कनीना में हुई भारी वर्षा
- जाम हुआ रेलवे अंडर पास मार्ग
-मंगलवार शाम को हुई 31 एमएम वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना की आवाज।अंडरपास मार्ग वर्षा के पानी से भर गया जिससे आने जाने वालों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दुपहिया वाहन तो बीच में ही बंद हो गए। बता दे की कनीना, अटेली ,नारनौल मार्ग पर फ्लाई ओवर का कार्य चलने के कारण यातायात के लिए ककराला अंडरपास के बड़े और तंग मार्ग से जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। राहगीरों के लिए एक मात्र मार्ग होने वर्षा के समय में काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
कनीना के सभी मार्गों पर गंदा जल भर गया। विभिन्न जोहड़ लबालब भर गये। कुछ दुकानों में गंदा पानी घुस गया।
कनीना क्षेत्र सावन माह में 200 एमएम वर्षा हो चुकी है। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है।
किसान रामफल, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि सावन माह में अच्छी वर्षा हुई है। अकेले सावन माह की वर्षा जून एवं जुलाई में हुई वर्षा से अधिक है। जून एवं जुलाई एवं अगस्त माह में अब तक 327 एमएम वर्षा हो चुकी है। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है।
किसान रामफल, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि सावन माह में अच्छी वर्षा हुई है। अकेले सावन माह की वर्षा जून एवं जुलाई में हुई वर्षा से अधिक है। दिनभर मौसम नहीं खुलता। बादल छाये रहते हैं।
एसडीओ कृषि डा अजय कुमार का कहना है कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा। बाजरा अब पकान की ओर जा रहा है। जिनको पानी की जरूरत है। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। उन्होंने कहा कि अधिक वर्षा फसलों के लिए तभी घातक साबित होगी जब खेतों में पानी खड़ा रहेगा। ऐसे में किसानों को अपने खेतों की निगरानी रखनी चाहिए। अधिक वर्षा का जल बाजरा एवं कपास दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है।
उधर वर्षा के कारण कनीना की गलियां जलमग्र हो गई। जोहड़ लबालब गंदे जल से भर गये हैं। आवागमन प्रभावित हो गया है वहीं निचले स्थानों पर भी जल जमा हो गया है।
कनीना किसान रामफल, अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, योगेश कुमार, महेश कुमार आदि ने बताया कि सावन माह उनके लिए बेहतरीन वर्षा लेकर आया है। जून-जुलाई में जो वर्षा हुई उससे कहीं ज्यादा सावन माह में हुई है। दिनभर मौसम सुहाना रहता है। वर्षा फसलों के लिए अच्छी साबित होगी वहीं आगामी फसल के लिए भी अच्छी साबित होगी। जहां रबी फसल उगाने में महज दो माह बाकी हैं।
उधर वर्षा के चलते विभिन्न स्थानों पर, निचले स्थान पर जल भराव हो गया है, जोहड़ लबालब भर गए हैं। कनीना के दो जोहड़ होलीवाला और कालरवाली पूर्ण रूप से भरे हुए हैं जिनका पानी दूर दराज तक फैल रहा है। गंदे नगर पालिका समय-समय पर निकाल कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा रही है। वर्षा के चलते जहां किसानों की चेहरे पर रौनक आ गई है।
