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Thursday, July 9, 2020




 मलेरिया एवं डेंगू बचाव की जानकारी दी
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कनीना।  कनीना क्षेत्र में कोरोना बचाव के साथ साथ विभिन्न लोगों को डेंगू से बचने संबंधित जानकारी दी गई।
 कनीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर से सुनील कुमार यादव शीशराम एचआई ने कनीना मंडी में जाकर लोगों को डेंगू के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि यह डेंगू फैलाने वाला मच्छर साफ पानी में मिलता है और दिन के समय ही काटता है। उन्होंने सुझाया कि घरों के आसपास पानी नहीं खड़ा होने पाएंंं। कूलर आदि का जहां पानी जमा होता है उसकी सप्ताह में एक बार सफाई की जाए या पानी पर तेल छिड़क देना चाहिए जिससे मच्छरों के लारवा खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सुबह शाम मच्छर काटते हैं, ऐसे में बच्चों को पूरे कपड़े पहनाने चाहिए ताकि हाथ पर ढके होने पर मच्छर न काट सके। उन्होंने मच्छरों से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के तेल और ओडोमास आदि लगाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मच्छरदानी मच्छरों से बचने का एक आसान सा तरीका है, इसलिए मच्छरदानी का उपयोग किया जाना चाहिए।
सुनील कुमार यादव ने कहा कि अक्सर लोगों में देखने में आया है कि डिस्प्रिन तथा एस्प्रीन नामक गोलियां बिना डॉक्टर की सलाह से ले लेते हैं जो कि ये दोनों गोलियां बुखार होने पर नहीं लेनी चाहिए। बुखार के समय डेंगू हो सकता है और डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम हो जाती है और यह दोनों गोलियां भी प्लेटलेट्स को कम करती है। ऐसे में
ऐसे में डिस्प्रिन और एस्प्रिन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खुले में सोने वालों के लिए मच्छरदानी प्रयोग करनी चाहिए। उन्होंने लोगों को डेंगू बुखार से होने वाले लक्षण और बचाव को लेकर जागरूक करते हुए कहा कि डेंगू बुखार हर साल अनेक लोगों को अस्पताल पहुंचाता है तो कइयों इससे मौत हो जाती है। अगर डेंगू बुखार होने से पहले सावधानी बरती जाए और समय रहते डाक्टरी सलाह ले तो इस पर काबू पाया जा सकता है। मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से मरीज डेंगू बुखार से ग्रस्त हो जाता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो डेंगू फैलाने वाला वायरस मच्छर की लार के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है। डेंगू का बुखार एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है जो दो विशिष्ट प्रजाति के मच्छरों एडीज इजिप्ती और एडीज अल्बोपिक्टस से फैलता है। डेंगू के बुखार में प्राथमिक उपचार में  जरूरी सहायक मापदंडों पर ध्यान देना आवश्यक है और इसके साथ ही डेंगू के अधिक गंभीर लक्षणों को पहचानने पर जोर देना चाहिए जिससे तत्काल चिकित्सीय उपचार मिल सके। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य बुखार से मिलते जुलते होते हैं।वही उन्होंने डेंगू फैलने के मुख्य कारण बताया। वही उन्होंने बताया कि डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले बरसात के मौसम में देखने को मिलते है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में काटते हैं और एक ही जगह ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, जैसे – कूलर के पानी में, रुंधे हुए नालों में और आस-पास की नालियों में। ऐसी जगह पर सावधानी बरतनी चाहिए और दवाई का छिड़काव करते रहना चाहिए। डेंगू हमेशा कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को आसानी से हो जाता है। डेंगू बुखार के लक्षण 3 से 14 दिन बाद दिखते हैं।इसमें सिर और आंखों में दर्द होने लगता है तथा शरीर और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है वही जी मचलाना, उल्टी और दस्त आने शुरू हो जाते है। इससे बचाव को लेकर हमें इस बात को लेकर हमेशा सचेत रहना चाहिए कि अपने घर के अंदर और आस पड़ोस में पानी एक जगह जमा न होने दे। पानी से भरे बर्तनों को ढक कर रखें। किचन और वाशरूम को सूखा रखें। रोजाना सुबह-शाम कूलर का पानी बदलते रहें। खिड़कियों और दरवाजों में जाली लगवायें। मच्छर दानी का प्रयोग करें।जहां मच्छरों का प्रकोप ज्यादा है वहां शरीर पर मच्छर को भगाने वाली क्रीम लगाकर सोना चाहिए वही शरीर पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें चाहिए।
फोटो केप्शन 6:कनीना के सुनील कुमार डेंगू एवं मलेरिया की जानकारी देते हुए।


