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Thursday, August 1, 2024
कनीना में आयोजित हुआ भंडारा,
--शुक्रवार को मनेगी शिवरात्रि
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कनीना की आवाज। कनीना के वार्ड नंबर 4 के शिव मंदिर में भंडारा आयोजित किया गया। सुबह यज्ञ हवन में आहुति प्रदान कर भंडारा का शुभारंभ किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सावन के महीने में शिव की पूजा, सोमवार का व्रत, शिव महापुराण की कथा का श्रवण, कांवड़ लाना और कांवड़ यात्रियों की सेवा करना हमारी सनातन परंपराएं हैं। भंडारे से समाज में आपसी प्रेम, सद्भाव तथा भाईचारा बढ़ता है। इस अवसर पर धनुष पंडित, विकी, बलदेव, धनपत सिंह, पवन, करण, राहुल, सत्यवीर, हरीश, सुरेंद्र, देशराज, राजकुमार, नीरज, सचिन, मुकेश शर्मा, नित्यानंद, नरेंद्र कुमार, महाशय बाबूलाल, निरंजन, मनोज, प्रेमपाल व हितेश आदि श्रद्धालुओं ने भंडारे की सफलता में उल्लेखनीय योगदान दिया।
फोटो कैप्शन 12: भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते भक्त
82 एमएम हुई वर्षा, किसान खुश
-कनीना में बाढ़ जैसी समस्या
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में बुधवार की रात को 82 एमएम वर्षा हुई जिसके चलते किसान खुश हैं। विगत दिनों भी सावन माह में 15 एमएम वर्षा हुई थी। अकेले सावन माह में 97 एमएम वर्षा हो चुकी है। कनीना में बाढ़ जैसे हालात बन गये हैं। वर्ष 1995 में क्षेत्र में भारी वर्षा हुई थी यद्यपि 1995 जैसी बारिश अभी तक नहीं हुई है। जून एवं जुलाई में अब तक 180 एमएम वर्षा हो चुकी है जिसमें से अकेले सावन में 97 एमएम वर्षा हो चुकी है। दुकानों में भी पानी घुस गया वहीं विभिन्न मार्गों पर भी पानी अभी तक खड़ा है। मौसम अभी भी वर्षामय बना हुआ है। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है। पतंगबाजी में तेजी आ गई है। कपास की फसल में नुकसान होने की संभावना है।
खंड कृषि अधिकारी डा.संदीप यादव ने बताया कि बारिश से फसलों को लाभ होगा। उन्होंने बताया उन्होंने बताया कि बाजरा 47500 एकड़ कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़ ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में पानी जमा होता है उनमें फसल नुकसान की संभावना है। कपास की फसल में सड्डन विल्ट का रोग आ सकता है। अगर पानी खड़ा हो तो दो ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड प्रति 200 ग्राम जल का छिड़काव वर्षा होने के 24 घंटों के अंदर अंदर कर दे।
डा. संदीप यादव ने बताया कि क्षेत्र की भूमि बालू प्रधान है जो जल्दी पानी को सोख लेती है। इसलिए चाहे अधिक वर्षा भी होगी तो किसानों के लिए लाभ होगा। किसानों ने इस समय अपने खेत की निराई कर रखी है। बाजरा बड़ा हो गया है जिनको पानी की जरूरत थी। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। किसान अपनी फसलों को देखकर खुश नजर आये।
वर्षा से सड़कों पर पानी जमा हो जाने से समस्या जरूर पैदा हो गई है तथा प्रशासन असहज महसूस कर रहा है किंतु वर्षा होने का लाभ अधिक है।
