वाटर टैंक की चारदीवारी ऊंची करने या जाली लगाने की उठ रही है मांग
-आधा दर्जन मौत हो चुकी हैं चंद वर्षों में
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कनीना की आवाज। कनीना की बड़ी-बणी स्थित नहर पर आधारित पेयजल योजना के लिए बनाए गए दो वाटर टैंक नहर आने पर पानी से भर दिये जाते हैं। इन टैंकों की चारदीवारी बहुत छोटी है ,कहीं-कहीं तो 2 फुट से भी कम है। ऐसे में उधर से आवागमन करने वाले या थक कर बैठने वाले लोग टैंकों में गिर जाते और मौत हो जाती है। अब तक 6 लोगों की मौत विगत वर्षों में हुई है। पास में कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला एवं कान्ह सिंह पार्क है।
गर्मियों के दिनों में तो गर्मी से राहत पाने के लिए लोग इस जल में घुस जाते हैं वहीं आवारा जीव जंतु भी घुसने का खतरा बना रहता है। वैसे भी ये टैंक बड़ी बणी के बीच में स्थित हैं, ऐसे में कोई भी हादसा होने की संभावना सदा ही बनी रहती है। इस संबंध में कुछ लोगों से चर्चा की गई तो विचार निम्र सामने आये।
*** वाटर टैंक की सरकार द्वारा चारदीवारी कम से कम 6 फीट ऊंची करवानी चाहिए या फिर जाली लगवा देनी चाहिए जिससे लोगों की जान बचाई जा सके। वैसे भी इन टैंकों में पानी भूमिगत पाइप से आता है जिससे चारदीवारी या जाली लगाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। बार-बार लोगों ने मांग उठाई है कि टैंकों की जालियां लगाई जाये या चारदीवारी ऊंची बनाकर जान माल का नुकसान रोका जाए।
---देशराज समाजसेवी
विशेषकर गर्मियों के दिनों में तो वैसे भी जीव जंतु प्यासे पानी के टैंकों में घुस जाते हैं उसके पास कारण मौत हो जाती है। दोनों वाटर टैंक जहां स्थित है उनके पास ही कान्ह सिंह पार्क बना हुआ है जिस पर करोड़ों रुपये का खर्चा आया है। पास में श्रीकृष्ण गौशाला है। यहां सुबह शाम भारी संख्या में लोग सैर करने के लिए जाते हैं। जहां सड़क के एक और पार्क है वहीं दूसरी ओर वाटर टैंक हैं। इन वाटर टैंकों की चारदीवारी छोटी होना समस्या बना बनी हुई है। चारदीवारी ऊंची की जाए।
------कृष्ण कुमार, समाजसेवी
पास में गौशाला है और बड़ी बणी होने के कारण जंगली जीव भी इधर आ जाते हैं प्यास के कारण वे जल में घुस जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। या तो टैंक के चारों ओर जाली लगाई जाए या फिर चारदीवारी बनाई जाए।
---सुरेंद्र सिंह, समाजसेवी
विगत कनीना की इस टैंक की घटनाओं को लेकर तथा जंगल के दृष्टिगत यहां टैंक की चारदीवारी ऊंची करने की जरूरत है। वर्तमान में चारदीवारी छोटी है।
---सूरत सिंह, समाजसेवी
फोटो कैप्शन 07: कनीना के नहर पर आधारित पेयजल योजना के वाटर टैंक।
साथ में सुरेंद्र, कृष्ण कुमार, देशराज, सूरत सिंह
स्कूल में विद्यार्थियों को साइबर अपराधों से बचाव के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया
--कनीना के स्कूल में किया जागरूक
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कनीना की आवाज। साइबर जागरूकता अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ के निर्देशानुसार कनीना के एक निजी स्कूल में विद्यार्थियों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक किया। टीम ने इस दौरान विद्यार्थियों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक करते हुए बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी। साइबर अपराधी किस प्रकार से साइबर अटैक करके लोगों को अपना शिकार बनाते हैं तथा उन्हें मानसिक, आर्थिक व सामाजिक नुकसान पहुंचाते हैं, के बारे में जानकारी दी गई और इन अपराधों से कैसे बचाव करें, इत्यादि के बारे में बताकर जागरूक किया गया। साथ ही साइबर अपराध का शिकार होने पर अपनी शिकायत तुरंत साईबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करने के बारे में बताया गया।
