15 सालों में नगरपालिका ने पकड़वाये हैं 61 बंदर
-परेशानी का कारण बने हुए हैं ये जीव
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कनीना की आवाज। यूं तो बंदर बहुत पहले से ही कनीना क्षेत्र में आ रहे हैं और समस्या पैदा कर रहे हैं किंतु वर्ष 2009 और इसके बाद बंदरों की संख्या बढ़ती ही चली गई। महज 2013 में नगर पालिका कनीना ने 48000 रुपये खर्च करके 61 बंदरों को पकड़वाया था तत्पश्चात से आज तक अन्य कोई बंदर नहीं पकड़ा गया है और बंदरों ने जीना हराम कर रखा है। लाखों रुपए की क्षति प्रतिदिन पहुंचा रहे हैं। न केवल क्षति अपितु रोगों का कारण भी बंदर बन जाते हैं क्योंकि फल, सब्जी तथा अन्य वस्तुओं को कुतर जाते हैं। यह सब्जी या फल कोई इंसान या जीव खा लेता है तो रेबीज होने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि बंदर, लंगूर, चिंपांजी, गोरिल्ला ,कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि कैनाइन प्राणी कहलाते हैं जिनसे रेबीज का रोग फैलने का खतरा बना होता है। इसलिए इनकी द्वारा खाई हुई वस्तु नहीं खानी चाहिए। यही कारण है कि रेबीज के टिकों की बहुत अधिक मांग है। क्योंकि आए दिन कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि काट जाते हैं इसके लिए टीके लगवाने जरूरी है।
कनीना मंडी के शिवकुमार अग्रवाल एकमात्र ऐसी शख्सियत है जो कनीना नगर पालिका के पीछे 2009 से आरटीआई लगाकर बंदरों की लगातार सूचना प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2009 से बंदर तेजी से बढ़ रहे हैं किंतु 2013 में 61 बंदर की पिंजरों में बंद करके अन्यत्र छुड़वाए गए थे। हाल ही में आरटीआई सेे पता चला है कि कनीना नगर पालिका 200 बंदरों की पकड़वाने की अनुमति ले चुकी है और इन बंदरों को पड़कर अन्यत्र छुड़वाये जाने का प्रयास किया जाएगा।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सा अधिकारी-
जो लोग कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि पालते हैं उन्हें एंटी रेबीज की टीके जरूर लगवाने चाहिए किंतु यदि ये एंटी रेबीज के टीके लगे हुए कुत्ते बंदर, बिल्ली किसी को काट ले तो भी सावधानी के लिए टीके जरूर लगवाएं। उन्होंने बताया कि जिन बिल्ली कुत्तों को एंटी रेबीज के टीके लगे हुए हैं उनसे यह रोग होने का खतरा कम होता है परंतु ये कुत्ते भी काट जाए तो टीके जरूर लगवा लेने चाहिए। बंदरों के काटने की आम बात हो गई है जिनसे रेबीज का रोग लग जाता है। रेबीज वाले प्राणी पानी से डरते हैं इसलिए रोग का नाम हाइड्रोफोबिया भी है।
--डा. पवन कांगड़ा
बंदरों ने जीना हराम कर रखा है। कनीना क्षेत्र में करीब 300 बंदर घूमते रहते हैं। ये कभी भी किसी को अपना निशाना बना सकते हैं। इनसे बचकर रहना जरूरी है। भारी नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं।
---गणेश कुमार,कनीना मंडी
बंदर किसानों के खेतों में भी जाकर उगाई हुई फसल को उखाड़कर फेंक जाते हैं। तहस नहस कर जाते हैं। फ्रिज को खोलकर सामान खा जाते हैं। ये अजीब जानवर हैं।
--राहुल,कनीना
बंदरों के कारण विगत समय में कनीना में आधा दर्जन लोगों के काट लिया है। कपड़े फाडऩे, सब्जी उखाडऩे, पेड़ नष्ट करनेे, डराने में तथा हाथ से सब्जी एवं फल की थैली छीनकर लेे जाने में इनका अहं रोल होता है।
