Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Saturday, August 17, 2024


 

उन्हाणी स्कूली बस हादसा-
चार महीने से न्याय की गुहार लगाते हुए लगाया जाम, देर शाम को धरना समाप्त
-कनीना के चंद लोगों ने पुलिस में जाम लगाने वालों पर मामला दर्ज करने की कि मांग
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कनीना की आवाज। बीते 11 अप्रैल को उन्हानी गाव के पास हुए हृदयविदारक स्कूल बस हादसे में मृत 6 स्कूली बच्चों के माता-पिता को न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। बीते 4 महीने में परिजन अटेली विधायक सीताराम यादव, लोकसभा सांसद चौधरी धर्मवीर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, सांसद राव इंद्रजीत सिंह और देश के प्रधानमंत्री के सामने न्याय की गुहार लगा चुके हैं। आखिरकार शनिवार को कनीना के न्यायालय के पास लोगों ने सुबह से शाम तक सड़क के बीच में बैठकर जाम लगाया। सभी मार्गों को बंद कर दिया। अधिकारियों ने समझाया किंतु नहीं माने। परेशान कुछ किसान पुलिस में जा खड़े हुए और जाम लगाने वालों पर मामला दर्ज करने की मांग की। उनका कहना है कि सारे काम ठप हो गये हैं। ऐसे में जाम हटाया जाए।
उधर धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि अभी बच्चों की चिता ठंडी भी नहीं हुई थी कि दोषियों को जमानत दे दी गई। मृत बच्चों के माता-पिता पिछले 4 महीने से मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जांच  उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराई जाए। जो आर्थिक सहायता के नाम पर 3-3 लाख रुपए परिजनों को मिले हैं, परिजन उन्हें लौटाना चाहते हैं।  
परिजनों का कहना है कि हमें सिर्फ न्याय चाहिए, हादसे के समय भाजपा सरकार ने आश्वासन दिया था कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता हटने के बाद उनकी मांग पूरी कर दी जाएगी। लेकिन परिजनों का कहना है कि उनके साथ सरकार ने वादा-खिलाफी की है।
कनीना मंडी की शिवलाल धर्मशाला में पीडि़त परिजनों ने गत दिनों कहा था कि इन बच्चों की जान बचाई जा सकती थी, स्कूल बस ले जाते वक्त ड्राइवर ने 4-5 बार गलती की थी। इससे ऐसा लगता है कि बच्चों को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेला गया है, कोई आसमानी बिजली नहीं पड़ी जिससे इसे  हादसा कहें।  
 उन्होंने स्कूल प्रशासन से लेकर स्थानीय प्रशासन परिवहन विभाग समेत सरकार, बच्चों की मौत की दोषी है इसलिए हम चाहते हैं माननीय उच्चतम न्यायालय से इसकी जांच हो। अब 4 महीने बीत जाने के बाद न्याय न मिलने पर मजबूरन सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने  17 अगस्त को मजबूरन कनीना एसडीएम कार्यालय के सामने सड़क पर आंदोलन करने की बात कही थी। जिसके चलते आज विभिन्न गांवों के लोगों ने विशेषकर सड़क हादसे में मारे गये बच्चों के अभिभावकों ने जाम लगा दिया। जाम के कारण दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई। वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करते हुए दुपहिया वाहन चालक नजर आये। मिली जानकारी अनुसार एसडीएम सुरेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे किंतु बाद में धरना देने वाले स्वयं चले गये।
  उधर कनीना के चंद किसान एवं लोगों ने जाम करने वाले लोगों पर मामला दर्ज करने की शिकायत पुलिस में दी है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सुबह से शाम तक सड़क जाग करने के कारण घर एवं पशुओं के सारे काम ठप्प हो गये हैं। स्कूली बच्चे भी विभिन्न वैकल्पिक मार्गों से घर तक पहुंचाये गये। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया किंतु देर शाम को धरना समाप्त कर दिया। यात्री बेहद परेशान रहे। दो-दो किमी लंबी वाहनों की कतार लग गई।
फोटो कैप्शन 09:जाम करने वालों पर मामला दर्ज करने की गुहार लगाते थामें खड़े लोग।
   10: सड़क के बीच में धरना देकर जाम लगाते हुए
  11: वाहनों की लंबी कतार
   12: सड़क के बीच में ट्रैक्टर खड़ा करके उस पर लिखा न्याय की मांग।
पलिस में दी गई शिकायत की प्रति संलग्र है






