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Tuesday, November 19, 2024


 भगवतगीता का रजिस्ट्रेशन नहीं किया है तो कर ले आज
--उत्तर देकर पाये इनाम एवं सर्टिफिकेटस
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कनीना की आवाज।
भगवतगीता प्रश्रोत्तरी के प्रश्रों को अभी हल करें। चेक करें अगर कहीं गलत भरा हो तो फिर से रात 12 बजे तक ठीक कर ले।
19 नवंबर 2024 के 5 प्रश्रों के उत्तर निम्र हैं--
गीता प्रश्रोत्तरी के उत्तर भरें।
-अगर रजिस्ट्रेशन नहीं किया है तो अभी करें, फिर उत्तर भरे
कनीना। आज की प्रश्रोत्तरी के  कंफर्म उत्तर निम्र हैं-
19 नवंबर 2024 के 5 प्रश्रों के उत्तर निम्र हैं
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
अभी एक बार फिर से अवलोकन किया जाएगा। ऐसे में अपने उत्तर कितनी भी बार बदल सकते हैं। उत्तर स्वयं भी खोजे और गलत नजर आये तो अवगत कराये।
कैसे भरे उत्तर--
निम्र लिंक को क्लिक करें-
http://igmquiz.in/
फोन नंबर एवं पहले से मिला ओटीपी, पासवर्ड के रूप में भरे। यदि ओटीपी याद नहीं है तो फोरगेट पासवर्ड करें पुन: पासवर्ड/ओटीपी आएगा।
पांच प्रश्र एक एक करके खुलेंगे बारी-बारी से उत्तर भरे और फाइनल सब्मिट कर दे।
ध्यान रहे उत्तर रात 12 बजे तक कितनी ही बार बदल सकते हैं।
अगर अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं किया है तो निम्र लिंक को क्लिक करें-
http://igmquiz.in/
 नोट रजिस्टर्ड यट को दबाए
पांच खाने खुलेंगे उन्हें विद्यार्थी/पब्लिक गांव,नाम, फोन नंबर भरे मोटिवेटर अंतिम कालम होगा जिसमें केवल 9416348400 ही भरे जो मेरे हैं।
रजिस्टर करें। ओटीपी/पासवर्ड आएगा जिसे निर्धारित खाने में भरकर वेरिफाई कर दे। अब आप उत्तर देने के लिए तैयार हैं। उपरोक्त लिंक को क्लिक करे फोन नंबर व ओटीपी भरे। प्रश्रो के उत्तर भरे,फाइनल सब्मिट को जरूर दबाए।
मोटिवेटर में 9416348400 ही भरें ताकि आपको उत्तर मिल सकें।     हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के अवसर पर आनलाइन गीता प्रश्नमाला - नगद पुरस्कार जीतने और प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का सुनहरा अवसर*
17 नवंबर से 27 नवंबर
* रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक
http://igmquiz.in/
Participants Category
A) Student
B) Public

Cash Prizes / Certificate:

र) हर रोज 500-500 रुपए के 40 ईनाम
क्च) क्विज के समापन पर लाखों रूपए के ईनाम
ष्ट) मोटिवेटर्स को भी आकर्षक ईनाम राशि
ष्ठ) किसी भी जिले, राज्य या देश के नागरिक, विद्यार्थी व उनके माता पिता कोई भी इसमें भाग ले सकते हैं।
 विशेष
1. आपके Registration  के समय जो OTP आएगा वो आपका पासवर्ड रहेगा तथा आपका फोन न. आपका लागिन आईडी रहेगा।
2. Registration करते समय Referral/Motivator Contact Number में Motivator  9416348400 मोबाइल नंबर भरें।
3. प्रतिदिन 5 वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएँगे जिनका उत्तर आपको देना होगा ।
4. यह प्रतियोगिता भगवदद्गीता के प्रति रुचि उत्पन्न करने व जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। स्वयं भी भाग लें और अन्य को भी प्रेरित करें।
रजिस्ट्रेशन करते वक्त मोटिवेटर में 9416348400 ही भरे जो कनीना के डा. होशियार सिंह के हैं। विगत वर्षों की भांति वे प्रतिदिन प्रश्रों के उत्तर भी भेजेंगे
19 नवंबर 2024 के 5 प्रश्रों के उत्तर निम्र हैं
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
 रजिस्ट्रेशन नहीं किया है तो अभी कर ले। उत्तर आज रात 12 बजे तक भरें--                                                                                    19 नवंबर 2024 के 5 प्रश्रों के उत्तर निम्र हैं
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
1-a  2-d  3-b  4-d  5-d
किसी प्रकार की रजिस्ट्रेशन में दिक्कत हो तो मेरे फोन नंबर 9306300700   या  9416348400 पर संपर्क करें



