कनीना में मनाया गया छठ पूजा का अमृत महोत्सव
--8 नवंबर को सूर्य उदय होने पर होगा संपन्न
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कनीना की आवाज। कनीना में गुरुवार को छठ पूजा महोत्सव बाबा रामेश्वरदास मंदिर के नजदीक जोहड़ पर मनाया गया। उत्तरप्रदेश एवं बिहार से आये लोगों ने व्रत किया तथा जोहड़ को ही घट मानकर पूजा अर्चना की। इसके साथ इसका समापन अगले दिन सूर्य देव को जल अर्पण करके होगा। इन लोगों ने बताया कि वे अपने राज्यों में नहीं जा सके जिसके चलते कनीना में छठ पूजा का पर्व मनाया गया है। विगत वर्षों से कनीना की नहर में, संत मोलडऩाथ आश्रम जोहड़ तथा रामेश्वरदास जोहड़ पर ये लोग धूमधाम से छठ पूजा मनाते आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 04: रामेश्वरदास जोहड़ कनीना में छठ पूजा मनाते लोग।
105 वर्षीय बुजुर्ग का निधन
--बैंड बाजों के साथ किया अंतिम संस्कार
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कनीना की आवाज। बहाला निवासी 105 वर्षीय मुरली राम का निधन हो गया। उन्हें बैंड बाजों के साथ अंतिम विदाई दी। वे पूर्व सैनिक थे। 13 कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुए और 16 साल की सेवा करके वापस बहाला आ गए। गांव में जमींदारा एवं पशुपालन का काम करते रहे। उनका भरा पूरा परिवार है जिसमें वर्तमान में उनकी पत्नी रायकौर, पुत्र, पौत्र एवं और पड़पोतियों हैं। उन्होंने बताया कि मुरलीराम के चार लड़के, तीन लड़कियां हैं मुरलीराम के चार पोते और पांच पोतियां है वहीं दो पड़पोतियां भी परिवार में है। आधार कार्ड में चाहे उनकी उम्र थोड़ी कम हो किंतु उस वक्त जब भर्ती हुए तुम मौखिक रूप से लिखवाई जाती थी। डिस्चार्ज बुक में उम्र एक सौ साल है।
मुरली राम के पुत्र सुरेंद्र सिंह, सुभाष, रमेश एवं अजीत ने बताया कि वह उस समय वे अनपढ़ थे तथा ज्ञान काफी था। वर्तमान में उनका का एक पुत्र सीआरपीएफ में भी कार्यरत है जबकि एक जमींदार एक व्यवसायी तथा एक पूर्व सैनिक है।
फोटो कैप्शन: मुरली राम
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 49
उपवास और भक्तिभाव से सदा भरा रहा है जीवन
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी विश्व रिकार्ड अचीवर डा. होशियार सिंह यादव 40 सालों की शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देने के उपरांत 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आज तक उन्होंने किसी का बुरा नहीं किया परंतु दुष्ट, राक्षसी प्रवृत्ति के कुछ तथाकथित अधिकारियों ने उनका जमकर बुरा किया है जिसका परिणाम वे भुगत चुके हैं या भुगतेंगेे। कितने ही लोगों ने कभी पीएचडी के नाम पर होशियार सिंह को लूटा है तो कभी किसी काम को पूरा करने के नाम पर लूटा है किंतु न तो पैसे वापस दिये और न ही काम पूरा किया। जिनके अलग से एक आलेख इसी पुस्तक में प्रकाशित है। परंतु होशियार सिंह वह व्रत और भक्तिभाव से भरे हुए हैं। परिणामस्वरूप कितने ही लोगों ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से उनका कितना ही बुरा करना चाहा किंतु कुछ भी बुरा नहीं कर पाये उल्टा बुरा करने वाले जरूर नुकसान उठा चुके हैं। आइये होशियार सिंह की ही जुबानी उनकी यह कहानी आज सुनते हैं।---
