नई शिक्षा नीति देश के लिए कारगर सिद्ध होगी
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कनीना। जहां देश में 72 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई है। इस नई शिक्षा नीति से न केवल चहुमुखी विकास होने का की संभावना है वहीं शिक्षक वर्ग एवं विद्यार्थी वर्ग को विशेष लाभ होगा, अभिभावक भी खुश रहेंगे। क्षेत्र के विभिन्न शिक्षाविदों से इस संबंध में बात की गई उन्होंने अपने अपने विचार रखे।
भारत विकास परिषद के ब्लाकाध्यक्ष नेता कंवर सेन वशिष्ठ का कहना है कि आज ही के 72 वर्षों बाद देश को बच्चों का सर्वांगीण विकास की दिशा में केंद्र सरकार ने देश को एक अच्छी शिक्षा नीति के कल्पना की है। इसे साकार रूप देने के लिए संपूर्ण शिक्षित अध्यापकों की आवश्यकता होगी। पहले प्राथमिकता के आधार पर तैयार किए जावें, जो देश के बच्चों को क्लर्क से ऊपर उठकर वैज्ञानिक शिक्षा प्राप्त करके अपने देश का नाम रोशन कर सके।और भारत एक शक्तिशाली देश बन कर दुनिया में एक नंबर में गिना जाए। यह तभी होगा जब देश के बच्चों का बुद्धि कौशल ऊपर उठेगा । भारत विकास परिषद नई शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करती है और आशा करते हैं कि सरकार इसे क्रियान्वित करने में सजग रहेगी।
पूर्व उप जिला शिक्षा अधिकारी डा रामानंद यादव का कहना है कि नई शिक्षा नीति अभिभावकों के लिए बहुत लाभप्रद साबित होगी, जहां विद्यार्थी बेहतरीन शिक्षा प्राप्त करेंगे जो पूरे ही देश में लगभग एक समान होगी। इससे समानता का विकास होगा और विद्यार्थी कहीं भी जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकेगा। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के लिए शकुन भरा होगा। अवॉर्डी शिक्षक बनवारी लाल का कहना है कि नई शिक्षा नीति में जो घोषणाएं की गई है, वास्तव में शिक्षक वर्ग के लिए बहुत लाभप्रद साबित होंगी, इसमें केवल एक बार ही पद तबादला किया जाना तथा शिक्षकों को समान रूप से सभी जगह सुविधाएं प्रदान करना, एक कारगर कदम होगा। उन्होंने कहा कि वास्तव में शिक्षा देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है और शिक्षा के क्षेत्र में यदि कोई देशकमजोर रहेगा तो विकास भी अधूरा रहेगा किंतु नई शिक्षा नीति शिक्षकों के लिए गर्व की बात होगी।
उधर सुनील कुमार यादव हसला ब्लॉक प्रधान ने कहा की नई शिक्षा नीति शिक्षकों के लिए बहुत कारगर होगी अब तक शिक्षक मिड डे मील का कार्य भी करते आए हैं वहीं विभिन्न प्रकार की तैनाती भी निभाते आए हैं। नई शिक्षा नीति में यह घोषणा की गई है कि केवल चुनाव ड्यूटी ही शिक्षक देंगे। उन्होंने स्वागत किया है उनका कहना है कि शिक्षकों के लिए वरदान साबित होगी। शिक्षक अपने शिक्षण कार्य में रुचि ले सकेंगे। अब तक शिक्षकों को अनेक कार्य दिए गए थे, इसके चलते शिक्षक अच्छे ढंग से अपने विद्यार्थियों को नहीं पढ़ पाए हैं। सभी में नई शिक्षा नीति को लेकर खुशी का माहौल है।
फोटो कैप्शन: सुनील कुमार यादव, बनवारीलाल, कंवरसेन वशिष्ठ, डा रामानंद यादव।
अधूरी सड़क बनी जंजाल