टीम ने बताया कि वे किसी भी प्रकार से प्राप्त हुए लिंक को ना खोलें और किसी भी फोन कॉल, संदेश, ईमेल इत्यादि पर दिए गए प्रलोभन या विश्वास में आकर अपनी कोई भी निजी जानकारी किसी के साथ सांझा ना करें। साइबर अपराधों को रोकने के लिए हम सबको मिलकर सांझा प्रयास करने होंगे। इस दौरान टीम ने सोशल मीडिया के जरिए हो रहे क्राइम से बचने के कई तरीके भी बताए। उन्होंने बताया कि आनलाइन अपराध से बचने का सबसे पहला तरीका ये है कि कोई व्यक्ति आपसे दोस्ती करना चाहता है या आपसे चैट करना चाहता है पहले यह देखिए कि क्या आप उस व्यक्ति को जानते हैं। अज्ञात व्यक्ति को अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल में ना जोड़ें। इसके अलावा किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें, अपना पासवर्ड किसी के साथ भी शेयर ना करें, सोशल मीडिया प्रोफाइल का मुश्किल पासवर्ड सेट करें। अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर टू फैक्टर आथेंटिकेशन आन करें। ऐसे कई उपाय करके इस तरह के क्राइम से बच सकते हैं।
टीम ने बताया कि साइबर अपराध होने पर साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर 1930 पर काल करें। साथ ही बताया की साइबर धोखाधड़ी के मामलों में अपनी शिकायत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर या नजदीकी थाना/चौकी में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
फोटो कैप्शन 06: साइबर क्राइम की जानकारी कनीना के एक स्कूल में देते हुए पुलिस
पुलिस ने स्कूल विद्यार्थियों को साइबर जागरूकता का पाठ पढ़ाया
---दौंगड़ा अहीर में चलाया अभियान
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कनीना की आवाज। साइबर अपराध के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए पुलिस द्वारा प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को साइबर जागरूकता अभियान चलाए जाता है। एसपी पूजा वशिष्ठ के निर्देशानुसार थाना सदर कनीना की पुलिस टीम ने गांव दौंगड़ा अहीर में स्कूल विद्यार्थियों को साइबर अपराधों की जानकारी देकर जागरूक किया। टीम ने स्कूल के छात्र-छात्राओं को सोशल मीडिया के माध्यम से पार्ट टाइम जॉब आफरों, टास्क या इन्वेस्टमेंट के नाम पर होने वाली साइबर ठगी के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया। टीम ने बताया कि अगर आपको किसी विदेशी या भारतीय मोबाइल नम्बर से कोई पार्ट टाइम जॉब के लिए कोई मैसेज आता है तो उसकी अच्छी तरह जांच पड़ताल करें और थोड़ा भी शक हो तो उसे अनदेखा कर डिलीट कर दें। पार्ट टाइम जाब आफर में ज्यादा मुनाफे के चक्कर में ना फसें। किसी भी प्रकार की जॉब के लिए आपको पैसे देने की आवश्यकता नही होती है, अत: कोई भी भुगतान न करें। यदि आपको पार्ट टाइम जॉब के लिए मैसेज आता है तो आप जाब देने वाली कम्पनी के आफिस का पता लेकर उसे वेरिफाई करे। पार्ट टाइम जॉब आफर देने वाली कम्पनी से अपाइंटमेंट लेटर देने के लिए बात करें। टीम ने कहा कि वह साइबर अपराधों के प्रति जागरूक बने और अपने तथा अपने साथियों को साइबर ठगी का शिकार होने से बचाएं। अगर आपके साथ इस प्रकार का फ्राड हो जाता है तो बेझिझक साइबर क्राइम थाना या अपने संबंधित पुलिस थाना में अथवा नेशनल साइबर क्राइम रिपोटिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 1930 पर डायल कर अपनी शिकायत रजिस्टर्ड करा सकते हैं।