मैं बहुत लंबे समय से एक दिन का सप्ताह में उपवास करता रहा हूं। जहां मंगलवार का उपवास भी लंबे समय तक चला वहीं सोमवार का उपवास बहुत ही लंबे समय से चला रहा है। करीब 20 वर्षों से सोमवार का उपवास चला आ रहा है। उस भोले का परम भक्त अपने आपको समझता हूं। यही कारण है कि जब-जब मुझे कोई समस्या घेरती है या लोग मेरा बुरा करना चाहते हैं तब तब मैं केवल शिव भोले, खाटूश्याम और हनुमान जी को याद करता हूं और मेरी जीत होती है। जिसने भी बुरा किया उनका बुरा हाल हो चुका है या भविष्य में हो जाएगा, ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है। जहां तक भक्तिभाव सदा ही मेरे घर-परिवार में भरा हुआ देखा गया है। मेरे बड़े भाई कृष्ण कुमार शिवभोले के भक्त हैं और कावड़ लाकर अर्पित कर चुके हैं। भाई बड़ा भाई भरपूर सिंह कावड़ और शिवभोले के प्रति गहन आस्था रखता है। अनेक कांवड़ ला चुके हैं। उन्होंने तो अपने मेहनत के बल से कमाए हुए पैसों से शिवालय का कनीना में निर्माण करवाया, 21 फुट ऊंची शिव प्रतिमा वाले शिवालय का निर्माण उन्हीं ने अपने खर्चे से करवाया हुआ है और स्वयं मेंटेन रखने हैं। जहां तक मेरा सवाल है भाइयों से भी प्रेरणा ली है और भक्तों से भी प्रेरणा ली है। कनीना के निवासी सुमेर सिंह जो कावड़ लाने में अग्रणी हैं उनकी प्रेरणा से साथ में अनिल कमांडो से प्रेरणा लेकर जहां 14 कावड़ बाघेश्वरधाम पर अर्पित कर चुका हूं वही 14 के करीब खाटू श्याम के ध्वज भी अर्पित किये हैं। साल में दो जगह की पदयात्रा चलती है। यह पदयात्रा एक और जहां खाटू श्याम धाम तो है दूसरे और जैतपुर भी अपने साथियों सहित पदयात्रा करता रहा हूं। एक साल में जहां फरवरी मार्च में खाटू श्याम धाम तथा जैतपुर धाम की पदयात्रा करता रहा हूं। साल में दोनों ही जगह जाता हूं वही हरिद्वार से पैदल कावड़ लाकर बाघेश्वर धाम पर अर्पित करता हूं। मेरा अपना मानना है कि शिव भोले की कृपा से मुझे बहुत लाभ होता है। अक्सर मेरे साथी पूछते रहते हैं कि इससे क्या लाभ हुआ? मैं उनसे एक ही बात कहता हूं कि मन में आस्था पैदा होती है वही उपवास रखने से शरीर स्वस्थ रहता है, लंबा सफर करने से जहां तन तंदुरुस्त रहता हैं, स्वस्थ रहता हूं, बुद्धि भी तेज चलती है। यही कारण है कि अपने व्यस्त समय में से पदयात्रा के लिए समय जरूर निकलता हूं। शिव भोले की कृपा सदा मुझ पर बनी रहती है कि कभी भी पैर में कोई छाला तक नहीं पड़ता। न खाटू श्याम यात्रा दौरान कोई छाले पड़ते। अपितु खुशी-खुशी घर आकर अपने कार्य में व्यस्त हो जाता हूं। जब तक स्कूल में जाता था, कुछ छुट्टियां लेकर हरिद्वार जाना पड़ता था, वापस आकर स्कूल का काम विधिवत रूप से जारी रखता था। अब स्कूल से सेवानिवृत हो चुका हूं। सेवानिवृत्ति के बाद जहां पहली बार कावड़ 2024 में अर्पित कर दी है परंतु सेवानिवृत्ति के बाद खाटू श्याम आने वाले समय में जाने की उम्मीद है। यात्रा दौरान जहां शरीर स्वस्थ रहता है वही अपने साथियों सहित भौगोलिक ज्ञान भी मिलता है, रास्ते का ज्ञान होता है, अलग-अलग प्रकार का रहन-सहन भक्ति भाव देखने को मिलता है। वास्तव में मन को छू जाता है। लोग बेशक कावडिय़ों के बारे में अनेक प्रकार की बातें करते हैं। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि कावड़ लाने वाले नशा करते हैं लेकिन सबसे बड़ी विशेषता है कि कभी मैंने कोई नशा न तो किया है और जब तक जीवित रहूंगा तब तक कावड़ आती रहेगी और न ही कभी नशा करूंगा। यह सत्य है कि चाय जरूर पीता हूं,चाय में कैफीन विषैला तत्व पाया जाता है। कभी भी यात्रा दौरान कोई नशीली चीज प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