यहां उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बाजरा फसल की बिजाई भी देरी से हो पाई है। विगत वर्ष की तुलना में करीब दो सप्ताह देरी से हो पाई है। यही कारण है कि किसान इस वर्ष कुछ परेशान नजर आ रहे हैं। एक तो देरी से फसल बिजाई हुई है वही अगली फसल के लिए कम समय बचेगा वहीं वर्षा भी कम हुई है। विगत वर्ष जहां बादल जमकर बरसे थे, सावन में अच्छी वर्षा हुई थी किंतु इस वर्ष अभी तक अल्प वर्षा हुई है।
क्योंकि कनीना और आसपास डार्क जोन को घोषित किया हुआ हैं। भूमिगत जल गहरा होता जा रहा है, यदि अच्छी वर्षा हो जाए तो भूमिगत जल में बढ़ोतरी हो सकती है। पूरे वर्ष में महज सावन माह के आसपास अच्छी वर्षा होती आई है जो भूमिगत जलस्तर को बढ़ावा देता है। वर्ष 1995 में सबसे अधिक वर्षा हुई थी, जब चारों ओर बाढ़ आ गई थी किंतु तब से लेकर आज तक करीब 29 साल बीत गए हैं अच्छी वर्षा नहीं हो पाई है। किसान कृष्ण कुमार, रवि कुमार, दिनेश कुमार, महेंद्र आदि ने बताया कि वो अच्छी वर्षा का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि कनीना और आसपास रेतीली मिट्टी है जो पानी को आसानी से सोख लेती है। अगर अच्छी वर्षा हो जाए तो भूमिगत जल में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ में बाजरे की भी अच्छी पैदावार होगी। इस वक्त बाजरा उगाया गया है जिसकी अच्छी पैदावार होने की संभावना है। किसानों ने बताया कि एक अक्टूबर से रबी फसल की बिजाई शुरू हो जाती है। यदि वर्षा अच्छी होती है तो रबी फसल भी बेहतर बन पाएगी। चाहे बाजरे की फसल चारे के रूप में उगाई जाती है और क्षेत्र के किसान पशुपालक हैं। पशुपालकों के लिए चारा भी जरूरी है। यही कारण है कि किसान अब अच्छी बारिश होने का विशेष कर सावन माह की और नजर दौड़ा रहे हैं। सावन माह में अच्छी वर्षा होती है तो निश्चित रूप से किसानों को खुशी का एहसास होगा।खंड कृषि अधिकारी डा. विकास ने बताया कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा। अच्छे भाव मिलेंगे-
बाजरे का एमएसपी 2625 रुपये प्रति क्विंटल का रखा गया है। विगत वर्षों से सरकारी तौर पर बाजरा खरीदा जा रहा है जिसके चलते भी किसान उत्साहित है और रुझान बाजरे की ओर है।
प्रशासन की खोली पोल-
बदरा जमकर बरसने से प्रशासन की पोल खुल गई है। पिछले कुछ दिनों से अच्छी वर्षा की राह देख रहे लोगों की इच्छा तो पूरी हुई परंतु प्रशासन की पोल खोल के रख दी। हर गली में वर्षा का जल भरा हुआ है। जोहड़ लबालब भरे खड़े हैं। कई दिनों से गर्मी पड़ रही थी किसान के अलावा आम आदमी भी यह आस लगाए हुए थे एक न एक दिन अच्छी वर्षा होगी। एक तरफ लोगों को तो गर्मी से राहत मिली दूसरी तरफ काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा। कही सड़कों पर जलभराव देखने को मिला तो कही दुकानों में पानी भर गया। प्रशासन पिछले काफी दिनों से पानी को शहर से बाहर निकालने को निरंतर प्रयास कर रहा था लेकिन सब फेल हो गया। ऐसा कोई मार्ग नहीं है जहां जलभराव देखने को ना मिले। पूरी रात कनीना क्षेत्र में अच्छी वर्षा हुई है।
दुकानों में पानी घुसा-
कनीना के कई दुकानदारों ने बताया कि वर्षा का जल उनकी दुकानों में घुस गया चूंकि दो दो फुट पानी सड़कों पर जमा हो गया था। मनोज गुप्ता दुकानदार ने बताया कि उनकी दुकान में पानी घुस जाने से पलाई एवं अन्य सामान के भीग जाने से नुकसान हुआ है।
फोटो कैप्शन 7,8,10: कनीना की सड़कों पर जमा पानी,गलियों में जमा पानी।
09: दुकान में घुसा पानी
साथ में डा विकास बीएओ।
16 पौधों को लगाए गए ट्री गार्ड
