कोसली विधायक पहुंचे संत उधौदास आश्रम में
-गोवर्धन का प्रसाद किया ग्रहण,की खुलकर चर्चा
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कनीना की आवाज। कनीना के समीपी गांव जैनाबाद स्थित संत उधौदास आश्रम में महाराज लालदास से मिलने तथा गोवर्धन का प्रसाद ग्रहण करने विधायक अनिल कुमार पहुंचे। इस मौके पर संत ने उनका स्वागत कियाद्ध अनिल विधायक ने प्रसाद ग्रहण किया तथा बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया।
संत ने बताया कि अनिल कुमार की इन चुनावों में जमकर मदद की है। यही कारण है कि बाबा के बुलावे पर तुरंत अनिल कुमार पहुंच जाते हैं। उन्होंने आम भक्तों की पंगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। उन्हें संत ने अपने हाथों से प्रसाद भेंट किया। उन्होंने संत से कहा कि जो भी कोई उनके लायक आवश्यकता हो एक बार सूचित कर दे वो तुरंत हाजिर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है इस प्रकार के महान संत हमारे क्षेत्र में है जिनके कारण उधोदास आश्रम का नाम दूर दराज तक विख्यात है। उन्होंने कहा कि संतों से अगर कोई आशीर्वाद मिल जाता है तो वह सदा फलीभूत होता है। उन पर संत महाराज का सदा आशीर्वाद था और बना रहेगा। संत लाल दास महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि अब क्षेत्र के विकास के कार्यों को पूरा करवाये, यही उनकी इच्छा है। ताकि किसी प्रकार की आम जन को कोई दिक्कत नहीं रहे। इस मौके पर लाल दास महाराज के यहां हवन आयोजित हुआ। हवन स्वयं लाल दास महाराज ने ने पूर्ण करवाया, पूर्णाहुति दी, भजन सत्संग चले तथा दिनभर भंडारा एवं अन्नकुट का प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर योगीराज आईटीओ रोहतक, रामशरण सेके्रेटरी, मास्टर प्रताप सिंह, रणधीर सिंह, निहाल सिंह, ओमप्रकाश टीटी आदि भक्त उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 4: संत लाल दास से विधायक अनिल कुमार मिलते हुए
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार-45
--भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है
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कनीना की आवाज। 1957 में दिलीप कुमार की बहुत प्रसिद्ध फिल्म नया दौर नाम से आई थी। यह कहानी एक मेहनतकश तांगेवाले की प्रतिस्पर्धा एक मोटर चालक से होती है। अंतत: स्पर्धा में तांगेवाला जीत जाता है परंतु बहुत देरी से जीत हुई। इस फिल्म में रफरी का गाया हुआ एक बहुत सुंदर गीत था आना है तो आ राह में कुछ फेर नहीं है भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है।
ये लाइन शत प्रतिशत कनीना के डा. होशियार सिंह पर लागू होती हैं, जो 40 वर्षों का शिक्षण करके सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके विचार उन्हीं के शब्दों में सुनिए---
उपरोक्त शब्द मुझ पर शत प्रतिशत लागू होते हैं क्योंकि मेरे लिए हर काम देरी से हुआ चाहे मुझे देरी से नौकरी मिली, देरी से शादी हुई, पत्नी भी चल बसी दूसरी शादी देरी से हुई, अब बच्चों की शादी भी देरी से हो पाएगी ,देरी से ही स्थायी नौकरी मिली, देरी से ही मान सम्मान मिलने शुरू हुए, अब देरी से ही मेरे हक मुझे मिलेंगे। यह सत्य है कि जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया था कि पैसे की कोई कमी नहीं थी, ट्यूशन करके इतने पैसे कमा लिए की परेशान हो उठा कि इन पैसों को क्या किया जाए? परंतु कहते हैं वह देने वाला जब वापस लेता है तो सब कुछ छीन लेता है। जो पैसे कमाए थे वो पत्नी की बीमारी पर खर्च हो