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Saturday, November 30, 2024


 

कई समस्याओं से जूझ रहे हैं कनीना के किसान
-रबी फसल पैदावार लेना तलवार की धार   
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क्षेत्र के किसान कई समस्याओं से जूझते आ रहे हैं। पैदावार लेने के लिए बिजली, पानी, खाद, गिरते जलस्तर, बीजों की जानकारी अभाव तथा कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में रबी फसल पैदावार लेना तलवार की धार के समान है।
   कनीना क्षेत्र का किसान यूं तो सदा ही मेहनत के बलबूते पर जीवित रहा है। कठिन परिश्रम करके अपनी आजीविका कमा रहा है। उसकी मुख्य फसलें खरीफ एवं रबी की होती है।  खरीफ की फसल वर्षा पर आधारित होती है। पहले ही भू-स्तर गिरता जा रहा है ऊपर से डार्क जोन घोषित होने से नलकूप खोदना आसान नहीं रहा है। वैसे भी नलकूप लगाना लाखों रुपये का खर्चा होता है। यह भी सत्य है कि प्रतिवर्ष उसके बिजली के उपकरण जलने की समस्या रहती है। जैसे तैसे उपकरण ऋण लेकर लगा भी देता है तो पानी की समस्या फिर भी आड़े आ जाती है क्योंकि बिजली कम आती है जिसके चलते पर्याप्त खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है। इस संबंध में कुछ किसानों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्र हैं--
 **कनीना क्षेत्र में नहरों की संख्या काफी है किंतु या तो उनमें पानी आता ही नहीं या फिर वह पानी पीने के लिए ही सप्लाई होता है। इस पानी को किसान ले नहीं सकते। खादों की कमी विगत वर्ष से अधिक चल रही है। बीज और दवाइयां भी तो अच्छे नहीं मिलते हैं। मिल भी जाते हैं तो अति महंगे होते हैं। किसान रूढि़वादी होने के कारण भी परेशान हैं क्योंकि वे नए बीजों का उपयोग करने की बजाए पूर्व में उपयोग करते आ रहे बीजों का ही उपयोग करना श्रेष्ठ समझते हैं।
---भरत सिंह किसान
 किसानों के सामने गिरते जलस्तर की समस्या भी तो विकराल बन रही है क्योंकि किसान प्रत्येक वर्ष डीप बोर करवाता है किंतु अगले वर्ष वह जलस्तर भी घट जाता है। ऐसे में दक्षिण हरियाणा का किसान हताश व निराश लगता है। उससे बात करने पर कृषि को घाटे का सौदा बताता है। इन हालातों में उसके लिए फसल पैदावार लेना तलवार की धार पर चलने के समान है।
---अनिल कुमार, किसान






मिशन बुनियाद के तहत सेमिनार आयोजित
-47 विद्यालयों ने लिया भाग
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शिक्षा विभाग व  जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश अनुसार राजकीय माडल संस्कृति स्कूल कनीना में 30 नवंबर शनिवार को मिशन बुनियाद व सुपर 100 के अंतर्गत विकल्प फाउंडेशन के तत्वाधान में एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर ने की एवं विकल्प फाउंडेशन के संजीव ने इसके बारे में विद्यार्थियों को जागरूक किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बीआरसी दिलबाग सिंह जी रहे । विधालय प्राचार्य सुनील खुडानिया ने सभी का स्वागत किया। इस सेमिनार में खंड नारनौल के 47 विद्यालयों के कक्षा आठ एवं दस के तीन तीन छात्रों ,उनके अभिभावकों तथा विद्यालय मुखियाओं व अध्यापकों ने भाग लिया। इस अवसर पर बुनियाद कार्यक्रम के जिला को-आर्डिनेटर रविंद्र कुमार ने मिशन बुनियाद व  सुपर 100 के नामांकन, नियमों व उनसे संबंधित सभी जानकारी के विषय में विस्तार से बताया उन्होंने कहा मिशन बुनियाद के नामांकन की अंतिम तिथि 20 दिसंबर तथा सुपर हंड्रेड के नामांकन की अंतिम तिथि 28 जनवरी है बुनियाद में चयन के लिए आगे तीन चरण की परीक्षा आयोजित की