कोरोना का एक और केस कनीना में आया
-कुल कोरोना के केस बढ़कर 54 हुए 

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में एक और कोरोना पॉजिटिव केस आने से अब कोरोना पोजिटिव केस संख्या बढ़कर 54 हो गई है। उल्लेखनीय है कि कनीना मंडी में लगातार कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ रह हैं। इसी कड़ी में एक मजदूर भी आज कोरोनावायरस स्वास्थ्य विभाग ने स्क्रीनिंग तथा आइसोलेशन का कार्य पूर्ण कर आगामी कार्रवाई कर दी है।
मजदूर बिहार का रहने वाला है तथा 5 जुलाई को बिहार से कनीना आया था जिन्होंने 6 जुलाई को सैंपल दिया जो गुरुवार को कोरोना पाजिटिव पाया गया है। दो टीमों ने मिलकर स्क्रीनिंग की। डॉक्टर मोनिका के साथ शीशराम एचआई सुपरवाइजर, राजेश कुमार एमपीएचडब्ल्यू ,सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू, सुनीता तथा आशा वर्कर ने तथा टीम नंबर दो में सुशीला एएनएम, रिंकू तथा आशा वर्कर ने कनीना मंडी में कंटेनमेंट जोन में एक घर और 7 व्यक्ति तथा बफर जोन में 21 घर और 94 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की।
 डॉक्टर धर्मेंद्र एसएमओ ने बताया कि सावधानी इस रोग से बचने का सबसे बेहतर तरीका है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो निश्चित रूप से रोग फैल सकता है। उन्होंने बचाव में बचाव बताया। उल्लेखनीय है कि कनीना मंडी में एक ही परिवार के 10 वक्ति कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं वहीं कनीना मंडी में कोरोना पॉजिटिव पहले भी आए हैं।
 फोटो कैप्शन 3: स्क्रीनिंग करतेे हुए स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी।


कोरोना योद्धा सम्मानित

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कनीना। सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल ने पुलिस किर्मयों को सम्मानित किया। विस्तृत जानकारी देते हुए नवीन कौशिक ने बताया कि कोरोना काल में लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने व प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग करने के मामले में उनकी संस्था प्रशासनिक अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग व सफाई कर्मियों प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित कर रही है। इसी कड़ी में गांव पड़तल में ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों में होमगार्ड विकास व अन्य कर्मियों को सम्मानित किया।  श्री कौशिक ने बताया कि हम लगातार अपने कार्य जैसे भोजन व्यवस्था, दवाई वितरण व सेनेटाइजर का कार्य पूर्ण करते हुए अब सभी कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा रहा है। उसी तरह संस्था अध्यक्ष नवीन कौशिक ने बताया कि इस महामारी के समय में तीन विभाग पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्य विभाग, व सफाई कर्मियों ने जो सेवा की है और लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को बनाये रखा है। उसके लिए  उन्हें सम्मानित कर धन्यवाद करते हैं।  इसी कड़ी में 15 जुलाई से अपने अभियान  पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ की शुरुआत कर रहे हैं जिसमे सरकार के पौधगिरी व जल शक्ति अभियान को साथ लेकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का कार्य भी शुरू हो रहा है। इस अवसर पर विकाश,राकेश, योगेश व संस्था के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 4: पुलिस कर्मियों को सम्मानित करती बीइंग संस्था।


दस लाख रुपये का चैक भेंट किया

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संवाद सहयोगी,कनीना।
बिजली विभाग के अधिकारियों ने विगतदिनों कनीन में करंट से मरे व्यक्ति के परिजनों को दस लाख रुपये का चैक भेंट किया।
 उल्लेखनीय है कि डीसी रेट पर कार्यरत प्रदीप नामक युवक बिजली के तारों में काम कर रहा था जिसकी 3 जुलाई को अचानक करंट आने से मौत हो गई थी। बिजली का करंट लगने से दुर्घटना में मरणोपरांत बिजली विभाग की तरफ से 10 लाख का चैक मुआवजे के तौर परिजनों को सौंपा। कृष्ण मैनेजर, कंवर सिंह नम्बरदार जोगिन्द्र को चैक  भेंट किया गया। इस अवसर पर कार्यकारी अभियंता बुधराम व प्रदेश मुख्य संघठन कर्ता महावीर पहलवान बाघोत व हैडक्लर्क समशेर यादव सतवीर यादव ऑर्गनाजर, यूनिट प्रधान सत्यवान यादव व सचिव अमरजीत व टीसी सर्कल सचिव रामरतन शर्मा के अतिरिक्त सब यूनिट प्रधान रमेश शर्मा सचिव हवासिंह यादव, बलबीर खटाना सन्दीप कैशियर, रिछपाल, नवीन लखेरा, राजेश पोता, रामकिशन, सतीश नौताना, सतीश झगडोली अशोक आदि सभी कर्मचारी साथी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: दस लाख का चैक भेंट करते बिजली विभाग के अधिकारी।