फोटो कैप्शन 07: कनीना पुलिस साइबर अपराधों की जानकारी देते हुए।
मोटे अन्न को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है सरकार
-दक्षिण हरियाणा में श्रीअन्न का है भंडार
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कनीना की आवाज। सरकार के प्रयासों के चलते श्रीअन्न के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है। कभी ग्रामीण क्षेत्रों में श्रीअन्न बाजरा, ज्वार आदि पर्याप्त मात्रा में पैदा होता था। बाजरे की रोटी को जमकर खाया जाता था किंतु अब इस रोटी को बनाने की जानकारी रखने वाली बुजुर्ग महिलाएं घटती जा रही हैं। वर्तमान पीढ़ी बाजरे की रोटी बनाने में आलस्य महसूस करती है तथा बनाने में महारत हासिल नहीं है।
वर्ष 2023 में जहां वित्त वर्ष बजट में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए श्रीअन्न योजना की शुरुआत हुई है वहीं दक्षिण हरियाणा मोटे अनाज का भंडार है। इसे मिलेट कहा गया है जो जलवायु को सहन कर सकता है। श्रीअन्न में जहां ज्वार, बाजरा, कुट्टू आदि कई अन्नों को शामिल किया गया है। ज्वार और बाजरा दक्षिण हरियाणा के खरीफ उत्पाद हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं। 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय श्रीअन्न के रूप में घोषित किया है। बाजरा एवं ज्वार दक्षिण हरियाणा अधिक पैदावार देता है जिसका समर्थन मूल्य गेहूं से अधिक है।
*** बाजरा जलवायु सहिष्णु होता है। कम उर्वरा शक्ति वाले खेत में भी अच्छी पैदावार देता इसलिए किसान का दोस्त कहा जाता है। कम मेहनत में अधिक पैदावार देता है और पोषक तत्वों का भंडार है। श्रीअन्न में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम लोहा, मैग्नीज, फास्फोरस, पोटाशियम और विटामिन बी-कंपलेक्स पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। इससे कुपोषण की समस्या से निजात पाया जा सकता है। श्रीअन्न में प्रोटीन और फाइबर पोषक तत्व अधिक मिलने से। यह मधुमेह उच्च, रक्तचाप एवं कैंसर जैसे रोगों से भी बचाता है।
**डा. देवराज पूर्व कृषि अधिकारी
जहां जी-20 में मेहमानों को बाजरे के उत्पाद खिलाये गये जो अन्न का सम्मान हुआ। वहीं करीरा गांव में भी बाजरे से अनेक पदार्थ बनाये जा रहे हैं जो लघु उद्योग और स्वयं रोजगार को बढ़ावा देता है। हरियाणा में इस बार बाजरे का एमएसपी 2625 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था और किसानों ने जमकर बाजरा बेचा है। जी-20 से भी मोटे अन्न के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की गई ताकि अधिक से अधिक प्रयोग करें और रोगों से बच सके। मोटे खाने से शरीर में रोग रोधक क्षमता बढ़ जाती है। गेहूं का परंपरागत तरीके से प्रयोग करते आ रहे हैं उनमें रोग बढ़ सकते हैं। इसलिए गेहूं को छोड़कर मोटे उनका उपयोग किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।
***राजकुमार राव,गुढ़ा
बाजरा और ज्वार दोनों ही मोटे अन्न में शामिल किए गए हैं। जहां ज्वार अन्न हल्का होता है वही बाजरे में लोहे/आयरन की मात्रा अधिक होती है। इनमें ग्लूटेन नहीं होता। ग्लूटेन फ्री आटा बनाने के लिए उन्होंने कई अनाजों को शामिल करके प्रयोग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों को ग्लूटन नुकसान पहुंचाता है उनके लिए श्रीअन्न बहुत लाभप्रद हैं।
