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Friday, July 10, 2020



रहेगी त्योहारों की है बौछार
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 कनीना। पर्व के बाद पर्व आने से बाजारों में रौनक आ गई है। बाजार में जहां घेवर नामक मिठाई, पतंग, राखी, बड़ा बतासा आदि की भरमार है। आगामी दो सितंबर तक पर्व लगातार आते रहेंगे।
  कनीना के ज्योतिषाार्य सुरेंद्र जोशी का कहना है कि 22 जुलाई को सिंधारा, 22 जुलाई को हरियाली तीज, तीन अगस्त को रक्षा बंधन, राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त को, 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व तो 13 अगस्त को गोगा नवमी का पर्व मनाया जा रहा है। 22 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। बाद में भी पर्वों की भरमार है।
  पर्वों को देखते हुए बाजारों में रौनक आ गई है। सिंधारा एवं तीज पर्व पर घेवर की मिठाई एवं बड़े बतासे लेन-देन की परंपरा चली आ रही है। यही कारण है कि बाजार में घेवर एवं बड़े बतासा भारी मात्रा में सजे हुए हैं। लड़की के परिजन अपनी विवाहित पुत्री को उनके ससुराल में त्योहारी देने के लिए जाते हैं जिसे तीज त्योहारी कहा जाता है।
  23 जुलाई हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पतंगबाजी का पर्व माना जाता है जिसके चलते बाजार में भारी मात्रा में पतंग आ चुके हैं। 
तीन अगस्त को भाई बहन के बीच अटूट प्रेम का पर्व रक्षा बंधन मनाया जा रहा है। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। विभिन्न प्रकार की राखियां बाजार में आ चुकी हैं। ये राखियां त्योहार से करीब एक पखवाड़े पूर्व ही डाक द्वारा भेजे जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। बाजार में डोरा राखियां, फैंसी राखियां एवं संगीतवाली राखियां आई हुई हैं।
  15 अगस्त को जहां राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है वहीं 12 अगस्त को जन्माष्टमी तथा 13 अगस्त को गोगा नवमी का पर्व मनाया जा रहा है जिसके चलते बाजारों में रौनक आ गई है।
फोटो कैप्शन 3: बाजार में घेवर की मिठाई का दृश्य।








गायों की सेवा करके 21 व्यक्तियों दे रहे हैं रोजगार
पूरा ही परिवार चला है डेयरी
छह गायों से बढ़ाकर कर ली हैं 250
दूसरों के लिए बना प्रेरणास्रोत