पूर्व एडीओ डा देवेंद्र कुमार ने बताया कि वर्षा से फसलों को लाभ होगा। उन्होंने बताया उन्होंने बताया कि बाजरा 47500 एकड़, कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़, ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में पानी जमा होता है उनमें फसल नुकसान की संभावना है। कपास की फसल में सड्डन विल्ट का रोग आ सकता है।
डा विकास ने बताया कि क्षेत्र की भूमि बालू प्रधान है जो जल्दी पानी को सोख लेती है। इसलिए चाहे अधिक वर्षा भी होगी तो किसानों के लिए लाभ होगा। बाजरा बड़ा हो गया है जिनको पानी की जरूरत थी। पानी की पूर्ति होने से फसलों में आब आ गई है। किसान अपनी फसलों को देखकर खुश नजर आये।
फोटो कैप्शन 05 व 06: कनीना में हुई वर्षा के बाद हालात।
मासिक शिव महापुराण का पूर्णाहुति एवं कथा किया गया आयोजन
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कनीना की आवाज। श्री श्याम मंदिर कनीना में श्रावण मास समापन के उपलक्ष्य में मासिक शिव महापुराण का पूर्णाहुति एवं कथा का आयोजन किया गया। जिसमें अनेकों श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की कथा का श्रवण किया। एक मास तक और भगवान भोलेनाथ जो कि सृष्टि के रचयिता एवं संहारकर्ता है और पंचतत्व जिससे चराचर चलता है के गुणों की चर्चा की गई। भगवान भोलेनाथ पंचतत्व स्वरूप में आकर अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं और श्रावण मास में भगवान पृथ्वी प्रवास करते हुए अपने भक्तों पर अनेकों कृपा करते हैं, उसे याद किया गया। भगवान जो कि शिव पुराण में कहा गया है कि काशी विश्वनाथ भगवान की स्थल है ,जहां पर भगवान सदा निवास करते हैं ऐसे अनेकों वर्णन कथा में भक्तों ने श्रवण किया और भगवान भोलेनाथ की कथा के बाद पूर्णाहुति करके भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया। भक्तों ने श्री श्याम मंदिर निज पुजारी प्रदीप शास्त्री द्वारा कथा प्रवचन एवं पूर्णाहुति संपन्न कराई गई जिसका आयोजन सेवक श्रीश्याम मंडल के द्वारा किया गया जिसमें उपस्थित संदीप महेश्वरी , गुड्डू चौधरी, पालाराम, योगेश गुप्ता, बबलू ,अनिल सिंगला,संदीप चौधरी, महेश गुप्ता, टिंकू एवं समस्त ग्रामवासी के सहयोग से कार्यक्रम संपन्न हुआ।
फोटो कैप्शन 04: भगवान भोलेनाथ की कथा सुनाते हुए शास्त्री
एसडी ककराला में खंड स्तरीय खेल प्रतियोगिता का हुआ शुभारम्भ
--विभिन्न टीमें पहुंची मौके पर
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कनीना की आवाज। खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारम्भ विश्वेश्वर कौशिक के द्वारा किया गया। खेल शुभारम्भ के समय दिलबाग सिंह बीआरसी कनीना, एस डी गु्रप फाउडर जगदेव यादव, गुलशन कुमार, राकेश पीटीआई व उनकी टीम उपस्थित रही। ख्ंाड शिक्षा अधिकरी ने बताया कि यह खेल प्रतियोगिता 20 अगस्त से 23 अगस्त 2024 तक चलेगी। 20 व 21 अगस्त 2024 को लड़को और 22 व 23 अगस्त को लड़कियों के खेल होंगे। खो- खो प्रतियोगिता में अंडर 11 आयु वर्ग में 5 टीमें , 14 आयु वर्ग में 10 टीमें, 17 आयुवर्ग में 17 टीमे व 19 आयुवर्ग में 12 टीमें, कबड्डी प्रतियोगिता में अंडर 14 आयु वर्ग में 13 टीमें, 17 आयु वर्ग में 17 टीमें, 19 में आयु वर्ग में 10 टीमें, वालीवाल प्रतियोगिता में अंडर 14 आयुवर्ग में 08 टीमें, 17 आयु वर्ग में 08 टीमें व 19 आयु वर्ग में 12 टीमों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में 1000 से ज्यादा विद्यार्थियों ने भाग लिया।