ऐसे भी होते हैं अधिकारी......
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे....
- नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे
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कनीना की आवाज। 
डा होशियार सिंह लेखक शिक्षक विभाग से 30 अप्रैल 2024 में सेवानिवृत्त हो गए। शिक्षा विभाग में जहां 1995 से पहले वर्ष 1984 से 1995 तक पढऩे के साथ साथ जमकर ट्यूशन भी किया। इसी अवधि में जहां सरकारी स्कूल करीरा, नवोदय विद्यालय करीरा, नवोदय नैचाना, ओढ़ा, निजी काले, 4-5 प्राइवेट स्कूलों में शिक्षण कार्य भी किया और वर्ष 1995 में सरकारी नौकरी में आये। और अब 30 अप्रैल 2024 में सेवानिवृत्त हो गये हैं। इस दौरान झूक में सबसे पहले सेवा करने का मौका मिला। झूक से धनौंदा,  धनौंदा से कनीना, कनीना से अल्लिका, अल्लिका से करीरा, करीरा से कनीना, कनीना से उन्हाणी, उन्हाणी से कनीना, कनीना से सुंदराह,
सुंदराह से कनीना, कनीना से पाठ खोरी, पाठ खोरी से करीरा, करीरा से कनीना, कनीना से पड़तल, पड़तल से धनौंदा, धनौंदा से बदली होकर फिर से धनौंदा स्टेशन मिला। जहां से सेवानिवृत्ति मिली।
सेवा की उपरोक्त अवधि दौरान कई मुखियाओं और प्राचार्यों से मुलाकात की, मिले। परंतु जब किसी स्टाफ सदस्य के यहां कोई अनहोनी हो जाती थी तो पूरा स्टाफ उनके यहां जाता था,  दुख दर्द में शरीक होता था। मुखिया और प्राचार्य का यही कथन होता था कि अधिक से अधिक स्टाफ उनके यहां जाइए। यहां तक की जिस कर्मी के साथ अनहोनी हो जाती उसको सहानुभूति बतौर स्कूल से रियायत मिल जाती थी क्योंकि उनके मन में एक भावना होती थी जिसे सहयोग नाम दिया जाता था। एक मुखिया ऐसा भी देखा जो स्टाफ के किसी सदस्य के यहां परिवार के यहां बीमार भी हो जाता तो यही कहता यहां क्या कर रहा है, परिवार में बीमार है उसकी देखरेख कर, स्कूल की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ जितने अवकाश चाहिए मैं दूंगा। मन प्रसन्न हो जाता था किंतु इस अवधि में एक ऐसा मुखिया भी देखा जिन्होंने लेखक की पत्नी की मौत होने पर आकाश भी लगाए और कोई रियायत नहीं दी परंतु वहां तक उचित था। एक साथी ऐसे भी रहे जिनकी परिवार में अनहोनी हो गई तो उसकी रियायत देना तो दूर सभी अवकाश लगाए गए, वहां तक ठीक है क्योंकि सरकार के नियमानुसार है किंतु स्टाफ सदस्यों से कहा कि तुम उनके यहां दुख दर्द में नहीं जाओगे, क्या फायदा होगा और स्टाफ के सदस्यों को नहीं जाने दिया।  इसके चलते स्टाफ के सदस्यों में भारी रोष पनपा और सभी के मुख से एक ही बात निकली कि इससे गंदा अधिकारी कोई हो ही नहीं सकता, ऐसे का अंत बुरा होगा।  तभी तो कहा है कि क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे......।






