फल सब्जियों में आया अचानक उछाल न
-दोगुने हुए भाव
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कनीना। कनीना क्षेत्र में फल और सब्जियों के भाव सोमवार को दोगुने हो गए हैं। जहां सोमवार से सावन शुरू होने के कारण व्रत चलते हैं इसलिए भी फल एवं सब्जियां महंगी हो गई। खीरा और आम 50 रुपये किलो बिके। हल्के दर्जे के आम भी 50 रुपये किलो और बढिय़ा आम 100 रुपये किलो बीके।
अन्य दिनों हल्के दर्जे के आम 25 से 30 रूपए किलो बिकते हैं। खीरा 20 रुपये बिकती थी आज वह भी 50 रुपये किलो बिक रही है। लौकी 20 रुपये, जबकि अन्य दिनों दस रुपये किलो बिकती हरा धनिया हरा धनिया 800 रुपये किलो पहुंच गया है। यहां तक कि बाजार में सब्जी की आवक घट गई है तथा विवाह शादियां बंद होने के बावजूद भी आज फल सब्जियां महंगी हैं। केला 70 रुपये दर्जन बिका वही वही अदरक 125 रुपए किलो भिंडी 40 से 50 रुपये किलो तथा अन्य सब्जियां भी बहुत महंगे दामों पर बिक रही थी।
ग्राहक सूबे सिंह, अजीत कुमार, रवि कुमार, सुरेश कुमार आदि ने बताया कि सोमवार की वजह से भी महंगाई बढ़ी हुई है। सावन माह के चलते भी ऐसा हुआ है। जिसके कारण ही फल सब्जियां महंगी कर दी गई है जहां इस बार मेले उत्सव नहीं लगे।
इक्का-दुक्का नजर आए जल अर्पित करने वाले
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कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सावन के प्रथम सोमवार को बहुत कम भक्त मंदिरों में पहुंचे। इस बार बड़ी ही सावधानी से इक्का-दुक्का जल अर्पित करने जा रहे थे। अधिकांश वक्त अपने घरों में ही रहकर जल अर्पण का कार्य किया। इस बार जहां कांवड़ पर प्रतिबंध है वहीं मंदिरों में भीपर लगने वाले मेले भी बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में जहां इस बार यह पर्व भी कोरोना की भेंट चढ गया है।
घर पर ही पूजा-अर्चना शुरू
-कावड़ नहीं आ सकेंगी
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कनीना। इस बार कावड़ हरिद्वार से नहीं आने के कारण जो पुराने कावडि़ए थे वे घर पर ही अपने पूजा अर्चना करके जल अर्पित कर रहे हैं। कनीना कस्बे के करीब एक हजार वक्ति कावड़ लाने हर वर्ष हरिद्वार जाते रहे हैं। जहां तक की डाक कावड़ में भारी हंगामा होता आया है किंतु इस बार सभी प्रकार की कावड़ प्रशासन द्वारा बंद कर दी गई है। जिसको लेकर के पुराने भक्त अब घर पर ही शिवलिंग अभिषेक करने लगे हैं।
कनीना के ज्योतिषाचार्य सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि कोरोना के दृष्टिगत इस बार घर पर ही पूजा अर्चना की जाए। शिवलिंग अभिषेक किया जाए। बेलपत्र, आक, धतूरा आदि से विधि विधान से शिवलिंग का अभिषेक करके प्रतिदिन पूजा अर्चना करके ओम नम: शिवाय का जाप किया जाये।
सबसे पुराने कावडि़ए सुमेर सिंह चेयरमैन ने बताया कि वे लगातार 50 कावड़ ले आए हैं और इस बार भी वे कावड़ लाते लेकिन मजबूरी है कि कोरोना फैल गया है। अभी अपने घर पर ही शिवलिंग पर जल अर्पित करेंगे। जब भी समय लगेगा आसपास किसी शिवालय में जाकर भी जल अर्पित करेंगे। उनका कहना है कि कोरोना के दृष्टिगत सरकार ने जो फैसला लिया है उचित लिया है। ऐसे में इस फैसले का हमें आदर करना चाहिए और इस बार घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
अनिल कुमार का कहना है कि वर्षों से 30 कांवड़ अर्पित कर चुके हैं किंतु इस बार जहां कोरोना के दृष्टिगत कांवड़ नहीं लाएंगे। अपने घर पर ही शिव को प्रसन्न करेंगे। पूजा-अर्चना करेंगे, परिवार सहित पूजा अर्चना करके शिव को प्रसन्न करेंगे। उनका कहना है कि शिव भोले तो बहुत अल्प से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में हम विगत वर्षों में लाया गया गंगाजल ही अर्पित करके शिव की पूजा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार का जो निर्णय है वह ठीक साबित हो रहा है।