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कनीना। कनीना-चरखी दादरी सड़क मार्ग उन्हाणी-धनौंदा के बीच अधूरी पड़ी होने से परेशानी बढ़ गई है। जहां धनौंदा के पास नहर पर भारी बरसात का पानी जमा हो जाता है वही परेशानी और भी बढ़ जाती है। लंबे अरसे से इस सड़क निर्माण की बात चली आ रही थी किंतु घोंघे की चाल से कार्य करते करते आखिरकार इस कार्य को पूरा नहीं किया है जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों में रोष है। राहगीर तथा ग्रामीण रमेश कुमार, दिनेश कुमार, रूपचंद, किशन कुमार, राजेश कुमार, सतपाल आदि ने बताया कि सड़क मार्ग चरखी दादरी पहुंचने का मार्ग है किंतु इस मार्ग को करीब 6 महीने से सही नहीं किया जा रहा है। अभी भी यह सड़क मार्ग धनोंदा नहर के पास से उन्हाणी मोड़ तक अधूरा पड़ा हुआ है यही नहीं सड़क के बीच में जहां नहर के पुल पर भारी बरसात का पानी जमा हो जाता है निकलने की एक इंच भी जगह नहीं है। जिसके चलते परेशानी बनी हुई है। लोगों ने मांग की है कि समय रहते सड़क निर्माण पूरा किया जाए तथा नहर के पुल पर पानी के बनने वाले जोहड़ भरे जाएं।
फोटो कैप्शन 5: कनीना-चरखी दादरी मार्ग पर नहर के पुल पर खराब सड़क मार्ग।
101 पौधे लगाए, सुरक्षा की शपथ ली
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कनीना। प्रजा भलाई संगठन द्वारा गांव धनौन्दा में पूर्वजों की याद में वृक्षारोपण किया गया। संगठन के ठाकुर अतरलाल के निर्देशन में गांव के स्टेडियम में 101 औषधीय, फलदार व छायादार पौधे लगाए गए जिनमें अमरुद, पीपल, सहेजना, पापड़ी, गुलमोहर आदि प्रमुख हैं।
वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत कप्तान मदन सिंह, राजेन्द्र सिंह नम्बरदार, दिनेश पंच, कैलाश सेठ और कृष्ण शर्मा ने बाबा भैया की याद में जामुन का पौधा लगाकर की। इसके बाद कृष्णपाल सिंह तंवर, मीर सिंह वैद्य, सतपाल पंच, मुकेश स्वामी, बंशीलाल जोशी, प्रहलाद मास्टर, चेतन तंवर, वेद, जग्गी पंच, रवि कौशिक, दीपांशु अग्रवाल, रामबीर पंच, संजय, संदीप, राहुल, सचिन, मोनू, इन्द्रजीत, ईश्वर सिंह, लालाराम, सुभाश प्रजापत, शुभम, जैकी व हरिपाल योगी ने पूर्वजों की याद में पौधा रोपण कर लगाए गए पौधो को सुरक्षित पालने का संकल्प भी लिया। ठाकुर अतरलाल ने स्वयं सेवकों का धन्यवाद करते हुए कहा की उन्होंने वृक्षों की सुरक्षा करने का संकल्प लेकर ऐतिहासिक कार्य किया है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण से जोडऩे और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान गांव के अतिरिक्त पूरे जिला में चलाया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिवर्ष एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए इसके लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। पौधे हमें औषधि के साथ साथ हैं फल, फूल, छाया देते हैं कथा पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। मानव के जीवन में जल एवं पौधों का बहुत बड़ा महत्व है। हमारा जीवन पौधों के साथ है जुड़ा हुआ है। इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कत्र्तव्य बनता है की अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं। क्योंकि वृक्ष लगाना आसान है परन्तु इनकी सुरक्षा की चौकीदारी करना कठिन है। इस अवसर पर स्वयं सेवकों ने पशु अस्पताल में भी पौधे लगाए।
फोटो कैप्शन 3:गांव धनौन्दा में पूर्वजों की याद में सहेजना का पौधा लगाते हुए जन।
विभिन्न धार्मिक स्थानों की माटी इक_ी की