गए और कर्जे में डूब गया। साथियों ने कुछ सही सलाह नहीं दी, सलाह भी मिली तो देरी से मिली, जब तक बहुत देर हो चुकी थी। नौकरी भी मिली बहुत देरी से जब बीएड कर ली उसके पूरे 9 वर्षों तक घर बैठा रहा। उस वक्त विज्ञान के अध्यापक ढूंढे भी नहीं मिलते थे और मुझे कोई ढूंढ नहीं रहा था। आखिरकार 1995 में अस्थाई नौकरी मिली और वो भी समाप्त होने की नौबत आ गई। और 2003 में जाकर के स्थायी नौकरी मिल पाई। चतुर्थ श्रेणी, जेबीटी, मास्टर, प्राध्यापक एवं अन्य पदों पर नियुक्तियों मिली पर देरी से। 2000 में देरी से शादी हुई और पत्नी भी कैंसर से पीडि़त होना बड़ा दुर्भाग्य रहा, जो पैसे कमाये थे सारे खर्च कर दिए। लोगों ने एवं साथियों ने सही सलाह नहीं दी, परिणाम देरी से होश में आया और लोगों को देरी से भुला पाया। अगर उन्हें पहले ही दूर कर देता तो जीवन का नजारा ही कुछ ओर होता। जो पास बैठे उन्होंने थाली में खाकर थाली में इतना बड़ा छेद कर दिया कि भरने में लंबा अर्सा लगा। जब तक बहुत देर हो चुकी थी। दूसरी शादी देरी से हुई, अब बच्चों की शिक्षा दीक्षा चल रही है और उनकी शादी, नौकरी सब देरी से होने की संभावना बनी हुई है। खैर जो भी हुआ अच्छा ही हुआ और होगा वह भी अच्छा ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवत गीता में सत्य ही कहा है। अब जब सेवानिवृत्त हो गया तो निकृष्ट अधिकारियों ने हकों पर डाका डाल लिया जो मिलेंगे लेकिन देरी से मिलेंगे। उन राक्षसी प्रवृत्ति के चंद अधिकारियों को सजा भी मिलेगी पर देरी से मिलेगी। ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है कि हक किसी का कितने दिन कोई छीन पाएगा, एक न एक दिन हक मिलकर ही रहेंगे।
मेरे जीवन में देरी शब्द जुड़ा हुआ है तो सत्य साबित होगा। यहां तक कि कनीना के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अंगनाराम ने मेरे बाबत स्पष्ट लिखा है कि उनकी मौत भी देरी से होगी अर्थात लंबा समय बिताना होगा परंतु पता नहीं इतनी देरी के पीछे शायद पिछले जन्मों की कोई गलती रह गई होगी? जिसकी सजा आप मिल रही है। रही बात सम्मान की वो भी देरी से मिलने शुरू हुए हैं। जहां तक शिक्षक, लेखन एवं पत्रकारिता में सम्मान मिले वो बड़े नहीं मिले। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा सम्मान सेवानिवृत्ति के 3 साल पहले मिला जिसके कारण कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल पाया। अब देरी से लाभ मिलने लगे हैं, विश्व रिकार्ड, इंडिया बुक रिकार्ड में नाम भी दर्ज हो गए परंतु अब इनका कोई लाभ नहीं। बहुत देर हो चुकी है। अब तो सोते सोच विचार जारी है कि अब क्या होगा? 42 कृतियों की रचना की, उनसे भी कोई लाभ नहीं मिला। करीब 100 पुस्तके मेरे कंप्यूटर में कैद है आने वाले समय में यदि पैसे हुए तो प्रकाशित हो पाएंगी। बहरहाल कृतियों के क्षेत्र में भी सम्मान अगर कोई मिलेगा तो वह भी देरी से ही मिलने की संभावना है। इसलिए देरी शब्द और मेरे बीच अटूट संबंध बना हुआ है। देरी शब्द मुझे छोडऩे वाला नहीं है।
विभिन्न मंदिरों में मनाया गोवर्धन पर्व
-बांटा अन्नकूट
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में शनिवार को अन्नकूट का पर्व मनाया गया। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी गई जिसे लोगों ने चाव से खाई। कनीना क्षेत्र में पहली बार दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पर्व मनाया गया वरना अक्सर दीपावली से अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है।