एक बार तो हरिद्वार से बाघेश्वर धाम तक पदयात्रा दौरान अन्न तक ग्रहण नहीं किया। महज जल और चाय, फल आदि जरूर प्रयोग किये हैं। कठोर तप के कारण ही मेरे कठिन से कठिन कार्य सफल हो जाते हैं। जहां तक यह कावड़ यात्रा और खाटू श्याम यात्रा अनिल कमांडो से प्रेरणा लेकर शुरू की है लेकिन व्रत करने का सिलसिला इससे पूर्व ही चला आ रहा है। मुझे विश्वास है कि जो शिव भोले हनुमान जी, खाटू श्याम आदि देवों को याद करता है उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। ये देव भक्तों का सदा ख्याल रखते हैं। मुझे दृढ़ विश्वास है, पूर्ण विश्वास है कि आगे भी मेरा कोई बुरा नहीं होने की संभावना है। ऐसे देव महादेव, ऐसे श्याम खाटू श्याम, ऐसे परम भक्त हनुमान को नमन करता हूं और करता रहूंगा।
कनीना की प्रथम महिला पत्रकार को दी जाएगी श्रद्धांजलि
--किया जाएगा पौधारोपण
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बा की प्रथम महिला पत्रकार सुमन यादव की 14वीं पुण्यतिथि पर 17 नवंबर को उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। इस अवसर पर सुमन यादव के आवास पर पुष्प अर्पित किये जाएंगे जहां विभिन्न जन उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। इस मौके पर हवन भी होगा तथा पौधारोपण भी किया जाएगा। वे राष्ट्रीय पत्र की लंबे समय तक पत्रकार रही थी तथा 2010 में महज 32 वर्ष की उम्र में ही गंभीर बीमारी से लंबे समय तक जुझते हुए मौत हो गई थी। उनके नाम पर श्रीमती सुमन यादव चेरिटेबल ट्रस्ट भी 2011 से चला आ रहा है।
ट्रस्ट के सचिव योगेश कुमार ने बताया कि उनके जीवन व चरित्र को उजागर करने वाली कनीना के लेखक डा. होशियार सिंह की कृति कष्टों की देवी का दूसरा संस्करण एवं आइएसबीएन संस्करण भी आ चुका है। जिसमें सुमन यादव का संक्षिप्त जीवन का चरित्र-चित्रण किया गया है। 2010 को वे स्वर्ग सिधार गई। उनकी पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण किया जाएगा। जहां उनके निवास मोदीका मोहल्ला में उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाएंगे। अपनी शादी के महज आठ वर्षों के बाद ही गहरा घाव देते हुए एक छोटे से पुत्र अमीश को छोड़कर सदा के लिए आंखों से ओझल हो गई। उनकी दो पुस्तकें मानव बाडी कविताएं तथा आस्था प्रकाशित हो चुकी हैं जिसमें उन्होंने सहायक लेखिका बतौर काम किया है। उनकी विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में लेख एवं कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी कहानी दरिंदा अति प्रसिद्ध हुई। हरियाणा सरकार ने उनकी कहानी पर प्रदेश स्तरीय द्वितीय पुरस्कार भी दिया था। उनके उदात चरित्र एवं गुणों को एक पुस्तक कष्टों की देवी में विस्तृत प्रकाशन किया गया है।
फोटो कैप्शन: सुमन यादव स्व. पूर्व पत्रकार
आइसीटीएम सोशल ग्रुप ने गरीबों के लिए सर्दी बचाव के वस्त्र देने की अपील की
-जल्द ही शुरू होगी नेकी की दिवार
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कनीना की आवाज। सर्दी का मौसम आ गया है। इस समय बहुत से गरीब व्यक्ति जो झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे हैं या गांवों में भी गरीब लोग रहते है जिनके पास गर्म कपड़े या जरूरत अनुसार वस्तुएं नहीं खरीद पाते। ऐसे में आइसीटीएम संस्था पर्यावरण, शिक्षा और अनाथ बेसहारा आश्रम चला रही है और अनाथ बच्चों और बुजुर्गों के लिए लगातार कार्य कर रही है।