जाएगी। फाउंडेशन के अश्विनी यादव ने बताया कि बुनियाद कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है इसके लिए प्रदेश में 103 बुनियाद केंद्र बनाए गए हैं तथा 206 सेटेलाइट कक्षा कक्ष कार्यरत हैं। उन्होंने सभी छात्रों से फीडबैक प्राप्त की। मुख्य अतिथि  ने बताया कि छात्रों की शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने के लिए बुनियाद स्कीम के अंतर्गत निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की जाती है इसके प्रथम चरण की परीक्षा में सभी छात्रों की भागीदारी आवश्यक है। यह मिशन ऐसे प्रतिभावान छात्रों के लिए शुरू किया गया है।
फोटो कैप्शन 06: मिशन बुनियाद का शुभारंभ करते बीइओ कनीना।





मेरा शिक्षा का सफल पुस्तक से साभार- 63
पाठ खोरी स्कूल में बदली के बावजूद भीनहीं किया कार्यभार ग्रहण
--कई दिन बैठा रहा अपने घर
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 कनीना निवासी होशियार सिंह पूर्व शिक्षक ने जहां सेवा दौरान अनेकों बार तबादलों का कष्ट झेला वहीं कितने लोगों ने रंजिशवश उनका इधर-उधर तबादला करवाया। एक तबादला उनका मेवात में पाठ खोरी में 2015 में करवाया गया जिसकी कहानी बहुत अजीब और सुंदर है। कहानी होशियार सिंह के की जुबानी सुनिये-
 बात वर्ष 2015 की है जब मैं कनीना मॉडल स्कूल में कार्यरत था। इसी दौरान एक राक्षसरूपी शिक्षक ने एक संत से मिलकर मेरी बदली पाठ खोरी करवा दी। घटना 21 नवंबर 2015 की है। जब तबादले का पत्र कनीना स्कूल में पहुंचा तो राक्षसी शिक्षक ने बड़ी खुशी जाहिर की और उन्होंने जल्द से जल्द मुझे कार्यभार मुक्त करवाने का प्रयास किया। इसी दौरान मैं प्राचार्य तक पहुंचा। प्राचार्य उस दौरान वेद प्रकाश होते थे। उनसे निवेदन किया कि अभी मुझे कार्यभार मुक्त न  किया जाए क्योंकि अभी मैं इस हालत में नहीं हूं कि तुरंत प्रभाव से पाठ खोरी स्कूल में जा सकूं। उन्होंने कहा कि ठीक है मैं तुम्हें अभी कार्यभार मुक्त नहीं करूंगा लेकिन कुछ समय पश्चात न जाने प्राचार्य पर क्या प्रेशर आया तुरंत प्रभाव से मुझे कार्यभार मुक्त कर आदेश पंजिका में आदेश जारी करते हुए चपरासी मेरे पास भेज दिया। 21 नवंबर 2015 को आफटर नून अर्थात शाम के समय कार्यभार मुक्त कर दिया। मेरे सामने बड़ी कठिन परिस्थिति पैदा हो गई कि कहां जाया जाए। आखिर यह बदली किसने करवाई, बाद में पता चला? एक राक्षसी शिक्षक ने एक बड़े ही अच्छे संत को बहला फुसलाकर मेरी बदली करवा दी थी।
उसे समय हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार होती थी। अनेकों शिकायत इस रक्षसी शिक्षक ने की जिनमें पत्रकारिता करने का आरोप, अनेक प्रमाण भी लगा रखे थे। इसके कारण मेरी बदली पाठ खोरी कर दी गई तथा जांच के आदेश भी हो गये। इन शिकायतों का खुलासा बाद में हुआ जब मैं वापस कनीना आ गया, तब मुझे पता चला। मेरी इंक्वारी हुई जिसमें पता चला कि यह जांच वगैरह किसने करवाई हैं। मेरी बदली किसने करवाई है? वो जांच के पात्र सभी मेरे पास सुरक्षित रखे हुए हैं। ऐसी हालत में जब परिवार की हालत घर में अच्छी नहीं थी, मेरी पत्नी बीमार चल रही थी। ऐसे में कैसे कार्यभार ग्रहण किया जाए? ऐसे में एक ही बात दिमाग में सूझी कि चाहे कुछ भी हो मुझे अगले स्टेशन पर कार्यभार ग्रहण नहीं करना है। वैसे भी सरकार का आदेश होता है कि यदि अगले स्टेशन पर कार्यभार ग्रहण कर लिया जाए तो बदली रद्द नहीं मानी जा सकती। मन बना लिया कि मैं अगले स्कूल पाठ खोरी पर कार्यभार ग्रहण नहीं करूंगा। इसी बीच शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, कैलाश पाली और कंवरसेन वशिष्ठ के अलावा अनीता यादव पूर्व सीपीएस की मदद ली। एक ही बात सूझी की जब तक बदली वापस नहीं हो जाती मैं अपने घर पर ही रहूंगा। और मैंने  पाठ खोरी कार्यभार ग्रहण नहीं किया। कनीना स्कूल की रिलिविंग चिट लेकर घर पर बैठा रहा। लंबे समय तक बदली रद्द होने का इंतजार किया। इसी दौरान सबसे अधिक मददगार कैलाश पाली तथा कंवरसेन वशिष्ठ साथ में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा रहे।  