***देशराज पूर्व मुख्य शिक्षक
उधर किसान महावीर सिंह, अनिल कुमार, सुमेर सिंह, अजीत सिंह, देवेंद्र बलिया आदि ने उन्होंने बताया कि श्रीअन्न पैदा करने में अधिक मेहनत की जरूरत नहीं होती, जल्दी पैदावार दे देता है।
***बाजरा 90 दिनों की फसल है जबकि गेहूं 150 दिनों की फसल है। भाव बाजरे के बेहतर हैं वहीं खाद डालने की जरूरत कम पड़ती है वहीं भाव बाजरे के अधिक हैं, शरीर के लिए अधिक लाभप्रद हैं ऐसे में श्रीअन्न की पैदावार लेनी चाहिए।
--डा. देवेंद्र यादव
फोटो कैप्शन 05: श्रीअन्न के रूप में बाजरे की पैदावार
एवं पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज, डा. देवेंद्र, देशराज, राज कुमार
विश्व कैंसर जागरूकता दिवस-7 नवंबर
ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से पैर पसार रहा है कैंसर
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कनीना की आवाज। कैंसर को लाइलाज बीमारी माना जाता है। अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित गति से पैर पसार रहा है। कैंसर रोग आए दिन जिंदगियां लील रहा है। डाक्टरों को कहना है कि इस रोग के पीछे दूषित खान पान, गलत आदतें एवं विकिरण हैं। शरीर में प्रतिरक्षी पदार्थों की कमी आने से रोग हो जाता है। बीमारी की पहचान से पहले तो अनेक अंगों को अपना शिकार बना चुकी होती है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत में प्रत्येक दस में से एक कैंसर का केस मिलता है वहीं प्रत्येक 12 मिनट में से एक की मौत कैंसर से हो रही है। हर वर्ष करीब 10 लाख मौतें कैंसर से हो रही हैं।
कभी ग्रामीण क्षेत्र बेहतर खान पान के लिए विख्यात रहे हैं और कैंसर जैसे रोग का तो नाम तक नहीं सुना था। किंतु अब ग्रामीण क्षेत्रों में अब शूगर के मरीज, दिल की बीमारी के रोगी तथा कैंसर के रोगी बढऩे लगे हैं।
कनीना की लील ली कई हस्तियां-
कस्बा कनीना में ही नजर डाले तो आए दिन कोई न कोई कैंसर से पीडि़त व्यक्ति नजर आता है। अकेले कनीना में कई महत्वपूर्ण हस्तियांं कैंसर जैसी घातक बीमारी ने लील लिये हैं जिनमें क्षेत्र के ही नहीं आस पास के प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं इतिहासकार प्रो हंसराज यादव, कनीना की प्रथम महिला पत्रकार एवं कई पुस्तकों की लेखिका सुमन यादव, प्रसिद्ध समाजसेवी एवं नेता विनोद अग्रवाल सहित एक दर्जन लोग इस रोग ने लील लिये हैं। वैसे तो यह रोग किसी भी उम्र में मिल सकता है किंतु अधेड़ उम्र के अधिक रोगी उभर रहे हैं।
जैविक खेती पर बल-
रोगों से बचने के लिए जैविक खेती करने व फल सब्जियों उगाने में कनीना क्षेत्र के किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह,अजय इसराणा, अजीत सिंह , गजराज सिंह मोड़ी, महाबीर सिंह करीरा जुटे हुए हैं। वहीं कई गौशालाओं में जैविक खेती का खाद तैयार किया जा रहा है। उनकी मुहिम कैंसर जैसी घातक बीमारियों पर काबू पाने का एक सरल तरीका है। खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग कर जमीन एवं खाद्य पदार्थों को विषैला बना दिया है। यही एक बड़ा कारण है जिनमें कैंसर भी एक रोग बढ़ा है। सब्जियों जहरीली दवाओं के छिड़काव से पैदा होती हैं। ये दवाएं कैंसर, हृदयघात, मिरगी, दमा एवं कई घातक बीमारियों का कारण बन रही हैं।
क्या कहते हैं डा अंकित गर्ग--
