा जा सके पति और बच्चे नालायक हैं। सचमुच ऐसा लगा की चाणक्य ने सच्च ही लिखा है कि नारी चाहे तो घर को बर्बाद कर सकती और चाहे तो स्वयं महारानी और अपने पति को राजा बना सकती है परंतु ऐसी नारी को फिर क्या कहा जाए, इसी सोच विचार में ही पड़ा रहा। आखिर यही समझा की समझ में ऐसी औरत समाज में न हो तो सभ्य एवं सुशील नारी की कदर कभी नहीं हो पाएगी। जब उसके मां-बाप के विषय में पूछा तो पता लगा किसके मां-बाप अपनी पुत्री को अधिक चाहते हैं। यही कारण हो सकता है कि वह अपने पति और पुत्रों को प्रतिक्षण बद दुआएं देती रहती है। उसके माता-पिता की भी कोई विशेष आय भी नहीं है। नारी जब पूजने की अधिकारी लिखा है वो कभी-कभी ताडऩे की अधिकारी भी होती है।



कैसे बचेगा शिक्षा विभाग, जहां भ्रष्टाचार अधिक हो
-एसीपी लगवाना किसी को नौकरी लगवाने से भी आसान नहीं
-एसीपी लगाने की शक्ति दी जाए मुखिया को तो रुक सकता है भ्रष्टाचार
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कनीना की आवाज।
 हरियाणा में जहां कार्यालयों में विशेषकर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पूरे यौवन पर है।  ऐसे कई कर्मियों से  मिले जिनकी एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन/एसीपी कई कई सालों से भी नहीं लगी है। कुछ सेवानिवृत्त हो गए तब भी एसीपी की मांग कर रहे हैं।  इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है शिक्षा को भगवान का घर मानते और उस भगवान के घर में ऐसे कर्मी बैठे हैं जो फाइल को आगे नहीं सरकाते। फाइल आगे भेजने के नाम पर कई कई दिन ले लेते हैं जब तक उनकी मु_ी गर्म नहीं हो जाए। फाइल को आगे सरकवाने के लिए कितने ही एजेंट गांवों में और शहरों में बैठे हैं जो सरेआम कह देते हैं कि आपकी एसीपी हम लगवा देंगे, आपको 10 हजार तक देने होंगे। वह भी शुद्ध गारंटी नहीं लेते। फाइल को अगली डेस्क तक भेजने की बात कहते हैं। एक एसीपी लगने के लिए कम से कम फाइल 6-7 कर्मियों और अधिकारियों के पास जाती है। यदि प्रत्येक को 10-10 हजार रुपये दिए जाएं तो एसीपी लगने से पहले ही 60 हजार से 70 हजार रुपये खर्च हो चुके होंगे। चाहे फिर सीएम विंडो में या पीएम विंडो में शिकायत करते रहो, इनके कानों पर कोई जू तक नहीं रेंगती। खुद लेखक इसी कष्ट को भोगी रह चुका है। कितने ही कर्मचारी ऐसे मिले जब बस यही कहते हैं कि एसीपी तो अब नहीं लगेगी, यही नहीं कदम कदम पर एसीपी के नाम पर कोई कमी बताते हुए फाइल कुछ दिनों के बाद वापस उसी टेबल पर आ जाती है जहां से वह चली है। यह दुर्भाग्य है कि भारत का नाम भरत राजा के नाम पर पड़ा और उसमें भी हरियाणा जहां भगवान श्री कृष्ण आए। ऐसे प्रदेश में इतना बड़ा है भ्रष्टाचार। मंत्री, विधायक, मुख्यमंत्री सभी मौन है? इसका बहुत ही सरल सा उपाय है कि एसीपी लगाने की शक्तियां संबंधित स्कूल के मुखिया को दी जाए अगर ऐसा कर दिया जाए तो समझो और रामराज का सपना देखने का कर्मियों को तो मिलेगा। अपनी एसीपी पाने के लिए कर्मचारी मारे मारे फिरते हैं। कितने ही कर्मचारियों से बात हुई जो एसीपी का नाम लेने पर रोने के लिए तैयार हो जाते हैं। आखिरकार हरियाणा में इन कर्मचारियों की कौन और कैसे सुनेगा? और तो और जिला स्तर पर ही पता लगाए तो कितनी ही फाइल है कर्मचारियों की पड़ी मिलेंगी, जिस पर गौर नहीं किया जाता। क्या अधिकारी और कर्मचारियों के पास फाइल को आगे सरकने के लिए एक या दो मिनट का समय नहीं लगता? हो सकता है इतने व्यस्त हो कि जिनको एक दिन, दो दिन, 10 दिन या 2 महीने तक समय नहीं मिला हो 6 महीने में तो लग जाए पर वह भी नहीं मिलता।
चाहे सरकार कोई भी हो बस कर्मचारियों का एक निवेदन है कि भ्रष्टाचार को बंद किया जाए। एसीपी की फाइल जिस अधिकारी के पास एक सप्ताह से अधिक समय रुकती है उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा करने में सक्षम नहीं है तो सरकार में मंत्री बनने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए? उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए, वरना सभी एसीपी निकालने की पावर संबंधित स्कूल के मुखिया को दी जाए।




