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Sunday, August 25, 2024
सावधान! ऐसी गलती ना करें
--कनीना की आवाज कापीराइट के तहत है
-मुख्य अखबार के साथ अपनी खबर को लगाकर फारवर्ड करने पर बन सकता चार सौ बीसी का मामला
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कनीना की आवाज। यूं तो चुनाव लडऩे वाले और अन्य लोग अपनी प्रकाशित खबर या मोबाइल से बनाई हुई काल्पनिक खबर को बढ़ाचढ़ा कर प्रदर्शित करने वालों की कोई कमी नहीं है। करना भी चाहिए परंतु मूल खबर को ही फारवर्ड करना चाहिए। कनीना की आवाज कापीराइट के तहत है, नीचे साफ और मोटे अक्षरों में लिखा भी है। इससे कोई भी अंश/पूरा समाचार लेखक की बगैर अनुमति के कापी नहीं किया जा सकता और न ही उसे मूल रूप से फारवर्ड किया जा सकता और न ही पेस्ट किया जा सकता परंतु आज दो ऐसे मामले सामने आए जिनमें कापीराइट का घोर उल्लंघन किया गया है।
पहले केस में जहां एक अखबार के मुख्य पृष्ठ के साथ कनीना के डा. होशियार सिंह यादव के ब्लाग, कनीना की आवाज की खबर उठाकर कट पेस्ट इस प्रकार किया गया जैसे अखबार के प्रथम पृष्ठ पर समाचार छपा हो परंतु कहते हैं कि हेराफेरी करने वाला कोई न कोई गलती छोड़ ही जाता है। हर अखबार के अपने कोड होते हैं, कोड की बजाय कनीना की आवाज ही लिखा रह गया क्योंकि कनीना की आवाज ब्लाग से यह खबर कापी की गई थी। चाहे तो इसके विरुद्ध कापीराइट एक्ट हो सकता है परंतु भूल किसी से भी हो सकती है, मैं चाहता हूं कि ऐसी भूल कोई भविष्य नहीं करें। दूसरे मामले में देखने में आया कि समाचार में अखबार का कोड लगा रखा है और झूठा समाचार अपनी तरफ से बनाकर इस रूप में प्रस्तुत कर रखा है जैसे अखबार में छपा हो। कितनी बड़ी चाल खेली जा रही है, अगर अखबार को पता लग जाए तो भादंस की धारा 420 का मामला दर्ज हो सकता है। इसलिए कनीना की आवाज के पाठक सावधान रहे, कोई समाचार का अंश या पूर्ण समाचार कापी करके नहीं डाले और न फारवर्ड करें वरना भविष्य में सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।
जलूरा दिवस मनाने को लेकर आयोजित बैठक, लगाई जिम्मेदारी
-शहीद सूबेदार सज्जन सिंह अशोक चक्र की 26 सितंबर को मनाई जाएगी 30वीं पुण्यतिथि
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कनीना की आवाज। रविवार को कनीना स्थित शहीद सूबेदार सज्जन सिंह पार्क में कप्तान बलबीर सिंह की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें जलूरा दिवस मनाने को लेकर जिम्मेदारी दी गईं। इस मौके पर रेजांगला परिवार के सदस्यों ने पार्क में प्रशासन द्वारा करवाए गए कार्यों की प्रशंसा की गई। कप्तान बलबीर सिंह ने बताया कि 26 सितंबर को शहीद सूबेदार सज्जन सिंह अशोक चक्र की 30वीं पुण्यतिथि जलूरा शौर्य दिवस के रूप में मनाई जाएगी।
कार्यक्रम का शुभारंभ हवन यज्ञ के साथ शुरू किया जायेगा। शहीद सूबेदार सज्जन सिंह को सेवा अधिकारियों द्वारा गार्डन के साथ पुष्प चक्कर अर्पित कर सलामी दी जायेगी।
शहीद सूबेदार सज्जन सिंह एक महान योद्धा थे। उन्होंने आपरेशन रक्षक के दौरान बहादुरी का परिचय देते हुए अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया तथा अंतिम सांस तक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। बैठक में कप्तान जगराम, कप्तान सुमेर सिंह, कप्तान चन्दन सिंह नंबरदार, कप्तान देव पाल, कप्तान विनोद कुमार, हवलदार रमेश कुमार, हवलदार राम किशन मास्टर सुरेन्द्र सिंह सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 08:जलूरा दिवस मनाने को लेकर बैठक करते हुए।