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कनीना। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष महेश बोहरा ने बताया कि उनके पास अलग-अलग गांव के पवित्र स्थानों से मिट्टी एवं जल रोजाना आ रहा है। अब तो दिन प्रतिदिन मिट्टी व जल देने वाले गांव की संख्या बढ़ती जा रही है। आज कोटिया गांव से जेपी यादव के नेतृत्व में प्राचीन बाबा बृजेश्वर मंदिर प्राचीन शिव मंदिर व ठाकुर जी महाराज जैसे पवित्र स्थानों पर से मिट्टी व जल लाकर अध्यक्ष महेश बोहरा को दी गई। जेपी यादव ने कहा कि जैसे हमें पता चला कि मिट्टी और जल अयोध्या जाएगा तो हम खुशी-खुशी अपने गांव के सभी धामों पर से मिट्टी में जल लेकर आए हैं जेपी यादव ने महेश बोला का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में खंड के लगभग सभी गांव में यह मैसेज पहुंचा दिया और इनकी मेहनत के कारण हमारे गांव का मिट्टी और जल निर्माणाधीन राम मंदिर में अर्पित होने जा रहा है। अधिक जानकारी देते हुए महेश बोहरा ने बताया कि आज कोटिया, लिसान कारोली, बव्वा, सीहोर आदि गांव का मिट्टी में जल आ चुका है और शाम तक काफी गांव से आने भी बाकी है।
श्री बोहरा ने बताया कि 1990 में कार सेवा में जाने वाले कारसेवकों को 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के दिन विश्व हिंदू परिषद की तरफ से मोमेंटो देकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार सेवकों की लिस्ट उनके पास है फिर भी जो कारसेवक हैं वह उनसे संपर्क करें और अपना नाम दर्ज करवाएं। 5 अगस्त का दिन ऐतिहासिक दिन होगा 14 साल का वनवास काटकर रामचंद्र जी जब अयोध्या लौटे थे तो ना केवल अयोध्या वासियों ने अपितु पूरे भारत वासियों ने दीपक जलाकर पटाखे चलाकर ढोल बजाकर खुशियां मनाई थी ठीक उसी प्रकार से 5 अगस्त के दिन खुशियां मनाएंगे।
फोटो कैप्शन 4: विभिन्न गांवों के लोग मिट्टी व जल प्रदान करते हुए।
19 एमएएम बारिश हुई, किसान खुश
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कनीना। गुरुवार को कनीना क्षेत्र में 19 एमएम बारिश हुई जिसके चलते गलियों में गंदा पानी खड़ा हुआ है। आवागमन में दिक्कत आई किंतु जल्द ही पानी सूख गया। यहां तक कि खेतों में भी पानी भरा खड़ा है। बारिश के परिणाम स्वरूप किसान खुश हैं।
लंबे समय से इंतजार करने के बाद किसान खेतों की सिंचाई फव्वारों से करने लगे थे किंतु गुरुवार को इंद्रदेव प्रसन्न हुये और 19 एमएम बारिश से किसानों को प्रसन्न कर दिया। पुराने सूखे पड़े जोहड़ों में भी जहां पानी भर गया है।
जहां बेहतर बारिश से सावन माह का एहसास हुआ वही किसान खुश हैं। अब बेहतर फसल होने के आसार बन गए हैं। बाजरा और कपास की खड़ी फसल में रौनक आ गई है। चारों ओर खुशियां छाई हुई है। लंबे समय से लोग बारिश होने के लिए यज्ञ कर रहे थे तथा बारिश का इंतजार कर रहे थे।
कनीना के एडीओ विकाश कुमार ने बताया कि क्षेत्र में जहां कनीना क्षेत्र में जहां 5950 हेक्टेयर पर कपास, 21300 हेक्टेयर पर बाजरा, 30 हेक्टेयर पर मूंग, 390 हेक्टेयर ढैंचा, 510 हेक्टेयर पर चारा, 1760 हेक्टेयर पर गुआर, 30 हेक्टेयर पर दाले उगाई गई है। कपास एवं बाजरा दोनों ही फसल अच्छी तरह से बढ़ रही है तथा आने वाले समय में बेहतर होने व बंपर पैदावार देने की संभावना जताई जा रही है।
किसान सूबे सिंह, रणधीर सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत सिंह आदि ने बताया कि सावन माह का आगमन अेच्छा नहीं हा किंतु अब बारिश ने उन्हें प्रसन्न कर दिया है। उनका कहना है कि कपास की फसल काफी बड़ी हो गई है वहीं बाजरे की फसल भी लहलहाने लगी है। दोनों की फसलों के लिए बारिश हो रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में बेहतर पैदावार होगी। एक और जहां सरकार ने बाजरे का का समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिया है बाजरे की अच्छी पैदावार होने की संभावना है। इससे किसानों को लाभ होगा।
किसानों ने बताया कि दो प्रकार की फसल खेतों में उगाई गई है- अगैती तथा पछेती फसल। अगैती अब बड़ी हो चुकी है जबकि पछेती फसल अभी छोटी है। कुल मिलाकर फसल बेहतर है। कृषि अधिकारी भी मौसम को फसल के अनुकूल बता रहे हैं।
