घटती जा रही ग्वार की खेती
- विभिन्न उद्योगों में तथा प्रसाधन में आता है काम
-294 हेक्टेयर में उगाया गया है ग्वार
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कनीना की आवाज। किसी वक्त कनीना क्षेत्र में अच्छी पैदावार ग्वार की ली जाती थी किंतु वर्तमान में ग्वार की खेती घटती जा रही है।
ग्वार का अर्थ है गऊ का आहार अर्थात गाय का बेहतरीन चारा माना जाता है किंतु अब यह बहुत कम क्षेत्रफल पर उगाया जाता है। इसको अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। पशुओं के लिए ग्वार की चूरी उपयोगी है इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है। ग्वार का गोंद कपड़ा, खाद्य पदार्थ शृंगार का सामान बनाने, विस्फोट, तेल उद्योगों में किया जाता है।
अपनी उपयोगिता के कारण यह लोकप्रिय है। डा देवराज पूर्व कृषि अधिकारी बताते हैं कि ग्वार की गिरी में 35 फीसदी तक गम पाया जाता है। इसका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण ,वस्त्र उद्योग सौंदर्य प्रसाधन, विस्फोटक उद्योग, कागज उद्योग में किया जाता है। बेकरी बनाने, आइसक्रीम ,पनीर के रखरखाव, चटनी बनाने में उपयोगी है। ग्वार पौष्टिक जा रहा है इसलिए विभिन्न पशुओं को खिलाने के काम आता है, इसके चूरी पशुओं को खिलाते हैं वहीं ग्वार की फलियां सब्जी के काम आती है। यह फलीदार दलहनी कम होने के कारण वायुमंडल की नाइट्रोजन को अवशोषित करता है। परंतु फसल में जड़ गलन रोग एवं बीएलबी रोग के कारण पैदावार घटती जा रही है। किसान इसे उगाने से घबराने लगे हैं। प्रति एकड़ 6 क्विंटल पैदा होना चाहिए किंतु होता है एक क्विंटल साथ में भाव अच्छे नहीं है जिसके चलते किसान रुझान घटा है।
फोटो कैप्शन 06: ग्वार की खेती।
अभी भी गरीबों की पहुंच से बाहर बनी दाल रोटी
- टमाटर और प्याज चल रहे हैं महंगे
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कनीना की आवाज। कभी कहावत रही है कि गरीबों के लिए दाल रोटी नसीब होती है किंतु अब गरीब तबके के लोग दाल नहीं खा सकते क्योंकि दाल में प्रमुख रूप से टमाटर एवं प्याज डाली जाती है दोनों ही महंगे दामों पर बिक रहे है। प्याज भी अब टमाटर की राह पर चल पड़ी है। जहां प्याज 40 रुपये किलो तक पहुंच गई है वही टमाटर के भाव घटकर 60 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। भाव में वृद्धि के चलते गरीब तबके के लोग दाल नहीं बना पाते हैं। सबसे सस्ती दाल 80 रुपये किलो हैं जबकि सभी दालेें इससे महंगी हैं। और सरसों का तेल 170 रुपये किलो पहले ही चल रहा है। उस पर मसाले अधिक महंगे होने के कारण भी कठिन हो गया है। वर्षा होने के बाद प्याज और महंगाई पकडऩे के आसार बने हुए है। यही कारण है की लोग जिनके पास प्याज का स्टाक है वो प्याज नहीं बेच रहे हैं। जिन्होंने प्याज नहीं खरीदी है वह भी प्याज खरीद कर रख रहे हैं। उधर प्याज उगाने वाले निरंजन कुमार, महावीर सिंह गजराज सिंह आदि ने बताया कि प्याज का स्टाक लंबे समय तक नहीं चलता। जब वर्षा होती है तो प्याज खराब होने की पूरी संभावना होती है। ऐसी समय में अगर वह अपने स्टाक को रखते हैं तो उनके लिए दिक्कत आ सकती है। जहां पहले टमाटर चर्चा में रहा है अब प्याज चर्चा में रहने लगी है। लगता है भविष्य में और महंगी प्याज होगी।
यात्री बसों का खुले आसमान के नीचे करते हैं इंतजार, वर्षा का गंदा पानी भरा है गड्ढों में
- 4 महीने पहले बस स्टैंड को दिया था तोड़
-अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं, रोष
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कनीना की आवाज। कनीना का पुराना बस स्टैंड तोड़कर उसे आधुनिक रूप देने के लिए करीब 4 महीने पहले इसके भवन को तोड़ डाला था। तब से आज तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है। सभी रोडवेज बसे और निजी बसें खुले आसमान के नीचे खड़ी रहती है तथा विभिन्न यात्री गर्मी या बरसात में भीगने को मजबूर हैं। बस स्टैंड के अंदर गड्ढों में जगह जगह गंदा पानी खड़ा हो गया है।
विगत दिनों भीषण गर्मी में यात्री बेहद परेशान नजर आये वहीं अब वर्षा में भीगते हुए बस पकडऩे को मजबूर हो गये हैं। सबसे बड़ी बात है कि आसपास कोई पेड़ या टीनशेड नहीं है। प्रशासन टीन शेड बनवाने की बात कह रहा था किंतु अभी तक टीन शेड नहीं बन पाये हैं। यात्रियों साथ छोटे बच्चे और बुजुर्ग लोगों को भी गर्मी की तपन सहन करने को मजबूर हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 1976 में तत्कालीन परिवहन मंत्री कर्नल राम सिंह ने इस कनीना के नए बस स्टैंड परिसर का उद्घाटन किया था। तत्पश्चात इसमें सुधार होता रहा और करीब 4 महीने पहले फिर से इसमें नया रूप देने के लिए सारे भवन को ही तोड़ डाला। वर्तमान में एक ईंट भी नजर नहीं आती। परिणाम यह है कि यात्री बेहद परेशान, इधर-उधर घूमते रहते हैं। सभी बसें यहीं आकर खुले मैदान में ठहरती हैं। सबसे बड़ी बात है कि चालक और परिचालक भी इधर-उधर दुकानों का सहारा लेने को मजबूर हो जाते हैं। नये बस स्टैंड बनने का इंतजार करते-करते लोगों में भारी रोष पनप रहा है। इस भवन का निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है, परंतु अभी नहीं लगता कि निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कनीना से रेवाड़ी, दिल्ली, कोसली रोहतक, चरखी दादरी, भिवानी, हिसार ,महेंद्रगढ़ लोहारू, अटेली, बहरोड़, जयपुर, पलवल आदि स्थानों पर बसें जाती है और यह बस स्टैंड चारों ओर से सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यहां के बस स्टैंड का होना बहुत जरूरी है।
यात्री रमेश कुमार, महेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, दिनेश कुमार, महेश कुमार, राम सिंह आदि ने बताया कि जब भी उन्हें बसों से सफर करना होता है तो कनीना से बसें पकडऩा एक बड़ी समस्या बन जाता है। लंबे समय तक बसों का वर्षा एवं धूप में इंतजार करना पड़ता है। तत्पश्चात बसें मिलने पर गंतव्य स्थान पर जाना पड़ता है। उनकी मांग है कि अविलंब बस स्टैंड का निर्माण कार्य किया जाए। इस संबंध में रोडवेज जनरल मैनेजर अनित कुमार ने विगत दिनों इसके स्थान पर अब टेंपरेरी टीन शेड बनाई जाने की बात कही थी ताकि गर्मी एवं बरसात में बचाव हो सके। उन्होंने यह भी कहा था कि नए बस स्टैंड का स्केच/ नक्शा बनाकर पीडब्ल्यूडी विभाग को दे दिया गया है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने इसे निर्मित करना है और उन्हें विश्वास है कि जल्दी नक्शा पास होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। किंतु अभी तक अस्थायी टीन शेड निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है।
फोटो कैप्शन 03:कनीना में खुल आसमान के नीचे खड़ी बसें।
कनीना क्षेत्र में प्रतिदिन हो रही है वर्षा
-सावन माह में किसानों को मिला आराम
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कनीना की आवाज। सावन माह में कनीना क्षेत्र में अच्छी वर्षा हो रही है। प्रतिदिन कुछ न कुछ वर्षा हो जाती है। अब तक के बाजरा और कपास की फसल लहलहा रही है।
किसानों का कहना है कि अधिक वर्षा भावी फसलों के लिए लाभप्रद साबित होगी। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। किसान सूबे सिंह, राम सिंह, अजीत कुमार, महेश कुमार आदि ने बताया कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा। बाजरा बड़ा हो गया है जिनको पानी की जरूरत है। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। कपास की बेहतर फसल खड़ी है। किसान अपनी फसलों को देखकर खुश नजर आये। सावन माह में लगातार वर्षा से विभिन्न पर्वों में की रौनक बढ़ गई है। रक्षा बंधन 19 अगस्त की तैयारियां चल रही है।
फोटो कैप्शन 04: वर्षा में खेतों मेें बाजरे की लहलहाती फसल।
पहचान पत्र के लिए चलाया विशेष अभियान
-बूथों पर बैठे सभी बीएलओ, 11 अगस्त को भी रहेंगे बूथों पर
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कनीना की आवाज। निर्वाचन आयोग हरियाणा द्वारा विशेष अभियान चलाकर सभी बूथों पर बीएलओ द्वारा जहां एक जुलाई 2024 को आधार मानते हुए फोटोयुक्त पहचान पत्र बनाये गये, नाम काटे गये तथा दुरुस्त किये गये। सभी बीएलओ अपने-अपने बूथों पर 3 व 4 अगस्त को भी हाजिर रहे और शनिवार को भी मौजूद रहे। रविवार 11 अगस्त को भी हाजिर रहेंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए बीएलओ सुनील कुमार ने बताया कि चुनाव आयोग के आदेश अनुसार अब तीन,चार, दस एवं 11 अगस्त को सभी बीएलओ अपने-अपने बूथों पर रहेंगे। इसी कड़ी में शनिवार को भी बूथों पर बैठकर फार्म नंबर 6, सात एवं 8 भरे गये। मतदाताओं का रुझान देखने को मिला। एक विशेष अभियान चलाकर नये वोट बनाए गये, नाम काटे गये तथा नाम दुरुस्त किये गये। उन्होंने बताया इसी क्रम में 11 अगस्त को भी सभी बीएलओ अपने-अपने बूथों पर हाजिर रहेंगे। दिनभर वोटर बीएलओ के पास पहुंचे और अपने वोट बनवाये, कटवाये गये तथा दुरुस्त करवाये गये।