मजदूर चौक बना कनीना का शिवालय चौक
--सुबह मिलते हैं भारी संख्या में खड़े मजदूर
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कनीना की आवाज।
कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास शिवालय चौक अब मजूदर चौक में तबदील होने लगा है। जहां सुबह सवेरे भारी संख्या में मजदूर बैठ जाते हैं। जिस किसी को मजदूर लेने होते हैं वो वहां पहुंच जाता है। ऐसे में यह चौक मजदूर चौक बनकर रह गया है।
 यूपी, बिहार, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश आदि से भारी संख्या में मजदूर आये हुये हैं जो विभिन्न किराये के घरों में रहते हैं। ये मजदूर चिनाई, कटाई, आइसक्रीम बेचना, कबाड़ी का काम, मजदूरी एवं अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं। जिस किसी को मांग होती है वह इस चौक से उन्हें वाहन में बैठाकर काम पर छोड़ देता है। अब तो हर शहर में इसी प्रकार की हालात बन गई है।
फोटो कैप्शन 2: मजदूर मजदूरी का इंतजार करते हुये।





चेलावास ग्राम पंचायतों के ट्यूबवेलों से केबल हुई चोरी, मामला दर्ज
--सर्दियों में हर वर्ष बढ़ जाती हैं चोरियां
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कनीना की आवाज।
 कनीना उप-मंडल के गांव चेलावास से दो पंचायती ट्यूबवेलों के बिजली की केबल चोरी हो गई। सरपंच ने कनीना पुलिस में मामला दर्ज करवाया है। पुलिस में विकास कुमार सरपंच ने दी शिकायत में कहा गया है कि सुबह 6 बजे मोटर चालक रोहतास चेलावास ने उन्हें सूचना दी कि 18 और 19 नवंबर की रात को हर्बल पार्क तथा पंचायत घर के पास जो ट्यूबवेल है दोनों ही ट्यूबवेलों की केबल चोरी हो गई है। सरपंच ने अज्ञात चोरों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।





मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 56
कलंकित शिक्षक भी देखे तो भगवान रूपी शिक्षक भी मिले
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कनीना की आवाज।
 कनीना के डा. होशियार सिंह लंबे समय तक विभाग में सेवा करके  30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस अवधि में उन्होंने अनेक स्कूलों में शिक्षण कार्य किया, बार-बार तबादलों का दंश झेला। इस अवधि में कुछ  अजीबोगरीब शिक्षकों से भेंट हुई। सुनिए और होशियार सिंह की ही जुबानी ---
मैंने जब से पढ़ाई शुरू की तब से यही सोचा थी कि मैं शिक्षक बनूंगा। जब से शिक्षक की नौकरी में पहुंचा तो बहुत दर्द हुआ। आज मैं शिक्षा जगत से सेवानिवृत्त हो गया हूं किंतु सच तो यह है कि शिक्षा जगत से जुडऩे का आज भी मुझे मलाल है। इतनी मेहनत किसी और क्षेत्र में की होती तो ऊंचाइयों को छू जाता क्योंकि शिक्षक का दर्जा तो भगवान से भी ऊंचा माना गया है किंतु अपने 40 सालों के शिक्षण के दौरान ऐसे ऐसे शिक्षक मिले जिन्हें शिक्षक तो क्या कुत्ता कहना भी कुत्ते की तोहिन होगी और ऐसे शिक्षक भी देखे जो सचमुच  शिक्षा क्षेत्र में नाम कमाने वाले हैं। कितने ही शिक्षक ऐसे मिले जो स्कूल में भी शराब पीकर आते हैं। कुछ शिक्षकों की मैंने खबर भी लिखी जो स्कूल में जा रहे हैं और रास्ते में ही मल मूत्र त्याग कर और तब स्कूल पहुंचते हैं।
एक शिक्षक जिसका पूरा वृतांत मैंने अपनी मूल पुस्तक में वर्णित किया है। यूं तो कई शिक्षक मिले जो अंग्रेजी तो दूर हिंदी भी अच्छी प्रकार नहीं जानते किंतु इनमें से एक शिक्षक का पूरा हवाला पुस्तक में दिया गया है जो हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत आदि कुछ भी नहीं जानता। न जाने कैसे हो शिक्षा विभाग में आ गया परंतु जिस भी स्कूल में रहा, पैसे हड़पने में एक नंबर पर रहा। लोगों के पैर छूकर अपना उन्हें बनाए रखा। दुख हुआ कि ऐसे शिक्षक भी इस शिक्षा जगत में है, वही ऐसे शिक्षक मिले जो वास्तव में शिक्षा का दामन थाम कर शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। शिक्षण कार्य को बड़ी बखूबी से निभा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को सलाम और ऐसे शिक्षक जिनको कुछ नहीं आता,उन्हें कलंक मानता हूं। उनको मैं नहीं भगवान सजा देगा।





जिला महेंद्रगढ़ के 12वीं तक के सभी स्कूलों की छुट्टी, आनलाइन मोड पर लगेंगी क्लास
-शिक्षक स्कूलों में रहेंगे हाजिर
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कनीना की आवाज।
 बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सोमवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चौथे चरण (ग्रैप-4) को लागू कर दिया गया है। ऐसे में सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि ग्रैप-4 को सख्ती से लागू किया जाए।
डीसी डा. विवेक भारती ने बताया कि वायु प्रदूषण को देखते हुए जिला महेंद्रगढ़ में तुरंत प्रभाव से 12वीं तक सभी स्कूलों में आगामी आदेशों तक छुट्टी करने के आदेश पारित कर दिया है। अध्यापक स्कूलों में मौजूद रहेंगे तथा आनलाइन मोड पर क्लास लेंगे।
डीसी ने कहा कि जिला महेंद्रगढ़ एनसीआर क्षेत्र में आता है। ऐसे में गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से जारी सभी प्रतिबंधों को लागू किया जाए। इस संबंध में जिला में  कंट्रोल रूम का नंबर 01282-299004 जारी किया गया है।
उपायुक्त ने बताया कि सब डिवीजन लेवल तक संबंधित एसडीएम अपने क्षेत्र के नोडल अधिकारी होंगे तथा संयुक्त टीम लगातार फिल्ड में रहेगी। डीसी ने कहा कि बिजली अधिकारी  क्रेशर जोन में बिजली सप्लाई बंद रखे। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे कूड़े पर आग ना लगाएं। ऐसा करने पर जिला प्रशासन जुर्माना लगाएगा। इस समय जिला में एक्यूआई 270 के आसपास है। ऐसे में सभी हिदायतें कड़ाई से लागू करवाएं।
इस बैठक में एडीसी डा आनंद कुमार शर्मा, एसडीएम नारनौल डा जितेंद्र सिंह, एसडीएम कनीना अमित कुमार, एसडीएम नांगल चौधरी रमित यादव, नगराधीश मंजीत सिंह व पाल्यूशन बोर्ड से अनुज शर्मा के अलावा अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
बाक्स
401 से 500 के बीच 'गंभीरÓ माना जाता है एक्यूआई
 जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और औसत एक्यूआई 450 को पार कर जाता है तो ग्रैप का चौथा चरण लागू किया जाता है। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।