पूर्व चपरासी पर चोरी का मामला दर्ज
-एसडीओ पंचायती राज ने करवाया मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। एसडीओ पंचायतीराज पुरुषोत्तम निवासी नाहड़ ने पुलिस में पूर्व चपड़ासी पर चोरी का मामला दर्ज करवाया है। पुलिस में दी गई शिकायत में कहा है कि 17 से 19 अगस्त का कार्यालय में अवकाश रहा। इसी दौरान अज्ञात चोर ताले के चाबी लगाकर एक इनवर्टर, बैट्री, कुर्सी एवं कूलर आदि चोरी कर ले गया। 20 अगस्त को जब कार्यालय खोला गया तो सामान गायब मिला। आस पास सीसीटीवी कैमरों में चेक किया तो पाया कि एक व्यक्ति पहली बार मोटरसाइकिल पर कूलर रख कर ले जा रहा है दूसरी बार मोटरसाइकिल पर कुछ कुर्सियां ले जा रहा है फिर वापस पैदल आते हुए दिखाई दिया। जब उन्होंने अपने पुराने कर्मचारियों को फोटो दिखाई तो उन्होंने इसे पूर्व चपड़ासी बताया। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज पुलिस में पेश कर दी है और उनके विरुद्ध मामला दर्ज करवा दिया है। उन्होंने अपना सामान वापस दिलवाने की मांग की है।
वर्षों से आयोजित होते आ रहे हैं ठाकुर मंदिर में विभिन्न कार्यक्रम
-जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, तैयारियां पूरी
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कनीना की आवाज। कनीना के पुराने ठाकुर मंदिर में जहां जन्माष्टमी पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे वहीं प्रसाद वितरण एवं भजन आयोजित होंगे। हर वर्ष जन्माष्टमी मनाई जाती है। जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
मिली जानकारी अनुसार लंबे समय से यहां समय समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते आये हैं। सुबह के वक्त ठाकुर जी को नहला धुला कर चंदन का टीका लगाया जाता है और धूप दीप से आरती होती है। पहले अग्नि के अंगारों को चम्मच में डालकर धूप डालकर आरती की जाती थी वहीं शाम 6 बजे और रोज सुबह प्रसाद बांटते है। इसी तरह शाम को आरती होती है। प्रसाद बांटा जाता है और बाद में औरतें मिलकर कीर्तन भजन करती हैं। वर्ष 1962 से 1975 तक शाम को हर मंगलवार को सभी नर नारी ढोलक पेटी ( मृदंग) के साथ भजन करते थे। होली के बाद धुलेंडी को आसपास के गांव व कनीना निवासी बच्चों के जन्म के बाद उनके बाल मंदिर की चौखट पर चढ़ाए जाते हैं।
गांव में शादी के बाद जोड़ा ठाकुर जी का आशीर्वाद लेने घोड़ी पर चढ़कर मंदिर में धोक लगाने आते हैं। यह कस्बा की पुरानी रीत चली आ रही है। लड़का लड़की की शादी में कोठार में रखी मिठाई का प्रयोग ठाकुर जी मंदिर का पुजारी पहले मिष्ठान भोग लगाता है तत्पश्चात रखे सामान का प्रयोग किया जाता है। बाद में रखे सामान का प्रयोग किया जाता है। जन्माष्टमी को शाम को भगवान कृष्ण का व्रत करने वाले व भक्तगण मंदिर में भजन-कीर्तन करते हैं और रात को 12 बजे प्रसाद वितरण होता है।
दीपावली की शाम को दीये जलाए जाते हैं। गांव वासी और पुजारी दीपावली के एक दिन बाद अन्नकुट आता है। उस दिन ठाकुर जी को खीर, चावल, बाजरा व अन्य मिष्ठान का भोग लगाया जाता है और दोपहर में उसका प्रसाद वितरण किया जाता है। जिसमें छाछ की कढ़ी गांव वासियों को प्रिय है। गुरु पूर्णिमा को रात 12 बजे खीर का प्रसाद वितरण किया जाता है।
कैसे हुआ था मंदिर निर्माण-