फोटो कैप्शन 03: खंड स्तरीय खेल प्रारंभ करते हुए बीइओ कनीना।
बाहरी नेता को न दी जाए टिकट
-कांग्रेस के 27 नेताओं ने किया टिकट के लिए आवेदन
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कनीना की आवाज। जिला के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि किसी विधानसभा क्षेत्र में टिकट के लिए अलग अलग दावेदारी करने वाले टिकटार्थी एक मंच पर मौजूद होकर टिकट के मामले में एकमत हो रहे हो । यह नजारा आज अटेली में देखने को मिला। कांग्रेस पार्टी की टिकट के लिए सभी तेरह स्थानीय टिकटार्थियों में से सात ने उपस्थित होकर व बाकी सभी ने फोन करके एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिये हाई कमान से मांग की है कि किसी भी स्थानीय वासी टिकटार्थी को पार्टी टिकट दे । लेकिन हल्का से बाहर के किसी टिकटार्थी को पार्टी टिकट ना दे। सभी ने एकमत होकर आज पत्रकारों को बताया कि पार्टी जिस भी स्थानीय नेता को टिकट देगी तो लाभ मिलेगा।
उन लोगों का कहना है कि यदि पार्टी ने किसी स्थानीय नेता को टिकट ना देकर बाहरी को टिकट दिया तो नुकसान हो सकता है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि अटेली विधानसभा क्षेत्र की जनता में बाहर से आने वाले टिकटार्थियों से सख्त खिलाफ है। नेताओं का कहना है कि जब पार्टी के पास स्थानीय कर्मठ नेता हैं तो बाहर के नेताओं को टिकट नहीं देनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि अटेली में कुल 27 टिकटार्थियों ने कांग्रेस की टिकट के लिए आवेदन किया है । जिनमें पंद्रह लोग स्थानीय हैं बाकि सब अटेली विधानसभा क्षेत्र से बाहर संबंध रखते हैं।
फोटो कैप्शन 02: प्रेस वार्ता करके बाहरी नेता को टिकट न देने की मांग करते हुए।
लड़का गुम, गुमशुदगी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव बाघोत निवासी वेद प्रकाश ने कनीना पुलिस में अपने लड़के की गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाया है। उनका कहना है कि लड़का 22 वर्षीय सतीश कुमार 15 अगस्त की शाम के 6 बजे बिना बताये घर से कहीं चला गया। आस पड़ोस में पता किया कहीं सुराग नहीं मिला। साथ में उन्होंने कहा है किसी से कोई झगड़ा मन मुटाव नहीं हुआ, बिना किसी कारण घर से लापता हो गया। कनीना पुलिस ने उनके बयान पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।
यूजी एवं पीजी कक्षाओं प्रवेश के लिए फिर से खोला गया पोर्टल
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कनीना की आवाज। यूजी एवं पीजी कक्षाओं प्रवेश के लिए फिर से पोर्टल खोले जाने की मांग को लेकर के हरियाणा शिक्षा विभाग ने फिर से प्रवेश पाने वाले प्रथम, द्वितीय,तृतीया वर्ष के स्नातक स्तर के प्रवेश तथा स्नातकोत्तर के प्रवेश के लिए पोर्टल 30 अगस्त तक फिर से खोल दिया गया है। विस्तृत जानकारी देते हुए प्रोफेसर हरिओम शर्मा ने बताया कि फिर से पोर्टल 21 अगस्त से खुल चुका है जो 30 अगस्त तक खुला रहेगा। आनलाइन पोर्टल पर आवेदन कर सकता है।
बैंगन सब्जी में इल्ली का प्रकोप
-किसान एवं सब्जी उगाने वाले परेशान