पुराने कावडि़ए भरपूर सिंह का कहना है कि वे 16 कावड़ लेकर आए थे किंतु दुर्भाग्यवश उनके पैरों में दर्द शुरू होने से कावड़ नहीं ला पा रहे थे ऊपर से इस बार कोरोना के चलते भी कावड़ नहीं लाएंगे। उनका कहना है घर पर ही जल अर्पित करने के अतिरिक्त पास में बने हुए शिवालय में भी जाकर जल अर्पित करेंगे। उन्होंने सरकार के लिए गए कांवड़ न लाने के निर्णय स्वागत किया है और कहा है कि यह उचित कदम है ताकि कोरोना बीमारी पर काबू पाया जा सके। भरपूर सिंह ने तो शिव से प्रसन्न होकर शिवालय का निर्माण भी कनीना में किया है।
कनीना के सज्जन बौहरा, भीम सिंह एचएस यादव, पोप सिंह आदि ने बताया कि वह इस बार घर पर ही शिव की पूजा करेंगे और उन्हें जल अर्पित करेंगे।
फोटो कैप्शन:सुरेंद्र शर्मा, सुमेर सिंह भरपूर सिंह तथा अनिल कुमार
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस मनाया
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कनीना। भाजपा कनीना मंडी स्थित ओम प्रकाश लिशानिया जिला सचिव के प्रतिष्ठान पर लड्डू ,सैनिटाइजर मास्क बांटकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद किया। इस अवसर पर श्री लिसानिया ने कहा कि देश हित में कश्मीर में जाकर भारतीयों पर लगा बैन हटवाया। एक देश में दो प्रधान दो विधान नहीं चलने का नारा दिया। कश्मीर कोई भी भारतीय जा सकेगा, यह बंधन तोड़कर भारत सरकार को चेताया था। इस कार्यक्रम में राजकुमार चेयरमैन, नवीन मित्तल कंवर सेन वशिष्ठ, देशराज यादव, अरुण कौशिक ,प्रेम गुप्ता तथा अन्य मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 4: श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बांटते हुए मास्क।
करोना एक वायरस बचाव व जागरूकता से दे सकते हैं मात-एसडीएम
करोना जागरूकता रथ कनीना पहुंचने पर एसडीएम ने हरीझंडी दिखाकर किया रवाना
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कनीना। कोरोना एक वायरस है जिसको सावधानी व जागरूकता से हम मात दे सकते है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही आपके जीवन को भारी पड सकती है। करोना वायरस में छोटी-छोटी लेकिन बहुत जरूरी बातों का ध्यान रखकर हम इसको फैलने से रोक सकते है।
ये बातें एसडीएम रणबीर सिंह ने करोना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कहीं। करोना रथ को हरी झंडी दिखाने से पहले एसडीएम ने झंडी को भी सैनेटाइज किया। सभी रथ के सदस्य चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। एसडीएम रणबीर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी इस समय अपने पूरे चरम पर पहुंच चुकी है। हमें चाहिए की छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए इसको मात देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हमें चाहिए की बार-बार हाथों को साबुन से धोना चाहिए, किसी भी वस्तु या कागज को लेने या देने के बाद अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए। क्योंकि करोना वायरस कागज के माध्यम से भी आपके शरीर में प्रवेश कर आपको संक्रमित कर सकता है। उन्होंने बताया कि अकसर देखा जाता है कि कोई व्यक्ति करोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसको घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन हमें अपने लोगों से इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। संक्रमित लोगों की हरसंभव मदद करने के लिए हमें आगे आना चाहिए।
वहीं रथ के साथ आए प्रवक्ता अशोक कुमार व हरी किशन गौड रेडक्रांस वॉलिटियरों ने भी लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हमें बीमारी से लडऩा है नाकि बीमार से। हमें अपने लोगों को वायरस के प्रति जागरूक करते हुए इस महामारी को बढने से रोकना होगा। रथ के साथ दयानंद यादव, राजेश यादव, अशोक कुमार, अजय कुमार, राजेश शर्मा, रेडक्रास कार्यालय से लिपिक घनश्याम वर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 5: कोरोना वैन को हरी झंडी दिखाते एसडीएम कनीना।
अजय मोड़ी ने किन्नू उगाकर कमाया नाम
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कनीना। मोड़ी गांव का किसान अजय हर वर्ष किन्नू उत्पादन से बेहतर नाम कमाया है।