मंदिर की स्थापना महाराज बीकानेर के राजा करवाई थी। कनीना गांव में उस समय कोई ब्राह्मण नहीं था तब कोटिया गांव से एक ब्राह्मण को स्वामीवाड़ा नामक मोहल्ले में बसाया गया था। पूरे गांव ने उसको अपना गुरु मानकर सम्मानित किया था व भरण पोषण के लिए जमीन दी थी। ब्राह्मण को गांववासी स्वामी कहते थे इसलिए इस मोहल्ले का नाम स्वामीवाड़ा नाम पड़ा वर्तमान में स्वामीवाड़ा में ब्राह्मणों के करीब 25 घर हैं।
फोटो कैप्शन 07: कनीना का ठाकुर मंदिर।
वोटर बोले---
वोटर चाहते हैं कि बेहतर नेता का चुनाव हो तथा क्षेत्र का करे विकास
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र के नेता चाहते हैं कि एक बेहतर नेता एवं बेहतर सरकार का चुनाव हो। जो हर वोटर के सुख दुख में तथा क्षेत्र के विकास में कारगर साबित हो। वोटर का क्या कहना है--
हरियाणा विधानसभा के चुनाव एक अक्टूबर को होने जा रहे हैं। बेहतर सरकार बनाने और साफ छवि के नेता चुनाव करना किसान भी चाहते हैं। एक शिक्षित किसान होने के नाते सूबे सिंह का कहना है कि वह एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो हर व्यक्ति का ख्याल रखें। विकास कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़े। हर जन के सुख दुख में शामिल हो तथा बेरोजगारी की समस्या को हल कर सके। उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा एक ऐसा क्षेत्र है जहां सदा ही बेरोजगारी और पिछड़ापन मिलता है क्षेत्रों में किसानों की समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती है, वही बेरोजगारी की समस्या आड़े आ रही है। ऐसे में इन दोनों की समस्याओं का हल कर सके वह नेता उनका मनपसंद का नेता होगा। उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा में जहां अस्पतालों की समस्या मिलती है, अस्पताल एक मूलभूत आवश्यकता है। पानी, बिजली के अस्पताल आदि की सुविधा प्रदान कर सके वह नेता उनका प्रिय नेता होगा।
सूबे सिंह, शिक्षित किसान कनीना
अजीत कुमार का कहना है कि एक अक्टूबर को चुनाव हो रहे हैं, उसमें वे चाहते हैं कि उनकी मनपसंद का कोई नेता चुना जाए जो हर किसी की समस्या का समाधान कर सके। उनका कहना है कि युवा वर्ग बेरोजगारी की मार झेल रहा है, बेरोजगारी की समस्या को हल करने वाला दक्षिण हरियाणा के किसानों का तथा लोगों का हित करने वाला नेता उनका प्रिय नेता होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान की शिक्षा को बढ़ावा देने वाला ,अस्पतालों की सुविधा उपलब्ध करवाने तथा उद्योग धंधे स्थापित करके बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर सके वह नेता उनका प्रिय नेता होगा। उनका कहना है कि लंबे अरसे से दक्षिण हरियाणा पिछड़ा हुआ है। पानी की समस्या है इसलिए किसानों के लिए पानी तथा पीने के लिए पानी उपलब्ध करवाए वह उनका पसंदीदा नेता होगा।
अजीत कुमार कनीना
5 साल में चुनाव आते हैं। विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। विधानसभा के चुनाव में वे चाहते हैं कि बढ़-चढ़कर मतदान करें लेकिन वे चाहते हैं कि ऐसे नेता का चुनाव हो जो साफ छवि का हो। जन हितैषी हो, किसानों और बेरोजगारों की समस्या का समाधान कर सके। उनका कहना है कि हर बार नेता आते हैं और कुछ झांसे देकर चले जाते हैं फिर लौट कर नहीं आते। ऐसे ना ऐसे नेता का चुनाव चाहते हैं जो इंसानों के बीच में खड़ा मिले, हर सुख दुख में सहायक हो वो नेता चुना जाए। उनका कहना है कि दक्षिण हरियाणा में उद्योग धंधों का अभाव है। उद्योग धंधे जो स्थापित करवाने में मदद करें, शिक्षा, अस्पताल मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम हो, ऐसा नेता उनका पसंदीदा नेता होगा।