किसान अभी अच्छी आरिश का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1995 में क्षेत्र में भारी वर्षा हुई थी यद्यपि 1995 जैसी बारिश अभी तक नहीं हुई है किंतु कनीना क्षेत्र में गुरुवार को बेहतर बारिश हुई है। खेतों में जहां पानी खड़ा हो गया है वहीं जोहड़ भी अब लबालब भर गए हैं।
कईसड़क मार्ग पर तथा कई अन्य स्थानों पर गंदा पानी जमा हो गया जिनसे पैदल निकालना दुष्कर हो रहा है।
फोटो कैप्शन 1 एवं 2: बारिश के बाद फसल पर आब की है। एवं बारिश
सुरक्षा के साथ मनाएंगे रक्षाबंधन
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कनीना खंड के धनौंदा स्कूल में कार्यरत शिक्षिका लक्ष्मी यादव वास्तव में भी बिसोहा में 2006 में विवाहिता है और उनके दो भाई महेंद्रगढ़ में रह रहे है। वे इस बार आवश्य रक्षाबंधन पर्व पर घर से चलकर जाएंगी। उनके दो भाई प्रवीण कुमार और नवीन कुमार उनका इंतजार करते हैं। हर बार बहन अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए स्वयं चलकर जाती है। यद्यपि उनका कहना है कि कोरोना ने सबकी खुशियां छीन ली हैं। भाई बहन के पवित्र प्रेम को दखल किया है। उनका कहना है कि वे चाहे कैसे भी करें, निजी गाड़ी को सैनिटाइज करके और अपने साथ सेनीटाइजर लेकर महेंद्रगढ़ जाएंगी और दोनों भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाइयों से कोरोना फैलने की संभावना हो सकती है ऐसे में भी अपने हाथों से बढिय़ा मिठाई बनाकर तथा हाथों से बनाई हुई राखी लेकर जाएंगी साथ में सभी टीका आदि लगाने की सुविधा लेकर जाएंगी। उन्होंने कहा कि उनके दोनों भाई बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं। अपने भाइयों की मनोस्थिति को समझती है। उन्होंने कहा कि इस बार पड़ा शुभ दिन है एक और जहां सावन का अंतिम सोमवार होगा वही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी रक्षाबंधन पर्व खुशियों से भरा होगा। उन्होंने कहा कि एतिहात और सावधानियां भी जरूरी हैं। यद्यपि इस दिन को मनाना चाहिए बाजार से सामान यदि खरीदना भी तो सावधानियां बरतनी चाहिए। वे अपने भाइयों को बढिय़ा मिठाई खिलाएंगी तथा भाई भी अपने घर से बनी हुई वस्तुएं अपनी बहन को भेंट करेंगे। उन्होंने कहा कि वे बेसब्री से इंतजार कर रही है और अपने भाई के यहां जाकर रक्षाबंधन खुशी को और बढ़ाएंगी।
फोटो कैप्शन: लक्ष्मी यादव
दुश्मन का सिर कलम करने की एकमात्र इच्छा रहती थी
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कनीना। मेघनवासी निकास किंतु कनीना से महज 4 किलोमीटर दूर गुढ़ा गांव की सीमा में रह रहे पूर्व सूबेदार करण सिंह भारत पाक युद्ध 1971 में टैंक ऑपरेटर होते थे। जब 1971 का भारत-पाक युद्ध हो रहा था तो उसका उन्होंने संजीदा वर्णन किया है। बस उनका एक ही इरादा होता था कि दुश्मन का सिर अधिक से अधिक कलम किया जाए। वे अपने कमांडर को दुश्मन की सही स्थिति बताते थे और टैंक ऑपरेटर का काम करते थे। वे सटीक निशाना साधते थे ताकि दुश्मन किसी भी हाल में न बच सके।
75 वर्षीय करण सिंह जब 25 वर्ष के थे तब उन्होंने यह युद्ध देखा था और युद्ध क्षेत्र में उनकी आर्मी को भेजा गया था। जब भारत वर्ष आजाद भी नहीं हुआ था तब उनका जन्म (1945) हुआ था। 1945 में जन्मे करण सिंह की उम्र 26 वर्ष की तब उन्हें भारत-पाक युद्ध में भेजा गया था। वह आर्टिलरी में कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि अगरतला से ढाका तक उनकी सेना पहुंच चुकी थी युद्ध भयंकर होता था जो गोली और बंदूकों केे बीच चलता था। उन्होंने बताया कि लडाई जून 1971 में शुरू हो गई थी लेकिन घोषणा नवंबर 1971 में की गई थी। मुक्ति वाहिनी सेना के साथ भारतीय सेना युद्ध मैदान में गई और दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उनके टैंक से निकलने वाले गोले दुश्मन का सिर कलम कर देते थे।