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कनीना की आवाज। कनीना में जनशक्ति विकास संगठन के द्वारा रोड़ के बीच में खाली ट्री गार्ड्स के अंदर एक बच्चा एक पौधा अभियान के तहत कनेर और ओस्मोरिजा क्लेटोनी 16 पौधा का रोपण किया गया। जनशक्ति विकास संगठन के अध्यक्ष दीपक कुमार वशिष्ठ ने बताया कि बताया कि ग्रीन हाउस प्रभाव की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इससे निपटने का एक ही प्राकृतिक तरीका है, पौधरोपण। पेड़- पौधे हवा में मौजूद जहरीली गैस जैसे सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और छोटे कण को अवशोषित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल करना भी उतना ही जरूरी है। एक पौधा वृक्ष बनकर बहुमूल्य आक्सीजन निशुल्क प्रदान करता है। पर्यावरण प्रदूषण और बढ़ते तापमान को देखते हुए हमारे इर्द-गिर्द हरियाली का होना बहुत जरूरी है। वनों के विकास से ही मानव का विकास संभव है। इसलिए हमें वन क्षेत्र को बढ़ाना चाहिए और अधिक से अधिक पौधरोपण करते हुए उनकी देखभाल का संकल्प लेना चाहिए। इस मौके पर कनीना ब्लॉक समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश यादव, अशोक वर्मा, पवन सोनी,अशोक यादव,आशीष, धर्मेंद्र रोहिल्ला, अरविंद यादव, ढिल्लू राम, सोनू और संजय आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 11: पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाते हुए जन।
मोहनपुर गांव के सरपंच द्वारा गांव से दर्जनों वृक्ष बिना अनुमति के कटवाए
--लोगों ने दिया ज्ञापन
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कनीना की आवाज। जहां सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर हरियाणा को हरा भरा करने में जुटी हुई है तथा मां के नाम पर एक पेड़ लगाने की स्कीम चलाई हुई है ताकि प्रदेश में सब कुछ हरा भरा रहे लेकिन वही दूसरी तरफ कुछ लोग पुराने वृक्षों को उखड़वा रहे हैं। कनीना उपमंडल के गांव मोहनपुर का है जिसके दर्जनों ग्रामीणों द्वारा एक ज्ञापन एसडीएम कनीना को सौंप कर गांव के सरपंच पर 150वर्ष पुराने जाल के वृक्ष तथा अन्य वृक्षों को उखड़वाने का आरोप लगाया है। ज्ञापन की अगुवाई कर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता गांव के पूर्व सरपंच लख्मीचंद चौहान, राजवीर सिंह, पवन कुमार, बृजपाल सिंह, अमित कुमार, प्रवीण कुमार, अमरजीत, नीरू ,दीपक, राकेश कुमार, प्रकाश, कुलदीप, किरण पाल सिंह, अजीत सिंह, धर्मवीर सिंह, तेज प्रकाश सिंह, रतन सिंह, अशोक कुमार, नरेंद्र, कृष्ण कुमार, बिरजू सिंह, जगत सिंह, सतबीर सिंह, मेहर सिंह, लक्ष्मीनारायण, संजय कुमार, धर्मपाल सिंह, सुरेंद्र कुमार, चंद्रपाल, रमेश कुमार, राजकुमार, महिपाल सिंह आदि ने एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर सरपंच द्वारा गांव में अवैध रूप से पेड़ उखड़वाने को लेकर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। ज्ञापन में कहा गांव मोहनपुर में बुजुर्गों द्वारा लगाए गए जाल के वृक्षों को उखाडऩा व काटना तथा खनन विभाग की इजाजत लिए बिना ही मिट्टी उठाई जा रही है जो मिट्टी गांव के सामूहिक कार्य में प्रयोग नहीं करके निजी प्रयोग में लाई जा रही है। वही जो कार्य हो रहा है उसमें सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये सालाना खर्च कर शहरों गांवों तथा कस्बे में वृक्ष लगवा कर हरा भरा कर रही है वहीं मोहनपुर गांव के सरपंच द्वारा सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्षों को उखड़वाया जा रहा है। सरपंच केखिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। वही इस बारे में डीएफओ महेंद्रगढ़ से बात की गई तो उनका कहना था कि मामला मेरे संज्ञान में आया है इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी वहीं खनन विभाग के एक अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि जल्द ही हमारी टीम मौके पर जाएगी और वहां क्या हुआ है उसके हिसाब से कड़ी कार्रवाई की जाएगी वही सरपंच जीतराम से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि मुझे कुछ नहीं पता मैंने तो पानी की डिग्गी के लिए जन स्वास्थ्य विभाग को कुछ जमीन दी है और अब मैं हरिद्वार हूं। उन्होंने क्या किया है मेरे संज्ञान से दूर है।
फोटो कैप्शन 02: उखाड़े गये जाल पेड़ के साथ ग्रामीण
03: एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह को ज्ञापन देते हुए ग्रामीण।
बाघेश्वर धाम जहां बनते हैं बिगड़े काम
-दो अगस्त को लगेगा कांवड़ मेला
-शिवरात्रि से एक सप्ताह पहले से लगती हैं कांवड़ चढऩे
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव बाघोत पर 2 अगस्त को शिवरात्रि मेला लगने जा रहा है जिसे कावड़ मेला नाम से जाना जाता है। कनीना से महज 20 किमी दूर यह एक छोटा सा गांव है किंतु इसका पौराणिक इतिहास समेटे हुए है। शिवरात्रि के दिन यहां लाखों भक्त पहुंचते हैं और कावड़ चढ़ाते हैं। मंदिर करीब 1700 वर्ष पुराना माना जाता है।
शिवरात्रि के दिन यहां जनसैलाब उमड़ पड़ता है। हरिद्वार और नीलकंठ से बम-बम के जयघोष में श्रद्धालु कावड़ उठाकर लाते हैं तथा प्रांत भर में ही नहीं अपितु देशभर में विख्यात बाघोत शिवालय पर अर्पित करते हैं।
यूं तो यहां वर्षभर श्रद्धालु आते हैं और छोटे-छोटे मेले लगते हैं किंतु श्रावण के सोमवार को भारी भीड़ जुटती है। देशी घी का भंडारा चलता है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाओं के अतिरिक्त अबोहर कावड़ संघ, कनीना सेवा समिति तथा महाबीर सत्संग मंडल सुविधाएं जुटाते हैं। श्रद्धालु यहां स्थित जोहड़ पर स्नान करके शिवलिंग के दर्शन करके अपने को धन्य समझते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से जो कुछ मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है।
एक किवदंति के अनुसार बाघोत का पुराना नाम हरयेक वन था। यहां दधि ऋषि के पुत्र पीपलाद ने भी तप किया। उनका आश्रम भी तो यहीं था। उनके कुल में राजा दलीप के कोई संतान नहीं थी। वे दु:खी थे और दुखी मन से अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास गए। उन्होंने अपना पूरा दु:ख का वृतांत मुनिवर को सुनाया। वशिष्ठ ने उन्हें पीपलाद ऋषि के आश्रम में नंदिनी नामक गाय एवं कपिला नाम की बछिया निराहार रहकर चराने का आदेश दे दिया। राजा ने गाय व बछिया को निराहार रहकर चराते हुए जब लंबा अर्सा बीत गया तो एक दिन भगवान् भोलेनाथ ने बाघ का रूप बनाकर राजा की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। बाघ ने बछिया पर धावा बोल दिया। जब राजा की नजर बाघ पर पड़ी तो उन्होंने बाघ से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि वे उन्हें खा ले क्योंकि यदि वे बछिया को खाने देते हैं तो गाय का श्राप लगेगा और गाय को खाने देते हैं तो तप पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में उन्होंने अपने आपको बाघ के सामने पटक दिया। कुछ समय पश्चात जब उन्होंने सिर उठाकर देखा तो बाघ के स्थान पर शिवभोले खड़े थे। बाघ के कारण ही गांव का नाम बाघोत पड़ा जो आज
