Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Thursday, August 8, 2024


 



मारपीट करने के मामले में संलिप्त एक ओर आरोपित गिरफ्तार
************************************************************
******************************************************************
******************************
********************************
कनीना की आवाज। लाठी, डंडे व लोहे की राड से मारपीट करने के मामले में कार्रवाई करते हुए थाना शहर कनीना की पुलिस टीम ने वारदात को अंजाम देने में संलिप्त एक ओर आरोपित को गिरफ्तार किया है, जिसकी पहचान संदीप वासी चेलावास के रूप में हुई है। आरोपित को न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस मामले में चार आरोपितों रक्षक वासी सिहोर, तुषार वासी लिसान थाना खोल रेवाड़ी, अतुल वासी ककराला, हितेश उर्फ चंदू वासी खरकड़ा और अमित वासी सिहोर को पुलिस ने पहले गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में लाठी-डंडे बरामद किए थे। शिकायतकर्ता जितेन्द्र वासी वार्ड 13, कनीना ने थाना शहर कनीना में शिकायत दर्ज कराई कि दिनांक 29 जुलाई 2024 को दोपहर वह किसी कार्य से बाबा लालगिरी आश्रम में जा रहा था और जब वह कालेज रोड पर बीएसएनएल एक्सचेन्ज के नजदीक पहुंचा तो नामजद व्यक्ति अपने हाथ लाठी, डण्डे, फरसानुमा नुकीला हथियार लिए हुए थे, जो शिकायतकर्ता पर हमला करने के लिए दौड़े व राड से वार किया, जिससे वह डिवाइडर के नजदीक गिर गया। इसके बाद आरोपितों ने लाठी, डण्डो व लोहे की राड से हमला कर दिया, जिससे वह बेहोश हो गया। शिकायत में उसने बताया कि आरोपितों ने जान से मारने के इरादे से चोटें मारी हैं व उसके साथ मारपीट बारे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी।







 आनलाइन राखी खरीदकर भेजने के चलते कम बिक रही है राखियां
************************************************************
******************************************************************
**************************************
************************
कनीना की आवाज।रक्षाबंधन के पर्व को लेकर जहां विगत दिनों से महिलाएं आनलाइन राखियां भेज रही है जिसके चलते दुकानदारों के पास बिक्री घट गई है। इक्का दुक्का महिलाएं राखी खरीदने के लिए नजर आती है जिसके चलते राखी बेचने वाले भी अब परेशान है। रक्षा बंधन का पर्व 19 अगस्त को है।
कनीना के महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, रवि कुमार, महेंद्र शर्मा आदि ने बताया कि इस बार आनलाइन राखी खरीद कर आनलाइन ही दिए गए पत्ते पर पहुंचने की कार्रवाई चल रही है जिसके चलते बहुत सी महिलाएं इस भाग दौड़ और भीड़ से बचने के लिए आनलाइन राखियां भेजती रही है। जिसके चलते राखी की दुकानों पर भीड़ कम है। उधर कनीना के डाकघर के राजेंद्र कुमार पूर्व पोस्टमैन ने बताया कि राखी के पैकेट हर वर्ष कम हो रहे हैं।
 बढ़ता ही जा रहा है आनलाइन से लगाव-
 आनलाइन खरीदारी से लोगों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है। बेशक आनलाइन अनेक धोखाधड़ी हो रही हैं किंतु लोगों का रुझान कम नहीं हो रहा है। एक और जहां भाग दौड़ की जिंदगी के कारण आना जाना आफत बन गया है जिसके चलते महिला पुरुष सभी आनलाइन खरीददारी करने में आनंद महसूस कर रहे हैं। घर बैठे ही विभिन्न प्रकार के सामान मंगवा रहे हैं वही आप यह एक नया तरीका खोज निकाला है कि आनलाइन राखी खरीद कर आनलाइन ही पता भेज दिया जाता है ताकि उस पते पर वो राखियां पहुंचा दी जाती है जिसकी आनलाइन पेमेंट कर दी जाती है। इस प्रकार महिलाएं घर बैठे अपने भाई के पास भी राखियां पहुंच रही है।
इस संबंध में कुछ महिलाओं से रक्षाबंधन के बारे में चर्चा की गई जिनके विचार निम्न हैं-
 निर्मला देवी का कहना है कि रक्षाबंधन साल में एक बार आता है। बेहतरीन राखी भेजने का सरल सा तरीका आनलाइन है। राखी खरीद कर उनको पता दे दिया जाता है ताकि वो पते पर पहुंचा देते हैं। यह तरीका  अधिक सुविधाजनक लगता है, वरना राखी को पैक करके और तब भिजवानी पड़ती है जिसमें खर्चा भी अधिक लगने की संभावना होती है।
---निर्मला देवी
 शारदा  का कहना है कि राखी सुनिश्चित रूप से पहुंचने का जरिया आनलाइन बन गया है। आनलाइन में राखी के पैसे लेते हैं साथ में दिए गए पत्ते पर पहुंचने की जिम्मेदारी भी वही लेते हैं। वह निश्चित रूप से राखी का पैकेट पहुंचते हैं जो अधिक सुविधाजनक है ताकि घर बैठे ही राखी निर्धारित पते पर पहुंच जाती हैं। वरना राखी को पैकेट में बंद करके डाकघर पहुंचाना पड़ता है और उसमें समय लग सकता है।
---शारदा
नीलम देवी का कहना है कि आनलाइन खरीदारी अब आसान हो गई है जिसके चलते राखी खरीदना और भेजना सरल हो गया है। यद्यपि क्षेत्रीय व्यापारियों और दुकानदारों से राखी खरीद कर खरीदना हितकर होता है ताकि उनकी रोटी रोजी भी चल सके किंतु वह अधिक महंगी पड़ती हैं और प्रक्रिया भी जटिल बन जाती है।
--नीलम देवी
सरीता का कहना है कि राखी अपने भाइयों तक पहुंचाना महिलाओं की जिम्मेदारी होती है। सभी के भाई जो दूर दराज होते हैं जब कभी वहां तक नहीं पहुंच जाए तो आनलाइन माध्यम की सबसे बेहतरीन तरीका होता है। यह अधिक कारगर और सुनिश्चित है। ऐसे में रक्षाबंधन पर आनलाइन राखियां भेजना सरल कार्य बन गया है।
---सरीता
 फोटो कैप्शन: नीलम,शारदा, सरीता, निर्मला।
फोटो कैप्शन 2: राखी खरीदती महिलाएं