कंवरसेन वशिष्ठ ने जो भूमिका निभाई वह सदा याद रहेगी। मैं उन्हें पंचकुला भेज दिया और यह कहकर भेज दिया कि जब तक मेरी बदली वापस ना हो तब तक आपको घर नहीं आना है, जो भी खर्चा लगेगा मेरा होगा। उन्होंने भी एक निश्चय कर लिया कि जब तक बदली रद्द नहीं होगी तब तक मैं वापस नहीं आऊंगा। इतनी बड़ी बात उन्होंने सूझी और वह पंचकूला तो कभी चंडीगढ़, कभी शिक्षा मंत्री के आवास पर, कभी कैलाश पाली के पास बार-बार संपर्क करते रहे। मैंने भी दिनरात फोन पर एक कर दिया। इसी बदली से पहले पूर्व सीपीएस अनीता यादव 17 नवंबर 2015 को मेरे घर मेरी पत्नी सुमन यादव को श्रद्धांजलि देने के लिए आई हुई थी। उसके बाद जब उन्हें पता चला तो उन्हें बड़ा दर्द हुआ और उन्होंने रामबिलास शर्मा से निवेदन किया कि कैसे भी इस बदली को रद्द किया जाए। रामबिलास शर्मा ने बार-बार पत्र लिखकर शिक्षा निदेशालय को भेजा, मेरे से भी बात की और आश्वासन दिया कि आपकी बदली रद्द हो जाएगी। उन पत्रों की प्रतियां मेरे पास आज भी सुरक्षित हैं। आखिरकार 15 दिसंबर 2015 आ गया, इसी दिन  पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई और उधर से कवरसेन वशिष्ठ का शाम के समय फोन आया कि आपकी बदली रद्द कर दी गई है। अब तुरंत प्रभाव से कनीना स्कूल में कार्यभार ग्रहण करें । उन्होंने सेक्स के जरिए मेरे पास तबादला रद्द का पत्र भेजा पत्र भेजा। इसी दौरान वो राक्षसी शिक्षक कंवरसेन वशिष्ठ से मिला और उनसे कहा कि इस शिक्षक की बदली रद्द करवाकर वो अच्छा नहीं कर रहे हैं। श्री वशिष्ठ ने घर आकर सारी कहानी बताई। उधर पत्र पाकर तुरंत मैं वेद प्रकाश से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि मैं छुट्टी पर चल रहा हूं क्योंकि भविष्य में सेवानिवृत्ति है। इसलिए मैं स्कूल नहीं आऊंगा। आप मैडम सुविरा यादव से मिले। उस समय इंचार्ज मैंडम होती थी। सुविरा यादव के घर पर जब मैं अपने साथी के साथ पहुंचा तो साफ इनकार कर दिया कि वह कार्यभार ग्रहण नहीं करवाएगी। ऐसे में गंभीर स्थिति बन गई कि तबादला रद्द भी हो गया फिर भी कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया जा रहा है। शिक्षकों की सहायता से मैडम सुविरा यादव तक निवेदन किया कि वह कम से कम एक दिन अवकाश ग्रहण कर ले ताकि उनकी अनुपस्थिति में कार्यभार ग्रहण बेवल के धर्मपाल द्वारा करवा दिया जाए। परंतु मैडम ने यह भी मना कर दिया। आखिर बार-बार निवेदन करके मैडम सुविरा आधे दिन के अवकाश पर चली गई और इसी समय धर्मपाल बेवल ने मुझे कार्यभार ग्रहण करवा दिया। इससे पहले ज्वाइन करने के लिए वेद प्रकाश प्राचार्य से भी हस्ताक्षर करवा लिए थे। महज मुझे कार्यभार कनीना स्कूल में ग्रहण करवाना था। परंतु बीच में अनेक अड़चने आई और आखिरकार धर्मपाल ने मुझे कार्यभार ग्रहण करवाया। तब तक चुनाव की घोषणा हो गई थी और पंचायत चुनाव की तैयारी में लोग लग गए थे। बाद में शिकायतों की मेरी लंबी जांच हुई, जिसमें उस राक्षसी शिक्षक ने मेरे विरुद्ध एक संत के मार्फत शिकायतें करवाई थी। उस संत को मैंने बहुत करीब से चुनावों में देखा था। मैंने उनकी मदद भी की थी। वो