आराधना से शिवत्व को प्राप्त करें
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रिमझिम बारिश, सावन का महीना, पेड़ों पर तरुणाई, मयूर नृत्य, टिड्डे एवं मेंढक के स्वर पूर्र्ण गीत, बजता हुआ मधुर संगीत मदमाता सावन का द्योतक होता है। मदमाता सावन माह शरीर में आध्यात्मिकता ऊर्जा तथा ज्ञान का संचार कर देता है। सोए हुए जीव जंतु को जागृत कर देता है।  वास्तव में संस्कृति सभ्यता का द्योतक यह माह नवजागरण का संदेश देने वाला होता है। जहां इस माह में सभी सक्रिय हो जाते हैं, गर्मी की मार झेल झेल कर जीव सुषुप्त जैसी अवस्था में होते हैं और रिमझिम बारिश में फिर से प्रफुल्लित हो जाते हैं। चारों और हरियाली, दौड़ते हुए बादल, गरजती हुई बिजली, उड़ते हुए पतंग, बने हुए घरों में विभिन्न पकवान इंसान को जागृत कर देते हैं। यह माह भगवान भोलेनाथ को याद करने का होता है। पर्व त्योहारों से भरा हुआ यह माह वास्तव में प्रकृति में सबसे सुंदर होता है। इस समय इंसान ऊर्जावान हो जाता है परंतु इंसान को इस माह में शिव भोले को याद करते, आराधना करते रहना चाहिए।
पुराने समय में भी लोग इस माह में आराधना में जुटे रहते थे। वर्तमान में जब कोरोना से जूझ रहे इस समय भी शिव की आराधना बहुत जरूरी हो गई है। चारों ओर शिवालयों में शिव भजन गूंजते हैंं वहां शिव को पूजना चाहिए। वास्तव में कांवड़ यात्रा भी चलती है लेकिन इस बार कावड़ को थोड़ा कोरोना ग्रहण लग गया है किंतु इंसान को घर में बैठकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए और मन की अंतरात्मा को जगाना चाहिए तब ही इंसान शिवत्व को प्राप्त कर सकता है। प्रकृति का सौंदर्य भाव जगाने वाला यह माह झरनों में दिव्य नाद सुनाने वाला होता है वहीं यह माह नन्हें-नन्हें बीजों को अंकुरित करने वाला होता है। यह माह मद्भावन करने वाला होता है। यही कारण है कि उस प्रभु शिव भोले की याद आती है और उस शिव भोले के शिवत्व को प्राप्त करने के लिए इंसान जागृत होकर कार्य करता है।
 प्रदीप शास्त्री कनीना।

कोरोना अनलोक, अतिक्रमण से सड़के लोक

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कनीना। कनीना में जहां कोरोना अनलॉक होते ही सड़के से लाक हो गई हैं। अतिक्रमण पूरे यौवन पर है। जहां बस स्टैंड पर दुकानों के सामने रेहड़ी वाले रेहड़ी लगाकर, साइन बोर्ड, निजी वाहन दुकानों के आगे खड़ा कर आवागमन प्रभावित कर रहे हैं वहीं रेहड़ी वालों से कुछ दुकानदार प्रतिदिन राशि लेने की एवज में दुकानों के आगे रेहड़ी खड़ी करने दे रहे हैं।  यही कारण है कि दुकानों के आगे रेहडिय़ां खड़ी अतिक्रमण का कारण बन रही है।  अनाज मंडी टी-प्वाइंट से रेलवे स्टेशन, अटेली टी-प्वाइंट से रेवाड़ी टी-प्वाइंट तक, बाबा मोलड़ आश्रम या वर्तमान में निर्माणाधीन नगर पालिका कार्यालय के आस पास अतिक्रमण का बोलबाला है।  अनाज मंडी मार्ग पर तो अतिक्रमण इस कदर है कि दो वाहन साइड नहीं ले पा सकते हैं। मुख्य मार्ग से गुजर पानी भी कठिन है।
सड़क किनारे जहां अवैध होर्डिंंग लगा दिए गए हैं वहीं पेड़ों, पोल, बिजली के खंभों पर पोस्टर बैनर आदि की भरमार है।  आए दिन अतिक्रमण के चलते दुर्घटनाएं, गाली गलौच, मार पिटाई होती रहती है किंतु सभी परेशान इस नजारे को देख रहे हैं।
 सुरेश यादव का कहना है कि अतिक्रमण इस कद्र सिर चढ़ बोल रहा है कि निजी वाहन से सड़क पार करना कठिन हो गया है। दुकानों के आगे रेहडियां, साइन बोर्ड, निजी वाहन भारी संख्या में खड़े रहते हैं। यदि उनसे कोई छू जाए तो उस व्यक्ति की खैर नहीं है। यही कारण है कि आए दिन यह समस्या दुर्घटनाओं का कारण बन रही है। उन्होंने अतिक्रमण एक बड़ी परेशानी करार दिया है।
 महेंद्र कुमार का कहना है कि अतिक्रमण के चलते जीना मुहाल हो गया है। किसी भी सड़क मार्ग पर देखें अतिक्रमण का बोलबाला है। दुकानदार जितनी जगह दुकानों के अंदर रखते हैं उनसे कहीं अधिक जगह दुकान के बाहर रोके बैठे हैं जिसके चलते दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
 सतीश कुमार पालिका प्रधान नगर पालिका का कहना है कि अतिक्रमण की समस्या उनके सामने आ रही है। कई बार अतिक्रमण हटवा दिया है किंतु जल्द ही पुन: अतिक्रमण हटाया जाएगा।