उन्होंने अपने करीब 2 एकड़ जमीन पर तीनों उगा रखे हैं जहां उनके बीच में वह फसल भी लेता है यहां तक कि सब्जी उत्पादन करता है। वही बेहतरीन दर्जे कीन्नू पैदा कर लेता है। हर वर्ष 30 से 50 हजार रुपये के कीन्नू बेच देता है। जिससे उनका गुजर बसर हो रहा है। उनका कहना है कि वैसे तो फसल उत्पादन उनका मुख्य कार्य है और उसी से आय होती किंतु कीन्नू उत्पादन उनके लिए बहुत अधिक फायदेमंद बन रहा है उनके परिजन गजराज सिंह मोड़ी, सतीश कुमार आदि ने भी सब्जी उत्पादन में नाम कमाया है। अब वे भी अपने परिजनों के पद चिन्हों पर चलते हुए नाम कमा रहे हैं। उन्होंने बताया करीब 4 साल पहले उत्पादन शुरू हो गया था। प्रारंभ में काम केकम कीन्नू का उत्पादन हुआ जो बाद में धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ती चली गई और आज के उत्पादन पूरे यौवन पर है।
उन्होंने बताया कि आज के युग में जहां फसल की बजाए कीन्नू उत्पादन ज्यादा कारगर होता है। फल और सब्जी मार्केट में मांग होती है। इसलिए उन्होंने ये पौधे उगाए हैं। एक बार यह गाय के पौधे 15 से 20 सालों तक जरूर चलेंगे। उन्होंने बताया कि जैसे 2 एकड़ जमीन पर वह फसल भी ले लेते हैं वही अपनी फल उत्पादन कर गुजर-बसर कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि कीन्नू उत्पादन उनके बहुत कारगर साबित हो रहा है। दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं ताकि वह भी कीन्नू जैसे फल पैदा करे और लाभ कमाए।
फोटो संलग्र हैं।
बेर बेचकर लाखों रुपये कमाये हैं महाबीर करीरा ने
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कनीना। सरकार द्वारा सम्मानित जिला महेंद्रगढ़ के करीरा के किसान महाबीर सिंह ने अब बड़े एवं वजनी बेर पैदा करके नाम कमाया है। कृषि विभाग ने उनके बेरों को प्रदर्शनी में भेजकर सम्मान दिलाने की बात कही है। प्रतिवर्ष 3 लाख रुपये तक कमा लेता है किंतु बीते सीजन में सर्दी ने बेर की खेती बर्बाद कर देने से आर्थिक लाभ कम हुआ।
करीरा गांव का सामान्य किसान महाबीर सिंह मिश्रित कृषि करके कभी से नाम कमाता आ रहा है किंतु अब उन्होंने बेरों की बेहतर क्वालिटी लगाकर सिद्ध कर दिया है कि इस क्षेत्र में बेरी के पौधे लगाकर भी एक लाख रुपये प्रति एकड़ में अकेले बेर उत्पादन से कमा सकते हैं। वे दूसरों के लिए एक उदाहरण बनकर सामने आए हैं।
एक एकड़ में बेरी, लेहसुआ, जामुन, बेलगिरी, नींबू तथा दूसरे फलदार पौधे उगाकर न केवल बागवानी को बढ़ावा दे रहे हैं अपितु इन फलदार पौधों के नीचे मटर, दलहन, लहसुन, प्याज, चना, आलू तथा दूसरी फसलें उगाकर किसानों को नई राह दिखा रहे हैं। केंचुआ पालन, डेयरी, फसल उत्पाद स्टोर आदि का काम भी कर रहे हैं।
आश्चर्यजनक पहलु हैं कि उन्होंने अपने खेत में करीब एक सौ बेरी के पौधे उगा रखे हैं। इन पौधों पर 60 ग्राम प्रति बेर वजनी बेर पैदा कर दिखलाए हैं जिन्हें देखने के लिए किसान आ रहे हैं। किसान महाबीर सिंह ने कहा कि प्रतिदिन करीब 80 किलो ग्राम बेरों का उत्पादन होता है और वे चुन-चुनकर बेर बाजार तक ले जाते हैं जिनकी बाजार में भारी मांग है।
किसान ने बताया कि इन बेरों की देखरेख अधिक चाहिए। अकेले बेरों से वे प्रतिवर्ष एक लाख के करीब राशि कमा लेते हैं किंतु गुड़ाई, स्प्रे, उर्वरक के अलावा देखरेख करने वाले पर 30 से 40 हजार रुपये खर्च कर देते हैं।
वे बेर की खेती विगत कई वर्षों से करते आ रहे हैं और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। फसल उत्पादन भी बेरों के बाग में करते हैं वहीं वे सब्जी भी उगाते हैं।
दक्षिण हरियाणा के किसान दो प्रकार की बेरी उगा रहे हैं। एक बेरी तो देसी नाम से जानी जाती है जिसके बेर अधिक लाल होने के साथ-साथ गोल होते हैं। जिनका स्वाद अधिक मधुर होता है और देखने में भी मन भावन होते हैं। देसी बेरी भी दो किस्मों की होती है। एक तो आकार में छोटी होने के कारण अक्सर 'झाड़Ó में शामिल की गई है वहीं दूसरी बड़े आकार की होती है। दोनों पर ही गोल एवं मधुर फल लगते हें जो रुचिकर होते हैं। ये दोनों ही बेरी दक्षिण हरियाणा के खेतों में भारी मात्रा में अपने आप ही पैदा हो जाती हैं। यद्यपि किसानों को फसल के साथ बेरी न होने की कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हें फिर भी किसान खेत में इन बेरी के पौधों से बेर व फसल साथ प्राप्त करते हैं।