सेना में भर्ती होने का जज्बा उनके माता-पिता ने पैदा किया। वे वर्ष 1991 में सेवानिवृत्त हो गए। उनकी पत्नी कौशल्या देवी ने जब उनके पति के युद्ध के लिए जाने समाचार सुना तो प्रसन्न हुई थी कि दुश्मन का सिर कलम करने में उनके पति भी होंगे। वर्तमान में उनका पुत्र रणधीर सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं जबकि एक पौता मनीष कुमार वर्तमान में भारतीय नौसेना में नायब सूबदार के पद पर कार्यरत है।
करण सिंह बताते हैं कि देशभक्ति का जज्बा उन्होंने बचपन से ही लिया जब स्कूल में पढ़ते थे तभी से शिक्षक उन्हें देशभक्ति का जज्बा भरते थे। तत्पश्चात जब वे बड़े होने लगे तब उनकी माता केसरी देवी तथा पिता अर्जुन सिंह ने उन्हें देशभक्ति का पाठ पढ़ाया और देशभक्तों के बारे में कहानियां सुनाना का जिम्मा भी लिया। देशभक्ति से ओतप्रोत गीत आदि समय समय सिखाते थे। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर उन्होंने निर्णय कर लिया कि वह सेना में भर्ती होंगे और दुश्मनों का सिर कलम करेंगे उस समय बांग्लादेश को आजाद करवाने के लिए भारत ने यह चढुाई की थी। जिसमें 16 दिसंबर 71 को पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश के रूप में नया देश बना था। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था। करण सिंह ने बताया कि पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी के रूप में जो सेना गठित की गई थी वह पाकिस्तान की सेना से लड़ी और भारतीय सेना का को रास्ता बताएं। यही कारण है कि पूर्व पाकिस्तान के नदियों के जल को पार करके भारतीय सेना ढाका तक पहुंच गई थी। करण सिंह बताते हैं कि आज भी सेना की बात चलती है तो उनका रोम-रोम प्रसन्न हो उठता है। वे अभी भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का जज्बा रखते हैं। उनमें जोश भर जाता है और वह कहते हैं कि काश युद्ध में शहीद होते तो आज देश में उनका बहुत बड़ा नाम होता। तिरंगे में लिपटकर अपने गांव में आना चाहते थे लेकिन। वे युवाओं में सेना में भर्ती होने का जज्बा पैदा कर रहे हैं और जी जान से जुटे हुए हैं।
फोटो कैप्शन करण सिंह
राखी बांधने के लिए भाई को बुलाया है
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कनीना की ऋतु यादव कनीना में विवाहिता है किंतु उनके भाई गुरुग्राम में रहते हैं। यद्यपि गुरुग्राम में कोरोना भारी मात्रा में फैला हुआ है किंतु ऋतु को कोई परवाह नहीं है। उनका कहना है कि यदि भाई से मिलना हो तो कोरोना बाधक नहीं बनेगा। पहली बात तो वह दुआ कर रही है कि उनका भाई सही सलामत अच्छे ढंग से घर पहुंचे। वे बेसब्री से इंतजार करेंगी। उनका कहना है कि भाई बहन का प्यार तो यम समी के प्यार से भी अधिक पक्का होता है। उनका कहना है कि यदि नहीं आते तो हर हाल में गुडग़ांव जाकर अपने भाई के कलाई पर राखी बांधेंगी। परंतु उसके भाई ने वादा कर रखा है कि चाहे कोई साधन न हो हर हाल में कनीना पहुंचेंगे और अपनी बहन के राखी बांधेगी। संदीप कुमार गुडग़ांव में रहते हैं।