इसके लिए संस्था के संचालक ने एक अपील की है की जो सक्षम साथी जरूरतमंद समान या गर्म कपड़े देना चाहता है वो जरूर संपर्क करे। इसमें गर्म कपड़े, कंबल, जूते मौजें व घर में ऐसी वस्तुएं जो घर में बेकार पड़ी हो और गरीबों के काम आ जाए। कपड़े धो कर व प्रेस करके दे। जिससे जरूरतमंद व्यक्ति को उसका लाभ मिल सके। और सर्दी से उनका बचाव हो।
पवन कुमार ने बताया कि आईसीटीएम संस्था पिछले सालों से सामाजिक कार्य कर रही है। आईसीटीएम संस्था समय समय पर पक्षियों के लिए दाना पानी की सुविधा करती रहती है। जगह जगह पानी के सकोरे लगती है। पेड़ पौधे लगातार बाट रही है, संस्था ने अभी तक कई हजारों पौधे वितरित कर चुकी है और लगा चुकी है।
मानव सेवा में संस्था गरीबों के साथ दिवाली मनाना, उनको गर्म कपड़े बांटना, लॉक डाउन में उन तक भोजन पहुंचना, बच्चों को कापी किताब वितरित करना, गरीब बच्चों को पढऩा, उनको मार्गदर्शन करना आदि काम करती रहती है।
संस्था आपसे एक अपील करती है कि अगर आपकी नजर में कोई भी अनाथ बेसहारा बच्चा या बुजुर्ग कोई भी मिले तो संस्था को जरूर बताएं और पुण्य का काम करे।
संस्था ने शांति कुंज अनाथ बेसहारा आश्रम भी चला रखा है, जो अनाथ, बेसहारा या बुजुर्गों के लिए है। जिसमें रहने खाने पीने की सुविधा बिल्कुल नि.शुल्क है। जहां छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की रहने की व्यवस्था है।
नेत्रहीन बच्चों के लिए पढ़ाई व रोजगार प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध हैं।
संस्था के संचालक पवन कुमार ने बताया कि मानव जन्म एक बार मिला है और मानवता धर्म अपना कर अपना जीवन यापन करना चाहिए। हमें प्रकृति के द्वारा दी हुई हर चीज का ख्याल करना, उनकी देख रेख करना और बचा कर रखना मानव धर्म का सबसे बड़ा कर्म है। प्रकृति सेवा में ही स्वर्ग है। हम सबको इस प्रकृति रूपी भगवान ने दो रास्ते दिए है एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक, अब अपनाना हमें है की अपना जीवन कैसा यापन करना है। सकारात्मक सोच के साथ खुशहाल जिंदगी जीना है या नकारात्मक सोच के साथ दुखी जीवन काटना है। राठौर ने आगे बताया कि इंसान ही अपनी जीवन रेखा तय करता है कि उसकी जिंदगी कैसी हो, लेकिन कई बार व्यक्ति गलत संगत की वजह से रास्ता भी गलत अपना लेता है। और जिंदगी नरक बन जाती है। इसलिए मानव योनि जन्मधारी को प्रकृति सेवा, जन सेवा, मानवता धर्म अपनाना चाहिए।
पवन कुमार ने बताया कि जल्द ही कनीना के एसडीएम कार्यालय के पास नेकी की दिवार कार्यक्रम शुरू किया जाएगा जिसमें कपड़े एवं जूते रख दिये जाएंगे जो पहले प्रयोग किये हुये होंगे। कोई भी चाहतमंद व्यक्ति स्वयं उठाकर ले जा सकेगा तथा कोई ऐसी वस्तुएं दान करना चाहेगा वो दान भी कर सकेगा।
फोटो कैप्शन: पवन राठौर प्रधान
किसान कर रहे हैं फव्वारों द्वारा सिंचाई में
-गेहूं की चल रही है बीजाई
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में गेहूं की बीजाई को लेकर के जोर-शोर से तैयारी चल रही है क्योंकि बारिश नहीं हुई इसलिए हर वर्ष की भांति फव्वारों द्वारा सिंचाई चल रही है। तत्पश्चात किसान बीजाई का काम करेंगे। कुछ किसानों ने बीजाई भी शुरू कर दी है।