सुरेश कुमार, व्यवसायी, कनीना
फोटो कैप्शन: सूबे सिंह, अजीत कुमार, सुरेश कुमार वोटर
जन्माष्टमी एवं गोगा पर्व पर विशेष
आज भी होती है अनेक पेड़ों की पूजा
-जन्माष्टमी पर पूजी जाती है जाटी
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कनीना की आवाज। इंसान का जीवन पेड़ों पर निर्भर है यही कारण है कि समय-समय पर पेड़ों की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी पर भी दो पौधों की जिनमें गोगा तथा जाटी की पूजा की जाती है। वैसे तो पीपल, बरगद, तुलसी, आंवला आदि की समय-समय पर विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है जो सिद्ध करती है कि इंसान के लिए पेड़ का बहुत महत्व रखते हैं। यहां तक की इंसान की जिंदगी ही पेड़ों पर निर्भर करती है। परंतु इंसान अपनी स्वार्थ के चलते पेड़ों की कटाई भी कर रहा है। किसी जमाने में सुख-दुख में काम आने वाली जाटी अब घटती जा रही है जिसकी जन्माष्टमी के दिन पूजा की जाती है और विशेष ढंग से उसे जल में प्रवाहित किया जाता है। जाटी के अलावा जहां आंवला एकादशी को आंवला पौधे की पूजा की जाती है तुलसी और पीपल की तो अक्षर ग्रामीण पूजा करते देखे गए हैं। लटजीरा जिसे गोगा नाम से जाना जाता है को जन्माष्टमी से अगले दिन पूजा जाता है। पेड़ पौधे सदा इंसान का साथ देते रहे हैं किंतु इंसान पेड़ों का साथ नहीं देता है। यही करने की पेड़ों को काटा जा रहा है।
वृक्ष माफिया गिरोह की नजर बड़े पेड़ों पर मिलती है। वे मालिक के पास जाकर पेड़ की कीमत लगाकर खरीद लेते हैं।
किसानों के यहां जाटी के पेड़ बहुत बड़े और मोटे आकार में मिलते थे किंतु धीरे-धीरे वे भी समाप्त हो गए हैं। कनीना क्षेत्र में पेड़ लगाने वालों में दीपचंद पहलवान उन्हानी के ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कनीना के स्कूलों में भारी संख्या में पेड़ लगाए और आज भी बहुत बड़े बड़े वृक्ष बने हुए हैं। मंगल सिंह नगर पालिका कनीना में कार्यरत थे जिन्होंने पेड़ लगाकर वास्तव में बहुत नाम कमाया। जोहड़ों तालाबों और स्कूल श्मशान घाट आदि विभिन्न स्थानों पर पेड़ लगाने में अग्रणी रहे। दोनों आज इस दुनिया में नहीं है। उन्हाणी के जगमाल सिंह जिन्होंने पेड़ लगाने में बहुत नाम कमाया। युवा पीढ़ी में बहुत कम लोग पेड़ों को बचाने में आगे आ रहे हैं। मेघनवास के मनोज कुमार तथा रामबास के मनोज कुमार इसी लाइन में हाजिर है जो पेड़ों को लगाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी प्रकार मेघनवास के मनोज कुमार भी पेड़ लगाने की शृंखला में आगे है।
भडफ़ के निवासी जोगेंद्र सिंह आज भी उनकी पेड़ों से संबंधित बातें सुनकर मन खुश हो जाता है। एक जमाने में उनके पिता चंद्र सिंह पशु पालने में अग्रणी नाम था। पशु खरीदने बेचने का भी लंबे समय तक उन्होंने काम किया। वे पशुओं को पेड़ों की छांव में बांधते रहे हैं। उनका भी पेड़ लगाने से बड़ा शौक हैं। उनके घर के सामने खड़ा हुआ जाटी का विशालकाय पेड़ लोगों को आकर्षित कर रहा है। कनीना क्षेत्र में जहां पड़तल में बहुत पुराना जाटी का पेड़ देखने को मिल सकता है। वही भडफ़ के इसके साथ इसके घर के सामने खड़ा जाटी का पेड़ पेड़ काटने वालों का एक वाक्या सुनाते हैं। वृक्ष माफिया गिरोह गत दिवस आया और कहा कि तुम्हारा यह जाटी का पेड़ बेच दो? उन्होंने कहा कि बिल्कुल बेच देंगे लेकिन अभी नहीं। वृक्ष माफिया ने पूछा तो कब आऊं?