उन्होंने देश के सभी भाइयों की सलामती की कामना की और कहा कि जो भाई अपनी बहनों के यहां राखी बंधवाने जा रहे हैं उनके लिए भगवान से दुआ करेंगे कि सभी खुश होकर जाए और बहन से राखी बंधवा कर वापिस पहुंचे। उन्होंने कहा कि कोरोना ने उनकी राहों को रोका जरूर है किंतु भाई बहन के प्यार को यमराज भी नहीं रोक सकते। कोरोना की तो औकात क्या है? वह कहती है कि उनका भाई जरूर दिए गए समय पर पहुंचेगा और वे अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी। उनका कहना है कि वह ग्रहणी है पढ़ी-लिखी ग्रहणी है हर बात का हम एक जान है मिठाई आदि का प्रबंध करके तिलक की तैयारियों सहित पहले ही कार्य में जुटी है ताकि इनका भाई ज्यों ही आएगा वह हाथों की कलाई पर राखी बांधेंगी।
उनका कहना है कि रक्षाबंधन पर्व एक साल बाद आता है और भाई और बहन इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। जहां बहन को भाई से कुछ उपहार मिलता है भाई भाई को बहन का प्यार नहीं अपितु रक्षा सूत्र भी प्राप्त होता है। उन्होंने खेद जताया कि जिन भाइयों की बहन नहीं है उन पर क्या बीती होगी उन्होंने कहा कि जरूर इस दिन हर भाई को अपनी बहन के हाथों से रक्षा सूत्र बंधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन सोमवार का दिन बहुत बहुत खुशी का अवसर होगा। इस जहां सावन का अंतिम सोमवार भी होगा वही उस दिन भारी भीड़ रहेगी। आवागमन में दिक्कत आ सकती है।
फोटो: रितु यादव
ऑपरेशन विजय में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी सुनील कुमार ने कनीना ने
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कनीना। कनीना के सुनील कुमार पुत्र फूल सिंह ने जहां कारगिल युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी आज भी सेवानिवृत्त होकर कनीना के उप नागरिक अस्पताल में एमपीएचडब्ल्यू के रूप में कार्यरत है। सुनील कुमार 21 जुलाई 1968 को कनीना के किसान परिवार में जन्मे जिनके तीन बहन और तीन भाई है।
सुनील कुमार ने जहां सरकारी स्कूल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना से दसवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की वहीं 1984 में प्रि- यूनिवर्सिटी(उस वक्त 11वीं की परीक्षा) की परीक्षा श्रीकृष्णा कॉलेज का मालिक से प्राप्त की।
वे अपने जमाने के अच्छे बास्केटबाल के खिलाड़ी थे और जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व भी किया वहीं कॉलेज में इंटर कॉलेज लेवल तक भी भाग लिया। तत्पश्चात 1986 में उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में नौकरी मिल गई एक सैनिक की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना में ही जनरल नर्सिंग असिस्टेंट की ट्रेनिंग भी पूरी कर डाली।
आर्मी में रहते हुए उन्होंने कई टेक्निकल कोर्स पूरे किए। तत्पश्चात पंजाब में सेवा करने का मौका मिला जहां पंजाब में उन दिनों उग्रवाद पूरे चरम पर था। सेना में के सहयोग से शांति स्थापित की। तत्पश्चात 1998 से 2000 तक जम्मू कश्मीर तथा अन्य क्षेत्रों में फील्ड एरिया में काम करने का मौका मिला और 1999 में ऑपरेशन विजय में शामिल होने का बखूबी मौका दिया गया। यद्यपि उनका कार्य अलग होने से वे समाज सेवा में सैनिकों की सेवा में दिन-रात जुटे रहे। उन्होंने न केवल सैनिकों के परिवार वालों को भी सेवा करने का मौका मिला। ऑपरेशन विजय कामयाब हुआ और उन्हें बड़ी खुशी महसूस हुई। जहां सेवा में रहते हुए उन्होंने स्नातक और बीएड की परीक्षा पास की
2003 में नायक पद से सेवानिवृत्त होकर घर आए और ब्लड बैंक में कार्य करने लगे। 2010 में उन्हें हरियाणा सरकार में एमपीएचडब्ल्यू के रूप में नौकरी मिली। आज भी वे सेवा दे रहे हैं। उनकी सेवा उसे जहां हर इंसान प्रभावित है वहीं उनकी आर्मी की सेवा से सैनिक बहुत प्रभावित हुये थे। फोटो कैप्शन: सुनील
