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Tuesday, July 7, 2020


अब शिक्षक पहुंचे विद्यार्थियों को घर पर पढ़ाने

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कनीना।हरियाणा सरकार द्वारा स्कूलों में 1 जुलाई से 26 जुलाई तक ग्रीष्मावकाश घोषित किए गए हैं। हालांकि 25 मार्च से ही लोक डाउन के कारण विद्यार्थियों को विद्यालय नहीं बुलाया जा रहा है परन्तु जून मास में सभी अध्यापक विद्यालय आते रहे हैं। नए आदेशों के बाद अध्यापक 26 जुलाई तक घर पर रहकर ही विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाते रहेंगे। अध्यापकों द्वारा घर से करवाए जा रहे ई लर्निंग कार्य का मूल्यांकन आज पीचौपा कलां राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य अशोक पैकन ने गांव पिचौपा कलां में विद्यार्थियों के घर जाकर किया। प्राचार्य अशोक पैकऩ ने कक्षा 12 के सलीम, अनुज, साहिल, प्रवीण और किरण, कक्षा 10 की अनीता व काजल, कक्षा 9 के नसीब और कक्षा 7 के मोबीन के अध्ययन कार्य जांच की । किरण का कार्य सबसे अच्छा पाया गया जिस पर प्राचार्य ने किरण को बधाई दी। उन्होंने पढ़ाई के दौरान आने वाली कठिनाई के बारे में छात्रों से पूछा तो मोबीन और नसीब ने बताया कि उन्हें वीडियो देखकर समझ में आ जाता है लेकिन कई बार कागज पे लिखा हुआ पाठ कम समझ में आता है। इस पर प्राचार्य ने सभी अध्यापकों को आदेश दिया  है कि वे अधिक से अधिक वीडियो में सामग्री भेजें एवं फीडबैक कुछ बच्चों से ना लेकर सभी बच्चों से लें। प्राचार्य ने विद्यार्थियों को एजूसेट हरियाणा चैनल पर प्रसारित किए जा रहे शैक्षिक प्रसारण को देखने का तरीका भी समझाया।
उसके बाद प्राचार्य ने गांव के मौजीज लोगों से मुलाकात की और विद्यालय के मुख्य द्वार जो जर्जर अवस्था में हो रहा है उसके पुनर्निर्माण के बारे में चर्चा की जिस पर गांव की सरपंच के पति जय सिंह ने बताया कि वे इस मुख्य-द्वार को दुबारा बनाने की चर्चा आजकल में  ग्रामसभा में करेंगे और सबकी सहमति से द्वार बनाने का निर्णय अवश्य लिया जाएगा।
फोटो कैप्शन 4: अब घर जाकर अशोक पैकेन विद्यार्थियों को पढ़ाते हुए।

विवाहिता चढ़ी दहेज की बली, पुलिस ने किया मामला दर्ज

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कनीना। एक और विवाहिता दहेज की बली चढऩे पर मृतका के गांव वालों ने कनीना डीएसपी कार्यालय समक्ष रोष जताया।  रिवासा की लड़की कनीना खंड के गांव सुंदरह में विवाहिता थी।
       मृतका के चाचा सत्यवान ने बताया कि रीना की शादी लगभग दस वर्ष पहले संजय सुंदरह के साथ संपन्न हुई थी जिसमें लड़की वालों ने अपनी हैसियत से ज्यादा दहेज भी दिया था लेकिन कुछ दिन बाद ही लड़के वालों की मांग बढ़ती गई और कभी कुछ तथा कभी कुछ मांग करते रहे।  लड़की वालों द्वारा कुछ मांग पूरी करने के बाद भी उनकी लड़की को परेशान करते करने का सिलसिला जारी रहा। मायके वालों का आरोप है कि ससुराल वालों ने एक दिन तथाकथित रूप से इतना पीटा कि उसके पेट में पल रहे मासूम को चोट लगी तथा रीना की मौत हो गई। वही इसकी सूचना किसी ने उन्हें दूरभाष पर देकर बताया तो परिजनों ने आकर देखा तो रीना की मौत हो चुकी थी। वही मृतका के भाई उपेन्द्र ने जानकारी देते हुए बताया कि रीना ने कई बार उन्हें घर पर आकर बताया था कि ये लोग उन्हें बार-बार दहेज के लिए प्रताडि़त करते है और अब उन्हें तीसरा बच्चा होने वाला है। ससुराल पक्ष के सभी लोग उन्हें कहते आ रहे थे कि छुछक में स्विफ्ट डिजायर चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि वे कई बार उसके ससुराल वालो को समझाने के लिए भी आए और समझाया भी लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। उपेन्द्र के बयान पर कनीना पुलिस ने मृतका के ससुर, सास, पति व तीन नन्दों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी किसी कि भी गिरफ्तारी नही हो पाई है जिसको लेकर आज रिवासा निवासी सैकडों लोगों ने कनीना डीएसपी से मुलाकात की तथा दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की गुहार लगाई है।
फोटो कैप्शन 3: डीएसपी कार्यालय समक्ष रिवासा के लोग के लोग आंदोलन करते हुये।