कनीना क्षेत्र में हुई 10 एमएम वर्षा
-किसान प्रसन्न हैं, प्रतिदिन होती है वर्षा
************************************************************
******************************************************************
***************************************
***********************
कनीना की आवाज। सावन माह में कनीना क्षेत्र में अच्छी वर्षा हो रही है।  अब तक अकेले सावन माह में 118 एमएम वर्षा हो चुकी है। जून एवं जुलाई माह में अब तक 206 एमएम वर्षा हो चुकी है जिसमें से अकेले सावन में 118 एमएम वर्षा हो चुकी है। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है।
बाजरा 47500 एकड़, कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़ ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। वर्ष 1995 में क्षेत्र में भारी वर्षा हुई थी यद्यपि 1995 जैसी बारिश अभी तक नहीं हुई है।
अब बेहतर फसल होने के आसार बन गए हैं। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है। पतंगबाजी संपन्न हो चुकी है।
 पूर्व खंड कृषि अधिकारी डा. देवराज यादव ने बताया कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा।  बाजरा बड़ा हो गया है जिनको पानी की जरूरत थी। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। किसान अपनी फसलों को देखकर खुश नजर आये।
 उन्होंने बताया कि क्षेत्र की बालू माटी पानी को सोख लेती है। इसलिए चाहे अधिक वर्षा भी होगी तो किसानों के लिए लाभ होगा।
फोटो कैप्शन 01. खेतों मेें बाजरे की लहलहाती फसल।








दिन भर रही बिजली गुल कार्यालयों में नहीं हुआ कार्य
--सरल केंद्र एवं सीएम विंडो पर नहीं हुआ काम
************************************************************
******************************************************************
***************************************
***********************
कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सुबह से बिजली गुल रही जो शाम के समय बिजली बहाल हो पाई, तब तक सभी कार्यालयों में काम लगभग ठप रहा।  सरल केंद्र, सीएम विंडो आदि में इस दौरान कोई शिकायत दर्ज नहीं की। बैठे हुए कर्मियों का एक ही कहना था की बिजली आने पर ही शिकायत ले पाएंगे। एक और जहां लोग अपनी शिकायत देने तथा सरल केंद्र के कार्यों के लिए दूर-दराज से चलकर आये वहीं बिजली का प्रबंध भी नहीं होना एक समस्या बन गया। लोग अपने कार्यों को पूरा किये बगैर ही घर लौट गये।  इतने बड़े कार्यालय में भी अगर बिजली का प्रबंध नहीं है तो इसे क्या कहेंगे?
 उधर कनीना के पावर हाउस से मिली सूचना अनुसार लगभग सभी बिजली की लाइनों में ब्रेक लग गई थी।  कनीना में हर जगह बिजली आपूर्ति ठप रही जो दोपहर पश्चात धीरे-धीरे बहाल हो पाई। बिजली पर आधारित काम करने वाले परेशान रहे। बिजली न होने से उनका कार्य लगभग ठप हो जाता है। आए दिन बिजली की कटों की समस्या देखने को मिलती है। उन्होंने बिजली कटों की समस्या को हल करने के लिए प्रशासन से मांग की है ताकि सरल केंद्रों पर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था बनाए रखी जा सके ताकि दूरदराज से आने वाले लोग अपने कार्यों के लिए भटकते न फिरे।