इस क्षेत्र में एक ओर बेरी बहुत लोकप्रिय होती जा रही है जिसे ' बागों की बेरीÓ नाम से जाना जाता है। यह बेरी कम कांटों वाली तथा धरती की ओर झुकने वाली होती हैं। इस बेरी के फल हरे व पीले रंग के होते हैं और आकार लंबा एवं वजन अधिक होने के कारण किसान इसे अधिक पसंद करते हैं।
ये बेर बाजार में भी अधिक लोकप्रिय होते हैं। यूं तो कहा जाता है कि जो गरीब लोग सेब जैसे महंगे फल का उपभोग नहीं कर पाते हैं उनके लिए बेर ही सेब का काम करते हैं। जी-भरकर गरीब लोग इन बेरों का लुत्फ उठाते हैं। यही कारण है कि बेर को गरीबों का सेब नाम से भी जाना जाता है।
एक वक्त था जब केवल किसान अपने खेतों में पुराने तरीके से केवल फसल पैदावार ही लेता था और किसान की हालात माली होती थी किंतु अब तो किसान भी कृषि के आधुनिक उपकरणों व कृषि भी वैज्ञानिक ढंग से करने लगा है। आज का किसान अपनी आय और व्यय का पूरा हिसाब रखने लगा है। यही कारण है कि बागवानी की ओर भी उसका रुझान बढ़ता ही जा रहा है।
बागवानी विभाग के वैज्ञानिक कहते हें कि दक्षिण हरियाणा में भूमि बेरी पौधे के लिए अति अनुकूल है। ऐसे में किसान बेरी की कृषि करने में लगे हैं। हालात यह है कि एक नकदी फसल के रूप में बेर को किसान बाजार में बेचने के लिए जाते हें और आय प्राप्त करने लगे हैं। बेर की मांग जहां ताजा फलों के रूप में होती है वहीं इन्हें सूखाकर भी प्रयोग किया जाता है। बेर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह कई-कई दिनों तक खराब नहीं होता है वहीं इसे आवश्यकता पडऩे पर सूखाकर रखा जाता है। सूखाकर भी किसान इसे 'छुआराÓ के रूप में बेचता है। सूखे बेर मेवे का काम भी करते हैं।
फोटो साथ हैं
सावन माह है व्रत एवं आराधना का माह
इस वर्ष श्रावण माह का शुभारंभ उत्तराषाढ
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कनीना। नक्षत्र, सोमवार तथा वैधृति योग में हुआ है। इस श्रावण का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अन्तिम दिन रक्षा-बन्धन वाले दिन भी सोमवार है। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग है।
सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अत: सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव-शाक्त में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- शिवेन सह पूजयते शक्ति:सर्व काम फलप्रदा- साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है-यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान ।। अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग-व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अत: विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा। हमारे जीवन में भगवान शिव मनोवांछित फल देने वाले हैं इसलिए हमें सावन मास में भगवान शिव की आराधना जाप करना चाहिए सर्वप्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से वर्तमान में व्याप्त वैश्विक महामारी 'कोरोनाÓ का अन्त सम्भव है। साथ ही व्यक्ति वर्ष पर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेगा।
इस मंत्र के साथ 12 बेल पत्र अर्पित करें।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से राम-राम लिख कर ओम नम: शिवाय शिवाय नम:मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें। बेलपत्र 12 ही नहीं अपितु यथा शक्ति 108 या 1100 भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद ओम स: जूँ स: इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती.. है।शिव-पुराण के अनुसार, सावन मास में शिव शक्ति अर्थात् देवी के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अत: शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता.....
शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। भस्म मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ( बैल) जगत जननी धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
मंत्र -ओम हौ जूं स: भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: भू: ओम स: जूं हौं ओम !! इस मंत्र के जाप से हमारे जीवन में हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
ओम नम: शिवाय
-दोगुने हुए भाव
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कनीना। कनीना क्षेत्र में फल और सब्जियों के भाव सोमवार को दोगुने हो गए हैं। जहां सोमवार से सावन शुरू होने के कारण व्रत चलते हैं इसलिए भी फल एवं सब्जियां महंगी हो गई। खीरा और आम 50 रुपये किलो बिके। हल्के दर्जे के आम भी 50 रुपये किलो और बढिय़ा आम 100 रुपये किलो बीके।
अन्य दिनों हल्के दर्जे के आम 25 से 30 रूपए किलो बिकते हैं। खीरा 20 रुपये बिकती थी आज वह भी 50 रुपये किलो बिक रही है। लौकी 20 रुपये, जबकि अन्य दिनों दस रुपये किलो बिकती हरा धनिया हरा धनिया 800 रुपये किलो पहुंच गया है। यहां तक कि बाजार में सब्जी की आवक घट गई है तथा विवाह शादियां बंद होने के बावजूद भी आज फल सब्जियां महंगी हैं। केला 70 रुपये दर्जन बिका वही वही अदरक 125 रुपए किलो भिंडी 40 से 50 रुपये किलो तथा अन्य सब्जियां भी बहुत महंगे दामों पर बिक रही थी।
ग्राहक सूबे सिंह, अजीत कुमार, रवि कुमार, सुरेश कुमार आदि ने बताया कि सोमवार की वजह से भी महंगाई बढ़ी हुई है। सावन माह के चलते भी ऐसा हुआ है। जिसके कारण ही फल सब्जियां महंगी कर दी गई है जहां इस बार मेले उत्सव नहीं लगे।
इक्का-दुक्का नजर आए जल अर्पित करने वाले
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कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सावन के प्रथम सोमवार को बहुत कम भक्त मंदिरों में पहुंचे। इस बार बड़ी ही सावधानी से इक्का-दुक्का जल अर्पित करने जा रहे थे। अधिकांश वक्त अपने घरों में ही रहकर जल अर्पण का कार्य किया। इस बार जहां कांवड़ पर प्रतिबंध है वहीं मंदिरों में भीपर लगने वाले मेले भी बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में जहां इस बार यह पर्व भी कोरोना की भेंट चढ गया है।
घर पर ही पूजा-अर्चना शुरू
-कावड़ नहीं आ सकेंगी
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कनीना। इस बार कावड़ हरिद्वार से नहीं आने के कारण जो पुराने कावडि़ए थे वे घर पर ही अपने पूजा अर्चना करके जल अर्पित कर रहे हैं। कनीना कस्बे के करीब एक हजार वक्ति कावड़ लाने हर वर्ष हरिद्वार जाते रहे हैं। जहां तक की डाक कावड़ में भारी हंगामा होता आया है किंतु इस बार सभी प्रकार की कावड़ प्रशासन द्वारा बंद कर दी गई है। जिसको लेकर के पुराने भक्त अब घर पर ही शिवलिंग अभिषेक करने लगे हैं।
कनीना के ज्योतिषाचार्य सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि कोरोना के दृष्टिगत इस बार घर पर ही पूजा अर्चना की जाए। शिवलिंग अभिषेक किया जाए। बेलपत्र, आक, धतूरा आदि से विधि विधान से शिवलिंग का अभिषेक करके प्रतिदिन पूजा अर्चना करके ओम नम: शिवाय का जाप किया जाये।
सबसे पुराने कावडि़ए सुमेर सिंह चेयरमैन ने बताया कि वे लगातार 50 कावड़ ले आए हैं और इस बार भी वे कावड़ लाते लेकिन मजबूरी है कि कोरोना फैल गया है। अभी अपने घर पर ही शिवलिंग पर जल अर्पित करेंगे। जब भी समय लगेगा आसपास किसी शिवालय में जाकर भी जल अर्पित करेंगे। उनका कहना है कि कोरोना के दृष्टिगत सरकार ने जो फैसला लिया है उचित लिया है। ऐसे में इस फैसले का हमें आदर करना चाहिए और इस बार घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
अनिल कुमार का कहना है कि वर्षों से 30 कांवड़ अर्पित कर चुके हैं किंतु इस बार जहां कोरोना के दृष्टिगत कांवड़ नहीं लाएंगे। अपने घर पर ही शिव को प्रसन्न करेंगे। पूजा-अर्चना करेंगे, परिवार सहित पूजा अर्चना करके शिव को प्रसन्न करेंगे। उनका कहना है कि शिव भोले तो बहुत अल्प से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में हम विगत वर्षों में लाया गया गंगाजल ही अर्पित करके शिव की पूजा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार का जो निर्णय है वह ठीक साबित हो रहा है।