कनीना निवासी डा अंकित गर्ग आंकोलोजिस्ट(कैंसर का डाक्टर) का कहना है कि बेहतर एवं संतुलित खान पान न होने से रोग बढ़े हैं। बीड़ी सिगरेट पीने वाले भी फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त हो सकते हैं। फास्ट फूड एवं प्रोसेसड खाद्य पदार्थ भी कैंसर की ओर धकेलते हैं। अगर संतुलित आहार नियमित रूप से मिलता रहे और भोजन में सब्जी, फल का मिश्रण हो तो रोग कम होने की संभावना बन जाती है।
करीरा के वैद्य बालकिशन खेतों में डाले जाने वाली रासायनिक दवाइयां, उर्वरक, वातावरण प्रदूषण एवं हानिकारक विकिरण के चलते कैंसर जैसे रोग बढ़े हैं। अभी तक कैंसर पर काबू नहीं पाया गया है। गहरे रंग की सब्जियां, ब्रोकली, सादा खाना कैंसर होने से बचाती हैं।
क्या कहते हैं वैद्य श्रीकिशन-
धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन न करें,अत्यधिक वजन या मोटापे से बचें, अल्कोहल और फास्ट फूड से बचें, रोज कसरत करें और पोषाहार लें, नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, अल्ट्रावायलेट किरणों से बचें, हेपेटाइटिस-बी और एचआईवी से प्रतिरक्षित रहें ।
फोटो कैप्शन: डा अंकित गर्ग एवं श्रीकिशन वैद्य
शिशु संरक्षण दिवस- 7 नवंबर
विभिन्न टीको और बेहतर सुरक्षा के चलते शिशु मृत्यु दर में आई है कमी
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कनीना की आवाज। शिशु संरक्षण दिवस के तहत शिशु की सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। शिशुओं की देखभाल करना इसका मुख्य उद्देश्य है। प्रत्येक बच्चे को आगे बढऩे का अधिकार सुनिश्चित करना वर्ष 2023 का थीम है। शिशु मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर को कम करना इसको प्रमुख उद्देश्य होता है। शिशु संरक्षण दिवस उन कमजोरी की याद दिलाता है जिनका सामना नवजात शिशुओं को करना पड़ता है और समाज उनके भविष्य की सुरक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1990 में दुनिया में 50 लाख शिशुओं की जान चली गई थी जिसके चलते यह दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस संबंध में कुछ समाजसेवियों से बात हुई जिनका सारांश निम्र है।
*** शिशु मृत्यु दर के प्रति जागरूकता बढ़ाना हम सभी का फर्ज बनता है। प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित वातावरण में बड़ा होना चाहिए, देखभाल कर्ताओं को शिशु के लिए आवश्यक ज्ञान हो, समस्या को समाधान करने का तरीका भी मालूम होना चाहिए। वैसे तो शिशु् मृत्युदर आज के दिन दुनिया भर में 100 से घटकर 10 पर आ गई है किंतु अभी और घटाने की जरूरत है। शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए समय-समय पर टीके लगवाने चाहिए जो लगाये भी जा रहे हैं। यदि किसी प्रकार की शिशु को रोग की संभावना है तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। सर्दी, गर्मी आदि का विशेष ध्यान देना चाहिए। इस संबंध में लोगों को विशेष कर गरीब तबके और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे अपने बच्चों पर ध्यान दे सके। यदि शिशु का ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में फिर से समस्या उत्पन्न हो सकती है।
-- डा. वेद प्रकाश
शिशु संरक्षण दिवस के तहत हर बच्चे की देखरेख करना, सुरक्षा प्रदान करना और उसे उचित माध्यम में आगे बढ़ाना, सभी का फर्ज बनता है। शिशु संरक्षण के प्रति जागरूकता को लेकर सरकार ने शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए हैं। आज के दिन चाहे अफगानिस्तान सोमालिया आदि में 2021 तक मृत्यु दर अधिक थी किंतु सिंगापुर, आइसलैंड आदि में शिशु मृत्यु दर बहुत कम थी। भारत एक ऐसा देश है जिसमें शिशु मृत्यु दर न तो अधिकार और न हीं कम