संदीप, कनीना।
फोटो कैप्शन: डा पवन कांगड़ा,संदीप, राहुल एवं गणेश।
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार-47
13 दिनों में अल्लीका से आया वापस
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कनीना की आवाज। 30 अप्रैल 2024 को करीब 40 सालों तक विज्ञान शिक्षण कर होशियार सिंह कनीना अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। परंतु सेवा दौरान उन्हें उनके दुश्मन हर मोड़ पर खड़े मिले। बात 2005 की जब कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के नेताओं ने बदली अल्लीका, मेवात में करवा दी। उस समय उनके घर के क्या हालात थे विश्व रिकार्ड अचीवर डा. होशियार सिंह की जुबानी सुनिये--
वर्ष 2005 में कुछ दुष्ट प्रवृति के नेताओ, दुष्ट साथियों एवं नीच लोगों ने अल्लीका मेवात, पलवल के नजदीक, बदली करवा दी। जिसमें शिक्षा विभाग के मेरे तत्कालीन एक दोस्त और राक्षस प्रवृत्ति के व्यक्ति का भी हाथ रहा। साथ में जिसमें आधा दर्जन लोगों का भी हाथ रहा। जो भी हो बदली तो करवा दी परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि बच्चे छोटे थे, इसलिए वापस आना ही जरूरी समझा। मन से सोच लिया था कि अल्लीका में कार्यभार ग्रहण किया जाए और फिर लंबी छुट्टी ले ली जाए ताकि बदली करवाने वाले लोगों के मुंह पर तमाचा लगे। ऐसा ही किया। कार्यभार ग्रहण करवाने के लिए तत्कालीन गणित अध्यापक बव्वा निवासी लालाराम यादव मेरे साथ अल्लीका चल दिये। सोहना के आगे एकमात्र टेंपो द्वारा ही पहुंचना सुलभ होता था। टेंपो में सवार होकर दोनों चल दिए, लालाराम जी बार-बार टेंपो में बैठे हुए बाहर की ओर आकाश को झांक रहे थे। मैंने पूछा कि आप देख क्या रहे हो? उन्होंने कहा कि अल्लीका गांव की पहचान एक ही है, एक जगह हाई टेंशन तार/एचटी तार मिलेंगे। एक जगह एचटी तार मिले वहीं पर टेंपों रुकवा दिया। उतर कर चलने लगे तो उस समय सड़क के किनारे पेड़ों भारी मात्रा में जामुन के फल लग रहे थे। मैंने लालाराम जी से कहा कि सर, मुझे जामुन खाने है? उन्होंने कहा कि एक तो तुम्हारी बदली इतनी दूर और वह भी मेवात में कर दी है, जहां लोग कटड़े कटड़ी का मांस खाते हैं और उस पर तुझे जामुन खाने पसंद है? रस्सी जल गई पर बल नहीं गया? मैंने कहा चाहे जो कुछ हो जिंदगी का कोई पता नहीं? हँसी खुशी से गुजारेंगे और तुरंत आगे चल दिए। उबडख़ाबड़ रास्ते से होकर एक ऊंचाई पर पहुंचे। लालाराम जी ने इशारा करते हुए कहा- देखो, वह गहराई में तुम्हारा स्कूल है। यही मैं भी काम किया है, यही नहीं वर्तमान में ओमप्रकाश हेरिटेज स्कूल संचालक ने भी वहीं पर काम किया है। दोनों पैदल पहुंचे। हमें देखकर के मुख्य अध्यापक खुश हुआ कि चलो अबकी बार कोई जवान विज्ञान पढऩे के लिए आ गया है मैं मुख्य अध्यापक विज्ञान पढ़ाने आया है। उनसे कहा कि मैं पढ़ाने के लिए यहां नहीं आया हूं, मुझे वापस जाना है? क्योंकि प्रतिष्ठा का सवाल है, वापस मुझे कनीना जाना है। इसलिए मुझे कार्यभार ग्रहण करवाओ और जब तक मैं वापस लौटकर नहीं आऊंगा तब तक मरे अर्जित अवकाश लगाते रहना। मुख्याध्यापक ने बहुत समझाया कि सामने नल में पानी आता है, स्कूल का कमरा है यहां मौज से रहना किंतु जब परिवार के बोर में बताया तो उन्होंने कहा जैसी आपकी मर्जी। उन्हें बड़ी