मजदूर चौक बना कनीना का शिवालय चौक
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कनीना की आवाज।
कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास शिवालय चौक अब मजूदर चौक में तबदील होने लगा है। जहां सुबह सवेरे भारी संख्या में मजदूर बैठ जाते हैं। जिस किसी को मजदूर लेने होते हैं वो वहां पहुंच जाता है। ऐसे में यह चौक मजदूर चौक बनकर रह गया है।
 यूपी, बिहार, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश आदि से भारी संख्या में मजदूर आये हुये हैं जो विभिन्न किराये के घरों में रहते हैं। ये मजदूर चिनाई, कटाई, आइसक्रीम बेचना, कबाड़ी का काम, मजदूरी एवं अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं। जिस किसी को मांग होती है वह इस चौक से उन्हें वाहन में बैठाकर काम पर छोड़ देता है। अब तो हर शहर में इसी प्रकार की हालात बन गई है।
फोटो कैप्शन 2: मजदूर मजदूरी का इंतजार करते हुये।




30 सालों में ही भूले जौ एवं चना की खेती
-चना 8 एकड़ एवं जौ शून्य एकड़ पर पहुंचा
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कनीना की आवाज।
किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्राकृतिक ठंडक प्राप्त करते हैं। अब न तो जौ की खेती होती और न राबड़ी एवं धानी। इसी प्रकार भूने हुये, टाट, छोल्ला, होला, चटनी, कुट्टी का जायका खत्म हो चुका है।  
  1986-87 तक कनीना क्षेत्र की करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि होती थी जिसेंपर हजारों एकड़ में जौ की खेती तो हजारों हेक्टेयर पर चने की खेती की जाती थी। वैसे तो जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता है। जब नवरात्रे चलते हैं तो जौ की विशेष मांग होती है। गेहूं-चना एवं जौ -चने की मिश्रित खेती की जाती थी। 1982 में स्ंिप्रकलर फव्वारा आया जिसके चलते चने की खेती घटती जा रही है और वर्तमान में तो चना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कनीना उपमंडल के सभी गांवों में कुल मिलाकर 8 एकड़ पर चने उगाये गये हैं। जौ तो शून्य पर पहुंच गया है।
जौ---
जौ को गंगा में डालने, पूजा अर्चना,हवन आदि में काम आता है वहीं पैदावार 40 मण प्रति हेक्टेयर तथा भाव करीब 2000 रुपये क्विंटल तक होता है। होली के पर्व पर जहां जौ को भूनकर पूरा परिवार चखता है और तत्पश्चात ही लावणी की शुरुआत होती आ रही है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था।  जौ की रोटी खाने के लिए या फिर धानी बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं। जौ की किसी भी गांव में खेती नहीं की गई है।
  जौ की रोटी प्रचलन था जो सेहत के लिए अति लाभकारी मानी जाती थी। राबड़ी चाव से खाते हैं वहीं जौ का प्रयोग बीयर आदि बनाने में लेते हैं। शरीर में ठंडक के लिए राबड़ी को गर्मियों में खाते हैं किंतु अब राबड़ी की बजाय चाय पर आ पहुंचा है।
 चना-
तीन दशक पूर्व कनीना क्षेत्र में चने की पैदावार सर्वाधिक होती थी जो अब शून्य हेक्टेयर पर चला गया है। किसी एक या दो क्यारी में किसान चना उगाते हैं। दालों भावों में तेजी आ रही है। विगत 2014 में महज तीस हेक्टेयर में चना उगाया था। वर्ष 2015 में 52 हेक्टेयर पर चने की बीजाई की गई थी। 2015 से 2018 तक भी चने की महज 70 से 80 हेक्टेयर बिजाई की गई थी जो 2020 तक 10 हेक्टेयर से कम सिमट कर रह गया है। 2022 में शून्य पर चला गया है। वर्ष 2023 में 8 एकड़ पर उगाया गया जो अब शून्य पर पहुंच गया है।
 कभी विवाह शादी में अवश्य लड्डू बनाए जाते थे किंतु अब जब किसी के शादी होती है तो लड्डू के लिए चने दूर दराज से लाने पड़ते हैं। पूर्व शिक्षा अधिकारी रामानंद यादव आज भी चना उगाते हैं। वर्तमान में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है जो चने के लिए प्रतिकूल है। चना बहुत कम पानी में ही पैदावार देता है।
 बुजुर्ग राम सिंह, दुलीचंद, धनपती का कहना है कि कभी इस क्षेत्र में चने की खेती की जाती थी तो चने की सब्जी, चने की रोटी, मेसी रोटी, हरे चने की चटनी, खाटा का साग, कढ़ी, परांठे व कई अन्य सब्जियों में डालकर जायका लिया जाता था। जब तक चना सूख न जाता था तब तक चने को खाते रहते थे। यद्यपि चने का भाव बेहतर है किंतु पैदावार नहीं होती है किंतु जौ अब भी पैदावार अच्छी दे सकता है किंतु किसानों को लाभ नजर नहीं आता है। अब तो जौ चने का स्थान सरसों एवं गेहूं ने ले लिया है। यदि चने की पैदावार घटती गई तो मेसी रोटी, लड्डू संकट में पड़ जाएंगे।
****वर्तमान में छोटे-छोटे खेत हो गए जिनमें जरूरत रूपी फसले उगाई जाती है। वैसे भी मार्केट रेट कम होने के कारण लोग गेहूं एवं सरसों को उगाते हैं और गाय, भैंस आदि पालने वाले किसान भी गेहूं पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग में लेते हैं। यही हालात चने की है। परंतु चने की पैदावार में सबसे बड़ी मुसीबत भूमिगत जमीन के खारे पानी की है। लगता है जल मीठा है किंतु वह दाल देने वाली फसलों के लिए अच्छा नहीं है। बारिश का पानी मिलता नहीं। कभी बारिश पर आधारित चने की खेती होती थी किंतु अब धीरे-धीरे पैदावार घट गई है। आम आदमी की जरूरत में कम काम आता है, इसलिए भी किसान पैदावार के रूप में चने की बजाय गेहूं सरसों लेते हैं।
--कृषि अधिकारी