पुराने कावडि़ए भरपूर सिंह का कहना है कि वे 16 कावड़ लेकर आए थे किंतु दुर्भाग्यवश उनके पैरों में दर्द शुरू होने से कावड़ नहीं ला पा रहे थे ऊपर से इस बार कोरोना के चलते भी कावड़ नहीं लाएंगे। उनका कहना है घर पर ही जल अर्पित करने के अतिरिक्त पास में बने हुए शिवालय में भी जाकर जल अर्पित करेंगे। उन्होंने सरकार के लिए गए कांवड़ न लाने के निर्णय स्वागत किया है और कहा है कि यह उचित कदम है ताकि कोरोना बीमारी पर काबू पाया जा सके। भरपूर सिंह ने तो शिव से प्रसन्न होकर शिवालय का निर्माण भी कनीना में किया है।
कनीना के सज्जन बौहरा, भीम सिंह एचएस यादव, पोप सिंह आदि ने बताया कि वह इस बार घर पर ही शिव की पूजा करेंगे और उन्हें जल अर्पित करेंगे।
फोटो कैप्शन:सुरेंद्र शर्मा, सुमेर सिंह भरपूर सिंह तथा अनिल कुमार
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस मनाया
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कनीना। भाजपा कनीना मंडी स्थित ओम प्रकाश लिशानिया जिला सचिव के प्रतिष्ठान पर लड्डू ,सैनिटाइजर मास्क बांटकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद किया। इस अवसर पर श्री लिसानिया ने कहा कि देश हित में कश्मीर में जाकर भारतीयों पर लगा बैन हटवाया। एक देश में दो प्रधान दो विधान नहीं चलने का नारा दिया। कश्मीर कोई भी भारतीय जा सकेगा, यह बंधन तोड़कर भारत सरकार को चेताया था। इस कार्यक्रम में राजकुमार चेयरमैन, नवीन मित्तल कंवर सेन वशिष्ठ, देशराज यादव, अरुण कौशिक ,प्रेम गुप्ता तथा अन्य मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 4: श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बांटते हुए मास्क।
करोना एक वायरस बचाव व जागरूकता से दे सकते हैं मात-एसडीएम
करोना जागरूकता रथ कनीना पहुंचने पर एसडीएम ने हरीझंडी दिखाकर किया रवाना
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कनीना। कोरोना एक वायरस है जिसको सावधानी व जागरूकता से हम मात दे सकते है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही आपके जीवन को भारी पड सकती है। करोना वायरस में छोटी-छोटी लेकिन बहुत जरूरी बातों का ध्यान रखकर हम इसको फैलने से रोक सकते है।
ये बातें एसडीएम रणबीर सिंह ने करोना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कहीं। करोना रथ को हरी झंडी दिखाने से पहले एसडीएम ने झंडी को भी सैनेटाइज किया। सभी रथ के सदस्य चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। एसडीएम रणबीर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी इस समय अपने पूरे चरम पर पहुंच चुकी है। हमें चाहिए की छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए इसको मात देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हमें चाहिए की बार-बार हाथों को साबुन से धोना चाहिए, किसी भी वस्तु या कागज को लेने या देने के बाद अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए। क्योंकि करोना वायरस कागज के माध्यम से भी आपके शरीर में प्रवेश कर आपको संक्रमित कर सकता है। उन्होंने बताया कि अकसर देखा जाता है कि कोई व्यक्ति करोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसको घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन हमें अपने लोगों से इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। संक्रमित लोगों की हरसंभव मदद करने के लिए हमें आगे आना चाहिए।
वहीं रथ के साथ आए प्रवक्ता अशोक कुमार व हरी किशन गौड रेडक्रांस वॉलिटियरों ने भी लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हमें बीमारी से लडऩा है नाकि बीमार से। हमें अपने लोगों को वायरस के प्रति जागरूक करते हुए इस महामारी को बढने से रोकना होगा। रथ के साथ दयानंद यादव, राजेश यादव, अशोक कुमार, अजय कुमार, राजेश शर्मा, रेडक्रास कार्यालय से लिपिक घनश्याम वर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 5: कोरोना वैन को हरी झंडी दिखाते एसडीएम कनीना।
अजय मोड़ी ने किन्नू उगाकर कमाया नाम
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कनीना। मोड़ी गांव का किसान अजय हर वर्ष किन्नू उत्पादन से बेहतर नाम कमाया है।