निराशा हुई है। अर्जित अवकाश लगते रहे। ठीक 13 दिनों के बाद करीरा स्कूल में बदली के आदेश आ गए। इस बार मैं अकेने मिठाई एवं अन्य खाने पीने का सामान लेकर अकेले ही स्कूल पहुंचा। अच्छी प्रकार मिठाई और अन्य सामग्री उनके लिए ले गया था, साथ में रात के पीने का सामान भी ले गया था। बड़ी खुशी के साथ कार्यभार मुक्त किया, वहां का स्टाफ बहुत खुश हुआ। उन्होंने सड़क तक मुझे छुड़वाया और कहा कि जब भी कोई सेवा का मौका हो हमें जरूर बताना। मैं वापस आकर करीरा स्कूल में कार्यभार ग्रहण कर लिया। उस समय बाबूलाल बाबू होते थे जो वर्तमान में नारनौल में उपाधीक्षक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने भी बड़े आदर और सम्मान के साथ कार्यवाहक ग्रहण करवाया। यह सत्य है कि वहां कुछ समय ही पढ़ाने का मौका मिला और वापस कनीना आ गया।
अल्लीका में 27 जुलाई 2005 को कार्यभार ग्रहण किया तत्पश्चात 6 अगस्त 2005 को करीरा के लिए बदली हो गई। करीब से 22 अक्टूबर 2005 को वापस कनीना बदली करवा ली। पैसे से सब कुछ संभव हो पाया। खैर मैने देरी से पैसे फेंकने शुरू किये वरना उस वक्त के भ्रष्ट समाज में बड़े पद तक पहुंच गया होता। इस प्रकार एक दिन अल्लीका गया और दूसरी बार कार्यभार मुक्त हुआ। जब कनीना वापस आया तो लोगों में जमकर खुशियां मनाई। कई जगह लड्डू बांटे। विशेषकर सज्जन सिंह बोहरा भीम ट्रंक हाउस कनीना ने बैंड बाजों से स्वागत किया और लड्डू बांटे। तत्कालीन कप्तान अजय सिंह ने बदली वापस करवाने में अहं भूमिका निभाई। उसके बाद मैंने अल्लीका रिटर्न अपनी साइकिल पर लिखवा दिया किंतु कुछ साथियों के कहने से वो शब्द हटवा दिये। उस दिन खुशी हुई कि आखिर आज भी इंसानियत है और एक तरफ वह दुष्ट राक्षस एवं प्रवृत्ति के नेताओं एवं लोगों ने बदली करवाई वहीं भीम , सज्जन सिंह बोहरा, कै. अजय सिंह, लालाराम काम आये। जब मेरी अल्लीका बदली हुई पूरा परिवार बहुत परेशान रहा क्योंकि बच्चे छोटे होने की वजह से बहुत कष्ट सहे। उसे समय लालाराम तत्कालीन गणित अध्यापक ने मेरी जमकर मदद की यहां तक की पत्रकारिता की अनुमति दिलवाने में अगर कोई शख्सियत है तो लालाराम है। आज भी मैं इन लोगों का आभारी हूं।
(नोट पूरे नाम सहित समस्त आंकड़े मेरी मूल पुस्तक में विस्तार से दिये गये हैं।)
गांव के सभी लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारा कत्र्तव्य -सरोज देवी
--गांव रामबास में सफाई अभियान
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कनीना की आवाज। सफाई व्यवस्था को पूर्ण रूप से दुरुस्त कराया जाएगा और पार्क में लगी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा ताकि गांव के लोग पार्क में जाकर सुबह-शाम व्यायाम कर सकें और अपने शरीर को स्वस्थ रख सके। ये विचार गांव रामबास की सरपंच सरोज देवी ने व्यक्त किये।
इस अवसर पर गांव की महिला सरपंच सरोज देवी ने कहा कि हनुमान पार्क की दशा काफी खराब हो रही थी जिसको लेकर हनुमान पार्क में फैली असुविधाओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें कनीना बार के पूर्व में रहे प्रधान रहे कुलदीप रामबास, समाजसेवी हंसराज यादव, एडवोकेट रामनिवास शर्मा, विकास चौकीदार ,दिनेश कुमार ,पंप आपरेटर रोशन, पंप आपरेटर कर्मवीर, पंप आपरेटर सिकंदर, पंच संजीत कुमार, वेद प्रकाश, श्रीराम, युद्धवीर, डा. जितेंद्र कुमार, सुनील कुमार, मनोज कुमार के अलावा गांव के अन्य लोगों द्वारा मिलकर हनुमान पार्क की साफ सफाई करने का जिम्मा उठाया हुआ है ताकि इस पार्क में सुबह और शाम ग्रामीण युवा, बुजुर्ग, महिलाएं आकर घूम फिर सके।