हरियाणा सरकार की पहल पर गीता की प्रति रुझान बढ़ा
-विद्यार्थी और शिक्षक वर्ग,सामान्य जन ले रहे हैं भाग
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कनीना की आवाज।
 हर वर्ष जहां हरियाणा सरकार कुरुक्षेत्र में गीता जयंती मनाती है वहीं विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गीता के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है। एक और जहां हरियाणा सरकार एवं कुरुक्षेत्र बोर्ड  28 नवंबर से 15 दिसंबर तक कुरुक्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगा वहीं विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए भी कार्यक्रम आयोजित होंगे। जहां गीता के प्रति प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी इस समय चला हुआ है, पूरे हरियाणा प्रदेश के मोटिवेटर जुटे हुए हैं। विद्यार्थी एवं शिक्षक भी इस प्रतियोगिता भाग ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता में जहां पांच प्रश्न गीता के प्रतिदिन पूछे जाते हैं। इनका उत्तर देने वालों को इनाम भी मिलती है तथा सर्टिफिकेट्स भी दिये जाते हैं। यही कारण है के लोगों का रुझान इसके प्रति बढ़ा है। पूरे ही प्रदेश में कम से कम 100 मोटिवेटर गीता के प्रति रूझान बढ़ाने में जुटे हुए हैं तथा प्रश्नोत्तरी में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कनीना क्षेत्र हजारों लोग प्रश्रोत्तरी में भाग ले रहे हैं। कुछ लोगों से बात हुई जिन्होंने गीता के प्रति गहरी आस्था जताई। उनसे हुई चर्चा निम्न है--
***गीता हमारा मन और प्राण है। गीता में कहे गए 700 श्लोकों में से एक-एक का बहुत सार्थक अथ हैं। गीता का निरंतर अध्ययन करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि मैं गीता के प्रति रुचि रखता हूं।
  ---महिपाल सिंह,कनीना
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने जो बात कही वह शत प्रतिशत हर समय लागू रही है तथा भविष्य में भी रहेगी। भगवान ने गीता को मन में धारण करने और गीता में बताए गए मार्ग पर चलने की बात कही जो मन को पवित्र कर देती है। यही कारण है कि मैं गीता में रुचि रखता हूं।  संसार के सभी गूढ़ रहस्यों का सार गीता का उपदेश देने के लिए स्वयं भगवान कृष्ण ने इसी धरा को चुना था।
--मनीष कुमार,  समाजसेवी
गीता में कहा कि जब जब धर्म की हानि होती है और अत्याचार बढ़ता है तब तब भगवान अवतार रूप धारण कर इस धरा पर जन्म लेकर अधर्मियों तथा अत्याचारियों का नाश करते हैं । त्रेता में जब अहंकारी रावण तथा द्वापर में कंस,जरासन्ध व दुर्योधन जैसे दुष्टों के अत्याचार बढ़े तो भगवान विष्णु ने राम और कृष्ण के रूप में जन्म लेकर इन आताताइयों का वध किया और समाज में शांति की स्थापना की । इस प्रकार की जानकारी भी हमें मिलती है।
---प्रताप सिंह कनीना
श्रीमद्भागवत के श्रवण से न केवल व्यक्ति को आत्म-संतुष्टि की अनुभूति होती है अपितु मन मे सकारात्मक विचारों का उद्भव भी होता है । जो लोग कष्टों में पलते हैं वही सफलता के उच्च सौपानों को छू पाते हैं । भगवान श्रीकृष्ण ने संसार गीता का उपदेश दिया, गीता ही एक ऐसा गं्रथ है जिसको सभी मानते हैं।
   -बलजीत सिंह, समाजसेवी।
फोटो कैप्शन: महिपाल सिंह, बलजीत, मनीष कुमार, प्रताप सिंह।