गुढ़ा गांव में शिव मंदिर को तोड़ ने के मामले में पुलिस ने गांव के ही एक व्यक्ति के खिलाफ किया मामला दर्ज
संवाद सहयोगी,कनीना। पुराने शिव मंदिर को खण्डित कर अवैध कब्जा करने के मामले में मामला दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार खंड के गांव गुढ़ा निवासी एक व्यक्ति ने गांव में बने पुराने शिव मंदिर की गुंबद तोड़कर अवैध कब्जा करना चाहा तो गांव के वर्तमान सरपंच व अन्य समाजसेवियों ने इसकी सूचना कनीना पुलिस को देकर उक्त व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा था जिस पर कनीना पुलिस के उपनिरीक्षक अमरजीत सिंह ने गांव गुढ़ा पहुंच कर उक्त मामले की गहनता से जांच कि तथा मंदिर को तोड़ कर अवैध कब्जा करने वाले विक्रम व उसके बेटे के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। वही गांव के सरपंच व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उक्त मंदिर को क्षतिग्रस्त करने के मामले को लेकर गांव में रोष है।
ऑपरेशन विजय में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी सुनील कुमार ने कनीना ने
संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना के सुनील कुमार पुत्र फूल सिंह ने जहां कारगिल युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी आज भी सेवानिवृत्त होकर कनीना के उप नागरिक अस्पताल में एमपीएचडब्ल्यू के रूप में कार्यरत है। सुनील कुमार 21 जुलाई 1968 को कनीना के किसान परिवार में जन्मे जिनके तीन बहन और तीन भाई है।
सुनील कुमार ने जहां सरकारी स्कूल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना से दसवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की वहीं 1984 में प्रि- यूनिवर्सिटी(उस वक्त 11वीं की परीक्षा) की परीक्षा श्रीकृष्णा कॉलेज का मालिक से प्राप्त की।
वे अपने जमाने के अच्छे बास्केटबाल के खिलाड़ी थे और जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व भी किया वहीं कॉलेज में इंटर कॉलेज लेवल तक भी भाग लिया। तत्पश्चात 1986 में उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में नौकरी मिल गई एक सैनिक की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना में ही जनरल नर्सिंग असिस्टेंट की ट्रेनिंग भी पूरी कर डाली।
आर्मी में रहते हुए उन्होंने कई टेक्निकल कोर्स पूरे किए। तत्पश्चात पंजाब में सेवा करने का मौका मिला जहां पंजाब में उन दिनों उग्रवाद पूरे चरम पर था। सेना में के सहयोग से शांति स्थापित की। तत्पश्चात 1998 से 2000 तक जम्मू कश्मीर तथा अन्य क्षेत्रों में फील्ड एरिया में काम करने का मौका मिला और 1999 में ऑपरेशन विजय में शामिल होने का बखूबी मौका दिया गया। यद्यपि उनका कार्य अलग होने से वे समाज सेवा में सैनिकों की सेवा में दिन-रात जुटे रहे। उन्होंने न केवल सैनिकों के परिवार वालों को भी सेवा करने का मौका मिला। ऑपरेशन विजय कामयाब हुआ और उन्हें बड़ी खुशी महसूस हुई। जहां सेवा में रहते हुए उन्होंने स्नातक और बीएड की परीक्षा पास की
2003 में नायक पद से सेवानिवृत्त होकर घर आए और ब्लड बैंक में कार्य करने लगे। 2010 में उन्हें हरियाणा सरकार में एमपीएचडब्ल्यू के रूप में नौकरी मिली। आज भी वे सेवा दे रहे हैं। उनकी सेवा उसे जहां हर इंसान प्रभावित है वहीं उनकी आर्मी की सेवा से सैनिक बहुत प्रभावित हुये थे। फोटो कैप्शन: सुनील
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