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Friday, November 8, 2024


 



हृदय रोग चिकित्सा का शिविर रविवार को
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कनीना की आवाज।
कनीना अनाज मंडी स्थित लाला शिवलाल धर्मशाला में सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना की ओर से 10 नवंबर रविवार को हृदय रोग जांच एवं मुफ्त चिकित्सा शिविर आयोजित किया जाएगा। इस मौके डा अश्विनी यादव हृदय रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे। साथ में गंगादेई पांडेय अस्पताल महेंद्रगढ़ के चिकित्सों की टीम सेवा देगी।
 विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर ईसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर आदि की जांच की जाएगी  उन्होंने कहा कि प्राय हृदय रोगों की जांच उन लोगों को करवानी चाहिए जिनकी सांस फूलती हो, अत्यधिक मोटापा, अत्यधिक पसीना आता हो, उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, तंबाकू-धूम्रपान सेवन करने वाले, रक्तचाप से पीडि़त, अत्यधिक घबराहट बेचैनी, हृदय संबंधित पारिवारिक रोग प्रवृत्ति, आलसी जीवन शैली वाले जरूर इस शिविर का में जांच करवाएं।




कैसे करें भगवत गीता के लिए रजिस्ट्रेशन
--विस्तार से समझाया हुआ है
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कनीना की आवाज।
 भगवत गीता प्रश्नोत्तरी के लिए रजिस्ट्रेशन जारी है जिसकी रजिस्ट्रेशन के लिए विस्तार से निम्न जानकारी दी हुई है। अपना रजिस्ट्रेशन निम्र तरीकें से करें--
 1. सबसे पहले निम्र को क्लिक करें--
https://igmquiz.in/
. 1 पब्लिक हरियाणा/स्टूडेंट हरियाणा/स्टूडेंट ओडिशा/स्टूडेंट बाकी स्टेट
2. गांव का नाम
 3 अपना नाम
4 अपने फोन नंबर
5 मोटिवेटर 9416348400
मोटिवेटर का ध्यान रखे इसमें केवल 9416348400 ही भरे
 FAQs about Quiz
Quiz : 17 Nov to 27 Nov. (Total 11 days)
Mode of Quiz : Online
Question Topics : Principles of the Gita and Their Application in Daily Life
No. of Questions: Daily 5 (Total 55)
Time: Whole Day (24 hours)
Attempt Time Limit: No Time Limit
Submission of Answer: Multiple time allowed
Loginid/ Userid: Mobile Number
Password: OTP Generated at the time of Registration
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हास्य व्यंग्य
अब शादी के कार्ड पर क्यूआर कोड लगाने की उठी मांग
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कनीना की आवाज।
यूं तो शादी बहुत पवित्र बंधन होता है जिसमें लोग दूर दराज  से आते हैं। शादी के लिए कितने ही दिनों से प्रयास करने के बाद अच्छे रिश्ते बन पाते हैं परंतु अब ऐसा लगता है कि रिश्ते शादी औपचारिकता का बनता जा रहा है। अब तो आलम यह हो गया है कि शादी के कार्ड भेजने के लिए वक्त नहीं रहा है। शादी के कार्ड भी व्हाट्सएप के जरिए भेजे जाने लगे हैं क्योंकि लड़के एवं लड़की वालों का कहना है कि उनके पास वक्त नहीं है। ऐसे में अब जो जिन-जिन के पास व्हाट्सएप के जरिए शादी कार्ड आते हैं उनकी एक ही मांग उठने लगी है कि शादी के कार्ड पर क्यूं आर कोड जरूर लगा दे ताकि उनके पास भी शादी में जाकर कन्यादान आदि करवाने की कोई फुर्सत नहीं होगी और वे क्यू आर कोड से ही शादी के लिए कन्यादान घर बैठे भेज सकेंगे। जब कार्ड बांटने के लिए पहुंचने के लिए समय नहीं है वहीं दूर दराज तक जाने के लिए बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। यहां तक की जाने आने में दुर्घटनाएं भी घट जाती है। शादी समारोह स्थल बहुत दूर रखे जाने लगे हैं जिसके चलते आना-जाना भी कठिन हो जाता है। ऐसे में अब अगर क्यू आर कोड लगाया जाए तो एक नया अनुभव होगा ताकि जो व्यक्ति व्हाट्सएप के जरिए शादी के कार्ड भेजने की औपचारिकता पूरी करते हैं तो कन्यादान भेजने की भी अब औपचारिकता लोग निभाए तो अनुचित नहीं होगा। ऐसे में शादी कार्डों पर क्यू आर कोड लगाई जाए।


बढ़ता ही जा रहा है कार्यालयों में भ्रष्टाचार
--नहीं कोई सुनने वाला, परेशानी बढ़ी है
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कनीना की आवाज।
 अब तो सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पूरे यौवन पर है। लगता है नहीं कोई सुनने वाला अपितु परेशानी इस कदर बढ़ गई है कि लोग रजिस्ट्री करवाने के लिए भी यदि छोटे-छोटे काम करवाए जाए तो न तो उनको रसीद दी जाती और मनमानी पैसे वसूल लिए जाते हैं। आरटीआई औपचारिकता बन गई है। सीएम विंडो और पीएम विंडो पर कोई सुनवाई नहीं होती, शिकायत करने पर उसका कोई समाधान नहीं हो रहा है। यह सैकड़ों लोगों से मिलकर दर्द, उनके दर्द भरी दास्तां सुनकर पता लगता है कि अब तो सरकार में कितना भ्रष्टाचार हो गया है, फैल गया है। सबसे बड़ी बात खुद इस लेखक ने एक वसीयत बनवाने की बात की तो वसीयत के नाम पर कम से कम 5000 रुपये का खर्चा बताया गया, कागज अलग रहे। वहीं जब वकील से पूछा गया कि खर्चा क्या-क्या लगेगा तो उन्होंने जो खर्चा बताया वह तो देने के लिए तैयार हुआ परंतु उन्होंने कहा कि इसकी कोई रसीद तुम्हें नहीं मिलेगी। आश्चर्य है कि पैसे ले लिए जाते हैं और कोई रशीद नहीं दी जाती, मनमाने पैसे वसूले जाते हैं। रजिस्ट्री के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है यह बात मैं नहीं कनीना के बिजेंद्र कुमार, भगत सिंह समाजसेवी तथा अन्य कई लोगों ने व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि अगर किसी जमीन की रजिस्ट्री करवानी है और इसके पैसे संबंधित अधिकारी को नहीं पहुंचते तो रजिस्ट्री नहीं होती और जिसके पैसे पहुंच जाते हैं उसकी रजिस्ट्री हो जाती है। उनके पैसे नहीं पहुंचते छोटी-छोटी बातों पर तंग किया जाता है। कभी नगर पालिका से लिखवा कर लाने की बात कही जाती है तो कहीं कुछ और बात कही जाती है ताकि वह काम अटक जाए। सबसे बड़ी बात है आरटीआई का जवाब तक नहीं दिया जाता। खुद इस लेखक ने वर्ष 2022 में शिक्षकों की तैनाती का पारिश्रमिक न दिए जाने का आरटीआई चुनाव आयोग तक तीन बार लगाई कोई जवाब नहीं आया, आखिर इतना बड़ा बुरा हाल कैसे हुआ समझ नहीं आता। एक और बात की सीएम विंडो और पीएम विंडो पर कोई समस्या समाधान नहीं होता। खुद इस लेखक ने और अनेक साथियों ने अपनी परिवार पहचान पत्र में आय कम करने के लिए सारे प्रमाण जुटा दिए किंतु आय कम नहीं हुई। 6 माह से घूम रहा हूं। इस समय में पीएम विंडो प्रधानमंत्री शिकायत केंद्र सीएम विंडो और उच्च अधिकारियों को कितनी ही बार रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित किये। यहां तक की परिवार पहचान पत्र साइट पर कितनी ही बार सुधार की रिक्वेस्ट डाली गई हर बार हाथ खाली रहे। जब एक जागरुक व्यक्ति के साथ इस प्रकार की घटना होती है तो बाकी का क्या हाल होगा, अनुमान लगाया जा सकता है। जितने भी लोग कहीं बैठते हैं जो शिकायत समाधान, समस्या समाधान करते सभी तक शिकायत पहुंचा दी किंतु कोई परिणाम नहीं निकला। एक और सबसे बड़ी बात है कि कितने भी लोग जो सेवा में है उनकी आय इनकम में नहीं जोड़ी जाती जब वे ओबीसी या बीसी सर्टिफिकेट बनवाते हैं, ऐसा सरकार का आदेश है किंतु किंतु कितने ही ऐसे लोग हैं जो बेचारे घूमते रहते हैं सीएससी केंद्र द्वारा बीसी एवं ओबीसी की सर्टिफिकेट के आवेदन करवाते हैं किंतु उनकी सर्टिफिकेट नहीं बनती जबकि नियम है कि  सर्विस/ पेंशन या सर्विस वेतन को आय में नहीं जोड़ा जाएगा। अन्य स्रोतों की आई 8 लाख या इससे अधिक होने पर उसे बीसी की सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी। किंतु चाहे कितने प्रयास कर लो बार-बार आवेदन रद्द कर दिए जाते हैं, खुद इस लेखक ने जिसकी वर्तमान में पेंशन आती है और बीसी की सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया रद्द कर दिया। इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या देखा जा सकता है? कहीं भी जाए केवल भ्रष्टाचार है, ना किसी की कोई सुनवाई होती, न समाधान। खुद यह लेखक पहले शिक्षा विभाग में रहे हैं ,उनके हक अधिकारियों ने मार लिये। इस संबंध में उच्च अधिकारियों, सीएम विंडो, पीएम विंडो और ऐसा कोई स्थान नहीं जा शिकायत नहीं की हो किंतु परिणाम शून्य निकला। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी बैठे हुए हैं जो किसी की बात को सुनते नहीं, आखिर लोग मजबूरन न्यायालय की शरण लेते हैं। क्या सरकार यही चाहती है कि आम आदमी अपने काम छोड़कर हर काम के लिए न्यायालय की शरण ले?







उन्हाणी गांव के पार्क से रेलिंग हुई चोरी
-रेलिंग चोरी का मामला
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कनीना की आवाज।
कनीना उपमंडल के गांव उन्हाणी के बच्चों के पार्क से रेलिंग चोरी हो गई है। म

















हिला सरपंच ने कनीना थाने में  अज्ञात चोरों के विरुद्ध चोरी का मामला दर्ज करवा दिया और उन्होंने कहा है कि ग्राम पंचायत उन्हाणी में दादरी सड़क मार्ग के नजदीक बच्चों के खेलने का पार्क है। इसके पश्चिम दिशा की दीवार के ऊपर रेलिंग लगी हुई थी जो रात को अज्ञात चोर चोरी कर ले गए। उन्होंने इस रेलिंग की संख्या नंबर 20 बताया है।






मारपीट एवं छीनाझपटी का मामला दर्ज
--मोहनपुर नांगल का मसला
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कनीना की आवाज।
कनीना उप मंडल के मोहनपुर नांगल निवासी महेंद्र ने पुलिस में छीनझपटी एवं मारपीट कर जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज करवाया है। उन्होंने पुलिस में दी शिकायत में कहा कि 3 नवंबर को शाम के करीब 8:30 बजे वह टेंट की दुकान नांगल सिरोही से बंद करके घर जा रहा था। तभी दुकान से लगभग करीब 400 मीटर दूरी पर एक बोलेरो गाड़ी उनकी मोटरसाइकिल के सामने आकर रुकी। जिससे बाइक असंतुलित हो गई और गाड़ी में पांच व्यक्ति सवार थे जिनमें संजय को वह जानता है। सभी के हाथों में लोहे की राड़ एवं सरिया थे। सभी ने इकट्ठे होकर गाली गलौज किया एवं जान से मारने की धमकी दी और प्राणघातक हमला किया। पुलिस में दी गई शिकायत अनुसार संजय ने उनकी जेब से 50000 की नोटों की गड्ढ़ी निकाल ली तथा 100-200 रुपये के कुल तीन-चार नोट भी बलपुरक निकाल लिए। तभी राहगीरों, दुकानउदारों एवं पड़ोसियों के इक_ा होते देखा और महेंद्र को अधमरा छोड़कर भाग गए। उन्होंने कहा है कि अस्पताल में इलाज चल रहा था। अब उन्होंने मामला दर्ज करवा दिया है।


 सूरज को अर्घ्य देकर पूर्ण किया छठ पूजा का पर्व
- भारी संख्या में इकट्ठे हुए सिरसवाला तालाब पर
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कनीना की आवाज।
 बिहार, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों से आए हुए लोगों का चार दिनों से कनीना के सिरसवाला तालाब पर चल रहा छठ पूजा का पर्व विधि विधान से संपन्न हो गया। आज उनका अंतिम दिन था और सुबह सवेरे तालाब पर भीड़ लगी हुई थी। सैकड़ों नर नारी गीत गाते हुए, दीपक हाथों में लिए पहुंचे। डीजे बज रहा था तथा जोहड़ में अनेकों प्रकार के गुब्बारे छोड़े गए। तत्पश्चात विधि विधान से पूजा अर्चना करके सूरज को अर्घ दिया और वापस अपने घरों पर चले गए। ये लोगों ने विगत वर्ष भी कनीना की एक नहर में छठ पूजा का पर्व मनाया था किंतु इस बार इन्होंने तालाब में छठ पर्व मनाया है। लगातार इस पर्व के प्रति लगाव बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि कनीना एवं आस पास भारी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग रह रहे हैं। ये अपने राज्यों में नहीं जा सके और कनीना के तालाब पर इकट्ठे होकर पर्व मनाया। महिलाएं हाथों में फल, दीपक आदि लिए हुए थी, जल में स्नान किया।
 सुबह सवेरे अर्घ देकर ये अपने घरों को चले गए। इन लोगों ने बताया कि 36 घंटे का व्रत चला है तथा पानी में खड़े होकर पूजा अर्चना की है। छठ पूजा का पर्व विगत तीन-चार सालों से कनीना क्षेत्र में विशेष महत्व रखते हुए बढ़ता ही जा रहा है।
महिला और पुरुष सुबह सवेरे 4 बजे ही तालाब पर पहुंच गये और पूजा अर्चना शुरू कर दी। दीप जलाकर दीपावली जैसा माहौल बनाया। पूजा अर्चना शुरू करने से पहले इन लोगों ने आतिशबाजी की। छठ मैया के गीत गाए और फिर पानी में प्रवेश किया। करीब 3 घंटे तक लगातार कार्यक्रम चलता रहा आखिर धीरे-धीरे सूरज अर्घ देकर वापस घरों को चले गए।
 फोटो कैप्शन 04 व 05: सूरज को अर्घ देने की तैयारी करती महिलाएं।



राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस -9 नवंबर
सभी नागरिकों के लिए उचित निष्पक्ष न्याय के प्रति जागरूकता सुनिश्चित करना है उद्देश्य
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कनीना की आवाज।
 सभी नागरिकों के लिए उचित निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तथा जागरूकता फैलाने के लिए देश में हर वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के लोगों को मुफ्त, कुशल कानूनी सेवाएं प्रदान करना है। यह कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त सेवाओं की उपलब्ध का निश्चित करने के साथ-साथ उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने का भी प्रयास है। इस दिवस के संबंध में कुछ अधिवक्ताओं से चर्चा हुई जिनके विचार निम्न थे -
नागरिकों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों और अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक क्षेत्राधिकार में कानूनी सहायता शिविर, लोक अदालत, कानूनी सहायता कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं। इस दिन का लक्ष्य वादियों के अधिकारों के साथ-साथ कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के विभिन्न वर्गों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
   -- एडवोकेट सुनील रामबास, प्रधान
 गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करने के लिए 1995 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुरू किया गया यह दिन महिला, विकलांग व्यक्ति, अनुसूचित जाति बच्चों, अनुसूचित जातियों, मानव तस्करी पीडि़तों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के शिकार लोगों को सहायता प्रदान करता है।
  ---एडवोकेट पंकज कुमार
 नालसा के अनुसार अप्रैल 2017 से जून 2018 के मध्य देश में करीब 8. 22 लाख लोग कानूनी सहायता के माध्यम से लाभ पाने वाले थे परंतु भारत में निशुल्क विधिक सेवाओं को लेकर जागरूकता का अभाव है। इन सेवाओं को लेकर ऐसा माना जाता है कि ये सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं। निश्शुल्क विधिक सेवा का लाभ पुलिस जांच के दौरान उपलब्ध नहीं होता। लीगल सर्विसेज अथारिटी के पास पर्याप्त वकील नहीं है या फिर ऐसे वकीलों को मामले सौंप दिए जाते जिनको कम अनुभव होता है।
  --एडवोकेट राजेश कुमार
विधिक सेवाओं को उपलब्ध कराने वाले वकीलों का एक अलग कैडर बनाया जाना चाहिए। विधिक सेवाओं से जुड़े स्वयं सेवकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। कालेज में विधिक परामर्श केंद्र ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायती तैयारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विधिक सेवाओं उपलब्ध कराने का प्रयास हर संभव स्थान पर कराना चाहिए।  राष्ट्रीय विधिक सेवा के समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा और प्रावधानों का वादा करता है। इससे विवादों की निपटारे में मदद मिलती है
  --एडवोकेट रमेश कुमार
 फोटो कैप्शन: राजेश कुमार एडवोकेट,पंकज एडवोकेट, रमेश एडवोकेट, सुनील रामबास प्रधान



हैरिटेज विद्यालय में दो दिवसीय खेल प्रतियोगिता का हुआ शुभारंभ
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कनीना की आवाज।
उप मंडल कनीना में स्थित हैरिटेज पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहनपुर में तीसरी कक्षा से छठी कक्षा तक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया संचालक ने सभी बच्चों के तिलक किया और बच्चों को शुभ आशीर्वाद दिया।
उन्होंने बताया कि 200 मीटर दौड़ ,  चेयर गेम , रस्सा कैससी, बोरी दौड़, खो- खो, कबड्डी, कुश्ती प्रतियोगिता करवाई गई।
विद्यालय के संचालक मनीष शर्मा ने बताया कि खेलना बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। खेल से पुष्ट और तन्मय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद बच्चों के मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से बच्चों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेल बच्चों को स्वस्थ रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर की ताकत को बेहतर बनाता है और उनके दिमाग को भी तेज रखता है।
इस मौके पर विद्यालय के सीईओ कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, डायरेक्टर खुशीराम शर्मा, प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह, कोआर्डिनेटर संदीप कुमार, तेजपाल डीपी,  कोआर्डिनेटर सुमन, सुदेश कुमार तथा तीसरी कक्षा से छठी कक्षा तक अध्यापक उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: खेलों में अव्वल रहे विद्यार्थी।



गोपाष्टमी पर्व-9 नवंबर
गायों की सेवा का पर्व गोपाष्टमी
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कनीना की आवाज।
09 नवंबर को गोपाष्टमी के पर्व पर कनीना एवं आस पास गौशालाओं में कई कार्यक्रम होंगे। कहीं हवन आयोजित होगा कहीं गायों की पूजा करके उन्हें मीठा चारा चराया जाएगा। गायों की सेवा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं
  गायों की सेवा के चलते भगवान श्रीकृष्ण गोविंद नाम से जाना जाता है। गाय को माता का दर्जा दिया हुआ है और उसमें सभी देवता निवास करते हैं। गायों की सेवा करने से संताप नष्ट होते हैं वहीं जिस घर में गाय पाली जाती है उस घर में कोई आपदा एवं गरीबी नहीं आती है।
  गोपाष्टमी का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। लालदास महाराज ने बताया  कि इंद्र का गर्व चूर करने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाए रखा था जिसके चलते इंद्र का गर्व आठवें दिन चूर चूर हो गया और वे भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आ गए थे। तभी से भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोविंद पड़ा था। इस दिन भगवान को कामधेनु ने अपनी दुग्ध धारा से नहलाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की सेवा करने का वचन दिया था। तभी से यह पर्व चला आ रहा है।
  एक दूसरी कहानी सुनाते हुए आचार्य दीपक कौशिक ने बताया कि बलराम एवं श्रीकृष्ण ने गोकुल में गायों की सेवा करने का प्रशिक्षण लिया था और गोपाष्टमी के दिन माता यशोदा एवं नंद बाबा से आज्ञा पाकर गायों को जंगल में चराने का निर्णय लिया था। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण की उम्र महज छह-सात वर्ष थी। उनके द्वारा गाए चराने पर ही उनका नाम गोपालक पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण जीवनभर गायों के रक्षक एवं सेवक बने रहे थे। यह भी माना जाता है कि राधा ने इसी दिन से जंगल में गाए चरानी शुरू की थी चूंकि लड़कियों को गाये चराने की अनुमति नहीं थी किंतु उन्होंने पुरुष ग्वाले के वस्त्र धारण किए और भगवान श्रीकृष्ण के साथ वन में गाए चराने निकल पड़ी थी।
गोपाष्टमी का पर्व गायों की विधि विधान से पूजा का पर्व है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा चलाए गए इस पर्व पर गायों को विभिन्न प्रकार का चारा खिलाया जाता है और सुबह सवेरे से ही पूजा शुरू कर दी जाती है। उनको छापे लगाए जाते हैं तथा रोली एवं मेहन्दी लगाकर पूजा की जाती है।
  कार्तिक शुक्ल अष्टमी यानी 09 नवंबर को यह पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व पर ही भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम गोविंद पड़ा था। कनीना के आचार्य दीपक कौशिक बताते हैं कि गोपाष्टमी पर गायों की विधि विधान से पूजा की जानी चाहिए। घर में अगर गाय न हो तो गौशाला में जाकर भी पूजा की जा सकती है। उनके अनुसार गाय में सभी देवता निवास करते हैं और उनके गोबर में भी लक्ष्मी का निवास पाया जाता है। यही कारण है कि कच्चे घरों को गाय के गोबर से लीप पोतकर साफ सुथरा बनाया जाता है। सुबह से शाम तक उनकी इस दिन पूजा करनी चाहिए। गाय को मां का दर्जा दिया हुआ है। ऐसे में गायों की पूजा करने का विधान भी है।





गोपाष्टमी पर विशेष
21 सालों से गायों की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रही है कनीना गौशाला
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कनीना की आवाज।
 कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला वर्ष 2003 से गायों की रक्षा के लिए अहं भूमिका निभा रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रों, गौशाला के वार्षिकोत्सव तथा गोपाष्टमी आदि पर लोग दूर दराज से आकर गायों की सेवा करते हैं। एक ओर जहां गायों की सेवा हो रही है वहीं गायों का दूध लोगों के रोगों को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