किसान सुनील कुमार, महेश कुमार, दिनेश कुमार, सूबे सिंह आदि ने बताया की बीजाई 25 नवंबर तक बेहतर मानी जाती है। ऐसे में किसान पूरे जोर-शोर से जुटे हुए हैं। अच्छे-अच्छे बीज लाकर घरों में रख रखे हैं तथा खाद का प्रबंध किया हुआ है ताकि बिजाई के तुरंत बाद खाद आदि प्रयोग करके बेहतर पैदावार ले सके। पहले सरसों की बीजाई आती है तत्पश्चात गेहूं का नंबर आता है। कनीना क्षेत्र में इस बार करीब 12000 हेक्टेयर पर गेहूं की बिजाई होने की संभावना बताई जा रही है क्योंकि अभी भी दिन के समय तापमान अधिक पड़ रहा है जिसके कारण बीजाई प्रभावित हो रही है। किसान मौसम के बदलने का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि बाजरे की अच्छी पैदावार लेने के बाद उसे अनाज मंडी बेच दिया है। अब किसान सरसों की बीजाई के बाद गेहूं की बिजाई में लग गए हैं।
फोटो कैप्शन 03: फव्वारों द्वारा सिंचाई करते किसान।
अटल सेवा केंद्र पर बनाए जा रहे डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट
--खजाना कार्यालयों में बढऩे लगी है भीड़
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कनीना की आवाज। अटल सेवा एवं स्टेट बैंक ग्राहक सेवा केंद्र पर डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट बनाने का कार्य शुरू हो गया है जिसका लाभ कोई भी ले सकता है। केंद्र प्रभारी छोटूराम ने बताया कि लाइफ सर्टिफिकेट वर्ष में एक बार नवंबर महीने में देनी होती है ताकि जीवित रहने का प्रमाण साबित हो सके। यह केवल सरकारी एवं निजी संस्थान से सेवानिवृत्त पेंशनर को ही बनानी पड़ती है। लाइफ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पीपीओ नंबर लाना जरूरी है। छोटूराम ने बताया कि स्टेट बैंक में जनधन खाता खुलवाना, भारत सरकार की योजना प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जिसका प्रीमियम 20 रुपये होता है जिसमें दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा होता है, जिसके लिए आयु सीमा 18 से 70 वर्ष मानी गई है। दुर्घटनाग्रस्त विकलांगता भी शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है जिसका वार्षिक प्रीमियम 436 रुपये का आता है। कोई भी व्यक्ति केवल एक बचत खाता द्वारा इस योजना का लाभ ले सकता है। एक ओर सरकार ने आनलाइन एवं सीएससी सेंटरों पर लाइफ सर्टिफिकेट जमा कराने के तरीके बताए हुए हैं किंतु लोग किसी ठगी के डर से सीधे खजाना कार्यालयों में सर्टिफिकेट जमा करवा रहे हैं। बुजुर्ग सर्टिफिकेट को स्कूलों में साक्ष्यांकित करवा रहे हैं। सीएससी संचालक छोटू मेहरा ने बताया कि वे पूर्व कर्मियों की लाइफ सर्टिफिकेट आनलाइन करने में व्यस्त हैं। कोई भी पूर्व कर्मी आकर महज पांच मिनट में यह सर्टिफिकेट भेज सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय रेडियोग्राफी दिवस -08 नवंबर
एक्सरे की खोज करने वाले की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है यह दिवस -डा धर्मेंद्र
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कनीना की आवाज। 8 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय रेडियोग्राफी दिवस मनाया जाता है। ये आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में चिकित्सा इमेजिंग की भूमि को बढ़ावा देता है। 