उस वक्त चौधरी ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी से अटेली से चुनाव लड़ रहे थे और मैं उनके साथ भी रहा था। परंतु उन्हें क्या मालूम कि राक्षसी शिक्षक होशियार सिंह की बदली करवाने पर तुला हुआ है। बाद में सारा खुलासा हुआ तो पता लगा कि कोई शिक्षक बहुत बड़ा राक्षस भी बन जाता है और उसकी मति तब तक भ्रमित रहती है जब तक उसे ठोकर न लग जाए। ठोकर एक दिन लग चुकी है और एक बड़ी ठोकर भविष्य  में लगने वाली हैं, ऐसा मुझे अंदेशा है क्योंकि बुराकरने वाले का बुरा निश्चित रूप से भविष्य में होता है। आज नहीं तो कल होगा परंतु जरूर होगा। वरना भगवान की अदालत बहुत लंबी होती है। इस दौरान प्राचार्य वेद प्रकाश ने मेरे अर्जित अवकाश भी काट लिए। दुख इस बात पर का हुआ कि 21 नवंबर2015 को शाम के समय कार्यभार मुक्त किया। उस दिन का भी अवकाश उन्होंने काट लिया। परिणाम यह है कि अब मुझे न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। इसका परिणाम भविष्य में आएगा और इसकी चपेट में कौन-कौन आएगा यह वक्त ही बताएगा।






हरी सब्जी का विकल्प है खरपतवार बथुआ
--ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर प्रयोग किया जाता है
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सब्जी महंगी होने के कारण किसान वर्ग न केवल खेतों में खरपतवार के रूप में उगने वाले बाथू/बथुआ को सब्जी के रूप में प्रयोग कर रहे हैं वहीं खेतों से उखाड़कर दूसरों को भी खाने की प्रेरणा दे रहे हैं। अब तो बाजार में भी दस से 15 रुपये किलो बिकता है।
 बाथू मानव के काम तो आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में रबी फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू, बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं जिसे आयुर्वेद में कई गुणों की खान व औषधियों में काम में लाया जाता है। इस संबंध में किसानों से चर्चा की गई-
** किसान गजराज मोड़ी ने बताया बाथू का किसी जमाने में गरीब तबके के लोग ही प्रयोग में लाते थे जो महंगी बाजार की सब्जी खरीदने में असमर्थ थे किंतु आजकल बदलाव आ गया है और अमीर एवं रोगी जनों के लिए रामबाण दवा का काम कर रहा है विशेषकर पेट की बीमारी एवं एनिमिया के शिकार इसे ढूंढते  फिरते हैं।
--रामानंद किसान
वैद्य बालकिशन का कहना है कि पेट की बीमारियों एवं खून की कमी को दूर करने में सहायक है।कीटनाशकों के प्रयोग तथा आधुनिक कृषि के यंत्रों  द्वारा जुताई के चलते बाथू की मात्रा कम होती जा रही है। दिसंबर से जनवरी माह में किसान खेतों में निराई करते हैं और इस शाक को उखाड़ फेंकते हैं क्योंकि यह पैदावार में बाधक बन जाता है। डाक्टर और हकीम इसे खून की कमी वाले व्यक्तियों और रक्त शोधक के रूप में उपयोग करने की सलाह देते हैं। इसके पत्ते गहरे हरे तथा टहनियां भी हरी होती हैं।
--वैद्य श्रीकिशन करीरा
वे इसे रायता, देसी सब्जी बनाने में प्रयोग कर रहे हैं वहीं आटे में मिलाकर रोटियां बना रहे हैं वहीं इससे जायकेदार पराठे भी बना रहे हैं। ये व्यंजन उनको बहुत अधिक भा रहे हैं। यही नहीं अपितु वे सरसों का साग व अन्य खेतों में पाई जाने वाली हरी सब्जियां प्रयोग में ला रहे हैं। खरपतवार के रूप में अपने आप खेतों में उगने वाला बाथू ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शाक माना जाता है। कई रूपों में मानव के काम आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू,बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं।
    --देवेंद्र सिंह किसान