गलती से जहरीला पदार्थ पीने से व्यक्ति की मौत

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कनीना। कनीना थाने  के गांव मालड़ा में एक व्यक्ति द्वारा गलती से अन्य दवाई पी लेने के कारण उसकी हालत बिगड़ी जिसे सरकारी हस्पताल में भर्ती कराया गया जिसकी  मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार खण्ड के गांव मालडा निवासी सुभाष पचास वर्ष जो अपनी किसी बिमारी की दवाई लेने के लिए उठा और बिजली नही होने के कारण उसी जगह रखी कीटनाशक अन्य दवाई पी लेने से उसकी तबियत बिगड़ गई जिसकी खबर जब घर वालों को लगी तो उन्होने उसे तुरन्त प्रभाव से अस्पताल दिखाया लेकिन उसकी दर्दनांक मौत हो गई। वही इसकी सूचना पुलिस को देकर मामले से अवगत कराया जिसको लेकर पुलिस शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया।


जन्म दिन पर किया पौधारोपण

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कनीना। सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपने जन्म दिन पौधारोपण किया और दूसरों को पौधे लगाने की प्रेरणा दी।
 सुरेन्द्र शर्मा सेवानिवृत्त रेलवे गार्ड के जन्मदिवस के अवसर पर लालगिरी आश्रम में पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पीपल, बड़, पिलखन, आंवला तथा जामुन के पौधे  लगाये। सेवानिवृत्त होने के बाद सुरेंद्र शर्मा सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं तथा उन्होंने कहा कि इस मौसम में ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करके ही धरा को सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसे में सभी को अपने जीवनकाल में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
  उन्होंने कहा कि आज सबसे अधिक आवश्यकता पर्यावरण को शुद्ध करने की है। पूरा वायुमंडल दूषित हो चुका है। पौधों की अंधाधुंध कटने की वजह से मौसम में बदलाव आ गया है। इसलिए आने वाली पीढिय़ों को व अपने जीवन को बचाना है या सुरक्षित रखना है तो प्रत्येक को अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए। जिससे प्रकृति का वातावरण साफ सुथरा बना रहे व हर प्राणी का जीवन सुरक्षित रहे। यह तभी संभव हो सकता जब हर व्यक्ति अपने जीवन में पौधरोपण करता रहे।
 इस अवसर पर उनके सुपुत्र प्रवक्ता सचिन शर्मा, केसी शर्र्मा, नितेश गुप्ता ,संजीव यादव उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 2: बरगद का पौधार लगाते हुये सुरेंद्र शर्मा।