उन्होंने अपने करीब 2 एकड़ जमीन पर तीनों उगा रखे हैं जहां उनके बीच में वह फसल भी लेता है यहां तक कि सब्जी उत्पादन करता है। वही बेहतरीन दर्जे कीन्नू पैदा कर लेता है। हर वर्ष 30 से 50 हजार रुपये के कीन्नू बेच देता है। जिससे उनका गुजर बसर हो रहा है। उनका कहना है कि वैसे तो फसल उत्पादन उनका मुख्य कार्य है और उसी से आय होती किंतु कीन्नू उत्पादन उनके लिए बहुत अधिक फायदेमंद बन रहा है उनके परिजन गजराज सिंह मोड़ी, सतीश कुमार आदि ने भी सब्जी उत्पादन में नाम कमाया है। अब वे भी अपने परिजनों के पद चिन्हों पर चलते हुए नाम कमा रहे हैं। उन्होंने बताया करीब 4 साल पहले उत्पादन शुरू हो गया था। प्रारंभ में काम केकम कीन्नू का उत्पादन हुआ जो बाद में धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ती चली गई और आज के उत्पादन पूरे यौवन पर है।
उन्होंने बताया कि आज के युग में जहां फसल की बजाए कीन्नू उत्पादन ज्यादा कारगर होता है। फल और सब्जी मार्केट में मांग होती है। इसलिए उन्होंने ये पौधे उगाए हैं। एक बार यह गाय के पौधे 15 से 20 सालों तक जरूर चलेंगे। उन्होंने बताया कि जैसे 2 एकड़ जमीन पर वह फसल भी ले लेते हैं वही अपनी फल उत्पादन कर गुजर-बसर कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि कीन्नू उत्पादन उनके बहुत कारगर साबित हो रहा है। दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं ताकि वह भी कीन्नू जैसे फल पैदा करे और लाभ कमाए।
फोटो संलग्र हैं।
बेर बेचकर लाखों रुपये कमाये हैं महाबीर करीरा ने
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कनीना। सरकार द्वारा सम्मानित जिला महेंद्रगढ़ के करीरा के किसान महाबीर सिंह ने अब बड़े एवं वजनी बेर पैदा करके नाम कमाया है। कृषि विभाग ने उनके बेरों को प्रदर्शनी में भेजकर सम्मान दिलाने की बात कही है। प्रतिवर्ष 3 लाख रुपये तक कमा लेता है किंतु बीते सीजन में सर्दी ने बेर की खेती बर्बाद कर देने से आर्थिक लाभ कम हुआ।
करीरा गांव का सामान्य किसान महाबीर सिंह मिश्रित कृषि करके कभी से नाम कमाता आ रहा है किंतु अब उन्होंने बेरों की बेहतर क्वालिटी लगाकर सिद्ध कर दिया है कि इस क्षेत्र में बेरी के पौधे लगाकर भी एक लाख रुपये प्रति एकड़ में अकेले बेर उत्पादन से कमा सकते हैं। वे दूसरों के लिए एक उदाहरण बनकर सामने आए हैं।
एक एकड़ में बेरी, लेहसुआ, जामुन, बेलगिरी, नींबू तथा दूसरे फलदार पौधे उगाकर न केवल बागवानी को बढ़ावा दे रहे हैं अपितु इन फलदार पौधों के नीचे मटर, दलहन, लहसुन, प्याज, चना, आलू तथा दूसरी फसलें उगाकर किसानों को नई राह दिखा रहे हैं। केंचुआ पालन, डेयरी, फसल उत्पाद स्टोर आदि का काम भी कर रहे हैं।
आश्चर्यजनक पहलु हैं कि उन्होंने अपने खेत में करीब एक सौ बेरी के पौधे उगा रखे हैं। इन पौधों पर 60 ग्राम प्रति बेर वजनी बेर पैदा कर दिखलाए हैं जिन्हें देखने के लिए किसान आ रहे हैं। किसान महाबीर सिंह ने कहा कि प्रतिदिन करीब 80 किलो ग्राम बेरों का उत्पादन होता है और वे चुन-चुनकर बेर बाजार तक ले जाते हैं जिनकी बाजार में भारी मांग है।
किसान ने बताया कि इन बेरों की देखरेख अधिक चाहिए। अकेले बेरों से वे प्रतिवर्ष एक लाख के करीब राशि कमा लेते हैं किंतु गुड़ाई, स्प्रे, उर्वरक के अलावा देखरेख करने वाले पर 30 से 40 हजार रुपये खर्च कर देते हैं।
वे बेर की खेती विगत कई वर्षों से करते आ रहे हैं और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। फसल उत्पादन भी बेरों के बाग में करते हैं वहीं वे सब्जी भी उगाते हैं।
दक्षिण हरियाणा के किसान दो प्रकार की बेरी उगा रहे हैं। एक बेरी तो देसी नाम से जानी जाती है जिसके बेर अधिक लाल होने के साथ-साथ गोल होते हैं। जिनका स्वाद अधिक मधुर होता है और देखने में भी मन भावन होते हैं। देसी बेरी भी दो किस्मों की होती है। एक तो आकार में छोटी होने के कारण अक्सर 'झाड़Ó में शामिल की गई है वहीं दूसरी बड़े आकार की होती है। दोनों पर ही गोल एवं मधुर फल लगते हें जो रुचिकर होते हैं। ये दोनों ही बेरी दक्षिण हरियाणा के खेतों में भारी मात्रा में अपने आप ही पैदा हो जाती हैं। यद्यपि किसानों को फसल के साथ बेरी न होने की कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हें फिर भी किसान खेत में इन बेरी के पौधों से बेर व फसल साथ प्राप्त करते हैं।