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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के कनीना उपमंडल के गांव गुढा का जयपाल यादव न केवल गायों की सेवा कर रहा है अपितु गायों से अपने समस्त परिवार का भरण पोषण कर रहा है अपितु 21 व्यक्तियों को रोजगार भी दे रहा है। अपना रोजगार छह गायों से शुरू किया किंतु आज 250 गायें हैं। वे दूसरों के लिए उदाहरण बन गए हैं और उनके पदचिह्नों पर चल रहे हैं। गायों को पालकर बेहतर आय कमाने के साथ साथ दूसरों को रोजगार देने का काम कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रतिमाह चार से पांच लाख रुपये की आय प्राप्त हो रही है।
खुद बेरोजगार थे किंतु दिया रोजगार-
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जयपाल सिंह डेयरी की देखरेख के अतिरिक्त पशुओं को विभिन्न प्रकार के ठीके लगाने का काम करते आ रहे हैं। वे किसी डाक्टर की मदद नहीं लेते। बीएससी तक पढ़ाई करने के बाद अचानक शौकिया तौर पर छह गाये पाली और आज संख्या 250 पहुंच गई है। 21 व्यक्तियों को जिनमें राजस्थान एवं क्षेत्र के लोगों को रोजगार दिया हुआ है जो गायों की दिनरात सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में तीन देशी गाये जिनमें एक थारपार नस्ल 16 लीटर दूध तो एक साहिवाल 17 लीटर दूध तथा एक हरियाणवी नस्ल जो दस लीटर तक दूध दे रही है जबकि पांच जरसी तथा 150 होलस्टीन नस्ल की हैं। वे दीपावली तक बड़ा गौशाला केंद्र स्थापित कर ओटोमेटिक दूध दोहने वाली मशीन दीपावली तक लगा देंगे।
नीतू को मिला है एक लाख का चेक-
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इसी परिवार की नीतू सिंह यादव को गन्नौर (सोनीपत) में चले एग्री लीडरशिप सम्मिट में किसान रतन पुरस्कार से राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद ने डेयरी एवं जैविक खाद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक लाख रुपये का चेक दिया था। इससे पहले भी उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।  उन्हें 2018 का सर्वश्रेष्ठ महिला डेयरी पुरस्कार मिला था।
जैविक खाद के क्षेत्र में योगदान-
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जयपाल यादव ने बताया कि प्रतिदिन एक पशु से करीब 20 किलोग्राम गोबर प्राप्त होता है और यह गोबर वह खेत में इक_ा करते हैं। इसी गोबर की सहायता से अपने खेतों में फसल पैदावार करती है जिसकी मांग अधिक है व खेतों में किसी प्रकार का अन्य खाद्य नहीं डालते बल्कि अपने पशुओं से प्राप्त गोबर को कंपोस्ट खाद में बदलकर या गोबर को खाद के रूप में डालकर प्रयोग करते हैं।
भगवान सिंह परिवार-
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 गुढ़ा गांव का राव भगवान सिंह परिवार जिसमें उनका पुत्र जयपाल एवं जयपाल की मां संतरा देवी जयपाल की पत्नी दीपिका, जयपाल का भाई पवनवीर तथा उनकी पत्नी नीतू यादव ने विगत 2008 में छह गायों से गुढा में डेयरी का काम शुरू किया। उस वक्त पंजाब से एक गाय भी मंगवाई गई थी। आज उन्होंने 150 गायों में से दूध देने वाली गायों का दूध दोहने के लिए दो अत्याधुनिक मशीन भी मंगवा रखी हैं। करीब दो घंटों में सभी गायों का दूध दोह लेते हैं। प्रतिदिन अमूल जैसी डेयरी सहित कई डेयरियों में 3000 लीटर प्रतिदिन दूध भेज रहे हैं। अभी ड्राइ सीजन होने से दूध कम है जो अगस्त में बढ़कर 5000 लीटर हो जाएगा। इस कार्य में अहं भूमिका जयपाल निभा रहे हैं जबकि इनके परिवार के राष्ट्रपति अवार्ड तक डेयरी पालन में मिल चुका है। परिवार में नीतू यादव कई बार बेहतरीन गायों के लिए सम्मान पा चुकी हैं।
  जयपाल ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या बेहतर दर्जे के सीमेन की होती है। बेहतर एवं उच्च क्वालिटी का सीमेन न मिलने से गायों की बेहतर नसल नहीं प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने सरकार से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं ली है अपितु अपने ही दम पर सारा कारोबार चलाकर न केवल अपने परिवार का भरण पोषण करते है अपितु अन्य लोगों को रोजगार भी जुटा रहे हैं।

राव भगवान सिंह-
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  मुखिया राव भगवान सिंह मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं जो पेंशन का कुछ हिस्सा खुद खर्च कर समस्त राशि गौशालाओं में दान कर देते हें या फिर कन्याओं की विवाह शादी पर खर्च कर देते हें। वे भी गायों की सेवा में लगे रहते हैं। कनीना की गौशाला में डेढ़ लाख रुपये भी अधिक दान दे चुके हैं। उनका कहना है कि वे गायों की सेवा करते रहेंगे।
  उन्होंने बताया कि उनके पास कम से कम 30 लीटर तथा अधिकतम 64 लीटर दूध देने वाली गाए भी है। दो सांड भी उन्होंने पाल रखे हैं। करनाल डेयरी संस्थान सहित कई संस्थानों के वैज्ञानिक भी उनके पास आकर कार्यप्रणाली को देखते हैं। उन्होंने बताया कि दिनभर गायों के चारे, खाना, दूध दोहना एवं अन्य कार्य चलते रहते हें। जयपाल ने बताया कि वे पशुओं के रोगों के टीकें स्वयं लगाते हैं और उनके सामने गर्मियों में गायों की देखरेख की समस्या आती है। सर्दी में ये गायें खुश रहती हैं किंतु गर्मी में कम से कम पांच बार नहलानी पड़ती हैं। इतना कुछ होते हुए भी पूरा परिवार प्रसन्न है।
फोटो कैप्शन 1 से 4: गुढ़ा गांव के जयपाल से संबंधित हैं।
  