लाखों रुपए जन सुविधा लगा कर भी नहीं मिल रही सुविधा 

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 कनीना। कनीना के पूर्व एसडीएम संदीप सिंह द्वारा कनीना में जहां ई- टॉयलेट, फ्रेंडली टॉयलेट, इको फ्रेंडली टॉयलेट आदि कई नामों से जन सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रयास किया किंतु पशु अस्पताल, अस्पताल, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय, थाना परिसर में स्थित लाखों रुपए की लगाई गई जन सुविधा लोगों के लिए दुविधा बन रही है। ये काम नहीं कर रही है। इससे पहले पशु अस्पताल के द्वार के पास जहां जन सुविधा बनी हुई थी वहीं पशुओं के पीने के लिए पानी की सुविधा भी थी। वे दोनों हटाकर जहां आधुनिक ई-टायलेट स्थापित की गई है जो पानी के अभाव में कार्य नहीं कर रही है। करीब दो सालों से बेकार पड़ी है। पूर्णता स्वचालित जनसुविधा जहां अनेकों विशेषताओं से परिपूर्ण थी किंतु अब अनेकों खामियों से परिपूर्ण बन गई है।  प्रत्येक की कीमत छह लाख रुपये बताई जा रही है। दुकानदार नगरपालिका को भारी-भरकम किराया देते हैं किंतु उनके लिए जनसेवा के नाम पर इस प्रकार की दुविधा मिल रही है।
 कनीना मंडी टी-प्वाइंट से अनाज मंडी को जाते समय पशु अस्पताल के पास ई-टायलेेट स्थापित की गई थी। तब यह माना जा रहा था कि लोगों को बड़ी सुविधा मिलेगी। पुराने वक्त की जनसुविधा को तोड़ दिया गया था वही पशुओं के लिए पानी के लिए खेल बनाई गई थी वह भी हटा दी गई थी। यह पूर्ण स्वचालित टॉयलेट इंसान के प्रवेश करने पर अपने आप बंद हो जाती थी और दूसरा व्यक्ति उसमें प्रवेश नहीं कर सकता था। इंसान जब इसका उपयोग कर लेता था पानी अपने आप चलता था किंतु वर्तमान में बेकार पड़ी है।        डा अजीत कुमार का कहना है कि कभी यहां पुराने समय की जनसुविधा थी जो लोगों के काम आ रही थी। उसको तोड़कर यह आधुनिक दर्जे की जनसुविधा बना तो दी किंतु दो सालों से काम ही नहीं कर रही जिसके चलते लोग इधर-उधर पेशाब करने को मजबूर है। महिलाएं तो बहुत परेशान है । कनीना मंडी टी प्वाइंट से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक अन्य कोई इस सड़क मार्ग पर जनसुविधा नहीं है। जन सुविधा के नाम पर दुविधा मिल रही है।
उधर सुरेंद्र कुमार दुकानदार का कहना है कि जन सुविधा के नाम पर परेशानी मिल रही है। लघु शंका के लिए भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। जहां दुकान का काम छोड़कर दूर जाने से दुकानदारी भी खराब हो जाती है। वे नगरपालिका को किराया दे रहे हैं उसके बदले उन्हें इस प्रकार की घटिया दर्जे की जनसुविधा दी जा रही जो काम ही नहीं कर रही है। उन्होंने नगर पालिका से मांग की है कि इसे तुरंत चालू करवाया जाए ताकि लोगों को सुविधा प्राप्त हो सके।
 सुदेश यादव जो दुकानदारी करती है का कहना है कि पुरुष तो इधर-उधर लघु शंका के लिए जा सकते हैं किंतु महिलाएं कहां जाए? उनका कहना है कि पुराने समय में जो जन सुविधा थी वह कम से कम काम तो आ रही थी किंतु उसके बदले सरकार ने भारी पैसे भी लगा दिए और यह जन सुविधा काम भी नहीं कर रही है। ऐसे में उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस प्रकार की सुविधा तो दी उसे उसे चालू किया जाए। यदि कोई खराबी है तो उसे ठीक करवाया जाए। अगर पानी की सुविधा इसमें अभी तक नहीं हो पाई है तो पानी सुविधा प्रदान कर लोगों को जन सुविधा प्रदान की जाए।
नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में बार बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है किंतु अभी तक उनके पास पूरी जानकारी नहीं है। या तो इनको किसी प्रकार ठीक करवाया जाएगा या फिर नया टायलेट बनवा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जब कनीना नगरपालिका के प्रशासक होते थे तब ये टायलेट खरीद कर सेट किये गए थे।
 फोटो कैप्शन 1: ई टॉयलेट जो बंद पड़ी है
 साथ में अजीत कुमार, सुदेश कुमारी, सुरेंद्र यादव , सतीश जेलदार की फोटो भी है