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कनीना की आवाज। यूं तो बारिश के मौसम में विशेषकर सावन माह में हरी पत्तेदार सब्जियां लगभग नष्ट हो जाती है जिनपर कीटों का प्रकोप होता है किंतु अब सावन माह के बाद बैंगन के पौधों में भारी मात्रा में इल्ली लग गई है। बैंगन उगाकर सब्जी पैदा करने वाले लोग परेशान हैं।
किसान महिपाल सिंह, महावीर सिंह, निरंजन कुमार आदि ने बताया कि इस समय बैंगन की सब्जी में हर वर्ष की भांति कीड़ों का प्रभाव है जिसमें बैंगन का ऊपरी भाग मुरझा जाता है और बैंगन की सब्जी में कीड़े लग जाते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां भी कीटों के प्रकोप से प्रभावित है। पैदावार खत्म होने को है।
उधर रेवाड़ी जिले के डीएचओ मंदीप यादव ने बताया कि बैंगन सब्जी में सूट बोरर कीट लगा हुआ है। अधिकांश बैंगन के पौधे के ऊपरी भाग अगले दिन मुरझाये हुए नजर आते हैं जिनमें कीड़ा लग जाता है। इन पौधों में छेद बोरर कीट अंदर घुस जाता है। बैंगन सब्जी में भी खराब हो जाती है। उन्होंने कहा कि पौधों पर नीम की दवा का छिड़काव करें तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि नीम की दवा सेहत के लिए लाभप्रद है तथा प्रकृति तथा खेत पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ेगा।
हरी पत्तेदार सब्जी के विकल्प खुद नष्ट कर दिये किसानों ने
-चौलाई, श्रीआई अब गायब
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कनीना की आवाज। कनीना और आसपास क्षेत्रों में किसी जमाने में अनेकों जड़ी बूटियां औषधीय पौधे खरपतवार के रूप में उगती थी किंतु किसान ने अपने हाथों से इनको नष्ट कर दिया है। परिणाम स्वरूप पंसारी की दुकानों पर महंगे दामों पर जड़ी बूटियों को ढूंढते फिरते हैं।
एक वक्त था जब ग्रामीण क्षेत्रों में खरपतवार आदि को नष्ट करने के लिए कोई दवा का छिड़काव नहीं किया जाता था। महज अपने हाथों से उखाड़ कर इन खरपतवार को फेंक दिया जाता था जिससे अनेकों खरपतवार खेतों में रह जाती थी। किसान ही नहीं लोगों को भी जिनको जरूरत होती थी विभिन्न उद्देश्यों के लिए काम में लेते थे। ऐसी ही आने को खरपतवारों में बथुआ, चौलाई, सीरियाई, कोहेंद्रा, पुनर्नवा आदि प्रमुख थी।
किसान उनको अपने खेत से उखाड़ कर लाता था और परिवार के लिए महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ रायता, कोफ्ता, पराठे, भाजी, खाटा का साग, कढ़ी आदि बनाता था किंतु जब से खरपतवार किसानों ने जहरीली दवा डाल कर नष्ट कर दी तब से बाजार में सब्जी की दुकानों पर किसान इन्हें खरीदते देखा जा सकता हैं।
सर्दियों के मौसम में पैदा होने वाला बथुआ एवं कोहेंद्रा प्रमुख औषधियां थी। वैसे भी शाक सब्जियां थी जिन्हें विभिन्न रूपों में प्रयोग करता था। डाक्टर ही नहीं वैद्य भी इनको प्रयोग करने की सलाह देते थे। खून की कमी को अक्सर दूर करने के लिए भी इनका अहं योगदान होता था किंतु अब ये खरपतवार किसी खेत में या तो पैदा होती ही नहीं होती है और अगर पैदा होती है तो उन पर जहरीली दवा छिड़की जाती हैं ताकि वेे समूल नष्ट हो जाए। इन दवाओं का कुप्रभाव अनाज पर भी पड़ता है और सांस की बीमारी, कैंसर, मिर्गी, दमा आदि उत्पन्न होते हैं किंतु किसान किसान जानबूझकर आज भी इनका उपयोग कर रहा है। गर्मियों के दिनों में पैदा होने वाली चौलाई ,श्रीआई, पुनर्नवा आज ढूंढे भी नहीं मिलते। बाजार और पंसारी की दुकान ऊपर चौलाई, सीरियाई के बीज ढूंढते हैं या उन्हें पुस्तकों में पढऩे को मिलती हैं। अधिकांश युवा पीढ़ी तो इनके नाम लेते ही अचंभित होते हैं कि यह भी कोई पौधा होता था। वास्तविकता यह है कि आज भी इक्का-दुक्का किसी जगह यह पौधे देखे जा सकते हैं। पर अधिक मात्रा में उत्पन्न नहीं होते।