बाघेश्वर धाम नाम से जाना जाता है। शिवालय का निर्माण कैसे हुआ, इसके बारे में भी एक किवदंति प्रचलित है। बाघोत स्थित शिवालय का निर्माण कणाणा के राजा कल्याण सिंह रैबारी ने करवाया था। एक बार राजा के ऊंटों की कतार हरयेक वन से गुजर रही थी जिन पर सोना-चांदी लदा था। हरयेक वन में लुटेरों ने ऊंटों को लूट लिया और वहीं छुप गए। ऊंटों के सरदार को घायल कर दिया। सरदार स्वयंभू शिवलिंग के पास ही पड़ा था। सरदार ने ऊंटों के लूटने की सूचना राजा तक पहुंचाई। इसी बीच शिवलिंग से सरदार को दृष्टïांत मिला कि लुटेरे सभी इसी वन प्रदेश में ही छुपे हुए हैं। राजा के सरदार के पास आने पर सरदार ने राजा को शिवभोले का दृष्टïांत सुनाया तो समूचे वन प्रदेश को सैनिकों द्वारा घिरवा दिया। सैनिकों ने लुटेरों को पकड़ लिया और धन-दौलत वापस मिल गया। महाराज ने खुश होकर स्वयंभू शिवलिंग पर शिवालय का निर्माण करवाया। स्वयं गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक किया।
यूं तो शिवलिंग पर वर्षों तक विश्वास किया जाता रहा किंतु झज्जर के नवाब फकरुद्दीन ने एक बार स्वयंभू शिवलिंग को ढ़ोंग समझकर इसे खुदवा फेंकने का आदेश अपने सैनिकों को दिया। सैनिकों ने राजा का आदेश मानते हुए स्वयंभू शिवलिंग को खोदकर फेंकने का प्रयास किया किंतु उस वक्त असफल हो गए जब खुदाई दौरान जहरीले नाग व कीट निकलने लगे। सैनिक खुदाई का काम छोड़कर भाग खड़े हुए। नवाब के पुत्र रहमुद्दीन को भी इस स्वयंभू शिवलिंग पर भरोसा नहीं थ जिसके चलते उन्होंने जन मेले के स्थान पर पशु मेला भरवाने के आदेश ही दे डाले। एक बार मेला लग रहा था कि भारी वर्षा व ओलावृष्टिï शुरू हो गई। हजारों पशु मारे गए और मेले में उपस्थित लोगों ने भागकर जान बचाई। आश्चर्य यह था कि शिवलिंग के पास कोई ओलावृष्टिï नहीं हुई। अब महाराज की आंखें खुल गई और स्वयं गंगाजल लाकर शिवलिंग को अर्पित करके जन मेले की शुरुआत की। कनीना के डा होशियार सिंह यादव ने इस शिवालय के इतिहास पर शोध भी किया है तथा आइएसबीएन नंबर की पुस्तक भी प्रकाशित है। लेखक विगत 30 सालों से इस शिवालय पर लेख प्रकाशित करवाते आ रहे हैं।
बाघोत स्थित शिवालय उन भक्तों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है जिनके कोई संतान नहीं होती है। मेले में आकर दंपत्ति अपने हाथों से एक विशाल वटवृक्ष को कच्चा धागा बांधकर सुंदर संतान होने की कामना करता है। जब संतान हो जाती है तो यहां आकर ही धागा खोलता है। यही कारण है कि शिवलिंग के पास ही खड़ा एक वटवृक्ष कच्चे धागों से लदा मिलता है।
आज भी बाघोत जिसे बाघेश्वरधाम नाम से भी जाना जाता है, में प्राचीन समय में तप करने वाले ऋषि मुनियों की प्रतिमाएं लगी हुई हैं। दधिच पुत्र पीपलाद ने भी यहां तप किया था जिसके चलते इस मंदिर के एक छोर पर पीपलाद ऋषि का छोटा सा मंदिर बना हुआ है। यहां रखी हुई पीपलाद की छोटी सी प्रतिमा मुश्किल से ही पहचान में आती है।