है। 1990 और 2019 के बीच भारत में शिशु मृत्यु दर अधिक थी वर्तमान में 2020 में 1000 जन्म बच्चों के जन्म पर मृत्यु दर 30 रह गई है। सरकार द्वारा उठाए गए शिशु संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदमों के चलते मृत्यु दर में कमी आ रही है। शिशु के पोषण के बारे में जागरूकता पढ़ाई है वहीं टीकाकरण पर ध्यान दिया जाता है। वहीं सरकार की प्रभावी स्वास्थ्य प्रणालियों के चलते शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। अभी कुछ और ध्यान देने की जरूरत है ताकि शिशु मृत्यु दर शून्य के बराबर पहुंच जाए।
---डा. अजीत कुमार झगड़ोली
फोटो कैप्शन: डा.अजीत कुमार तथा डा. वेद प्रकाश
हैरिटेज विद्यालय में दो दिवसीय खेल प्रतियोगिता का हुआ शुभारंभ
---नन्हे मुन्ने बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया
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कनीना की आवाज। उप मंडल कनीना में स्थित हैरिटेज पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहनपुर में नर्सरी कक्षा से दूसरी कक्षा तक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम नन्हे मुन्ने बच्चों ने रिबन कटिंग के लिए संचालक महोदय का स्वागत किया।
सभी नन्हे मुन्ने बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। जिसमें 100 मीटर दौड़ , चाकलेट गेम, चेयर गेम जलेबी गेम, रस्सा कस्सी मेंढक दौड़ प्रतियोगिता करवाई गई।
विद्यालय के संचालक महोदय श्रीमान मनीष शर्मा ने बताया कि खेलना बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। इससे बच्चों को कई तरह के फायदे होते हैं।
उन्होंने कहा कि खेलों से पुष्ट और स्फूर्ति का संचार होता है, शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद बच्चों के मन को प्रसन्न और उत्साह बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से बच्चों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेल बच्चों को स्वस्थ रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर की ताकत को बेहतर बनाता है और उनके दिमाग को भी तेज रहता है। विद्यालय इस प्रकार की प्रतियोगिताएं करवाता रहेगा और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहेगा जिस से बच्चे देश - विदेश में अपने माता पिता और भारत का नाम रोशन कर सकें।
कार्यक्रम के उपलक्ष्य पर विद्यालय के सीईओ कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, डायरेक्टर खुशीराम शर्मा, प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह, कोआर्डिनेटर संदीप कुमार, तेजपाल डीपी, कोआर्डिनेटर सुमन मैम, सुदेश कुमार तथा नर्सरी कक्षा से दूसरी कक्षा तक अध्यापक उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: हैरिटेज स्कूल में अव्वल रहे विद्यार्थियों के साथ स्टाफ
अग्निशमन विभाग की तरफ से माक ड्रिल का किया आयोजन
---आग से बचाव के तरीकों के बारे में अवगत करवाया