कनीना ही नहीं अपितु समीपी गांवों में भी यह पर्व मनाया गया। कनीना के बड़ा मंदिर में दिनभर अन्नकूट बांटा गया वहीं खाटू श्याम मंदिर, लेखराम बाग कनीना, कनीना मंडी के विश्वकर्मा मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर में अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया गया। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग।
लालदास महाराज ने अपने भक्तों को जानकारी देते हुए बताया कि एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है। इस दिन विभिन्न मंदिरों में अन्नकूट बनाकर वितरित किया गया। गौशालाओं में गायों को खिलाया मीठा भोजन। धनौंदा के कृष्णानंद आश्रम में जसवंत सिंह एवं अन्य भक्तों ने अन्नकूट का प्रसाद बांटा।
उधर लालदास महाराज ने अपने हाथों से कढ़ी खिंचड़ी आदि वितरित की। उन्होंने बताया कि लंबे समय से उनके यहां गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है।
उधर कनीना ठाकुर जी के मंदिर में अन्नकूट का ठाकुर का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। इलाके में पैदा होने वाले बच्चों के मां सहित अनेक महिलाओं ने ठाकुर के मंदिर में आकर प्रसाद ग्रहण करती है और ठाकुर से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करती हैं । कनीना में सबसे पहला ग्राम देवता ठाकुर ही है जिनके पुजारी को स्वामी कहा जाता है मंदिर में स्त्री पुरुष ने लाइन में लगकर प्रसाद ग्रहण किया।
कनीना के खाटूश्याम मंदिर में अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया। महेंद्र सिंह, दुलीचंद साहब ने बताया कि वर्षों से यहां अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाता है। मंदिर कमेटी के सभी सदस्य सेवा करते हैं।
कोटिया के पास स्थित भक्ति मंदिर में अन्नकूट वितरित किया गया। घनश्यामगिरी ने अपने हाथों से प्रसाद वितरित किया। घनश्यामदास ने बताया कि विभिन्न पर्वों पर यहां धूम मची रहती है। कनीना के लेखराम बाग में अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया। मनोज गुप्ता ने बताया कि विगत आठ वर्षों से यहां यह परंपरा चली आ रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी गोवर्धन पर्व मनाया गया। गुढ़ा गांव में अन्नकूट वितरित किया गया। गुढ़ा के ्रविजेंद्र दीक्षित ने बताया कि गांव के सत्यनारायण मंदिर में अन्नकूट का पर्व मनाकर अन्नकूट वितरित किया। इस मौके पर शुभकरण जोशी, राम अवतार शर्मा, विजेंद्र दीक्षित, पूर्णचंद शर्मा, हजारी जांगिड़, कश्मीर रोहिल्ला, भारती प्रजापति, विशाल, जतिन, विक्की, मांसी, गौरव, नरेश, महावीर नंबरदार, धर्मपाल दीक्षित,रामनिवास, सुभाष, दिनेश मित्तल आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: कनीना मंडी में हवन करते हुए।
02: गुढ़ा में अन्नकुट बनाते हुए
03:प्रसाद ग्रहण करते भक्त।
12 नवंबर देव उठावनी एकादशी होने से भी गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी
---उधौदास आश्रम जैनाबाद में चलेंगे कई कार्यक्रम
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कनीना की आवाज। हल्की सर्दी दस्तक देने से गर्म कपड़ों की की मांग बढऩे लगी है। आधुनिक दर्जे के गर्म कपड़ों की मांग को देखते हुए दुकानदार भी विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े रखने लग गए हैं और आए दिन फैशन के नाम पर दुकानें खुलने लगी हैं।