कनीना बार में पूर्व में प्रधान रहे कुलदीप यादव ने बताया कि हम लोगों का मुख्य मकसद गांव में विकास करना, गांव को साफ सुंदर बनाना, गांव में अधूरे पड़े विकास के कार्यों को पूरा करना तथा गांव के लोगों का जीवन स्वस्थ बनाने के लिए सभी पहलुओं का ध्यान में रखना है। गांव के सभी कार्यों में ग्रामीण युवा बढ़-चढ़कर के सहयोग कर रहे हैं ताकि गांव का विकास तेजी से हो सके। उन्होंने कहा कि सफाई अभियान जारी है ताकि गांव में कहीं भी गंदगी न दिखाई दे और सरकार द्वारा हमें सुंदर व स्वच्छ गांव का खिताब मिल सके।
फोटो कैप्शन 03: गांव के पार्क की सुध लेते रामबासवासी।
राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस- 6 नवंबर
हंसी खुशी जीवन जीने से बढ़ती है उम्र- डा.
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कनीना की आवाज। हँसी खुशी जीवन जीने और तनाव रहित जीवन जीने से इंसान की जिंदगी बढ़ती है। इंसान तनाव में जीवन जीता है तो अनेक रोग शरीर में लग जाते हैं। जिनमें प्रमुखता से उच्च रक्तचाप, शुगर तथा अन्य रोग प्रमुख है। इसलिए तनाव रहित जीवन जीना चाहिए। दिनभर हँसी खुशी से जीना चाहिए जो व्यक्ति किसी पेशे में लगे हुए उन्हें कुछ समय के लिए खुलकर हंसना चाहिए, शुद्ध शाकाहारी और हरी पत्तेदार सब्जियां, संतुलित आहार लेना चाहिए ताकि सेहत भी बनी रहे और उम्र भी बढ़ जाए। ये विचार कनीना के डा. जितेंद्र मोरवाल के हैं।
उनका कहना है कि डाइट का सीधा संबंध मूड से होता है। यदि डाइट संतुलित और मनपसंद होगा तो मूड खाने को बना रहेगा और तनाव से बचा जा सकेगा। नमक खाने में जरूरी है लेकिन ज्यादा नमक खाने से शरीर में सोडियम बढ़ जाता है और उच्च रक्तचाप का मरीज बन जाता है वहीं नमक की कमी से भी शरीर में सोडियम की कमी आ जाती जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में उनका कहना है कि तनाव से बचने के लिए तनाव के संकेतों को पहचानना चाहिए। तनाव प्रबंधन के तरीकों को अपनाना चाहिए। फिर भी तनाव कम नहीं हो रहा है तो मनो चिकित्सा से सलाह लेनी चाहिए, अपने आसपास लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए।
डा. मोरवाल बताते हैं कि हर साल नवंबर के दूसरे पहले बुधवार को तनाव जागरूकता दिवस मनाया जाता है जिसमें तनाव में जी रहे लोगों को पहचान कर उन्हें तनाव से बचने के तरीके बताए जाते हैं अधिक मधुमेह, मोटापा, अवसाद, त्वचा की समस्याएं तथा अनेक मासिक धर्म से संबंधित समस्या उत्पन्न होने से रोकी जा सके। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी का तनाव से बचना चाहिए। तनाव मानसिक, शारीरिक समस्याओं का कारण बनता है जिसे नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। डाक्टरों के अनुसार नियमित शारीरिक गतिविधि, योग व्यायाम करना चाहिए, हंसने की कला सीखनी चाहिए, गहरी सांस लेनी चाहिए, परिवार दोस्तों में समय बिताना चाहिए, किताबें पढऩे संगीत सुनने से भी तनाव घटता है। तंबाकू का सेवन,नशीले पदार्थ जैसे कैफीन शराब तनाव को बढ़ाते हैं। कम करने से भी तनाव कम नहीं हो पा रहा तो मनोचिकित्सा से जरूर सलाह लेनी चाहिए वरना जीवन को जोखिम उठाना पड़ सकता है।