घर के दरवाजे को ब्लैक बोर्ड मानकर पढ़ाती है छोटे बच्चों कों













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कनीना। बेशक संसाधनों की कमी की कोई दुहाई देता रहे किंतु सीमित साधनों में भी हिम्मत हो तो कुछ नया कर गुजर सकते हैं। कनीना उपमंडल के गांव झाड़ली की कक्षा 9वीं की छात्रा प्रीति आजकल अपने घर के दरवाजे पर छोटे बच्चों को शिक्षित कर रही है। छात्रा के पिता महेन्द्र शर्मा ने बताया कि उसकी बेटी प्रीति सूरज स्कूल में कक्षा 9वीं की छात्रा है। उसका लक्ष्य एक आईएएस अधिकारी बनने का है। उनके जुनून के चलते एसडीएम कनीना ने उन्हें सम्मानित किया है।
प्रीति अपनी पढ़ाई के साथ-साथ आस-पास के बच्चों को भी शिक्षा दे रही है।अपने घर के आस-पास रहने वाले छोटे बच्चों को भी नि:शुल्क में पढ़ा रही है। जिसके लिए प्रीति ने अपनी दिनचर्या को एक शड्यूल के माध्यम से ढाला हुआ है। जिसके अनुसार वह प्रतिदिन कार्य कर अपने लक्ष्य की तरफ बढऩे का कार्य कर रही है।
झाड़ली निवासी कक्षा 9वीं की छात्रा प्रीति के द्वारा घर में ब्लेक बोर्ड न होने की स्थिति में अपने घर के दरवाजे को ही बोर्ड बनाया हुआ है। जिसके माध्यम से वह घर में पढऩे आने वाले बच्चों को पढ़ाई करवा रही है। उसके पास आस-पास के घरों के करीब 20 बच्चें पढ़ाई के लिए आते है।
प्रीति के पिता महेन्द्र शर्मा ने बताया कि उसकी बेटी प्रीति प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठकर व्यायाम आदि कर 5 बजे अपनी पढ़ाई शुरू कर देती है। सुबह 5 से 7 बजे तक पढ़ाई करने के बाद आधा घंटे का आराम कर 7:30 बजे से करीब 9:30 बजे तक बच्चों को पढ़ाई है। उसके बाद दोपहर एक बजे तक अपने स्कूल की ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई करती है। उसके बाद दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक आराम करती है। उसके बाद 4 बजे से 5:30 बजे तक बच्चों को पढ़ाती है। उसके बाद शाम करीब 8 बजे से 10:30 बजे तक अपनी पढ़ाई करती है। अब तो उसके पिता ने ब्लैक बोर्ड भी लाकर दे दिया है। उल्लेखनीय है कि हरियाणवी कवि महेंद्र शर्मा के महज दो पुत्रियां हैं। वे पुत्रियों को ही पुत्र मानकर उनकी पढ़ाई का कम करवा रहे हैं। उनकी दूसरी पुत्री सातवीं कक्षा की छात्रा है।
फोटो कैप्शन 2 व 3: बच्चों को पढ़ाती छात्रा प्रीति

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