एक जमाना था जब जंगल में गहरी बणिया होती थी। पशुपालक उन बणियों में अपने पशुओं को चराने के लिए ले जाते थे। कैर एवं जाल पेड़ों के आसपास भारी मात्रा में चौलाई और खेतों में सीरियाई खड़ी नजर आती थी। इनको तोड़कर शुद्ध आयरन युक्त शाक बनाता था। आज भी बुजुर्गों के सामने यदि रायता, शाक, कोफ्ता, भाजी, पराठे कढ़ी, खाटा का साग आदि का नाम ले तो वह उत्सुकता भरी नजरों से देखते नजर आएंगे क्योंकि उनके जमाने में उन्होंने बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया और आधुनिक पीढ़ी ने इनको अपने हाथों से नष्ट कर दिया। ऐसे समय में किसान और आम आदमी इन को नष्ट करके पछता रहा है किंतु कहते हैं अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत। अब तो किसी दुकान पर इनको ढूंढ सकते हैं। यही नहीं खेतों में जंगल के रूप में पैदा होने वाली कचरी, जंगली टिंडा, जंगली करेला आदि पूर्ण रूप से खो दिए। इनकी सब्जी जायकेदार होती थी और इंसान आज भी इनको नहीं भुला पाया है।
अब जब सब्जियां महंगी होती हैं या फिर औषधियों की जरूरत होती है तो उन्हें ढूंढते फिरते हैं। पालक को महंगे दामों पर खरीद लेंगे किंतु गरीब की पहुंच चौलाई तक होती थी वो अब संभव नहीं है। टमाटर का विकल्प कचरी अब ढूंढे नहीं मिलती। ग्रामीण लोग सबसे अधिक कचरी प्रयोग करते आये हैं।
क्या कहते हैं किसान एवं कृषि वैज्ञानिक --
**आज से 20 साल पहले खेतों में भारी मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां स्वत: ही उगती थी जिनको बड़े चाव से किसान उखाड़ कर अपने घरों में प्रयोग करते थे। परिणाम यह था कि परिवार सेहतमंद रहता था। घर के अतिरिक्त खर्च भी बच जाता था। जिनमें कचरी, श्रीआई, कोहिंद्रा, बथुआ चौलाई आदि प्रमुख थी।
-राजेंद्र सिंह किसान
क्षेत्र में इस मौसम में चोलाई और श्रीआई बहुत होती थी जिसको उखाड़ कर घरों में जायकेदार भाजी और सब्जियां बनाते थे। उस वक्त को याद करके आज भी प्रसन्नचित हो जाते हैं। जब कहीं ये पौधे दिखाई देते हैं तो पुराने दिनों की याद ताजा हो जाती है परंतु अब ये विलुप्त हो गए हैं।
-- गजराज सिंह किसान मोड़ी निवासी
किसानों ने अपने हाथों से हरे पत्तेदार सब्जियों को नष्ट कर दिया है। आज के दिन खेतों में कचरी, बथुआ, चौलाई एवं श्रीआई आदि नहीं मिलती। कभी अपने हाथों से उखाड़ कर लाते थे और देसी सब्जियां बनाकर बड़े चाव से खाते थे। आज इन चीजों के लिए बाजार जाना पड़ता है। किसी सब्जी की दुकान से कभी कभार मिल जाती हैं। --महावीर सिंह करीरा, किसान
जब से किसान जागरूक हुआ है उसने दवा का छिड़काव करके उन खरपतवारों को नष्ट कर दिया है जो हमारे उपयोगी होती थी। आज खेतों में ये खरपतवार लगभग समाप्त हो गई और कुछ बच गई वह भविष्य में समाप्त हो जाएंगी।
-- डा. देवराज पूर्व कृषि अधिकारी
फोटो कैप्शन: राजेंद्र सिंह, डा. देवराज यादव गजराज सिंह, महावीर सिंह
फोटो कैप्शन 01: श्रीआई का खड़ा हुआ खेतों में एक पौधा।
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