फोटो कैप्शन दो: बूथ 57 व 60 कनीना पर बैठे हुए बीएलओ।
उन्हाणी स्कूली बस हादसा-
चार महीने से न्याय की गुहार लगाते फिर रहे परिजन
न्याय न मिलने पर सड़क पर करेंगे न्याय आंदोलन
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कनीना की आवाज। बीते 11 अप्रैल को उन्हानी गाव के पास हुए हृदयविदारक स्कूल बस हादसे में मृत 6 स्कूली बच्चों के माता-पिता को न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। बीते 4 महीने में परिजन स्थानीय विधायक सीताराम यादव, लोकसभा सांसद चौधरी धर्मवीर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, सांसद राव इंदरजीत सिंह और देश के प्रधानमंत्री के सामने न्याय की गुहार लगा चुके हैं। अभी बच्चों की चिता ठंडी भी नहीं हुई थी कि दोषियों को जमानत दे दी गई। मृत बच्चों के माता-पिता पिछले 4 महीने से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराई जाए। जो आर्थिक सहायता के नाम पर 3-3 लाख रुपए परिजनों को मिले हैं, परिजन उन्हें लौटाना चाहते हैं।
परिजनों का कहना है कि हमें सिर्फ न्याय चाहिए, हादसे के समय भाजपा सरकार ने आश्वासन दिया था कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता हटने के बाद उनकी मांग पूरी कर दी जाएगी। लेकिन परिजनों का कहना है कि उनके साथ सरकार ने वादा-खिलाफी की है।
संदीप यादव ने कहा, इन बच्चों की जान बचाई जा सकती थी, स्कूल बस ले जाते वक्त ड्राइवर ने 4-5 बार गलती की थी। इससे ऐसा लगता है कि बच्चों को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेला गया है, कोई आसमानी बिजली नहीं पड़ी जिससे इसे हादसा कहें।
स्कूल प्रशासन से लेकर स्थानीय प्रशासन परिवहन विभाग समेत सरकार, बच्चों की मौत की दोषी है इसलिए हम चाहते हैं माननीय उच्चतम न्यायालय से इसकी जांच हो।
अब 4 महीने बीत जाने के बाद न्याय न मिलने पर मजबूरन सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं। आगामी 17 अगस्त तक सुनवाई न होने पर मजबूरन एसडीएम कार्यालय (कनीना) के सामने सड़क पर आंदोलन करेंगे।
फोटो कैप्शन 01: स्कूली हादसे में मृतक बच्चों के अभिभावक प्रेस वार्ता करते हुए।
यूरो स्कूल में अभिभावक-अध्यापक संगोष्ठी का आयोजन
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कनीना की आवाज। यूरो स्कूल कनीना में शनिवार को शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे अभिभावकों ने अपने बच्चों की द्वितीय इकाई परीक्षा परिणाम की रिपोर्ट प्राप्त की। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील यादव, उप प्राचार्या संजू यादव अभिभावकों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा विद्यार्थी को जीवन जीने के लिए नई दिशा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विद्यार्थी को न केवल शिक्षित बनाती है, बल्कि उसे संस्कृति और सभ्यता से परिचित करवाकर उसे राष्ट्र निर्माण की ओर प्रेरित करती है। शिक्षा अध्यापक व अभिभावक दोनो के दिशा-निर्देशन व सहयोग से ही संपूर्ण होती है। एक विद्यार्थी को शिक्षित करने में जितना योगदान एक गुरु का होता है, उतनी ही भूमिका माता-पिता की होती है। सभी विद्यार्थियों को अपने गुरू व अभिभावकों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय-समय पर अभिभावक सुझाव एवं-उनके विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए इस तरह के आयोजन जरूरी है। यूरो ग्रुप आफ स्कूल का उद्देश्य हे कि विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए लक्ष्यों को अभिभावकों के साथ विचार-विमर्श कर अथक परिश्रम व सतत प्रयास द्वारा उनके बताए गए लक्ष्य तक पहुंचाना है। अभिभावकों ने अध्यापकगण से अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड एवं उत्तर पुस्तिकाएं प्राप्त करते हुए अध्यापकों का धन्यवाद किया और कहा कि समय पर अभिभावक-अध्यापक संगोष्ठी का आयोजन करना बहुत ही आवश्यक है जिससे बच्चों की कमियों को शिक्षक व अभिभावक मिलकर दूर करके उन्हें उनके लक्ष्य तक ले जाए और उनके भविष्य को उज्ज्वल बना सकें।
फोटो कैप्शन 05: पीटीएम का नजारा।
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