12 नवंबर से देव उठनी एकादशी पर विवाह शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में कपड़ों की विशेषकर आधुनिक कपड़ों की मांग बढऩे लगी है। सिले हुए कपड़ों की दुकान एवं सिलाई करने वाले दर्जियों के पास कपड़े सिलवाने वालों की मांग बढ़ी है वहीं स्कूल एवं कालेजों में जाने वाले विद्यार्थी एवं जवां दिखने की ललक वाले जन फैशन प्वाइंटों पर जाकर आधुनिक दर्जे के फैशनवाले कपड़े खरीदने लगे हैं।
विगत करीब तीन वर्षों में सिले हुए कपड़ों की दुकानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्तमान में करीब तीन दर्जन नए नए फैशन की दुकानें तथा कई सिले हुए कपड़ों की दुकानें खुल चुकी हैं जहां युवा पीढ़ी कपड़े लेने जरूर जाते हैं।
क्या कहता है दुकानदार-
आधुनिक दर्जे के कपड़े सिलने व आधुनिक दर्जे के फैशन के कपड़े की दुकान करने वाले महेंद्र कुमार, शेर सिंह, मनोज का कहना है कि नए डिजाइन एवं आधुनिकता से परिपूर्ण एवं गर्म कपड़ों की बेहद मांग हैं। वे दिल्ली से इस प्रकार के कपड़े लाकर युवाओं के लिए प्रदान कर रहे हैं। युवा एवं अन्य जन बेहद आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में शादियां शुरू होने जा रही हैं जिसके चलते नए डिजाइन के कपड़े सिलवाने वालों का तांता लगने लगा है।
देवउठानी एकादशी 12 नवंबर को-
देव उठानी एकादशी 12 नवंबर से शुरू हो रही है। इस दिन विवाह शादी शुरू हो जाएंगी तथा विभिन्न विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मिली जानकारी अनुसार अकेले कनीना में एक दर्जन के करीब शादियां हो रही है तथा देव उठानी एकादशी का दिन विवाह शादियों के लिए सबसे शुभ दिन होता है। लंबे समय से विवाह शादी करने वाले इस दिन का इंतजार कर रहे थे। एकादशी पुनीत कार्य पुण्य के बराबर होते हैं। यही कारण है कि इस दिन विवाह शादियां की जाती है।
निर्वाण दिवस-
उधौ आश्रम के बाबा लाल दास ने बताया कि उदास निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन पवित्र ग्रंथ की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न कार्यक्रम उदास आश्रम में आयोजित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय उठानी एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 13 नवंबर को भंडारा भी चलेगा।
भैया दूज पर्व पर कुंभ लग्न में तिलक लगाना
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कनीना की आवाज। पंडित ऋषि राज शर्मा ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीय तिथि का आरंभ 2 नवंबर रात 8 बजकर 20 मिनट द्वितीया तिथि समाप्त 3 नवंबर रात 10 बजकर 04 मिनट है। ऐसे में भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा। जबकि भाई दूज पूजन का समय दिन में कुंभ लग्न में 13 बजकर 54 मिनट से 15 बजकर 22 मिनट तक उत्तम रहेगा।
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है।
पंडित ऋषिराज शर्मा ने कहा कि , मान्यता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर सत्कार के साथ भोजन कराया था। यमराज के वरदान अनुसार जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। यमुना को सूर्य की पुत्री माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि वे सभी तरह के कष्टों को दूर करती हैं। इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करना और यमुना और यमराज की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
पंडित ऋषि राज शर्मा ने कहा कि भाई दूज पर बहनों को अपने भाई को उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद, बहनें अपने भाई का मुंह मीठा कराना चाहिए और फिर इसके बाद भाई को नारियल और चावल दें। इसके बाद भाई की आरती उतारें और उनके भाग्योदय और लंबी उम्र की कामना करें। भाइयों को भी अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि इससे भाई-बहन का स्नेह हमेशा बना रहता है।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज
03 नवंबर को मनेगा कनीना एवं आस पास भैया दोज
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है भैया दूज
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कनीना की आवाज। भाइयों के प्रति बहनों के प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने भाई को नारियल देकर टीका करती है, टीका करने के बाद बहने भाई आरती करती करती है, बदले में भाई अपने बहन को गिफ्ट देती है। ये विचार आचार्य दीपक कौशिक ने व्यक्त किये।
वर्ष में दो बार भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने वाले पर्व भैया दूज का आगाज होता है। होली एवं दीपावली के पर्व के बाद यह पर्व आता है। महिलाएं अपने भाई के आने का बेसब्री से इंतजार करती हैं और व्रत रखकर उनके आने पर खाना खाती है।
उन्होंने सुनाई पूरी कहानी-
आचार्य दीपक कौशिक ने पूरी कथा सुनाते हुये बताया कि भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
इस दिन बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना के लिए यम से प्रार्थना की जाती है। भाई चलकर बहनों से मिलने के लिए गए। यह पर्व सभी पर्वों में सबसे बड़ा होता है। इस दिन बहना कहीं भी हो उससे मिलने भाई जरूर जाता है और बहने उन्हें तिलक कर अपने हाथों से मीठा भोजन कराकर फिर भोजन ग्रहण करती हैं। इस पर्व पर बहने अपने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए यमराज से प्रार्थना करती हैं।
खजाना कार्यालयों में 4 नवंबर से शुरू होगी जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की प्रक्रिया
सरकार ने पेंशन धारकों को तीन विकल्प उपलब्ध कराए
---ऑनलाइन, ऑफलाइन तथा इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के प्रतिनिधि के माध्यम से घर बैठे भी दे सकते हैं प्रमाण पत्र
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कनीना की आवाज। जिला के खजाना कार्यालय तथा उप खजाना कार्यालयों से पेंशन लेने वाले सभी पेंशनधारक नागरिकों के लिए अपना जीवन प्रमाण पत्र देने के लिए सरकार ने तीन विकल्प मुहैया कराए हैं। जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हो जाएगी। जो पेंशनधारक सीधे बैंकों के माध्यम से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं वे अपना जीवन प्रमाण पत्र सीधे बैंकों में जमा कराएं।
यह जानकारी देते हुए जिला खजाना अधिकारी विपिन यादव ने बताया कि पेंशन प्राप्त करने वाले सभी पेंशनधारक चार नवंबर से अपना जीवन प्रमाण पत्र संबधित खजाना व उप खजाना कार्यालय के साथ-साथ अन्य माध्यम से भी अपना जीवित होने का प्रमाण दे सकते हैं। अब खजाना कार्यालय आने की बजाय सीएससी केंद्र या स्वयं ऑनलाइन ऑनलाइन प्रमाण पत्र भेज सकते हैं।
श्री यादव ने बताया कि ऑनलाइन प्रमाण पत्र स्मार्टफोन के माध्यम से बड़ी आसानी से जमा करवाया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई फीस का प्रावधान नहीं हैं। उन्होंने बताया कि पेंशनधारक के परिवार का कोई भी सदस्य अपने स्मार्टफोन के माध्यम से ये कार्य कर सकता है।