आखिर कौन खा गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक
-पंचायत चुनाव 2022 का पारिश्रमिक आज तक नसीब नहीं हुआ
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कनीना की आवाज।
जिला महेंद्रगढ़ में जहां पंचायत चुनाव-2022 और वो भी दीपावली के मौके पर संपन्न हुए थे। वैसे तो कर्मचारी चुनाव का नाम सुनते ही पीछे हट जाते हैं क्योंकि चुनाव कराना आसान कार्य नहीं होता, नहीं पता कब क्या दिक्कत आ खड़ी हो परंतु कर्मचारी बेचारे अपना समय, किराया भाड़ा खर्च करके मौके पर भूखे, प्यासे चुनाव करवा आये किंतु उनका पारिश्रमिक भी हड़प गये? आज तक कितने ही कर्मचारियों ने चुनाव आयोग तक भी फोन किया किंतु यही नहीं पता लग पाया कि पंचायत चुनाव-2022 में क्या कोई पारिश्रमिक कर्मचारियों को देने का प्रावधान था या नहीं? अगर था तो कर्मचारियों के पारिश्रमिक को आज तक न देने के पीछे क्या मंशा रही है तो फिर पैसे को कौन खा गया? जिला महेंद्रगढ़ के कितने ही कर्मचारी वर्ष-2022 में पंचायत चुनाव की तैनाती देकर आये हैं जिनमें से हजारों कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके परंतु आज तक उनके पारिश्रमिक का कोई अता पता तक नहीं है। कितनी ही बार यह मांग समाचार पत्रों, चुनाव आयोग या किसी सभा में उठाई जा चुकी है। इसके लिए कोई सेवारत कर्मी बोलने वाला भी नजर नहीं आता। ऐसा लगता है जैसे विपक्षी दलों, नेताओं, मंत्रियों और विधायकों को सुनाई नहीं पड़ रहा। इतना समय बीत जाने पर भी बार-बार मांग किए जाने के बाद भी कर्मचारियों को एक पैसा भी पारिश्रमिक बतौर नहीं मिला?  शिक्षक बेचारे बोलने से भी कतराते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उनकी नौकरी न चली जाए परंतु अपने हक के लिए ना लडऩा सबसे बड़ा अभिशाप है। उससे बेहतर है अपने अधिकार के लिए जितना सामथ्र्य हो उतना कार्य करना चाहिए। अफसोस जिला महेंद्रगढ़ के 2022 के पंचायत चुनावों के पारिश्रमिक का आज तक कोई अता पता नहीं? कर्मचारी आस लगाए बैठे हैं कि कभी तो कोई ऐसा व्यक्ति/अधिकारी आएगा जो उनकी इस बात को उठाकर उनके पारिश्रमिक को दिलवा पाएगा।