    बाथू आजकल किसानों के लिए आय का साधन बनता जा रहा है। इसके गुणों को देखते हुए अमीर जन इसे बाजार से खरीद कर लाते हैं और बड़े ही चाव से खाते हैं जिससे सिद्ध होता है कि बीते जमाने की गरीबों की सब्जी अब अमीरों का भोजन बनती जा रही है। बाजार में किसान इसे उखाड़कर बेच रहे हैं और आमदनी कर रहे हैं।
खरपतवार के रूप में अपने आप खेतों में उगने वाला 'बाथूÓ ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शाक माना जाता है। कई रूपों में मानव के काम आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू, बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं  जिसे आयुर्वेद में कई गुणों की खान व औषधियों में काम में लाया जाता है। यह बहेत तेजी से बढ़ता है तथा एक खरपतवार है।
   -डा देवराज पूर्व कृषि अधिकारी
फोटो कैप्शन 05:बथुआ
साथ में डा देवराज, बालकिशन, दवेंद्र, रामानंद



 एड्स दिवस-01 दिसंबर
-एड्स है दुसाध्य रोग-रणधीर सिंह
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  एड्स एक दुसाध्य रोग है जिसे एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंशी सिंड्रोम मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) से होता है जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। जिसके चलते कोई भी रोग आसानी से शरीर पर धावा बोल देता है। यह रोग नहीं अपितु रोगों का समूह कहा जाता है। सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीडि़त लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीडि़त हो जाते हैं और शरीर को सर्दी जुकाम, फुफ्फुस प्रदाह इत्यादि घेर लेते हैं।
एडस कैसे फैलता है-
इस संबंध में कनीना के उप नागरिक अस्पताल के आईसीटीसी काउंसलर रणधीर सिंह बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के शुक्राणु,, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आता है तो उसे एड्स हो सकता है। आमतौर पर लोग एचआइवी पाजिटिव होने को एड्स समझ लेते हैं, जो कि गलत है। बल्कि एचआइवी पाजिटिव होने के 8-10 साल के अंदर जब संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। तब उसे घातक रोग घेर लेते हैं और इस स्थिति को एड्स कहते हैं।  यह पीडि़त व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करने ,दूषित रक्त आधान,संक्रमित सुई के से,एड्स संक्रमित मां से उसके होने वाली संतान को मिल सकता है।
लक्षण-
एचआईवी से संक्रमित लोगों में लंबे समय तक एड्स के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।  अधिकतर एड्स के मरीजों को सर्दी, जुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने का पता नहीं लगाया जा सकता। जब वायरस का संक्रमण शरीर में अधिक हो जाता है, उस समय बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। एड्स के लक्षण दिखने में आठ से दस साल का समय भी लग सकता है।  ऐसे व्यक्ति भी एड्स फैला सकते हैं।
क्या हैं लक्षण-
रणधीर सिंह बताते हैं कि एड्स के लक्षणों में वजन का कम होना,लगातार खांसी बने रहना, बार-बार जुकाम का होना,बुखार,सिरदर्द,थकान,शरीर पर निशान बनना, हैजा,भोजन से अरुचि,लसीकाओं में  सूजन जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। एचआईवी की उपस्थिति का पता लगाने हेतु एलिसा टेस्ट किया जाता है।
 पीडि़त के साथ खाने-पीने से, बर्तनों की साझीदारी से,हाथ मिलाने या गले मिलने से,एक ही टायलेट का प्रयोग करने से,मच्छर या अन्य कीड़ों के काटने से,पशुओं के काटने से,खांसी या छींकों से यह रोग नहीं फैलता।
एड्स का उपचार-