उन्होंने कहा कि मेरी मौत का इंतजार करो तभी इस पेड़ को कोई बेच सकता है। उनकी बात सुनकर पेड़ माफिया गिरोह के सदस्य खड़े हुए। उन्होंने कहा कि अधिक जिद की तो पुलिस में पकड़वा दूंगा। इतना सुन वृक्ष माफिया गिरोह भाग खड़ा हुआ। इस प्रकार के लोगों की क्षेत्र में जरूरत है ताकि पेड़ पौधों को बचाया जा सके।
पड़तल में खड़ा है सैकड़ों वर्ष पुराना जाटी का पेड़-
पड़तल बस स्टैंड के पास एक ऊंचा जाटी का पेड़ अभी भी खड़ा है जिसकी ऊंचाई 50 से 60 फुट की है तथा इसके तने का व्यास करीब आठ फुट का है। किसान महिपाल सिंह, सूबे सिंह, राजकुमार आदि बताते हैं कि जाटी के पेड़ के नीचे फसल बेहतर होती है क्योंकि यह नाइट्रोजन खाद की पूर्ति करता है तथा इसके फल सांगरी भी सब्जी बनाने के काम आते हैं।
फोटो कैप्शन 06 भडफ़ गांव में जाटी का पेड़
07: पड़तल में खड़ा जाटी का विशाल पेड़।
जागो वोटर जागो
सभी को वोट जरूर डालने चाहिए
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कनीना की आवाज। खरकड़ाबास निवासी नरेश कौशिक मुख्याध्यापक है। उनका कहना है कि वोट जरूर डालना चाहिए। वोट डालने का अधिकार चुनाव आयोग ने दिया हुआ है। वोट से अपनी मनपसंद प्रत्याशी का चुनाव कर सकते हैं। ऐसे में अपनी पसंद के प्रत्याशी का चुनाव करने के लिए तथा परोक्ष रूप से सरकार में भागीदारी निभाने के लिए वोट डालना जरूरी है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग समय-समय पर वोट बनाने का कार्य करता है और ऐसे समय वोट जरूर बनवा लेना चाहिए। वोट बनवाना ही नहीं वोट डालना भी जरूरी बन जाता है। वोट डालते समय निष्पक्षता अपनानी चाहिए तभी तो अपने मनपसंद के नेता का चुनाव किया जा सकता है और मनपसंद का नेता चुनाव करने में वोटिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हम नापसंद का और अच्छे नेता का चुनाव नहीं करेंगे तो वह सरकार में रहकर अच्छे कार्य नहीं करेगा। ऐसे में अच्छे कार्य करवाने के लिए बेहतर नेता का चुनाव करना चाहिए। एक अक्टूबर को वोट डालने जरूर जाए।
फोटो कैप्शन: नरेश कौशिक
मेरा पहला वोट
वोट डालने में खुशी अनुभव कर रहा है युवा
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कनीना की आवाज। बहुत से युवा पहली बार वोट डालेंगे। विनीत कुमार पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया है तथा आने वाले विधानसभा चुनावों में अपना मत डालेगा। उनका कहना है की पहली बार उन्हें यह मौका मिला है और अपने हाथ से वोट डालने से नहीं चूकेगी क्योंकि उन्हें इच्छा है कि अपनी पसंद का उम्मीदवार चुने। जो सरकार में भागीदारी निभाएं और बेहतर कार्य कर सके। चुनाव आयोग ने उनका मतदाता पहचानपत्र बनाया है जिसके तहत जिनकी उम्र 18 साल हो गई है वह अपना वोट बनवा सकता है। जिसके तहत उन्होंने वोट बनवाया और अब आने वाले चुनावों में मतदान के लिए तैयार है। प्रत्याशी परोक्ष से अपनी भागीदारी निभाएगा और सरकार में रहकर बेहतर कार्य करेगा। युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाएगा। उन्हें विश्वास है कि उनका वोट से जो प्रत्याशी चुनाव जीतेगा वह सत्ता में अच्छा कार्य करेगा, जनहित के कार्य करेगा। उनका कहना कि सभी को वोट जरूर डालना चाहिए और सभी को वोट भी बनवाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: विनीत कुमार
जन्माष्टमी 26 तो गोगा पर्व 27 अगस्त को
गोगा नवमी पर होती है पेड़ों की पूजा
-जाटी एवं गोगा पौधों की भित्तिचित्र भी बनाये जाते हैं
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कनीना की आवाज। हर वर्ष साथ साथ आने वाले जन्माष्टमी एवं गोगा पर्व बेशक किसी देवों से जुड़े हुए पर्व होते हैं किंतु इन दोनों दिनों में एक एक पौधे की पूजा इन देवों के साथ साथ की जाती है। यही नहीं अपितु पूजा किए गए पौधों को विधि विधान से जल में प्रवाहित किया जाता है।