भूल बम बम, बस वो काटा वो मारा

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कनीना। हरियाली तीज के दृष्टिगत पतंगों की बहार आ गई है। सुबह से शाम अब वो मारा, वो काटा की आवाज सुनाई पड़ती है। वर्षों से इन दिनों बम बम का शोर सुनाई पड़ता था जो कोरोना की भेंट चढ़ गया और अब वो काटा वो मारा का शोर छतों पर सुनाई पड़ता है। युवा वर्ग इस मामले में अधिक सक्रिय है। सर्वाधिक पतंगबाजी हरियाली तीज पर होती है। उधर तीज एवं सिंधारा के दृष्टिगत बाजारों में घेवर की मिठाई की धूम मची हुई है। त्योहार पर घेवर का लेनदेन किया जाता है। आगामी 23 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है।
  शहरी क्षेत्र में पतंगबाजी में तेजी आ गई है। बाजारों में दुकानों पर पतंग एवं डोर ही नजर आती है। युवा हो या बच्चा अपनी छतों पर सुबह शाम पतंगबाजी करता है। कोरोना के चलते छुट्टियां चल रही हैं जिसके चलते वे दिनभर छतों पर पतंगबाजी करते हैं।  एक ओर सिंधारा पर्व पर घेवर की मिठाई का बोलबाला है वहीं तीज पर्व पर पतंगबाजी का बोलबाला है। यूं तो इस सावन माह में उत्सवों की बहार है किंतु तीज पर्व का अपना ही महत्व है। सावन में आने वाली हरियाली तीज पर सर्वाधिक पतंगबाजी की जाती है तत्पश्चात पतंगबाजी में कमी आ जाती है।
   सावन माह में इस बार झूले कम ही नजर आते हैं। सावन माह में पुराने समय से झूलों पर झूलने की प्रथा थी किंतु अब वह प्रथा धीमी पड़ गई है। पतंगबाजी में युवा एवं बच्चों की अधिक भागीदारी होती है। दुकानदार योगेश कुमार, रोहित कुमार,सुरेश कुमार ने बताया कि इस बार पतंगबाजी के लिए युवा वर्ग में इतना उत्साह नहीं है जितना होना चाहिए।  
  वैसे तो पतंगबाजी का पर्व खुशी को इंगित करता है। वैसे तो बारिश के बाद ही पतंगबाजी की जाती है किंतु इस बार अभी तक बेहतर बारिश नहीं हुई है।
 अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में दो प्रकार की पतंग हवा में उड़ाई जाती है। एक पतंग के पूंछ होती है जिसे ' 'लंगरीÓ कहा जाता है तो दूसरी बगैर पूंछ की होती है जिसे 'लंड्डूÓ कहा जाता है। बगैर पूंछ की पतंग को पतंगबाजी के एक्सपर्ट जन ही लुत्फ उठा सकते हैं किंतु पूंछ वाली पतंग को छोटे बच्चे तक हवा में उड़ाकर लुत्फ लेते हैं। इन पतंगों के पेच लड़ाए जाते हैं।
   हरियाली तीज के दिन तो दिनभर डेक पर संगीत चलता है और छतों पर कई कई बच्चे इक_े होकर पतंगबाजी करते देखे जा सकते हैं। एक तरफ डेक का शोर सुनाई पड़ता है तो दूसरी ओर वो काटा वो मारा का शोर सुनाई पड़ता है।
  फोटो कैप्शन 7: पतंग उड़ाते बच्चे।

सावन माह है व्रत एवं आराधना का माह

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इस वर्ष श्रावण माह का शुभारंभ उत्तराषाढ 






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कनीना।  पंडित प्रदीप शास्त्री श्री श्याम मंदिर कनीना का कहना है कि नक्षत्र, सोमवार तथा वैधृति योग में हुआ है। इस श्रावण का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अन्तिम दिन रक्षा-बन्धन वाले दिन भी सोमवार है। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग है।
सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अत: सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव-शाक्त में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- शिवेन सह पूजयते शक्ति:सर्व काम फलप्रदा- साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है-यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान। अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग-व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अत: विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा। हमारे जीवन में भगवान शिव मनोवांछित फल देने वाले हैं इसलिए हमें सावन मास में भगवान शिव की आराधना जाप करना चाहिए सर्वप्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से वर्तमान में व्याप्त वैश्विक महामारी 'कोरोनाÓ का अन्त सम्भव है। साथ ही व्यक्ति वर्ष पर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेगा।इस मंत्र के साथ 12 बेल पत्र अर्पित करें।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से राम-राम लिख कर ओम नम: शिवाय शिवाय नम:मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें। बेलपत्र 12 ही नहीं अपितु यथा शक्ति 108 या 1100 भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद ओम स: जूँ स: इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती.. है।शिव-पुराण के अनुसार, सावन मास में शिव शक्ति अर्थात् देवी के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अत: शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता.....
शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। भस्म मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ( बैल) जगत जननी धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
मंत्र -ओम हौ जूं स: भूर्भुव: स्व:  ओम    त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: भू: ओम स: जूं हौं ओम !! इस मंत्र के जाप से हमारे जीवन में हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
   फोटो कैप्शन: प्रदीप शास्त्री





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