नाग पंचमी- 9 अगस्त
-आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है नागों की पूजा
-बनाये हुये हैं नाग देवता मंदिर
************************************************************
******************************************************************
*************************************
*************************
कनीना की आवाज। नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो सावन माह की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। नागों की पूजा की जाती है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। सांप को दूध पिलाने से पच नहीं पाता जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। खेलकूद का आयोजन कर मेले भी लगते हैं।  गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
वास्तव में हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोडऩे का प्रयत्न किया है। परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है।
नाग बड़े उपयोगी हैं। नाग को देव के रूप में स्वीकार करते आये हैं।
भारत जैसे कृषिप्रधान देश में सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे खेत का रक्षक कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। सांप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेडऩे वालों को ही वह डंसता है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है।  पुराणों में वर्णन आता है कि देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग का प्रयोग किया गया था। यहां तक कि साल में एक बार सांपों की पूजा की जाती है। कुछ जगह मंदिर भी नाग देवता के बने हुए हैं जहां नागों की पूजा की जाती है।
कुछ लोग तो नागों को दूध पिलाने के लिए सपेरों के यहां जाना पड़ता है। दिनभर नागों को याद किया जाता है। महाभारत काल में जहां नागों और पांडवों का बैर चला किंतु बाद में यह बैर दोस्ती में बदल गया और गांडीवधारी अर्जुन का विवाह नाग कन्या उलूपी से हुआ। बताया जाता है तब से इंसान एवं सांपों की दोस्ती चली आ रही है। आज भी यह दोस्ती कायम है। ऐसे में नाग पूजा के अधिकारी हैं।
  कृषि अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि सांप किसान के दोस्त होते हैं। ये चूहों को खाते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। किसान सूबे सिंह, महेंद्र सिंह ने बताया कि सांप जंगल में फसलों में मिल जाते हैं किंतु वे उनको नहीं मारते।







भारत छोड़ो आंदोलन दिवस-09 अगस्त
करो या मरो का आह्वान



















किया था महात्मा गांधी ने -प्रो कर्मवीर
।************************************************************
******************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज।भारत छोड़ो आंदोलन जिस अगस्त आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है का अहं योगदान है। यह कहना है प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो कर्मवीर का।
उन्होंने कहा कि 09 अगस्त 1942 को, भारत छोड़ो आंदोलन या भारत छोड़ो आंदोलन बापू गांधी ने शुरू किया था।
उन्होंने बताया कि जब अप्रैल 1942 में क्रिप्स मिशन विफल हो गया। उसके बाद आज़ादी के लिए भारतीय जनता का तीसरा महान जनसंघर्ष शुरू हो गया। इस संघर्ष को भारत छोड़ो आन्दोलन के नाम से जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी द्वारा 8 अगस्त, 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बंबई सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया और 9 अगस्त से आंदोलन की शुरुआत की गई। प्रोफेसर बताते हैं कि इस प्रस्ताव में घोषित किया गया कि भारत में अंग्रेजों का तत्काल अंत भारत की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के उद्देश्य की सफलता के लिए एक तत्काल आवश्यकता थी।
प्रस्ताव में देश की आजादी के लिए यथासंभव व्यापक पैमाने पर अहिंसक आधार पर जन संघर्ष शुरू करने की मंजूरी दी गई। प्रस्ताव पारित होने के बाद, गांधी ने अपने भाषण में कहा था- करो या मरो. हम या तो आजाद होंगे या इस प्रयास में मर जायेंगे। यह आंदोलन भारतीय लोगों का युद्ध घोष बन गया।
 उधर प्रो शर्मिला बताती हैं कि 9 अगस्त 1942 को सुबह-सुबह कांग्रेस के अधिकांश नेता गिरफ्तार कर लिये गये। उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों की जेलों में बंद कर दिया गया। कांग्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। देश के हर हिस्से में हड़तालें और जुलूस हुए। सरकार ने आतंक का राज कायम कर दिया और पूरे देश में गोलीबारी, लाठी चार्ज और गिरफ्तारियां हुईं। लोग गुस्से में हिंसक गतिविधियों पर भी उतर आये. लोगों ने सरकारी संपत्ति पर हमला किया, रेलवे लाइनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और डाक और तार को बाधित कर दिया।1942 के अंत तक, लगभग 60,000 लोगों को जेल में डाल दिया गया था और सैकड़ों लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में कई छोटे बच्चे और बूढ़ी औरतें भी शामिल थीं। अंग्रेजों का दमनकारी चक्र चला। लोगों ने अपनी सरकारें बनाईं। जय प्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, एसएम जोशी, राम मनोहर लोहिया और अन्य द्वारा आयोजित क्रांतिकारी गतिविधियां युद्ध की लगभग पूरी अवधि के दौरान जारी रहीं। आज भी उन लोगों को याद किया जाता है।
फोटो कैप्शन: प्रो कर्मवीर एवं डा. शर्मिला








No comments: