श्रीमद्भागवत गीता का ले ज्ञान
-भगवान श्रीकृष्ण को करे याद, करें गीता प्रश्रमाला में रजिस्ट्रेशन
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कनीना की आवाज। हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा गीता प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का रजिस्ट्रेशन शुरू किया हुआ है। 17 नवंबर से प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता शुरू होगी। भरत के नाम पर बने भारत देश और उसमें हरियाणा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कदम रखा उसमें गीता का बहुत बड़ा रोल है। वैसे तो गीत पूरे ही संसार में अहं पुस्तक है परंतु हरियाणा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कदम रखे उसके प्रति जरूर थोड़ी जानकारी होनी चाहिए। परंतु अफसोस होता है कि बहुत कम लोग गीता के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। गीता समस्त जगत का ज्ञान का सार है। सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में सरकार का आदेश है कि विद्यार्थियों को गीता के प्रति जागरूक करें, सभी अध्यापक, आम आदमी और विद्यार्थी मिलकर गीता के प्रति जागरूक हो सकते हैं साथ में नाम और सर्टिफिकेट भी दी जाती है। ऐसे में भी मेरे द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी एकाध व्यक्ति गीता से जुड़ रहा है। आपसे निवेदन है कि नीचे गए दिए गए लिंक को क्लिक करके पांच कालम अलग-अलग खुलेंगे जिसमें मोटीवेटर में 9416348400 भर दे और बाकी खाने जिसमें फोन नंबर, गांव नाम और विद्यार्थी या पब्लिक को चुने व रजिस्टर करें। ओटीपी आने पर अपने फोन में ओटीपी भरे और वेरीफाई कर दे। वेरीफाई को दबाते ही ग्रीन टिक के बनेगी। 17 नवंबर से पांच प्रश्र पूछे जाएंगे जिसमें फोन नंबर और ओटीपी दो चीजें काम आएंगी। 5 प्रश्नों के उत्तर देने हैं, खुद भी सोच और मैं भी तुम्हें सभी को संभावित उत्तर भेजने का विगत वर्षों की तरह प्रयास करूंगा। ऐसे में आप गीता से जुड़े और मोटीवेटर में 9416348400 भरने का कष्ट करें। ताकि जिला महेंद्रगढ़ ही नहीं पूरे हरियाणा में कनीना का भी नाम हो सके।
लिंक एवं मोटिवेटर निम्र हैं--
https://igmquiz.in/
Motivator 9416348400
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 46
पैराडाइज लोस्ट की भांति चल रहा है जीवन
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कनीना की आवाज। जान मिल्टन अंग्रेजी कवि ने 1658 में पैराडाइज लोस्ट नमक महाकाव्य लिखा है। जिसका मुखड़ा बहुत सुंदर है, वास्तव में जिसका सारांश है कि इंसान अपने दुखों के कारण, अपनी अज्ञानता के कारण स्वर्ग को नहीं पा सकता, स्वर्ग से वंचित हो जाता है, ठीक उसी प्रकार यह बात कनीना के निवासी होशियार सिंह पर लागू होती है। स्वर्ग भी मिला और वह भी छिन गया और नरक मिलने वाला है ,कहीं वह भी नहीं छीन जाए। डा. होशियार सिंह यादव की जुबानी पैराडाइज लास्ट किस प्रकार गुम हुआ ,उसके विषय में उनके मुख से सुनिये---
बात 17 नवंबर 2000 के दिन की है। वह शुभ दिन था जब मेरी शादी अलवर में सुमन यादव से हुई। वैसे भी राजस्थान के लोग मेहनती होते ही है परंतु जितनी स्माटर्, सेहतमंद सुमन यादव थी वैसी शायद इस क्षेत्र में मेरी नजर में तो है ही नहीं। खुशी भरे दिन चले, ऐसा लगता था कि वास्तव में धरती पर ही स्वर्ग होता है और वह स्वर्ग मिल गया है। बहुत अच्छा तालमेल चला, कभी कोई उनसे मनमुटाव नहीं हुआ। कोई ऐसा शब्द उनके मुख से नहीं निकला जो मुझे दुखी करें और मेरे मुख से भी कोई ऐसा शब्द 17 नवंबर 2017 तक नहीं निकला। बहुत अच्छे दिन बीत रहे थे। आवाज सुरीली और मोटी होने के कारण आस पास की सभी महिलाएं उनसे बहुत अधिक प्रभावित थी। आज भी जब सुमन यादव को स्वर्ग सिधारे 14 बीत गये हैं, जिन्होंने एक बार भी उसे देखा हो उससे पूछा जाए तो वह कहेगा हां कोई महिला थी तो सुमन यादव थी। 2003 में एक संतान भी हुई। सारा खेल अच्छा चला। हर चीज इच्छा अनुसार चल रही थी परंतु 2008 में कैंसर का पता चला। फिर पैराडाइज लोस्ट की संभावना लगने लगी थी। लगातार इलाज चल बिल्कुल स्वस्थ हो गई थी। ऐसा लगा कि मिल्टन ने भी पैराडाइल रिगेन लिखा है वह सत्य होगा किंतु 5 नवंबर 2010 दिवाली के दिन तबीयत बिगड़ी क्योंकि दिवाली थी।
5 नवंबर को दिवाली थी जैसे तैसे दिवाली मनाई। जिस डाक्टर से इलाज चल रहा था वह विदेश में गए हुए थे। 8 नवंबर 2010 को एसएमएस जयपुर जाकर उन्हें भर्ती करवाया और वह 17 नवंबर की रात को स्वर्ग सिधार गई। तब देवउठनी एकादशी लग चुकी थी। जन्म भी सोमवती अमावस्या को हुआ था उस दिन 2 अक्टूबर 1978 का दिन था। उस दिन सोमवती अमावस्या थी और देहांत भी देवउठनी एकादशी को हो गया। ऐसा लगा सचमुच पैराडाइज लास्ट हो गया। वह दिन शायद मेरे लिये सबसे बुरा दिन था जिसे मैं कभी नहीं भुला पाऊंगा। भुलाया भी नहीं जा सकता। इंसान के जीवन में भगवान कभी-कभी अच्छे दिन देता है और जब चाहे तब उन्हें वापस खींच लेता है। वही हालत मेरे साथ हुई आज तक उन दिनों को नहीं भुला पाया हूं। जहां ऐसा लगता है की जान मिल्टन ने पैराडाइज लास्ट अपने लिए नहीं मेरे लिए लिखी थी।
राष्ट्रीय कैंडी दिवस- 4 नवंबर
कई रूपों में कैंडी तैयार की जा सकती है- निरंजन
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कनीना की आवाज। पुराने समय से लोग चीनी की कैंडी बनाते आ रहे है वही आंवला और बेलपत्र की खट्टी मीठी,नमकीन कैंडी बनाई जाती है जो सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। एक वक्त विभिन्न पर्वों पर विशेष कर दीपावली पर लोग मिठाई का लेनदेन करते आए हैं किंतु इस दिवाली पर कैंडी का लेनदेन बहुत अधिक किया गया। कैंडी की मांग अधिक रही जिसके चलते कैंडी मुश्किल से मिल पाई। कैंडी केवल चीनी से भी बनाई जा सकती है जिन्हें आम भाषा में ग्रामीण क्षेत्रों में टाफी बोलते हैं। वही आंवला और बेलपत्र की कैंडी सेहत के लिए अच्छी भी होती है तथा खट्टी मीठी तथा नमकीन दोनों रूपों में तैयार की जाती है।
अकेले कनीना उपमंडल के गांव करीरा में दो किसान निरंजन तथा महावीर सिंह वर्षों से कैंडी बनाते आ रहे हैं। न केवल विभिन्न कृषि मेलो में अपितु अपनी रोटी रोज के लिए भी कैंडी बेचने आ रहे हैं। बड़े स्तर पर महावीर सिंह करीरा ने कैंडी बेचने का कारोबार भी किया हुआ है परंतु इस दीपावली पर उनके पास कोई कैंडी उपलब्ध नहीं हो पाई क्योंकि मांग अधिक थी।
कैंडी बनाने के लिए निरंजन कुमार बताते हैं कि आंवला की कैंडी नमकीन या फिर खट्टी मीठी बनाकर काम में लाई जाती है जो सेहत के लिए बहुत बेहतर होती हैं। जो बच्चे आंवला एवं बेलपत्र खाना पसंद नहीं करते उन्हें कैंडी खिला सकते हैं। बउ़े चाव से वे कैंडी खाते हैं। वैसे तो आंवला किसी भी रूप में प्रयोग किया जाए लाभ ही होता है।
निरंजन कुमार बताते हैं कि आंवला को अच्छी प्रकार धोकर प्रेशर कुकर या भाप में थोड़े समय के लिए गर्म किया जाता है ताकि यह नरम हो जाए जब यह गर्म होता है तो अपने आप कैंडी का रूप धारण कर लेता है। उसके टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं गुठली अलग कर दी जाती है। तत्पश्चात मीठी कैंडी बनाने के लिए चीनी के चाशनी में कुछ समय के लिए डुबोया जाता है बाद में से निकाल कर सुख लिया जाता है और इस पर बूरा का लेप लगा दिया जाता है, यह मीठी कैंडी बन जाती है। इसी प्रकार नमकीन पानी में डुबो कर सुखाया जाता है तो यह नमकीन कैंडी का रूप धारण कर लेती है। दो या तीन कैंडी प्रतिदिन खाने से कोई नुकसान नहीं होता। उन्होंने बताया कि बेलपत्र की कैंडी भी इसी प्रकार बनाई जा सकती है। बाजार में भी कैंडी की मांग अधिक है। मीठी कैंडी की बजाय नमकीन कैंडी अधिक काम में लेते हैं।
कैंडी की सहायता से रोटी रोजी भी चलाई जा सकती है। इसके लिए अधिक आंवला और बेलपत्र की जरूरत होती है। करीरा के महावीर सिंह ने तो अपने खेत में न केवल बेलपत्र भी उगा रखे हैं अपितु घर पर उन्होंने अचार, मुरब्बा और रस तथा विभिन्न प्रकार के पदार्थ बनाने का काम भी शुरू कर रखा है। यही नहीं महावीर सिंह के लड़के ने बाजरे के प्रोडक्ट बनाने का भी बड़ा कारोबार कर रखा है। महावीर सिंह की कैंडी और निरंजन की कैंडी विभिन्न कृषि मेलों में उपलब्ध हो जाती है।
फोटो कैप्शन 02: निरंजन अपने द्वारा बनाई हुई कैंडी के साथ
5 दिनों के अवकाश के बाद सोमवार को खुलेंगे स्कूल
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कनीना की आवाज। दीपावली के 5 दिनों के अवकाश के पश्चात आखिरकार अब सोमवार को 4 नवंबर को स्कूल फिर से खुल जाएंगे। दीपावली का महापर्व 5 दिनों का माना जाता है और इस बार 5 दिनों का 30 अक्टूबर से अवकाश शुरू हुआ था और 3 नवंबर को संपन्न हो गया है। अब 4 नवंबर को स्कूल फिर से खुलेंगे खुलेंगे। अब सर्दी के दिन शुरू हो गए हैं इसलिए भविष्य में स्कूलों का समय भी बदलने जा रहा है।
भैया दूज का पर्व मनाया, बहनों ने किया भाइयों को तिलक
-दिनभर चलता रहा कार्यक्रम
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में रविवार को भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता भैया दूज का पर्व मनाया जा गया। बहनों ने भाइयों को तिलक किया। दूर दराज से बहने अपने भाइयों तक पहुंची रोड़वेज एवं निजी साधनों का सहारा लेना पड़ा तथा भारी परेशानी झेलनी पड़ी।
वर्ष में दो बार भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने वाले पर्व भैया दूज का आगाज होता है। होली एवं दीपावली के पर्व के बाद यह पर्व आता है। बहनों ने भाई के आने का बेसब्री से इंतजार किया और व्रत रखकर उनके आने पर खाना खाया।
इस दिन बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना के लिए यम से प्रार्थना की। भाई चलकर बहनों से मिलने के लिए गए। कनीना के आचार्य दीपक कौशिक का कहना है कि यह पर्व सभी पर्वों में सबसे बड़ा होता है। इस दिन बहना कहीं भी हो उससे मिलने भाई जरूर जाता है और बहने उन्हें तिलक कर अपने हाथों से मीठा भोजन कराकर फिर भोजन ग्रहण करती हैं। इस पर्व पर बहने अपने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए यमराज से प्रार्थना की।
बताया कि भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।अयमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने ने उत्तर दिया- आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
फोटो कैप्शन 03: भाइयों को तिलक करके लंबी उम्र की कामना करती बहन।
संगम कालोनी, मुख्य मार्ग पर स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग
-वर्षों से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते आ रहे हैं लोग
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कनीना की आवाज। कनीना-रेवाड़ी सड़क मार्ग पर संगम कालोनी के चौराहे पर स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग वर्षों से चली आ रही है। इस संबंध में यहां के लोगों ने एसडीएम कनीना को भी ज्ञापन दिया है वहीं उच्च अधिकारियों से भी मिले किंतु अभी तक स्पीड ब्रेकर नहीं बना है जिसके चलते उनमें भारी रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर चौराहा बनता है वही अति व्यस्त मार्ग है जिसके चलते यहां स्पीड ब्रेकर की अति आवश्यकता है। यदि स्पीड ब्रेकर होगा तो जान माल की हानि से बचा जा सकेगा वहीं बुजुर्ग और बच्चों के आवागन में सुविधा होगी। इस मार्ग पर बहुत तेजी से वाहन चलते हैं, अति व्यस्त मार्ग होने के कारण लोग लंबे समय तक सड़क पार करने का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। ग्रामीणों मनजीत सिंह, कंवर सिंह, मुंशी राम, दिलीप सिंह आदि ने बताया की एक और जहां छोटी-छोटी दुकानें बनी हुई है वहीं बच्चे और बूढ़े इस सड़क को यहां से पार करते हैं। अभी तक यहां कम से कम दो जान जा चुकी है तथा पशुओं की भी मौत हो चुकी है क्योंकि वाहन अति तीव्र गति से चलाए जाते हैं। ऐसे में इस जगह पर स्पीड ब्रेकर होना जरूरी है। रेवाड़ी एक्शन एवं अन्य अधिकारियों को भी ज्ञापन भेजा जा चुका है चूंकि यह सड़क मार्ग रेवाड़ी एक्षन पीडब्ल्यू डी के तहत आता है। क्षेत्र के लोगों से बात की गई तो उनके विचार निम्न है---
***हमें इस सड़क को दिन में कई बार पार करना पड़ता है भारी संख्या में किसान और ग्रामीण इधर से गुजरते हैं। वाहनों की रफ्तार तीव्र होने के कारण कई दुर्घटनाएं होते-होते बचती है। यदि स्पीड ब्रेकर हो तो बच्चे और बूढ़े आसानी सड़क पार कर सकेंगे।
---हमीर ,संगम कालोनी कनीना
संगम कालोनी कनीना का यह एक चौराहा बन रहा है वहीं आबादी बढ़ती जा रही है। दुकान भी बनी हुई है। आवागमन का वृत्त गति से होता है ऐसे में पहले जहां दुर्घटनाएं घट चुकी है उनसे सबक लेने के लिए और वाहनों की गति कम करने के लिए स्पीड ब्रेकर होना जरूरी है ताकि जान व माल सुरक्षित रह सके।
--- कमर सिंह साहब,कनीना
यहां स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए एसडीएम कनीना, एक्शन रेवाड़ी तथा उच्च अधिकारियों को पत्र प्रेषित किये जा चुके हैं, ज्ञापन भी दिये जा चुके है किंतु लंबे समय से उनकी मांग को अमल में नहीं लाया जा रहा है। जिसके चलते यहां के लोगों में रोष है। जन सुविधा के लिए यहां स्पीड ब्रेकर बनाए जाना अति उचित है ताकि जान व माल सुरक्षित रह सके। यह सड़क जब से बननी शुरू हुई तभी से यह मांग चली आ रही है।
---सतराज साहब, संगम कालोनी
संगम कालोनी चौराहे पर बच्चों और बूढ़ों का सड़क पार करना बहुत कठिन हो जाता है। लंबे समय तक सड़क के साफ होने का इंतजार करते हैं ताकि वह किसी प्रकार सड़क पार कर सके। वर्षों से यहां अनेक दुर्घटनाएं, मौत हो चुकी है पशु भी मारे जा चुके हैं। ऐसे में यहां स्पीड ब्रेकर बनाना सर्वथा उचित होगा और स्पीड ब्रेकर बना दिया जाए तो क्षेत्र के लोगों की समस्या हल हो जाएगी। किसान, आम आदमी ,महिला, पुरुष, बच्चे एवं बूढ़े सभी के लिए यहां स्पीड ब्रेकर का होना अति आवश्यक है।
--मुंशीराम, मिस्त्री
फोटो कैप्शन 3: संगम कालोनी चौराहे को दिखाते ग्रामीण
साथ में हमीर, कंवर सिंह, मुंशी राम, सत्यराज साहब
प्रबोधिनी एकादशी 12 नवंबर को - शितिकंठा
-सैकड़ों शादियां होंगी इस दिन, दिसंबर में एक माह के लिए बंद हो जाएंगी शादियां
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कनीना की आवाज। प्रबोधिनी एकादशी 12 नवंबर से शुरू हो रही है तथा इस दिन सैकड़ों शादियां होने जा रही हैं। 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक विवाह शादियां बंद रहेंगी और जनवरी माह में फिर से शुरू हो जाएंगी। पंडित त्रषि राज शितिकंठा ने कहा कि सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त देखकर ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य किये जाते हैं। शादी, गृह प्रवेश और धार्मिक कार्यक्रम आदि के शुभ मुहूर्त वैदिक पंचांग के अनुसार 12 नवंबर से आरंभ होंगे, जिसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश और मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने पर शादी विवाह बंद हो जाते हैं। उनके निद्रा से जागने पर ही फिर से शहनाई बजती हैं. वहीं गुरु और शुक्र अस्त होने पर भी मांगलिक कार्य बंद रहते हैं, लेकिन अब यह दोनों ही चीजें नहीं हैं. जल्द ही देवउठनी एकादशी 12 नवंबर से आपको शहनाई बजती दिखेंगी और मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।
आपको बता दे कि किस दिन बजेंगी शहनाई और विवाह के शुभ मुहूर्त कौन से हैं--
नवंबर माह में शुभ मुहूर्त-12 नवंबर से आरंभ होंगे और 22, 23 और 26, 27 नवंबर के बाद दिसंबर माह के शुभ मुहूर्त -
6 ,7 दिसंबर और 11 और 14 दिसंबर इस साल के विवाह बाबत शुभ मुहूर्त हैं।
16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर जाएगा और इसके साथ ही धनु संक्रांति में वैवाहिक कार्य फिर 1 महीने के लिए स्थगित हो जाएंगे , 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में जाएगा इसके साथ ही 16 जनवरी से वैवाहिक कार्यक्रम फिर प्रारंभ हो जाएंगे। अकेले कनीना में आधा दर्जन विवाह समारोह स्थल बनाये गये हैं जहां सैकड़ों शादियां होंगी।
निर्वाण दिवस-
उधौदास आश्रम के बाबा लाल दास ने बताया कि उदास निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन पवित्र ग्रंथ की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न कार्यक्रम उदास आश्रम में आयोजित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय उठानी एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 13 नवंबर को भंडारा भी चलेगा।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज शर्मा
छठ पूजा का अवकाश घोषित करने की मांग
--भारी संख्या में दूसरे राज्यों के हैं प्रदेश में कर्मी
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में बिहार एवं उत्तरप्रदेश के भारी संख्या में आए हुए लोग या तो छठ पूजा से वंचित रह गए हैं या फिर अपने क्षेत्र में लौट गए हैं। इस वर्ष छठ पूजा के दिन 30 अक्टूबर को ही पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। 7 नवंबर को छठ पूजा का पर्व है।
कनीना क्षेत्र में करीब दो हजार लोग दूसरे राज्यों से भारी संख्या में मजदूर एवं मिस्त्री आए हुए हैं जिनके यहां छठ पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में ये लोग या तो छठ पूजा के लिए अपने वतन को लौट गए हैं या फिर जो नहीं जा पाए वो मायूस हैं और छठ पूजा से वंचित रह रहे हैं। कनीना के आस पास रेवाड़ी में छठ पूजा मनाए जाने की प्रथा अधिक है। ऐसे में कुछ लोग तो रेवाड़ी जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
कई उत्तरप्रदेश एवं बिहार के लोगों ने बताया कि उनका यह प्रमुख पर्व होता है। इस दिन वे अकसर अपने गांव चले जाते हैं किंतु मजबूरी वश वे जब गांव नहीं जा पाते हैं तो यहीं पर पर्व मना लेते हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी इस दिन का सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए ताकि यह पर्व बेहतर ढंग से मनाया जा सके। मजदूरी करने बिहार से आए रमलू, शौनक, दानू तथा उत्तर प्रदेश से आए मुन्नीलाल, धर्मा, खेताराम तथा रेवती ने बताया कि उनके साथी उत्तर प्रदेश तथा बिहार जा चुके हैं। 7 नवंबर को छठ पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व में शामिल होने चले गए हैं किंतु मजदूरी अभी जारी है ऐसे में वे मजदूरी छोड़कर अपने प्रदेश को नहीं जा सके और वे या तो पर्व कनीना में ही मनाएंगे या फिर रेवाड़ी जैसे शहर में जाकर पर्व का मना सकेंगे।
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