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Saturday, July 11, 2020


टिड्डी दल गुजरा कनीना के गांवें से 

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 कनीना। कनीना क्षेत्र के भडफ़, करीरा, कनीना सीमा के सीमा के लगते डहीना, जैनाबाद, कोटिया से होता हुआ गाहड़ा सीहोर की तरफ टिड्डी दल गुजर गया। किसानों ने तुरंत थाली,कचोला, परांत आदि बजाई।
भडफ़ गांव के सरपंच महेंद्र सिंह ने बताया कि जब खड़े थे तो अचानक एक ट्ड्डिी दल नजर आया तुरंत लोगों को सूचित किया ताकि वे थाली कचौला बजाने लगे। लोगों ने जल्दी ट्ड्डिी  दल को करीरा की ओर रवाना कर दिया और करीरा से होते हुए गाहड़ा, सीहोर की ओर गुजर गया। महेंद्र सिंह सरपंच ने बताया कि ट्ड्डिी दल इतना बड़ा नहीं था। महज आधा किलो मीटर लंबा तथा आधा किलो मीटर चौड़ा गुजरा है।
उधर पूर्व कृषि विशेषज्ञ डा देवराज यादव ने बताया कि जब ट्ड्डिी  दल जब कहीं आए तो शोर शराबे करके इसे भगाया जा सकता है। डीजे बजा कर,कचोला, कांशी के बर्तन, छाज पीटकर, पीपा बजाकर तथा घरेलू उपकरण आदि से भगाया जा सकता है और इसे बैठने से रोका जा सकता है।
जब टिड्डी दल रात को बैठ जाता है तो इस पर स्प्रे करके इसको खत्म किया जा सकता है अन्यथा इसे लाठी-डंडों से नहीं मारा जा सकता।
 उन्होंने बताया कि 2 बाई 2 किलोमीटर में लाखों टिड्डी दल चलते हैं और 1 दिन में 35,000 लोगों का खाना चट कर जाते हैं। ऐसे में जब भी कभी भी टिड्डी दल दिखाई दे तो तुरंत खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में सूचना देनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि मौसम यदि अनुकूलित हुआ तो यह प्रवेश कर सकता है। यह सदा हवा की दिशा में ही चलता है। प्रतिदिन डेढ़ सौ किलोमीटर दूरी हवा की दिशा में तय कर सकता है। उन्होंने बताया कि यदि पछुआ हवा चलेगी तो हमारे इस क्षेत्र में टिड्डी दल आने की संभावना घट जाती है। उन्होंने बताया कि सावधानी में ही बचाव है। टिड्डी दल को रोकने के लिए जरूरी है कि समय पर सावधान रहें।
यूं तो टिड्डियों  ने कई देशों को परेशान कर रखा है वहीं देश देश के कुछ राज्य टिड्डी दल के कहर से जूझ रहे हैं। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र इस समय टिड्डी दल से परेशान है। दिल्ली और यूपी भी अलर्ट है। किंतु जहां कहीं भी जाये वहां सब कुछ तबाह कर देते हैं।
माना जाता है कि पूरी धरती के 1/5 भाग को कवर कर सकता है। टिड्डी दल संसार की 1/10 जनसंख्या की रोजी.रोटी छीन सकते हैं। जग में 60 देशों में इसका कहर चल रहा है।
हनीमून ट्रिप पर आता है टिड्डी दल---
भारत में मॉनसून से पहले अपनी संख्या बढ़ाने के लिए टिड्डी दल भारत में आता है। भारत में कई जगह कहर बरपाने को तैयार है। ये अजीब जीव संख्या बढ़ाने के साथ साथ फसल को तबाह कर देते हैं।
कैसे हो पहचान-
टिड्डी दल झुंड में ही चलते हैं। मेटिंग के दो दिन बाद ही पीले टिड्डी अंडे देते हैं। मादा जमीन में करीब 6 इंच गहराई पर अंडे देती है। उस जगह सूराख हो जाता है और सूराख के मुंह पर सफेद पाउडर सा दिखाई पड़ता है। ऐसे में टिड्डी दल तीन-चार दिन एक जगह रुकते हैं।
अंडे से लारवा निकलकर 30 दिन में ही पूरा वयस्क हो जाता है। दिनभर ये उड़ते हैं और शाम होते ही पेड़ों पर पौधों पर बैठ जाते हैं। रात भर बैठे रहते हैं फिर सूरज उगने के साथ ही उडऩे लगते हैं। ऐसे में खेत में आने से रोकने के लिए डीजे साउंड या जोर से ढोलक, ड्रम, थाली आवाज की जाये जो इन्हें पसंद नहीं है। साउंड इनको पसंद नहीं है। इससे ये भागते हैं।
अधिकारी ने बताया कि इनको मारने के लिए मालाथियान, क्लोरोपाइरीफास आदि नाम के पेस्टिसाइड का छिड़काव किया जाता है। विभाग को टिड्डी दल गुजर जाने के बाद सूचना पहुंची।