फोटो कैप्शन: डा.जितेंद्र मोरवाल
छठ पूजा 7 नवंबर को
सूर्य उपासना का पर्व है छठ पूजा
- कठोर तक और साधना को इंगित करता है पर्व
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कनीना की आवाज। छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलने वाला सूर्य उपासना का एक विशेष पर्व है जिसका समापन 8 नवंबर को होगा। इस पर्व में कठोर तप, स्नान, उपवास, बगैर पानी पिये लंबे समय तक पानी में खड़े होना और प्रसाद वितरण करके सूर्य को अर्घ देना शामिल है। महाभारत के कर्ण सूर्य के प्रमुख उपासक हुए हैं। यह दीपावली के 6 दिनों के बाद आने वाला विशाल पर्व है जो विशेषकर उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के कुछ भागों में बहुत प्रमुखता से मनाया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक माह में मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से पर्व मनाते हैं। इस पर्व को अनेक कथाओं से जोड़ा जाता है। एक कथा के अनुसार बताते हुए कनीना के आचार्य दीपक कौशिक बताते हैं कि इसका संबंध पांडवों के राजपाट से है। जब पांडव अपना राजपाट हार गए तो श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को छठ व्रत करने की बात कही। इस पर्व के करने से मनोकामना पूर्ण हुई और राजपाट वापस मिल गया। वैसे भी सूर्य देव और छठ मैया का संबंध भाई-बहन से जोड़ा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पर्व को विशेष माना जाता है क्योंकि सूर्य की पराबैंगनी किरणें इस समय अधिक मात्रा में धरती पर आती हैं। इनका कु-प्रभाव सभी जीव जंतुओं पर पड़ता है और इससे बचने के लिए भी सूर्य की पूजा की जाती है। यह पर्व 4 दिनों तक चलता है जहां अंतिम दिन 8 नवंबर को सूर्य की पूजा करके तब व्रत को खोला जाता है। 36 घंटे तक का लंबा व्रत रखा जाता है जिसमें पहले दिन नहाए और खाए चतुर्थी को किया जाता है, वहीं दूसरे दिन पंचमी को पूरे दिन उपवास रखा जाता है, तीसरे दिन छठ का पर्व होता है और पानी में खड़े होकर व्रत किया जाता है, छठ गीत गाए जाते हैं चौथे दिन जहां सूर्योदय होती अर्घ दिया जाता है और व्रत खोला जाता है।
उधर भक्ति मंदिर कनीना के घनश्याम गिरी का कहना है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है । इसे करने वाली स्त्रिया धन धान्य, पति पुत्र तथा सुख समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं। यह व्रत बड़े नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है। षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य को विधिपूर्वक पूजा करके अर्घ देते हैं। सप्तमी के दिन प्रात: काल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करती हैं। सूर्योदय अर्घ देती है।