इस क्षेत्र में एक ओर बेरी बहुत लोकप्रिय होती जा रही है जिसे ' बागों की बेरीÓ नाम से जाना जाता है। यह बेरी कम कांटों वाली तथा धरती की ओर झुकने वाली होती हैं। इस बेरी के फल हरे व पीले रंग के होते हैं और आकार लंबा एवं वजन अधिक होने के कारण किसान इसे अधिक पसंद करते हैं।
ये बेर बाजार में भी अधिक लोकप्रिय होते हैं। यूं तो कहा जाता है कि जो गरीब लोग सेब जैसे महंगे फल का उपभोग नहीं कर पाते हैं उनके लिए बेर ही सेब का काम करते हैं। जी-भरकर गरीब लोग इन बेरों का लुत्फ उठाते हैं। यही कारण है कि बेर को गरीबों का सेब नाम से भी जाना जाता है।
एक वक्त था जब केवल किसान अपने खेतों में पुराने तरीके से केवल फसल पैदावार ही लेता था और किसान की हालात माली होती थी किंतु अब तो किसान भी कृषि के आधुनिक उपकरणों व कृषि भी वैज्ञानिक ढंग से करने लगा है। आज का किसान अपनी आय और व्यय का पूरा हिसाब रखने लगा है। यही कारण है कि बागवानी की ओर भी उसका रुझान बढ़ता ही जा रहा है।
बागवानी विभाग के वैज्ञानिक कहते हें कि दक्षिण हरियाणा में भूमि बेरी पौधे के लिए अति अनुकूल है। ऐसे में किसान बेरी की कृषि करने में लगे हैं। हालात यह है कि एक नकदी फसल के रूप में बेर को किसान बाजार में बेचने के लिए जाते हें और आय प्राप्त करने लगे हैं। बेर की मांग जहां ताजा फलों के रूप में होती है वहीं इन्हें सूखाकर भी प्रयोग किया जाता है। बेर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह कई-कई दिनों तक खराब नहीं होता है वहीं इसे आवश्यकता पडऩे पर सूखाकर रखा जाता है। सूखाकर भी किसान इसे 'छुआराÓ के रूप में बेचता है। सूखे बेर मेवे का काम भी करते हैं।
फोटो साथ हैं
सावन माह है व्रत एवं आराधना का माह
इस वर्ष श्रावण माह का शुभारंभ उत्तराषाढ
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कनीना। नक्षत्र, सोमवार तथा वैधृति योग में हुआ है। इस श्रावण का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अन्तिम दिन रक्षा-बन्धन वाले दिन भी सोमवार है। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग है।
सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अत: सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव-शाक्त में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- शिवेन सह पूजयते शक्ति:सर्व काम फलप्रदा- साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है-यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान ।। अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग-व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अत: विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा। हमारे जीवन में भगवान शिव मनोवांछित फल देने वाले हैं इसलिए हमें सावन मास में भगवान शिव की आराधना जाप करना चाहिए सर्वप्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से वर्तमान में व्याप्त वैश्विक महामारी 'कोरोनाÓ का अन्त सम्भव है। साथ ही व्यक्ति वर्ष पर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेगा।
इस मंत्र के साथ 12 बेल पत्र अर्पित करें।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से राम-राम लिख कर ओम नम: शिवाय शिवाय नम:मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें। बेलपत्र 12 ही नहीं अपितु यथा शक्ति 108 या 1100 भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद ओम स: जूँ स: इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती.. है।शिव-पुराण के अनुसार, सावन मास में शिव शक्ति अर्थात् देवी के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अत: शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता.....
शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। भस्म मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ( बैल) जगत जननी धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
मंत्र -ओम हौ जूं स: भूर्भुव: स्व: ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: भू: ओम स: जूं हौं ओम !! इस मंत्र के जाप से हमारे जीवन में हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
ओम नम: शिवाय
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