पेंशनधारक को तीसरे तरीके की जानकारी देते हुए बताया कि जो पेंशनधारक बीमार व ज्यादा उम्र होने के कारण कहीं आने-जाने में असमर्थ हैं, वो अपना डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के प्रतिनिधि के माध्यम से घर बैठे भी दे सकते हैं, जिसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क की दरें लागू रहेंगी। उन्होंने बताया कि जो पेंशनधारक घर बैठे पहली बार ऑनलाइन माध्यम से अपना जीवन प्रमाण पत्र देना चाहते हैं है वो पहले स्वयं या अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से खजाना/उपखजाना कार्यालय में उपस्थित होकर पेंशन पोर्टल पर अपना आधार अपडेट करवाएं ताकि उनको किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
उन्होंने बताया कि पारिवारिक पेंशनधारकों को ऑनलाइन माध्यम के साथ-साथ पुनर्विवाह, पुन: रोजगार न होने के प्रमाण पत्र भी खजाना/उपखजाना कार्यालय में उपस्थित होकर जमा करवाना पड़ेगा। पति-पत्नी के अलावा अन्य आश्रित पेंशनधारकों को अपने जीवन प्रमाण-पत्र, विवाह तथा रोजगार न होने का प्रमाण पत्र एवं उसके साथ नवीनतम आय प्रमाण पत्र भी जमा करवाना जरूरी है।
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पेंशन धारकों की सुविधा के लिए अलग-अलग दिन निर्धारित
कनीना। जिला खजाना अधिकारी ने बताया कि पेंशन धारकों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए अलग-अलग उम्र के लिए अलग दिन निर्धारित किए गए हैं। इस व्यवस्था से कार्यालय में भी एक साथ भीड़ जमा नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि 4 से 8 नवंबर तक 75 वर्ष से ज्यादा आयु वाले पेंशनधारक, 11 से 14 तक 65 से 75 वर्ष आयु वाले पेंशनधारक, 18 से 22 तक 58 से 65 वर्ष आयु वाले पेंशनधारक अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा करवा सकते हैं। 25 व 26 को बाकी बचे हुए पेंशनधारक अपना जीवन प्रमाण पत्र खजाना/उपखजाना कार्यालय में जमा करवा सकते है ताकि पेंशन का वितरण समयानुसार किया जा सके।उन्होंने सभी पेंशनधारकों से अनुरोध किया है कि किसी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए अपने उम्र समूह की तिथि (राजपत्रित अवकाश को ध्यान में रखते हुए) अनुसार ही जीवन प्रमाण जमा करवाने के लिए उपस्थित हों।
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ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र के लिए डाउनलोड करें ये ऐप
नारनौल। जिला खजाना अधिकारी विपिन यादव ने बताया कि यह प्रमाण पत्र ऑनलाइन मोड में जमा करवाने के लिए सबसे पहले
जीवन प्रमाण पत्र फेस ऐप तथा दूसरा आधार फेस आरडी, दोनों सॉफ्टवेयर/ऐप प्ले स्टोर से अपने स्मार्टफोन से इंस्टाल करने होंगे। इसके बाद पेंशनर का जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।
ये दस्तावेज लेकर आए पेंशनधारक
जिला खजाना अधिकारी विपिन यादव ने बताया कि पेंशनर अपने साथ आधार कार्ड, पैनकार्ड, परिवार पहचान पत्र व पीपीओ की फोटो प्रति अवश्य साथ लेकर आएं तथा मोबाईल फोन जो पैंशन खाते से जुड़ा हो ओटीपी के लिए साथ लेकर आएं।
ग्राम बवानिया में रक्तदान शिविर का आयोजन
-50 यूनिट रक्तदान किया
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कनीना की आवाज। हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में बवानिया में सर्वोदय संगठन ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का आयोजन हरियाणा रेडक्रास सोसाइटी, नारनौल के तत्वाधान में किया गया।
इस अवसर पर ग्राम बवानिया के सिविल जज डा. विकास यादव बतौर मुख्य अतिथि तथा राजेश शर्मा, मैनेजर, गुडग़ांव ग्रामीण बैंक, बवानिया बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि सिविल जज ने स्वयं भी रक्तदान किया। रक्तदान शिविर में बढ़-चढ़कर ग्रामीणों ने भाग लिया। इसमें गांव की महिलाओं ने भी स्वेच्छा से रक्तदान किया तथा लगभग 50 यूनिट रक्तदान किया। इस अवसर पर पड़ोस के गांवों के युवा साथियों ने भी रक्तदान शिविर में बढ़-चढ़कर भाग लिया है। इस शिविर में अधिकतर रक्तदाता सर्वोदय संगठन, बवानिया के युवा साथी रहे हैं।