एसडी में अनलाक योर फ्यूचर कार्यक्रम का हुआ आयोजन
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कनीना की आवाज।
एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ककराला ने हाल ही में एसडी के पूर्व छात्र संदीप कुमार के नेतृत्व में अनलाक योर फ्यूचर (यूवाईएफ) नामक एक कैरियर परामर्श कार्यक्रम आयोति किया गया। कार्यक्रम भारत के शीर्ष सात आइएसएसइआर (भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान) में कैरियर के अवसरों पर केंद्रित था। उप-प्राचार्य पीएस यादव ने छात्रों के भविष्य के लिए इस तरह की पहल के महत्व पर जोर देते हुए संदीप कुमार का गर्मजोशी से स्वागत किया। चेयरमैन जगदेव यादव ने छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने में कैरियर मार्गदर्शन के महत्व पर प्रकाश डाला और निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन की आवश्यकता पर बल दिया व छात्रों को उनके कैरियर पथ पर आगे बढऩे के लिए समग्र मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस कार्यक्रम ने छात्रों के लिए संदीप कुमार जैसे सफल पूर्व छात्रों के साथ बातचीत करने और अपने करियर की यात्रा के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और प्रेरणा प्राप्त करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ककराला में अनलाक योर फ्यूचर कार्यक्रम छात्रों को लगातार विकसित हो रहे पेशेवर परिदृश्य में अपनी पूरी क्षमता का पता लगाने और अनलाक करने के लिए सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस कार्यक्रम के दौरान जीतू श्रीवास्तव, विनय कुमार, नवीश शर्मा, पवन सोनी सुनील कुमार एवं योगेन्द्र कुमार सहित सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: एसडी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम




2 दिन कोहरा पडऩे के बाद मौसम रहा साफ
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कनीना की आवाज।
 दो दिन लगातार कोहरा पडऩे के बाद मंगलवार को मौसम साफ रहा। सुबह कोई कोहरा नहीं पड़ा और सूर्यदेव के दर्शन हुए परंतु ठंड जारी रही। ठंड के चलते जहां किसानों को फसल में लाभ होने का अंदेशा बना हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार मौसम खराब रहने से फसलों को नुकसान होता है किंतु बीच-बीच में मौसम खुल जाने से खड़ी फसलों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।















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