उनके अनुसार प्राचीन काल में बिन्दुसार तीर्थ में एक महीपाल नाम का वणिक रहता था । वह धर्म कर्म तथा देवता विरोधी था। एक बार उसने सूर्य भगवान की प्रतिमा के सामने मल मूत्र का त्याग किया। परिणामस्वरूप उसकी आंखों की ज्योति चली गई। इसके बाद वह अपने जीवन से ऊबकर गंगा जी में डूबकर मर जाने को चल दिया। रास्ते में उसकी भेंट महर्षि नारद से हो गई। नारद ने उससे पूछा- आप,जल्दी जल्दी किधर जा रहे हो महीपाल रोते रोते बोला मेरा जीवन दूभर हो गया है । मैं अपनी जान देने हेतु गंगा में कूदने जा रहा हूं। मुनि बोले मूर्ख प्राणी तेरी यह दशा भगवान सूर्य देव के कारण हुई है इसलिए कार्तिक मास की सूर्य षष्ठी का व्रत रख तेरे सब कष्ट दूर हो जायेंगे। वणिक ने ऐसा ही किया तथा सुख समृद्धि पूर्ण दिव्य ज्योति प्राप्त कर स्वर्ग का अधिकारी बन गया।
फोटो कैप्शन: घनश्याम गिरी कनीना
सीए फाउंडेशन में एसडी का रहा दबदबा
--दो बच्चों का हुआ चयन
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कनीना की आवाज। एसडी विद्यालय ककराला के वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी धीरज व खुशी गुप्ता ने इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट आफ इंडिया के सौजन्य से आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर अपने माता-पिता, विद्यालय व क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
एसडी गु्रप के चेयरमैन जगदेव यादव ने इस सफलता पर बधाई देते हुए बताया कि धीरज व खुशी ने यह परीक्षा पास की है, जो सबके लिये गर्व का विषय है। इस से पहले भी 2024 में सीए फाउंडेशन में तीन विद्यार्थी व सीएस में दो विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की है। सीए फाउंडेषन परीक्षा कामर्स संकाय के लिए अति महत्वपूर्ण परीक्षा है। आगे चलकर यही विद्यार्थी देश की अर्थव्यवस्था का भार अपने कन्धों पर लेते है। इस उपलब्धि पर उन्होंने अभिभावक व सभी शिक्षक गण को बधाई दी।
इस अवसर पर प्राचार्य ओमप्रकाश, वरिष्ठ सदस्य राजेन्द्र यादव, सीईओ आरएस यादव, वरिष्ठ विभाग के मुखिया पूर्ण सिंह, सुरेन्द्र कुमार चौहान, धनराज, सुनील यादव, अनिता एवं समस्त स्टाफ उपस्थित था।
फोटो कैप्शन 01: एसडी स्कूल के दो विद्यार्थी सीए की प्रवेश परीक्षा में सफल
स्कूल में ही बना है धार्मिक संस्थान
-नवंबर माह में होती जमकर पूजा अर्चना
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव ककराला में शहीद के नाम से 12वीं तक का सरकारी स्कूल बना हुआ है। स्कूल की सबसे बड़ी विशेषता है कि स्कूल में बाबा भैया नामक धार्मिक स्थान बना हुआ है। नवंबर माह में यहां दो दिनों तक जमकर पूजा की जाती है। ककराला गांव का प्रमुख देवता भी बाबा भैया ही है जिसके चलते अब तो ग्रामवासियों ने स्कूल के मुख्य द्वार पर ही विशाल बाबा भैया का मंदिर बना दिया है किंतु लोग पूजा अर्चना के लिए आखिर पुराने स्थान स्कूल परिसर में ही जाते हैं। यही कारण है कि जब नवंबर माह में दो दिनों तक पूजा होती है तो अपार भीड़ जुटती है और स्कूल में अवकाश जैसी स्थिति बन जाती है। यह क्षेत्र का एकमात्र ऐसा स्कूल है जहां 12वीं तक के विद्यार्थी पढ़ते हैं और इस विद्यालय में ही बाबा भैया आश्रम है। बाबा भैया के नाम से यहां एक क्लब भी बना हुआ है। बाबा भैया के डा. राजीव यादव ने बताया कि गांव में ही नहीं आसपास भी बाबा भैया के प्रति लोगों में गहन आस्था है। यही कारण है कि पुराने समय से स्कूल में चले आ रहे बाबा भैया की पूजा अर्चना की जाती है और अब तो स्कूल के दरवाजे के पास ही बने हुए नये विशाल बाबा भैया मंदिर में भी पूजा होती है किंतु स्कूल परिसर