सरकार के विरुद्ध इस बार कर्मचारियों में भारी रोष
-स्टेट अवार्डी शिक्षक हो या अस्थाई कर्मी सभी भरे हुए हैं रोष से
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कनीना की आवाज। 
विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सरकार और विपक्ष के नेता मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। निकट भविष्य में आमने-सामने होंगे, विपक्षी नेता बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि कर्मचारी एवं किसान सभी दुखी हैं। यह सत्य है कि अधिकांश कर्मचारी सरकार के सख्त विरोधी बने हुए हैं। कर्मचारी चाहे बाबू हो या अस्थाई कर्मचारी हो या फिर चाहे स्थायी कर्मचारी या फिर स्टेट अवार्डी शिक्षक हो सभी में रोष की चिंगारी पनप रही है। स्टेट अवार्ड प्राप्त शिक्षकों को वर्ष वर्ष 2021 में मिलने वाले अवार्डों के लिए आवेदन हो चुके थे थे तब अवार्ड के सारे ही नियम बदल दिए। वर्तमान में स्टेट अवार्ड प्राप्त करना जिनकी उम्र 55 साल हो गई है उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता। क्योंकि एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है उससे कहीं अधिक शिक्षक का खर्चा आ जाता है बाकी कोई लाभ नहीं मिलता। कभी दो अग्रिम वेतनवृद्धियां दी जाती थी जो पूर्ण रूप से बंद कर दी गई, 2 साल का सेवा विस्तार मिलता था वो भी बंद कर दिया गया है। ऐसे में 55 साल इससे अधिक उम्र में कर्मी को यदि अवार्ड मिल भी जाए तो समझो लाभ नहीं अपितु नुकसान होगा। दो अग्रिम वेतन  वृद्धियां मिलती थी जिनकी जगह दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियां दी जाने लगी उसमें भी 55 साल के कर्मियों को नहीं देना इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है? उस पर दो साल की अतिरिक्त सेवा का मौका मिलता था वो भी बंद कर दिया गया। अपना खोया हुआ सम्मान वापस पाने के लिए कितने प्रयास किये, धरना प्रदर्शन, विधायक को सांसदों , मंत्रियों को भी ज्ञापन दिया गया यहां तक कि मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिये परिणाम यह निकला कि सरकार ने एक शब्द भी अपने मुंह से स्टेट अवार्डी शिक्षकों के विषय में नहीं कहा। जिसके कारण और भी रोष पनप गया। जिसका लाभ उठाकर अब विपक्षी नेता यह कहने लग गए कि उनकी सरकार बनते ही सबसे पहले स्टेट अवार्डी शिक्षकों को को मिलने वाले सभी लाभ फिर से पुराने समय से बहाल कर दिए जाएंगे। यही नहीं विभिन्न कर्मचारी जो दुखी है उनकी दुखती रग पर विपक्षी नेताओं ने हाथ रखा दिया है और आश्वासन दे रखा है कि उनकी सरकार बनते ही उन्हें सभी लाभ ने देंगे। बहुत से सरकारी कर्मचारी सरकार के विरोधी नजर आए।
ऐसे में हरियाणा में जहां सत्ता पक्ष अपनी साख को बचा ले इसके लिए बहुत कठोर संघर्ष करना होगा, नहीं लगता कि कहीं कोई उनको सम्मान मिलेगा क्योंकि सभी कर्मचारी दुखी है और कर्मचारियों के साथ-साथ किसान भी दुखी हैं। जब किसान और कर्मचारी दुखी हो तो उस समय जीत पाना बहुत कठिन ही नहीं मुश्किल होता है। अब यह तो वक्त बताएगा की कैसे सत्ता पक्ष की नैया पार होती है। बहरहाल विपक्षी नेता प्रसन्न है कि उन्हें इस बार लाभ मिलेगा और लाभ अधिक मिल गया तो सरकार में काबिज हो जाएंगे। आने वाला समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बदलता है?