बाघोत शिवालय के बिल्कुल सामने मुख्य द्वार पर तालाब होने के कारण भी इसकी सुंदरता को चार चांद लग गए हैं वहीं बिल्कुल पीछे जल की व्यवस्था एवं विशाल कैर के पौधे हैं। आज भी मंदिर के द्वार पर पुराने वृक्ष खड़े हैं। इस शिवालय पर हरिद्वार, नीलकंठ एवं ऋषिकेश से कावड़ लाकर चढ़ाने वालों का अपार जनसमूह देखने को मिलता है। इसके पीछे इस शिवालय में प्राचीन और स्वयंभू शिवलिंग का पाया जाना एक अहं कारण माना जाता है। यद्यपि स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर बनाया गया शिवालय कई बार बदला जा चुका है और जीर्णोद्धार किया गया है। भक्तजन यहां पर पेट के बल पर, नंगे पैर, हर-हर भोले बोलते हुए तथा कांवड़ को कंधे पर रखकर न केवल पुरुष अपितु महिला एवं बच्चे भी चलकर आते हैं। स्वयंभू शिलिंग पर गंगाजल अर्पित करके ही दम लेते हैं।
बाघोत गांव का का अब भव्य द्वार बना दिया गया है। महंत रोशनपुरी लंबे समय से बाघेश्वरधाम के महंत हैं। विभिन्न रूपों में कांवड़ अर्पित की जाती हैं किंतु डाक कांवड़ अर्पित करने वालों की भीड़ अधिक होती है।
फोटो कैप्शन 05:बाघोत का स्वयंभू शिवलिंग
04= बाघोत का भव्य द्वार
06: बाघेश्वरी धाम का शिवालय
यूरो स्कूल कनीना में माइम प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
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कनीना की आवाज। यूरो स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में लगातार अपनी अमिट छाप छोड़ता जा रहा है। शिक्षा के साथ-साथ हर क्षेत्र में लगातार अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज स्कूल प्रांगण में कक्षा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के बीच माईम प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।तथा साथ ही कक्षा तीसरी से पांचवी के विद्यार्थियों के बीच कैरम वोर्ड प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। ये प्रतियोगिताएं अंतर सदनीय स्तर पर हुई जिसमें सभी विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर इनमें भाग लिया। सभी बच्चों ने अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर अपने कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में डार्विन सदन प्रथम, आईंस्टिन सदन द्वितीय तथा न्यूटन सदन एवं एड़ीसन सदन तृतीय स्थान पर रहे। इस शुभावसर पर प्राचार्य सुनील यादव व उप प्राचार्या संजू यादव ने बताया कि आज का युग प्रतियोगिक युग है। अगर समय पर ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन नही हुआ तो हम इस प्रतियोगिक युग में पीछे रह जाएंगे। उन्होंने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए बताया कि हमें हर प्रकार के क्षेत्र में चाहे वो शैक्षणिक हो या खेलों से संबंधित हो उसमें भाग अवश्य लेना चाहिए। ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने से हमारा बौद्धिक स्तर बढ़ता है और हमें नई-नई जानकारियां प्राप्त करने का सुनहरा अवसर मिलता है। इस अवसर पर कॉर्डिनेटर विरेन्द्र सिंह, रितू तंवर, तन्नू गुप्ता, सुमन यादव व समस्त अध्यापक उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 01: यूरो में माइम का आयोजन करते बच्चे।
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