फोटो कैप्शन 06: रक्तदान शिविर बवानिया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के अवसर पर ऑनलाइन गीता प्रश्नमाला
- नगद पुरस्कार जीतने और प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का सुनहरा अवसर
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कनीना की आवाज। ऑनलाइन क्विज शुरू होने की तिथि:-
17th नवंबर से 27th नवंबर 2024 तक
क्विज के लिए रजिस्ट्रेशन 26th अक्टूबर से आरम्भ हो चुके हैं।
रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक👇🏻
http://igmquiz.in/
Participants Category
i) Student
ii) Public
Cash Prizes / Certificate:
A) हर रोज 1000-1000 रुपए के 20 ईनाम
B) क्विज के समापन पर लाखों रूपए के ईनाम
C) किसी भी जिले, राज्य या देश के नागरिक, विद्यार्थी व उनके मातापिता कोई भी इसमें भाग ले सकते हैं।
विशेष
1. Registration करते समय Referral/Motivator Contact Number में Motivator. का मोबाइल नंबर 9416348400 भरें।
2. आपके Registration के समय जो OTP आएगा वो आपका पासवर्ड रहेगा तथा आपका फोन न. आपका लॉगिन आईडी र…
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के अवसर पर ऑनलाइन गीता प्रश्नमाला - नगद पुरस्कार जीतने और प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का सुनहरा अवसर
ऑनलाइन क्विज शुरू होने की तिथि:-
17th नवंबर से 27th नवंबर 2024 तक
क्विज के लिए रजिस्ट्रेशन 26th अक्टूबर से आरम्भ हो चुके हैं।
रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक👇🏻
http://igmquiz.in/
Participants Category
i) Student
ii) Public
Cash Prizes / Certificate:
A) हर रोज 1000-1000 रुपए के 20 ईनाम
B) क्विज के समापन पर लाखों रूपए के ईनाम
C) किसी भी जिले, राज्य या देश के नागरिक, विद्यार्थी व उनके मातापिता कोई भी इसमें भाग ले सकते हैं।
विशेष
1. Registration करते समय Referral/Motivator Contact Number में Motivator. का मोबाइल नंबर 9416348400 भरें।
2. आपके Registration के समय जो OTP आएगा वो आपका पासवर्ड रहेगा तथा आपका फोन न. आपका लॉगिन आईडी रहेगा।
https://whatsapp.com/channel/0029VaIGF5eEquiUcpz5Br1A
3. प्रतिदिन 5 वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएँगे जिनका उत्तर आपको देना होगा ।
4. यह प्रतियोगिता भगवदद्गीता के प्रति रुचि उत्पन्न करने व जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। स्वयं भी भाग लें और अन्य को भी प्रेरित करें।
5. श्रीमद्भागवत गीता में विद्यार्थियों व आम व्यक्ति के लिए हर पहलू को बहुत ही विस्तृत रूप में चिह्नित किया गया है।
6. रजिस्ट्रेशन के लिंक के माध्यम से आपको रजिस्ट्रेशन, ईनाम व अन्य सभी जानकारी मिल जाएगी। फिर भी आप कहीं भी किसी भी बात को मैसेज के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं। फिर भी कोई दिक्कत हो तो आप मोटिवेटर के मो.नं 9416348400 पर संपर्क कर सकते हैं जी।
7. किसी भी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह प्रतियोगिता बहुत आवश्यक है ।
आप लोगों की सुविधा के लिए निम्र को क्लिक करें और मोटिवेटर में भरे 9416348400
https://igmquiz.in/
Motivator 9416348400
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