बीएलओ को दिया जाये, क्षतिपूर्ति अवकाश एवं पारिश्रमिक
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कनीना की आवाज।
 पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में अवकाश के दौरान बीएलओ/बूथ लेवल अधकारी की तैनाती प्रत्येक बूथ पर लगाई गई थी। समय-समय पर ऐसी तैनाती उनकी लगती रहती है। रविवार और अवकाश के दिनों में भी उनकी तैनाती लगी है जिसके चलते अब उन्होंने पारिश्रमिक के साथ-साथ क्षतिपूर्ति अवकाश भी मांगा है। वर्ष 2013 में 10 अप्रैल को एक पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी नारनौल ने जारी किया था जिसके तहत उन्हें क्षतिपूर्ति अवकाश देने की बात कही गई थी किंतु अभी तक किसी भी बीएलओ को क्षतिपूर्ति अवकाश नहीं दिया गया है।
पंचायती चुनावों का दिया जाए पाीिश्रमिक---
नवंबर 2022 के पंचायती चुनावों का पारिश्रमिक अभी तक शिक्षकों को नहीं मिला है। शिक्षक बेहद परेशान हैं।
 नवंबर 2022 में शिक्षा विभाग के लगभग सभी शिक्षकों को चुनावी तैनाती में लिया गया था किंतु शिक्षकों को पंचायत चुनाव में पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का भारी रोष पनपा था और आज तक पारिश्रमिक दिये जाने का इंतजार है। शिक्षकों का कहना है कि नवंबर 2022 से पहले भी मतगणना तथा अन्य तैनातियों  का पारिश्रमिक भी अभी तक नहीं मिला है। प्रत्येक कर्मी का करीब 3000 रुपये पारिश्रमिक मिलना था। जिला महेंद्रगढ़ में किसी भी कर्मी को यह पारिश्रमिक न मिला। आश्चर्यजनक बात है कि शिक्षक चुनाव आयोग चंडीगढ़ भी इस संबंध में बात कर चुके हैं। समाधान फिर भी नहीं हुआ है।   वैसे भी नवंबर 2022 में दीपावली के दिनों में तथा अवकाश के दिनों में रिहर्सल एवं चुनाव पूर्ण करवाये गये थे। शिक्षक पूरी पूरी रात चुनावी तैनाती में लगे रहे यहां तक की सामान जमा करवाते समय भी पूरी रात कागज कार्रवाई करते रहे परंतु उन्हें भोजन के नाम पर कुछ पैसे देकर काम की इतिश्री समझ ली गई।
अध्यापक नेता धर्मपाल शर्मा, अध्यापक नेता सुनील कुमार, अध्यापक नेता निर्मल आदि ने इस संबंध में चुनाव आयोग से प्रार्थना की है कि अविलंब पारिश्रमिक सभी शिक्षकों को प्रदान किया जाए।