1895 में रोंटेंज ने एक्सरे का आविष्कार किया था जिसकी वर्षगांठ के रूप में यह दिवस मनाया जाता है। टूटी हुई हड्डियों एवं शरीर की हड्डियों की हालात का पता लगाने में अहम भूमिका निभाता है। इसे रेडियोलोजी दिवस के नाम से जाना जाता है। इसी दिन रोंटेंटज ने एक्सरे की खोज की थी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब तो एक्स-रे मशीन लगाई जा चुकी है। एक वक्त था जब एक्सरे के लिए दूर दराज जाना पड़ता था लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक-रे की मशीन लगा दी गई है। इस बाबत रोहतक से रेडियोलोजिस्ट एवं रेजडेंट डाक्टर ने बताया कि 8 नवंबर 1895 को एक्सरे की खोज की थी और अमूल्य उपहार दिया था। यही कारण की 1901 में भौतिक शास्त्र में रोंटेंज को नोबेल पुरस्कार दिया था। उन्होंने बताया कि कभी कभी इंसान दयालु होने के नाते बहुत कुछ कर जाते हैं। ऐसे ही दयालु इंसान जब रोंटेंज थे जिन्होंने एक्सरे की खोज कर दी किंतु पेटेंट करवाने की बात आई तो उन्होंने मना कर दिया था तथा पुरस्कार में मिली हुई राशि को भी दान कर दिया था। ऐसे महान व्यक्तियों के कारण ही आज चिकित्सा क्षेत्र में कितने ही लोगों की जान बचाई जा रही है।
डा. धर्मेंद्र बताते हैं कि रेडियोग्राफी चिकित्सा प्रतिबिंबन की वह तकनीक है जो दृश्य प्रकाश के अतिरिक्त विद्युत चुंबकीय का उपयोग करती है। यह तकनीक विधि मानव शरीर के अंगों को देखने का एक जरिया है। ये किरणें जनित्र द्वारा पैदा की जाती है और जिस वस्तु का चित्रण करना होता है उसे पर प्रक्षेपित किया जाता है। एक्स किरणें वस्तु की दूसरी तरफ एक फोटोग्राफिक फिल्म या डिजिटल डिटेक्टर द्वारा ग्रहण की जाती है जिसकी छाप 2-डी के रूप में प्राप्त होती है। इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा, किए गए अविनाशकारी परीक्षण, खाद्य निरीक्षक सुरक्षा ,पुरातात्विक सर्वेक्षण आदि में किया जाता है।
उन्होंने बताया कि रेडियोग्राफर मशीन का उपयोग सही ढंग से करें ताकि लोगों को खतरनाक किरणों से से बताएं बचाया जा सकता है। इस समय रेडियोग्राफी के विषय में लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है। विशेष ध्यान एक्सरे रूम में जाए तो विशेष कपड़े जरूर पहनें, वहां यदि कोई गर्भवती महिला सीटी स्केनिंग करवाती तो डाक्टर को जरूर बताएं। एक्स-रे मशीन में मरीज होना चाहिए यदि अटेंडेंट भी जाता है तो विशेष कपड़े पहनना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा. धर्मेंद्र
कड़बी में आ
आग लगने वाले अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव इसराणा के उम्मेद कुमार ने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध उनकी कड़बी में आग लगाने का मामला दर्ज करवाया है। कनीना पुलिस में दी शिकायत में उन्होंने कहा है कि उनका खेत अटेली-कनीना रोड पर स्थित है। खेतों में ही उन्होंने अपना मकान बना रखा है और खेत अटेली- कनीना रोड के साथ लगते सड़क की तरफ है। उन्होंने कड़वी की दो छुरिया लगा रखी थी। जिनके साथ ही कुछ ईंधन डाल रखा था। 4 और 5 नवंबर की रात को लगभग 2 बजे आंख खुली तो कड़बी में आग लगी हुई थी। मौके पर पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर फायर ब्रिगेड की सहायता से आग बुझाई। घर पर सीसीटीवी कैमरे में लगे हुए हैं ।उनमें आग लगने का कारण जानना चाहा तो सीसीटीवी कैमरे की फोटो चेक करने पर पता चलता है कि एक गाड़ी धीरे-धीरे आकर खेतों के रास्ते के पास रुकती है और गाड़ी से एक शरारती तत्व उतरता दिखाई देता है जो पशुओं की बाजरे की कड़बी को आग लगाकर गाड़ी में बैठता दिखाई देता है। अज्ञात शरारती तत्व ने कड़बी में आग लगाई है, जिनके बयान पर कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
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