जून माह में हुई कम बारिश, नहीं हो पाई बिजाई 

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 कनीना। किसानों को बेसब्री से बारिश का इंतजार है। सावन माह में भी बेहतर बारिश नहीं हो पाई है। किसान परेशान हैं और नलकूपों से सिंचाई कर रहे हैं।
जून माह में कनीना क्षेत्र में कम बारिश हो पाई है जिसके चलते अभी तक  करीब 30 प्रतिशत किसानों का बिजाई का कार्य रुका हुआ है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
विगत वर्ष जून माह में 70 एमएम बारिश हुई थी। इस बार जून माह में बारिश कम होने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों को बेसब्री से बारिश होने का इंतजार है।
 उल्लेखनीय है कि कनीना खंड के कुछ गांवों में अच्छी बारिश हुई है जिसके चलते किसानों ने खरीफ फसल बाजरे की बिजाई कर दी है।  कनीना खंड के अधिकांश किसान भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कनीना की बावनी भूमि अर्थात 52000 हेक्टेयर के रूप में जानी जाती है। यहां किसान बारिश के समय में खरीफ फसल की बिजाई करता है। किसान अजीत कुमार, महेंद्र कुमार, दिनेश कुमार ने बताया कि खड़ी फसल अनाज के लिए कम तथा फोडर के लिए अधिक उगाई जाती है। यही कारण है कि बेहतर बाजरे का बीज तथा खाद किसानों ने पहले से ही घरों में रखा हुआ है ताकि बारिश होते ही बिजाई की जा सके। अभी तक भीषण गर्मी पड़ रही है, तापमान 40 डिग्री के आस पास रहता है। पेड़ पौधे भी सूख चले हैं, कभी कभार इक्का-दुक्का बूंद आती है और बादल बिना बरसे गुजर जाते हैं। ऐसे में जब तक अच्छी बारिश नहीं होती किसान परेशान नजर आएंगे।
 किसानों द्वारा खेतों में उगाई गई मक्का,बाजर एवं कपास भीषण गर्मी के चलते सूखने के कगार पर पहुंच गई है। बेसब्री से किसान बारिश आने का इंतजार कर रहे हैं।  तापमान विगत वर्ष की तुलना में अधिक है जिससे फसल झुलस रही है।
 किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, धर्मेंद्र आदि ने बताया कि क्षेत्र में कपास, पशुओं के चारे के रूप में उगाई जाने वाली बाजर, मक्का आदि उगा रखी है। किसान लगातार सिंचाई करें किंतु तापमान इतना अधिक होता है कि सिंचाई करने के बावजूद भी फसलें गर्मी के कारण झुलस गई है। किसान बेहद परेशान है। एक और जहां हरे चारे को देखकर नीलगाय आकर्षित हो रही है और खड़ी फसल को तबाह कर रही है वहीं गर्मी भी फसल को नष्ट करने पर आमादा है।
किसान सूबे सिंह, गजराज सिंह मोड़ी, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया एक ओर जहां फसलों को नीलगाय जैसे आवारा जंतुओं से बचाना पड़ रहा है वहीं भीषण गर्मी से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं किंतु सभी प्रयास असफल हो रहे हैं। विगत दिनों टिड्डी, ओलावृष्टि की मार झेली थी उस पर कोरोना के चलते भी परेशानी है। क्योंकि भीषण गर्मी के चलते फसल खेतों में जलने लगी है। किसान बेसब्री से बारिश आने का इंतजार कर रहे हैं। अगर बारिश हो जाती है तो उनकी फसल भी बचने की संभावना बढ़ जाती है।
कोरोना के 7 मामले आये सामने








संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना के केस बढ़ते ही जा रहे हैं। शुक्रवार को 7:00 के शुक्रवार को7 केस पोजिटिव पाये गये। अब तक कोरोना पीडि़तों की संख्या बढ़कर 61 हो गई है जिसमें से अधिकांश स्वस्थ होकर लौट आए। अब तक एक कोरोना पीडि़त की रोहतक में मौत हुई है। कोरोना से अब पहले जितना डर नहीं रहा है। कोरोना से लगातार ठीक हो रहे हैं इसलिए भी लोग इतने भयभीत नहीं है परंतु जागरूक अधिक होने से अब जांच बढ़ा दी है। खुद ही जांच करवा रहे हैं।
 मिली जानकारी अनुसार कनीना में तीन केस उप नागरिक अस्पताल से हैं जिनकी तैनाती पटिकरा कोविड-19 सेंटर पर लगी हुई थी और उनकी जांच करने पर भी पॉजिटिव पाए गए हैं। गुढ़ा में जहां एक व्यक्ति कोरोना पीडि़त पाया गया है जो पहले आये कोरोना पोजिटिव लोगों के साथ गुरुग्राम वैन में जाता रहा है। ऐसे में जब उसके साथी पोजिटिव मिलने से उन्होंने भी जांच करवाई और वो भी पोजिटिव पापया गया।
उधर भोजावास में पति पत्नी पॉजिटिव पाए गए हैं। यह दंपत्ति कर्नाटक से 6 जुलाई को लौटे थे। नेवी में सेवारत इस कर्मी ने 8 जुलाई को सैंपल दिया था जो आज पॉजिटिव पाया गया। सभी कोरोना पॉजिटिव को आइसोलेट कर दिया गया है तथा स्क्रीनिंग करा दी गई है। डॉक्टरों की टीम तथा जन स्वास्थ्य स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मिलकर स्क्रीनिंग की आइसोलेट किया तथा सैनिटाइजर किया।
 मिली जानकारी अनुसार भोजावास में डॉक्टर दिनेश कुमार, सुपरवाइजर राज कुमार, प्रवीण कुमार, विनोद कुमार, पंकज कुमार, जयश्री, रेवती और पुष्पा ने मिलकर स्क्रीनिंग की जिसमें बफर जोन में 81 घर तथा कंटेनमेंट जोन में 13 घर शामिल किए गए हैं।
एसएमओ डा धर्मेंद्र का कहना है कि बचाव में ही बचाव है। जब को सर्दी/ जुकाम की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और एहतियात के सभी कदम उठाने चाहिए।
 उधर अब कोरोना प्रारंभ हुआ तब डर अधिक था किंतु अब धीरे-धीरे लोग जागरूक हो गए हैं और उन्हें महसूस होने लगा है कि ज्यादा डरने की आवश्यकता नहीं। अधिकांश जन उनके सामने स्वस्थ होते देखे है जिससे लोगों में एक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है कि कोरोना एक सामान्य बीमारी की तरह ही है जिसमें महज सावधानी जरूरी है।
अब लो जागरुक होकर सैंपल अधिक दे रहे हैं जबकि पहले सैंपल भी देने से हिचकिचा रहे थे।
फोटो कैप्शन 1: स्क्रीनिंग करते स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी।