श्रीकृष्ण गौशाला कनीना वासियों के सहयोग से स्थापित हुई थी जो 2003 की रजिस्टर्ड है। यहां करीब 3500 गाये हैं जिनमें से करीब 50 गायें दुधारू है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए यादवेंद्र यादव प्रधान गोशाला कनीना ने बताया कि कनीना गौशाला में कुछ गाय दुधारू है। गाय के दूध की भारी मांग है। दूर दराज के लोग दूध ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 35 वर्कर गायों की सेवा कर रहे हैं। 5 ट्रैक्टर ट्राली गायों की के लिए अन्न एवं चारा लाकर उनकी सेवा में लगी हुई हैं।
 कनीना गोशाला में राव सत्यवीर बोहरा, देवराज महाशय,जगमाल सिंह, हुकुम सिंह, डा मेहरचंद, यादवेंद्र यादव, मनफूल सिंह, हुकुम सिंह आदि कनीना गौशाला के प्रधान रह चुके हैं। वर्तमान में यादवेंद्र सिंह यादव कनीना निवासी गौशाला के प्रधान हैं। गौशाला बड़ी बणी नामक स्थान पर स्थापित है। जहां के लिए गौशाला द्वार बनाया गया है वहीं गायों को रखने के लिए धूप एवं छाया तथा हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। गौशाला प्रतिवर्ष अपना वार्षिक उत्सव मनाती है तथा लोगों में देसी गाय पालने की प्रवृत्ति को पैदा कर रही है। गौ सेवा में गौशाला में सेवारत कर्मियों ने बताया कि वह गायों की सेवा करके बहुत प्रसन्न हैं। जहां गाय के गोबर से खाद बनाया जा रहा है वहीं गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया था जो खराब पड़ा है। कनीना के विभिन्न समाजसेवी ने समय समय पर दान दक्षिणा देकर इसमें सहयोग किया हुआ है।  देसी गाय का दूध, घी, मक्खन आदि की भारी मांग है। यही कारण है एक बार फिर से गायों की सेवा करने में लोग जुट गए हैं। पुराने समय में गाय को माता का दर्जा देते थे वैसे ही गायों के प्रति एक बार फिर से रोगों से बचने के लिए उनकी सेवा की प्रवृत्ति बढ़ी है।
प्रधान ने बताया गायों के लिए पेयजल की व्यवस्था के लिए 10 खेल चार ट्यूबवेल कार्यरत है। गायों के लिए हरा चारा अलग से प्रबंध किया गया है। 20 एकड़ नगर पालिका की जमीन पर गायों के लिए हरा चारा उपलब्ध करवाया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि दूध देने वाली गायों के लिए चाट बनाकर दी जाती है। 3 लाख रुपये का बायलर लाया गया था जो चाट बनाने के काम में आता है। कुल मिलाकर श्रीकृष्ण गैशाला के प्रधान ने कहा कि सरकार समय समय पर अनुदान देती है। वैसे तो गायों को हर घर में पालना चाहिए जो ज्यादा बेहतर होगा, परंतु जो अपने घरों में गाय नहीं रख सकते उन्हें गौशाला में आकर सेवा प्रदान करनी चाहिए। दूध देने वाली गायों को तूड़ी के अतिरिक्त हरा चारा भी दिया जाता है। दस लाख रुपये प्रतिवर्ष गोबर का खाद बिक जाता है। प्रति वर्ष 70 हजार मण चारे की जरूरत होती है।   दो गोदाम 15 हजार मण क्षमता के हैं जिन्हें भरा जाता है। गोशाला नो प्रोफिट नो लोस पर चल रही है।
  गौशाला के प्रधान ने बताया कि पर्याप्त हरा एवं सूखा चारा है। समय समय पर गायों की सेवा करने लोग आते हैं। गौशाला में कनीना के समाजसेवी भगत सिंह ने पौधारोपण भी किया है तथा वे स्वयं भी पौधों की देखभाल के लिए गौशाला में जाते हैं।
फोटो कैप्शन 02: कनीना की गौशाला।






गोपाष्टमी पर विशेष
21 सालों से गायों की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रही है कनीना गौशाला
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कनीना की आवाज।
 कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला वर्ष 2003 से गायों की रक्षा के लिए अहं भूमिका निभा रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रों, गौशाला के वार्षिकोत्सव तथा गोपाष्टमी आदि पर लोग दूर दराज से आकर गायों की सेवा करते हैं। एक ओर जहां गायों की सेवा हो रही है वहीं गायों का दूध लोगों के रोगों को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
श्रीकृष्ण गौशाला कनीना वासियों के सहयोग से स्थापित हुई थी जो 2003 की रजिस्टर्ड है। यहां करीब 3500 गाये हैं जिनमें से करीब 50 गायें दुधारू है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए यादवेंद्र यादव प्रधान गोशाला कनीना ने बताया कि कनीना गौशाला में कुछ गाय दुधारू है। गाय के दूध की भारी मांग है। दूर दराज के लोग दूध ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 35 वर्कर गायों की सेवा कर रहे हैं। 5 ट्रैक्टर ट्राली गायों की के लिए अन्न एवं चारा लाकर उनकी सेवा में लगी हुई हैं।
 कनीना गोशाला में राव सत्यवीर बोहरा, देवराज महाशय,जगमाल सिंह, हुकुम सिंह, डा मेहरचंद, यादवेंद्र यादव, मनफूल सिंह, हुकुम सिंह आदि कनीना गौशाला के प्रधान रह चुके हैं। वर्तमान में यादवेंद्र सिंह यादव कनीना निवासी गौशाला के प्रधान हैं। गौशाला बड़ी बणी नामक स्थान पर स्थापित है। जहां के लिए गौशाला द्वार बनाया गया है वहीं गायों को रखने के लिए धूप एवं छाया तथा हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। गौशाला प्रतिवर्ष अपना वार्षिक उत्सव मनाती है तथा लोगों में देसी गाय पालने की प्रवृत्ति को पैदा कर रही है। गौ सेवा में गौशाला में सेवारत कर्मियों ने बताया कि वह गायों की सेवा करके बहुत प्रसन्न हैं। जहां गाय के गोबर से खाद बनाया जा रहा है वहीं गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया था जो खराब पड़ा है। कनीना के विभिन्न समाजसेवी ने समय समय पर दान दक्षिणा देकर इसमें सहयोग किया हुआ है।  देसी गाय का दूध, घी, मक्खन आदि की भारी मांग है। यही कारण है एक बार फिर से गायों की सेवा करने में लोग जुट गए हैं। पुराने समय में गाय को माता का दर्जा देते थे वैसे ही गायों के प्रति एक बार फिर से रोगों से बचने के लिए उनकी सेवा की प्रवृत्ति बढ़ी है।
प्रधान ने बताया गायों के लिए पेयजल की व्यवस्था के लिए 10 खेल चार ट्यूबवेल कार्यरत है। गायों के लिए हरा चारा अलग से प्रबंध किया गया है। 20 एकड़ नगर पालिका की जमीन पर गायों के लिए हरा चारा उपलब्ध करवाया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि दूध देने वाली गायों के लिए चाट बनाकर दी जाती है। 3 लाख रुपये का बायलर लाया गया था जो चाट बनाने के काम में आता है। कुल मिलाकर श्रीकृष्ण गैशाला के प्रधान ने कहा कि सरकार समय समय पर अनुदान देती है। वैसे तो गायों को हर घर में पालना चाहिए जो ज्यादा बेहतर होगा, परंतु जो अपने घरों में गाय नहीं रख सकते उन्हें गौशाला में आकर सेवा प्रदान करनी चाहिए। दूध देने वाली गायों को तूड़ी के अतिरिक्त हरा चारा भी दिया जाता है। दस लाख रुपये प्रतिवर्ष गोबर का खाद बिक जाता है। प्रति वर्ष 70 हजार मण चारे की जरूरत होती है।   दो गोदाम 15 हजार मण क्षमता के हैं जिन्हें भरा जाता है। गोशाला नो प्रोफिट नो लोस पर चल रही है।
  गौशाला के प्रधान ने बताया कि पर्याप्त हरा एवं सूखा चारा है। समय समय पर गायों की सेवा करने लोग आते हैं। गौशाला में कनीना के समाजसेवी भगत सिंह ने पौधारोपण भी किया है तथा वे स्वयं भी पौधों की देखभाल के लिए गौशाला में जाते हैं।
फोटो कैप्शन 02: कनीना की गौशाला।







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