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कनीना की आवाज। एसडी कैरियर इंस्टिट्यूट महेंद्रगढ़ में अग्निशमन विभाग की तरफ से माक ड्रिल का आयोजन किया गया। सहायक मंडल अग्निशमन अधिकारी विकास कुमार व फायर स्टाफ ने विद्यार्थियों को आग से बचाव के तरीकों के बारे में अवगत करवाया। विद्यार्थियों को मौखिक जानकारी के साथ-साथ प्रायोगिक विधि द्वारा आग से बचाव के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया गया। विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की आग व उनको बुझाने के लिए विभिन्न प्रकार के अग्निशमन यंत्रों के उपयोग की जानकारी दी।उन्होंने बताया कि सिलेंडर में आग लगने पर घबराना नहीं चाहिए। इसके लिए एक बोरे और कपडे को भिगोकर उसके मुंह पर रखकर आग को बुझाया जा सकता है। बताया कि घर में अगर सिलेंडर में आग लगी तो विस्फोट से बचने के लिए उसको खुले में लाना जरूरी है। इसके अलावा गैस सिलेंडर को खाना बनाने के बाद रेगुलेटर से बंद करना जरूरी करना बताया। बताया कि आग लगने के कारण लोग कई बार हड़बडाहट में गलती कर देते हैं, इससे बचें। उन्होंने सिलेंडर के अलावा अन्य तरह से होनी वाली आगजनी की घटनाओं से बचाव के लिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया उन्होंने घरेलू गैस सिलेंडर में आग लगाकर बताया कि कैसे हम सुरक्षित तरीकों से विस्फोट होने से बचा सकते हैं। दमकल सहायक अधिकारी प्रदीप ने बताया कि आग लगने पर लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का ही प्रयोग करें। एसडी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूसंस के फाउंडर जगदेव यादव ने बताया कि आग लगने जैसी आपातकालीन स्थिति में दमकल विभाग के हेल्प लाइन नंबर 101 और 112 पर काल करके सूचना दें। घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें।
फोटो कैप्शन 02: माक ड्रिल की जानकारी देते हुए संस्था के अधिकारी।
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 48
सादगी बनी मिसाल, कायल है आज भी लोग
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह वल्र्ड रिकार्ड अचीवर 40 सालों की शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देकर 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सादगी की मिसाल बन चुके हैं सादगी के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। जब उनकी तरफ कोई देखता है, उनके कपड़े उनके जूते-चप्पल और संग में साइकिल को देखता है तो कोई यह नहीं कह सकता कि यह इंसान वल्र्ड रिकार्ड अचीवर हो सकता है या कुछ पढ़ा लिखा हो सकता है पर जब जानकारी मिलती हैं तो लोगों के पैरों की जमीन निकल जाती है। उनकी सादगी सदा कायम रही है और उनकी सादगी के बारे में उनके विचार उन्हीं के शब्दों में सुनिए---
यूं तो मेरे परिवार में लगभग सभी सादा जीवन और उच्च विचार रखते हैं किंतु उनमें भी मैं एक बड़ी मिसाल के रूप में उभरा हूं। पूरे ही परिवार में जहां प्रत्येक भाई, पुत्र या भतीजों के पास कम से कम मोटरसाइकिल है लेकिन एकमात्र मैं ऐसा इंसान हूं जिसने 1986- 87 में साइकिल चलानी शुरू की थी और साइकिल पर ही चलता हूं। भविष्य में साइकिल चलाने के क्षेत्र में वल्र्ड रिकार्उ कायम करने की तमन्ना है। प्रतिदिन 20 किलोमीटर तक साइकिल चलती है। यही नहीं सादगी का उदाहरण तो सदा ही रहा हूं। कालेज के समय जहां चाहे मां-बाप कितने भी गरीब रहे किंतु उन्होंने अपनी तरफ से बेहतर कपड़े सिलवा कर दिए। जब स्कूल में जाते थे तो शायद लोग कल्पना नहीं करेंगे कि मैं कच्छे और शर्ट पहन कर छठी कक्षा तक पढऩे के लिए जाता रहा हूं। और आज यह बात सुनकर शायद लोग चकित भी होंगे। बाद में भी यही ट्रेंड जारी रहा, सदा सादगी रही। कपड़े सीधे सादे पहने। पजामा और कुर्ता पहने। पेंट और शर्ट भी पहनी परंतु यूं कहा जाए कि 90 के दशक में जब कनीना के मनोज रोहिल्ला पत्रकार से संपर्क में आया, तब से उन्होंने मेरे कपड़े सील कर दिए। कपड़े सिलाई भी दी परंतु