 मलेरिया एवं डेंगू बचाव की जानकारी दी

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कनीना।  कनीना क्षेत्र में कोरोना बचाव के साथ साथ विभिन्न लोगों को डेंगू से बचने संबंधित जानकारी दी गई।
 कनीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर से सुनील कुमार यादव शीशराम एचआई ने कनीना मंडी में जाकर लोगों को डेंगू के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि यह डेंगू फैलाने वाला मच्छर साफ पानी में मिलता है और दिन के समय ही काटता है। उन्होंने सुझाया कि घरों के आसपास पानी नहीं खड़ा होने पाएंंं। कूलर आदि का जहां पानी जमा होता है उसकी सप्ताह में एक बार सफाई की जाए या पानी पर तेल छिड़क देना चाहिए जिससे मच्छरों के लारवा खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सुबह शाम मच्छर काटते हैं, ऐसे में बच्चों को पूरे कपड़े पहनाने चाहिए ताकि हाथ पर ढके होने पर मच्छर न काट सके। उन्होंने मच्छरों से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के तेल और ओडोमास आदि लगाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मच्छरदानी मच्छरों से बचने का एक आसान सा तरीका है, इसलिए मच्छरदानी का उपयोग किया जाना चाहिए।
सुनील कुमार यादव ने कहा कि अक्सर लोगों में देखने में आया है कि डिस्प्रिन तथा एस्प्रीन नामक गोलियां बिना डॉक्टर की सलाह से ले लेते हैं जो कि ये दोनों गोलियां बुखार होने पर नहीं लेनी चाहिए। बुखार के समय डेंगू हो सकता है और डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम हो जाती है और यह दोनों गोलियां भी प्लेटलेट्स को कम करती है। ऐसे में
ऐसे में डिस्प्रिन और एस्प्रिन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खुले में सोने वालों के लिए मच्छरदानी प्रयोग करनी चाहिए। उन्होंने लोगों को डेंगू बुखार से होने वाले लक्षण और बचाव को लेकर जागरूक करते हुए कहा कि डेंगू बुखार हर साल अनेक लोगों को अस्पताल पहुंचाता है तो कइयों इससे मौत हो जाती है। अगर डेंगू बुखार होने से पहले सावधानी बरती जाए और समय रहते डाक्टरी सलाह ले तो इस पर काबू पाया जा सकता है। मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से मरीज डेंगू बुखार से ग्रस्त हो जाता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो डेंगू फैलाने वाला वायरस मच्छर की लार के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है। डेंगू का बुखार एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है जो दो विशिष्ट प्रजाति के मच्छरों एडीज इजिप्ती और एडीज अल्बोपिक्टस से फैलता है। डेंगू के बुखार में प्राथमिक उपचार में  जरूरी सहायक मापदंडों पर ध्यान देना आवश्यक है और इसके साथ ही डेंगू के अधिक गंभीर लक्षणों को पहचानने पर जोर देना चाहिए जिससे तत्काल चिकित्सीय उपचार मिल सके। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य बुखार से मिलते जुलते होते हैं।वही उन्होंने डेंगू फैलने के मुख्य कारण बताया। वही उन्होंने बताया कि डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले बरसात के मौसम में देखने को मिलते है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में काटते हैं और एक ही जगह ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, जैसे – कूलर के पानी में, रुंधे हुए नालों में और आस-पास की नालियों में। ऐसी जगह पर सावधानी बरतनी चाहिए और दवाई का छिड़काव करते रहना चाहिए। डेंगू हमेशा कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को आसानी से हो जाता है। डेंगू बुखार के लक्षण 3 से 14 दिन बाद दिखते हैं।इसमें सिर और आंखों में दर्द होने लगता है तथा शरीर और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है वही जी मचलाना, उल्टी और दस्त आने शुरू हो जाते है। इससे बचाव को लेकर हमें इस बात को लेकर हमेशा सचेत रहना चाहिए कि अपने घर के अंदर और आस पड़ोस में पानी एक जगह जमा न होने दे। पानी से भरे बर्तनों को ढक कर रखें। किचन और वाशरूम को सूखा रखें। रोजाना सुबह-शाम कूलर का पानी बदलते रहें। खिड़कियों और दरवाजों में जाली लगवायें। मच्छर दानी का प्रयोग करें।जहां मच्छरों का प्रकोप ज्यादा है वहां शरीर पर मच्छर को भगाने वाली क्रीम लगाकर सोना चाहिए वही शरीर पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें चाहिए।
फोटो केप्शन 6:कनीना के सुनील कुमार डेंगू एवं मलेरिया की जानकारी देते हुए।

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