जन्माष्टमी के दिन यूं तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है तथा इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्र में जाटी नाम से ही जाना जाता है। यही कारण है कि इस दिन जाटी पेड़ की पूजा की जाती है। पूर्वज बताते हैं कि वर्षों से जन्माष्टमी के दिन सुख दु:ख का साथी जाटी अर्थात खेजड़ी की पूजा चली आ रही है। पूर्वजों के अनुसार जब कुकिंग गैस सिलेंडर नहीं होते थे उस वक्त किसानों का सुख दुख का साथी जाटी ही थी। खेतों से जाटी को उखाड़कर लकड़ी को ही सुख दुख में जलाकर काम में लेते थे वहीं हवन में इसी वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग आज भी हो रहा है। जाटी के पत्तों एवं फलों पर इंसान से लेकर पशु तक आश्रित हैं और जाटी पेड़ खाद की पूर्ति कर अपने नीचे फसल पैदावार को बढ़ाता है। ऐसे में जाटी की पूजा करके उसे जोहड़ में प्रवाहित किया जाता है।
गोगा पर्व जाहर वीर गोगा देव की याद में भाद्रपद कृष्ण नवमी को मनाया जाता है। गोगा जिसे जाहर वीर गोगा कहा जाता है। उस देव के गुणों की चर्चा हर जगह है। हरियाणा में गोगा एक पेड़ को कहते हैं जो शाक है जिसे अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा आदि नामों से जाना जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे अचिरांथिस अस्पेरा कहते हैं। इसमें इतने अधिक औषधीय गुण है कि इसे गोगा देव के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि गोगा देव के साथ साथ गोगा पौधे की भी पूजा की जाती है जो कई बीमारियों में सहायक है वहीं घर के आस पास मिल जाता है।
कौन है जाहरवीर गोगा--
गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। जहां भाद्रपद शुक्लपक्ष की नवमी को गोगा का मेला भरता है।
गोगा जी गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य थे। उनका जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। ददरेवा में सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जेवर सिंहकी पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरक्षनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगा वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। उन्हें सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है। उनके जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति है। ग्रामीण क्षेत्रों में गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ती उत्कीर्ण की जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा की स्मृति में मेला लगता है।
हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छडिय़ों की विशेष पूजा करते हैं।
राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की मा़ बाछल देवी नि:संतान थी। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरू गोरखनाथ गोगामेडी के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण में गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।
नृत्य करती टोली अपने साथ गोगा पीर की छड़ी लेकर जब घर-घर आती है तो पर्व की याद ताजा हो जाती है। यूं तो मेले तथा दंगल गांवों में लगते हैं किंतु त्योहार पर अनोखे रिवाज प्रचलित हैं। इस पर्व पर वृक्षों की पूजा भी की जाती है।
किसान के खेतों में खड़ी जाटी पौधे की टहनी तथा गोगा नामक पौधे को उखाड़कर प्रत्येक घर में लाया जाता है जिसकी विधि विधान से पूजा की जाती है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है जाटी किसानों की सुख-दुख की साथी होने के बाद ही इसे पूजा जाता है। हरियाणा में जाटी हर किसान के खेत में मिलता है जो हर सुख एवं दु:ख में काम आता रहा है और इसके इतने अधिक उपयोग हैं कि इसे कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा जाता है। राजस्थान का राज्य पेड़ खेजड़ी भी जाटी ही है।