सादगी का बहुत ख्याल रखा गया। यहां तक कि उन्होंने कभी मेरे से पैसे सिलाई के भी लेने की कोशिश नहीं की, चाहे हमने उनको देने का भरसक प्रयास किया, यह उनकी महानता रही है। यही एक बात और मनोज रोहिल्ला कभी मेरे से पढ़े नहीं परंतु गुरु की संज्ञा देकर पुकारते हैं और आदर करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। सादगी में उन्होंने सदा मेरा ख्याल रखा। परिवार ने भी सदा सादगी में ही मुझे देखा है। एक पेंटर शर्ट मेरे पास दो-तीन वर्षों तक चल सकती है। कभी पहनने का कोई चाव नहीं रहा था और शायद भविष्य में भी नहीं रहेगा। खाने पीने में भी वर्तमान समय में चाहे कोई चाव नहीं लेकिन बचपन से जवानी तक खूब घी दूध पीने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सादा जीवन जिया, बीड़ी सिगरेट, शराब आदि को आज तक छूकर भी नहीं देखा है। यह सत्य है की नौकरी करने के कारण चाय जरूर पीता रहा हूं, वह भी जब मिल जाती है तो चाय पी लेता हूं। वरना चाय का भी आदि नहीं हूं। बात सादगी की वर्ष 2000 तक बहुत सादा जीवन जिया। 21 नवंबर 2000 को जब मेरी शादी हुई तब बहुत सुशील पत्नी सुमन यादव आई थी, उन्होंने भी मेरी सादगी को बरकरार रखा। वह भी अलवर से कुछ कपड़े सिले हुए लाती थी क्योंकि अलवर मंडी भी कपड़े अच्छे मिलते हैं। कुछ कपड़े मनोज रोहिल्ला से सिलवाते रहे हैं और उनसे जीवन चलता रहा है। कपड़े, खाने व पहनने के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं रहा है। अगर लगाव रहा है तो पढऩे और पढ़ाने का जरूर रहा है। आज भी हजारों पुस्तक मेरे पास सुरक्षित हैं। 42 पुस्तकों की रचना भी की है, सैकड़ों पुस्तक कंप्यूटर में फीड हैं। वैसे भी 40 सालों तक पढ़ाया है कई हजार विद्यार्थियों का अपने जीवन में पढ़ाया है और बहुत से कामयाब भी हुये हैं। आईएएस तक भी एक विद्यार्थी पहुंचा है, डाक्टर, न्यायाधीश और कई उच्च पदों पर भी हैं, शिक्षक तो बहुत अधिक संख्या में है। आज भी जब वो मिलते हैं तो बड़े खुश होते हैं क्योंकि वह सादगी आज भी कायम है। अमेरिका में वैज्ञानिक पद पर रह रहे एक मेरे विद्यार्थी ने एक दिन वीडियो कालिंग की और उन्होंने पूछा की सर, वह साइकिल जो नवोदय में भी ले जाते थे, आज भी है? मैंने उनसे कहा कि हां, आज भी साइकिल है और शायद मरते दम तक रहेगी। उन्हें बड़ी खुशी हुई। वैज्ञानिक पदों पर आधा दर्जन विद्यार्थी मेरे से शिक्षा लेकर पहुंचे हुए हैं। यह दुर्भाग्य ही रहा कि मेरे साथ निकृष्ट अधिकारियों ने बहुत अन्याय किया, सादगी का उन्होंने लाभ उठाया और हकों पर डाका डाला। 2012 के बाद बरेली से संपर्क हुआ है तब से बरेली से कपड़े खरीदकर लाता हूं और पहने जाते हैं। कभी मैं जींस की पेंट व टी- शर्ट को पसंद नहीं करता था किंतु एक दौर ऐसा भी आया जींस की पैंट पहननी भी शुरू की और धीरे-धीरे वह भी खत्म हो गई। जब तक शिक्षण कार्य किया तब सादे कपड़ों में ही रहा। आने वाले समय में सादगी और बढ़ती जाएगी लेकिन साइकिल सादगी और सीधे-साधे कपड़े सदा मेरे साथ रहेंगे। जूतों की विशेष चाह नहीं रहा है, सादी चप्पल में ही अधिकांश समय बीतता है। पेड़ पौधों से सदा ही लगाव रहा है और ताउम्र रहेगा। पेड़ पौधे सदा मेरे काम आए और गहन रुचि भी रही है। पेड़ पौधों पर मेरी एक पुस्तक भी मेरी हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत है जिस बाबत दूर दराज से फोन आते रहते हैं और पेड़ पौधों की जानकारी मेरे से लेते रहते हैं।
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