फोटो कैप्शन 3:भडफ़ गांव में हवा में उड़ता टिड्डी दल।

 बाबा जोहड़ का हो रहा है सौंदर्यीकरण
-दैनिक जागरण ने इस समस्या को प्रमुखता से उठाया था 

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 कनीना। कस्बा कनीना के प्रसिद्ध संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। जहां संत शिरोमणि बाबा जिस प्राकृतिक जोहड़ के पास बैठकर तप करते थे उसको एक बार फिर से पानी से भरा जाएगा। इस बार पक्की चारदीवारी भी बनाई जा रही है। इस जोहड़ की ऐतिहासिकता को देखते हुए साफ पानी से भरने के लिए दैनिक जागरण ने एक मुहिम शुरू की थी जिसके तहत पालिका प्रधान तक यह बात पहुंचाई गई थी और आखिरकार पालिका प्रधान ने दैनिक जागरण के उस कथन पर खरा उतरते हुए अब इसकी चारदीवारी बनाकर साफ पानी से भरने का निर्णय लिया है। काम चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह जोहड़ कभी छोटी बणी (जंगल) में होता था( चारों तरफ जाल के पेड़ थे शुद्ध पानी से भरा रहता था। संत शिरोमणि मोलडऩाथ जो पूरे प्रदेश में विख्यात हैं, इस जोहड़ के किनारे बैठकर तप करते थे। यह जोड़ साफ पानी से भरा होता था। जीव जंतु यहां विचरित करते थे। आज भी बाबा के प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि यहां मोर और गीदड़ कबूतर, चिडिय़ा और नाना प्रकार के जीव जंतु बाबा के आसपास घूमते रहते थे। परंतु कनीना बस स्टैंड स्थापना के बाद इस जोड़ को मलिन कर दिया था और अब इस जोहड़ को सुखाकर नए सिरे से पुनरुद्धार किया जा रहा है। जिसमें इसकी चारदीवारी पक्की की जा रही है। पालिका प्रधान ने बताया की जोहड़ और बाबा की आस्था को ध्यान में रखते हुए ईश्वर का पुनरुद्धार किया जा रहा है ताकि आने वाले समय में लोग जोहड़ के दर्शन कर सके और बाबा की यादों में खो जाए
वर्तमान में इस दौड़ की खुदाई हो चुकी है तथा इसकी चारदीवारी का कार्य शुरू हो गया है। आने वाले समय में यह जोहड़ पूर्ण रूप से साफ पानी से भरा होगा।
फोटो कैप्शन 5 रोड निर्माण कार्य का नजारा।


मनीषा ने पाया प्रथम स्थान

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 कनीना। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला  में अंतरराष्ट्रीय जन-गणना दिवस कार्यक्रम के अवसर पर निबंध लेखन /स्लोगन आदि का कार्यक्रम किया गया जिसमें अव्वल तीन विद्यार्थी छांटे गये।
मुख्याध्यापक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि  बच्चों ने जनसंख्या नियंत्रण पर आधारित निबंध लिखकर के ऑनलाइन (व्हाट्सएप)भेजें जिनका अवलोकन उपरांत पाया कि मनीषा कुमारी सुपुत्री विजय कुमार कक्षा आठवीं ने प्रथम स्थान व
 द्वितीय स्थान शिवानी तथा तृतीय स्थान लक्ष्य कक्षा आठवीं ने प्राप्त किया सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर के भाग लिया। इस अवसर पर श्री वीरेंद्र सिंह मौलिक मुख्याध्यापक ने बच्चों को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित आवश्यक जानकारी दी और बताया कि शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने अधिकार और  कर्तव्य को प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि (छोटा परिवार ही सुखी परिवार का आधार होता है)। आज भौतिकवादी युग में मनुष्य अपनी स्वार्थ भावना के वशीभूत हो रहा है ऐसे में हमें हर क्षेत्र में जागरूक होना अति आवश्यक है और इसका एकमात्र माध्यम शिक्षा है। वर्तमान में देश और राज्य में फैली कोराना महामारी से संक्रमण/ वायरस से सभी जूझ रहे हैं इसलिए हमें अपने घर पर बैठकर सुरक्षित रह कर अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी रखना चाहिए। विषय अध्यापकों के द्वारा जो होमवर्क प्रतिदिन भेजा जाता है उसे प्रतिदिन पूरा करना चाहिए आज जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक और  रुचि पूर्ण रहा।
 उन्होंने बताया कि  सभी बच्चों ने ऑनलाइन के माध्यम से अपने- अपने विचार /भाव लिखकर व्यक्त किए जो प्रसन्नीय एवं सराहनीय थे मुख्याध्यापक में सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर देशराज जी, राधेश्याम शास्त्री, सतवीर सिंह, भगत सिंह व राजेश आदि भी उपस्थित रहे।