काउंसलर बताते हैं कि एंटी रेट्रोवाइरल थैरेपी दवाईयों का उपयोग किया जाता है। इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और अवसरवादी रोगों को ठीक करना होता है।  पीडि़त साथी या व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए, खून को अच्छी तरह जांच कर ही उसे चढ़ाना चाहिए। उपयोग की हुई सुइयों या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए, दाढ़ी बनवाते समय हमेशा नाई से नया ब्लेड उपयोग करना चाहिये।
फोटो कैप्शन: रणधीर सिंह काउंसलर



पंचबली देने से होते हैं पितृ प्रसन्न -सुनील कुमार
-अमावस्या 01 दिसंबर को
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कनीना की आवाज।
ज्योतिषाचार्य सुनील कुमार  शितिकंठा के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या  01 दिसंबर 2024 को है।  यह वह दिन होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, जिसके कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता। अमावस्या हर महीने आती है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
अमावस्या को पितरों को श्रद्धांजलि देने का दिन माना जाता है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील कुमार  शितिकंठा ने बताया कि अमावस्या के दिन पंच पंचबली भोग देना श्रेष्ठ माना गया है।
पंचबली भोग लगाने के लिए 5 केले के पत्ते या एक बड़ा पत्तल लें। उसमें 5 जगह भोजन रखें।
पहला पहला भोग पवित्रता की प्रतीक गाय को खिलाना चाहिए। इसी को गौ बली कहते हैं।
श्राद्ध कर्म का दूसरा भोग कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक श्वान (कुत्ता) को खिलाया जाता है। इस भोग को कुक्कर बली के नाम से जानते हैं।
तीसरा भोग मलीनता निवारक काक (कौआ) को खिलाया जाता है। इसलिए इसे काक बली कहते  हैं।
चौथा भोग देवत्व संवर्धक शक्तियों के निमित्त लगाया जाता है। यह भोग किसी छोटी कन्या या गाय को खिलाया जा सकता है। इस भोग को देव बली नाम से जानते हैं। पंचबली का पांचवां भोग श्रमनिष्ठा एवं सामूहिकता की प्रतीक चींटियों को अर्पित किया जाता है।
फोटो कैप्शन: सुनील कुमार ज्योतिषाचार्य





















 बिजनेस के नाम पर ठगे हजारों रुपये
- कनीना पुलिस में धोखाधड़ी का मामला दर्ज
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 कनीना उप-मंडल के गांव ककराला निवासी राजेश कुमार ने उसके बेटे उमेश कुमार के साथ बिजनेस के नाम पर धोखाधड़ी करने का मामला कनीना पुलिस में दर्ज करवाया है। उन्होंने पुलिस में दी गई शिकायत में कहा है कि उसके पुत्र उमेश को एक व्हाट्सएप ग्रुप जो सुरेश अमेजान के नाम से था में 28 नवंबर को जोड़ दिया गया।
व्हाट्सएप ग्रुप में उमेश कुमार से कहा गया कि यह अमेजान का पार्ट टाइम बिजनेस ग्रुप है। जिसमें उमेश कुमार को अमेजान के तीन उत्पादन लेने के लिए कहा गया। और उसके खाते में 150 रुपये आ गए। इसके बाद उमेश कुमार ने 1000 रुपये जमा करने को कहा गया जिस पर उमेश कुमार के खाते में 1650 रुपये आ गए। इसके बाद उमेश कुमार को उन पर विश्वास हो गया कि यह सही ग्रुप है और इसके बाद तीन बार में 5000 फिर 25000 तथा 1000 की ट्रांजैक्शन उनके द्वारा यूपीआई आईडी पर कर दी गई। इसके बाद उमेश कुमार को एक भी रुपये नहीं आया। पता चला कि उमेश कुमार के साथ धोखा हो गया। इसके बाद उमेश कुमार ने 1930 नंबर काल करके शिकायत दर्ज करवाई। राजेश कुमार ने मांग की है कि धोखाधड़ी करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जिसको लेकर कनीना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।


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