में जितने भक्त आते उतने कहीं नहीं जाते क्योंकि पुराना स्थान बाबा भैया का स्कूल में ही स्थित है। इस समय प्राचार्य पद पर का कनीना निवासी विजयपाल यादव कार्यरत है और हाल ही में उनकी प्राचार्य पद पर पदोन्नति हुई है। उन्होंने बताया कि है इस गांव के पुराने समय का देवता है बाबा भैया ही है जो स्कूल परिसर में स्थित है। इसलिए स्कूल के अंदर ही पूजा अर्चना करने से कोई मना नहीं कर सकता। जहां पूजा अर्चना करने के लिए भक्त दूर दराज से आते हैं। इस प्रकार विद्यार्थी शिक्षावान के साथ साथ आस्थावान भी बन रहे हैं।
फोटो कैप्शन 02: राजकीय स्कूल के मुख्य कैंपस में बाबा भैया पूजा स्थल।
श्रीमद्भागवत गीता का ले ज्ञान, करें गीता प्रश्रमाला में रजिस्ट्रेशन
-भगवान श्रीकृष्ण को करे याद, जीते सर्टिफिकेट्स एवं इनाम
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कनीना की आवाज। हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा गीता प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का रजिस्ट्रेशन शुरू किया हुआ है। 17 नवंबर से प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता शुरू होगी। भरत के नाम पर बने भारत देश और उसमें हरियाणा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कदम रखा उसमें गीता का बहुत बड़ा रोल है। वैसे तो गीत पूरे ही संसार में अहं पुस्तक है परंतु हरियाणा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कदम रखे उसके प्रति जरूर थोड़ी जानकारी होनी चाहिए। परंतु अफसोस होता है कि बहुत कम लोग गीता के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। गीता समस्त जगत का ज्ञान का सार है। सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में सरकार का आदेश है कि विद्यार्थियों को गीता के प्रति जागरूक करें, सभी अध्यापक, आम आदमी और विद्यार्थी मिलकर गीता के प्रति जागरूक हो सकते हैं साथ में नाम और सर्टिफिकेट भी दी जाती है। ऐसे में भी मेरे द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी एकाध व्यक्ति गीता से जुड़ रहा है। आपसे निवेदन है कि नीचे गए दिए गए लिंक को क्लिक करके पांच कालम अलग-अलग खुलेंगे जिसमें मोटीवेटर में 9416348400 भर दे और बाकी खाने जिसमें फोन नंबर, गांव नाम और विद्यार्थी या पब्लिक को चुने व रजिस्टर करें। ओटीपी आने पर अपने फोन में ओटीपी भरे और वेरीफाई कर दे। वेरीफाई को दबाते ही ग्रीन टिक के बनेगी। 17 नवंबर से पांच प्रश्र पूछे जाएंगे जिसमें फोन नंबर और ओटीपी दो चीजें काम आएंगी। 5 प्रश्नों के उत्तर देने हैं, खुद भी सोच और मैं भी तुम्हें सभी को संभावित उत्तर भेजने का विगत वर्षों की तरह प्रयास करूंगा। ऐसे में आप गीता से जुड़े और मोटीवेटर में 9416348400 भरने का कष्ट करें। ताकि जिला महेंद्रगढ़ ही नहीं पूरे हरियाणा में कनीना का भी नाम हो सके।
लिंक एवं मोटिवेटर निम्र हैं--
1. सबसे पहले निम्र को क्लिक करें--
https://igmquiz.in/
. निम्ननुसार भरें जैसा कि-
1. पब्लिक हरियाणा/स्टूडेंट हरियाणा/स्टूडेंट ओडिशा/स्टूडेंट बाकी स्टेट
2. गांव का नाम
3 अपना नाम
4 अपने फोन नंबर
5 मोटिवेटर 9416348400
मोटिवेटर का ध्यान रखे इसमें केवल 9416348400 ही भरे
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