इतिहास समेटे हुए हें रक्षा बंधन पर्व
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कनीना की आवाज।
रक्षा बंधन सावन का यह अंतिम दिन होगा। सोमवार होने से महत्व और भी बढ़ जाएगा।   
रक्षाबंधन का पर्व महाभारत से चला रहा है। जब श्री कृष्ण ने महाभारत की युद्ध में युधिष्ठिर से सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बनवाया था। देवराज इंद्र ने भी इसे धारण किया था। उधर सुरेश कुमार का कहना है कि वास्तव में रक्षा सूत्र शिशुपाल वध के समय श्रीकृष्ण के अंगुली से खून आने पर रोकने के लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर बांधा था। वही रक्षा सूत्र था जिसके बदले श्री कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी। सिकंदर की पत्नी ने भी पोरस के लिए एक राखी भेजी थी ताकि सिकंदर की जीवन की रक्षा हो सके। मेवाड़ की कर्णवती ने भी हुमायू को राखी भेजी थी किंतु हुमायू के पहुंचने से पहले कर्णवती जौहर कर चुकी थी। वास्तव में गुरुकुल में भी इस दिन रक्षा सूत्र बांधा जाता है, जनेऊ धारण किए जाते जो वास्तव में राखी का ही एक रूप होते हैं।
 भारतीय संस्कृति में चार वर्ण माने गए है जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र इन वर्णों के लिए एक-एक पर्व नियत है।  ब्राह्मणों के लिए रक्षा बंधन श्रावणी पर्व, क्षत्रियों के लिए दशहरा शस्त्र पूजन, वैश्यों के लिए दीपावली, लक्ष्मी पूजन, शुद्रों के लिए होली होलिका प्रत्येक वर्ण में प्रधानता क्रमश: अपने-अपने पर्व की होती है,किन्तु प्रत्येक पर्व को सब मिलकर मनाते है। प्राचीनकाल में ब्राह्मण गुरुकुलों में रक्षा बंधन के पर्व पर रक्षा सूत्र जनेऊ देकर गुरुकुलों में नये विद्यार्थियों को प्रवेश देते है तथा संत सन्यासी, महात्मा इस पर्व के पश्चात वर्षा ऋतु में उपदेश आदि के द्वारा शिक्षा देकर अविद्या का नाश करते है।








महिला गुम, गुमशुदगी का मामला दर्ज
-महिला के पुत्र ने उसे किसी द्वारा कहीं छुपने का लगाया आरोप
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कनीना की आवाज।
कनीना उप-मंडल के एक गांव से एक महिला 5 अगस्त से गुम है। उसके पुत्र ने गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाते हुए उसे किसी ने कहीं छुपा कर रखने का आरोप भी लगाया है। गुम हुई महिला के पुत्र ने कहा कि 4 अगस्त को वह अपनी मां को घर छोड़कर अपनी बुआ के गांव गया था। 6 अगस्त को जब वापस आया तो उसकी मां गायब मिली। आसपास पता किया तो पता चला कि 5 अगस्त से उसकी मां गायब है। वह धार्मिक स्थानों पर आती जाती रहती है इसलिए उन्हें शक था कि कही किसी धार्मिक स्थान पर गई होगी किंतु जब लौटकर नहीं आई तो पास पड़ोस व रिश्तेदारी में प












ता किया। अब उन्होंने गुमशीदगी का मामला दर्ज करवा दिया है।



ककराला में खंड स्तरीय वार्षिक खेल प्रतियोगिता 20 से
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कनीना की आवाज।
खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगता एसडीवमा विद्यालय ककराला में 20 अगस्त से शुरु होगी जो 23 अगस्त तक चलेगी। विद्यालय प्राचार्य औमप्रकाश ने बताया कि सभी खेलों के मैदान तैयार कर लिए है, खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्धारित किए गए आयु वर्ग-11,14,17 व 19 वर्ष के लड़के व लड़कियों की प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी। 20 और 21 अगस्त को लड़कों की प्रतियोगिता का आयोजन होगा और 22 व 23 अगस्त को लड़कियों की प्रतियोगिता होगी। उन्होंने बताया कि योग्यता फार्म, समरी सीट खिलाडियों कीे फोटो के साथ, जन्मप्रमाणपत्र, आधार कार्ड, सत्र 2023-24 का रिपोर्ट कार्ड, दाखिला खारिज रजिस्ट्रर के दस्तावेजों की फोटो प्रति विद्यालय प्राचार्य द्वारा सत्यापित करवाकर अवश्य साथ लाये। दस्तावेज पूरे नही होने पर टीम को भाग नहीं लेने दिया जाएगा।











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