पौधारोपण अभियान चलाया।

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कनीना। करीरा में बाबा किशोर दास की प्रेरणा राजा वाली बैणी में बजरंगबली युवा क्लब करीरा ने पौधागिरी अभियान चलाया। इस अभियान के तहत औषधीय पौधे जैसे अर्जुन, बेलगिरी, कदम, तुलसी, गिलोय, अलवीरा, जामुन , अमरूद , पीपल, बड आदि के 40 पौधों का रोपण किया गया। कर्मवीर समाजसेवी ने बताया कि बजरंगबली युवा क्लब पौधागिरी अभियान को जारी रखेगा तथा इस वर्ष में 500 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पौधों की देखभाल रखरखाव की जिम्मेवारी कर्मवीर, नरवीर यादव, प्रीतम, सनी, गोरिया, कविंदर, कालू, सचिन, रविंदर, पंकज, सोनू सहित समस्त बजरंगबली युवा क्लब करेगा।
  इस मौके पर प्रधान बाबू लाल यादव ने बताया कि पर्यावरण से जोडऩे और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान गांव के अतिरिक्त पूरे जिला में चलाया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिवर्ष एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए इसके लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। पौधे हमें औषधि के साथ साथ हैं फल, फूल, छाया देते हैं कथा पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। मानव के जीवन में जल एवं पौधों का बहुत बड़ा महत्व है। हमारा जीवन पौधों के साथ है जुड़ा हुआ है। इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक का यह करते बनता है की अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं। करीरा इस बनी में हनुमान जी का सुंदर मंदिर है जिसमें हनुमान जी विराजमान है। इसके साथ है मां शेरावाली का मंदिर भी बनाया गया है। जोकि बहुत ही भव्य है।
फोटो कैप्शन 1: पौधारोपण करते हुए करीरा में समाजसेवी।


सावन बीत रहा है सूखा
-इंद्रदेव पर टिकी है नजरें

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में सावन सूखा गुजर रहा है। लंबे अरसे से अच्छी बारिश नहीं हुई है। महज बूंदाबांदी से ही काम चला है। किसान बेहद परेशान है। खेतों में जहां गर्मी और सूर्य की तपन से बाजरे की फसल अलसाई नजर आने लगी है, नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। किसान बार-बार इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्दी से बारिश हो ताकि उनकी फसल बच सके।
उल्लेखनीय है कि बाजरे का सरकारी मूल्य गेहूं से अधिक बेहतर है। जहां बाजरे का सरकारी मूल्य 2150 रुपये पति क्क्विंटल है जबकि गेहूं का सरकारी मूल्य 1925 है। ऐसे में किसानों की नजरें बाजरा पैदा करने पर टिकी हुई है। अभी तक सरकारी पोर्टल भी नहीं खुला है जिससे अभी भी असमंजस की स्थिति है कि बाजरा सरकारी तौर पर खरीदा की जाएगा या नहीं।
 उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में विगत वर्षों बाजरे की सरकारी खरीद हुई थी जिसके चलते किसानों में उत्साह जागृत हुआ। जिसके चलते अभी भी 19000 हक्टेयर पर बाजरा पैदा किया जाना है। अभी तो बहुत से किसान बाजरा बोने की फिराक में है वहीं कुछ बहुत से लोगों का बाजरा निराई गुड़ाई हो चुका है। ऐसे में बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
 किसान कुलदीप बोहरा ने बताया कि फसल के लिए पानी की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती। यदि थोड़ी सी बारिश हो जाए तो उससे भी बाजरा संभव हो सकता है किंतु जून माह में बारिश हुई थी तत्पश्चात कोई बारिश नहीं हो रही है। यहां तक कि सावन सूखा बीत रहा है। यदि यही हालात चले तो आने वाले समय में किसानों के हालात और भी बदतर हो जाएगी। ऐसे में किसान बेसब्री से बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं।
उधर मोहन सिंह किसान का कहना है कि अब नलकूपों से सिंचाई की जा रही है। उनका कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई और सावन सूखा बिता रहा तो आने वाले समय में बड़ी परेशानी बन सकता है। उनका कहना है कि किसानों के लिए कभी टिड्डी दल, कभी ओलावृष्टि तो कभी बारिश का न होना समस्या बनते जा रहे हैं। वह बार-बार इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी प्रकार उनकी फसल को बचा दे।
फोटो कैप्शन 2: में सूखता हुआ बाजरा तथा किसान कुलदीप सिंह एवं मोहन सिंह।

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