दीवार पर हल्दी व चंदन से गोगा पीर व जाटी पौधे की तस्वीर बनाई जाती हैं। तवे की कालिख से तस्वीरों को रंग भरा जाता है। गोगा व जाटी पौधों की टहनी तस्वीर के पास रख दी जाती हैं और विधि विधान से पूजा की जाती है। शाम होने के बाद उन्हें जोहड़ में बहा दिया जाता है। रक्षा बंधन पर बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधा गया धागा भी जोहड़ में बहाने का रिवाज है।
फोटो कैप्शन 01: जाटी का पौधा
02: लटजीरा या गोगा का पौधा।
कनीना में आयोजित हुआ खंड स्तरीय कला उत्सव
--रागिनी प्रतियोगिता में कनीना उच्च विद्यालय की टीम रही प्रथम।
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कनीना की आवाज। खंड स्तरीय कला उत्सव प्रतियोगिता का आयोजन राजकीय माडल संस्कृति स्कूल कनीना में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर कौशिक ने कहा कि ग्रामीण अंचल में अनेक प्रतिभाएं छिपी हैं तथा कला उत्सव जैसे कार्यक्रम उन प्रतिभाओं को उभरने के लिए संजीवनी का काम करती है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी रुचि से भाग ले तथा अपनी संस्था खंड व जिले का नाम रोशन करें। इस अवसर पर खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने प्रथम व द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर आने वाली टीमों को शुभकामनाएं दी तथा कहा कि इस कार्यक्रम में बेहतरीन प्रस्तुतियां इस बात की परिचायक है कि हमारे क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष माडल संस्कृति स्कूल के प्राचार्य सुनील खुडानिया ने भी संबोधित किया। प्रतिस्पर्धा में 9 से 12 कक्षा वर्ग में समूह गान में प्रथम स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सुंदरह को, दूसरा स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दौंगड़ा अहीर को तथा तीसरा स्थान माडल संस्कृति स्कूल कनीना को मिला।
वहीं 5 से 8 कक्षा वर्ग में समूह गान में प्रथम स्थान मुंडिया खेड़ा, दूसरा स्थान सुंदराह तथा तीसरा स्थान राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी को मिला। 9 से 12 कक्षा वर्ग में एकल नृत्य में पहला स्थान राजकीय माडल संस्कृति स्कूल कनीना को दूसरा स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबास को तथा तीसरा स्थान राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी को मिला। 5 से 8 कक्षा वर्ग में एकल नृत्य में प्रथम स्थान राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी को दूसरा स्थान राजकीय माडल संस्कृति स्कूल कनीना को तथा तीसरा स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दौंगड़ा अहीर को मिला। सांत्वना पुरस्कार राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना को मिला। रागिनी प्रतियोगिता में 5 से 8 कक्षा वर्ग में प्रथम स्थान राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना को तथा दूसरा स्थान राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी को मिला। 5 से 8 कक्षा वर्ग में लघु नाटिका में प्रथम स्थान राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना को तथा दूसरा स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मुंडिया खेड़ा को मिला। प्रतियोगिता में खंड के विभिन्न विद्यालयों की 58 टीमों ने भाग लिया। निर्णायक मंडल में खेड़ी स्कूल के दीपक शर्मा, सुंदरह से चेतन शर्मा, भडफ़ स्कूल के कार्यकारी मुख्याध्यापक सत्यप्रकाश, सुनीता देवी ने किया वहीं मंच संचालक नरेश यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में दौंगड़ा अहीर के प्राचार्य अमर सिंह, रामबास के प्राचार्य ओमपाल सिंह, जिला के लीगल एडवाइजर विशाल राव, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कौशिक, खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक ओम प्रकाश, पंकज यादव, गुलशन यादव, लेखाकार प्रियंका शर्मा, मनोज यादव आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03 व 04: कनीना में आयोजित खंड स्तरीय कार्यक्रमों एवं अव्वल रहे विद्यार्थियों की हैं।
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