चेलावास की लाडली ने जीता अंडर-23 में स्वर्ण पदक
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कनीना की आवाज।
 कनीना उप-मंडल के गांव चेलावस की बेटी सुमित सेहरावत ने 72 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक प्राप्त कर गांव और क्षेत्र का नाम रोशन किया । पहलवान सुमित सेहरावत के पिता सूबेदार राजवीर सिंह ने बताया कि नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक में 16 अगस्त को संपन्न हुई है। जिसमें सुमित सेहरावत ने पदक जीता है।
फोटो कैप्शन 08: सुमित सेहरावत मेडल प्राप्त करते हुए।






कनीना क्षेत्र में हुई दो एमएम वर्षा
--सावन माह खूब बरसा रहा है पानी
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कनीना की आवाज।
कनीना क्षेत्र में शनिवार को दो एमएम वर्षा हुई। अब तक अकेले सावन माह में 200 एमएम वर्षा हो चुकी है। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है।
 किसान रामफल, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि सावन माह में अच्छी वर्षा हुई है। अकेले सावन माह की वर्षा जून एवं जुलाई में हुई वर्षा से अधिक है। सुबह धूप खिली किंतु दोपहर बाद वर्षा हुई।





पेड़ों और खंभों से हटाए नपा ने बैनर एवं पोस्टर
-दिनभर चला अभियान
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कनीना की आवाज।
 चुनाव की घोषणा होते ही कनीना के हर सरकारी पोल और पेड़ पौधे के तने एवं टहनियोंं पर टंगे पोस्टर एवं बैनर हटा दिये गये हैं। अभी भी विभिन्न दीवारों पर भी पोस्टर बैनर लगे हुए हैं। नेताओं की भरमार है जहां कांग्रेस की टिकट के लिए दावेदारी करने वाले 30 तो भाजपा के भी 30 से कम नहीं वहीं विभिन्न दलों के नेता मिलकर 100 से अधिक बनते जो टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। चाहे कुछ भी हो पर सरकारी पोल पर जहां पहले ही शौचालयों की सफाई वालों ने फोन नंबर लिख लिख कर हुलिया बिगाड़ रखा है और उस पर अब टिकट चाहने वालों में होड़ लगी हुई थी। एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह के आदेश पर नपा कर्मियों ने बैनर एवं पोस्टर हटाए हैं। अभी पोस्टर एवं बैनर हटाने की जरूरत है। ऐसे पोस्टर एवं बैनर टांगने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
फोटो कैप्शन 05: नपा कर्मी पोस्टर एवं बैनर हटाते हुए।





एक पौधा मां के नाम लगाए 500 पौधे
-महिलाओं को बांटे तुलसी
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कनीना की आवाज। कनीना के एसडीएम सुरेंद्र सिंह ने एक पौधा मां के नाम पर 500 पौधे छायादार, फलदार एवं अन्य लगाए। इस मौके पर लिपिक सुरेंद्र लिपिक सहित विभिन्न जन मौजूद रहे।
उधर जनशक्ति विकास संगठन के द्वारा कनीना मंडी के राधा कृष्ण मंदिर में 45 महिलाओं को तुलसी वितरित की। जनशक्ति विकास संगठन के अध्यक्ष दीपक कुमार वशिष्ठ ने बताया कि तुलसी औषधीय पौधा है। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आंगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं। भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होम्योपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। तुलसी की पत्तियां में अनेक औषधीय गुणों से युक्त हैं। चूंकि यह वात एवं कफ शामक है इसलिए अनेक आयुर्वेदिक एवं हर्बल कफ सीरप में इसका प्रयोग प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है।इसके अलावा तुलसी के पत्ते का फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और जीवाणु  संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। इसी कड़ी में मंदिर प्रांगण के पंडित दिनेश शर्मा जी ने बताया कि  तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इस मौके पर अमित कुमार वशिष्ठ, सुषमा शर्मा, शैलेश, किरण ,निर्मला, पिंकी, सुमन मित्तल, प्रेम, माया, संतरा, सुमित्रा , कमलेश वशिष्ठ, सुशील शर्मा, हेमा, नित्यानंद शर्मा , सरजीत सिंह आदि  गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 06: सुरेंद्र सिंह एसडीएम पौधारोपण करते हुए
            07: तुलसी के पौधे वितरित करते जनशक्ति विकास संगठन

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